पहाड़ पर अनजान लड़की से मुलाकात

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अब की बार मैंने माधुरी को पीठ की तरफ से अपने से चिपका लिया उस के सीधे पांव को उठा कर अपने सीधे पांव रख कर के लिंग को उसकी योनि में डाल दिया। योनि पानी से भरी हुई थी। फच फच की आवाज फिर से आने लगी। अब मेरे अन्दर के ज्वालामुखी का लावा फटने को था। मैं किसी भी समय डिस्चार्ज हो सकता था। लिंग के सिरे पर सनसनी हुई और मेरा ज्वालामुखी फट गया। उसी समय माधुरी ने भी अपना पानी छोड़ दिया। योनि के अन्दर आग सी गई। आग को बुझाने के लिऐ पानी भी आ गया।

हम दोनों निढाल हो कर एक दुसरें की बगल में पड़ गये। मैंने उसे चुम लिया। दोनों गहरी गहरी सांसें ले रहे थे।

रजाई के अन्दर का तुफान शान्त पड़ गया। हम दोनों एक दुसरे को बाहों में ले कर कब गहरी नींद में सो गये, पता ही नहीं चला।

सुबह जब नींद खुली तो पांच बज रहे थे। दोनों बिल्कुन नंगे एक दुसरे के आगोश में पडे़ थे। माधुरी भी कसमसा कर उठ गयी। अपनी हालत देख कर दोनों ही शमिन्दा से थे। मैं माधुरी से बोला की कल तो तुम ने मेरी जान बचा ली, नहीं तो कुछ भी हो सकता था। मुझे लगा की हाईपोथर्मिया होने वाला था। माधुरी बोली जान तो बचानी थी नही तो मेरी मोच कौन सही करेगा और मुझें चुम लिया।

मैंने कहा मैडम कपड़ें पहन लेते है। दोनों ने उठ कर कपड़ें पहन लिए। बारिश अभी भी हो रही थी।

माधुरी बोली तुम तो छुप्पे रूस्तम हो। एक दिन पहले तो साथ में रुक कर राजी नही थे और कल मेरी सारी हड़ियां हिला दी है। आज तो चलना भी मुश्किल होगा। मैंने कहा कि परसो मेरा फैसला था, कल तुम्हारा फैसला था। दोनों के फैसले सही थे। कल तुम्हें कैसे याद आया कि ऐसे गरमी आ जाऐगी? माधुरी बोली दिमाग ने तो काम करना बन्द किया था। लेकिन तभी एक जापानी फिल्म याद आ गई उस में ऐसी ही स्थिती में हीरों हीरोईन के साथ संभोग करता है तथा अपनी, अपनी बेटी और हीरोईन की जान बचाता है। और कुछ सोच ही नही पाई। तुम्हें दांत कटकटाते देख कर मैं बहुत डर गई थी।

मैंने कहा कि जीवन में पहली बार मैं भी ठंड से डर गया था। काफी बार मैं पानी में भी भीगा हूँ और पहाड़ों में ट्रेकिग में रात को खुले में भी सोया हूं। लेकिन कल जैसी हालात नही हुई थी।

कल जो मैंने हॉ के बारे में पुछा था उस का मतलब शराब से था, पुछने में डर तो लगा था लेकिन और कोई चारा नही था। मेरे पास भी रहती थी लेकिन इस समय नही थी। तुम्हारे साथ होने के कारण कल खरीद नही पाया। वह बोली की आज एक साथ मिल का पीयेगे। मेरे पास भी क्वाटर पड़ा होता है। लेकिन इस बार खत्म होने के बाद खरीद नही पायी।

हम दोनों जोर से हँसे।

जिस चीज की जब जरुरत होती है वह तभी नही होती है।

दिन निकल रहा था। हाथ मुँह धो कर तैयार हो गये। आज का पहला काम था माधुरी के लिए गरम कपड़ें खरीदना और रात की पार्टी के लिए शराब की बोतल खरीदना। इस काम के लिए पास के कस्बे तक जाना पड़ेगा।

हम जब शहर जाने के लिए निकले लगे तो माधुरी ने पुछा कि शहर कैसे जाएगे कोई गाड़ी मगवाँ ले।

मैंने कहा नहीं अपनी गाड़ी से चलते हैं। उस ने आश्चर्य प्रकट किया, मैं उसे नीचे पार्किग लेकर गया। वहाँ मेरी एसयुवी खड़ी थी मैंने उस का दरवाजा माधुरी के लिए खोला तो वो उस में बैठ गई। रास्ते में उस ने पुछा कि अगर तुम्हारी गाड़ी खड़ी थी तो तुम कल पहाड़ी पर पैदल क्यों गये थे। मैंने उससे कहा कि मैं पहाड़ों पर छुट्टी मनाने आया हूँ प्रदुषण फैलाने नही। इसी लिए मैं पहाड़ो में जब तक जरुरत ना हो तब तक गाड़ी नहीं चलाता। उस ने सहमति में सर हिलाया।

शहर में पहुच कर हमनें गरम कपड़ों की दुकान पता कि और वहाँ जाकर माधुरी के लिए गरम कपड़ें देखने लगे। माधुरी को दो तीन स्वेटर पसंद आए, उस ने उन को खरीद लिया। अब हम शराब की दुकान पर गये। वहाँ जा कर एक व्हिसकी की बोतल और दो बोतल बीयर खरीद ली। शराब की दुकान के पास ही मेडिसन की दुकान थी। माधुरी वहाँ कुछ लेने चले गई। कुछ देर बाद वह लौट आई।

वहां से निकल कर हमने होटल में खाना खाया और शाम की पार्टी के लिए नमकीन वगैरहा खरीद कर वापस अपने कांटेज लौट आए। इस दौरान दिन छिप गया था। शाम की चाय पर हम गप्प मारते रहें।

इस के बाद हमने तय किया कि रात का खाना खाने की जगह नही है तो फोन कर के रात के खाने के लिए मना कर दिया।

मैंने ड्रिक बनाने से पहले माधुरी से कहा कि पहले बीयर पी लेते है। उस ने भी हां कहा। हम दोनों बीयर की बोतल खोल कर बैठ गए और वेफर के साथ बीयर पीने लगे। इसी दौरान बाहर बारिश शुरु हो गई। माधुरी ने कहा कि अब बिजली भी चली जायेगी। मैंने कहा कि मैंने इस का इन्तजाम भी कर लिया है। शहर से मैंने आज एक इमर्जेन्सी लाईट ले ली थी। अब यह काम आयेगी।

थोड़ी देर के बाद माधुरी की बात सही निकली। बिजली चली गई। मैंने लाईट को आन कर दिया। कमरे में रोशनी हो गई। हम दोनों ने धीरे-धीरे दोनों बीयर की बोतलें खाली कर दी। मौसम की ठन्डक और शराब के नशे ने हम पर असर करना शुरु कर दिया। माधुरी सामने से उठ कर मेरे से सट कर बैठ गई। मैं उस की खुशबु और उस के शरीर की गर्मी महसुस कर रहा था। मैंने माधुरी का चेहरा अपने दोनों हाथों में ले कर उस के होंठों पर अपने जलते हुए हुए होंठ रख दिए। माधुरी तो शायद इसी का इन्तजार कर रही थी उस ने भी अपने दोनों हाथ मेरे गले में डाल दिए। हम दोनों चुम्बन में रत हो गए। मैंने अपनी जीभ माधुरी के मुँह में सरका दी। उस ने मेरी जीभ को चुसना शुरु कर दिया। मेरे सारे शरीर में करंट सा दौड़ गया। इस के बाद उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने भी उसे चुसना शुरु कर दिया। इस के बाद मैंने अपने होंठों से उस के कानों की नोक को चुसना शुरु किया। माधुरी का शरीर इस से झनझना गया। मेरे होंठ अब उसकी गरदन पर चुम्बन लेने लगा। उस को होंठ भी मेरी गरदन पर घुमने लगे। हम दोनों की गरमी इस से बढ़ गई थी।

मैंने अपने को रोक कर माधुरी से पुछा कि व्हिसकी पीनी है। उस ने कहाँ कि बारिश होने के बाद तो उस की बहुत जरुरत है।

हम दोनों अलग हो गये और मैं व्हिस्की की बोतल खोलने लगा। दो गिलासों में मैंने पैग बनाए। एक को माधुरी को दिया और दुसरे को मैंने ले लिया।

नमकीन का पैकिट खोल कर मैंने माधुरी को दे दिया। हम दोनों नमकीन के साथ व्हिसकी की चुस्कियाँ लेने लगे। व्हिसकी तो धीरे-धीरे असर करती है। वह अपना काम कर रही थी। बाहर जोर-जोर से बिजली कड़क रही थी। तभी बहुत जोर से बिजली कड़की तो माधुरी डर कर मुझ से चिपक गई।

मैंने भी माधुरी को आलिगंन में ले लिया। हम दोनों एक दुसरे से कस कर लिपट गये। मेरी छाती में माधुरी की नुकीली छातियाँ चुभ रही थी। मैंने हाथ बढा कर एक को सहलाना शुरु कर दिया। माधुरी के मुँह से सिसकियां निकलने लगी। मेरे होंठ उस की गरदन से नीचे उतर आए। मेरे होंठों ने उरोजों के मध्य चुम्बन लेने शुरु कर दिए। मैंने उस का स्वेटर उतार दिया। इसके बाद उस के कुर्ते को भी सर के ऊपर से ले जा कर उतार दिया। अब मेरे सामने वह ब्रा में खड़ी थी, लाल रंग की लेस वाली ब्रा में बहुत दिलकश लग रही थी। ब्रा में उस के उरोज और बड़े और उत्तेजक लग रहे थे। गोरे रंग पर लाल रंग दमक रहा था। माधुरी के शरीर को मैं रोशनी में पहली बार देख रहा था। पहले तो अधेरा था और मेरी अपनी हालात बहुत पतली थी। भरे हुए उरोज अपने आप को मसले जाने के लिए ललचा रहे थे।

मैंने हाथ माधुरी की पीठ पर ले जा कर ब्रा के हुक खोल कर उरोजों को ब्रा से मुक्त कर दिया, दोनों उरोज सीधे तने खड़े थे। निप्पल पुरे तरह से तने थे। मैंने आगे बढ़ कर एक निप्पल को अपने हो़ठों के बीच ले लिया और उसे चुसना शुरु कर दिया। मेरा दुसरा हाथ दुसरे उरोज को सहला कर हल्के से मसल रहा था। उस के मुँख से आह उहहहह उई हहहहहह निकल रहा था। इस से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई। मैंने अपने होंठों को चौड़ा कर के पुरे उरोज को मुँह में लेकर उसे चुसना शुरु कर इस से माधुरी सिसकियां लेने लगी। पहले को छोड़ कर अब मैंने दुसरे के साथ भी यही किया। माधुरी से अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। उसने अपना सारा बौझ मेरे पर ही डाल दिया।

मैंने उसे गोद में उठा कर बेड़ पर लिटा दिया। मैंने भी अपने ऊपर के कपड़े उतार दिए। मैं भी माधुरी की बगल में लेट गया। और उस को अपने से लिपटा लिया। माधुरी ने अब मेरे निप्पलों को चुमना शुरु कर दिया इस से मेरे शरीर में करंट की लहरे उठ रही थी। मुँह से आह निकलने लगी।

मेरे हाथ उस की पतली कमर से नीचे उस की सलवार तक पहुंच गए।

मैंने सलवार का नाड़ा खोल कर अपना हाथ नीचे ले गया। सलवार को नीचे कर उतार दिया। लाल रंग की पेंटी पहनी थी। मैंने उसे भी नीचे कर के उतार दिया। नीचे बालों का कोई अवरोध नही था। चिकना, सपाट मैदान था। मेरे होंठों ने योनि को ढुढ़ लिया। नीचे नमी का अहसास हो रहा था। मैंने अपने होंठों से उसकी नाभी को चुमा और नीचे जा कर बुर के फुले हुए हिस्से को होंठों में ले कर चुम लिया। जीभ के नुकीले हिस्से से योनि के होंठों के बीच में योनि के अन्दर का आनंद लेना शुरु कर दिया। माधुरी के मुँह से उहहहहहहहहहहहहहह आहहहहहहहहहहहहहह निकलने लगा। उस ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी जाँघों के बीच धकेला। मेरी जीभ ने योनि का स्वाद लेना शुरु कर दिया। नमकीन स्वाद आने लगा। योनि के दोनों होंठों को खोल कर जीभ से चाटना शुरु किया। माधुरी ने मेरे पायजामे को खिसका कर कुल्हों से निकाल कर मेरे पैरों से नीचे कर दिया। उस ने मेरी ब्रीफ को भी उतार दिया। अब उस के हाथ मेरे लिंग पर पहुँच गये। उस को पकड़ कर सहलाना शुरु किया।

लिंग को हल्के से मसल भी रही थी। मेरे मुँह से भी आह ऊररररररर हहहहहहहहह निकलने लगी। हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गए। माधुरी ने मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया। लिंग के सुपारे को चुसना शुरु किया। मेरे सारे शरीर में सनसनी दौड़ गई। उसने धीरे-धीरे पुरे लिंग को अपने मुँह में निगल लिया। लिंग में तनाव पुरे उभार पर था। माधुरी मेरे अंड़कोषों को हाथ से मसल रही थी। लिंग को मुँह में ले कर होंठों से निचोड़ रही थी। मुझें थोड़ी देर में लगा कि मैं उस के मुह में ही झड़ गया। उस ने लिंग को मुँह से निकाल लिया और होंठों से सारे वीर्य को चाट लिया। लिंग का तनाव थोड़ा कम हो गया था।

मेरा ध्यान तो योनि पर था मैंने अब अपनी जीभ की जगह ऊंगली को उस के अन्दर बाहर करना शुरु किया। मुझें उस के जी-स्पाट की तलाश थी। वह मुझें मिल गया। मैंने उसे सहलाना और मसलना शुरु किया। माधुरी के होंठों से अजीब सी आवाजें निकलने लगी। उस के पांव मेरी गरदन पर कस गए। उत्तेजना के कारण वह अपनी गरदन को इधर उधर झटक रही थी। हम काफी देर तक फोरप्ले करते रहें। बाहर बारिश जोर से हो रही थी। अन्दर भी तुफान चल रहा था।

मैंने अब माधुरी को ऊपर आ कर उसके पैरों के मध्य बैठ गया। गर्मी अब बर्दास्त से बाहर हो रही थी। उस की टांगों को हाथों से दूर कर के अपने लिंग को उस की योनि के मुँह पर रख कर धक्का देना शुरु ही करने वाला था कि माधुरी बोली की तुम पहले कंडोम पहन लो मैंने ला के रखा है। उसने तकिए के नीचे से कंडोम निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया। बोली डोटेड है मजा आएगा। मैंने रुक कर कंडोम को निकाल कर लिंग पर चढ़ा लिया। इस पर डॉट बने हुए थे। मैंने लिंग को योनि में डाला, माधुरी के मुँह से सिसकी निकली।

मैंने पुछा कंडोम का आइडिया कब आया। वो बोली कि मुझें लग रहा था कि मुझें डिस्चार्ज ना हो जाए इस लिए में पैड खरीदने गई थी। वहां पर मैंने पैड के साथ ही कंडोम भी खरीद लिया। इस से मजा अधिक आएगा। मैंने फिर से धक्का लगाना शुरु किया। हर धक्के के साथ ही माधुरी के मुँह से कराह निकलने लगी। डॉटेड होने की वजह से उस को बहुत मजा आ रहा था। कमरे में आह उहहहहहह हहहहहहहहह उहहहहहहह की आवाजें भर गयी।

माधुरी ने भी अपने नितम्ब ऊछाल कर मेरा साथ देना शुरु कर दिया। कमरे में वासना का उफान अपने जोर पर आ गया। थोड़ी देर बाद मैं उठ कर बैठ गया, मैंने माधुरी को उठा कर अपने से चिपका लिया। उस के पांव मेरी कमर से लिपट गए। मैंने भी अपने पांव मोड़ कर पालथी लगा ली। माधुरी मेरे पाँव के ऊपर बैठी हुई थी। इस कारण से मेरा लिंग माधुरी की चूत में गहरे तक चला गया।

माधुरी बोली की तुम्हारा लिंग तो मेरी बच्चेदानी तक पहुँच रहा है। मैंने अपने हाथों से उसके चुतड़ों को उपर नीचे करने लगा। माधुरी उत्तेजना से कांप रही थी। मैंने उस के उरोजों को चुमना शुरु कर दिया। वह मेरे मुँह के सामने ही थे। नीचे से और ऊपर से दोनों ओर से मजा आ रहा था। फिर मैंने उस के होंठों का चुम्बन लेना शुरु कर दिया। माधुरी भी अपने कुल्हों को हिलाने लगी। वासना का तुफान पुरे उफान पर था। दोनों के बदन पसीने से नहा गए।

इस के बाद मैंने माधुरी को उतार कर मैं नीचे पीठ के बल लेट गया। माधुरी अब मेरे ऊपर आ गई। अब वह मुख्य भुमिका में थी। उस ने अपने कुल्हों को उछालना शुरु कर दिया। उस की योनि लिंग को अन्दर से मरोड़ रही थी। उस के कुल्हों ने मेरे लिंग के साथ मटकना शुरु कर दिया। मेरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। मैंने अपने हाथों से उसके उरोजों को मसल डाला। फिर एक के निप्पल के दांतों से काट डाला। माधुरी के मुँह से चीख निकल गई। वह बोली इतनी जोर से मत काटों कुछ तो रहम करो?

मैंने सारी कहा और दुसरें को अपने होठों के बीच में ले लिया। 15 मिनट हो गये थे लेकिन कोई भी हारने को तैयार नही था। मैंने माधुरी को कमर से पकड़ा और उतार कर बगल में लिटा दिया। फिर उसे पेट के बल लिटा कर उस के नितम्बों को ऊपर उठा कर दोनों पाँवों को खोल दिया। इन के बीच में बैठ कर उस की योनि के होंठो को अलग कर के लिंग को अन्दर धकेल दिया। ऐसे करने से लिंग जी-स्पाट को रगड़ता है, औरत को बहुत मजा आता है। माधुरी को भी बहुत मजा आ रहा था। मेरे लिंग को भी कंड़ोम पहने होने की वजह से कम घर्षण लग रहा था। लेकिन कंड़ोम की वजह से अधिक घर्षण हो रहा था। एक बार फिर माधुरी पीठ के बल थी और मैं उस के ऊपर था। धड़ा-धड़ धक्कें लगा रहा था। तनाव अपने पुरे जोर पर था और कभी भी फट सकता था तभी मेरे लिंग पर गरमागरम बौछार होने लगी। माधुरी डिस्चार्ज हो गयी, उस के पांव मेरी कमर पर कस गये। अब मेरे ज्वालामुखी की बारी थी वो भी फट गया मेरी आँखो के सामने तारें नाचनें लगें। चेतना खोने सी लगी। थोड़ी देर बाद दोनों के होश सही हुए। मैं उस की बगल में लेट गया। वो बोली की ऐसा लगा कि पुरी दुनिया घुम गई है।

कितना समय हो गया।

मैंने घड़ी देखी तो आधे घन्टे से ज्यादा हो गया था।

साढ़ें दस

इतना दम कहां से आता है?

बीयर और व्हिसकी का असर है। शायद इसी वजह से डिले हुआ है। कंडोम पर भी डिले के लिए मेडीसन लगी हुई है।

मजा आया या नही?

मजा, सारे शरीर के कलपुर्जे हिल गये है।

तुम्हारी हालत तो सही होगी?

क्यों क्या मैंने मेहनत कम की है?

दोनों शरीर थके है।

लगता नही था कि इतना मजा आएगा।

पार्टी तो जोरदार होनी चाहिए थी। और वह जोरदार थी।

ज्यादा ही जोरदार थी। मुझें लगा कि तुम ने वियाग्रा तो नही खा ली।

अभी तो मैं जवान हूँ और अगर ऐसा कुछ करता तो तुम से राय लेकर ही करता। संभोग दो लोगों के बीच होता है।

सच्चा प्यार हो तो किसी नकली चीज की आवश्यकता नही पड़ती।

मेरा लिंग और माधुरी की योनि द्रव से भरी हुई थी और वह बाहर आ रहा था। मैंने उठ कर पहले टिशु पेपर से माधुरी की योनि साफ की इस के बाद अपने लिंग को भी साफ करा वो भी वीर्य और योनि द्रव से सना हुआ था।

काफी देर तक हम दोनों निढाल हो कर पड़े रहे। फिर थोड़ी देर बाद उठ कर बैठ गये। मैंने कहा बची हुई व्हिस्की पीनी है।

माधुरी बोली तुम्हारा क्या विचार है। अभी तो रात शुरु हुई है।

भुख लग रही है, कुछ खाने को पड़ा है?

काफी कुछ पड़ा है।

मैंने दो पैग बनाए और हम दोनों आज के बारे में बातें करने लगे। मैंने कहा कि मैंने सोचा था कि मौका मिलेगा तो वियाग्रा खरीद लुगाँ। एक बार लगा था कि अगर कम टिका तो तुम क्या सोचोगी?

यार मजा आना चाहिऐ कम और ज्यादा का तो ध्यान ही नही रहता, तुम क्या कहते हो

मैं भी यही सोचता हूँ।

मैं तो जैल भी लायी थी, लगा कि उस की जरुरत पड़ेगी

पड़ सकती थी, अगर कुछ और करने की कोशिश करते

अब कर के देखते है

अभी दम है

नही

तो उसे अभी छोड़ देते है।

ज्यादा हो जाएगा, कल और काम नही कर पायेगे।

हां बात तो सही कह रहे हो,

तुम्हे तो बड़ा मजा आया थी कंडोम से

हां सेन्सेशन बढ़ गया था

मेरा सेन्सेशन कम हो गया था, शायद डिले के लिए कंडोम भी एक कारण था

कोई भी कारण हो अपना तो मजा बढ़ गया।

इस से पहले मैंने ऑरगाज्म का मजा नही लिया था या फिल नही किया था आज तो तीन बार ऐसा हुआ।

अच्छा मुझें तो एक बार ही महसुस हुआ।

दो बार तो संभोग से पहले ही हो गया था। एक फोरप्ले में और एक शराब पीते समय मैंने व्हिसकी पहली बार पी है। बीयर तो कई बार पी है

लाल रंग अच्छा लगता है तुम पर

तुम्हें कब पता चला

थोड़ी देर पहले ही

काला भी अच्छा लगता है।

बातों के दौरान हमने काफी नमकीन खा लिया था पेट भर जाने के बाद नींद आने लगी। माधुरी बोली मैं अपने कमरे पर नही जा रही। तुम्हारें साथ ही सोऊँगी। मैंने कहा बढि़या है

मैं रात को तुम्हें परेशान करुगाँ।

वो जोर से हँसी बोली दम होगा तो करोगे। शर्त लगाती हूँ अभी थोड़ी देर में सो जाओगे।

मैंने बहस नही की। वो सही बोल रही थी। मेरा पोर-पोर दर्द कर रहा था। एक ओर दौर लगाने का सवाल नही था। शराब का नशा भी शरीर को निढ़ाल कर रहा था

हम दोनों एक दुसरे की बगल में सो गये। ना जाने कब नींद आ गई।

सुबह उठने पर मेरे तो जोड़-जोड़ में दर्द हो रहा था। हैगओवर था सो अलग। खैर गरम-गरम पानी से नहाने से बदन में जान आ गई। तगड़ा नाश्ता करने का मन कर रहा था। माधुरी भी थोड़ी देर में आ गई। उस के साथ रेस्टोरेंट में जा कर जम कर नाश्ता किया। इसके बाद मैंने अपनी गाड़ी निकाली और हम दोनों एक पहाड़ी गांव के लिए चल पड़े। एक घन्टे के सफर के बाद उस गांव तक पहुँचे। गांव पहुँच कर मन प्रसन्न हो गया। पहाड़ी नदी पास से बह रही थी। मौसम साफ होने के कारण बर्फ से ढंके पहाड़ पृष्टभूमि में स्पष्ट दिख पड़ रहे थे। गाड़ी नदी के किनारे खड़ी कर के हम दोनों आसपास घुमने लगे। नदी की कल-कल की आवाज कानों को मधुर लग रही थी।

मैं भुदृश्यों की फोटो खीचने लगा। माधुरी नदी में पैर लटका कर बैठी हुई थी। समय कैसे बीत गया पता नहीं चला। दोपहर का खाना हम अपने साथ पैक करा कर साथ लाए थे। वही नदी के किनारे बैठ कर हमने खाना खाया। खाना खाने के बाद मौसम खराब होने लगा। पहाड़ो पर मौसम कब धोखा दे देगा कहा नही जा सकता। हम दोनों ने जल्दी से सामान गाड़ी में रखा और वहां से निकल पड़े। रास्ते में बारिश जोर से होने लगी। कांटेज तक आते तक बारिश पुरे शबाब पर थी। शाम होने को थी। हम दोनों कमरे में बैठे बाते कर रहे थे।

आज माधुरी के कमरे में सोने का कार्यक्रम बना। हम दोनों ने उस के कमरे में बैठ कर चाय पी और रात के खाने का आर्डर कर दिया। व्हिस्की की बोतल अभी काफी भरी हुई थी। रात का पुरा इन्तजाम था। खाने के बाद जोरदार तुफान आ गया। बत्ती भी चली गई। रोशनी का इन्तजाम तो था ही पैग बना कर पीना शुरु कर दिया। आज तो माधुरी की मर्जी होनी थी। दो पैग पीने के बाद वासना का तुफान अपने पुरे जोर पर आ गया। मैंने माधुरी को कस के पकड़ लिया और उसे किस करना शुरु कर दिया, माधुरी भी जबाव देने लगी। धीरे धीरे हमारे कपड़ें उतरतें गए। एक-दुसरे को चुमने चाटने का दौर जोरों पर था।

मैंने अपना हाथ माधुरी की टांगों के बीच ले जा कर सहलाना शुरु कर दिया। फिर ऊंगली अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी शुरु कर दी। माधुरी को खड़े रहने में परेशानी होने लगी। मैंने उसे उठा कर बैड पर लिटा दिया और उस के टागों के बीच बैठ कर उसकी योनि को अपने होठों से चाटने लगा। माधुरी ने मुझें अपने ऊपर गिरा लिया और उस के हाथ मेरे लिंग के चारों ओर कस गये। उसे मसलने के बाद उस ने उसे मुँह में ले लिया और चुसना आरम्भ किया। मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। 69 का ये दौर काफी देर तक चला, दोनों डिस्चार्ज हो गये।

अब पीछे की बारी थी। मैंने जैल ले कर माधुरी की गुदा पर लगा दिया और अपनी ऊंगली धीरे से उस में घुसेडनी शुरु की। पहले तो माधुरी को दर्द हु्आ फिर उसे मजा आने लगा। मैंने ऊंगली निकाल कर अगुंठा ठुसेड़ दिया। मैं चाहता था कि लिंग डालने से पहले उस की गुदा का द्वार लुज हो जाए। मैंने भी पहले किसी का गांड नही मारी थी। थोड़ा डर लग रहा था। फोरप्ले तो हो ही चुका था। उत्तेजना तो चरम पर थी ही। मैंने लिंग के सुपाडे पर जैल लगा कर माधुरी को पेट के बल लिटा कर उसके नितम्बों को उपर कर लिया था। फुले हुए नितम्ब बुला रहे थे।

मैंने लिंग को गुदा के छेद पर लगा कर उसे अन्दर डालने के लिए जोर लगाया। थोड़ा जोर लगाना पड़ा तब जा कर सुपाड़ा गुदा में घुस गया। माधुरी के मुँह से चीख निकल गई। मैंने अपने को धक्का लगाने से रोक लिया। हाथ ले जा कर उसके उरोजों को मसलने लगा। इस से उसे कुछ आराम मिला। फिर हाथ नीचे ले जाकर योनि को सहलाने लगा। लिंग गुदा से बाहर निकल गया था। मैंने फिर से उसे गुदा में डालना शुरु किया। माधुरी बोली कि अब बीच में रुकना नहीं। पुरा डाल दो। मैंने पुरा का पुरा लिंग धीरे-धीरे से गुदा में डाल दिया। अब में रुक गया।

माधुरी ने नीचे से अपने कुल्हों को उछालना शुरु कर दिया। लिंग गुदा में बड़ा टाईट जा रहा था। कुल्हों के बीच में लिंग पुरा गुदा में घुस गया। मैंने उसे ऊपर नीचे करना शुरु किया। नया अनुभव था। मैंने माधुरी से पुछा कि अभी और करना है या निकाल लूँ। उस का भी अनुभव भी शायद मेरे जैसा था उस ने कहा निकाल लो। मैंने लिंग निकाल लिया और माधुरी को पीठ के बल लिटा दिया। उसके पेरों के बीच बैठ कर लिंग को योनि में धुसेड़ दिया, अन्दर पानी भरा हुआ था।

फच फचचचचचच फच की आवाज आने लगी। माधुरी आह उई हहहहहहहहहहहह आहहहहहहहहहह करने लगी। वासना को जोर पुरे उफान पर आ गया। अब मैं नीचे था और माधुरी मेरे ऊपर। वो अपने कुल्हों को हिला हिला कर योनि को मेरे लिंग के चारों ओर घुमा रही थी। मैं भी उस के उरोजों को हाथों से मसल रहा था।

माधुरी ने मुझें पकड़ कर उठा कर अपने से चिपका लिया। और अपने पांव मेरे कमर के पीछे कर लिए। इस आसन में लिंग योनि में गहराई तक चला गया था। शायद उस की बच्चेदानी के मुँह तक टक्कर मार रहा था। वह उहहहह कर रही थी। मैं भी उसके निप्पलों को होठों से चुस रहा था। हम दोनों चरम पर पहुचने वाले थे दोनों ने एक दुसरें को कस लिया। फिर ज्वालामुखी फट गया। फर फर कर के पानी बाहर को निकलने की कोशिश करने लगा। लिंग की उत्तेजना कम होने के बाद वह योनि से निकल गया। पानी और वीर्य से दोनों के पावों के बीच का हिस्सा भीग गया। दोनों निढाल हो कर एक दुसरें की बगल में लेट गये।

थोड़ी देर बाद मैंने पुछा कि पीछे से कैसा लगा?

वो बोली कि सुना था कि इस में मजा आता है सो करने का मन था। लेकिन ज्यादा नही कर सकते। आगे से ही बेहतर है।

तुम्हे कैसा लगा?

मुझें तो मजा नही आया मेरा तो पहली बार था, नेचर ने जो बनाया है वही बेहतर है। दुबारा करने का मन नही है।

हां।

विदेशी फिल्मों की नकल का कोई फायदा नही है।

हम तो कामसुत्र के देश के है हमे इस की जरुरत नही है

हां

और कुछ तो नही है तुम्हारी विश लिस्ट में

वो हँसी

नहीं

नहीं, है तो बताओ?

और तो कुछ नही है बस इसी के बारे में बहुत कुछ सुना था। खोदा पहाड़ निकला चुहा

प्राकृतिक तरीका ही सही है इसे तो गेय के लिए छोड़ देते है।

अपने को तो उसी में मजा आता है वही कस-बल निकाल देता है। इस की क्या जरुरत है।

कल का क्या प्रोग्राम है

कल आराम करते है।

कहो तो एक और दौर हो जाए

सो जाओ

सुबह देखगे कि खड़ा होता है या नही अभी तो थका हुआ है

ये पिक्चरों में चार चार बार कैसे दिखाते है

फिल्म तो एक बार में शुट नही होती है, दवाई भी खाते है।

फिल्म को असल नही समझना चाहिए। रियल लाईफ में ये सब मुश्किल है, तुम तो वियाग्रा की बात कर रही थी। उस की अभी जरुरत नहीं है। तुम बताओ कुछ कमी रही है

नही तो पहले दिन तो लगा था कि दम ही निकल जाएगा। तुम डिस्चार्ज नही हो रहे थे, मैं तो कई बार हो चुकी थी। इसी लिए मुझें लगा कि कुछ खाया है