बरसात की रात बॉस के साथ

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बरसात की रात में बॉस के साथ प्यार करना
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मैंने काफी दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद एक कंपनी को ज्वाइन किया। कंपनी की बॉस एक महिला थी। काफी दिन तक बेरोजगार रहने के कारण मेरा आत्मविश्वास काफी कम हो गया था। मुझे हर समय यही डर लगा रहता था कि कही कोई गल्ती होने के कारण नौकरी ना चली जाये। धीरे-धीरे काम में मेरा मन लग गया। बॉस भी मेरे काम से खुश नजर आती थी। मेरे से उन का व्यवहार भी कुछ अलग सा था। यह एक सामान्य नौकर और मालिक के बीच का व्यवहार नहीं था। मुझे कुछ-कुछ समझ आता था लेकिन विवाहित होने के कारण मैं किसी और की तरफ लगाव जाहिर नहीं करना चाहता था। यह डर भी मन में था कि कहीं नौकरी पर ना बन आये।

इसी सब के बीच में एक दिन ऑफिस में शाम को बॉस का फोन आया कि आप निकलने से पहले मुझ से मिल कर जाये। बॉस के कमरे में गया तो उन्होनें कहा कि आज आप मेरे साथ शॉपिग करने चल रहें है देर हो जायेगी इस लिये घर पर इन्फार्म कर दे। आदेश का पालन तो करना ही था। शाम को अपनी गाड़ी बॉस के घर पर खड़ी कर के बॉस के साथ मॉल चल गया।

मेरी बॉस का नाम मिस शोभा है। देर रात तक शाँपिग करने के बाद जब बॉस के घर लौट रहे थे तो आकाश पर काले घनघोर बादल छा रहे थे, रूक रूक कर बिजली कड़क रही थी। जब तक उन के घर तक पहुचें बारिश जोर से होने लगी थी। गाड़ी पार्किग में खड़ी कर के बॉस के पेंट हाऊस में लिफ्ट से पहुँचें। घनघोर बारिश और बिजली के कड़कने की आवाज चारों तरफ गुंज रही थी।

घर में घुसते ही सामान रख कर बॉस बॉलकनी में बारिश में नहाने चली गई। मैं उन्हें बारिश में नहाते हुये निहार रहा था तभी उन्होंने आ कर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी बारिश में खिच लिया। हम दोनों बारिश का मजा ले रहे थे। बारिश की बुंदे हम दोनों के शरीरों पर तेजी से पड़ रही थी। तेजी के बावजुद बारिश में भीगना अच्छा लग रहा था। मैं मुग्ध हो कर अपनी बॉस को देख रहा था। पानी से भीगने के कारण उनकी साड़ी शरीर से चिपक गई थी।

उनके शरीर के सारे उतार चड़ाव स्पष्ट दिखायी दे रहे थे। मेरी हालत बड़ी पतली हो रही थी। मैं उनके शरीर को देखना तो चाहता था लेकिन शर्म के कारण कही ओर देख रहा था। शायद ये बात उन्होंने नोट कर ली। उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और कहा कि बारिश का मजा लो। फिर हम दोनों काफी देर तक युही बारिश में भीगते रहें। थक जाने के बाद मैडम बोली चलो अब नहा कर कपड़ें बदल लेते है।

उन्होनें एक तोलिया मेरे हाथ में दे कर बाथरुम का दरवाजा खोल दिया। मैं बाथरुम में घुस तो गया लेकिन यह समझ में नही आ रहा था कि नहाने के बाद कपड़ें कौन से पहनुगाँ? बाथरुम में अच्छे से नहाया और अपने गीले कपड़ें साफ पानी से निथार कर रख दिये। तोलिये से शरीर को अच्छी तरह से पोछा और उस को लपेट कर ही बाथरुम से बाहर निकला। बाहर आ कर देखा कि वह मेरे लिए कपडे़ं ले कर खड़ी थी।

कपड़ें मेरे हाथ मे दे कर बोली कि मेरा ट्रेक सुट तुम्हारे ठीक आ जायेगा। मैं उसे लेकर फिर से बाथरुम में चला गया और मैंने जब ट्रेक सुट पहना तो वह मेरे साइज का निकला। बाहर आया तो मुझे देख कर वह बोली की मैं इन गिले कपड़ों को ड्रायर में डाल कर सुखा देती हूँ।

वापस आ कर वह बोली, बड़ी सर्दी लग रही है क्या लोगे कॉफी या व्हिस्की? मैंने कहा कि व्हिस्की ही ठीक रहेगी। वह दो गिलासों में व्हिस्की डाल कर ले आई। हम दोनों सोफे पर बैठ कर सिप ले रहे थे वह मेरे सामने वाले सोफे पर बेठी थी। अचानक वह उठ कर मेरी बगल में आ कर बैठ गई। उनके नजदीक बैठने के कारण मेरे शरीर में गरमी बढ़ गई थी। शराब का भी शरुर चढ रहा था। थोड़ी देर के बाद वह सरक कर मेरे और करीब आ गई। उनके शरीर की मादक सुगंध मेरे नथुनों में घुसी जा रही थी। उन्होनें अपना एक हाथ मेरे पीछे से ले जा कर कन्धे पर रख कर मुझे अपने करीब खींच लिया।

एक तो नशा और दुसरे औरत का साथ मेरे तो होश उड़ गये थे। समझ नही आ रहा था कि कैसे रियेक्ट करुं? इस की जरूरत ही नही पड़ी, उनके होंठ मेरे गालों से चिपक रहे थे। अब जो होना है वो तो होगा ही।

हम दोनों के होंठ एक-दूसरें के साथ चिपक गये। मैं मैडम के मीठे लबों का स्वाद लेने लगा। थोडी देर में ही मैडम की जीभ मेरे मुँह में घुस गयी। मैंने भी उसे चुसना शुरु कर दिया। हम दोनों की गरमी बढ़ने लगी। मैडम ने मुझ से कहा कि बेडरुम में चलते है। मैंने उन्हें अपनी बाँहों में उठाया और बेडरुम की तरफ चल दिया।

बेडरूम में जा कर उन को बेड पर लिटा दिया। काफी बड़ा बेड था। मैं भी उन की बगल में लेट गया, तभी वह पलटी और मेरे ऊपर आ गई। उन की गोलाईयां मेरे सीने में दबी जा रही थी। उन के जिस्म की गरमी मेरे शरीर को भी गरमा रही थी। शरीर की खुशबु से नशा सा होने लगा था। उन के दोनों हाथों ने मुझे जकड़ लिया। उन के होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। हम दोनों एक दुसरें के लबों का स्वाद लेने लगे।

ये शराब का नशा था जिस के कारण मेरी सारी झिझक खत्म हो गई थी। मैं अब इस खेल को बेझिझक खेल रहा था। मैंने अपनी जीभ से उन के कानों के किनारों को चाटना शुरु किया जिस से उन की उत्तेजना और बढ़ गई। वह मेरे चेहरे को चुमने लगी। मैंने उनकी गरदन पर गहरे चुम्बन लेना शुरु कर दिया। वह भी ऐसा ही करने लगी। हम दोनों एक-दुसरें को बेतहाशा चुमने लगें।

मैंने अपने होंठों को उन के होंठों से हटा कर कानों की नोकों को चुमना शुरु कर दिया। कानों के बाद मेरे होंठ उन की सुराहीदार गरदन पर उतर गये। गरदन को अच्छी तरह से चुमने के बाद मैंने गरदन के नीचे के हिस्से पर ध्यान देना शुरु किया। उत्तेजना के कारण उन के उरोज जोर-जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे। मेरे होठ उरोजों के मध्य में चुम्बन लेने लगे। गहराई में जाने का लालच था।

मैंने एक हाथ से उनकी जैकेट की जिप पकड़ कर नीचे की ओर कर दी। जैकेट के नीचे उन्होनें कुछ नही पहना था। दोनों गोरे उरोज तने हुए सामने थे। उत्तेजना के कारण उन के निप्पल भी तने हुए थे। गहरे भुरे रंग के निप्पल आधा इंच से ज्यादा बड़े हो गये थे। मैंने एक को अपने होठों के बीच ले कर चुसना शुरु किया, तथा दूसरें को उँगलियों के बीच ले कर मसलना शुरु किया।

उन के मुँह से सिसकियां निकलनी आरम्भ हो गई। उन को सुन कर मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी। काफी देर तक मैं दोनों निप्पलों को अदल-बदल के चुसता, मसलता रहा। बॅास की सिसकियां बढ़ती जा रही थी। मैंने जैकेट की जिप को पुरा खोल कर जैकेट को उतार दिया। अब मेरे सामने बॅास का कमर से ऊपर का हिस्सा नंगा पड़ा था, मेरे हाथ उनके उरोजों को मसल रहे थे।

एक उरोज को मैंने अपने मुँह में पुरा भर कर चुसना चाहा, मेरी इस कोशिश से उन की सांसें गरम हो गई। उन्होनें मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरे सिर को अपने सीने से सटा लिया।

मेरा ध्यान अब उन की पतली कमर पर गया। मेरे होंठों ने नाभि के चुम्बन लेने शुरु कर दिये। उन का पुरा बदन उत्तेजना के कारण कांप रहा था। मेरा एक हाथ उनके पायजामे के ऊपर से ही जाँघों के बीच के हिस्से पर पहुँच गया। यह हिस्सा ऊभरा हुआ, तना था। मैंने उँगलियों से उसे कपड़े के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया। मेरे होंठ पायजामे के नाड़े पर पहुँच गये थे।

नाभि से नीचे के ऊभरे हुए हिस्से को चुमने लगे। थोड़ी देर तक यह खेल यु ही चला, मैडम के कुल्हें हिल रहे थें। मैंने हाथों से पायजामे का नाड़ा खोल कर उसे कुल्हों से नीचे कर दिया, अब तो जन्नत मेरे सामने थी। ऊपर की तरह ही नीचे भी उन्होनें कुछ नही पहना हुआ था। बिना बाल की उभरी हुयी योनि गुलाबी होठों के साथ मेरी नजर के सामने आ गयी।

मैंने वासना से ग्रस्त हो होंठों से उसे छु लिया। उभार होने के कारण आधी योनि मेरे सामने थी, तथा आधी जाँघों के बीच छुपी थी। मेरे होंठों से योनि छुने से उन की टांगे कांपने लगी। मेरे होठ की नोक योनि के गुलाबी होठों के बीच के गुलाबी भाग को छुने के लिए योनि में घुस गई।

मेरी ऊपर की जैकेट तो वह पहले ही उतार चुकी थी। उन के होंठों नें मेरे निप्पलों से अठखेलियां करना शुरु किया। उन को काटना शुरु किया। अब मेरी सिसकियां निकलने लगी। मैंने और जोर से उस की योनि को चाटना शुरु किया। उन्होंने अपनी दोनों टागों को मेरे सर के ऊपर कस लिया। मेरा मुँह उन की योनि के ऊपर चिपक गया। जीभ योनि की गहराई में उतर गयी। वहाँ नमकीन पानी नें उसका स्वागत किया। मुझें इस में मजा आ रहा था।

उन्होंने मेरी टागों को अपने सिर के ऊपर कर लिया, मेरे ट्रेक पेंट को खींच कर उसे कुल्हों से नीचे खिसका दिया। मैंने भी नीचे कुछ नही पहना था। मेरे सारे कपड़ें बारिश में भीग गये थे। मेरी ब्रीफ भी भीग गई थी। अब उन के सामने मेरा लिंग पुरी ताकत से तना खड़ा था। उस पर पुरा तनाव था। पहले तो उन्होंने हाथों से हल्के से उसे सहलाया, फिर कस कर मसलना शुरु किया। थोड़ी देर बाद लिंग के सुपाड़े पर गरम होंठों की गरमाहट आने लगी।

मेरे शरीर का सारा खुन लिंग की तरफ दौड़ने लगा। बॉस मेरे लिंग के मुँख को धीरे से मुँह मे लेकर लॅालीपॅाप की तरह चुसने लगी। मेरे कुल्हें उत्तेजना की वजह से ऊपर नीचे हो रहे थे। हम 69 की पोजिशन में लगे हुए थे। पहले मैं उन के मुँह मे डिस्चार्ज हो गया, इसके बाद वो भी डिस्चार्ज हो गई। हम दोनों ने एक-दूसरे के द्रवों का स्वाद ले लिया था। इस कारण से हमारी उत्तेजना में थोड़ा ठहराव सा आ गया।

मेरे लिंग में तनाव कुछ कम तो हुआ था लेकिन वह तना हुआ था। मैंने फिर से सीधे हो कर बॅास को चुमना शुरु कर दिया। दूसरी तरफ से भी जवाब मिलना शुरु हो गया। उन के होंठ मेरे स्तनों पर अपनी छाप लगाने लगे। मैंने भी उन के स्तनों पर अपने होंठों से छाप लगाना शुरु कर दिया। गरमी दोनों तरफ से बढ़ने लगी। मैंने अपने हाथों से उन की पीठ को सहलाना शुरु किया और मेरी हथेलियां कमर से नीचे गहराई में उतर गई।

दोनों उभारों के मध्य की दरार में नीचे जा कर योनि पर पहुँच गई। मेरे होंठों ने भी नीचे उतर कर जाँघों की मांसलता को नापने के बाद मुलायम पंजो को चुमा। बॅास ने करवट बदल कर मेरे को अपने से चिपका लिया, ये इस बात का इशारा था कि अब देर ना करुं। मैंने भी इशारे को समझ कर अपनी पोजिशन उन के जाँघों के बीच कर ली। उन के दोनों पेरों को अलग कर के मैं बीच में आ गया।

मैंने उन की योनि में उंगली डाल कर देखने की कोशिश की कि क्या वह संभोग के लिए तैयार है, उंगली गीली थी। आग दोनों तरफ पुरे जोर से लगी हुई थी। मैंने अपने लिंग के सुपारे को योनि के मुँह पर रख कर अन्दर डालने के लिए धक्का लगाया, योनि कसी हुई थी, पहले प्रयास में सफलता नही मिली, तब तक उन्होनें अपने हाथों से सहारा दे कर लिंग के सुपारे को दूबारा योनि के मुँह पर लगाया। मैंने फिर से जोर लगाया, इस बार सुपारा योनि में घुस गया। उन के मुँह से आहहहह उहहह उईईईईईईईई की आवाज निकली। मैं एक पल के लिए रुका लेकिन बॅास ने नीचे से कुल्हों को उछाल कर लिंग को पुरा अन्दर ले लिया। मैंने भी जोर लगा कर उसे पुरा अन्दर पेल दिया। एक बार फिर आह ओहहहह उहहहहह की आवाजें कमरे में भर गई।

अब मैंने पुरे जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया मेरे कुल्हें तेजी से ऊपर नीचे होने लगे। लिंग पुरा बाहर आ कर फिर पुरा अन्दर जा रहा था। योनि के मुँह पर जोर से धक्का लग रहा था, उन्होनें भी नीचे से अपने कुल्हें उछाल कर मेरा साथ देना शुरु कर दिया। फच फच की आवाज कमरे में भर गई। ठंड़ में भी दोनों के शरीर पसीने से भीग गये थे। पांच मिनट तक ऐसा होता रहा, इसके बाद मैंने करवट बदल कर अपने को नीचे कर लिया।

अब मैं अपनी पीठ के बल लेटा था और वह मेरे ऊपर थी, अपनें कुल्हों को उछाल कर धक्के लगा रही थी। मेरे सामने उनके उरोज हिल रहे थे मैंने एक के निप्पल को होंठों के बीच ले लिया। उन की सिसकी निकल गई। तीन-चार मिनट के बाद वह थक गयी, मैंने बैठ कर उन को अपने लिंग पर बिठा लिया। इस से लिंग पुरा योनि के अन्दर चला गया। शायद बच्चेदानी के मुँह तक पहुँच गया। उन की टागें मेरे कुल्हों के ऊपर से जा कर पीछे कस गई थी।

बॉस की बांहें मेरे गले में पड़ी थी। मुँह से कराह की आवाज निकलने लगी। मेरे को एक बात परेशान कर रही थी कि अपनी पत्नी के साथ तो मैं दो तीन मिनट से ज्यादा नही टिक पाता, लेकिन आज तो पन्दह मिनट बीत गये थे लेकिन रुकने का नाम ही नही ले रहा था। इस का कारण शायद मेरी बीवी का सेक्स में रुचि ना लेना है। इस आसन में मुझे बहुत आनंद आ रहा था, लेकिन उन को शायद दर्द हो रहा था इस लिए मैंने उन्हें उतार कर पेट के बल लिटा दिया और उन के कुल्हों को ऊँचा कर के योनि में लिंग को डाल दिया।

इस में भी उन को दर्द हो रहा था लेकिन इस में उन्हें मजा भी आ रहा था। थोड़ी देर बाद वह बोली की मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ मुझे सीधा करो, मैंने लिंग को निकाल कर उन को पीठ के बल लिटा कर फिर से लिंग को योनि मे डाल दिया, दो चार धक्कों के बाद ही मेरे लिंग के सिरे पर गरम-गरम द्रव के बौछार होने लगी, वह डिस्चार्ज हो गयी थी, उन के दोनों पैर मेरी कमर के ऊपर लिपट गये।

मैं अभी भी धक्कें दे रहा था, मेरे को भी अपने डिस्चार्ज होने का इन्तजार था। धीरे-धीरे मेरे शरीर मैं भी अजीब सा तनाव हो गया और मैं पुरे शरीर को एक सीध में तान कर धक्के लगाने लगा,

आहहह हहहहहहहह उहहहहहह उहहहहहह आहहहहह.............

तभी मेरी आँखों के सामने तारे नाचनें लगे, मेरे लिंग में से भी वीर्य निकल गया। काफी दिनों से मैंने भी संभोग नही किया था इस लिए मेरे वीर्य के निकलने में मेरे को भी बहुत दर्द हुआ। कुछ पल को चेतना चली सी गई। मैं उन के ऊपर ही पसर गया।

कुछ देर के बाद चेतना आने पर मैं उन के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया।

डिस्चार्ज होने का ऐसा आनंद मैंने काफी समय के बाद लिया था। हम दोनों चुपचाप पड़े थे। वासना का तुफान गुजर गया था, बुद्धि ने अपने को जगा लिया था। अपनी बॅास के साथ संभोग करने के बारे में दिमाग सोच रहा था।

क्या सोच रहें है? उन की आवाज ने सन्नाटे को तोड़ा,

यही ना कि यह क्या हो गया, बॅास के साथ प्यार?

मेरे को आश्चर्य हुआ कि वे मेरे मन की बात कैसे जान गई?

हाँ

मैं तुम्हारे मन की बात समझ जाती हूँ इतना जानती हूँ तुम्हें

मुझे पता नहीं था

इसी को प्यार कहते है, जो तुम जानबूझ कर समझ नही रहे हो, मेरे व्यवहार को अभी तक क्यों नही समझ सके या समझना नही चाहते?

मैंने कहा कि शायद मेरा मन कुछ समझता है लेकिन बुद्धि कुछ और समझती है। मेरी हालत तो आप जानती है?

क्या आप-आप क्या लगा रखी है, अब तो मुझे मेरे नाम से पुकारना शुरु कर दो, किस बात का डर है?

किसी का डर नही है, शायद पद की मर्यादा का ध्यान रहता था।

अब तो किसी बात का भेद नही रह गया है, हम तुम एक हो गये है

हां भेद तो नही रह गया है

प्यार तो पवित्र है, डर किस बात का है, समाज का या कुछ और?

किसी का नही सिर्फ मन की बात थी।

वह भी सुलझ गयी है।

मैंने आज अपने आप को तुम्हे सौप दिया है, मैं अब तुम्हारी हो गई हूँ और तुम मेरे हो गये हो

तुम्हारा हर गम अब मेरा है, मेरी हर खुशी तुम्हारी है

हाँ

तुम तो कम नही बोलते थे?

इस बारे में कम या ज्यादा नही बोल सकता, समझता तो मैं था लेकिन उसे मानना नहीं चाहता था, तुम ने उस झिझक को तोड़ दिया है

अब तो कोई भेद रह ही नही गया है, अब तो इसे छुपा कर रखना होगा।

ऐसा हो नही पायेगा, यह ज्यादा दिन तक छिप नही सकता है

देखते है कब तक चलेगा?

तुम मेरे साथ तो ज्यादा बोलना शुरु करो

तुम तो मेरे बिना बोले ही जान लेती हो

लेकिन तुम्हारें मुँह से सुनने में अच्छा लगता है,

ओके

तुम तो रुक ही नही रहे थे

इस बात का तो मुझे भी आश्चर्य है, क्योकि घर पर तो ऐसा नही हुआ है। शायद तुम्हारें साथ की वजह से ऐसा हुआ है। और कोई कारण तो समझ में नही आ रहा है। इतना लम्बा टिकना तो आज तक मेरे साथ नही हुआ।

एक बार तो मुझे लगा था कि मुझे तुम्हें जबरदस्ती ऊपर से उतारना पड़ेगा। मेरी जान निकल रही थी। नीचे दर्द के बुरा हाल है। फिल्मों में ही इतनी देर तक होते देखा था।

सेक्स मे दोनों पार्टनरों के बीच की गरमजोशी इस के लिए जिम्मेदार हो सकती है। 5 मिनट टिकने की जाने कितने दिनों की इच्छा थी। लेकिन हो ही नही पाता था। आज तो रिकार्ड ही टूट गया है।

मेरा तो पहला सा ही अनुभव था। तुम तो शादीशुदा हो, नियमित सेक्स करते होगे?

शायद तीन-चार महीने बाद या अब मैंने दिन गिनना ही बन्द कर दिया है

ऐसी क्या बात है?

उस को रुचि ही नही है, शादी से ही यही समस्या थी, सारा जीवन बेकार हो गया। कुछ सालों से तो मेरे को अपने से ही घृणा हो गई है।

यह तो बहुत बुरी बात है

है तो सही लेकिन आप मन मारना सीख जाते है, मैंने भी जीना सीख लिया है, सेक्स के बिना। पता है आज पहले तो बहुत डर लग रहा था कि तुम क्या सोचोगी।

किस लिए?

देर तक ना टिकने के लिए?

उस की तो कोई चिन्ता ही नही थी।

प्यार इतना उथला नही है। सेक्स तो उस का एक हिस्सा भर है।

शायद आज तुम तनाव मुक्त थे इस लिए ऐसा हुआ। तनाव किसी भी चीज को बुझा देता है

हम दोनों को एक दूसरे से ज्यादा उम्मीदें जो नही थी

मेरे भी तो दर्द हो रहा है। लेकिन अच्छा भी लग रहा है। तुम्हारा क्या हाल है?

मेरा तो अजीब हाल है, दर्द भी मज़ा दे रहा है। कुल्हों की बेंड़ बजी हुई है। तुम ने हर जगह काटा है, यह तो तुम्हारा नया रुप है मेरे लिए

अच्छा है या बुरा?

मेरे लिए तो बढि़या है। मेरी तो लॅाटरी निकल आयी है। भुख लग रही है कुछ खाओगे।

हाँ, जोरदार भुख लग रही है, लेकिन इतनी रात को खाना कहाँ से आयेगा?

मैंने पहले से ही इन्तजाम कर रखा है। गरम करना पड़ेगा।

पहले उठ कर अपने को साफ तो कर लें। नीचे सारा गिला और चिपचिपा हो रहा है

हाँ चल कर बाथरुम में साफ कर लेते है

हम दोनों बाथरुम गये और पानी से लिंग और योनि को अच्छी तरह से साफ किया और पौंछ कर सुखा लिया। उस के बाद कपड़ें पहन कर किचन में आ गये। वहाँ फ्रिज से खाना निकाल कर माइक्रोवेव में रख कर गरम किया और प्लेटों में लगा कर बेडरुम में वापस आ गये। कमरें में रखे मेज पर प्लेट रख कर सोफे पर बैठ गये। वह बोली कि मैं पानी ले कर आती हूँ, यह कह कर वह दूबारा किचन की तरफ चली गयी।

एक प्लेट में दो कांच के गिलास और पानी का जग ले कर आ गयी। हम दोनों एक साथ बैठ कर खाना खाने लगे, बड़े जोर की भुख लगी थी। खाना खाते में वह बोली कि अब तक तुम मेरी किसी बात का जबाव क्यों नहीं देते थे? मैंने कहा कि क्या जवाब देता? कि मैं विवाहित होने के कारण आपके स्नेह का पात्र नहीं हो सकता? मेरा मन तो जवाब देना चाहता था लेकिन डर लगता था कि इस के बाद क्या होगा? क्या नौकरी तो नहीं चली जायेंगी।

ऐसे ही कई प्रश्नों के कारण बुद्धि जबाव देने से रोक देती थी। मन को किसी के प्यार की चाहत तो थी लेकिन उस की वास्तविकता पर विश्वास नहीं हो पा रहा था। मेरी बात सुन कर वह बोली कि तुम्हें जब पहली बार देखा तो लगा कि यह व्यक्ति दूसरों से अलग क्यों लग रहा है? बातचीत, व्यवहार और कुशलता में कहीं कोई कमी नहीं तो इसे आज तक सफलता क्यों नहीं मिली? ऐसे ही सैकड़ों सवाल मन में घूमड़ रहें थे, लेकिन चली मन की उस ने कहा कि इस पर विश्वास किया जा सकता है सो जैसा मन ने चाहा मैनें वैसा ही किया।

पहले कई बार विश्वास टूटा था इस लिये मेरे लिये भी दूबारा किसी पर विश्वास करना बहुत कठिन था, लेकिन सब कुछ अपने आप होता गया। तुम नें अपने काम, व्यवहार से ऑफिस में सब को अपना मुरीद बना लिया। मेरे मन को विश्वास हो गया कि इस बार मेरी तलाश पुरी हो गई है। इसी लिये मैंने तुम्हें अपने साथ लिया। तुम्हारी देखभाल करनी शुरु की, इस में मुझे सन्तोष मिलने लगा तो और कुछ सोचना छोड़ दिया।

अब जो होना होगा वह हो कर रहेगा। तुम्हारी सारी परेशानियाँ मैं समझती हूँ, लेकिन मेरा मेरे मन पर जोर नहीं है। तुम भी लगता है प्यार के प्यासे हो, दो प्यासें ही एक-दूसरे का हाल समझ सकते है। हम तुम ऐसे ही एक दूसरे के साथ रह सकते है। लोगों से मुझे डर नहीं लगता। लोगों का क्या है वह तो कुछ ना कुछ कहतें ही रहते है। लोगों के लिये अपना जीवन क्यों जीना छोड़ दे? मैं चुप चाप उन की बातें सुनता रहा, फिर धीरे से अपना हाथ उन के हाथ पर रख कर उन को दिलासा दी। मैंने कहा कि दिल मिल जाते है तो सब बातें बेकार हो जाती है, मुझे भी तुम्हारा लगाव महसुस हो रहा था लेकिन मुझे उस का उत्तर देने में संकोच हो रहा था।

आज तुम नें उस संकोच को तोड़ दिया है अब कोई चिन्ता की बात नहीं है। मेरी बात पर उस ने अपना सिर मेरे कंधें पर टिका दिया। मैंने उन की पीठ हाथ से थपथपा कर खाना खत्म करने को कहा। वह खाना खाने लगी। खाने के बाद हम दोनों वहीं बैठ कर बातें करतें रहे। रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी लेकिन हम दोनों की आँखों में नींद का निशान नही था। इस के बाद हम दोनों बेड पर सोने के लिये लेट गये। वह फिर से मेरी छाती पर सिर रख कर लेट गयी। मैं उन के रेशमी बालों को हाथ से सहलाता रहा। पता नहीं कब हम दोनों उसी अवस्था में सो गये।

सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा कि वह अब भी मेरी छाती पर सर रख कर सो रही थी, सोते समय बहुत मासुम लग रही थी मैंने झुक कर उन का माथा चुम लिया। इस से उन की आँख खुल गयी। लेकिन वह ऐसे ही पड़ी रही और बोली कि इस से काम नहीं चलेगा। मैंने गरदन झुका कर उन की दोनों आँखों को चुम कर अपने होंठ उन के होंठों पर रख दिये। उन की बांहें उठ कर मेरी गरदन से लिपट गयी। हम दोनों लम्बें चुम्बन में लग गये। जब सांस फुल गयी तब जा कर अलग हुये लेकिन इस बीच में दोनों के शरीर में प्यार की अग्नि प्रज्वलित हो गयी।

उस का शमन जरुरी था। दोनों एक दूसरे की बगल में लेट कर एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे। जब इस से मन नहीं भरा तो दोनों नें अपने कपड़ें उतार फैकें। इस के बाद तो दोनों के होंठ एक दूसरे के बदन का स्पर्श और स्वाद चखने में मस्त हो गये। इस के कारण दोनों के शरीर में वासना पूरी तरह से भड़क गयी। मैं उन के उरोजों का रसपान कर रहा था, तो वह अपने होंठों से मेरी गरदन को चुम रही थी इस के बाद उन्होनें मेरे कंधें पर अपने दांत गड़ा दिये।

मैं नीचे खिसक कर नाभी को चुमने लगा तो उन्होनें मुझे तकिये के सहारें लिटा कर उठ कर मेरे मुख पर बैठ गयी। उन की योनि मेरे मुँह पर थी सो मेरे होंठ उस को चुमने लगे। लेकिन वह तो इससे अधिक की चाहत रखती थी सो मैंने योनि के होंठों को अलग करके अपनी जीभ उस के अंदर कर दी मेरी जीभ योनि की गहराई में उतर गयी, और उस के अंदर के द्रव का स्वाद लेने लगी। वह अब अपने कुल्हें हिला कर आगे पीछे कर रही थी।

मैं भी इस अवसर को छोड़ना चाहता था सो जीभ निकाल कर योनि की भग को चुसना शुरु किया और एक उंगली योनि में डाल दी। फिर उस के द्वारा जी-स्पाट को सहलाना शुरु कर दिया। इस की वजह से होने वाली उत्तेजना के कारण उन से खड़ा नहीं रहा जा रहा था वह उत्तेजना के कारण हिल रही थी। उन के शरीर का कंपन बढ़ता जा रहा था मेरी उत्तेजना भी बढ़ गयी थी लिंग पुरे तनाव पर आ चुका था। तभी वह स्तखलित हो गयी और पानी की धार मेरे चेहरे पर पड़ी मैं भी उसे चाटने लग गया।

मुझे लगा कि अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं है सो उन्हें पीठ के बल लिटाया और उन के अंदर प्रवेश किया। लिंग को किसी भी प्रकार का प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा अंदर पानी ही पानी भरा था सो वह आराम से गहरायी में उतर गया। पुरा अंदर जाने की वह कसमसाई शायद लिंग ने बच्चेदानी के मुँह पर टक्कर मारी थी। मैं पुरे जोर शोर से धक्कें लगा रहा था। उत्तेजना की वजह से वह अपनी गरदन इधर-उधर पटक रही थी लेकिन यह आनंद के कारण था। काफी देर तक धक्कें लगाने के कारण मैं थक गया सो उन के ऊपर से उतर गया।

अब वह मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से लिंग को योनि में डाल लिया और अपने कुल्हें हिला कर उसे अंदर बाहर करने लगी। मेरे सामने तो उन के उरोज थे सो मेरा ध्यान उन पर ही था और मैं हाथ और होंठों से उन्हें मसल रहा था। हम दोनों पसीने से नहा गये थे लेकिन अभी तक चरम नही आया था। काफी देर तक ऊपर रहने के बाद वह नीचे उतर गयी और बोली कि अब और नहीं कर सकती।

मैंने उन्हें पेट के बल लिटा कर उन को घुटनों के बल उठा दिया, अब उन के कुल्हें मेरे सामने थे उन के पीछे मैं भी घुटनों के बल बैठ गया और लिंग को योनि में डाल कर अंदर बाहर करने लगा। इस आसन में शायद उन्हें दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था इस लिये कुछ नहीं कह रही थी। दोनों 30 मिनट से ज्यादा समय से संभोग कर रहे थे लेकिन चरम से दूर थे। मुझे लग रहा था कि आज हम डिस्चार्ज नही हो पायेगें।

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