महारानी देवरानी 070

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मामा के देवगढ़ राज्य में
1.3k words
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12
00

Part 70 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 70

मामा के गाँव में

देवरानी अपने भैया देवराज को बलदेव के बुखार होने का बहाना बना कर फट से दरवाजा बंद करती है और अपने कक्ष में बलदेव की ओर आ कर उल्हाना देती है ।

देवरानी: तुम ना एक ना एक दिन मरवा के रहोगे!

बलदेव पलंग पर लेटा हुआ अपनी माँ के हिलते दूध देख कर मस्ती करता है ।

बलदेव: माँ मरवाना तो राजपाल को है मैं तो एक दिन मार के रहूंगा।

देवरानी: उफ़्फ़!

बलदेव बात को संभालते हुए कहता है ।

बलदेव: क्या हुआ क्या कह रहे थे मामा जी?

देवरानी: भैया को लगा मैं इतनी देर से तैयार क्यू नहीं हुई इसलिए मैंने बता दिया कि तुमको बुखारआ गया था इसलिए नहीं हो पाई तय्यार!

बलदेव: तुम तो बड़ी तेज़ हो देवरानी अपने भैया को अच्छा बेवकूफ बनाया।

देवरानी: जाओ अभी तैयार हो जाओ मुझे भी तैयार होना है।

बलदेव: पर माँ तुम्हे ऐसे देख के मेरा जाने का दिल नहीं कर रहा है ।

देवरानी बलदेव के पास जा कर उसको धक्का दे कर स्नान घर में ढकेलती है।

थोड़ी देर में बलदेव सना इत्यादि कर त्यार हो कर आ जाता है।

देवरानी: जाओ बाहर में आती हूँ!

बलदेव: क्यू मेरे सामने तैयार नहीं हो सकती क्या?

देवरानी: उफ़ बलदेव जाओ ना बहुत सताते हो!

बलदेव: क्यू मुझे अपना पति नहीं मानती?

देवरानी: उफ़ हो! मानती हूँ पर हू तो एक स्त्री ही ना! मुझे शर्म आती है।

देवरानी बलदेव का हाथ पकड़ के दरवाजे के पास ले जाती है और दरवाजा खोल के बाहर धक्का देते हुए सामने बैठे बद्री या श्याम को कहती है ।

देवरानी: संभालो अपने मित्र को!

फिर देवरानी एक धक्का मार के बलदेव को कक्ष से बाहर कर देती है।

श्याम और बद्री एक साथ हसने लगते है।

बलदेव श्याम और बद्री के पास आते हुए कहता है ।

बलदेव: अरे तुम लोग तैयार हो गए!

बद्री: हाँ भाई. हम तो बस तुम दोनों प्रीमियो का इंतजार ही कर रहे हैं ।

श्याम, मित्र! भाभी माँ को ज्यादा तंग मत करो! नहीं तो, आज धक्का ही दीया है कल झाड़ू से मारेगी!

ये बात पर बद्री है देता है और उसका साथ श्याम भी देता है। बलदेव का मुँह छोटा-सा हो जाता है ।

बलदेव का छोटा-सा मुँह देख दोनों फिर से हंसने लगते हैं।

बलदेव: अरे रे! बना लो मज़ाक जितना बनाना है, प्रेमी को अपने प्रेमीका से मार खानी ही पड़ती है चाहे वह कितना ही बड़ा वीर योद्धा हो!

श्याम: अरे हम तो मजाक कर रहे हैं, आज हम देवगढ़ जा रहे हैं। सुना है वहा का बाज़ार बहुत बड़ा है।

बद्री: हाँ, बलदेव हम वह खरीददारी भी करेंगे।

बलदेवःहाँ आवश्य मित्रो आवश्य करना! ये मामा कहा गये?

बद्री: वह तुम दोनों का इंतजार कर केआखिर में थक के बाहर चले गए ।

थोड़ी देर बाद वहाँ देवराज आ जाता है।

देवराज: बच्चो आज बाते ही करोगे या चलोगे भी? हमें आज ही वहा से वापस भी आना है।

बलदेव: हाँ जा मामा अब हमें निकलना चाहिए ।

देवराज: तुम्हारी तबीयत अब कैसी है भांजे?

बलदेव: अब ठीक है!

देवराज: देवरानी कह रही थी कि तुम्हें बुखार होने के कारण समय लग गया और वह त्यार नहीं हो पाई ।

ये बात सुन के दोनों बद्री और श्याम अपना सर नीचे कर के मुस्कुराने लगे और किसिस प्रकार अपनी हंसी उन्होंने रोक ली।

बलदेव श्याम और बद्री को अपने आखे दिखाते हुए उन्हे इशारा करता है कि वह ऐसी कोई हरकत ना करे।

तभी सामने से दरवाजा खुलता है और देवरानी सजी धजी बाहर आती है ।

चारो मर्द वहा खड़े खड़े सिर्फ देवरानी को निहारने लगे।

देवरानी: क्या हुआ सब बूत बने क्यू खड़े हो? अब चलो भी ।

देवराज: चलो बहना । बुखार के लिए बलदेव को औषधि की आवश्यकता तो नहीं है?

देवरानी एक कातिल मुस्कुराहट के साथ।

देवरानी: भैया वह मैंने इसे आज का ख़ुराक दे दी है।

बलदेव् देवरानी के दूध की ओर देख कहता है ।

बलदेव: हाँ मामा! औषधि बहुत मीठी थी।

बलदेव की नज़र भांप कर देवरानी अपनी साडी से अपने वक्ष को छुपाने की कोशिश करती है और लज्जा कर, मुस्कान के साथ अपना मुँह दूसरी ओर घुमा के कहती है ।

देवरानी: चलिए भैया हमें जाना चाहिए!

चारो बाहर निकलते हैं।

बाहर शमशेरा अपनी तलवार से खेल रहा था।

शमशेरा: पूरी हिंद की फौज कहा जा रही है?

देवराज: सोचा आज बहना को देवगढ़ घुमा लाये!

शमशेरा: ठीक है देवराज जी शाम तक वापस आ जाईयेगा ।

देवरानी: ठीक है बेटा!

शमशेरा: ख़ुदा हाफ़िज़ ख़ाला!

सब अपने-अपने घोड़े पर बैठ जाते हैं और देवराज सबसे आगे अपने घोड़े को भगाना शुरू करता हैं,

और उसके पीछे-पीछे सब अपने-अपने घोड़े से देवराज के पीछे जाने लगते हैं।

चारो जंगल और फिर कई बस्ती के बीच से होते हुए, एक छोटे से महल पर जा कर अपने घोड़े को रोकते हैं।

देवरानी अपने घर को देख बहुत खुश थी, उसकी आँखों से आसु टपकते हैं।

देवरानी अपने घोड़े को बद्री को बाँधने के लिए कहती है ओर वह सीधा अपने घर में जाती है।

देवरानी: बलदेव यहीं वह घर है यहीं वह गाँव है जहाँ हम पले बढ़े हैं, यहाँ की मिट्टी की सुगंध ही निराली है बेटा!

देवराज: चलो बहना दरबार में चले!

देवराज दरबार की ओर जाता है अनेको सैनिको की आवाज लगती है और सब आकर देवराज की जय जयकार करने लगते हैं।

अनेक मंत्री आकर देवराज से बात करते हैं और देवराज सब से बात चीत करने लगते हैं ।

देवराज, उनके सेनापति और मंत्री अपने सिंहासन पर जा कर बैठ गए ।

"महाराज देवराज की जय हो"

देवराज के आसन के बगल में देवरानी और उसके साथ बलदेव बैठता है ।

देवराज के बायी तरफ बद्री तथा श्याम बैठते है।

देवराज: प्रिया देवगढ़ वासियो! आज बरसो बाद हमारी बहन देवरानी और भांजा बलदेव आये है।

देवराज उनकी और इशारा कर के बताता है और ये हैं मेरे भांजे के मित्र राजकुमार बद्री और श्याम!

मंत्री: देवगढ़ में आप सब का स्वागत है!

सब उपस्थित जान उत्साह से जयजयकार करते हैं ।

"रानी देवरानी की जय हो।"

' राजकुमार बलदेव की जय हो! "

' राजकुमार बद्री की जय हो! "

' राजकुमार श्याम की जय हो! "

मंत्री: महाराज, मैं तो रानी को पहचान हीं नहीं पाया!

देवराज: इतने बरसो बाद आई है ना!

मंत्री: सैनिको इन सब के लिए जलपान का इंतज़ाम करो!

देवराज: मंत्री जी हम आज ही लौट जायेंगे! देवरानी और बच्चे एक दिन से सुल्तान के महल में ही रुके हुए हैं।

मंत्री: ये क्या बात हुई महाराज आज रानी साहिबा आयी और आज ही...!

देवराज: तुम्हें तो पता है ना यहाँ सिर्फ मैं हूँ हमारा कोई नहीं, कोई परिवार नहीं! तो देवरानी यहाँ कैसे रह पायेगी वहा पर सुल्तान का परिवार है!

देवराज ये कहते हुए आखे नम हो जाती है।

मंत्री: ऐसा कह के हमें पराया ना करे महाराज! देवगढ़ का हर एक सैनिक हर एक व्यक्ति आपके साथ था और सदा रहेगा!

देवरानी: मैं हूँ ना आपका परिवार भैया!

मंत्री: महाराज, क्या हुआ युद्ध टला नहीं?

देवराज: तुम सुल्तान को तो जानते हो और हम उनकी सुरक्षा में ही हैं और मुझे ना चाहते हुए भी अपने राज्य के लोगों की सुरक्षा के लिए युद्ध करना पड़ता है।

देवरानी: भैया आप बात कीजिए, मैं बच्चों को महल दिखा देती हूँ ।

देवरानी उठती है । उसके साथ बद्री और श्याम भी उठ कर देवरानी के पीछे आने लगते हैं।

देवरानी: कैसा लगा बलदेव हमारा घर, तुम्हारे नाना का घर?

बलदेव: सुन्दर मा, बहुत सुंदर!

बद्री: भाभी मां! पर मामा सुल्तान का साथ देते हैं!

देवरानी ये सुन कर अपनी भो ऊपर कर के बद्री को एक टक देखने लगती है।

बलदेव मस्कुराते हुए कहता है ।

बलदेव: घबराओ नहीं माँ मैंने कहा था ।

देवरानी गुस्से से -"क्यू मैंने मना किया था ना ऐसे बोलने के लिए!"

बलदेव: माँ वो...!

देवरानी: बद्री मुझे माँ या मौसी ही बोलो!

बलदेव: नहीं वह भाभी, ही कहेगा मेरा भाई है वो!

ये सुन कर श्याम और बद्री हंसते हैं, देवरानी चिड़ के बलदेव पर झपटती है।

बलदेव भागता है तो देवरानी उसके पीछे भागने लगती है।

बलदेव आख़िर कर एक कमरे में घुस जाता है देवरानी भी उसके पीछे वहाँ जाती है ।

"आज तुम्हें छोड़ूंगी नहीं!"

जारी रहेगी

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