महारानी देवरानी 067

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बलदेव बना रसिया
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Part 67 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 67

बलदेव बना रसिया

देवरानी बलदेव से जो परदे के पीछे खड़ा था उससे इशारे में बात कर रही थी और बलदेव देवरानी से सोने के लिए चलने की जिद कर रहा था। वही पर बैठी हुरिया उसे देख कर पूछ लेती है क्या हुआ तो देवरानी कहती है।

देवरानी: दीदी वह सोने के लिए कह रहा है।

हुरिया: उसको इतनी भी क्या जल्दीबाज़ी है।

देवरानी: दीदी! वह आज सफर किया है इसलिए थक गया होगा। देखिये ना दीदी वह खड़ा हे। मैं जाऊँ! अब तो बहुत देख ली कव्वाली। आपसे इसकी कहानी मैं बाद में भी सुन सकती हूँ।

हुरिया: वह देखो तुम्हारा बलदेव तुम्हारे चक्कर में परदे से झनक रहा है उसे मना करो! यहाँ बैठी औरते बुरा मान सकती है और तक गया है यो उसे बोलो कमरे में जा कर सो जाए. अगर सोना नहीं है तो यही रहो। वहा जा कर फनकारो का हुनर कैसे देखोगी।

देवरानी बलदेव को परदे में खड़ा देख अपने आसन से उठ कर उसके पास जा कर कहती है।

"बलदेव ये क्या है? बेटा यहाँ मर्दो को झाकना मना है।"

"माँ तुम आओ मैं जा रहा हूँ।"

और गुस्से से वहाँ से चला जाता है।

देवरानी मुड़ कर हुरिया के पास आ कर बोलती है।

"दीदी वह नाराज हो गया है। मुझे सोने जाना होगा।"

हुरिया: ठीक है, जाओ!

हूरिया (मन में: ये तो ऐसी करती है जैसे बलदेव इसका शौहर हो। उस दिन भी उसको अपने पूरे दूध दिखा रही थी।)

देवरानी जल्दीबाज़ी में महफ़िल में अपना घूँघट नीचे रखती है और दबे पाव तेजी से सबकी नज़र से बचती हुई अपने कक्ष में जाने लगती है।

बलदेव महल के अंदर खिसियाना-सा जा रहा था।

देवरानी: बलदेव!

बलदेव रुक जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है।

"अब क्यों आई हो माँ? जाओ अपनी दीदी के पास जा कर महफ़िल में बैठो।"

"आज तुम, गुस्सा क्यू हो रहे हो?"

देवरानी बलदेव के पास आती है और उसकी नाक में दुर्गंध आती है।

"बलदेव ये कैसी दुर्गंध है, क्या तुमने पी रखी है?"

देवरानी गुस्से से लाल हो जाती है।

बलदेव सोच में पड़ जाता है कि वह अब क्या बोले?

(मन में: इससे पहले देवरानी और भड़के मुझे कुछ करना होगा।)

देवरानी: तुम्हें मेरी पवाह जरा भी नहीं है। मैंने तुम्हें मना किया था ना की तुम पीयोगे नहीं फिर क्यों पि?

ये कह कर देवरानी थोड़ा उदास हो जाती है।

बलदेव बात को संभालते हुए कहता है।

"मेरी पत्नी, मेरी जान आज शमशेरा के कहने पर बस दो घुट पी ली है। जो मेरी गलती है। मुझे मुआफ कर दो मेरी माँ! आज के बाद नहीं पीऊंगा।"

बलदेव अपने दोनों हाथो से कान पकड़ लेता है और माफ़ी मांगता है।

देवरानी दौड़ कर बलदेव के गले लग जाती है।

"मेरे राजा मैं नहीं चाहती, तुम्हारा स्वस्थ ख़राब हो।"

बलदेव देवरानी को ज़ोर से पकड़ लेता है।

इधर हुरिया कुछ सोच कर महल आने लगती है और महल में घुस कर जैसे ही वह अपने कक्ष की ओर देखती है तो पाति है बलदेव और देवरानी एक दूसरे से गले लग रहे थे।

हुरिया: (मन में-इन माँ बेटे में कितना प्यार है। इनसे कहती हूँ तुम दोनों सोने से पहले खाना तो खा लो।)

हुरिया अपने मन की बात पूछती उससे पहले उसने जो देखा उससे वह हैरान रह जाती है।

देवरानी: छोडो ना, अन्दर तो चलो!

बलदेव देवरानी को कस लेता है और अपना हाथ उसकी गांड पर ले जा के जोर से मसल देता है।

बलदेव: सब बाहर है माँ!

हुरिया देवरानी के पीछे खड़ी देवरानी की गांड पर बलदेव के हाथ को देवरानी की गांड को मसलते हुए साफ-साफ देख लेती है और फिर हुरिया अपनी आंखे बंद कर लेती है।

हुरिया (मन में-खुदा मुझे ये गुनाह क्यू दिखा रहा है मुझे मुआफ़ कर दे। ऐसा कैसा हो सकता है एक माँ के साथ उसका बेटा ऐसा कैसे कर सकता है। मेरे नज़रो को धोखा हुआ है।)

तभी हुरिया अपनी आंखें खोलती है और देखती है-बलदेव अब अपनी माँ को गोद में उठाये और उसे किसी बच्चे की तरह, कक्ष में ले जाने लगता है। कक्ष में ले जा कर अपने पैर से दरवाजे पर एक लात मारता है और दरवाजा बंद कर देता है।

हुरिया अपने आखो में आसू के लिए वही पर बैठ जाती है।

"खुदा इस गुनाह का अजब इस घर पर आने मत देना। ये दोनों हमारे मेहमान ना होते तो मैंइन्हे अभी धक्के मार के भगा देती।"

हुरिया अपने दुपट्टे से अपना आसू पूंछती है और अपने कक्ष में जा कर लेट कर सोचने लगती है।

"क्या शैतान ज़माना आ गया है लोग मजे के लिए किस हद तक जा सकते हैं।"

इधर बलदेव अपनी माँ को गोद में उठाये दरवाजे की कुंडी लगा कर देवरानी को पलंग की ओर ले जाता है।

देवरानी: बलदेव तुम नशे में हो इतना ज़ोर से क्यू दरवाजा बंद किया?

बलदेव: मुझे नशे में नहीं हुआ, मुझे तेरा नशा है देवरानी।

देवरानी: तुम्हारी आखे लाल है और जबान भी लड़खड़ा रही है।

बलदेव: चुप करो देवरानी! आज मुझे तुम्हें जी भर प्यार करने दे।

देवरानी समझ जाती है कि अभी बलदेव से उलझना बेकार है वह हल्के नशे में है।

बलदेव: देवरानी मेरी पत्नी तुम्हारा नृत्य देखे हुए बहुत दिन हो गए. जरा अपनी गांड मटका दो।

देवरानी बलदेव के द्वारा इस तरह से बात करने से अटपटा मेहसूस करती है फिर ये सोच कर की बलदेव को उसपे पूरा हक है।

देवरानी (मन में: मुझे गुस्सा नहीं कर के पत्नी धर्म निभाना चाहिए, अगर मुझे नाचने के लिए कह रहा है तो बलदेव क्यू के उसके मुझपे पूरा हक है।)

देवरानी मुस्कुरा कर गांड हिलाती हुई बिस्तर से दूर जाने लगती है। बलदेव बिस्तर पर बैठ जाता है और अपनी नशीली आंखों से देवरानी की हिलते चुतड देखने लगता है।

बलदेव: देवरानी, मेरी रानी! मेरी जान तुम्हारी इस चूत और हिलती हुई गांड ने मेरे दिल चुरा लिया है।

महफ़िल से ढोल और तबले की आवाज़ आ रही थी जो कव्वाली में बज रहे थे। उसकी ताल पर देवरानी भी अपने गांड मटका के नृत्य करने लगती है।

"रानी अपने वस्त्र उतार के नाचो। मुझे तुम्हारे दूध और गांड को हिलते हुए देखना है।"

अच्छा जी! जो पीछले एक महीने से देख रहे हो उससे जी नहीं भरा? "

ये सुन कर बलदेव उठ खड़ा हो कर नाचती हुई देवरानी को पकड़ कर अपना चौड़ा सीना उसके वक्ष से दबाता है या देवरानी को अपनी बाहो में ले कर बलदेव अपना लंड देवरानी की गांड पर रगड़ता है।

"आह राजा!"

बाहर ढोल डफली की आवाज आ रही थी जो देवरानी को थिरकाने के लिए काफी थी जो कि नृत्य कला पसंद करती थी।

बलदेव अब अपना हाथ देवरानी के होठ पर रख बोलता है।

"हाय! मेरी रानी के ये लाल होठ!"

फ़िर वह हाथ देवरानी के सीने पर रख बोलता है ।

"हाय ये उभरे वक्ष मेरे रानी के!"

फ़िर वह निचे देवरानी की चूत के ऊपर हाथ रख "हाय ये मेरी फुली चूत मेरी रानी मेरी पत्नी के!"

बलदेव जैसे हे पहली बार देवरानी की चूत पर अपना पूरा हथेली रख कर दबाता है देवरानी के मुँह से "आआआआह!"

कर के उत्तज़ना भारी सिस्की निकलती है।

बलदेव वापस जा कर कुर्सी पर बैठ जाता है जो मेज के साथ लगी हुई थी और कहता है।

"जी तो तब तक नहीं भरेगा जब तक तुम्हारे इस भारी बदन को, ठोक-ठोक के फेला नहीं दूंगा ।"

देवरानी दूर खड़ी बलदेव के सामने अपने दूध और गांड मटका रही थी ।

बलदेव देवरानी को अपने हाथ उठा कर उंगली से अपने पास आने का इशारा करता है और देवरानी उसके पास आती है और बलदेव की जांघ पर हल्का बैठ अपनी गांड को हिलाती हुई रगड़ने लगती है।

देवरानी की गर्दन पर हाथ रखे बलदेव मुस्कुरा रहा था।

देवरानी अब दूसरे जांघ पर बैठ कर अपनी गांड मसलती है फिर बलदेव के सामने झुक कर बलदेव के तंबू बने धोती पर अपनी गांड को सहलाने लगती है

बलदेव अपनी आँख बंद किये कररहने लगता है।

"आह मेरी माँ!"

देवरानी जैसी दिखती है उसका बेटा होश खो रहा है वह तुरंत उसकी गोद से उठ कर दूर जाती है।

बलदेव जब तक अपना हाथ बढ़ा कर देवरानी को पकड़ता वह चुंगल से निकल जाती है।

"छमिया बहुत ललचा रही है अपनी गांड से!"

देवरानी दूर खड़े हो कर मुस्कुराए हुए बड़े दूध वाला अपना सीना निकाल कर इतराती है ।

"क्यू मेरे राजा को ये पसंद नहीं क्या?"

वह अपने कसे हुए ब्लाउज के डोरी ढीली कर देती है। अब देवरानी ब्लाउज के अंदर एक लाल ब्रा, पहने जो उसे हुरिया ने दी थी उसमे अपने बड़े मोटे पपीतो को लीये अपने बेटे के सामने थी।

बलदेव झट से अपना हाथ अपना लौड़े पर ले जाता है।

"मां वह मुझे इतना पसंद है कि जीवन भर चुसु तो भी नहीं थकू।"

बलदेव को लौड़ा मसलते हुए देवरानी देख उत्तेजित हो जाती है।

देवरानी: मीठा देखा नहीं मधुमखी झूमने लगती है।

देवरानी अपने हुस्न पर इतराती हुई कहती है।

और अपना पल्लू अपने आधे नंगे दूध पर रख लेती है अनुर डोरी बाँध देती है ।

बलदेव देवरानी के पास आकर उसके कमर पर हाथ रख कर अपनी और खीचता है।

"देवरानी! मुझे आज तुम्हारी योनि का रस पीना है।"

देवरानी: छी गंदे!

बलदेव: छी मत कहो! तुम्हारी गांड इतनी मारूंगा के बाप-बाप चिल्लाओगी।

बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की गांड पकड़ कर मसलता है।

देवरानी नशे में धुत बलदेव को संभालते हुए उसके होठों पर उंगली रखती है।

"मेरे बेटे तुम होश में नहीं हो! तुम अपनी माँ को दुःख दोगे, दर्द दोगे!"

"मेरी देवरानी!"

बलदेव देवरानी के पीछे आकर अपना खड़ा लौड़ा देवरानी की गांड पर लगा कर.. "देवरानी तूने क्यू पल्लू रख दिया? ब्लाउज खोलो ना अपना! तुमने अंदर तो वही वस्त्र पहना है जो हुरिया खाला ने दिया है तुम्हे!"

"तुम मेरे वस्त्रो पर बहुत ध्यान देते हो!"

"मेरी रानी मैं तुम ध्यान नहीं दूंगा तो या कौन देगा? खोलो ना!"

"वैसे वह ब्रेज़ियर है तुम खुद देख लो।"

बलदेव अपने लंड को देवरानी की गांड पर लगाये देवरानी को हल्का झुकाये एक धक्का मारता है ।

"आहा राजा!"

बलदेव अपने दांतो में देवरानी के ब्लाउज की डोरी को पकड़ खींचता हैं । झुकी हुई देवरानी अपनी गांड बलदेव के लौड़े पर सहला रही थी।

बलदेव अब ब्लाउज को खोल चुका था या उसके आंखों के सामने ब्रेजियर की पट्टी थीजो देवरानी की पीठ पर बलदेव को बहुत उत्साहित कर रही थी । बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की ब्रेजियर को छूता है और उसकी पीठ को सहलाने लगता है।

बलदेव अब देवरानी के आगे आ जाता है और उसकी बगीचे पर चूमने लगता है।

"मां इसे निकालो ना मुझे आपको सिर्फ ब्रेज़ियर में देखना है।"

"आह बेटा हम्म्म!"

"मां तुम इतनी सुंदर हो की दिन रात तुम्हे झुका कर पेलने का दिल करता है।"

"पहले विवाह कर लो। फिर दिन रात जो करना हो कर लेना।"

देवरानी अब बलदेव के पीछे आ कर बलदेव के कान के नीचे से उसे मुँह में पकड़ कर चूसने लगती है।

देवरानी अब अपना ब्लाउज गिरा देती है और ब्रेज़ियर में कैद अपने बड़े दूध बलदेव की पीठ में रगड़ने लगती है।

"आआह माँ!"

बलदेव आखे बंद कर आह भरता है।

देवरानी को अपने आगे खीच उसके बड़ी गांड पर हाथ लगाता है और उसके वक्ष को देखता है जो देवरानी के हिलने से हिचकोले मार कर ब्रा से बाहर आने को तड़प रहे थे।

"मां क्या मोटे और तने हुए दूध है और ये गांड कितनी बड़ी है पर..."

"आह मेरे लाल पर क्या? हाँ!"

"पर इस माल को सही हथौड़ा नहीं मिला । ये मोटी गांड को मैं चोद-चोद के फेला दूंगा। जो तुम्हारे पति नहीं कर पाये वह मैं करूँगा । इसलिए ये अभी भी ऐसे लगते हैं कि तुम अभी-अभी जवान हुयी हो ।"

"आह बलदेव! चल हट बदमाश!"

बलदेव देवरानी को अपने अघोश में लेते हुए उसके दूध देख कर आह भरता है!

"आह! ये दूध की जवानी और खुमारी जो राजपाल नहीं निकल पाया, वह मैं निकालूंगा। इसे चूस-चूस कर इसकी घुंडी को भी चौड़ी कर दूंगा।"

बलदेव पास रखी मेज़ पर देवरानी को लिय उसके वक्ष के उपरी हिससे को चूमते हुए उसे लिटाने लगता है।

देवरानी वही पर अख बंद क्यों बलदेव के साथ लेट जाती है। बलदेव अब अपना मुंह अपनी माँ के पेट पर रख कर चूमने लगता है।

"आह माँ मैं शादी भी करुंगा और तेरी इस कोख में अपना बीज डाल कर तुझे अपने बच्चो की माँ भी बनाउंगा।"

देवरानी अपने आखे बंद किये आहे भर रही थी।

"आहह राजा!"

आह्ह आआह्ह्ह्ह ओह मेरे राजा! "

बलदेव के हाथो में अपने हाथ फंसा लेती है और देवरानी खूब मजे से आहे भरने लगती है।

?"

"माँ यही कहेगा कि इसकी चूत चुदाई हुई है इसलिए पेट से है।"

और बलदेव देवरानी के पर्टिकोट के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रख देता है

"आआआआआआआआआआआआआआहह! मेरे राजा!"

देवरानी अपना हाथ नीचे ले जा कर बलदेव का हाथ पकड़ती है।

"राजा समाज क्या कहेगा जब मेरा पेट देखेगा तो

बलदेव देवरानी की चूत पर से हाथ हटा कर के देवरानी की दोनों मांसल जाँघे पकड़ लेता है।

"आह माँ ये जाँघें कितने मांसल और चौड़ी हैं।"

बलदेव नीचे झुक कर साडी को ऊपर उठाये देवरानी की जांघो पर चुम्मो की बरसात कर देता है।

"आहहह मेरे राजा!"

बलदेव देवरानी को खड़ी कर के उसके पेटीकोट का नारा खोल देता है। अब देवरानी सिर्फ एक जंघिया में थी जिसे देख बलदेव का दिल ज़ोरों से ढकने लगता है।

देवरानी को बलदेव जांघो से पकड़ कर फिर से ऊपर मेज पर बैठाता है।

"बलदेव! आराम से इतनी क्या जल्दी है?"

"माँ तुम इस जांघिये में देवलोक की अप्सरा लग रही हो । तुम्हारी चूत कितनी फूली हुई है इसे तो मैं चोद के भोसड़ा बना दूंगा।"

देवरानी एक अदा से अपने हुस्न पर इतराती हुई अपना एक पैर बलदेव के सीने पर रख कर बैठ जाती है।

"ज़रा तमीज़ से! मैं महारानी देवरानी हूँ।"

"हाँ वही महारानी देवरानी जो अभी महफ़िल में अपना पल्लू ढके हुए बैठी थी और अपने आशिक के बुलाने पर नहीं आ रही थी।"

"तुम्हें भगवान का अहसान मानना चाहिए! बलदेव जो स्त्री अपना पल्लू ढके घुमती है वह तुम्हारे सामने सिर्फ ब्रेज़ियर या जंघिये में है और तुम नशे में..."

"अरे मेरी रानी आआओ! अभी तुम्हें एक दम प्यार से मसलता हूँ।"

बलदेव पास में रखे एक घोल को देवरानी की जांघो पर उड़ेल देता है। फिर उसकी जाँघो को सहलाने लगता है।

"आहह राजा!"

अपनी उंगली से ले उसके नाभि में गोल-गोल घुमाता है फिर देवरानी के मुंह में वह उंगली डाल देता है।

"माँ देखो तुम्हारे ये सुंदर तन का स्वाद तुम खुद चखो भला में कैसे इन्हें चखे बिना कैसे रहु?"

बलदेव अब अपना हाथ आगे बढ़ा कर तेल का डिब्बा उठा लेता है और तेल अपनी माँ के कंधे पर गिराने लगता है । तेल फिसल कर कंधे से होते हुए देवरानी के वक्ष और फिर बाह तक आने लगता है।

बलदेव अपने हाथ से तेल का डिब्बा छोड़ देवरानी को मसलने लगता है।

"कितनी सुन्दर है माँ!"

"आह मेरे राजा!"

बलदेव अब अपने पास रखे फूलो में से पीली और काली फूलो में से पीली फूल उठा कर देवरानी के होठों पर घुमाता है।

देवरानी के मुंह में ऊँगली डाल कर उसकी जिभ को बराबर फिराता है और उसके बाद नीचे आकार देवरानी के मखमली पेट पर सहलाने लगता है।

"आह राजा गुदगुदी हो रही है।"

"गुदगुदी कहाँ हो रही है तेरी चूत में या तेरे पेट में देवरानी?"

देवरानी उत्तेजना और हैरानी से बलदेव को देख रही थी, बलदेव देवरानी की दोनों पैरो को फैला देता है और खुद उनके बीच के खड़ा होता है और अपने हाथ से पीले फूलो को उठा कर देवरानी के जिस्म पर डालने लगता है।

"मां तुम जैसी माल को दिन रात चौदा जाये तो भी कम है।"

"आह राजा!...हम्म बड़ा आया महारानी देवरानी के साथ ऐसी वैसी हरकत करने वाला!"

"मां राजपाल जैसा चुतीया नहीं हूँ मैं पेल-पेल के तुम्हारी गांड ही फाड़ दूंगा।"

इस बार देवरानी अपने आप को देखने लगती है।

देवरानी (मन में: "ये लड़का नशे में अभी पूरा धुत है इसको मैं कल बताउंगी।"

बलदेव अब अपने हाथों में काले फूलो को उठाता है।

"मां अपने गुलाब के पखुरियो जैसे होठों में इसको चूसो क्यू के फिर मेरा लौड़ा भी चूसना है तुम्हें।"

"नं ना मैं नहीं करूंगी वो!"

"तुम्हें करना पड़ेगा मेरी रानी! तुम्हें अपने पति की आज्ञा का पालन करना पड़ेगा!"

बलदेव देवरानी के कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खीचता है और अपना लौड़े से देवरानी की छोटी-सी जंघिया में कैद चूत पर धक्का मारता है।

"ये ले मेरा लौड़ा मेरी रानी!"

देवरानी अपने ऊपर ऐसे होते देख बलदेव के सीने पर अपना एक हाथ रख कर उसे पीछे करती है।

"आहह राजा!"

और फिर उत्तज़ना से अपनी आँखे बंद कर लेती है।

"तू नहीं मानेगी साली!"

नशे में धुत बलदेव हल्का गुस्सा हो कर देवरानी के कमर को और मज़बूती से पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है तथा अपना लौड़ा अपनी माँ की चूत और फिर जंघिये के ऊपर से रख कर रगड़ देता है।

"आहह राजा!"

देवरानी उत्तेजना में आकर अपने दौनो हाथ बलदेव के कंधे पर रखती है।

"ये ले साली देवरानी! अपने चेहरे को पल्लू से ऐसे ढके बहुत गांड मटकाये फिरती है जैसे वासना शब्द भी ज्ञात नहीं हो पर तू है तो कामदेवी रति!"

बलदेव अपना बड़ा और मोटा लौड़ा देवरानी की चूत पर रगड़ने लगता है।

देवरानी अब ज़ोर से बलदेव के मजबूर कंधे को पकड़ भींच लेती है। फिर देवरानी अपने बेटे के बलिष्ठ छाती देख कराहती है ।

"बेटा तुम्हारा ये मर्दाना छाती कितनी आकर्षण है और कितने शक्तिशाली हो तुम!"

बलदेव: साली काम की पुजारीन! ये ले मेरे लौड़े के बारे में भी मुझसे बात करो!

बलदेव अब ज़ोर से देवरानी को अपनी तरफ खींचने लगता है।

"आआआह! मेरे राजा तेरा लिंग तो तेरे बाप से दुगुना है! हाय दय्या!"

बलदेव अब देवरानी का हाथ खींच कर पलंग की तरफ ले जाता है।

"आजा छमिया! तुझे लिंग नहीं लौड़ा दिखाता हूँ!"

देवरानी बलदेव का हाथ छोड़ कर आगे भाग जाती है।

"नहीं बाबा मुझे नहीं देखना सांप, कहीं वह मेरे बिल में घुस गया तो!"

"तो क्या होगा रानी मज़ा आएगा!"

"मेरी जान ले लेगा वो!"

बलदेव देवरानी के पास जा कर खड़ा होता है या अपना लिंग उसके गांड पर सटा के पूछता है।

"क्यू पसंद नहीं आया अपने बेटे का लंड?"

"मेरे राज्जा अगर पसंद नहीं आता तो ये देवरानी जो दुनिया से घूँघट करती है, वह तुम्हारे सामने केवल जंघिये और ब्रेज़ियर में नहीं होती।"

ये कह कर बलदेव का हाथ अपने मांसल पेट पर रख देती है।

"मां तुम्हारा ये तराशा हुआ हर एक अंग को मसल-मसल कर लाल कर देने का दिल चाहता है।"

"तो कर दो मेरे राजा मना किसने किया है।"

"उफ़ माँ! ये तुम्हारी फूली हुई चूत!"

बलदेव नीचे हाथ लेजा कर देवरानी की चूत पर जंघिया के ऊपर से हाथ फिराता है। देवरानी की चूत की लकीर ऊपर से ही फूली हुई दिख रही थी।

"आहह राजा!"

देवरानी बलदेव से छूट कर दूर जाती है और बलदेव को एक अदा से देख कर पीछे मुड जाती है या अपना एक पैर उठा कर मोड कर खड़ी हो जाती है।

"आह मेरी माँ जान ही ले लोगी, क्या आज?"

बलदेव देवरानी पर झपटता है और देवरानी फुर्ती से बिस्तर पर जा कर उल्टा लेट जाती है। बलदेव जैसा इसका ही इंतजार कर रहा था, वह अपने हाथों को देवरानी की गांड पर ले जा कर गांड मसल देता है।

"आह्ह्ह्ह रज्जा! मेरे राजा आराम से!"

बलदेव अब बिस्तर पर लेट जाता है और देवरानी को अपने ऊपर ले लेता है।

बलदेव अपना हाथ आगे बढ़ा कर जंघिया में क़ैद बड़े नितम्ब को ले कर खूब मसलता है।

बलदेव देवरानी को चित लिटा देता है और उसके पैर फेला कर अपना हाथ अपनी माँ की चूत पर रख रगड़ने लगता है।

"आहहह अम्म्म हम्म्म मेरे राजा!"

"माँ मुझे तुम्हारी ये चूत चाटनी है।"

"आह हम्म मेरे नहीं! हाय मेरे राजा!"

बलदेव देवरानी का एक हाथ ले कर अपनी धोती के ऊपर उठे लौड़े पर रख देता है।

देवरानी तुरेंट अपने आखे खोलती है।

"आआह ये क्या है?"

"माँ पकड़ो ना।"

देवरानी कुछ नहीं कहती।

बलदेव फिर अपने हाथ से देवरानी की हथेली को अपने लंड पर रख देता है।

"मां! मेरी रानी कृपया, इसका भी कुछ ख्याल करो!"

इस बार देवरानी अपना हाथ नहीं हटाती है और अपना हाथ बलदेव के 9 इंच के लौड़े पर रख कहती है ।

"ये बहुत बड़ा है मेरे राजा।"

"सिर्फ आपके लिए है मेरी रानी।"

"ये तो कहीं से इंसान का नहीं लगता!"

"ऐसे लौड़े को तेरे जैसी भारी माल की जरूरत है।"

"माँ सहलाओ ना मेरे लौड़े को।"

देवरानी धीरे-धीरे हाथ फेरने लगती है बलदेव अपने आखे बंद किये देवरानी की चूत मसल रहा था और देवरानी अपने बेटे का लौड़ा सहला रही थी।

बलदेव देवरानी का हाथ पकड़ कर इशारा करता है ।

"मां इसे ऐसे गोल बनाओ और आगे पीछे करो!"

"मुझे नहीं करना!"

"करो ना देवरानी! मेरी पत्नी नहीं हो!"

"अच्छा ठीक है।"

देवरानी अब बलदेव के लौड़े को मुठियाने लगती है।

बलदेव: माँ साडि में आपकी ये गांड बहुत हिलती है। ज़रा हिलाओ ना!

देवरानी उठते हुए"मेरे राजा बेटा तुम्हे मेरे चूतड इतनी बार देकहे है, फिर भी तुम्हारा मन नहीं भरता! ये ले!"

देवरानी उठ अपनी छोटी-सी जंघिया में अपने दोनों भारी खरबूजे चुतडो को हिलाने लगती है।

"मां मैं अपने लौड़े से इन तरबूज़ो को फोड़ दूंगा।"

देवरानी मुस्कुरा देती है।

"अच्छा जी!"

और फिर लज्जा जाती है।

बलदेव देवरानी को अपने पास ले कर उसके चूत पर हाथ ले जा कर ज़ोर से थपकी देने लगता है।

"फट्ट फट" की आवाज पूरे कक्ष में गूंज रही थी । बाहर ढोल की आवाज होने के कारण ही दोनों ये कर पा रहे थे, नहीं तो इतने जोर से देवरानी की गांड पीटने से बाहर तक आवाज जा रही थी।

"आआआह राजा इतना ज़ोर से मत मारो!"

मां इतने भारी या बड़े तरबूज़ों को धीरे से रगड़ने से इनपर कुछ भी असर नहीं होगा। "

बलदेब देवरानी को उल्टा लिटा देता है और अपने दोनों हाथो से दोनों बड़े नितम्बो को पकड़ मसलता है ।

"आआह राजा धीरे करो!"

"माँ क्या बड़े मज़बूत खरबूजे छुपा रखे हैं तुमने?"

"कहा छुपाये? आख़िरकार तुमने पा तो लिया है इन्हे!"

"मेरी जान देवरानी!"

"आआह राजा हम्म्म अगर किसी ने देख लिया मुझे तो?"

किस साले की हिम्मत जो मेरी महारानी देवरानी को आख उठा कर भी देख ले?

" और जिस दिन वह मेरी प्रेमिका मेरी पत्नी पर बुरी नजर डालेगा, देवरानी वह दिन उस मर्द का आखिरी दिन होगा।

बलदेव ज़ोर से गांड को मसलते हुए कहता है।

"बलदेव बाहर लोग क्या सोच रहे होंगे? भैया हुरिया दीदी और शमशेरा हमारे बारे में क्या सोचेंगे?"

"मां यही सोच रहे होंगे कि पति अपनी पत्नी को ले कर गया है सोने के लिए । सोने का समय हो गया है ।"

"बलदेव मजाक मत करो!"

"मां हम कब तक ऐसे छुपेंगे?"

"बेटा वैसे आज जब से पी कर आये हो, थोड़े चिंतित प्रतीत हो रहे हो! आह धीरे!"

"हम्म माँ! बात ही कुछ ऐसी है, पर तुमने कब या कैसे देख लिया मुझे चिंता करते हुए?"

"आह आराम से बेटा...मां हूँ तेरी और अब तो तू मुझे पत्नी भी कहता है तो भला मैं अपने पति के चेहरे को पढ़ नहीं सकती।"

"हाँ माँ वह माँ बद्री और श्याम हमें जंगल में तंबू में देख लिये थे।"

"आआआह क्या बक रहे हो बलदेव?"

बलदेव देवरानी को सहलाते हुए- "हाँ माँ वह दोनों मुझे आज खरी खोटी सुना रहे थे की मैं चरित्रहीन हूँ जो अपनी माँ के साथ ये सब कर रहा हूँ।"

"तो बेटा तुमने क्या कहा?"

"मां मैंने तो कह दिया मेरे और देवरानी के बीच कोई आया तो उसके लिए अच्छा नहीं...मैंने कहा अगर बद्री मेरा मित्र नहीं होता, तो मैं आज उसको फाड़ देता ।"

"ऐसा क्यू कहा बेटा तुमने वह दोस्त है ना तुम्हारा? आह्ह हम्म!"

बलदेव अब देवरानी के ऊपर अपना लौड़ा देवरानी की जंघिये के ऊपर से छूट उसकी योनि पर लगा कर लेट जाता है।

"आहह आराम से बेटा मैं मर जाउंगी!"

"चुप करो इतनी हटटी कटटी घोड़ी हो! और माँ क्यूकी उन्होंने मेरे और तुम्हारे प्यार को वासना का नाम दिया, इसलिए!"

"बेटा हम दुनिया के रीति रिवाज़ के विपरीत जा कर ये प्रेम कर रहे हैं। हमें संयम से कम लेना चाहिए और वह तुम्हारे मित्र हैं, प्यार से समझाना उनको तुम।"

"वो नहीं मानेगे साले बद्री और श्याम दोनों हरामी है।"

बेटा ऐसा ना कहो उनके जगह पर तुम होते तो तुम्हें भी ऐसा ही लगता। उन दोनों को मैं बेटे जैसा मानती हूँ। उन्हें तो बुरा लगना ही था। तुम प्यार से अपने दिल की बात उनसे करो, मुझे भरोसा है वह मान जाएंगे हमारे रिश्ते के लिए। "

बलदेव आगे झुक कर माँ के होठ को अपने होठ में रख कर चूमता है और अपने हाथ से उसके वक्ष दबाता है।

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