इरोटिक लेखक से प्रशंसिका का मिलना

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प्रशंसिका का इरोटिक कहानी लेखक से मिलना और दोनों का मिलन
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नेट पर इरोटिक कहानी लिख कर डालता था। यह नहीं सोचा था किसी प्रशंसिका से कभी वास्तविकता में सामना हो जायेगा। लेकिन ऐसा किस्सा मेरे साथ हुआ। हुआ ऐसा की एक बार मेरी किसी कहानी पर किसी ने अपना कॉमेंट दिया और कहा कि बहुत बढ़िया लिखते है।। मैंने भी उसे धन्यवाद दे दिया लेकिन वह तो पीछे ही पड़ गयी कि मैं उस से चॉट किया करुँ। मेरे लिये अपनी निजता बचाये रखना जरुरी था। इस लिये पहले तो मैंने उस के संदेशों का कोई जबाव नहीं दिया, लेकिन यह महिला तो पीछे ही पड़ गयी थी। हार कर मुझे उस से चॉट करने के लिये राजी होना पड़ा।

महिला की फैन्टेशियां

चैट की शुरुआत हुई तो मुझे पता चला कि मेरी इस फैन की अपनी कई फैन्टेशियां है जिन्हे यह मेरे साथ जीना चाहती है। मैं इस बात को लेकर कुछ आशंकित था। मेरी सबसे बड़ी चिन्ता मेरी पहचान के जाहिर होने के डर को लेकर थी। मैं अपनी पहचान किसी के सामने जाहिर नहीं करना चाहता था। इसी लिये मैं उस के साथ चैट करने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं था। लेकिन वह तो मेरे पीछे ही पड़ गयी थी। जब चैट शुरु हुई तो मुझे इस में परेशानी होने लगी।

मैं चैट के दौरान रोल प्ले करने को लेकर असहज था। वह मेरी हिन्दी को लेकर सहज नहीं हो पा रही थी। उस ने कई बातें मुझे अपनी फैन्टसी के बारे में बताई और मुझ से उस के मुताबिक रोल प्ले करने को कहा। मैंने उस की इस फैन्टेशी में भाग लेने की कोशिश की लेकिन बात कुछ जमी नही। हार कर मैंने उस से कहा कि मैं इस में सहज नहीं हो पा रहा हूँ इस लिये चैट में आगे भाग लेना मेरे लिये संभव नहीं है। मेरी यह बात सुन कर वह गुस्सा हो गयी और चैट को छोड़ कर चली गयी। मुझे यह बुरा तो लगा, लेकिन मैं इस संबंध में कुछ कर नही सकता था।

उस की फैन्टेशी थी कि वह भारी शरीर की महिला है जिस के स्तन और चुतड़ बहुत बड़े है लेकिन कमर बहुत पतली है। उस का मानना यह था कि वह इस महिला के करेक्टर में क्या कपड़ें पहनेगी, किस रंग के कपड़े होगे। समागम में वह क्या व्यवहार करेगी। कैसी आवाजे निकालेगी। उस का दृष्टिकोण इस संबंध में बिल्कुल स्पष्ट था। हम दोनों ने इस संबंध में काफी बातचीत करी लेकिन वह मेरे व्यवहार से संतुष्ट नहीं हुई। हार कर मैंने हथियार डाल दिये। वह नाराज होकर चैट से बाहर निकल गयी।

दूबारा उस से चैट पर सम्पर्क करने की कोशिश की तो उस ने कोई उत्तर नहीं दिया। उस की इस बात से मैं बहुत निराश हुआ। एक गहरी उदासीनता मेरे मन में बैठ गयी। मैंने भी गुस्से में आकर अपनी वह आईडी डिलिट कर दी। अब हम दोनों के बीच संपर्क का एक मात्र बिंदु खत्म हो गया। मैं इस मामने में बहुत निराश हो गया था। मुझे भी लगा कि मुझे अपने आप को किसी के सामने ऐसे खोलना नहीं था। समय ऐसे ही चलता रहा।

कुछ समय बाद किसी ने मुझे मेरे आकाउट में ऐनानमस मेल भेजी। जब मैंने वह मेल पढ़ी तो पता चला कि यह उसी फिमेल फैन की थी जो नाराज हो कर चली गयी थी। उस का कहना था कि मेरा उस की बात ना मानना, उसे बहुत बुरा लगा था और वह उस से बहुत नाराज हो गयी थी। इसी कारण से उस ने चैट छोड़ दी थी। अब उस का गुस्सा खत्म हो गया था और वह दूबारा से मुझ से बात करना चाहती थी। मैं भी गुस्सा था और उस से बात नहीं करना चाहता था लेकिन उस के कहने से मैं उस से बात करने को राजी हो गया। हम दोनों फिर से चैट करने लग गये। कुछ दिनों बाद हम दोनो के बीच नजदीकियां बढ़ गयी।

हम दोनों काफी समय एक-दूसरे से बात करने में खर्च कर रहे थे। एक दिन वह बोली कि मैं आप से मिलना चाहती हूँ मैंने इस में असमर्थता जाहिर की तो वह बोली कि अब आप को क्या परेशानी है, मैं और आप एक-दूसरे को अच्छी तरह से जान गये है। मैं आपकी पहचान किसी पर जाहिर नहीं करुँगी यह मेरा आप से वायदा है। लेकिन मैं आप से मिलना चाहती हूँ, मुझ से अब, आप से दूर नहीं रहा जा रहा है। मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन हार कर मुझे उस की जिद के आगे झुकना पड़ा। मैंने उस से कहा कि वह मुझ से मिलने आ सकती है लेकिन हम दोनों इस से पहले एक-दूसरें के सामने अपनी पहचान जाहिर नहीं करेगे। वह इस बात के लिये सहमत हो गयी।

हम दोनों का मिलना

हम दोनों ने मिलने का निश्चय किया। वह मेरे शहर आयी और एक होटल में टहरी। उस ने मुझे अपना पता भेजा और कहा कि वह मुझ से मिलने के बैचेन है। मैं यह नहीं जानता था कि उसकी उम्र क्या है? उसे यह पता नहीं था कि मैं कैसा दिखता हूँ। हम दोनों ने होटल के रेस्टोरेंट में मिलने का निश्चय किया। वह बोली कि मैं पीले रंग की साड़ी पहन कर आऊँगी। मैंने कहा कि मैं जींस और हरे रंग की टीशर्ट में आऊँगा। मैंने उस से पुछा कि मैं अगर उसे पसंद नहीं आया तो वह क्या करेगी? वह बोली कि ऐसा हो ही नहीं सकता। मैंने कहा कि तुम नहीं जानती मेरी उम्र क्या है। मैं कैसा दिखता हूँ। वह बोली कि आप बाहर से कैसे भी दिखते हो लेकिन अंदर से कैसे है, वह मैं सब जानती हूँ। आप भी तो नहीं जानते की मैं कैसी हूँ?

हम दोनों में तय हुआ कि मैं अगर उसे पसंद नहीं आया तो वह चुपचाप उठ कर चली जायेगी। वह बोली कि देखते है क्या होता है। शाम को मिलना तय हुआ। मैं तय समय पर होटल के रेस्टोरेंट में पहुँच गया। अंदर जाने से पहले मैं निश्चित करना चाहता था कि कहीं कोई मेरे साथ खेल तो नहीं कर रहा है। इस लिये मैं बाहर से ही अंदर बैठे लोगों का निरिक्षण करने लगा। एक महिला मुझे एक कोने में पीली साड़ी और ब्याउज में बैठी दिखी। दूर से वह मेरे बनाये खाँचे में फिट नहीं बैठ रही थी। मुझे उस ने मिलने में डर सा लग रहा था। लेकिन अब जब सर औखली में दे ही दिया था तो मुसल से क्या डरना था।

मैं रेस्टोरेंट का दरवाजा खोल कर अंदर घुसा तो उस महिला में मेरी तरफ देखा और वह बैचेन सी हो गयी। मैं अंदर आ कर इधर-उधर देखने का दिखावा करता हुआ उस की तरफ ही चल दिया। मुझे अपनी तरफ आते देख कर वह महिला उत्सुक सी दिखी। मैं जब टेबल के पास पहुँचा तो वह मेरी तरफ ध्यान से देखने लगी। पास आने पर उस से मैंने बैठने के लिये पुछा तो वह बोली कि मैं आप का ही इंतजार कर रही थी।

मैं उन की बात सुन कर मुस्करा दिया और उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गया। यह मेज एक किनारे पर था सो हम आराम से बात कर सकते है। मैंने कहा कि मैं आप की पसंद पर खरा उतारा हूँ या नहीं तो वह बोली कि आप एक ही बात बार-बार क्यों कर रहे है। आप भी तो बताये कि मैं आप को कैसी लगी? मैंने कहा कि मैंने जो आप की तस्वीर बनायी थी, आप उस से अलग है लेकिन ऐसा तो होना ही था। वह मुस्कराई और बोली कि बहुत तेज है आप। अपने आप को छुपाने का कोई मौका नहीं छोड़ा आपने, लेकिन मैं भी आप की कहानियों से समझ गयी थी कि आप क्या है। उन्होंने कॉफी ऑडर की और बोली कि कुछ और खाना है या कही और चले। मैंने कहा कि यहाँ से चलते है। आप से बहुत बातें करनी है।

वह बोली कि हाँ बातें तो बहुत करनी है। कॉफी पीने के बाद हम दोनों रेस्टोरेंट से बाहर आ गये। बाहर आ कर वह बोली कि आप ने मुझे बेवकुफ बनाने की बहुत कोशिश की लेकिन देखिये मैं आज आप से मिल ही ली। मैंने कहा कि यह आप की जिद ही है कि मैं अपने खोल से बाहर आया हूँ। मेरी निजता मेरे लिये बहुत जरुरी है। वह बोली कि आप सही कह रहे है लेकिन आप की कहानियां पढ़ कर मुझे आप से मिलने की इच्छा थी। ऐसी मजेदार कहानी लिखने वाले से मिल कर देखना था कि वह असल में कैसा दिखता है? क्या करता है, उस का व्यवहार कैसा है। आदमी है या कोई महिला है। मैं यह सुन कर हँस दिया। वह बोली कि हँसने की बात नहीं है शायद आप को भी लगा होगा कि मैं कौन हूँ महिला हूँ या कोई और?

मैं चुप रहा तो वह बोली कि अब तो कोई शर्म नहीं है। आप चैट में भी मुझे शर्मीले से लगे। लेकिन कहानियों में तो बहुत विस्तार से लिखते है। वहाँ तो कोई कमी नहीं रहती। मैंने कहा कि कहीं आराम से बैठते है। वह बोली कि आपका शहर है जहाँ मन करे ले चले। मैंने कहा कि चलिये।

मैं उन्हें ले कर एक पार्क में आ गया। वह बोली कि यहाँ केवल बात ही कर पायेगे। मैंने कहा कि पहले क्या चाहती है तो वह बोली कि आप को पता है मैं क्या चाहती हूँ? हम दोनों ने तय किया कि सही यही रखेगा कि हम वापस होटल ही चले। हम दोनों होटल वापस आ गये। होटल के कमरे में मैं उस का निरिक्षण करने लगा तो वह बोली कि मैंने सब जाँच लिया है। सेफ है। मैं आराम से बैठ गया। वह बोली कि मुझे पतला देख कर परेशान तो नहीं है। मैंने ना में सर हिलाया।

आप की उम्र का अंदाजा सही निकला। ऐसे शब्द और विचार उम्र वाले लोग ही रख सकते है। लड़कों के दिमाग में ऐसा कुछ नहीं आ सकता।

मैं उठा और उस का चेहरा पकड़ कर चुम लिया।

वह बोली कि अब एक दम तेजी दिखा रहे है।

उस ने भी मेरे होंठों पर अपने जलते होंठ रख दिये। मैं उसके लरजते लबों की मिठास लेने में डुब गया। उस के हाथ मेरी कमर में कसे हुये थे। मैं इस से आगे बढ़ने के लिये तैयार नही था। वह मिलन के लिये मरी जा रही थी। मुझे अनमना देख कर वह बोली कि अब किस बात का इंतजार है आपको। मैंने कहा कि मैं किसी संबंध में बंधना नहीं चाहता तो वह बोली कि मैं आप को बाँधना नहीं चाहती, मैं तो आप से मिलन चाहती हूँ आप ने मेरी फैन्टसी को पुरा करा था, उस में रोल निभाया था, उसे मैं जीना चाहती हूँ इस में आप को क्या परेशानी है?

ऐसे संबंध बाद में परेशानी करते है

क्यों?

समय के साथ गहरे हो जाते है

तो होने दिजिये

जीवन में हलचल ला देते है

मेरे जीवन में तो कुछ है ही नहीं, पति की मृत्यु के बाद मैं एकदम अकेली हूँ

यही तो मुश्किल है मैं पहले से ही किसी रिश्ते में हूँ

मैं आप से कुछ माँग नही रही हूँ, केवल मिलन चाहिये

यही तो परेशानी है

क्या परेशानी हैं मैं समझ नहीं पा रही हूँ?

क्या पता मैं तुम्हें संतुष्ट ना कर पाऊँ

अगर में आप से चैट पर उत्तेजित और संतुष्ट हो पाती हूँ तो अब क्यों नहीं?

मुझे अपने पर विश्वास नहीं है, जो है उसे खोने का डर है

मैं कहीं नही जा रही हूँ, आप के पास ही हूँ

मैंने अपनी परेशानी तुम को बता दी है, बाद में मत कहना कि बताया नहीं था

मैं अपने आप चैक करुँगी, आप की बात पर विश्वास नहीं है

अच्छा जैसी तुम्हारी मर्जी

होगा तो वही जो मैं चाहुँगी

क्या करना चाहती हो?

अपनी फैन्टसी को पुरा करना चाहती हूँ

मेरी फैन्टेशी का क्या होगा? मैं बोला कि किस फैन्टेसी की बात कर रही हो, तुम्हारी तो बहुत सी है। वह बोली कि शादी की पहली रात की फैन्टेसी। मैंने कहा कि कोई तैयारी करनी है तो वह बोली कि हम ने पहले ही इस पर कितनी बार बात की है। आप बताओ क्या करुँ? मैंने कहा कि शुरुआत उसी भारी वक्ष वाली महिला से करते है। बाद में कुछ और सोचेगें। तुम नें उसे मेरी भी फैन्टेशी बना दिया है। मेरी बात पर वह मुस्कराई और बोली कि यह सुन कर अच्छा लग रहा है। लेकिन क्या मैं वह सब करुँ तो सही रहेगा। मैंने कहा कि हाँ सही रहेगा। वह बोली कि चलो करते है।

मैं अपने कपड़ें उतारने लग गया। कपड़ें उतार कर बेड पर लेट गया। वह साड़ी में ही मेरे ऊपर लेट गयी। वह अपने स्तनों को मेरे लिंग पर रगड़ रही थी। उस के ब्याउज के कपड़ों की रगड़ से मेरा लिंग तनाव में आ रहा था। उस ने ब्रीफ में से लिंग निकाल कर अपने ब्लाउज के अंदर कर लिया और वह उस के ऊपर धीरे-धीरे हिलने लगी। उस के भरे हुए उरोजों के बीच मेरा लिंग स्पर्श पा कर कड़क होता जा रहा था। कुछ देर बाद वह थक कर नीचे आ गयी। अब मेरी बारी थी मैंने उस की साड़ी और पेटीकोट को उतार दिया और उस की पेंटी भी उतार दी। उस के ब्लाउज को अभी हाथ नहीं लगाया।

उस को घोड़ी बना कर पीछे से उस के चुतड़ों को सहलाया। उन की हाथों से पिटाई करी। इस से चुतड़ों का रंग लाल हो गया। वह मुँह से आहहहहह निकाल रही थी। उस की योनि में उँगली डाल कर उस की योनि को मथना शुरु कर दिया। वह उहहहह ओहहहह करने लग गयी। उस का जीस्पाट मुझे मिल गया। मैंने उसे सहलाना शुरु कर दिया। वह कराहने लगी। उस का शरीर हिलने लगा। मैं यहीं चाहता था। उस की गुदा को भी हाथ से सहलाया। वह चिहुंक गयी।

मैं ने इस के बाद उस की योनि में अपना तना हुआ 6 इंच का लिंग डाल दिया। वह फिर से आहहहहह करने लगी। उस के मुँह से आहहहह उहहहह निकलने लगा। उत्तेजना के कारण उस का सारा शरीर कांप रहा था। मैं धक्कें लगानें लग गया। कुछ देर बाद मेरी रफ्तार तेज हो गयी। वह आहहहहहहहह... उहहहहहहहहहहहह..... करती रही। मैंने उस के दोनों कुल्हें पकड़ कर जोर जोर से अपने लिंग को अंदर बाहर करना जारी रखा। वह कराहती रही।

इस के बाद मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उस की टांगों को फैला कर उस के योनि के अंदर लिंग डाल दिया। वह आहहहहह उहहहहह करती रही। कुछ देर बाद मैं स्खलित हो कर उस के ऊपर लेट गया। वह बुरी तरह से कराह रही थी। आहहहहहहहहहहहहहह कर रही थी। उस की इस आवाज को कम करने के लिये मैंने उस के होंठ अपने होंठों से ढ़क दिये। उस के होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। कुछ देर बाद उस की जीभ मेरे मुँह में आ गयी। मैं उस की जीभ को चाटने लगा। वह ऐसा करती रही। फिर जब हम दोनों की सांस फुल गयी तो हमारें होंठ अलग हो गये।

उस की छातियाँ ऊपर नीचे हो रहे थी। मैंने अपने होंठ उस की वक्ष रेखा में रख दिये और उस को चुम्बन देने लगा। उस की बांहें मेरे ऊपर कस गयी। कुछ देर बाद वह थक गयी, मैं उस के ऊपर से उठ कर बगल में आ गया।

वह मेरी तरफ मुँह कर के बोली कि जैसे आपकी कहानियों के नायक नायिका का दम निकाल देते है वैसे ही आप ने मेरी जान निकाल दी है। मेरे साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ है। मैंने उस से कहा कि फैन्टेसी की दूनिया से बाहर निकलों। वास्तविकता की दूनिया में आयों। वह बोली कि यह तो वास्तविकता है कि आप मेरे साथ हो और मैं कराह रही हूँ आहहहहह उहहहह कर रही हूँ और बताओ फैन्टसी है या नहीं।

दूबारा सेक्स करुँगी तब तो आप कहेगे कि यह फैन्टसी है लेकिन आप ने आज तक अपनी फैन्टशी नहीं बताई है। मैंने कहा कि तुम ऐसे मिली हो यह क्या किसी फैन्टेशी से कम है। यह तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि कभी मेरी कोई पाठिका मेरे साथ सेक्स करेगी। वह बोली कि इस के सिवा कुछ और हो तो उसे भी जी कर देख लेते है। मैंने कहा कि सब कुछ एक बार में ही कर लेना चाहती हो। वह बोली कि बड़ी मुश्किल से मिले है। ऐसे कैसे छोड़ दूँ?

वह बोली कि आज तो आप ने मेरी छातियों को हाथ भी नहीं लगाया? क्या आप की पसंद की नहीं है। मैंने कहा कि तुम्हारी फैन्टशी में जैसा होना था वैसा मैंने किया। वह बोली कि मैं तो अभी भी भुखी हूँ। मैंने कहा कि कुछ देर दम ले लो फिर तुम्हारी भुख भी मिटाते है। वह बोली कि क्या ऐसा संभव है?

मैंने कहा कि हाँ इतना दम तो है कि अभी तुम्हें दूसरी बार चौद सकता हूँ वह बोली कि मैं तो तुम से चुदने के लिये मरी जा रही हूँ जल्दी से मुझे दूबारा चौद कर मेरी चूत को अपने पानी से भर दो।

मैं उसे देखने लगा तो वह बोली कि मैं आप के मुँह से ऐसा सुनना चाहती थी आप ने मेरी यह इच्छा भी पुरी कर दी है।

हम कुछ देर आराम से लेटे रहे फिर वह मेरे ऊपर आ गयी और बोली कि तुम को मेरे को बुरी तरह से चौदना है. मेरी चूत को अपने पानी से भरना है। मेरी बूर इतनी खुजली कर रही है उस की सारी खुजली आज खत्म करनी है। मैं चाहती हूँ कि मेरे दोनों छेद आज भर जाये।

मैंने उसे चुमा और कहा कि जैसा तुम चाहती हो मैं वैसा ही करुँगा।

वह बोली कि आज मैं आपकी मलिका हूँ और तुम मेरे गुलाम हो। तुम्हारी जिम्मेदारी है कि मेरी चूत की भुख मिटायो।

मैंने कहा जैसी मलिका की आज्ञा।

यह कह कर मैंने उस के ब्लाउज को उतार दिया अब वह बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैं भी बिना कपड़ों के था। मैंने उस के कठोर 32 इंच के उरोजों को अपने मुँह में लेने का प्रयास किया। वह मेरे मुँह में नहीं आये। लेकिन मैं उन की घुंडियों को होंठों में लेकर चुसने लग गया। वह आहहहह उहहह करने लगी। दूसरें उरोज को हाथ से जोर से दबाया और उस को सहलाया। वह कराहने लगी। आज उस की बुरी गति होनी तय थी। उरोजों के बाद उस की कमर का नंबर आया और उस पर मैंने चुम्बन लिये।

फिर मेरा हाथ उस की जाँघों के बीच उस की चूत पर आ गया। पहले तो हाथ से उसे सहलाता रहा फिर एक उँगली उस की चूत के अंदर डाल दी। अंदर खुब नमी थी। मैं उँगली अंदर बाहर करने लगा। उसे यह अच्छा लग रहा था। इस के मैंने अपना चेहरा उस की चूत की तरफ किया और उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मेरी जीभ उस की चूत में घुस गयी। मैं उस की चूत के अंदर अपनी जीभ डालने लगा।

वह उहहहहहहहहहह........ आहहहहहहहहहहहहहहह... करती रही। उस का शरीर ऐठ रहा था। मुझे पता था कि वह अपने ऑर्गाज्म की तरफ जा रही थी। उस की आँखे बंद थी वह अपनी फैन्टसी में घुम रही थी।

अब उस के पीछे के छेद का नंबर था। मैंने उसे पलटा और उस के चुतड़ों को चुमा और दांतों से काटा। इस के बाद उस की गहराई में अपनी उँगली फिराई। वह चिहुंक गयी। मेरी उँगली उस की गांड के मुँह पर फिरती रही और उसके बाद उस की कसी हुई गांड में घुस गयी। वह दर्द से चीखी। लेकिन मैंने उस के मुँह पर हाथ रख कर उस की चीख दबा दी। उँगली जब पुरी अंदर चली गयी तो उसे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद उस की गांड की मांसपेशियां ढ़ीली हुई और उँगली आराम से अंदर बाहर होने लगी। उँगली के बाद मेरा अगुंठा उस की गांड में घुस गया। वह आराम से पड़ी रही।

अब वह गांड मरवाने के लिये पुरी तरह से तैयार थी। अब उस की गांड को मेरे लंड को अंदर लेना था। मैंने अपने लंड के सुपारे पर थुक लगाया और उसे उस की गांड के मुँह पर रख कर जोर डाला और सुपाड़ा उस की गांड में घुस गया। वह अपने पैर पटकने लगी। मैं थोड़ा सा रुका, फिर दूबारा जोर लगाया और लंड उस की गांड में आधा समा गया। मैं रुका और कुछ देर के बाद मैंने जोर डाल कर पुरा लंड़ उस की गांड में डाल दिया। मैंने उस के मुँह से अपना हाथ हटा लिया और उसी हाथ से उस की छातियों को सहलाना शुरु किया। उसे कुछ आराम सा मिला।

मैंने अपना लंड उसकी गांड में अंदर बाहर करना शुरु किया। वह मुँह से आहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहह निकाल रही थी। मेरा लंड़ कसी गांड में ऐसा जा रहा था कि जैसा किसी कुँवारी चूत में जाता है। मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर बाद में वह भी मजा लेने लगी। काफी देर तक हम दोनों उस की गांड़ का मजा लेते रहे। फिर जब मुझे लगा कि मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड़ उस की गांड़ में से निकाल लिया और उसे पीठ के बल कर दिया। उसी के टाँग फैला कर उस की चूत में अपना फुला हुआ लंड़ डाल दिया। चूत भी कसी हुई थी लंड़ के अंदर जाते ही उसे मथने लगी।

मैं दोनों हाथों से उस की दोनों टांगों को पकड़े हुए था। मैं जोर-जोर से उस की चूत में टक्कर मार रहा था। मेरा लंड़ उस की चूत में अंदर बाहर हो रहा था, मैंने उस से पुछा कि कैसा लग रहा है तो वह बोली कि आज पुरा मजा आ रहा है। तुम ने आगे और पीछे दोनों ओर से मुझे भोग लिया है। आज से मैं मलिका तुम्हारी गुलाम हो गयी हूँ। तुम अब मेरे मालिक हो। मेरे से जैसा मन करे करो। तुमने मेरी गांड़ और चूत को मार कर मुझे खुश कर दिया है।

मेरे धक्कें और जोर से होने लगे। कुछ देर बाद फचफच की आवाज आने लगी जो बताती थी कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी। उस की टाँगें मेरी कमर पर कस गयी थी। मेरे हर धक्कें पर वह आहहहह उहहह कर रही थी। कुछ देर बाद मेरी आँखें बंद हो गयी और मेरे लंड़ के मुँह पर आग सी लग गयी। मेरा गर्म वीर्य मेरे ही लंड़ को जला रहा था। मैं उस के ऊपर ही गिर गया। जब होश आया तो उस के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया। उस की छातियाँ जोर-जोर से ऊपर नीचे हो रही थी। जब हम दोनों थोड़े शान्त हुये तो वह मेरी तरफ मुँह करके बोली कि आज तो मेरी फैन्टशी पुरी हो गयी।आप ने आगे पीछे दोनों तरफ से मुझे भोग कर मेरे मन की कर दी।

मैंने उस के माथे को चुम कर कहा कि सब कुछ तुम्हारे मन का ही करा है। यह सुन कर वह बोली कि आप के मन का नहीं हुआ? मैंने कहा कि मैं ऐसी भाषा नहीं बोलता। वह बोली कि मुझे पता लग गया कि आप क्या कर सकते हो।

आप को मजा नहीं आया?

मैंने ऐसा कब कहा?

मुझे लगा कि शायद आपके मन की नहीं हुई है?

तुम्हारा और मेरा मन कोई अलग थोड़ा है

क्या बात है रोमांटिक हो रहे है

नहीं हो सकता?

मैंने कब मना किया है, आप ही मान नहीं रहे थे

अब तो मान गया हूँ

अच्छी गुजरेगी

हाँ यह तो है

मेरा मन और तन तो भर गया है

मेरा भी

बढ़िया है आप तो मान ही नहीं रहे थे

मेरा स्वभाव तुम जानती हो

हाँ तभी तो मुझे यह रुप रखना पड़ा आप को आपके खोल से निकालने के लिये

अच्छा जी

हाँ जी

नाटक बंद करते है

जैसै है वैसे ही व्यवहार करते है

तुम तो मेरी कहानियों की नायिकायों से भी बढ़ कर हो

यह सुन कर मैं धन्य हो गयी

रात गहरा गयी थी। मुझे अब चलना था। वह बोली कि कुछ देर बाद चले जाना। मैंने उसे समझाया कि पुरे दिन से मैं उस के साथ हूँ अब मुझे जाना पड़ेगा, वह बोली कि फिर कब मिलेगे? मैंने कहा कि कुछ दिन तो इस मिलन का आनंद लेने दो। बाद में देखते है क्या हो सकता है। वह मेरे से लिपट गयी और बोली कि मैं आज की याद के सहारे सारा जीवन अकेले गुजार सकती हूँ। मैंने उसे चुमा और कहा कि ऐसा मत कहो। उस के होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। जब मन भर गया तब वह अलग हुई।

मैं उस से विदा ले कर कमरे से निकल गया।

उसे कल सुबह की फ्लाइट से वापस जाना था। इस लिये मैं रात को उस के पास से चला आया। वह सुबह फ्लाइट पकड़ कर अपने शहर लौट गयी। दोपहर को उस ने मैसेज किया कि वह सही सलामत पहुँच गयी है। मुझे चैन पड़ा। कुछ दिन तक उसे चैन मिला।

गोवा में दूबारा मिलना

हमारी चैट होती रहती थी। कुछ महीने बाद मैं गोवा घुमने जा रहा था। उसे मैंने यह बताया तो वह बोली कि मैं आप के साथ आना चाहती हूँ। मैंने पुछा कि क्या यह सही रहेगा? तो जबाव मिला कि अब हम दोनों के बीच सब कुछ सही है। मैंने उसे बताया कि मैं इस तारीख को गोवा में पहुँच जाऊँगा। वह बोली कि मैं अपनी बुकिंग करवाती हूँ। आप डबल रुम लेना। मैं बोला कि हाँ यह कैसे भुल सकता हूँ। वह बोली कि अब आप कोई बहाना नहीं कर सकते।

मैंने कहा कि मैं तुम्हें जो तुम हो वही गोवा में चाहता हूँ वह बोली कि वहाँ भी तो आप को कहानियों के लिये मैटर मिल जायेगा। मैं बोला कि हाँ इसी लिये तो मैं वहाँ जा रहा हूँ। वह बोली कि बड़ा मजा आयेगा। उस के आने से मैं भी खुश था मैं भी चाहता था कि वह मेरे साथ हो लेकिन मैं यह कहना नही चाहता था। उस ने मेरे मन की बात जान ली थी और मेरे मन का ही करा था।

हमारा गोवा का मिलन बहुत जोरदार रहना था, ऐसा मुझे पता था। अब हम दोनों एक दूसरें से बिना किसी हिचक के बात करते थे। मन की परतें खोलते थे। वह भी अपने मन की गहराई में मुझे जाने देती थी। उस को मेरे मन में उतरने की परमीशन थी।

उस दिन मैं सुबह गोवा अपने होटल पहुँच गया था। वह दोपहर में आयी। आते ही रुम में आ कर बोली कि

होटल तो बढ़िया लिया है

तुम आ रही थी तो ऐसा तो होना ही था।

सिर्फ मेरे लिये किया है

हाँ

आपने तो गोवा का जिक्र कई कहानियों में किया है। मन में आशा है कि हम दोनों ऐसा ही कुछ कर पाये।

मैंने कहा कि देखते है कैसा रहता है। वह कपड़ें बदलने चली गयी। वापस आ कर वह बोली कि मैं तो अपना स्वीमिंग सुट लाई हुँ। यहाँ स्वीमिंग करुँगी। मैंने कहा कि होटल में स्वीमिंग पुल है। तुम उसी में आग लगाना। वह बोली कि होटल का स्वीमिंग पुल तो छोटा है, मैं तो समुद्र में आग लगाना चाहती हूँ। मैंने कहा कि जहाँ भी आग लगानी हो लगाना। तुम्हारे मन का ही होगा। वह मुझे चुम कर मेरे गले में झुल गयी। हम दोनों होटल के रेस्टोरेंट में खाना खाने चले गये। खाना खा कर कुछ देर आराम किया और फिर शाम को समुद्र के किनारे घुमने चले गये। समुद्र के किनारे का सूर्यास्त बहुत आकर्षक होता है यह मैं जानता था।

समुद्र के किनारे हम दोनों रेत में बैठ गये। शाम को ठंड़ी हवा चल रही थी। रेत भी ठंड़ी थी। कुछ देर तक दोनों आपस में बातें करते रहे फिर जब पानी हमारे पैरों तक पहुँच गया तो हम दोनों कुछ देर पानी में घुमते रहे। दोनों के एक साथ होने के कारण दोनों उत्तेजना से भरे हुये थे लेकिन सार्वजनिक स्थान पर होने के कारण हम दोनों एक दूसरें के साथ स्नेह दिखाने में गुरेज कर रहे थे।

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