मेघा की तड़प

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेघा ने जल्दी से बिस्तर छोड़ा और नीचे आ गई, दौड़ कर वो बाथरूम में घुस गई। उसने इधर उधर देखा फिर जीभ से अपने चेहरे पर लगे वीर्य को चाट लिया। काफ़ी सारा वीर्य था। अपनी अंगुली की सहायता से वो इधर उधर से सारा वीर्य लेकर उसे चाटने लगी। फिर सर झटक कर बड़बड़ाई- कोई खास नहीं है ... हुंह।

मेघा ने अपने कपड़े उतार कर वॉशिंग मशीन में डाल दिये और साफ़ सुथरी हो कर तौलिया लपेट कर बाहर आ गई। बाहर जीजू खड़े हुये थे वैसे ही नंग धड़ंग ... लौड़ा नीचे झूलता हुआ।

जीजू मस्कराये और अपने हाथ से लण्ड का आकार बना चूत में घुसेड़ने का इशारा करने लगे। मेघा बहुत ही शरमा गई।

"मैं नाश्ता लगाती हूँ, जल्दी आ जाईये जीजू।"

प्रकाश स्नान करके, नाश्ते की मेज़ पर बस यूँ ही लुंगी में बैठ गये। मेघा भी तो मात्र तौलिया में लिपटी हुई नाश्ता कर रही थी। उसे तो बस लग रहा था कि जीजू अब बस उसे चोद ही डाले। मन ही मन वो चुदने के लिये एकदम तैयार थी। प्रकाश बार बार अपने लण्ड को मसल रहा था, उसे लुंगी में से निकाल कर बाहर कर दिया था। मेघा अपनी शरमाती तिरछी नजरों से बार बार जीजू के मसलते हुये लण्ड को निहार रही थी। जीजू का मुस्टण्डा तना हुआ लण्ड उसे बहुत भा रहा था। मेघा ने कभी चुदाया नहीं था सो वो बस इतनी ही कल्पना कर पा रही थी कि लण्ड उसकी चूत में समा गया है, पर उसे वो चुदने वाली उत्तेजना नहीं महसूस हो पा रही थी।

दोनों ने जैसे तैसे नाश्ता किया और बर्तन एक तरफ़ सिंक में रख दिये।

जीजू ने तो वहीं रसोई में ही खड़े खड़े अपनी लुंगी उतार दी और मुस्करा कर मेघा को देखा। मेघा ने जी भर कर जीजू के कठोर सलोने लण्ड को निहारा।

"कैसा है मेघा रानी?"

"दिल को मसल कर दिया है तुम्हारे सलोने लण्ड ने!"

"खाओगी तो मस्त हो जाओगी...!"

प्रकाश मेघा की तरफ़ बढा। मेघा से रहा नहीं गया, वो जीजू की बाहों में झूलने को तड़प उठी। उसका तौलिया नीचे फ़र्श पर खुल कर गिर पड़ा। दुबली पतली सांवली सी मेघा और उसका जवानी से लदा बदन दमक उठा। उसके शरीर की लुनाई जीजू को मदहोश कर रही थी। मेघा जीजू की बाहों में समा गई। चुम्मा चाटी का दौर आरम्भ हो गया। जीजू का लण्ड साली की चूत से टकरा कर दस्तक देने लगा था। दोनों ही सरकते हुये दीदी के कमरे में बिस्तर के निकट आ गये और बिस्तर से टकरा कर जीजू सीधे बिस्तर पर गिर पड़े।

मेघा बिस्तर के पास खड़ी होकर उसके बलिष्ठ शरीर को निहारती रही। उसका तना हुआ सीधा खड़ा हुआ लण्ड मेघा में मन में सांप की तरह लोट लगा रहा था।

मेघा धीरे से झुकी और जीजू के लण्ड को थाम लिया। ओह्ह्ह ... इतना मांसल, मुलायम और कठोर, उसने लण्ड का अधखुला सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच कर उसे पूरा खोल दिया। गुलाबी सुर्ख सुपाड़ा, एक छोटी सी दरार, जिसमे से बूंद बूंद करके रिसता हुआ उसका वीर्य! उसका मन डोल उठा।

"जीजू ... मन करता है लण्ड को कच कच करके खा जाऊँ।"

"सच? जानू ... तो जल्दी से खा जाओ!"

मेघा ने अपना बड़ा सा मुख खोला और सुपाड़े को किसी कुल्फ़ी की तरह से चूस लिया। फिर लण्ड का डण्डा थाम कर पुच पुच करके उसे जोर से चूसने लगी। उसे अजीब सा अहसास हो रहा था। चूत की खुजली बढ़ने लगी थी। पहली बार मेघा ने किसी का लण्ड चूसा था। इसके पहले उसने दीदी को ऐसा करते देखा था। उसने लण्ड के नीचे झूलती हुई गोलियाँ देखी तो उसने उसे भी अपने मुख में लेकर चूसने लगी।

"अरे इसे धीरे चूसना, जोर मत लगाना ... आण्ड दुखने लगेंगे!"

पर मेघा ने उसके लण्ड को जोर जोर मुठ्ठ मारना और आण्ड पीना जारी रखा। मेघा फिर बिस्तर पर उसके समीप ही लेट गई। प्रकाश ने उसे अपनी बाहों में समेटते हुये अपने शरीर को उसके ऊपर चढ़ा लिया। मेघा नीचे दब गई थी। वासना के नशे में प्रकाश के शरीर का बोझ उसे फ़ूलों जैसा हल्का लग रहा था। दोनों के लब से लब मिल गये। चूत पर लण्ड का दबाव बढ़ने लगा। मेघा ने अपनी टांगें चौड़ी करके फ़ैला दी। प्रकाश ने मेघा की कड़क चूचियों को जोर से मसल दिया। मेघा के सीने में जोर की चुभन हुई। वो चीख सी पड़ी, पर तभी प्रकाश के लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में अन्दर सरक गया।

"जीजू, यह मोटा सा क्या घुस गया है?"

"यही तो तुम्हारे जीजू का लण्ड है! कैसा लगा?"

"बहुत मोटा है ... देखो धीरे से करना!"

कुछ और जोर लगाने से मेघा कराह सी उठी। जीजू समझ गया कि नया नया माल है। एक चौथाई घुसे हुये लण्ड को ही उसने धीरे धीरे अन्दर-बाहर करना आरम्भ कर दिया। मेघा आनन्द से निहाल हो उठी। पर जीजू धीरे धीरे जोर लगा कर लण्ड भीतर घुसेड़ता भी चला गया। जिसे मेघा ने मस्ती में जरा भी महसूस नहीं किया। बस उसे तो लग़ रहा था कि लण्ड पूरा ही घुसेड़ दे। प्रकाश मेघा को जरा जरा सा लण्ड घुसाते हुये चोदता रहा।

उसकी कमर तो बस उछल उछल कर लण्ड लेती रही।

"जीजू, प्लीज, जरा एक बार जोर से चोद दो!"

"देखो फिर चिल्लाना नहीं ... झिल्ली टूट जायेगी।"

"टूटने दो ना, सुना है मीठा मीठा दर्द होता है, मारो ना, प्लीज बस एक बार!"

जीजू ने अपना लण्ड आधा बाहर निकाला और कस कर शॉट मारा।

"जीजू और जोर से, ऐसे नहीं ... दर्द तो हुआ ही नहीं, अरे मारो ना जोर से!"

जीजू ने अब अपने शॉट को तेज कर दिया। वो जम कर चोदने लगा। मेघा खुशी के मारे हाय हाय करती रही और मेघा को पता ही ना चला कि कब उसका पूरा लण्ड जड़ तक बैठ गया है, वो चिल्ला चिल्ला कर बोलती रही- और जोर से जीजू ... चोद डालो ना ... झिल्ली फ़ाड़ दो ना!

तभी मेघा झड़ने लगी, जीजू भी शॉट मार मार कर थक गया था। वो भी कुछ देर में झड़ गया। सारा वीर्य चूत में ही निकाल दिया था उसने।

मेघा हांफ़ते हुये बोली- यार मेरी झिल्ली तो फ़टी ही नहीं?

"पहले ही आप चुदी हुई हो मेघा जी।"

"सच में नहीं, यह तो पहली बार ही चुदाई हुई है।"

प्रकाश पास में पड़ा एक कपड़े से अपने लण्ड को साफ़ करने लगा।

"अरे यह क्या, मेरा लण्ड तो खून से भरा हुआ है!"

मेघा भी उछल कर बैठ गई। बैठते ही उसकी चूत से वीर्य मिश्रित रक्त बाहर निकलने लगा।

"हाय राम, यह झिल्ली कब फ़ट गई ... मस्ती में पता ही नहीं चला।"

खून निकलने के बाद मेघा को अब दर्द महसूस होने लगा। पर वो तो अच्छी तरह से चुद चुकी थी। जीजू तो अभी भी तरावट में थे। नई नई जो मिली थी चोदने के लिये। उसका लण्ड तो फिर से चोदने के लिये तैयार था।

"जीजू अब बस, अब नहीं, अब कल चोदना।"

"अरे क्या बात कर रही हो, नई नई चूत तो पेल दी, अब गाण्ड का भी तो बाजा बजाने दो।"

मेघा नहीं नहीं करती रही, पर प्रकाश ने उसे दबा लिया। मेघा की गाण्ड कभी चुदी नहीं थी इसलिये प्रकाश ने तेल का सहारा लिया। मेघा को उल्टी लेटा कर उसकी गाण्ड में तेल भर दिया और अपना लण्ड जोर से घुसेड़ दिया। मेघा चीख उठी।

"जीजू, बहुत लग रही है, देखो फ़ट जायेगी!"

"बस चुपचाप पड़ी रहो, गाण्ड फ़ाड़ी नहीं तो फिर क्या मारी?"

"अरे नहीं ... मां ... दीदी ... अरे कोई तो बचाओ!"

फिर मेघा रो पड़ी- जीजू, बस करो ना, बहुत दुख रहा है ... देखो मेरी गाण्ड फ़ट गई है

"ऊहुं, नहीं फ़टी है, सलामत है, बस चुप हो जाओ। कुछ देर में सब कुछ ठीक हो जायेगा।"

और सच में थोड़ी देर बाद गाण्ड मराते मराते उसका दर्द कम होने लगा। अब मेघा शान्ति से गाण्ड चुदवा रही थी, उसके पास कोई चारा भी तो नहीं था। जब मेघा की गाण्ड चुद चुकी तो प्रकाश के लण्ड में भी दर्द होने लगा। कसी गाण्ड मारने की उसे भी तो सजा मिलनी ही थी। मेघा को पस्त हुई अपनी टांगें चौड़ी करके लेटी रही।

प्लीज मेघा, मुझे माफ़ कर दो, बस मन तड़प गया था तुम्हारी सी प्यारी सी गाण्ड देख कर।

"हाय राम, मेरी हालत तो देखो, अब घर का काम कौन करेगा, दीदी तो दो बजे आ जायेंगी।"

पर कुछ ही देर बाद दीदी का फ़ोन आ गया। उसे किसी सहेली की जन्म दिन की पार्टी में डिनर के लिये जाना था। उसने बताया कि रात को दस बजे उसे सहेली के घर लेने आ जाना। वो स्कूल से सीधे ही सहेली के यहाँ जा रही है।

मेघा ने जीजू को ये बता दिया। पर साथ में डर भी गई कि कहीं जीजू फिर से चोदने ना लगे। पर ऐसा नहीं हुआ, जीजू के लण्ड में दर्द था सो वो भी शान्त ही रहे।

रात को दस बजे प्रकाश अदिति को लेकर घर आ गये थे। अदिति बहुत थकी हुई सी थी। आते ही वो पहले तो बैठक में बैठ गई और फिर मेघा के साथ ही दीवान पर आकर लेट गई।

"मेघा वो वॉशिंग मशीन में पानी भर कर पावडर मिला देना, कपड़े बहुत सारे हैं।"

"अरे दीदी, अभी भिगा देती हूँ, वो भूल गई थी।"

"ऐसे कपड़े तुरन्त धो दिया कर, वर्ना दाग रह जाते हैं।"

"जी, कैसे दाग...?"

"अब बन मत, ये कपड़े दिन भर की कहानी कह कह रहे हैं, मजा आया ना?"

"मेघा यह सुन कर घबरा सी गई, फिर अपने आप को संयम में रख कर बोली- दीदी, मैंने और जीजू ने तो कुछ भी नहीं किया।

कह कर झेंप सी गई।

अदिति मेघा के उत्तर पर हंस पड़ी, उसे चिकोटी काटते हुये बोली- मुझे पता है, कपड़े देख जरा, उस पर कुछ करने से जो निकलता है ना, वो लगा है, खून भी है।

अब मेघा को काटो तो खून नहीं...

"दीदी, प्लीज नाराज नहीं होना, जीजू ने शरारत की थी तो मैं क्या करती?"

"ओये होये, मेरी मेघा तो बड़ी जलेबी सी सीधी है, इधर आ, मैं कुछ बताऊँ!"

"दीदी, प्लीज, सॉरी। मुझे डांटना मत, जीजू को भी कुछ मत कहना।"

"अरे छोड़ ना, आज पता है ... मेरे साथी टीचर, विशाल ने मुझे आज खूब चोदा ... मेरी गाण्ड भी खूब बजाई।"

"क्या दीदी... आप भी...? दीदी मजा आया?" उसने हैरानी से कहा।

"अरे खूब मजा आया ...रविवार को हमारे तीन फ़ीमेल टीचर और तीन मेल टीचर और हमारे प्रिसिंपल शाम को एक पार्टी दे रहे है। तू भी चलना, मजा आयेगा।"

"तो क्या दीदी, वहाँ पर वो भी सब होगा?"

"वो क्या चुदाई वगैरह ... इसीलिये तो कह रही हूँ। हमारे एक टीचर के पास पार्टनर नहीं है, तो तू बन जाना उसकी पार्टनर।"

मेघा के मन में गुदगुदी सी उठने लगी, वो शरमा गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

"और देख अपने जीजू को मत बताना ... ये जो पति होते हैं ना, वो चाहे किसी को भी चोद दें पर उसकी बीवी को किसी से भी चुदते नहीं देख सकते हैं। तू भी इसे ध्यान में रखना..."

मेघा ने भोलेपन से अपना सर हिला कर हामी भर दी।

प्रकाश को रविवार को दिल्ली जाना था। दो दिन का टूर था। अदिति ने इसको देखते हुये ही रविवार का दिन चुना था।

मेघा और अदिति पांच बजे प्रकाश को रेलवे स्टेशन छोड़ आये थे और अब वो टूसीटर ले कर विशाल के घर पहुँच गये। विशाल का फ़्लैट चौथी टॉप मंजिल पर था। उसके सामने वाला फ़्लैट खाली था। विशाल मेघा को देख कर संशय में पड़ गया कि अदिति मेघा को साथ क्यों ले आई है।

जब विशाल ने अदिति से पूछा तो अदिति ने विशाल को आँख मारते हुये कहा- मेरी छोटी बहन है, मैंने इसे बताया है कि आज तुम भी हमारी पार्टी एन्जॉय करना!

विशाल खुश हो गया वरना उसे किसी एक टीचर को किसी के साथ शेयर करना पड़ता। छः बजे तक सभी लोग आ गये थे। सभी का परिचय करवाया गया।

विशाल ने बताया- यह दीपक है, यह राहुल है और ये हमारे प्रिन्सीपल शेखर साहब। ये हमारे लिये नई है मेघा, अदिति मेम की बहन है। और मेघा, यह निशा जी हैं और यह कविता जी।

सभी ने मेघा से हाथ मिलाया, पर शेखर ने उसका हाथ एक विशेष अन्दाज से दबाया। मेघा ने शरमा कर उनका स्वागत किया। व्हिस्की की बोतल बाहर निकल आई। सोडा भी खुल गया। आठ पैग बनाये गये। धीरे धीरे माहौल बनता गया। मेघा ने जानकर शराब बहुत कम पी। वो अधिकतर अपनी शराब पास में पड़े गमले में उड़ेलती रही। दो तीन पैग के बाद धीरे जोड़े बनने लगे। अदिति के पास विशाल आ कर बैठ गया। दीपक निशा के पास चला आया। कविता राहुल से चिपक गई। मेघा के हिस्से में शेखर प्रिन्सीपल आये। मेघा ने सभी को देखा फिर अदिति को देखा। अदिति ने उसे शेखर के पास जाने का इशारा किया। मेघा शरमाती हुई धीरे से एक अदा के साथ उठी और शेखर से सट कर बैठ गई।

"ये शेखर साहब के लिये मेघा फ़्रेशर हैं ... हिप हिप हुर्रे ..."

शेखर ने मेघा को देखा और सभी के सामने उसकी छाती को सहला दिया। मेघा ने अपने दोनों हाथों से अपना मुख शरमा कर छुपा लिया।

"अभी शादी नहीं हुई है ना, इसलिये शर्माती है।" निशा में फ़िकरा कसा। फिर निशा ने बेशर्मी के साथ दीपक का लण्ड दबा दिया।

शेखर ने अपनी राय दी- मेघा इस महफ़िल के लिये नई नई है, इसे पहले पुरानी बनाओ।

"क्या मतलब...?" सभी ने एक ही साथ पूछा।

सभी मर्द एक साथ पहले मेघा को चोदेंगे, आप सब क्या कहते हैं?"

"कहना क्या है, ताजा माल किसे पसन्द नहीं।" सभी ने इस बात का स्वागत किया।

"मेघा जी, चिन्ता मत करो, कोई जबरदस्ती नहीं है, चाहे एक से चुदाओ, चाहे दो से, तीन से या चारों से... यह आप पर छोड़ते हैं।"

"जी तीन जने बहुत रहेंगे।" मेघा ने कहा फिर जोर से शरमा गई।

शेखर मेघा व अदिति को लेकर अन्दर के कमरे में चले गये, जहां नीचे मोटे मोटे गद्दे लगे थे। कविता और निशा भी शेखर के साथ चली आई। मेघा को सभी ने नंगी करके बेड रूम के बिस्तर पर लेटा दिया। सभी मर्द नंगे हो गये थे।

सबसे पहले दीपक ने अपना लण्ड मेघा के मुख में प्रवेश करा दिया। राहुल का लण्ड मेघा ने अपने हाथ से पकड़ लिया और विशाल झुक कर मेघा की सफ़ाचट चूत चाटने लगा।

"मेघा जी, जरा भी तकलीफ़ हो तो प्लीज कह देना ... हम लोग जानवर नहीं है, बस थोड़ा सा आनन्द पाने के लिये ये खेल खेल रहे हैं। हम आपको भी आनन्द देना चाहते हैं।"

यह सुन कर मेघा का डर जाता रहा और उसे आनन्द आने लगा। अभी तक तो उसे लग रहा था कि यह सब करना ही पड़ेगा चाहे जबरदस्ती ही क्यों ना करना पड़े। वो बेफ़िक्री से अपनी आँखें मदहोशी में बन्द करके मजे लेने लगी।

तभी विशाल ने चूत चाटना बन्द करके उसे बैठा दिया।

"मेघा मेरे ऊपर आ कर मुझे चोदो आराम से! ठीक है ना?"

मेघा ने विशाल को नीचे लेटा लिया और उसके ऊपर चढ़ गई। विशाल ने अपना लण्ड धीरे उसकी चूत पर रख दिया।

"यह मोटा बहुत है, जरा धीरे घुसाना।"

"अरे राहुल का लण्ड तो देखो, मेरे से भी मोटा है, फिर उसका क्या करोगी...?"

"धत्त, ऐसे मत कहो विशाल..!"

विशाल का लण्ड उसकी चूत में धीरे से चला गया। जब आधा लण्ड घुस गया तो विशाल ने मेघा को खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया। तभी राहुल पीछे से मेघा के ऊपर आ गया। उसने मेघा की गाण्ड को चीरा और कोमल गाण्ड के फ़ूल पर अपना सुपाड़ा रख दिया।

"उफ़्फ़, क्या कर रहे हो राहुल?"

"दोनों तरफ़ से नहीं चुदवाओगी क्या...?"

मेघा का मन खिल उठा। जाने कब से वो सोच रही थी कि दो दो लण्ड चुदेगी, एक चूत में और एक गाण्ड में खाने से कितना मजा आयेगा। अचानक ही वो समय आ गया। उसने खुशी से कहा- राहुल, प्लीज घुसा दो, दो दो लण्ड, उफ़्फ़ कितना मजा आयेगा, चोद दो रे चोद दो।

राहुल का लण्ड वास्तव में बहुत ही मोटा था। उसने जब लण्ड गाण्ड में घुसेड़ा तो वो कराह उठी।

"लगी तो नहीं मेघा जी?"

"उफ़्फ़, ओह्... अरे नहीं मजा आ रहा है ... मार दो गाण्ड!"

दोनों तरफ़ से लण्ड अन्दर प्रवेश करने लगे। सामने से दीपक का लण्ड उसके मुख के आगे लहरा रहा था। दीपक बार बार मुठ्ठ मार कर उसके मुख पर मार रहा था। अब मेघा ने अपना मुख खोला और और दीपक का लण्ड मुख में ले लिया। मेघा के दोनों उरोज राहुल के कब्जे में थे। ऐसी चुदाई से मेघा बहुत ही खिल उठी थी। उसकी चूत और गाण्ड धीरे धीरे धक्कों से चुद रही थी। दो डण्डे अन्दर बाहर होते हुये उसे स्पष्ट महसूस हो रहे थे। दोनों लण्ड ही मोटे मोटे और लम्बे थे।

यकायक विशाल और राहुल दोनों ही जोश में भरने लगे और चोदने की स्पीड बढ़ गई।

"आह्ह... मर गई मां ... दीदी ... आह्ह ... चोद दिया मुझे तो...। उफ़्फ़्फ़ जरा मस्ती से ... जोर से राम रे ...!"

दोनों ही तेज रफ़्तार से चोदने लगे, उन्हें मस्ती चढ़ गई थी। शॉट पर शॉट मेघा को स्वर्ग में सैर करा रहे थे। तभी राहुल का वीर्य जोर से छूट गया। गाण्ड कसी जो थी... दीपक लपक कर राहुल के स्थान पर आ गया। राहुल के वीर्य से चिकनी गाण्ड में दीपक को लण्ड घुसाने में कोई परेशानी नहीं हुई। सट से भीतर समाता चला गया। मेघा मस्ती से चीख उठी।

तभी विशाल भी झड़ने को होने लगा। दीपक भी पूरे जोश में लण्ड चलाने लगा। तभी विशाल ने अपना वीर्य उसकी चूत में ही उगल दिया। मेघा तड़प उठी वो भी झड़ने को थी। तभी दीपक ने भी अपना वीर्य त्याग दिया।

तभी मेघा चीख उठी... अरे कोई चोदो रे मुझे ... जोर से चोदो ना सभी झड़ गये क्या ...?

तभी शेखर की आवाज आई ... मेघा जी, मैं अभी बाकी हूँ ...!

शेखर ने मेघा को अपनी बाहों में दबाया और कहा- मेघा जी, लो मैं आ गया, आपका शेखर!

तभी मेघा चीख उठी, उसे लगा कि उसकी चूत फ़ट जायेगी, उफ़्फ़ इतना मोटा लण्ड... यह लण्ड है या लोहे का डण्डा...? अरे दीदी, कोई रोको तो ... बस करो मैं मर जाऊँगी!

"अरे मेरी बहन, लौड़ा इसे कहते हैं, खा के तो देख...!"

उसकी चूत में जैसे जलता हुआ अंगारा सा घुस पड़ा।

"बहुत टाईट है साली चूत तो...!"

"बस ... बस ... अब नहीं..."

तभी दूसरा शॉट लगा। उसकी आँखें जैसे बाहर को निकल आई। फिर शॉट पर शॉट ... मेघा में अब चुदते चुदते सहने की शक्ति आ गई थी। वो अब आनन्द में खोने लगी थी। उसकी कसी चूत शेखर को मार ही गई। उसने एक हुंकार सी भरी और अपना लण्ड मेघा की चूत में जोर से दबा दिया और लिपट कर अपना वीर्य छोड़ने लगा। तभी मेघा ने भी सिहर कर एक चीख मारी और झड़ने लगी। शेखर झड़ कर सुस्त हो गये थे। मेघा भी इतने लण्ड खाकर लस्त सी पड़ गई थी। वो शेखर को अपना शुक्रिया कह रही थी।

"शेखर साहब, आपने तो मजा दे दिया, क्या लण्ड है, शुक्रिया।"

"मेघा जी, मुझे भी आप जैसी आज तक नहीं मिली ... आप तो मेरे लायक हैं।"

सभी फिर से अपने अपने पार्टनर को चोदने में लगे थे। सभी मगन थे। रात के बारह बज रहे थे। सभी डिनर के लिये जमा हो गये थे।

डिनर आदि से निपट कर शेखर साहब ने घोषणा की- जुलाई माह से मेघा जी मेरे स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ आप सभी के साथ टीचर का काम करेंगी। आशा है मेघा जी मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करेंगी।

अदिति ने सुना तो वो खुशी से उछल पड़ी। उसने मेघा को गले से लगा लिया। मेघा ने बड़े ही प्रफ़ुल्लित मन से शेखर साहब को शुक्रिया कहा और घुटनों के बल बैठ कर शेखर साहब का लण्ड बार बार चूस कर उनका आभार व्यक्त किया।

सभी ने तालियाँ बजा कर मेघा को बधाई दी। मेघा को पता था यहाँ तो लण्डों की कोई कमी नहीं है ... बस मजा ही मजा है। प्रकाश के आने तक अदिति और मेघा ने उन लण्डों से खूब चुदाई का आनन्द लिया।

अगले सत्र जुलाई से अब मेघा कॉलेज में दाखिला ले चुकी थी और स्कूल में टीचर बन गई थी। अदिति को मेघा से काफ़ी मदद थी। वो साथ साथ आती जाती थी। जीजू को शक होने पर मेघा उससे चुदा लेती थी और उसे मना लेती थी। अदिति और मेघा अब घर में जीजू से चुदती और बाहर तो फिर कहने क्या ... लण्डों की बहार थी।

12
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
Share this Story

Similar Stories

देवर भाभी देवर भाभी की चुदाईin Anal
मुझे दीदी ना कहो मुझे दीदी ना कहोin Erotic Couplings
जवान पड़ोसन जवान पड़ोसनin Erotic Couplings
Mummy aur Abdul Uncle ka Pyar Mummy ne 48 ki umar me paraye mard ko dil diya.in Mature
Mummy Aur Mere Teacher ममी ने मेरे ट्यूशन टीचर को पटायाin Mature
More Stories