अंतरंग हमसफ़र भाग 323

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10.31 रोमांचकारी प्रेम
2.9k words
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Part 323 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 31

रोमांचकारी प्रेम

मैंने फिर से धक्का मारा और लिंगी योनि की दीवार फैलता हुआ भीतर चला गया. इस धक्के से जहां लिंग ने योनि की दीवारें फैला दीं, वहीं योनि की मांसपेशियों के विरुद्ध लिंग की ऊपर की चमड़ी पीछे की ओर खिंचती चली गई जिससे सुपारे से लेकर लिंग का कुछ हिस्सा खुल गया था और वो लंड की नसों को अपनी योनि के भीतर महसूस करने लगी ।

वो उस धक्के से जोर से कराह उठी और बोल पड़ी- ओह राजा! इतनी जोर से न मारो!

मैं एक बार फिर फ्रेया को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया। फ्रेया का ऐसा नग्न रूप देखना रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली ।

उसके बड़े स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। गोल स्तनों पर छोटा-सा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर उसके निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, चेरी जैसे निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।

मेरे मुँह से निकला वाह! मेरी रानी! वाह!

और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा ।, जिन उभारो को देख के, मैं उसे पहली बार देखने से ही बेचैन था, अब मैं उन्हे छू रहा था और सहला रहा था ।

और उसमेरी तरफ कोमलता से देखा और एक प्यार भरी मुस्कान के साथ उसने अपना सिर हाँ में हिलाया। 'अब हमारे लिए शुरू करने का समय आ गया है-प्रिय अब तुम्हारे कुछ अंतिम कुंवारे चुंबन!' मैंने भाव से कहा। 'हम दोनों अब बहुत मजे करने वाले हैं, प्यार करने वाले हैं, आओ मेरी प्यारी...!' और हमने प्यार से एक दूसरे को कुछ देर तक चूमा।

मेरा एक हाथ उसकी जांघो के बीच रेंगता रहा और उसकी जाँघे खुली हुई थी और मेरा लंडमुंड उसकी योनि के अंदर था और मैं उसकी कुंवारी योनि के दुर्लभ अंतिम दृश्य के अवलोकन और प्रशंसा करने के लिए रुक गया। उसकी चूत, जोश से भरी आग से लदी हुई, गर्मजोशी से चमक रही थी। वह अपनी जाँघें फैला कर लेटी हुई थी रही थी, बाहरी होंठ फैल गए थे, अद्भुत नजारा था।

मैंने थोड़ा पीछे हुआ और साइड में रखी क्रीम की बॉटल उठा कर थोड़ी-सी क्रीम उसकी चूत में और थोड़ी-सी अपने लंड पर लगा दी। लंड उसकी योनि के प्रेम रस में पूरी तरह डूब चुका था। उसकी योनि का रस उसकी जांघों पर बहने लगा था जिससे जांघो पर चिपचिपपा-सा महसूस हो रहा था। मैंने आगे हुआ उसके स्तन सहलाये. निप्पलों को चूमा और चूसा. उसके ऊपर छा गया ओंठो को चूमा। मेरा एक हाथ इस बीच उसके स्तनों को दबाते हुए उसके चुचकों को मसलते हुए खेल रहा था।

अपनी योनि के अन्दर गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी. यहाँ तक की वोह मेरे लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी।

फ्रेया के लिए ये भी चुदाई में असली लंड का एहसास अलग ही था...इसलिए वो सिसकती हुई बोली...''ओह!...प्लीज़!......अब ना तरसाओ......जल्दी से डालो......अपना...........लंड......मेरी चूत में.....! ''

मेरे से भी अब रुका नही जा रहा था. एक बार फिर मैं पीछे हटा और.. उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया....उसकी शरबती नज़रों को देखा...और अपने लंड को उसकी जाँघो के बीच पहुँचा अन्दर की ओर दवाब दिया। मैंने थोड़ा सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर लंडमुंड पूरा अंदर चला गया था। मुझे पता था कि मेरे लिंग को फ्रेया ने अपनी योनी रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था. और अगली बार के धक्के में मैंने थोडा दवाब बड़ा दिया. मेरी साँसे जल्दी जल्दी आ रही थीं. फ्रेया ने अपनी बाहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं और अपने नितम्बो को ऊपर कि ओर उठा दिया।

कुछ देर मैंने अपनी कमर पर पूरा जोर डालकर एक तगड़ा झटका लगाया और लंड थोडा और अन्दर खिसक गया और उसके कौमार्य की झिल्ली से टकराया। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था। लंड झिल्ली तक पहुँच चूका था. हायमन से टकरा रहा था और जब उसने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो फ्रेया चिलाने लगी कि दर्द के मारे मैं मर जाउंगी।

इस अचानक हमले से चूत की दीवारों से भयानक घर्षण हुआ। चूत की गुलाबी गीली दीवारों को मैं के लंड ने थोडा और चीर दिया, दीवारों की सलवटे फैलती चली गयी, भयानक घर्षण से फ्रेया की मक्खन जैसी नरम गुलाबी गीली दीवारों में जलन शुरू हो गयी, ऐसा लग रहा था किसी ने लोहे की गरम राड उसके चूत में घुसेड दिया हो। दर्द और जलन से फ्रेया की चूत की दीवारे बेहाल थी, दर्द के मारे चूत की दीवारों में खून का दौरा तेज हो गया था और वह बेतहाशा फाड़फाड़ने लगी।

और उसकी कुंवारेपण की पतली झिल्ली का पहला चुम्बन मेरा लंड कर रहा था मुझे भी लगा मेरा लंड बहुत कसी हुई योनि के अंदर गया था। उसकी योनि सच में बहुत टाइट थी और मुझे भी लंड पर कसाव महसूस हो रहा था । मुझे एक और कुमारी लड़की को चुदी हुई औरत बनाने का मौक़ा मिलने वाला था । कुंवारी लड़की की कसी हुई अनचूदी चूत को चोदने में मज़ा भी तो बेहिसाब आता है और अलग ही होता है ।

फ्रेया की चीख निकल पड़ी, आअह्ह्ह आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई!

उसकी ऐसी चिल्लाहट सुन एंजेला विरोंका और केप्री को लेकर हमारे बिस्तर के पास आ गयी और उसे सान्तवना देते हुए एंजेला बोली। मेरी प्यारी बहन अभी थोड़ी देर में तेरा दर्द कम हो जाएगा ।आप तो जानती हो पहले मिलन पर चूत की मांसपेशिया लंड के प्रवेश पर थोड़ा एडजस्ट होती हैं और लंड के लिए चूत में जगह बनाती हैं। इसी कारण आपको दर्द हो रहा है। वेरोनिका ने उसकी चूत को सहलाया और उसके दाने को छेड़ने लगी । जिससे उसकी उत्तेजना उसके दर्द पर हावी हो गयी और उसका रोना चिलाना काफ़ी कम हो गया पर उसकी आँखों से आंसू निकल आये।

फ्रेया सिसकते हुए बोली इनका लिंग बहुत बड़ा है और मेरी चूत बहुत छोटी से है मुझे लगता है फट गयी है ।

एंजेला बोली अच्छा अब दीपक आराम से करेंगे. दीपक! अब धीरे करना । और मुझे मेरे हिप्स को दबा कर इशारा किया की अब काम पूरा कर दो। उधर वेरोनिका में मेरा लंड पकड़ा और मैंने उसके ओंठो पर अपने ओंठ लगाए और अब की बार लंड को पीछे ले जाकर पूरा ज़ोर लगा कर धक्का दे दिया और फच की आवाज़ के साथ खून के फुव्वारे छूटे और एक ही धक्के में लंड अंदर समां गया । मेरा लंड उसकी योनी में और आगे चला गया और मेरे होंठों ने उसके ओंठो को अपने अंदर दबा लिया।

मैंने लंड पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो फ्रेया ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था। फ्रेया की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था।

वो कराह रही थी आह! ईईई! दर्द उउउउइई! ईईईई! हो रहा है! उउउईईईई!आहहहाँ! ओह..." फ्रेया के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी । मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, वह दर्द के मारे चिललाने लगी-आहह! कुमार उउइइ! ओह्ह्ह्हह! बहुत दर्द हो रहा है!

उसके नन्हे-नन्हे हाथ मेरे नितंबों पर सरक गए और मुझे अपनी ओर खींच लिया। वृत्ति से प्रेरित, और बिना सोचे समझे, मैंने फ्रेया को अपने पास जकड़ लिया और घर चला गया, मोटे तौर पर उसकी योनि की मांपेशियों को अपने बीच में मेरे लंड को रास्ता देने के लिए मजबूर कर दिया था।

इस हमले से खुद का बचाव करने की बेहोशी की कोशिश में फ्रेया चीखी और मेरे चारों ओर कस गई।

ये ज्ञान कि मैं फ्रेया से प्यार कर रहा था, मेरी सबसे प्यारी गर्ल फ्रेंड, प्यारी डेलिंग, और यह कि मैं वास्तव में उसके अंदर था, उस प्रत्याशा के साथ जो दिन भर बन रही थी, इसके कारण मैं खतरनाक रूप से चरमोत्कर्ष के करीब था।

मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे फ्रेया की चूत में समां रहा था। फ्रेया की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं फ्रेया को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था।

फ्रेया की पीठ तीर जैसी तिरछी होकर उपर उठ गयी ।

बेसब्री के साथ फ्रेया ने जल्दी से अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी टांगो से मेरी कमर को लपेट कर मुझे अपने उपर खींच लिया।.इसी के साथ मैंने फिर से झटका मारा मारा लंड दनदनाता हुआ सा एक ही वार में उसकी चूत की दीवारें रगड़ता हुआ अंदर तक जा धंसा....और दोनो के मुँह से मादकता भरी चीखे निकल पड़ी...! ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह! हाईये! मर गयी राजा!

''उम्म्म्मममममममममममममममममम........ओह..............फ्रेयाआाआआ.......मेरी ज़ाआआअन्*नन्...... आआआआआआआआआआअहह!''

मैंने उसे किस करना शुरू किया और उसके स्तन सहलाने लगा. मैं मुस्कुराया और उसके स्तनों को चूमता और रगड़ता रहा, लेकिन अपना लंड नहीं हिलाया। 5 मिनट के भीतर, योनि की मासपेशिया समायोजित हो गयी और सिलवते खुल गयी । दर्द थोड़ा कम हो गया और फ्रेया अब बेहतर महसूस कर रही थी ।

फ्रेया का तेज दर्द पहले से ही कम हो रहा था, और अब वह अपनी मांसपेशियों को ढीला करने में सक्षम थी। वह खुश थी कि मैं उसका प्रेमी था, जिसने उसके कौमार्य भंग किया था। फ्रेया ने अपनी बाहें मेरे चारों ओर कस लीं।

फ्रेया सिसक उठी.....उसके मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे गर्म तवे पर पानी के छींटे मार दिए हो...।

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह.........उम्म्म्मममममममम मेऐऐरेऐऐ राजाआअअअअअ!....''

और जोर-जोर से और चोदना जारी रखने के लिए उसे संकेत देने के लिए अपनी श्रोणि को ऊपर धकेलना शुरू कर दिया।

मैंने लंड थोड़ा आगे पीछे किया और एक तेज धक्के के साथ पूरा लंड आगे धकेल दिया तो फ्रेया ने एक दर्दनाक कराह भरी और उसका हाइमन टूट चूका था, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था । फ्रेया की चूत बहुत टाइट थी अब, उसकी चूत से खून बहने लगा था । वो कराह रही थी आह ईईई दर्द उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ!ओह..." फ्रेया के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी. मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, वो दर्द के मारे चिललाने लगी- आहह राजा उउइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है! बेड शीट खून से सन चुकी थी. मैंने फिर उसे चूमा और उसके बदन को सहलाया और उसे दिलासा दिया कि यह ठीक है ।

मेरे लिए ये वाला खून खराबा कोई बार पहली बार नहीं था। पर फ्रेया अपना खून देखकर थोड़ी सहम गयी। हालांकि उसे भी यह पता था की कँवारी लडकियां जब पहली बार चुदती हैं तो अक्सर यह होता है। मैंने प्यार से उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में लिया और धीरे से निचोड़ा, उसके कोमल होठों पर अपना मुंह रखा, और उसे जोश से चूमने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ रहा था और अपने अंगूठे और उंगलियों से निप्पल को रगड़ रहा था।

सब धीमी गति से चल रहा था, लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, उसने बेहतर महसूस किया और अपने बहते रस के साथ मेरे लंड को ढीला करना शुरू कर दिया, मैंने लगभग दो इंच के छोटे-छोटे धक्के दे रहा था ।. मैं हर धक्के के साथ थोड़ा थोड़ा अंदर घुसता रहा और इंच दर इंच और फिर मैंने पांच धक्को के बाद मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, और रुक गया ।

मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही फ्रेया को सीधा किया और उसे धीरे धीरे चोदने लगा। फ्रेया की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन मैं फ्रेया को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था। फ्रेया मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द हो रहा था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी, फिर भी उसने रुकने का इशारा नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर फ्रेया को चोदता रहा।

मेरा लंड बार बार पूरा अंदर तक जा रहा था. मैंने थोड़ी देर बाद उसे धीरे-2 बाहर खींचा....फ्रेया की नज़रें सीधा अपनी चूत की तरफ चली गयी... तो लंड पर खून लगा हुआ था. वो थोड़ा घबराई तो मैंने उसे चूमा और बोलै थोड़ा सा दर्द भी होता है और खून भी निकलता है. पर अब कुछ नहीं होगा. जो होना था हो चूका है. ान बस मजे करो और मजे लो और मजे दो! मैंने उसके ओंठ चूमते हुए और हाथो से स्तन दबाते हुए धक्के लगाने शुरू किए और वो उसे पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए देखकर सिसकारियाँ मारने लगी.... मैंने अपने दोनों हाथों से उसके उरोजों को पकड़ा और प्यार से दबाना और मसलना शुरू किया। फ्रेया के नग्न गोल निताब देखकर मेरे लण्ड की नर्सों में वीर्य तेज दबाव से नर्सों को फुला रहा था। मैंने एक धक्का और जोर से दिया और उस बार चूत में पूरा घुसा दिया ।

इससे उसे कुछ राहत मिली। अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वो फिर से गर्म हो गई। मेरा लंड और उसकी चूत दोनों चुतरस से एक दम चिकने हो चुके थे फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो वो चिल्लाई. आहहहहह आएीीईईईईईइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! उउउउउउउउ!

''अह्ह्हह्ह्ह्ह.....फककक मी दीपक..............आअहह....उूुउउम्म्म्ममममम..... यसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह'' यस!

मैंने फिर तेज धक्का मारा तो लिंग पूरा अंदर गया और अंडकोष योनि ओंठो से टकराये और फ्रेया ने भी इसे महसूस किया और चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया और फिर आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया, जबकि वह फिर से अपने कूल्हों को आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी ताकि मेरे धीमे धक्कों को अब तेज किया जा सके।

मेरे लिए इसमें कुछ ज्यादा अलग नहीं था, मैंने जितनी भी लडकियों को चोदा था लंड चूत में डालते समय लगभग सबका ही हाल ऐसा हो जाता था | मैं उसके पूरे चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा |

मैं ने फ्रेया के ओठो पर अपने ओठ रख दिए और जीभ उसके मुहँ में घुसेड दी और कसकर उसे चूमने लगा | दोनो को पता था की अंदर का तूफान जल्द ही निकल सकता है....इसलिए दोनो अपनी तरफ से झटके और ज़ोर से लगाने लगे...| मैं जोर जोर से कमर हिलाकर फ्रेया की गुलाबी गीली चूत की दीवारों को जो उसके लंड को कसकर जकड़े थी को चीर कर, रगड़ता हुआ अपने मोटे मुसल जैसे लंड को फ्रेया की चूत में पेल रहा था, और हर धक्के के साथ चूत की गहराई के आखिरी छोर तक जाने का रास्ता बना रहा था ।

और करीब 5 मिनट तक की चुदाई के बाद फ्रेया की आँखे उपर की तरफ घूम कर बंद हो गयी...और वो आनंद सागर मे गोते लगाती हुई अपने ऑर्गॅज़म को महसूस करने लगी...|

''उम्म्म्मममममममममम....दीपक..................... आई लव यू......!.''

मैंने उसे चूमना. सहलाना और छोड़ना जारी रखा. हर बार थोड़ी-सी कमर उठाता और पूरा का पूरा लंड फ्रेया की चूत में ठेल देता, हर धक्के के साथ फ्रेया के मुहँ से एक वासना भरी मादक कराह निकलती रही- ओह्ह आह!यस करो और करो यस-यस ओह्ह करो अह्ह्ह यस यस ओह गॉड आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह स्सस्सस्स आःह्ह ओह्ह्ह्हह स्सस्सस्स ओह गॉड, ओह्ह्ह्ह गॉड यस-यस यस!

मुझे भी उसे अपने प्यार का एहसास उसे दिलाना था.. ।

अब तक वो कई बार चरम आनन्द पा चुकी थी, वो झड़ती, फिर से गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।

ऐसा कई मर्तबा हुआ।.इसलिए उसे बार बार झड़ता देखकर और तेज़ी से धक्के मारने लगा..

अब तक मैं भी स्खलित होने वाला था, मैंने फ्रेया के उरोज दबाते हुए और ौसे चूमते हुए कई ताक़तवर धक्के ठोके और उसके अंदर ही स्खलित हो गया।

उसका बदन काम्पा फिर अकड़ा और फिर मेरे साथ ही फ्रेया भी फिर से झड़ी।

हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। मैंने थोड़ी देर तक फ्रेया को धीरे धीरे चोदा, फिर हम दोनों झड़ गये और मैं फ्रेया के ऊपर गिर गया. मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा तो कुछ देर के बाद वो शांत हुई ।

झड़ के मैं फ्रेया के ऊपर ही लेट गया । कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने फ्रेया के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर तृप्ति बहुत संतुष्टिका भाव था और वो बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।

.और जैसे ही उसके लंड से प्रेशर के साथ पिचकारी निकली..उसका शरीर झनझना उठा....जिसे फ्रेया ने भी महसूस किया लेकिन पिकचर अभी बाकी थी. अभी तो उससे मुझे बहुत प्यार करना है।

कहानी जारी रहेगी

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