मेघा की तड़प

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मेघा की तड़प
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मेघा यूँ तो किशोर अवस्था को अलविदा कर चुकी थी। उसमें जवानी की नई नई रंगत चढ़ रही थी। इसमे मेघा की सहेलियों का बड़ा हाथ था। उनकी चुलबुली बातों से मेघा का दिल भी बहक उठता था। वो भी कभी कभी शाम की ठण्डी हवाओं में कहीं सपनों में गुम हो जाया करती थी। उसे लगता था कि कोई राजकुमार जैसा मनभावन युवक उसके कोमल अंगों को सहला जाये, उसे मदहोश बना जाये, उसके गुप्त अंगों से खेल जाये। आँखें बन्द करके उसी सोच में उसकी योनि भीग जाया करती थी, अपनी योनि को दबा कर वो सिसक उठती थी। यूँ तो रात को वो चैन की नींद सोती थी पर कभी कभी सपने में वो बैचेन हो उठती थी, उसे लगता था कि उसकी कोमल योनि में कोई लण्ड घुसा रहा है, उसे चोदने की कोशिश कर रहा है। पर उसे चुदाने का कोई अनुभव नहीं था सो बस वो उसे वो सुखद अनुभव नहीं हो पाता था।

दूसरों की देखा देखी वो भी कसी जीन्स और बनियाननुमा टॉप पहनने लग गई थी। वो अपने अपने सीने के छोटे छोटे उभारों को और उभार कर लड़कों को दर्शाने की कोशिश करती थी। घर पर वो सामान्यतया एक ऊंचा सा सूती टाईट पजामा और टी शर्ट पहना करती थी जिसमें उसके चूतड़ों का आकार और उसकी बीच की गहराई, क्या तो युवकों और क्या तो अधेड़ मर्दों को अनजाने में गुदगुदा जाती थी, पर मेघा अपनी इस रोज की ड्रेस में से उभरती जवानी से अनभिज्ञ थी।

मेघा के परिवार में उसके माता पिता और उसकी एक बड़ी बहन अदिति थी। अदिति की शादी उसके बीए करने के पश्चात ही हो गई थी। मेघा अभी बारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी। अदिति तो शादी के बाद से ही एक स्कूल में टीचर लग गई थी। वो प्रातः सात बजे बस से स्कूल चली जाती थी। जीजू प्रकाश, जो एक सरकारी महकमे में नई नई नौकरी में सुपरवाईजर के पद पर लग गया था। जीजू ने शहर में ही एक सस्ता सा मकान किराये पर ले लिया था, जो कि एक पुराना घर था। घर की हालत बहुत अच्छी तो नहीं थी, जैसे पुराने मकान होते हैं वैसा ही वो भी था। खिड़कियों के टूटे फ़ूटे कांच, बाथरूम का दरवाजा टूटा हुआ, छोटा सा चौक, जहा बर्तन वगैरह धुलते थे। जीजू वहीं चौक में नहाते थे।

सीनियर सेकेन्ड्री की परीक्षा देने के बाद वो मार्च के अन्तिम सप्ताह में ही शहर में अपनी बहन के घर छुट्टियाँ बिताने आ गई थी। फिर उसे शहर में ही तो कॉलेज ज्वाईन करना था।

जब वो शहर आई तो सबसे पहले उसके जीजू प्रकाश ने अपनी साली का स्वागत किया। उसकी खिलती जवानी को गहरी नजरों से देखा। मेघा के बदले हुये तेवर उसकी निगाहों से छुप नहीं सके।

अदिति के घर के पास ही रहने वाली खुशबू मेघा की सहेली बन गई थी। दोनों की खूब बनती थी। उसकी सहेली खुशबू ने भी उसे सुखद आश्चर्य से देखा। खुशबू ने तो एक ही नजर में भांप लिया था कि मेघा पर जवानी का सरूर चढ़ा हुआ है। उसकी बहन अदिति ने मेघा के तेवर देखे और वो भी मुस्कराये बिना नहीं रह सकी। अदिति ने पनी बहन को बैठक में ही जगह दी, जहाँ एक दीवान भी लगा हुआ था, जिसे रात को वो सोने के काम में लाया करती थी।

मेघा और खुशबू साथ साथ ही रहा करती थी, दोनों के मध्य अब अश्लील बातें भी होने लगी थी। खुशबू के कहने पर अब मेघा अपने ही घर में रात को इधर उधर झांकने की कोशिश करती रहती थी। एक बार कार्यालय जाने से पहले जब प्रकाश चौक में स्नान कर रहे थे तो मेघा को जीजू की चड्डी में से लण्ड नजर आ गया। मेघा का दिल धड़क उठा। अधखुला लण्ड का सुपाड़ा गुलाबी सुर्ख, चिकना, चमकदार, मेघा की तो आँखें खुली की खुली रह गई। पहली बार उसने लण्ड देखा था। लम्बा लटका हुआ, मोटा सा ... जैसे सब कुछ मेघा के दिल में उतरता चला गया। तभी प्रकाश की तिरछी नजर मेघा पर पड़ गई। उसने जल्दी से गीली चड्डी में अपना लण्ड छुपा लिया। मेघा भी झेंप सी गई। प्रकाश मन ही मन मुस्करा उठा। मेघा सर झुकाये अपने कमरे में चली आई और गुमसुम सी हो गई।

प्रकाश ने स्नान करके अपनी लुंगी लपेट ली और बैठक में आ गया। मेघा उस समय बैठक की बालकनी में खड़ी थी और सोच में डूबी हुई बाहर देख रही थी। प्रकाश ने एक बार तकदीर आजमाने का फ़ैसला कर लिया, उसके सोचा एक बार कोशिश करने में क्या हर्ज है? यदि मेघा नहीं पटी तो माफ़ी मांग लूंगा। वो अपने हाथ बालकनी की रेलिंग पर रखे बाहर देख रही थी। उसने मुड़ कर जीजू को देखा और हल्के से मुस्कराई। प्रकाश ने पास जाकर उसके हाथ को पर अपना लण्ड धीरे से उस पर दबा दिया।

मेघा को अपने हाथ पर उसके लण्ड का आभास हुआ। एक रबड़ की ट्यूब जैसी चीज उसके कोमल हाथ पर स्पर्श कर गई। मांसल लण्ड का कड़ापन जैसे उसके मन पर छप गया। मेघा ने तिरछी नजरों से जीजू को देखा और अपना हाथ न चाहते हुये भी धीरे से खींच लिया। मेघा की सांस तेज हो उठी।

"जीजू नाश्ता कर लो, आपको ऑफ़िस के लिये देर हो रही है।"

प्रकाश ने मन ही मन अपनी हिम्मत की दाद दी और मुस्कराते हुये नाश्ता करने लगा।

"जीजू, मैं खुशबू के यहाँ जा रही हूँ, दरवाजा बन्द करके चाबी गमले में रख देना।"

मेघा जल्दी से घर से बाहर निकल आई। उसका दिल बहुत तेज धड़क रहा था। मन बेचैन सा हो गया था। रह रह कर जीजू का लटकता हुआ लण्ड और फिर उसके कोमल स्पर्श ने उसके मन को उथल पुथल कर दिया था।

"अरे क्या हुआ मेघा, ध्यान किधर है तेरा?" खुशबू ने उसे हिलाते हुये कहा।

"अरे अन्दर तो चल, आज तो गजब हो गया!" मेघा हड़बड़ाहट में थी।

"हाय क्या हो गया मेरी जान को? किसी ने कुछ कर दिया क्या?"

"अरे वो... हाय राम... जीजू का लण्ड तो बहुत मोटा है, आगे कुछ लाल लाल सा भी है।" मेघा ने शर्माते हुये बताया।

खुशबू हंस दी।

"कैसे देखा, बता ना, क्या तेरे जीजू ने पैंट खोल कर लण्ड दिखा दिया तुझे?"

"चुप ना, वो नहा रहे थे तो चड्डी में से उनका लण्ड बाहर निकल आया ... ऐसे ऐसे झूल रहा था ... और हाय राम, जीजू ने मुझे लण्ड की तरफ़ देखते हुये पकड़ भी लिया था।"

"क्या बात है मेघा! तेरे दिन तो अब बदलने वाले हैं! फिर क्या हुआ?"

"वो... वो... बालकनी में तो उन्होंने मेरे हाथ से अपना लण्ड भिड़ा दिया..."

" हाय कैसा कैसा लग रहा था...?" खुशबू ने मेघा को धीरे से अपने गले लगा लिया। फिर एक चुम्बन उसके गालों पर ले लिया।

"मेघा, बस तू तो गई ... कल जब दीदी स्कूल चली जायेगी ना तो वो फिर से अपना लण्ड तेरे हाथ में दे देगा ... पर देख इस बार तू भागना नहीं ... पकड़ लेना, फिर सब भगवान भली ही करेंगे।"

"ओह, मेरी खुशबू ... सच में ... वो मुझे चोद देंगे...?"

खुशबू ने मेघा का इस बार होठों का चुम्बन ले लिया। मेघा ने भी प्रतिउत्तर में अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। दोनो बेसुध सी एक दूसरे को चूमती रही चूसती रही। खुशबू एक कदम आगे बढते हुये उसके छोटे छोटे स्तन सहलाने लगी।

"उफ़! यह क्या कर रही है खुशबू? बहुत गुदगुदी लग रही है!"

"बस तुझे ऐसा ही मजा आयेगा जब जीजू ये सब करेंगे। उन्हें मना नहीं कर देना, बस मजे लेना...!"

मेघा ने भी अब हिम्मत करते हुये खुशबू के स्तन भींच लिये। खुशबू के स्तन थोड़े भारी थे।"

"हाय रे मेघा! धीरे से ... ओह्ह ... कितना मजा आ रहा है।" खुशबू चहक उठी।

खुशबू ने अपने हाथ अब मेघा की पीठ से नीचे सरकाते हुये उसके सुडौल चूतड़ों पर रख दिए और हौले हौले उसे दबाने लगी। बीच बीच में उसकी अंगुलियाँ उसके चूतड़ों की दरार में अन्दर भी उतर जाती और उसके छेद को गुदगुदा देती।

"उह्ह्ह्ह ... ये सब मत कर, अजीब सा लगता है!"

"जब जीजू का लण्ड यहाँ घुसेगा ना ... तब क्या होगा री तेरा? बता ना ..."

"चल बेशरम, अच्छा बता तो और कहाँ-कहाँ लण्ड घुसेड़ेगा वो जीजू... अरी बता ना ... क्या सच में ऐसा जीजू ऐसा करेंगे?"

खुशबू ने जोश में आते हुये मेघा की चूत दबा दी, जो उसके तंग पजामे में गीली हो चुकी थी। मेघा चिहुंक उठी।

"उई मां! यह क्या करती है?"

"अरे पगली यही तो चुदती है, लण्ड इसे ही तो चोदता है ... चल यहाँ बिस्तर पर लेट जा... सब कुछ बताती हूँ, तब चुदने में भी मजा आयेगा।"

मेघा को भी मजा आने लगा था। उसने बस अब तक बातें ही की थी। उसकी आँखों में एक नशा सा उतर आया था। खुशबू की आँखें भी गुलाबी हो उठी। मेघा उसके बिस्तर पर लेट गई।

"अरे ये कपड़े तो उतार...!"

"चल हट ... ऐसे तो नंगी हो जाऊँगी!"

"तो फिर तेरे जीजू तुझे चोदेंगे कैसे? नंगी तो तुझे होना ही पड़ेगा। अन्दर यह जो चूत है ना, उसी में तो जीजू का लण्ड घुसेगा। अच्छा देख, पहले मैं कपड़े उतारती हूँ!"

खुशबू ने अपनी जीन्स उतार दी फिर चड्डी भी नीचे सरका दी। फिर टॉप ऊपर खींच कर उतार दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

"अरे, तू तो बड़ी बेशरम है रे...!"

"अब तू भी बेशरम हो जा। चल जल्दी कर ...!"

मेघा ने सकुचाते हुये अपने कपड़े भी उतार दिये। अब दोनो नंगी एक दूसरे को निहार रही थी।

"ऐसे मत देख ना खुशबू, मुझे शरम आ रही है!"

"अब अपने पांव चौड़े करके अपनी चूत खोल दे...!"

"क्या? पागल तो नहीं हो गई है रे तू ...?"

"तो फिर चुदेगी कैसे...? लण्ड कैसे घुसेगा तेरी चूत में...?"

"हाय राम! क्या ऐसे भी करना पड़ेगा...?"

उसने शरमाते हुये अपनी टांगें चौड़ा दी, उसकी लाल सुर्ख चूत की दरार खुल गई। खुशबू ने धीरे से झुक कर उसकी चूत की महक ली। फिर अपनी लपलपाती हुई जीभ से उसकी गीली चूत का सारा रस समेट लिया। मेघा के बदन में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। मेघा का चूत का दाना थोड़ा सा बड़ा था जिसे एक बार चाटने से मेघा अन्दर तक झनझना गई।

"खुशबू ... हाय रे ... क्या कर रही है? मैं मर जाऊंगी!"

फिर खुशबू ने उसकी चूत बहुत देर तक चाटी। मेघा मारे आनन्द के बेदम हो गई। बस तड़पती रह गई।

तब खुशबू ने अपनी टांगें चौड़ी की और मेघा की एक टांग के मध्य में अपनी एक टांग डाल दी, उसकी चूत से अपनी चूत टकरा दी और जोर से दबा कर रगड़ मार दी। दोनों ने जोर से सिसकी भरी। अब मेघा भी अपनी चूत को उसकी चूत से रगड़ रही थी। एक दूसरी की चूचियों को दबा दबा कर मसल रही थी। तभी खुशबू जो अधिक जोश में थी ... आह भरते हुये जोर जोर चोदने जैसे हिलने लगी फिर एकाएक वो झड़ने लगी। इसी दौरान मेघा ने भी अपनी चूत को जोर से खुशबू की चूत से दबाया और चीख सी उठी।

"हाय मर गई राम जी ... ओह्ह्ह ... खुशबू ... उफ़्फ़्फ़ ..."

मेघा ने पहली बार किसी के आगोश में सुखद झड़ने का अनुभव महसूस किया। दोनों अपनी उखड़ी सांसों को काबू में करने लगी, बेदम सी चित्त लेट गई। गहरी गहरी सांसों से अपने आप को संयत करने लगी।

"चल अब अपने कपड़े पहन ले ... कैसा लगा?"

"खुशबू, ऐसे पहले क्यों नहीं किया ... हाय राम, कितना मजा आता है।"

"मैं डरती थी कि कहीं तू बुरा ना मान जाये ... पर जब तूने अपने जीजू के बारे में बताया तो फिर मैं खुल गई।"

"क्या सच में जीजू मुझे नंगी करके चोदेंगे और लण्ड इधर ही घुसायेंगे?"

"देख और समझ ले, जीजू कहीं भी लण्ड डाले, चाहे तेरे मुँह मे, चाहे तेरी गाण्ड में, चाहे तो चूत में या फिर लण्ड से तेरे मम्मे रगड़े ... तू तो मस्ती लेते रहना ... देख शरमाना मत ... जिसने की शरम, उसके फ़ूटे करम ... समझ ले अच्छे से।"

"उफ़्फ़ खुशबू, मैं तो मर जाऊँगी...!"

मेघा घर चली आई। दिन के बारह बज रहे थे। जीजू तो दस बजे ही ऑफ़िस जा चुके थे। मेघा ने जल्दी से चपातियाँ बनाई और जाकर लेट गई। अदिति दो बजे घर आ गई थी। उसने मेघा को जगाया और फिर भोजन करने बैठ गई। अदिति तो स्नान आदि से निपट सो गई। मेघा भी लेटी सोच रही थी, बस उसकी आँखों में खुशबू के साथ चूत घिसाई के भी सपने थे। फिर उसकी विचारधारा पलट कर जीजू पर चली जाती थी। अदिति ने पाँच बजे चाय बनाई। यही समय प्रकाश के आने का था।

प्रकाश ने आते ही हाथ-मुँह धोए और चाय पीने बैठ गया। जैसे ही उसकी नजर मेघा पर पड़ी। मेघा शरमा गई। अदिति ने चुपके यह सब देख लिया था। प्रकाश बार बार मेघा को देख रहा था और अदिति दोनों का मजा ले रही थी और मन ही मन मुस्करा रही थी। वो प्रकाश के मन की बात समझ रही थी। मेघा की हरकतें भी वो भांप चुकी थी। जवानी सुलगने लगी थी ... बस शायद शोले भड़काने के लिये एकान्त चाहिये था। अदिति को महसूस हो रहा था कि कल उसके स्कूल जाने के बाद मेघा की चुदाई जरूर ही हो जायेगी। प्रकाश और मेघा, अदिति से अनजान, मन ही मन अपने लड्डू फ़ोड़ रहे थे।

प्रकाश का लण्ड मेघा के बारे में सोच सोच कर बहुत कड़क रहा था। सुबह उसने सफ़लतापूर्वक एक कोशिश कर भी ली थी। वो कम से कम एक बार अकेले में मेघा से मिल कर एक बार फिर से अपनी सफ़लता को परख लेना लेना चाहता था। मेघा शाम के लिये सब्जी और दाल बना चुकी थी, बस अदिति को शाम के लिये चपातियाँ ही सेंकनी थी। अदिति अपना स्कूल का काम निपटाने में लग गई थी।

मेघा बालकनी में खड़ी थी। इधर प्रकाश ने मौका देखा और पहुँच गया उसके पास!

मेघा ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से जीजू को देखा। प्रकाश की पैंट में उसके खड़े लण्ड का आभास हो रहा था जिसे देख कर मेघा शरमा गई। प्रकाश ने हिम्मत करके मेघा का हाथ पकड़ लिया। मेघा कांप सी गई। उसने मेघा का हाथ नीचे ले लिया और अपने कड़क लण्ड से सटा दिया। मेघा ने उसकी बात समझ ली थी। उसका मन भी जीजू का लण्ड पकड़ने को तड़प रहा था।

मेघा ने डरते डरते अपने हाथ से जीजू का लण्ड छू लिया। प्रकाश का लण्ड जैसे उछल पड़ा। मेघा ने फिर से अपने हाथ से जीजू के लण्ड पर दबाव डाला। ओह्ह ... कितना मांसल ... कितना कड़ा ... फिर मेघा से रहा नहीं गया। उसने हिम्मत करके धीरे से जीजू का लण्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ कर दबा दिया। प्रकाश की आनन्द से आँखें बन्द हो गई। एक सिसकी सी निकल गई उसके मुख से। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

"मेघा ... आह्ह ... मजा आ गया!"

मेघा की आँखें चमक उठी। उसने कठोरता से उसका लण्ड पकड़ कर दबा दिया। मेघा का मन चुदने को तड़प उठा। रह रह उसे खुशबू की बातें खूब याद आ रही थी। प्रकाश ने मेघा के वक्ष को छूकर सहला दिया। मेघा पिघल उठी। वो अनायास ही जीजू की बाहों में समा गई। जीजू के दोनों हाथ उसकी कमर पर कस गये। मेघा ने जीजू की चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया। टूटे कांच के पीछे से अदिति सब कुछ बड़े ही आराम से देख रही थी, दोनों की लिपटा लिपटी।

मेघा तो जैसे सारे बंधन जैसे तोड़ देना चाहती थी, वो अपनी चूत को बराबर जीजू के लण्ड पर घिसने की कोशिश कर रही थी। जीजू भी किसी कुत्ते की तरह से अपना लण्ड उसकी चूत पर मार रहा था। दोनों ने एक दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में खो गये। मेघा तो अपने जीजू के लण्ड को छोड़ना ही नहीं चाह रही थी।

तभी किसी खटके ने दोनों की तन्द्रा तोड़ दी, दोनों जल्दी से अलग हो गये। मेघा ने जीजू का लण्ड छोड़ दिया। अदिति शाम ढलने के बाद खिड़कियाँ बन्द कर रही थी। हर कमरे में रोशनी के लिये वो लाईट जला रही थी। मेघा और प्रकाश अलग हो कर प्यासी निगाहों से एक दूसरे को देख रहे थे। मेघा ने एक गहरी सांस ली और कमरे में आकर दीवान पर लेट गई। प्रकाश ना चाहते हुये भी कमरे से बाहर चला आया। वो नहीं चाहता था कि अदिति यह सब जान जाये। पर अदिति अपने पति के मन की इच्छा को जानना चाहती थी और उसे दुनिया की वो सब खुशी देना चाहती थी जिससे वो खुश रहे।

रात को अदिति ने मेघा की तरफ़ खुलने वाली खिड़की का परदा जानकर के नहीं लगाया था, बस एक तरफ़ रहने दिया था। उस खिड़की का टूटा हुआ कांच मेघा के लिये लाईव शो का काम करेगा। रात के भोजन इत्यादि से निपट कर सभी सोने की तैयारी करने लगे। मेघा ने अपने कमरे की बत्ती बन्द कर ली और लेटी हुई जीजू की हरकतों के बारे में सोचने लगी। जीजू का लण्ड का दबाव अपनी चूत पर वो बार बार महसूस कर रही थी। उसकी चूत गीली हो कर लण्ड को अपने में समा लेना चाहती थी। यह सब सोच सोच कर मेघा तड़प सी जाती। उसकी जवानी उससे सही ना जा रही थी। उसे किसी मर्द की जरूरत महसूस होने लगी थी।

तभी उसे दीदी के कमरे से सी सी की आवाज आई। वो चौकन्नी हो गई, बिस्तर से उठ बैठी। उसे दीदी के कमरे की खिड़की दिखाई दी। उसके कदम उस ओर बढ़ चले। फिर एकाएक वो ठिठक सी गई। वो तुरन्त अन्धेरे में हो गई। पर अदिति को बस एक झलक ही काफ़ी थी। उसे पता चल चुका था कि दर्शक पहुँच चुका है, पर उसे लाईव शो दिखाना अभी बाकी था। प्रकाश तो अभी बस अदिति के मम्मे ही दबा रहा था। कभी कभी वो उसके सुडौल चूतड़ भी दबा देता था।

"मेघा के बारे में तुम क्या कह रहे थे?"

"वो जवान हो चली है ... मस्त दिखती है।"

"क्यों, क्या इरादा है? ... पटाना है क्या?"

"अदिति, माल तो पटाखा है ... एक बार चोद लूँ तो जिन्दगी का मज़ा आ जाये!"

"बना रहे हो मुझे? शाम को तो उसके हाथों में अपना लौड़ा पकड़ाया हुआ था, वो भी खूब दबा दबा कर मसल रही थी!"

"अरे, तुम्हें कैसे मालूम...?"

अदिति ने प्यार से प्रकाश को चूमा और हंस पड़ी।

"उफ़्फ़ मेरी चूचियाँ तो दबाओ ... इस्स्स्स ... मौका मिले तो उसे चोद देना ... उह्ह्ह जरा धीरे मसलो ना!"

दोनों लिपट पड़े। अदिति ने अपना गाऊन उतार दिया और पीछे से वो प्रकाश की लुंगी खोल रही थी।

"क्या बात है ... लौड़ा नहीं चुसाओगे क्या...?"

अदिति नीचे बैठने लगी और उसकी लुंगी भी नीचे उतार कर एक तरफ़ डाल दी। प्रकाश का लम्बा सा लण्ड मस्ती से झूल गया। उसका पूरा खुला हुआ सुर्ख गुलाबी सुपाड़ा मेघा ने देखा तो उसके दिल से एक ठण्डी आह निकल पड़ी। अदिति ने उसका मोटा सा लण्ड इधर उधर हिलाया और फिर गप से अपने मुख में डाल लिया। चप-चप करके उसके लण्ड के चूसने की आवाज मेघा को साफ़ सुनाई दे रही थी। प्रकाश के कठोर चूतड़ आगे-पीछे हो कर उसे चूसने में सहायता कर रहे थे। प्रकाश के मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी।

"साली मेघा की चूत चोद डालूँ ... साली को चोद चोद कर ... आह्ह्ह मेरी रानी...!"

अदिति ने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से थाम कर दबा लिया और अपनी एक अंगुली भी प्रकाश की गाण्ड में घुसेड़ दी। तभी अदिति ने प्रकाश का लौड़ा अपने मुख से बाहर निकाल लिया। प्रकाश का लण्ड थूक से सना हुआ था। थूक की लार उस पर से टपक रही थी। अदिति उठ कर जल्दी से पलंग पर अपने हाथ टिका दिये और घोड़ी बन गई। प्रकाश ठीक उसके पीछे आ गया और अपने हाथों से उसकी गाण्ड को खोल दिया। गाण्ड का छेद चमक उठा वो लण्ड खाने को बेताब अन्दर बाहर सिकुड़ रहा था। प्रकाश ने अपना लौड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका दिया। उसका चमकदार सुपाड़ा जो थूक से सना हुआ था उसके छेद को दबाने लगा, फिर फ़क से उसका सुपाड़ा छेद में घुस गया।

दोनों के मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मेघा भी यह सब देख कर तड़प उठी। उसने धीरे से अपनी चूचियाँ दबा ली और सिसक पड़ी।

एक ही झटके में लण्ड गाण्ड के भीतर था, करीब आधा घुस चुका था। दूसरे ही शॉट में लण्ड जड़ तक बैठ गया था। मेघा सोच रही थी कि दीदी को गाण्ड मराने का शौक था तभी तो आराम से उसकी गाण्ड में लण्ड घुस गया था। फिर तो सटासट अदिति की गाण्ड चुदने लगी थी। मेघा का तन जैसे आग हो रहा था। उसे भी अब लण्ड की बेहद तलब हो रही थी। वो भी चुदना चाह रही थी।

काफ़ी देर तक प्रकाश अदिति की गाण्ड मारता रहा। दोनों मस्ती से मीठी मीठी हुंकारे भर रहे थे। तब प्रकाश ने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसकी गाण्ड पर उसे तीन चार बार ठपकाया ... फिर उसी अवस्था में नीचे से ही चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अदिति मस्ती से चीख उठी। मेघा ने अपनी चूत दबा ली और उसे मसलने लगी।

उसने अपनी दोनों टांगें और फ़ैला ली और प्रकाश को लण्ड घुसेड़ने में सहायता की।

आह्ह्... दीदी की चूत इतनी बड़ी और इतनी खुली हुई। उसे अदिति के भाग्य पर ईर्ष्या होने लगी। हरामजादी रोज रोज टांगें उठा कर चुदवाती जो होगी। जोरदार शॉट पर शॉट चल रहे थे। अदिति जोर जोर से सुख भरी आवाजें निकाल रही थी। प्रकाश भी अपने मुख से मेघा को चोदने की बात कर रहा था।

"साली मेघा की तो मैं चूत फ़ाड़ डालूंगा ... चोद चोद कर भोंसड़ा बना दूँगा।"

"ओह्ह अरे प्रकाश, चोद दे ... जोर से ठोक हरामी ... मेरा दम निकाल दे... उह्ह्ह्ह ... दे ... लण्ड दे ...!"

मेघा यह देख कर तड़प उठी थी, अपनी चूत को जोर जोर से मसल रही थी। तभी अदिति एक चीख के साथ झड़ने लगी। पर प्रकाश उसे कस कर चोदता रहा। अदिति ने अब उसका लण्ड चूत से निकाल लिया और सामने बैठ कर हाथों से जोर जोर से मुठ्ठ मारने लगी। तभी प्रकाश के लण्ड ने वीर्य की तेज धार छोड़ दी। अदिति ने अपना बड़ा सा मुख खोल दिया और धार उसके मुख में पिचकारियों के रूप में समाती चली गई।

अदिति ने बहुत ही स्वाद से उसके पूरे वीर्य को पी लिया। मेघा को यह अजीब जरूर लगा पर वो भी उस समय झड़ने में लगी थी। उन दोनों को देखते हुये मेघा का पानी कुछ अधिक ही निकल गया। मेघा पलट कर अपने दीवान पर चली गई।

अदिति अपनी सफ़ल हुई योजना से खुश थी। जो वो मेघा को दिखाना चाहती थी वो दिखा चुकी थी। बस अब मेघा की तड़प ही उसे प्रकाश से चुदवायेगी।

अदिति अपनी सफ़ल हुई योजना से खुश थी। जो वो मेघा को दिखाना चाहती थी वो दिखा चुकी थी। बस अब मेघा की तड़प ही उसे प्रकाश से चुदवायेगी।

सवेरे मेघा की नींद अदिति की आवाज से खुली- मेघा, मैं जा रही हूँ, प्रकाश को नाश्ता करवा देना। मुझे देर हो रही है।

तभी अदिति की स्कूल बस आ गई। वो रोज की तरह एक अध्यापक की बगल में बैठ बैठ गई। दूसरी अध्यापिकाओं ने अपनी रहस्यमयी मुस्कान बिखेर दी, अदिति अपनी आँखें तरेरती हुई सामने देखने लगी। उस अध्यापक ने भी अदिति की जांघ में हमेशा की तरह चुटकी भरी। अदिति के चेहरे पर भी मुस्कान फ़ैल गई।

मेघा को पता चल गया था कि अदिति बस में जा चुकी है। वो फिर से सुस्ता कर बिस्तर में अपनी आँखें बन्द करके लेट गई। तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। वो समझ गई कि जीजू होंगे, और अब अकेली पाकर उसे कुछ तो करेंगे ही। बस वो अपनी आँखें बन्द किये हुये कुछ गड़गड़ी होने का इन्तजार करने लगी।

तभी उसने महसूस किया कि जीजू उसके पास बिस्तर पर बैठ चुके हैं। मेघा ने अलसाये अन्दाज में अपनी आँखें खोली और एक सेक्सी अंगड़ाई लेते हुये बोली- जीजू ... ओह ... गुड मॉर्निंग...

पर जीजू ने उत्तर में उसकी दोनों बाहें दबा ली और उस पर झुक पड़े- बहुत सेक्सी लग रही हो!

"ओह्हो... क्या कर रहे जीजू ... छोड़ो ना...!"

उन्होंने उसकी बाहें छोड़ दी और छोटे छोटे मम्मों पर हाथ रख दिये- कितने मस्त कबूतर हैं।

और हौले हौले से सहलाने लगे।

मेघा के शरीर में बिजलियाँ सी तड़कने लगी। मेघा मन ही ही खुश हो गई ... तो जीजू का कार्यक्रम शुरू हो ही गया।

"अरे, क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा ना!"

"अदिति तो स्कूल गई, कोई नहीं है..."

"हाय ... शरम तो आती है ना ...?"

और मेघा पलट गई। जीजू उसके पीछे लेट गये। अब जीजू कमर में हाथ लपेट कर अपने से कस कर सटा लिया। मेघा का तन तरावट से भर गया। प्रकाश का मस्त लण्ड सख्त होकर उसकी गाण्ड की दरार में ऐसे चुभ रहा था, मानो घुस ही जायेगा। वो शरम से दोहरी हो गई। उसने अपनी टांगें और ऊपर समेट ली। प्रकाश ने मौका देखा और चूतड़ को चौड़ा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ दिया।

"हाय राम ... इनका लण्ड तो पायजामे के ऊपर से ही मानो छेद में घुस जायेगा!" मेघा मन ही मन सोचने लगी।

प्रकाश अपने लण्ड को मेघा की गाण्ड के छेद के ऊपर आगे पीछे रगड़ने लगे। मेघा तो मारे गुदगुदाहट के मस्ती में झूम उठी।

"मेघा, कैसा लग रहा है ...? कुछ मस्ती चढ़ी या नहीँ?"

"हाय... मैं मर जाऊँगी ... जीजू अब छोड़ो ना..."

"बस थोड़ा सा और लण्ड का रगड़ा मार लू ... अच्छा, अब सीधी हो जा ... तेरी चूत को रगड़ देता हूँ।"

"क्या कह रहे हो जीजू ... ऐसे तो ... हाय मम्मी ... मुझे बहुत शरम आ रही है!"

मेघा सीधी हो गई। जीजू लपक कर उसके ऊपर चढ़ गये। अपने लण्ड को लुंगी में से निकाल कर पायजामे के ऊपर से ही लण्ड को मेरी चूत पर दबा दिया। मेघा को चूत पर मीठी सी चुभन हुई। फिर जीजू उस पर लेट गये और अपने लण्ड को उसकी चूत पर हौले हौले रगड़ने लगे। मेघा के मन में जैसे वासना का मीठा मीठा दर्द होने लगा। चूत मीठी सी कसक से फ़ूलने लगी। चूत का द्वार खुलने लगा था। वो हौले हौले मस्ताने अन्दाज से चोदने की स्टाईल में लण्ड घिस रहे थे। मेघा को लग रहा था कि उसे जीजू जोर से चोद डाले। अचानक जीजू की रफ़्तार तेज होने लगी। मेघा भी अपनी चूत जीजू के लण्ड पर दबा कर जल्दी जल्दी रगड़ने लगी। तभी उसे तेज मस्ती सी आई और वो झड़ने लगी। इसी तेजी के आलम में जीजू ने अपना लण्ड ऊपर उठाया और हाथ से दबा दबा कर अपना वीर्य मेघा पर उछल दिया। वीर्य मेघा के कपड़ों पर और उसके चेहरे पर आ गिरा। मेघा पिचकारियों के रूप में उसके लण्ड को झड़ते हुये देख रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

odinchacha
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