पूजा की कहानी पूजा की जुबानी Ch. 09

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मै; यानि की पूजा कैसे एक अजनबी के साथ मौज मस्ती करती हूँ पढ़ि.
4.6k words
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Part 9 of the 11 part series

Updated 03/13/2024
Created 11/26/2022
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पूजा की कहानी पूजा की जुबानी -9                                           (मैं एक अजनबी के साथ)

लेखिका: पूजा मस्तानी

मै; यानि की पूजा एक दिन कैसे एक अजनबी के साथ मौज मस्ती करती हूँ पढ़िए

दोस्तों; में हूँ आपकी पूजा, पूजा मस्तानी; एक बार फिर एक नए अनुभव के साथ आपके मनोरंजन के लिए आपके समक्ष। बात उन दिनों की है जब में 24 वर्ष की थी। आपको मालूम है की मेरी शादी हो चुकी है और मैं जुडवा बच्चोंकी माँ बनगयी हूँ। मेरे पति एक मशहूर कंपनी में मार्केटिंग एक्सक्यूटिव है; इसीलिए उन्हें ज्यादा तर टूर पर रहना पड़ता है। वैसे मेरे यहाँ सुख सुविधा के हर चीज है। एक अछासा बढ़ा घर, दो कारें, एक लेडीज स्कूटर, अच्छा बैंक बैलेंस और फूल जैसे दो प्यारे बच्चे.. (जुडवा) सिर्फ कमी है तो बस उनके गैर हाजरी। यह मुझे बहुत खलती है। वैसे आपको यह भी मालूम है की मैं कितना चुड़क्कड़ औरत हूँ।

जैसे ही मै लंड, चूत और चुदाई के बारे में सोचती हूँ मेरी मुनिया रिसने लगती है। मेरी काम वासना की तृप्ति के लिए मैं अपने सगे सम्बन्धियों से चुदाचुकी हूँ। मेरी दृष्टी में यह रिश्ते नाते सब ढकोसला है। जो है वह है Cunt, Penis and Fucking. (चूत, लंड और चुदाई) बस।

तो आईये मैं आपको उस अनुभव की ओर ले चलती हूँ। जैसे की हर बार की तरह इस बार भी आप अपना कॉमेंट्स से मुझे और उत्साहित करें। जैसे की मैने ऊपर कही है उस समय मेरी उम्र 24 की थी। चार दिन पहले ही मेरे पति टूर से आचुके है और इस तीनचार दिन हम खूब मस्त करे। आप समझ रह है न में किस मस्ती के बात कर रहिहूँ । तीन चार दिन की मौज मस्तीके बाद मेरे पति उस सवेरे फिर से दौरे पर निकला पड़े। हर बार की तरह इस बार भी मै उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने तैयार हुयी।

मैं अपने 2 वर्षीय अब्छों को आया को सौम्पि, उसे जतन कर मै और मेरे पति घर से बहार निकले। उस समय कोई ग्यारह बज रहे थे। जब हमने बाहर आकर देखे तो हमारी कार की एक पहिया बैठा हुआ था। तब मेरे पति कहे..."पूजा तुम घर पर रुको.. मैं कैब करलेता हूँ..."

"मैं बोली "अब मैं तैयार हो ही चुकी हूँ... चलो मैं भी तुम्हरे साथ कैब में चलती हूँ। फिर वापसी कैबमे आजावूँगी.." कही और मेरे पति मान गए। हमने एक कैब किये और एयरपोर्ट के लिए निकले। मैं उस समय एक पिण्डलियों तक आनेवाली स्कर्ट और मॉडर्न टॉप पहनी थी। टॉपमे से मेरे मस्तियाँ बाहर छलकने तो तैयार थे।

एयरपोर्ट पहँचनेपर में पति ने फिरसे मुझे अपने आगोश में लिए और मेरे गालों पर चुम्बन अंकित कर बाई कहकर अंदर चले गए। में उसे बाई.. बाई.. कही और बाहर को निकली। में बाहर आकर इधर उधर देख रही थी और सोच रही थी की वहां से कोई टैक्सी मिलजाए, इतनेमे किसीने "हाय क्यूटि ...what a figure you have और इतने खूबसूरत हो.. तौबा.. इस सुंदरता के बवंडर में जो फंसा उसका तो काम खतम" कहा। मेरा तो पारा हाई होगया.. और मेरा चेहरा तम तमा रहा था।

जैसे ही मैं उसे डांटने के लिए अपना सर घुमाई तो उसे देखते ही दंग रह गयी। इतना हैंडसम था वह। लग भाग 35 वर्ष का होगा, 6 फ़ीट लम्बा; हंसमुख चहेरा, घाटीला बदन, और उसके आंखे तो जैसे मुझ पर जादू ही कर दिया हो। उसके आँखों में एक अजीब सी चमक थी और होंठों पर किसी भी औरत की जानलेवा मुस्कराहट। उसे देखते ही मे सारा गुस्सा ऐसा ठंडा पड़ा जैसे एक बालटी बर्फ का पानी, मुझ पर उंडेली गयी हो।

में उसे ही देख रही थी, इतनेमे उसने कहा... "Hi.. I am Sanjay, your good name please (आपका शुभ नाम...)" अपना हाथ बढाते पुछा।

में अनजाने में ही अपने हाथ आगे बढ़ाते बोली "This is Pooja" और उस से हाथ मिलायी। उसके हाथ बहुत ही मुलायम थे साथ ही साथ उन हाथों में गर्माहट भी थी।

"किसीका इंतजार कर रहे हैं...?" उसने मेरे हाथ को हल्कासा दबाव देते पुछा।

"नहीं.. मैं यहाँ मेरे पति को छोड़ने आईथी अब वापस घर। कैब बुलाने वाली थी..." मै उसकी आंखोंमे देखती बोली। उसकी आंखे मुझ पर जादू चला रहे थे। (His eyes are mesmerizing me.)

इस नाचीज़ को आपको ड्राप करनेका मौका दीजिये..." वह मेरे सामने झकता बोला। उसका झुकना ऐसा था जैसे के एक महाराणी के सामने एक गुलाम झुकता है।

में धीरे से मुस्कुराई और उसे हामी भरी। वह आगे बढा और मै गाय के पीछे चलते बछड़े की तरह। पार्किंग में आकर उसने एक SUV का सामने वाला डोर खोला और मुझे बैठनेका ईशरा किया। मै बैठरही थी तो मेरा स्कर्ट कुछ ऊपर उठा और मेरे पिंडलियों के साथ जांध का कुछ अंश भी दिखे। उसने कार आगे बढाई। मै चुप चाप बैठी थी। कार चलाते चलाते उसने कहा "why are you so beautiful" मै उसे देखकर मुस्कुराई और फिर बोली... "How can I say; but you are also very handsome"

"थैंक्यू वैरी मच" उसने कहा और अपना बयां हाथ मरे जांघ पर रखकर दबाया, फिर धीरे धीरे वहां फेरने लगा। उसने इतने हिम्मत के साथ मुझपर एक अनजान औरत की जांघ पर हाथ फेर रहा था और मै उसे कुछ बोली नहीं। उसकि टचसे मेरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ चली। मै उसे रोकना चाहती थी लेकिन नजाने क्यों मै उसे रोक नहीं पायी... उसके हाथ मेरे जांघ पर पड़ते ही मेरा सारा शरीर में झुर झूरी पैदा हुयी। मै उसे मेरा अड्र्स बोली नहीं, वह गाड़ी चलारहा था। मैंने दिखा की यह हमारा घर की तरफ जाने वाली रोड नहीं नहीं, तो पूछी "where are we going?"

"Wait and see" कहते करा चला रहा था। कोई अधेगंटे के बाद उसने एक आलीशान बंगले के सामने गाड़ी रोकी।

"यह क्या है... आप मुझे यहाँ क्यों लेकर आये..." कही मै समझी कि मै कुछ कठिन शब्दोंमे कही। लेकिन वैसा कुछ नहीं था।

"यह मेरा गेस्ट हाउस है... आवो.. एक कप कॉफी का लुत्फ़ उठाते हैं।

मै न कहना चाहती थी फिर भी न कहसकि। मै ख़ामोशी से निचे उतरी और कुछ सीढीयां चढ़कर घर के वरांडे में प्रवेश करचुके। वरांडे में ही एक महंगी lether सोफा थी तो मुझे उसमे बैठने को कहा और वह खुद दूसरी सोफे पर बैठता दीवार पर एक पुश बटन दबाया। कुछ देर बाद एक नौकरनी वहां आयी तो उसने उसे कॉफ़ी लानेको कहा। कोई पांच छह मिनिट बाद उसी नौकरानीने एक ट्रे में दो कप, एक कॉफी की केतली, एक दूध का केतली और एक शुगर बाउल लाकर रखि।

उसने कप में कॉफ़ी बनाकर एक मुझे दिया और एक खुद लिया। कॉफ़ी बहूत ही टेस्टी थी। वही बात मैंने कही।

"यह स्पेशल कॉफ़ी बीन्स से बनायीं कॉफी है.. इसे ब्राज़ील से मंगाई है। फिर कुछ देर उसने मेरे पति के बारे में और उसके व्यवसय के बारेमें पुछा और मै उसे जवाब देती रही। फिर उसने अपने बारेमे बताया। वह बड़ा इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेसमैन है। शादी शुदा है। आजकल उसकी पत्नी डेलिवरी के लिए अपने मइके गयी है। यह सब बातें चलनेके बाद उसने कहा "चलो मै तुम्हे अपना गेस्ट हाउस दिखाता हूँ" कहते वह आगे बढा तो मै उसके पीछे चली। बहुत ही बड़ा फार्म हाउस है। ground floor पर कोई छह कमरे है। दो वरांडे और एक बढासा हॉल। हॉल और वरांडे महंगी furniture से सजी है। वह एक एक कमरा दिखाकर आखिर में सीढियाँ चढ़ने लगा।

ऊपर एक ओर का कमरा दिखाते उसने बोला.. "यह हमारा स्पेशल गेस्ट रूम है। सिर्फ खास मेहमानों के लिए ही है। यह एक ही रूम है विथ अटैच्ड बाथ। बाकी सारा टेरेस ओपन टु स्काई है" कहते उसने मुझे कमरे के अंदर ले गया।

बैडरूम देख कर मैं दंग रह गयी। बहुत ही उम्दा सजाया गया है। एक mehgony से बनाया TV स्टैंड पर एक फ्लैट स्क्रीन वला TV थी और साइड के shelves में डेकोरेटिव आइटम्स थे। उस कमरे का मशूरमेंट्स (Measurements) 24' x 20' का है। कमरे के बीचों बीच एक 8" व्यास का एक गोल पलंग थी उस पर उसी तरह गोल गद्दी भी बिछी है। कमरे के हर दिवार पर 4 फ़ीट की ऊंचाई पर 3 फ़ीट ऊँची और पूरे दिवार के लम्बाई में आईने (mirror) थी। कमरे में एक अजीब खुशबू आरही थी। "बैठो" उसने बेड की ओर इशारा किया। मै बैठी, मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस गद्दी में एक फुट घँसगयी हूँ।

इतनेमे उसने एक स्विच दबाया तो पलंग धीमी गतिसे गोल घूमने लगी। यह एक नया अनभव था मेरे लिए। मै मांत्र मुग्ध होकर बोली......

How gorgeous this room is" मैं कही एक पल रुकी फिर पूछी "Sanjay you were telling that this room is for special guests, am I special...?"

"तुम खास हो इसीलिए इस कमरे में हो; but this room is not as gorgeous as you are" कहते वह मेरे साइड में बैठकर मरे ऊपर झुका और मेरे कुछ समझने से पहले उसके होंठ मेरे होंठो परथे। में चाहकर भी उससे अलग नहीं हो सकी; उपरसे मै खुद उससे बेलकी तरह लिपटने लगी। वह मुझे माउथ टु माउथ (mouth to mouth) किस कर रहाथा। वह मुझे जोरसे अपने बदन से चिपकाते मेरे पीठ पर अपने हाथ फेर रहा था।

मेरे होंठ उसके जीभ के लिए खुल गए और उसका जीभ अंदर घुसते ही मै उसे चुभलाने लगी। मै इतना आतुर थी की जैसे कई वर्षों से बिछुड़ा प्रेमीको मिल रही हूँ। उसके आंखोंमे ऐसा जादू था। कुछ देर बाद मुझे होश आया और उस से चुढाती बोली "यह क्या कर रहे हो... कोई आजायेगा..." बोली। देखिये मेरी हालत मै उस से कोई आजायेगा कही लेकिन ऐसा क्यों कर रहे हो.. नहीं कही।

"जब तक मै घंटी नहीं बजावूं यहाँ कोई नहीं आएगा..." वह कहता मेरे टॉप को निकालने लगा। उसका जादू ऐसा था की मै कुछ कहे बिना अपने हाथ ऊपर उठाकर टॉप खोलने में उसकी सहांयता करि। टॉप के निचे मेरे 'C' कप में समाये मेरे मस्तियाँ ब्रा में खैद हैं।

""Pooja do you know how beautiful you are...?" कहते उसने मेरे गालों को और मेरे गले को चाट रहा था। उसकी जीभ गरम थी लेकिन उसका saliva ठंडा था।

"आआह्ह्ह्हम्मम्मम" मेर मुहाँसे एक मीठी सिसकार निकली। सीत्कार लेते बोली.. "Tell me how beautiful I am" कहती उससे लिपटने लगी।

"You are an angel" कहा और फिर से मेरे होंठों को चूमते मेरे स्तन दबाने लगा।

"वूं....हूँ..." मै अपने मिचकाते उसे देख कर मुस्कुरायी।

"यह झील जैसी नीली गहरी आंखे.. और उस आँखों की चमक, यह सुराहीदार गर्दन, निचे ऐसी मदभरी चूची.. और नीचे यह सफाचट पेट, बीचों बीच गहरी नाभि, पतली कमर और निचे कौड़ी होती हुयी तुम्हारे नितंब.. इस पतली कमर की लचक देखकर ही मै एयर पोर्ट पर पागल सा हो गया..." वह मुझे ऐसा वर्णन कर रहा था की मै उसकी दीवानी बनगयी।

वह मेरे घाटीले चूचियों को एक एक करके दबारहा था और मुहं में लेकर चूसते, काट भी रहा था। मै मस्ती में पागल हो रही थी। एक निप्पल को चूसता और एक को मसल रहा था। वह हाथ बढाकर मेरे स्कर्ट को मेरे बदन से खींच डाला। मै अपने कूल्हे उठाकर स्कर्ट निकलने में उसकी मदद करि। यह सब मुझे दीवारों पर लगे आईंनों मे दिख रही है। It is so thrilling you know...? मेरे छबिको देखते मै बदलों में सैर करने लगी।

"Waaaaaavvvv..what a beauty..." मेरे नग्न शरीर को निहारते कहा। मेरी नग्नता को देख कर उसकी आंखों में चमक आयी। मै उस अजनबी के सामने सिर्फ पैंटी में निर्लज्जता से बैठी हूँ। ऐसा उसके समने ठहर कर मेरे में उत्तेजना होने लगी। फिर वह और निचे को किसका और मेरे पेट को चाटने लगा। छाती के निचे से वह मेरे पेट पर आया और अपनी जीभ चला रहा था। उसकी खुरदरी जीभ, मेरे शरीर में सन सनी पैदा कररही थी। चाटते, चाटते मेरे नाभि में जीभसे कुरेदने लगा।

"आआअह्ह्ह..डार्लिंग..." कहती मैं अपनी कमर उछाली

वह मेरे पेट को गौर से देखते कहा "पूजा.. you are a mother already" कहते मेरे पेडू को चूम रहा थे। 'मै माँ हूँ इसे कैसे पता' मै सोची लेकिन जल्दी ही समझ गयी की उसने क्यों ऐसा कहा। उसने मेंरे पेट पर stretch marks देख लिया था। लेकिन वह वहां रुका नहीं चूमते चूमते यह मेरे चूत पर आया... और पैंटी के उपरसे ही मेरे फाँकों को अपने मुहं मेलिया और पैंटी के साथ चूसने लगा।

कोई तीन चार मिनिट मेरे फांकों को चूसने के बाद उसने मेरी पैंटी निचे खींचने लगा। में अपने नितम्ब उठायी ताकि वह मेरी लास्ट गारमेंट (Garment) को मेरे बदन से निकाल सके। मुलायम जांघों के बीच मेरी नग्नता को देख कर कहा "Waaaaav क्या मस्त है संतरे के फांके" मेरे थिक कंट लिप्स देखते कहा और वहां मुहं लगा दिया। जैसे ही उसकी जीभ मेरे फांकों को छूते ही मेरी कमर एक फुट ऊपर उठी।

वह मरे फांकों को अपने जीभ से निचेसे ऊपर तक चाट रहा था। उसके चाटने ऐसा था जैसे एक बिल्ली दूध की कटोरी को चाट रही है।

मै उसके सर को मेरे जांघों के बीच दबाती "राजा...आअहाह... राजा..." कही।

दोस्तों आपको मालूम ही है की मै लंड के नाम पर ही रिसने लगती हूँ, अभी भी वही हाल हुआ मेरा.. मेरी बुर एक नहर की तरह बहने लगी। उसमे से रिसते जूस को वह चटकारे लेकर निगल रहा था।

संजय मेरे बुर को चाटते, एक ऊँगली मेरी गीली बुर में घुसेड़ दिया। उसकी मोटा मिडिल फिंगर मेरे अंदर ऊपर निचे हो रही थी। उसकी ऊँगली के साथ साथ मेरी क़ामर भी ऊपर निचे निचे हो रही थी।

संजय मेरे ऊपर आया और फिरसे मेरे होंठोंको किस करने लगा। मै उसके लिए अपने होंठ खोलदी। वह मेरे ऊपर झुका हुआ था और मैंने यह महसूस किया की उसकी औजार मेरे जांघों में ठोकर मार रही है।

अब मुझसे भी रहा नहीं जारहा था। मेरी चूत में न जाने इतने चींटिया रेंग रही है। उस खुजली को मै बर्दास्त नहीं कर सकी। उसके हरकतों पर मै खिल खिलते हंसी और पूछी.. वह सब तो ठीक है; अब क्या इरादा है... What do you want to do..." में अपने निचले होंठ को दांत से दबाते पूछी।

"Darling I want to fuck you..." बोला।

"Then fuck me; what are you waiting for" उससे लता की तरह लिपटते बोली। बोलते हुए मैंने अपना दायां हाथ उसकी जांघो में लेगयी। उसके इन हरकतों से मै अपने आपको इतना भूल गयी की उसने अपने कपडे कब निकाल फेंके इसका भी मुझे ख्याल नहीं। मेरे हाथ उसकी नंगी जंघोंके बीच गयी और उसके मर्दानगी को जकड़ी... "ओह गॉड... यह क्या.. यह तो मेरी मुट्टी मे नाहिं समारहि है...' मै उसे पीछे धकेली और उसके जांघों में देख कर गभरागयी।

'ओह गॉड... ओह गॉड... यह क्या.... कितना बड़ा है यह और मोटापा देखो...ओह गॉड ओह गॉड .. तौबा...यह मुझे चीर के रख देगी' सोची। इसका तो अब तक मेरी चुदी सब लंडोसे लम्बा और मोटा है। आजतक मेरे चोदने वालों में मेरे पापा का ही मोटी और लम्बी थी.. लेकिन यह तो.. दैत्याकार है... पूरा monster है यह...' सोची और उस से यही बोली... (पढिये मै और मेरे पापा के 3 कड़ियाँ)

"Sanjay it seems it is going to rip me...." मैं अपने हाथ अपनी छाती पर रख कर कही।

मेरी बात पर वह "ह ..ह ..ह ..ह .." कहकर हंसा और बोला " मैने सुना है.. लेडीस को लम्बे और मोटे लंड पसंद है..."

"मुझे भी मोटे लंड पसंद है लेकिन यह तो.. सच में मुझे फाड़ देगी.." मैं फिरसे उसे मुट्ठी में बांधने की try करि; लेकिन वह मुट्ठी में आ नहीं रही। तब तक उसने मझे मेरे पीट के बल लिटाया और मेरे ऊपर आया। दोस्तों यह याद रहे की उसका पलंग धीमी गति से गोल गोल घूम रही है। मै बिलकुल नग्न हूँ और मेरे ऊपर वह भी। चारो दीवारोंपर लगे आईनों हमारे छबि गोल घुमते दिख रही है।

यह एक हाथ से मेरी एक चूचि को दबाते, होंठ चूमते मेरे जांघों में आया। Excitement और tension के साथ मै मेरे जंघे उसके लिए पूरी तरह खोलदी। वह अपना औजार मुट्ठी में जकड़कर मोटा लाल सुपाडे क मेरे फांकों के बीच रगड़ा..."आआअह्ह्ह्ह.... सससससस...." के शब्द मेरे मुहाँसे निकले। मै टेंशन के साथ उसका इंतजार कर रही थी। गभरहट भी होरही थी।

यह अपना कमर निचे को दबाया... उसका मोटा सुपाड़ा मेरी फांकों को चीरता 'थप' के साउंड के साथ अंदर चली गयी।

"mmmmmmmmmaaa... मै दर्द को सँभालते कही।

"डार्लिंग इस इट पैनिंग?" पुछा।

"हाँ... बहुत बड़ा है तुम्हारा.. वैसे कितना लम्बा है..?" पूछी।

"एक बार मेरी से चुदी एक मेडम ने नापी है.. 10 इंच के कुछ ऊपर है और मोटापा 4 इंच के बराबर...

"बापरे... 10 इंच के ऊपर...तुम्हार पत्नी कैसे संभालती है...?"

वह तो.. "और और' कहती है..." बोला और पुछा "वैसे तुम्हारा पति का कितना है..." वह पुछा।

"साढ़े सात इंच (7 1/2 )" मै बोली।

"ममममम...."

"क्या मममममम...?" मै पूछी।

"साढ़े सात इंच भी अच्छा ख़ासा औजार है.. तुम्हे खूब मजा मिलता होगा.. Isn't it"'

"मुझे उनसे खूब मजा मिलती है" मै बोली। यह बात सच भी है।

तब तक उसने अपना कमर और निचे दबाया और उनका मर्दानगी कुछ और मेरे में समां गयी। "आअह्ह्ह..." मुझे दर्द के साथ मजा भी मिलरही थी। दर्द को सँभालते पूछी "क्या पूरा चला गया...?"

वह एक बार फिरसे "हा हा हा हा" करके हंसा...

"क्यों हंस रहे हो...?" मै कुछ रूठते बोली।

"My Sweety अभी तो आधा ही गया है..."

"क्या सिर्फ आधा... हाय राम यह क्या किसी आदमी का लंड है या किसी..." मै रुक गयी। असल मै गधेका कहना चाहती थी लेकिन रुक गयी कहीं वह बुरा न माने।

"जानेमन यह तो आदमी का ही है.. में खुद तुम्हारे सामने हूँ.. तुम मुझे आदमी ही मानते हो न..." वह हँसते बोला। उसकी हंसी से मै फिरस अपने आपको खोने लगी। इसी बीच उसने मेरे निप्पल को मुहं में लिया और उसे हल्कासा काटते एक जोर का शॉट दिया। मुझे ऐसा लगा वह मुझे दो भागो में चीरते अंदर चली गयी हो।

"अम्माम्मा...मै मरी..." मै जोरसे चिल्लाई।

"ऐसे क्यों चिल्लारही हो.. मजा तो ले रही हो..."

"कहाँ मजा ले रही हूँ..दर्द से मरी जा रही हूँ..."

"अच्छा.. दर्दसे मरी जारहि हो और अपनी गांड उठारहि हो..." उसने पहली बार गांड का शब्द लिया...

"क्या मै मेरी गांड उठारहि हूँ...?"

"क्या तुम्हे मालूम नहीं की तुम गांड उठारहि हो...?"

"नहीं..."

"इसका मतलब क्या हुआ... तुम्हे शरीर से दर्द हो रही है.. लेकिन... तुम्हे मेरी चुदाई से और मेरे लंड्से आनंद मिल रही है.. इसीलिए तुम्हारा गांड उठ रहि (Your Ass is raising) है और इसका संकेत है की और करो..." कहते उसने एक बर और जोरका दक्का दिया... "आआह्ह्ह्ह..." मै कही.. रुको... कुछ देर हिलो मत..." मै मेरे शरीर को ढीला छोड़ते बोली। वह रुक गया.... मेरे ऊपर सीधा होकर लेट गया और एक हाथ से मेरे एक उरोज को दबाता दूसरे को चाट रहा था। उसकी जीभ का स्पर्श मह्सूस करते मै लेटी थी। उसका मेरे मे अड़सा हुआ है। मेरे स्तनों को चाटने के बाद उसने अब मेरे मुहं को चाटने लगा। मेरे गाल, गर्दन, आंखे, आँखों के पलके, माथा...यहाँ तक की उसने मेरे कानमे भी अपना जीभ घूमाने लगा। उसकी जीभ से मेरे कान के अंदर गुद गुदीसी होने लगी।

"हाय... संजय.. ऐसा मत करो प्लीज..."

"क्यों क्या हुआ..."

"गुद गुदी हो रही है।"

"कहाँ...?"

तबतक मैने महसूस किया की मेरी बुर रिसने लगी है और उसके लंड को चिपड़ने लगी। एक अजीब सी खुजली होरही तह मेरे चूत में। जब उसने 'कहाँ' पुछा तो कही.....

"जाओ..; मुझे नहीं मालूम...." कही और शर्म से लाल होती उसके छातीमे मुहं छिपली।

"यहीं खुजली हो रही है न...?" उसने मेरे अंदर बगैर हिले ही hump करते पुछा..."

मै हाँ में मेरी कमर ऊपर उठायी। जैसे ही मै कमर उठायी उसने अंदर पेलना शुरू किया। पहले धीरेसे फिर अपना टेम्पो बढ़ाया। अब मुझेभी आनंद आने लगा। उसकी छुरी मेरे चूत कि दीवरों को रगड़ता अंदर बाहर हो रही थी। एक बार मै सिर उठाकर देखि तो उसके मेरे लस लसे से चिपुड़कर चमक रही है।

"अब कैसा लग रहा है...?" एक और शॉट देते पुछा।

जवाब मै अपने कमर उछाली। फिर हम दोनों के बीच धमसान चुदाई हुयी। मेरी बुर पर उसकी हर चोट पर 'गप.. गप... तप... तप के आवाज आने लगी। मै भी अब जोशमे आगयी और चिल्लाने लगी या.. और.. फक मि.. फक..फक यस.. अंदर तक पेलो.. आअह्ह.. और अंदर मेरे राजा...अब मजा आरही है... नो पेन ऐट ऑल.... कहती मै अपनी गांड उछाल रही थी। वैसे ही हमारी चुदाई कोई 20, 25 मिनिट तक चली। गोल गोल घूमते पलंग और मै चित अपने पीट के बल और मेरा चोदू मेरे ऊपर उसका लैंड मेरे अंदर बाहर करते मुझे चूमते चाटते, मुझे पागल कर रहा था।

वह मेरे अंदर अकड़ने लगा तो मै समझी की वह अब छूटने वाला है.. मै और जोरसे कमर उठारहि थी।

"डार्लिंग.. अब ख़तम.. अंदर या बहार...?" पुछा...

"अंदर ही डाल्दो.. डोंट वरी I am on the pill कहती एक बर फिर कमर उछली। और महसूस करि की उसके गरम गरम वीर्य मुझे अभिषेक कर रही है।

"आअह्ह्ह्ह.... क्या मस्त चुदाई है..." मै सोचते मेरे शरीर को ढीला छोड़ी। चार पांच शॉट मारकर वह भी मेरे ऊपर ही गिरा।

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मै अपने सुध बुध खोकर उस अजनबी (संजय) के नीचे कब तक पड़ी रही पता नहीं चला लेकिन मुझे किसीने चाटने की स्पर्श पाकर आंख खोली। मै अभी भी गोल घूमते पलंग पर हूँ और मेरे ऊपर संजय। मेरा आंख खोलना देखकर वह मुस्कुराया तो मै भी मुस्कुरायी। वह मेरी आँखों को गालों को चाट रहा था। मेरा सारी शरीर हल्का होगया।

"तुम चूमने की जगह चाटते क्यों हो....?" मै पूछी।

चाटने में जो स्वाद जिह्वा (Tongue) को मिलती है वह मुझे उत्तेजित करती है... क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है...?" वह पुछा। मै खामोश रही। वह पलटकर खुद निचे आया और मुझे अपने ऊपर लिया। और एक बार फिर मेरे आँखों के पलकों को चाटते पुछा... "are you satisfied..?" (तुम्हे संतृप्त हुयी हो की नहीं...) मेरे एक उरोज को जकड़ता पुछा।

"बहुत... इतना की बहुत दिन होगये इतना संतृप्त पाकर..." मै बोली, उसके होंठों को मेरेमे लेकर चूसने लगी। उसके हाथ मेरे नितम्बों पर फिर रहे है। नितम्बों पर फिरते फिरते एक ऊँगली मेरी नितम्बों के दरार में भी घूमने लगी। मै फिर से चुदास होने लगी। मेरी अबतक चुदी बुरमे चुदाई के कीड़े फिरसे रंगने लगे।

"चलो साफ करलेते हैं..." कहते वह स्विच ऑफ किया तो पलंग रुक गया। वह मुझे एक गुडिया कि तरह उठाकर बाथरूम में ले आया। बाथरूम देखकर तो मै और धंग रह गयी। बाथरूम क्या वह तो एक सधारण घर की बैडरूम उतना है। आधे बथरूम में एक तरफ ग्रेनाइट से सजा ड्रेससिंग मिरर है तो दूसरी ओर बाथ टब है। इन दोनों के बीच एक पारदर्शी पर्दा लटक रही है। हम बाथटब की ओर आये। बाथटब की एक ओर कमोड थी। "do you want to piss" वह पुछा। मैंने हाँ में सर हिलायी। उसने मुझे कमोड पर बिठया, मेरे जांघों के बीच देखते कहा "चलो मूतो.."

जैसे ही मै बैठी मेरी चूत की फांके खुलगायी। उसे ऐसा देखते देख मै लजगायी।

मै सहमे से मुस्कुराती बोली... "चलो हटो.. बेशर्म कहीं के.. उधर मुहं करो मुझे जोरसे पिशाब आ रही है..."

"अरे करलो... अभी तक हम जो काम करें है अभी भी लाज आ रही है...?"

"नॉटी बॉय... कहीं के चुदानेका मतलब यह नहीं की लोग लाज लज्जा भूल जाये...चलो मुहं उधर करो..."

उसने मुस्कुराते मुहं दूसरी ओर करलिया। मै पिशाब छोड़ने लगी 'स्स्सस्स्स्सस्स्स्शस' की आवाज की साथ मेरी पिशाब निकल रही है..

"आअह्ह्ह्ह... कितना मधुर संगीत है..." मेरी मूतने की आवाज सुनकर वह कहा। तब तक मै पिशाब करचुकी थी। मै कमोड से उठी और वह आके वहां ठहरगया और कहा "अब मुझे मुताओ" मै उसका आशय समझगई और उसके पीछे आकर उससे लिपट कर मेरी मुट्ठी में उसका लंड पकड़ी। मेरे दुद्दू उसके पीट पर दब रहे थे। जैसे की मैंने कहा उसका बहुत बड़ा है.. सिर्फ एक तिहाई यी मेरी मुट्ठी में थी और बाकि का मुट्टीसे बहार। मै उसकी लंड को पकड़ी और कही चलो शुरू हो जाओ।

"डार्लिंग मेरे अंडोंको भी तो प्यार करो..." मै दूसरे हाथ से उसके बड़े नंबू जैसे अंडो को सहलाने लगी।

"ममममम..." कहे वह पिशाब करने लगा।

फिर हम दोनों कोई आधा घंटा टब में नहाते रहे। उसके बाद हम टब से बहार आये और एक एक तौलिया कमर में लपेटकर ड्रेसिंग मिरर के समने खड़े रहे। वह मेरे पीछे आया और मुझे पिछेसे हग करते मेरे गरदनको चूम रहा था। उसकी मर्दानगी फिर तैयार होरही है इसका अंदाजा मुहे मेरे कूल्हों पर की चुभन से मालूम हुआ। मेरे दोनों उरोजों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा रहा था और और मुझे पागल बनारहा था। मै भी गर्दन एक और झुकाकर उसके चुम्बनोंका आनंद ले रही थी।

फिर उसने मुझे छोटासा स्टूल पर बिठाया और मेरे आमने खड़े होकर अपना टॉवेल निकल फेंका। उसका लैंड स्प्रिंग की तरह उछली। उसे मुट्ठी में पकड़ कर मेरे मुहं में दे रहा था।

"वुहुँ... वुहुँ... कहते मै अपने मुहं को टाइट करि। वह जबरदस्ती अपना मेरे मुहं में धकेलने की कोशिश कर रहा था। उसकी कोशिश देखकर मेरी हंसी छूटगयी। मेरे हंसनेसे वह क्रुध्द हुआ और अपने हाथों से मेरे जबड़ों को जोरसे पकड़ा "आअह..." कहते मैंने मुहं खोली। उसने अपना लावड़ा मेरे मुहं में घुसादिया।

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