महारानी देवरानी 069

Story Info
देवगढ़ राज्य जाने की तय्यारी
2.1k words
4
20
00

Part 69 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

महारानी देवरानी

अपडेट 69

देवगढ़ राज्य जाने की तय्यारी

हुरिया के कक्ष से निकल कर देवरानी खुशी-खुशी जा रही थी।

देवरानी: (मन में: दीदी हुरिया को अभी ये नहीं पता नहीं की उनका बेटा शमशेरा उन्हें कैसे निगाह से देखता है अगर मैं उन्हें आज बोल देती तो उनका मुंह ही बंद हो जाता पर मुझे क्या? मुझे तो दो दिन में वापस जाना है।)

देवरानी अपने कक्ष में पहुँच कर जाने की तयारी करने लगती है।

देवरानी: (मन में: आज पता नहीं मेरे अंदर इतनी ऊर्जा कहाँ से आई है । ये सब बलदेव की ही देंन है।)

बाहर देवराज अपने घोड़ों को चारा दे रहा था ।

देवराज: सैनिको सुनो जा कर अंदर सबको कह दो, हमारे छोटे से प्यारे गाँव हमारे राज्य देवगढ़ जाने की तय्यारी करे।

सैनिक आकर बद्री बलदेव को बोलता है के सब तैयार हो जाये

बद्री बलदेव या श्याम तीनो बैठ बाते कर रहे थे ।

श्याम: आज तो मजा आने वाला है।

बद्री: भाई हमें क्या मजा आएगा मजा तो बलदेव के है।

बलदेव ये बात समझ के मुस्कुराता है।

बद्री: साले तू सच में बहुत प्यार करने लगा है क्या?

बलदेव: हाँ दिल चीर के देखो उसका ही नाम होगा।

श्याम: वाह क्या प्रेम कहानी है!

बद्री: पर तूने पटाया कैसे मौसी को?

तभी देवरानी दरवाजा खोलती है और बलदेव की ओर देख अपनी आंखे झपकते हुए आने का इशारा करती है।

श्याम: शायद वह तुम्हे इशारे से बुला रही है।

बद्री: इतनी तेज़ तर्रार अनुसासन से भरी मौसी फिर भी तुझ जैसे बदमाश से कैसे पट गई?

बलदेव: मौसी नहीं भाभी है वह तुम्हारी । मैंने बहुत मेहनत की है इसको पटाने में। भाई अब जाता हूँ और मेहनत का फल खा के आता हूँ।

बद्री: हाँ जाओ-जाओ मौसी.।नहीं भाभी माँ के पास।

श्याम: भाभी माँ को दुख मत देना नहीं तो हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।

श्याम मजाक करते हुए कहता हैं।

बलदेव मुस्कुराता हुआ देवरानी की कक्षा में घुस कर दरवाजे को फट से बंद कर देता है और बद्री तथा श्याम उसे आँखे फाड़े अंत तक देख रहे थे।

अंदर देवरानी उल्हना देती है ।

"क्यू बलदेव बहुत बात चीत हो रही है बद्री श्याम से, तुम देवरानी को तो भूल गए!"

"मां देवरानी को बलदेव भूल जाए, ऐसा कोई पल नहीं हो सकता।"

"क्या कह रहे थे वह दोनों?"

"मां यही कह रहे थे कि इतनी कड़क माल तुमने पटा कैसे ली?"

"तो तुमने क्या कहा?"

"मैंने कहा बहुत मेहनत की है पर अभी तक फल नहीं मिला"

देवरानी बलदेव की और घूम कर एकदम से उसके साथ चिपक जाती है और बलदेव के मुंह पर चुम्मो की बरसात कर देती है। "पुच पूच्च्च गैलप्प्प्प गैल्प्प् उम्म्ह स्लर्पी आह गैल्प्प्प्प!"

"गल्लप्पप्प हुम्म्म माआ...!"

"क्या फल चाहिए मेरे बेटे को?"

"आपके ये दोनों बड़े-बड़े पपीते खाने हैं मुझे! "

देवरानी दो कदम पीछे हटती है तो उसके भारी वज़न से उसके दूध एक ताल से हिलते हैं।

"चल हट बड़ा आया महारानी देवरानी के वक्षो को पाना इतना आसान नहीं है ।"

"वो तो अभी पता चल जाएगा मेरी रानी।"

बलदेव देवरानी को चूमने लगता है।

कभी देवरानी की गांड को मसलता है कभी गोद में उठा लेता है कभी दूध पर चूमता है।

"हाय बेटा आराम से, तुम तो तीर की तेज़ी से शुरू हो जाते हो।"

"जब माँ हिरनी-सी तेजी दिखाती है तो बेटे का लौड़ा पकड़ने में तो शेर की दहाड़ लगाएगा ही ।"

बलदेव देवरानी को लिटा देता है और फिर देवरानी को बेटाहाशा चूमने लगता है।

"आह बेटा मैं कहीं भागी नहीं जा रही । उम्म आह आराम से करो। और क्या बोले बद्री और श्याम?"

"उम्हाआ मेरी जान देवरानी को उन दोनों ने आपको भाभी मान लिया है"

"चल हट मैं नहीं बनूंगी भाभी, किसी की। वह दोनों मेरे बेटे जैसे हैं । वह मुझे मौसी ही कहेंगे।"

"बड़ी आई मौसी कहलाने वाली । मेरा लौड़ा लेगी तो मेरे मित्र सबके सामने तुझे मौसी माँ ही कहेंगे, वैसे वह तो भाभी ही कहेंगे।"

"कितना अजीब लगेगा ना बलदेव!"

"गल्पप्प आआआह बलदेव!"

"तुझे जब मैं दिन रात चोदूंगा तो अजीब नहीं लगेगा, मेरी रानी?"

ये बोलता हुआ बलदेव देवरानी के बदन और नितम्बो पर हाथ फेर रहा था ।

बलदेव देवरानी को खड़ी कर उसे सहलाते हुए चूमने लगता है ।

देवरानी ये सुन कर आखे बंद करे अपना मुँह लज्जा से फेर लेती है।

"वैसे देवरानी जी मैंने उन्हें कह दिया है कि आपको वह भाभी माँ कहे जिससे माँ और भाभी दोनों आ जाए।"

"बड़े तेज़ हो!"

"आख़िर बेटा आपका ही हूँ । वैसे बहुत तेज़ तो तुम भी हो ना! मेरी रानी मुझे ये पपीते खाने है।"

"मान जाओ! जिद मत करो"

"नहीं मनना माँ!"

"बाहर बद्री है।"

"मुझे फर्क नहीं पड़ता देवरानी!"

"धीरे! बाहर बद्री है, श्याम है वह लोग सुन लेंगे!"

"सुनने दो, उन्हें पता है मैं यहाँ पर अपनी माँ को पटाकर प्यार करने आया हूँ।"

"बलदेव बाहर तुम्हारे मामा देवराज भीआस पास ही हैं उनको पता चल गया तो?"

"सुनने दो मेरे मामा या मेरे होने वाला साले साहब को भी। आज उसकी बहन के ऊपर असली मर्द चढ़ा है। उसे भी समझ आ जाएगा ये उसकी ही गलती थी की उसने तुम्हारे विवाह राजपाल से होने दिया ।"

"उस राजपाल का नाम न लो!"

"आह माँ तुम्हारे ये बड़े पपीते!"

बलदेव देवरानी के स्तन सहलाते हुआ उन्हें दबाता है

फिर देवरानी का ब्लाउज खोल देता है और फिर ब्रेज़ियर खोलने लगता है ।

"आह रुको बेटा!"

देवरानी उठती है और धीरे-धीरे बोलती है ।

"" ये पपीते बास मेरे बेटे के लिए हैं। "

देवरानी खड़ी मुस्कुरा रही थी।

"मां क्या देख रही है?"

"मां इन दोनों ने हिल-हिल कर मुझे बहुत तड़पाया है । अब इनसे बदला लेने की और इन्हें तड़पाने की बारी मेरी है"

"ले लो बदला मेरे राजा, रोका किसने है?"

बलदेव देवरानी को अपने बाहो के भर के लेता देता है और अपना दोनों बड़े पंजो से देवरानी के बड़े वक्षो को ज़ोर से दबा देता है।

"आआह्ह्ह्ह आआआ बलदेव नहींईईईईइ इतना ज़ोर से नहीं उम्म्म!"

"आह! क्या गरम दूध है माँ, ये तो मेरे हाथ में भी नहीं आ रहे है। हा आआआहह माँ!"

बलदेव अब बारी-बारी से देवरानी के वक्षो को चूसने लगता है।

"स्लर्प गलप्प्प गप्प उम्म्म्म क्या दूध है।"

देवरानी: आहह मैं मर गयी!

बलदेव देवरानी के होठों को चूस रहा था कभी उसके भारी मम्मों को दबा के चूस रहा था।

बाहर बद्री और श्याम अब भी बैठे हुए थे उतने में देवराज महल में आता है।

देवराज: अरे तुम दोनों इधर हो बलदेव और देवरानी कहा है?

बद्री और श्याम को ये सुन कर मानो सांप सूंघ जाता है उन्हें समझ नहीं आता क्या उत्तर दे!

बद्री: वह तय्यर हो रहे हैं शायद!

देवराज: अच्छा कक्ष में है क्या?

फिर देवराज मुस्कुराता हुआ उनके कमरे की तरफ जाता है।

श्याम और बद्री एक दूसरे का मुँह देख रहे थे की अब क्या होगा?

देवराज दरवाजे को ठक ठका के बोलता है ।

"देवरानी ओ बहना देवरानी!"

बलदेव अंदर देवरानी के बड़े वक्ष को चूस रहा था और होठ चूम रहा था।

देवरानी: रुको बलदेव! भैया आये हैं!

बलदेव: मैं नहीं रुकने वाला।तुम्हें जो बोलना है उन्हें बोल दो।

देवरानी: क्या बोलू आह्ह्ह उम्म!

बलदेव: केह दो साले साहब से की उनका जीजा उनकी बहन के स्तनों की मालिश कर रहा है।

देवरानी: आह्ह उम्म शैतान!

देवरानी जोर से बोलती है।

"भैया हम दोनों तैयार हो कर आएंगे। थोड़ा समय लगेगा आह!"

देवराज: क्या हुआ देवरानी तुम ठीक तो हो।

देवरानी: आअहह हन मैं ठीक हूँ। झुमका डाला था कानो में।

देवराज: और बलदेव।

देवरानी: आह उम्म आप जाओ ना भैया! बलदेव भी अपने काम में लगा हुआ है। हम आते हैं तैयार हो कर।

ये सुन कर देवराज चला जाता है और ये सब देख कर बद्री और श्याम मन-मन मुस्कुरा रहे थे।

इधर बलदेव रुकने का नाम नहीं ले रहा था।

"आआह! माँ अच्छा किया जो तुमने अपने भाई को भगा दिया। साला अपनी बहन के वक्षो की अच्छे से मालिश भी नहीं करने देता।"

"आह्ह्ह अम्म्म्म! बहुत बड़ी बड़ी बाते कर रहे हो, हिम्मत है तो मेरे भाई के सामने उसे साला कह कर देखना।"

बलदेव देवरानी के दूध बारी-बारी से मुँह में ले कर चूसते हुए बोलता है ।

"मां आह! एक ना एक दिन तो हिम्मत करनी पड़ेगी उनको साला तो जरूर बनाउंगा और मामा भी बनाऊंगा ।"

"आह्ह्ह मेरे राजा ये मामाँ बनाने वाली बात हजम नहीं हुई! माँ तो वह तुम्हारा अभी भी है ।"

"जब मेरा लौड़ा हजम कर लोगी तो अपने आप ही देवराज हमारे बच्चे का मामा बन जाएगा!"

"आह हाय दय्या बस कर ना, मेरे दूध दुखने लगे हैं।"

बलदेव देवरानी के गले को चूमते हुए देवरानी के बड़े वक्षो को बारी-बारी से बेरहमी से दबा रहा था।

"आआआआआहह माँ, हे भगवान इस्स्ह्ह राजा!"

"हाय दय्या इतना ना चिल्लाओ! आराम से करो हाय मैं मर गई!"

"बरसो बाद इन वक्षो को इनका साथी मिला है, माँ इन्हें मजे तो करने दो।"

"आश आआह बेटा नहीं उम्म्म्म हम्म बस्स!"

बलदेव था के मानने और रुकने का नाम नहीं ले रहा था और वक्ष दबाता हुआ दूध चूस जा रहा था। "

"उम्म्म माँ जब ये दूध ले कर तुम ब्लाउज से थोड़ा दिखा कर ललचाती थी तब मैं ऐसे तड़पता था। आह अब मैं इन्हें खा जाऊंगा।"

"बेटा अब तो ये तुम्हारे ही है जितना चाहे बदला ले लेना इनसे।"

"आहह मा उम्म्म्म गलप्पप्प आह्ह स्लरप्प!"

"बहुत स्वाद है इस दूध में, उम्म्म्म आह माँ!"

"उउउयी अहह! धीरे करो"!

देवरानी आज ऐसे बलदेव के द्वारा प्यार किये जाने से ऐसा महसुस कर रही थी जैसे स्वर्ग में हो। वह बलदेव को अपनी ओर खींचती है।

"आह मेरे राजा इधर आऔ, मेरी बाहो में!"

"मां तुमरी गांड इस कच्छी में बहुत सुंदर लग रही है।"

बलदेव झुक कर देवरानी को चूमता है।

"गैलप्पप गैलप्पप स्लरप्पप हम्मम!"

"आह राजा! ऐसे ही प्यार करते रहो अपनी माँ को!"

देवरानी बलदेव को खूब अच्छे से सहलाती है ।

बलदेव देवरानी के स्तनों को खूब दबाता है जिससे उसे दर्द सहना पड़ता है।

"बेटा अब मैं तुझे बताती हूँ तू नीचे लेट, फिर देवरानी बलदेव के ऊपर चढ़ कर अपने बड़े मम्मों को उसकी छाती पर मसलते हुए उसे चूमती है।"

बलदेव देवरानी की गांड और जांघ मसलने लगता है।

"आआह माँ तुम देवी रति से कम नहीं हो आआह!"

"आह! ये ले आज मेरा पूरा दूध पी जा!"

अब तक बद्री और श्याम जा कर अपने कक्ष में तैयार हो जाते हैं और देवराज भी तैयार हो जाता हैं।

देवराज वापस आकर देखता है बलदेव और देवरानी के कक्ष का द्वार अभी भी बंद है।

देवराज: (मन में:-ये दोनों आधे घंटे से कमरे में बंद है कितना तैयार हो रहे हैं?)

देवराज आवाज़ लगाता है।

"बलदेव...देवरानी हमें देरी हो रही है।"

बलदेव देवरानी का दूध मसल कर उसके होठों को चूस रहा था।

"उम्म्म म्म्म्हहबमा!"

"आह बेटा लगता है भैया वापस आ गए हैं ।"

बलदेव नीचे खसकते हुए देवरानी के दूध की घुंडी अपने दांतों में फसा कर चबाने लगता है।

"आहह हाय! आई भैया! "

देवराज की आवाज़ सुन कर बद्री या श्याम भी देवराज के पास आ जाते हैं।

देवराज: आज चलना भी है या नहीं?

देवरानी: छोड़ो इसको! लगता है भैया गुस्सा हो गये हैं।

बलदेव: तो अभी इस हाल में दरवाजा कैसे खोलोगी?

देवराज: दरवाज़ा खोलो!

देवरानी अपना दूध बलदेव के मुँह से निकाल के जल्दीबाजी में साडी पहनने लगती है।

ओर्र बलदेव लेटा हुआ देवरानी के हिलते चुतड और दूध को देख अपने लंड पर हाथ फेर रहा था।

देवरानी जल्दीबाजी में अपना जंघिया के ऊपर से ही साडी बाँध लेती है।

जिसे देख बलदेव मुस्कुराता है ।

"मां पीछे से जंघिया में फंसीआपके सुंदर गांड पूरी दिख रही है।"

फिर बलदेव देवरानी को ऐसी हाल में देख लंड हिलाने लगता है।

"आह क्या माल है!"

देवरानी तुनक कर पलटती है।

"तुम्हें तो हर घड़ी एक ही बात सूझती है अब भैया के सामने जाना होगा।"

देवरानी जैसे ही पलटी बलदेव उसे देख कहता है ।

"हाहाहा माँ आपके पपीतो की घुंडी भी साफ दिख रही है।"

और अपने लौड़े को ज़ोर से मसलने लगता है।

देवरानी: हट कमीने! अब मुझे ऐसी हाल में दरवाजा खोलना पड़ेगा भगवान बचा लेना!

देवरानी: बेटा तुम चादर ओढ़ लो कहीं वह अंदर आ गए तो!

देवराज: देवरानी...!

तभी ठक्क से देवरानी दरवाजा खोल देती है।

देवरानी: जी भैया!

देवराज के सामने मुस्कुराती हुई उसकी बहना खड़ी थी।

देवराज ऊपर से नीचे तक देवरानी को देखता है तो पाता है कि उसके अंग दिख रहे थे ।

देवराज अपना सर नीचे कर लेता है।

देवराज: क्षमा करना बहना, शायद तुम अभी तयार नहीं हुुइ हो!

देवरानी: भैया वह बलदेव को बुखार चढ़ गया था तो उसे पट्टी कर रही थी। अब वह ठीक हो गया है। मैं बस अभी त्यार हो कर अभी आई।

देवराज के पीछे खड़े बद्री और श्याम को देवरानी मुस्कुराते हुये पाती है और फिर वह भी सरा झुका कर मुस्कुराने लगती है।

देवराज: ठीक है आराम से तैयार हो जाओ!

देवरानी ये सुनते हे फटाक की आवाज से दरवाजा बंद कर देती है।

"आआह भगवानआज बचा लिया तूमने! शुक्रिया बहुत बहुत!"

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

खानदानी निकाह 01 मेरे खानदानी निकाह मेरी कजिन के साथ 01in Loving Wives
Royal Saga - Magic and Sex Pt. 01 A Royal saga, the prince take control over his mother.in Incest/Taboo
John's Rise Prince John gets married to a cousin from another land.in Incest/Taboo
My Mother the Stripper Man finds out that his biological mother is a stripper.in Incest/Taboo
Women of My Family Ch. 01 Anand loses his virginity to his wife.in Incest/Taboo
More Stories