अंतरंग हमसफ़र भाग 324

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10.32 रोमांचकारी प्रेम, सम्भोग और आनंद
2.4k words
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Part 324 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 32

रोमांचकारी प्रेम, सम्भोग और आनंद

हम दोनों कुछ देर साथ में चिपक का लेटे रहे कुछ देर बाद हम दोनों के तेज चल रही साँसे नार्मल हो गयी तो एंजेला, क्सान्द्रा । डॉ एड़ी, वेरोनिका, केप्री और ग्रेस सभी हमारे पास आयी और फ्रेया को लड़की से औरत बनने पर बधाई दीl

फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो वह वीर्य, फ्रेया के चूतरस और खून से भीगा हुआ थाl बेड शीट खून से सन्न चुकी थी मैंने फिर फ्रेया को लिप किश दी और उनके बदन को सहलाया। उनके चुचो को दबाया और चूत पर हाथ फेरा और बोला फ्रेया आप तो जानती हो पहली बार थोड़ा दर्द होता है और खून भी आता है l. आप अब कैसा महसूस कर रही हैं?

फ्रेया बोली शुरू में थोड़ा दर्द हुआ पर फिर बहुत मज़ा आया उसके बाद तो मुझे अच्छा लगा और ख़ास बात ये है की मैं ये तुम्हारे साथ किया इसलिए और भी अच्छा लगा है

तो मैंने कहा अभी तो बहुत मजे करने हैंl आगे तुम्हे बहुत मज़ा आएगाl

फिर हम दोनों उठ कर वाशरूम चले गए और एक दुसरे के अंगो को धोया। फिर मैंने फ्रेयाकी चूत पर क्रीम लगाई फिर हम बिस्तर पर वापिस आ गए । मैं एक बार फिर फ्रेया को निहारने लगा और मैं बस उसे देखते ही रह गया। फ्रेया का नग्न रूप देखना एक रोमांचकारी नजारा था। उसका दमकता हुआ चेहरा, उसकी शानदार आकृति, उसकी लजाने के अदाए, उसके अद्भुत स्तन, उसकी शानदार गोल जांघें और टाँगे, उसके भव्य गोल और बड़े कूल्हे और नितम्ब सब कुछ सुंदर शानदार और गौरवशाली।

उसके बड़े स्तन गोल और दृढ़ थे और सीधे खड़े थे। गोल स्तनों पर छोटा-सा गुलाबी घेरा जो गोल शीर्ष पर उसके निप्पल उसके इरोला की सतह पर गहरे गुलाबी चेरी की तरह लग रहे थे। पर अब उन पर मेरे छूने और काटने के निशाँ थे । मैंने हाथ से उसके पूरे स्तन को ढक लिया और जब मैंने अपनी उँगलियों को उसके घेरे में फैलाया, तो दो छोटे, चेरी जैसे निप्पल तुरंत सख्त हो गए और बाहर निकल गए।

और उसकी छातियों को हाथों से पकड़ लिया और प्यार से सहलाने लगा, दोनों बूब्स एकदम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और सहलाने लगा।, मैंने अपनी उंगलियों को उसके निप्पल पर कुछ देर और घुमाया और उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे ही मैं अपना मुँह उसके बायें स्तन के पास लाया, उसने मेरे सिर को अपनी बाँहों में लपेट लिया और मुझे अपने पास खींच लिया। मैंने उसके स्तन को कई बार चाटा। पहले उसके इरोला के चारों ओर, फिर निप्पल के पार, उसके पूरे स्तन को अपने मुंह में डालने से पहले, अपनी जीभ को उसके पूरे स्तन के चारों ओर घुमाते हुए मैंने उसके स्तन को चाटा चूमा और चूसा।

मैंने को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर फ्रेया के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। फ्रेया ने अपने होँठ खोल दिए और मेरी जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर इस काम रस का आनंद लेते रहे।

फ्रेया की लम्बी सुराहीदार गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके गोल सुदृढ़ गर्वित स्तनों के साथ तीखे निप्पल और पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी नाभि जिसके निचे थोड़ा-सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला त्रिकोण, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी चिकनी जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर उभरे हुए फ्रेया के गोल कूल्हे देख कर मेरे जैसे व्यक्ति की जिसने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था और भोगा था, के मुंह से भी आह निकल गयी। मैं उसकी पीठ सहला रहा था और मेरे हाथ उसके बाएँ नितम्ब गाल पर चला गया।

जैसे ही मैं उसके गोल नितम्ब गाल को सहलाया तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के होठों के संपर्क में आ गयी और वह कराह उठी। मैं अचानक सम्भोग करने की तेज लालसा से भर गया और मैं फिर से उसके एक-एक इंच का स्वाद चखना चाहता।

मैंने फ्रेया को उलटा करकर घुटनों के बल ला दिया और उसके योनि के मोटे होंठ आपस में चिपके हुए और बंद थे और मेरे हाथों से उसकी जाँघों के अंदर, ऊपर की ओर मालिश की और क्रीज के साथ ऊपर और नीचे रगड़ा गया जहाँ उसकी जांघें उसके योनि के होंठों से मिल रही थी। उसके योनि के फूल की पंखुड़ियों को मैंने लंड रगड़ कर खोल दिया। उसके भीतर के होंठ पतले थे और बिना किसी अतिरिक्त त्वचा के उसके उद्घाटन के किनारों गुलाबी थे। उसने गहरी साँस छोड़ी और अपने कूल्हों को ऊपर की ओर घुमाया। वह मारे उन्माद के पलंग पर मचल रही थी और अपने कूल्हे उठा कर अपनी उत्तेजना ज़ाहिर कर रही थी। उसका उन्माद उसके चरम पर पहुँच चुका था। अब वह ज्यादा बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे जोरों से दबाया तो मेरे रोंगटे रोमांच से खड़े हो गए थे।

मैंने फिर अपनी ऊँगली उसकी गांड के पास ले गया और ऊँगली को गांड के छेद पर थोड़ा नीचे की ओर दबाया और फिर ऊँगली से गांड के छेद की परिक्रमा की। उसने हांफते हुए कहा और फिर कहा "ओह यहाँ भी अच्छा लगता है।"

मैंने उसकी गुदा की कुछ और बार परिक्रमा की। "अपनी उँगली को उसकी योनि पर वापस लाकर योनि के प्रवेश द्वार तक ट्रेस किया और धीरे से दबाया। उसने एक छोटी से" ओउ"की। मैंने फिर उसके प्रवेश द्वार के अंदर ऊँगली सरका कर अंदर के गीलेपन को महसूस किया और धीरे से ऊँगली को-को दबाया। वह कराह उठी मैंने दो उंगलियियो और अंगूठे की मदद से थोड़ा छेद खोला, उसे एक बार देखा और जीभ से चूमा। मैं फिर पीछे हट गया, उसका रस जो नीचे बह रहा था उसे खींचकर उसकी योनि तक ले गया। जब मैं अपनी उंगली को उसकी भगशेफ के पार लाया और उसके चारों ओर वृत्त बनाना शुरू किया, तो उसने कांपते हुए। अपने कूल्हों को उठा लिया। उसकी सांसें अब छोटी, गहरी, हांफते हुए आ रही थीं और वह पसीने की चमक से ढकी हुई थी वह बोली हाय मैं गयी!"

खूब देर तक उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए फ्रेया की बिन बालों वाली गोरी गांड पर लगाया और उसके पहले मैंने उनकी मांसल गोरी चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दन्त से हलके-हलके कटा भी और फ्रेया मस्त हो उठी।

मैंने उसकी चूत पर थोड़ी-सी क्रीम लगायी और मैं ने अपने खून से भरे मोटे फूले हुए लंड को उसकी चूत पर रखा

और मैंने टनटनाया हुआ 10 इंची लोडा पीछे से उसकी योनि पर घिसा और लंड योनि के मुझाने पर लगा दिया तो फ्रेया ने अपनी गाँड़ ऊपर उठायी और मैंने एक बड़ी सुनामी की लहर जैसे उस पीछे से धीरे से उसकी चूत में मुसल लंड पेल दिया। जैसे ही मैंने धीरे से आगे बढ़ाया, लण्ड हलके से चूत में थोड़ा घुसेड़ा। मैंने थोड़ा और धक्का दिया और अंदर डाला। अब फ्रेया के मुंह से आह निकली। और फिर से धीरे-धीरे और फिर जब सूपड़ा अंदर गया तो एक झटके के साथ फ्रेया की गीली पर दर्द से बेहाल चूत पेल दिया। फ्रेया के मुहँ से चीख निकल गयी। आईईईईइइइइइ ओह्ह्ह्हह और मैं पीछे से उसकी चूत में सटासट लंड पेलने लगा।

फिर मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड अंदर दबा दिया वह फड़फड़ाई और उसके मुंह से लम्बी ओह्ह्ह निकल ही गयी। मैंने फ्रेया के नितम्बो को सहलाते हुए पीछे से चोदना शुरू किया था। मैंने एक लम्बा झटका लगाया। फ्रेया के मुहँ से घुटी-घुटी चीख निकल गयी, मैंने लंड पर दबाव बनाते हुए उसे फ्रेया की चूत में घुसेड़ना जारी रखा। फ्रेया कभी पैर पटकती कभी सर झटकती। मैंने लंड आगे पीछे करते हुए धीरे-धीरे फ्रेया की चूत को चोदना जारी रखा।

फ्रेया की चूत बहुत टाइट थी। पहली चुदाई के बाद थोड़ी सूज गयी थी और इसलिए थोड़ी ज्यादा टाइट लग रही थी । वह बार-बार कराह रही थी आह ईईई! उउउउइई! ईईईई! उउउईईईई! आहहहाँ! ओह..." फ्रेया के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी। मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, वह चिललाने लगी-आहह कुमार उउइइ ओह्ह्ह्हह!

में धन्य हो गया। क्या गोल नरम गद्देदार चूतड़ थे, नरम मुलायम गोरी चमड़ी जो लाल सुर्ख हो गयी थी और सख्त टाइट मांस और बस मत पूछो यार मज़ा आ गया। फ्रेया के शरीर पर कई नील पड़ गए थे फिर मैंने उनको प्यार से सहलाते हुए उनके स्तन दबाये और फ्रेया के लिप्स पर किस किया और कहा आय लव यू फ्रेया। मैंने धीरे-धीरे वापस खींच लिया, बस सिर को अंदर छोड़ दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। उसके अंदर होने के कारण, वह गर्म थी: बहुत गर्म और इतनी अवर्णनीय रूप से मखमली मुलायम। वह अविश्वसनीय रूप से तंग थी! यह एक चिकने, गीली गुफा की तरह था!

मैं जरा जरा-सा खिसकता हुआ लंड धीरे-धीरे फ्रेया की चूत में समां रहा था। फ्रेया की चूत की आपस में चिपकी दीवारे मैं के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी और चूत मेरे लंड को अपने अंदर आने दे रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और मेरे मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी। मैं फ्रेया को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था। मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया। फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे। मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और फ्रेया खुद आगे पीछे होने लगी। हर धक्के के साथ फ्रेया की आह निकल जाती थी। कुछ देर लगातार चुदाई के बाद उसका शरीर कांपने लगा और वह झड़ने लगी।

जब उसकी साँसे संयत हुई तो मैंने कहा-फ्रेया अब तुम ऊपर आओ.

मैं सीधा लेट गया और फ्रेया ऊपर आ गयी और मुझे लिप किस करने लगी। कुछ ही देर में फ्रेया ने मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया और हम लिप किस करते हुए चुदाई करने लगे।

कुछ देर बाद फ्रेया सीधी हो गयी और उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए. मैं उसके गोल सुडौल मम्मे चूसने दबाने लगा, तो वह खुद ब खुद मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी। मेरे भी चूतड़ चलने लगे थे। हर धक्के के साथ फ्रेया के मुँह से आह निकल जाती थी। सचमुच वह काफी मादक लग रही थी।

फिर मैं उठा और लंड अंदर डाले हुए फ्रेया को गोद में ले कर बैठ गया और वह मेरे होंठ चूसने लगी, लगभग दो मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद फ्रेया को थोड़ा आराम मिलाl तो मैं फिर बोला-फ्रेया अब तुम अपनी चूत को ऊपर-नीचे करोl

फ्रेया धीरे-धीरे अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद उसे अच्छा लगने लगा। तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा। वह भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थीं "हाँ... ज़ोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं, आह और ज़ोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।" फ्रेया के बड़े-बड़े कोमल मम्मे किसी फुटबॉल की तरह उछाल मार रहे थे और मेरे, मुँह से टकरा कर मुँह की मालिश लकर रहे थे और उसकी चूत भी अब गीली हो गई थी।

मैंने लंड अंदर डाले-डाले ही फ्रेया को सीधा लिटाया और पहले की तरह चोदने लगा। फ्रेया मेरे लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी धक्के के साथ मेरे लंड ने उसके गर्भाशय ग्रीवा को टक्कर मार दी, फ्रेया चिल्लायी "ओउ।" मैंने थोड़ा पीछे खींच लिया । उसने रुकने का इशारा नहीं किया। मैं भी लगातार धक्के लगाकर फ्रेया को चोदता रहा।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसे गोदी ने उतारा। फ्रेया के नग्न गोल निताबो को पकड़कर फिर मैंने उसकी कमर को जकड़ लिया। मैंने इसकी चूत में खड़े-खड़े ही एक धक्का दिया और उस बार चूत में लण्ड पूरा घुस गया। लेकिन लगभग पांच मिनट के धीरे-धीरे आगे-पीछे हिलने के बाद, मैंने उसे पलटा और पीछे से पक्ष कर एडमिरल पोजीशन में उसे छोड़ा शुरू किया वह भी अपने कूल्हों को हिला कर मेरा साथ देने लगी। वह कराह रही थी आह ईईई उउउउइई ईईईई हो रहा है! उउउईईईई आहहहाँ! ओह..." फ्रेया के मुख से निकला, स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गयी। मैंने उसके कोमल होठों पर अपना मुंह रखा और उसे जोश से चूमने लगा। धक्के लगाना जारी रखा वह चिल्लाई. आहहहहह आएीीईईईईईइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! उउउउउउउउ!

मैं ने फ्रेया के ओठो पर अपने ओठ रख दिए और जीभ उसके मुहँ में घुसेड दी और कसकर उसे चूमने लगा। मैं ने लंड बाहर निकला और फ्रेया की पोजीशन बदल दी, अब मैं उसे घुटनों पर ले आया। फ्रेया आईईईईइइइइइ! करती हुई उसने बिस्तर में अपना मुहँ छिपा लिया, बिस्तर की चादर को कसकर जकड लिया, इस कारन उसकी चीख उसके चेहरे और बिस्तर के बीच में ही घुटकर रह गयी। मैंने फिर चुदाई को रोका तो वह पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी। मैंने एक बार फिर थोड़ी क्रीम उसकी योनि पर उड़ेली औरर कुछ लंड पर लगायी और उसके बाद मैं फ्रेया के ऊपर आ गया, मैं ने फ्रेया की चूत पर लंड सटाकर अन्दर की ओर पेल दिया और कमर हिलाकर धक्के लगाने लगा। और वह अपनी नाजुक संकरी चूत में उसका लंड फिर से लेने लगी। फ्रेया के मुहँ से कराहे निकल रही थी। आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह!

मैं जोर-जोर से कमर हिलाकर फ्रेया की गुलाबी गीली चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ अपने मोटे मुसल जैसे लंड को फ्रेया की चूत में पेल रहा था और हर धक्के के साथ चूत की गहराई केखिरी छोर तक जाने का रास्ता बना रहा था।

फ्रेया कांपती हुए आवाज में मेरे कान में बोली अह्हह्ह्ह्ह! चोदो! जोर से करो! आहहहहह! आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ! ओह्ह्ह्हह! मेरे धक्के बदस्तूर जारी थे और फ्रेया की कराहे भी।

मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया फ्रेया के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया । उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर अपनी योनि क्षेत्र को मेरे पेट के साथ चिपका दिया। उसकी योनि की मांसपेशिया और संवेदनशील सतेहे समायोजित हुई और उन्होंने मेरे लंड को जकड़ लिया। मेरे अंडकोष उसकी योनि के ओंठो से चिपक गए । उसका शरीर कांपने लगा और वह झड़ने लगी और मैंने धक्के लगाने जारी रखे उसके बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया।

कहानी जारी रहेगी

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