अंतरंग हमसफ़र भाग 322

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आनंद की तालाश की यात्रा 10.30 प्रेम नहर में प्रवेश
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Part 322 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 30

प्रेम नहर में प्रवेश

फ्रेया ने धीरे से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में लिया, उसे उत्तेजित किया और धीरे-धीरे अपनी उंगलियाँ आगे-पीछे घुमाईं। मेरा लंड सख्त हो रहा था, और जब यह आधा खड़ा हो गया था, तो उसने धीरे से इसे फिर से अपने मुँह में ले लिया और अपने होंठों, जीभ के साथ चूसना शुरू किया । कुछ ही मिनटों में, लिंग सख्त हो गया।

मेरे सामने एक बेहद सुंदर और कामुक, बला की खूबसूरत, परफेक्ट शारीरिक बनावट वाली सब से शानदार जिस्म की मालकिन फ्रेया थी जिसने आज ही अपनी झांटो और-और बॉडी हेयर को साफ़ करवा कर चिकनी बनवाया था। फिर क्रीम और बॉडी आयल और मेकअप से सजी वह साक्षत आसमान से उतरी बिना कपड़ो की परी लग रही थी। मेरी नजर कभी उसकी रस टपकाते योनि ओठो पर अटक जाती, कभी उसके गोलाकार सुडौल गोरे स्तनों पर टिक जाती, तो कभी दो जांघो के बीच बने गोरे मखमल जैसी चिकनी गुलाबी चूत घाटी के त्रिकोण पर, कभी मैं फ्रेया की चिकनी गोरी मांसल जांघे घूरने लगता कभी उसकी नाभि तो कभी उसके रसीली ओंठो और चेहरे को निहारने लगता। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं ज्यादा देर तक किस को निहारु।

मुझे फिल्म डर के गाने के कुछ बोल याद आ गए-

तू मेरे सामने मैं तेरे सामने

तुझको देखूँ कि प्यार करूँ

ये कैसे हो गया, तू मेरी हो गयी

कैसे मैं ऐतबार करूँ

टूट गई टूट के मैं चूर हो गयी

तेरी ज़िद से मज़बूर हो गयी

तेरा जादू चल गया ओ जादूगर

एक बार नहीं सौ बार कर ले,

जी भर के तू मुझे प्यार करले

तेरा जादू चल गया ओ जादूगर

मैं इतनी खूबसूरत फ्रेया का एक-एक रोम देखने उसके रस टपकाते गुलाबी ओठो का रस पीना चाहता था और इतनी कोमल, गुलाबी संगमरमर की तरह चमकते दमकते जिस्म को भोगना और उसके सुडौल तने हुए स्तनों को मसल कर उसकी कोरी चिकनी गुदाज मांसल जांघो पर अपनी जांघे रगड़ते हुए उसकी मक्खन जैसी चिकनी नरम गुलाबी चूत चोदना चाहता था।

फिर मैंने उसके गुप्तांगों को चूमना जारी रखा फिर भी उसे चूमते हुए, मैंने अपना शरीर उसकी टांगों के बीच खिसका दिया। मैं उस शर्मिंदगी और बेचैनी को महसूस कर सकता था जो फ्रेया महसूस कर रही थी क्योंकि वह अब हर धड़कन के साथ कांपते मोटे तगड़े लंड को अपनी मक्खन जैसी चूत के अन्दर गहराई तक लेना चाहती थी और उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर खींचने की कोशिश की।

फिर मैंने उसे अपना चेहरा ऊपर की ओर करने की अनुमति दी। मैंने रास्ते में त्वचा के हर इंच को चूमा, जब तक कि मेरे होंठ उसके साथ नहीं थे। उसने मुझे जोश से चूमा। मैंने उसके चुंबन का जवाब दिया और तब तक ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखा मैंने फ्रेया को अपनी आगोश में ले लिया और हौले-हौले चूमने लगा। कभी गर्दन कभी कानो कभी कान फिर से गर्दन को चूमने लगता। फ्रेया अब पूरी तरह से वासना के आगोश में चली गयी थी, उसकी गरम सांसे धौकनी की तरह चलने लगी थी, छाती तेजी से उठने गिरने लगी। मेरा भी बदन गरम हो गया था और लंड बिलकुल सख्त हो गया था।

चुमते चुमते मैं फ्रेया के जिस्म के और करीब आ गया फ्रेया ने आगे होने वाले घटनाक्रम का अनुमान लगा अपनी आंखे बंद कर ली। जैसे ही मेरा सख्त हाथ उसकी कमर के नीचे से वासना से दहकती उसकी जांघो के बीच में नरम चिकनी त्रिकोण चूत घाटी के पूरी तरह से साफ़ सुथरा गुलाबी चिकने मैदान पर से फिसलता हुआ नीचे बढ़ा, फ़रया ने पैर फैलाकर खुद ही पूरी तरह से हथियार डाल कर टाँगे खोल दी और उसकी दुधिया गुलाबी गीली चिकनी चूत के होठों के खिलाफ मेरे लिंग के स्पर्श को महसूस किया। जब दोनों आपस में टकराए। तो सेक्स की एक लहर हम दोनों के जवान जिस्मो में सर से ले कर पैर तक दौड़ती चली गई।

मेरे लंड की उसके स्त्रीत्व से निकटता का एहसास होते ही वह हांफने लगी। उसने महसूस किया कि मेरे घुटने उसके नीचे सरक गए, उसके घुटने उठ गए और उसने महसूस किया कि वह मेरे लिए खुल रही है। अब उसकी सेक्स लाइफ शुरू होने का समय आ गया था। उस स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया ।

"मैं तुमसे प्यार करता हूँ, मेरी प्यारी डार्लिंग," मैं फुसफुसाया।

प्रिय! मैंने उसे मेरी प्यारी कहा था! वह वास्तव में मुझे प्यारी थी और अब प्रिय से प्रियतम होने का समय आ गया था!

होशपूर्वक अपने शरीर को मेरे अधीन करने के लिए उसने खुद को मेरे करीब रखा। "मैं आपसे प्यार करती हूँ प्रिय!"

मैं रुका। मैं इस पल को संजोना चाहता था, इसे थोड़ा लम्बा खींचना चाहता था!

मैं अपने हाथ उसके स्तनों पर ले गया और उसके कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और गर्म चूचियों के पर्श से मेरा मन वासना के ज्वर ने तपने लगा। अपने हाथ से उसके निप्पल कड़क मह्सूस करते हुए मैंने उसके बूब्स को चूमा और निप्पल्स को चूसा और उसकी मदहोश आँखों में देखा तो वह मुस्करा दी मेरे एक हाथ उसकी पीठ पर था । मैंने उसके होंठो पर हल्का-सा चुंबन किया। उसके गाल शर्म से गुलाबी हुए और मैंने जब दुबारा चूमा तो अब मेरे होंठ वही ठहर गये और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। फ्रेया ने अपने होंठों को मेरे होंठोंको चूम कर मेरा साथ दिया।

मैं आगे बढ़ा। अपनी दोनों टांगें फैला कर आगे झुक गया। उसने भी अपना सिर नीचे बिस्तर पर टिका अपने चूतड़ टिका कर लेट गयी और उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगी कि कब मेरा लिंग उसकी योनि में करेगा । लिंग उसकी योनि को स्पर्श कर रहा था हर धड़कन के साथ कांपते मोटे लबे लंड का सुपाडा खून की वजह से फूल कर टमाटर जैसा लाल हो गया था फ्रेया के शरीर में सिहरन दौड़ गयी। मैंने फ्रेया के ओठो को कसकर चूमा और फिर खुद की कमर को थोडा नीचे झुकाते हुए, लंड को चूत के लाल फूले हुए चूत दाने पर रगड़ दिया और उस की चूत पर आहिस्ता-आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने लगा। उसे मुहँ से एक लम्बी कामुक कराह निकल गयी--आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह-ओह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ़।

इन्ही मादक कराहो के बीच मैंने लंड को फ्रेया की चूत के छेद पर रखा और रगड़ने लगा। फ्रेया की कराहे और सिसकारियाँ बढती जा रही-रही थी। मैंने कमर को और झुकाते हुए लंड को फ्रेया की चूत से सटा दिया और उसकी चूत रगड़ने लगा। मैंने कमर पर जोर लगाया और अपने मोटे लंड का फूला हुआ सुपाडा फ्रेया की चूत में पेलने की कोशिश करने लगा। उसने आइस्ते से फ्रेया के कसे संकरे चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने सुपाडे को गीली चूतरस से भरी चूत में घुसाने का प्रयास करने लगा।

फ्रेया की चूत पर लंड सटाने के बाद उसने दो बार लंड को चूत में पेलने की कोशिश की और दोनों बार चिकनी चूत की कसी दीवारों और उसके चारों तरफ फैले चिकने चूत रस के कारन लंड फिसल गया। मैंने थोड़ा जोर लगाया लेकिन, किसी तरह, लिंग अंदर नहीं गया, मैंने और जोर लगाया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

फ्रेया के होठों से हल्की-सी सांस निकली। "यह... नहीं... है--तुम--बड़े-", व्यथित हो वह तोते हुए शब्द फुसफुसाई।

उसकी योनि में जलन-सी होने लगी थी। मेरे झुकते ही मुझे उसे अपने चूतड़ों के बीच मेरे गर्म कठोर लंड महसूस हुआ ये मेरे लिंग के सुपारे का स्पर्श था। मैंने उसके कंधों को पीछे से पकड़ा और अपनी कमर नीचे कर लिंग से उसकी योनि टटोलने लगा। वह कभी लिंग दाएँ, तो कभी बांए, तो कभी ऊपर, तो कभी नीचे करके योनि द्वार को ढूँढने लगा। इसके साथ ही फ्रेया की उत्तेजना और व्याकुलता बढ़ती ही जा रही थी । मैं पुनः प्रयास करने लगा।

काफी देर प्रयास करने के बाद भी लिंग योनि का मुख स्पर्श करके इधर उधर चला जाता। मैंने लिंग पर थूक मल कर चिकना किया और फिर पहले की भांति लिंग घुसाने का प्रयास करने लगा।

अपने हाथों को उनके बीच सरकाते हुए उसने कहा, "यहाँ--मुझे--"। उसके छोटे हाथों ने मेरे उत्तेजित अंग को ढूँढा और धीरे से अंगूठे और दूसरी उंगली से योनि की पंखुड़ियों को फैला योनि खोल दी और मैंने भी हाथ नीचे ले जाकर खुले दार पर लिंग को निर्देशित किया और तुरंत मेरा लिंग उसके प्रवेश द्वार पर टिक गया। जब उसने मुझे छुआ तो फ्रेया लिंग के आकार से चकित थी और फिर हांफने लगी क्योंकि मेरे लिंग का सिर उसके होठों के बीच में घुस गया। चूत के गुलाबी ओंठ फूले हुए सुपाडे के इर्द गिर्द फ़ैल गए। अब प्यार का सिलसिला शुरू हुआ। मैंने कहा अब हो सकता है तुम्हे थोड़ा दर्द हो, बर्दाश्त कर लेना ।

फ्रेया ने कोमल आलिंगन में अपनी बाहें मेरे चारों ओर सरका दीं। "अब, मुझे पूरी तरह से अपना प्रिय बना लो! मेरी चिंता मत करो ।" अभी भी डरी हुई, लेकिन दृढ़ निश्चयी, वह मुझसे फुसफुसाई।

मैंने इस बार लंड को जड़ से पकड़कर "जान! तुम बहुत गर्म हो, एक ओवन की तरह," मैंने कहा और मैंने जोर का धक्का दे मारा। फ्रेया की चूत की मखमली गुलाबी गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड का सुपाडा चूत में घुस गया।

मेरे लंड का मोटा सुपाडा अन्दर जाते ही फ्रेया दर्द से कराह उठी, फ्रेया का पूरा शरीर काम उत्तेजना के कारन गरम था, चूत भी गीली थी, लगातार उसकी दीवारों से पानी रिस रहा था और फ्रेया भी मेरा मोटा फूला हुआ मुसल लंड चूत में अन्दर लेने के लिये मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार थी फिर भी मेरा लंड इतना लम्बा और मोटा तगड़ा था किसी भी रोज चुदने वाली औरत की चीखे निकाल दे और फ्रेया के लिए तो ये पहली बार था। अभी योनि कसी हुई थी । कौमर्य अक्षुण था । इसलिए वह चीख पड़ी-आआअह्ह्ह आआआआआह्हह्हह्हह्हहईईईईईईईईई स्सस्सस्स मैं आह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस, हाय! मर गयी, उफ्फ्फ हाय उफ्फ्फ अह्ह्ह! प्लीज आराम से करो ।

मेरा रॉक-हार्ड लंड उसकी नम और उपज देने वाली योनि में प्रवेश कर गया। चूत की मखमली चिकनी गीली दीवारों को आखिर रास्ता देना पड़ा और मेरे गरम लोहे जैसे सख्त, खून के भरने से फूलकर मुसल बन गए मोटे लंड के फूले हुए सुपाडे को अपने आगोश में लेना ही पड़ा, चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे फैलने लगी।

अभी सिर्फ अपने लंड का सुपाडा घुसा था और उसकी दर्द भरी कराह सुनकर वह सोच में पड़ गया। अभी इसका ये हाल है तो जब पूरा लंड जायेगा तो इसका क्या हाल होगा। मैंने बहुत धीरे-धीरे चुदाई करने का फैसला किया और मैंने फ्रेया की ओठो पर ओठ रख दिए और उसे चूमने लगा। कुछ देर तक चूमता ही रहा।

एक तेज़ साँस लेते हुए, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं । मैं भी समझ गया फ्रेया दर्द बर्दाश्त कर रही है। मैंने कमर को हल्का-सा पीछे लेकर झटका दिया, लंड अपनी जगह से चूत में थोडा और आगे खिसक गया। फिर उसने धीरे-धीरे लंड को फ्रेया की संकरी गुलाबी चिकनी चूत में उतारना शुरू कर दिया। मैं हलके-हलके धक्के लगाकर चूत के मुहाने की दीवारों को नरम करने लगा। दर्द के बावजूद भी फ्रेया मेरे मुँह में की मादक कराहे निकल रही थी-आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्आ ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह! इंच दर इंच मेरे लिंग धीरे-धीरे उसकी प्रेम नहर में प्रवेश कर गया।

कहानी जारी रहेगी

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