महारानी देवरानी 067

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"आहह राजा!"

"माँ तुम कितनी बुद्धिमान हो अगर तुम मेरा कदम-कदम पर साथ दो तो मुझे और कुछ नहीं चाहिए।"

"अच्छा जी!"

"मां मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ। तुम्हें पत्नी बनाने का मेरा निर्णय आज सही साबित हो रहा है।"

बलदेव देवरानी को चूमते हुए उसकी गांड पर अपना लौड़ा मसलते हुए झड़ जाता है।

देवरानी अपनी गांड पर गीला महसस कर समझ जाती है के बलदेव ने अपना पानी छोड़ दिया है ।

देवरानी उठने की कोशिश करती है पर बलदेव उसे झुकाए हुए वह अपनी उंगली उसकी चूत के दरार पर फेरते हुए उसे चुम कर बोलता है ।

"कहा चली मेरी रानी? में राजपाल नहीं जो तुम्हें अधूरा छोड़ दू।"

"आआह मेरे राजा आआआ!"

बलदेव की उंगली अब देवरानी चूत के अंदर महसुस कर रही थी।

"आह मेरे राजा! आआआआह ओह्ह्ह आआआआआआआह। मैं गई मेरे राजा । नहींईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई।"

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी को जोर से चूमता है

और देवरानी आखे बंद किये झड़ती है। बलदेव अब अपना हाथ चूत से हटा कर देखता है तो हाथ भीगा हुआ था। वह अपने मुँह में ले कर चाटता है जिसे देख देवरानी मुस्कुरा रही थी।

देवरानी वही बेसुध लेटी हुई थी और बलदेव भी बगल में लेटा हुआ अपनी आखे बंद कर नींद की आगोश में जाने लगता है। थोड़ी देर बाद अपनी सांसों पर काबू पा कर देवरानी उठती है और उसकी नजर अपनी चूत के हिस्से पर जाता है जिसे देख शर्मा जाती है उसका पूरा जंघिया चुत के पानी से भीगा हुआ था।

देवरानी जा कर अपना वस्त्र बदलने लगती है, उधर बलदेव अब खर्राटे ले कर सोने लगा था।

देवरानी: (मन में-ये बलदेव भी ना पूरा रसिया है। अब मेरी हिम्मत नहीं बाहर जाने की और भोजन करने की पूरा शरीर, दर्द से ऐठ रहा है ।)

देवरानी अपने वस्त्र बदल कर लेट जाती है । लेटते ही उसे मीठी नींद आ जाती है...।

जारी रहेगी

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