एक नौजवान के कारनामे 235

Story Info
2.5.18 मधुमास, झील और झरने के किनारे कोई नहीं है
883 words
0
9
00

Part 235 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 18

यहाँ कोई नहीं है

मैंने गौर से देखा दोनों उत्तर पूर्व के तो नहीं लग रहे थे और शायद टूरिस्ट थे या फिर हमारी तरह के हनीमून कपल जो यहाँ घूमने आये थे।

"देखो, यहाँ कोई नहीं है," छोटी झील और झरने का सर्वेक्षण करते हुए उस महिला ने कहा। "मैंने जब यहाँ देखा की आज यहाँ भीड़ बहुत कम है तो मैंने तुमसे तुमसे कहा था, उस तरफ बिलकुल निर्जन लग रहा है और लगता नहीं वहां कोई और होगा ।" उसके साथ का आदमी इधर-उधर देखने लगा पर वो अभी थोड़ा घबराया हुआ लग रहा था। पानी के पीछे हम चुपचाप खड़े रहे और देखा कि महिला धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी, और कपड़े उतारते समय अपनी साथी पुरुष के सामने जितना हो सके उतना कामुक रूप से झुकी और उसने अपने कपड़ो को बगल की झाड़ी में फेक दिया। ज्योत्सना और मैंने नज़रों का आदान-प्रदान किया, हम जो कुछ भी देख रहे थे उस पर विश्वास करने में असमर्थ थे, जबकि वो महिला फिर अपने घुटनों पर गिर गई और अपनी साथी पुरुष की बेल्ट को खोलना शुरू कर दिया और उसकी पैंट और अंडरवियर को नीचे खींच लिया।

जल्द ही उनके सारे कपड़े बगल की झाड़ी में एक ढेर बन गया, और महिला पानी में कूदने से पहले उस आदमी पर जोर से हँसी और उसके तुरंत बाद उसके साथ पानी में कूद गई। ज्योत्सना ने इसके कुछ देर बाद हांफना शुरू कर दिया क्योंकि अब वे दोनों झरने के ठीक दूसरी तरफ उसी चट्टान के आधार पर आ गए जिस पर हम कुछ देर पहले खड़े हुए थे । शायद ज्योत्स्ना इसीलिए हांफ रही थी की उसे लगा की अगर वो जोड़ा हम्मारी तरफ आया तो क्या हम इस दुबले-पतले जोड़े द्वारा पकड़े जाने वाले थे? झरने के पार दृश्य थोड़ा विकृत था क्योंकि झरने के बीच से उनको देखना ऐसा था जैसे लहराते पारदर्शी कांच के आरपार देखना।

"अब जब तुम मुझे यहाँ ले आयी हो, तो तुम मेरे साथ क्या करने जा रही हो?" उस पुरुष ने मुस्कराहट के साथ उस महिला से कहा। वह स्पष्ट रूप से अभी भी यहाँ नग्न होने को लेकर थोड़ा नर्वस था।

उस महिला ने उसका हाथ थाम लिया और उसे अपने ऊपर की चट्टान पर खींच लिया। "यह," उसने लेटते हुए कहा, और उसका सिर अपनी टांगो के बीच में कर दिया। वह इशारा समझ रहा था, क्योंकि उसकी जीभ उसकी चूत को जल्दी से चाटने लगी थी । बस उस जोड़े से कुछ ही फुट दूर, पानी की दीवार के पीछे, ज्योत्सना उनको करीब से देख रही थी और झरने के पार कुछ अँधेरा सा था और उसका हाथ अंधेरे में मेरे बदन के चारों ओर महसूस हो रहा था और उसका हाथ तब तक चला जब तक कि उसे मेरी पैंट के सामने का टीला नहीं मिला। इससे पहले कि वह अपने हाथों को मेरे लिंग के चारों ओर लपेटने की कोशिश कर पाती, उसने महसूस किया कि मेरी पैंट और अंडरवियर नीचे की ओर खिसक रही है थी क्योंकि मैं अपने नीचे के वस्त्रो को नीचे को और खींच रहा था,और मेरा लिंग मुक्त हो कर, ठीक उसके हाथ के सामने ऊपर की ओर तन रहा था ।

जैसे ही पानी के दूसरी ओर की महिला जोर से कराहने लगी, 'ज्योत्सना की कोमल उंगलियां मेरे मोटे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थीं, और वो धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी आर अब हम दोनों उस जोड़ी को पानी के परदे में से देख रहे थे।.

"ओह्ह! हाँ, मेरी योनि को चाटो," को लड़की कराह उठी लड़की इसलिए की वो काफी युवा थी । उसके पैर पुरुष के पेशीय कंधों पर लिपटे हुए थे। उसकी उंगलियां उसके काले बालों में मजबूती से फंसी हुई थी । उसने अपने छोटे स्तनों को ठंडी गीली हवा में धकेलते हुए अपनी पीठ को झुका लिया। चट्टान से टकराने वाले झरने का पानी उसके शरीर पर छलक रहा था और वो कांपने लगी। पानी के इस पार ज्योत्स्ना के हाथ तेजी से चलने लगे थे। मैंने अपनी पत्नी कयोतना को अपने करीब खींच लिया था, और उसकी योनि को रगड़ने के लिए मेरा हाथ उसकी टांगों तक पहुंच गया था। देखते-देखते उसका हाथ जोर से और तेज गति से चलने लगा । मैं उसके कंधे पर झुक गया और फुसफुसाया। "यह बहुत गर्म है। काश आप अभी उसके पैरों के बीच होती?"

उसे किसी दूसरी औरत के साथ देखना मेरी कल्पना थी। तो उसे लगा कि इसने मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर दिया है। और निश्चित रूप से वह मेरी बढ़ती हुई उत्तेजना को महसूस कर सकती थी क्योंकि मेरा लंड उसके हाथ में थोड़ा बड़ा और सख्त हो गया था । "ज़रा सोचिए कि मैं यहाँ खड़ा हुआ मेरे इस बड़े सख्त लंड को सहला रहा हूँ, जबकि मैं आपको अपने सामने उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए देख रहा हूँ ।"

महिला की आवाजें अचानक बंद हो गईं, और हम रुक गए, हिलने की हिम्मत नहीं हुई। क्या उन्होंने उसे सुना? हम वहाँ चुपचाप खड़े रहे, उसका हाथ मेरे लंड के चारों ओर मजबूती से लिपटा हुआ था, उसे चंचलता से निचोड़ रहा था। उसकी क्लिट मेरी दो अंगुलियों के बीच फंस गई। लेकिन दंपति ने हमें नहीं सुना था क्योंकि हमारे फुसफुसाहट झरने की आवाज़ से दब गयी थी।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

राजमहल 1 राज्य के वारिस के लिए राजकुमार की तीसरी शादी और सुहागरातin First Time
महारानी देवरानी 001 प्रमुख पात्र -राजा और रानी की कहानीin Novels and Novellas
The Bride A Master dresses His sub as a bride for an outdoor scenario.in BDSM
A Meeting Should he have agreed to meet her in the forest?in Erotic Couplings
Initiation into Alpha Zeta Zeta Freshman girl joins nudist sorority.in Exhibitionist & Voyeur
More Stories