महारानी देवरानी 091

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बलदेव - महारानी सुहागरात - पहला सम्भोग
6.6k words
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Part 91 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 91

सुहागरात - पहला सम्भोग

घटराष्ट्र

शाम 6 बजे

बलदेव अपनी माँ देवरानी के साथ सात फेरे लेता है फिर अपनी माँ के मांग में सिन्दूर भर के और मंगलसूत्र डाल कर अपनी माँ को अपनी पत्नी बना लेता है। परिवार के सामने देवरानी अपने पति के चरण छूती है पर बलदेव अपनी माँ को अपनी बाहों में उठा लेता है। बलदेव सबको कहता है कि अगले 18 घंटे यानी कि अभी 6 बजे से ले कर कल दोपहर 12 बजे तक महल की पहली मंजिल जहाँ पर बलदेव की कक्षा थी कोई नहीं आए. बलदेव सिर्फ कमला को कह देता है कि वह समय से खाना पानी उनके कक्ष तक पहुचा दे।

बलदेव अपनी माँ को गोद में उठाये सीढिया चढ़नी शुरू करता है और उसकी दादी जीविका, बलदेव की सौतेली माँ या देवरानी की सौतन श्रुष्टि, कमला, वैध जी के साथ शमशेरा और सोमनाथ सब उन दोनों को जाते हुए देख रहे थे ।

कमला: (मन में) आज तो ये दोनों माँ बेटा ऐसे जा रहे हो जैसे सातो जन्म से पति पत्नी हो महारानी की तो आज खैर नहीं। उनकी चूत का कचुम्बर बना देगा उनका बेटा।

शुरुआत: (मन में) कितनी भाग्यशालि है देवरानी जो उसे इतना प्रेम करने वाला पति मिला और ये पता होते हुए भी के देवरानी का ये दूसरा विवाह है, बलदेव उसका साथ जीवन भर देने के लिए तैयार है, काश कोई गबरू जवान मुझे भी इतना प्यार करता।

सोमनाथ: (मन में) महाराज ने बड़ी चतुराई से जंग और महल जीतने के साथ-साथ अपनी माँ से भी विवाह कर के उनको पत्नी बना लिया। उनकी बूढी और वीरता को तो सबको मानना पड़ेगा।

जीविका: (मन मैं) घोर कलियुग! में समझती हूँ तुम दोनों की मजबूरी थी जिसमें तुम दोनों को प्रेम करना पड़ा पर इस तरह से सबको दिखा कर करोगे ये तो कभी सोचा नहीं था।

शमशेरा: (मन में) बलदेव बहुत नसीब वाला है जिसको अपनी मुहब्बत अपनी महबूबा मिल गयी और उसने अपनी माँ को बीवी बना लिया, मेरी तो नसीब ही खराब है।

वैध: (मन में) बधाईया! मेरी जड़ी बूटी का असर दोनों पर बहुत बढ़िया हुआ है। अगर आज लहू मुंह लग गया तो दोनों दिन रात एक कर एक दूसरे पर चढ़े रहेंगे।

वैध: कमला हे कमला!

सबका ध्यान बैध जी की तरफ गया।

कमला: जी वैध जी1

वैध: कहा खो गए सब के सब?

कमला: हाँ सही बात है अब हमे उन दोनों को अकेला छोड़ देना चाहिए । हमें तो अभी बहुत काम करने है।

वैध: वो सब छोडो । दूध तो दे आओ और साथ में वह जडी बूटी भी दे आना ।

कमला: हाँ-हाँ क्यू नहीं?

कमला झट से दूध ला कर उसे गर्म कर उसमें जड़ी बूटी मिलाने लगती है।

उधर बलदेव देवरानी को ले कर सीढ़ियों से ले कर ऊपर चढ़ रहा था । सीढिया चढ़ते समय बलदेव देवरानी को आंखो में देख रहा था और देवरानी भी बलदेव को देख जा रही थी।

देवरानी: संभल के महाराज कहि गिरा ना देना!

बलदेव: रानी माँ मैं जीवन भर तुम्हें उठा कर रख सकता हूँ और फिर भी मैं आपको गिरने नहीं दूंगा।

बलदेव अब ऊपर आ चूका था या एक धक्के के साथ अपना कक्ष का दरवाजा खोलता है और अपना काक्ष देख कर बलदेव बहुत खुश होता है बलदेव का पूरा कक्ष फूलो से सजा हुआ था। गुलाब और चमेली तथा गेंदो का फूल से पूरा बिस्तार सजा हुआ काक्षा में चारो तरफ कहीं दिया तो कहीं मोमबत्तियाँ जल रही थी।

देवरानी तो कक्ष देख कर इतनी खुश थी कि बिना पलक झपकाए देखे जा रही थी।

बलदेव: कैसा लगा रानी माँ?

देवरानी: हाँ या तो रानी कहो या तो माँ कहो!

बलदेव: क्यू दोनों क्यों नहीं हो सकता?

बलदेव पलंग के करीब आता है और देवरानी को पलंग पर बैठाता है तभी बाहर से आवाज आती है।

"महाराज...महारानी!"

देवरानी, देखिये न कमला लग रही है।

बलदेव: ठीक है पत्नी जी जो हुकम।

बलदेव दरवाज़े पर आता है तो देखता है कमला दो जग और एक गिलास में कुछ के कर द्वार पर थी।

कमला: क्षमा करे महाराज वह दूध रखना भूल गई थी।

बलदेव: अंदर तो पहले से खाने पीने का सब सामान है बहुत फल, मिठाईया भी रखे है काजू बादाम मेवे भी है।

कमला: महाराज ये वैध जी में विशेष दूध भिजवाया है समझने की कोशिश कीजिये और ये कुछ जड़ी बूटी जय जो खास कर महारानी के लिए हैं।

बलदेव बात को समझते हुए मुस्कुराता है।

बलदेव: धन्यवाद...पर तुम इसके बाद सिर्फ दो बार आना एक रात का खाना ले कर और कल सुबह का नाश्ता ले कर आना। बीच में मत आना चाहे कोई भी मर जाए, कुछ भी हो जाए । ठीक है!

कमला: जी महाराज जैसी आपकी आज्ञा!

बलदेव कमला के हाथ से वह थाली ले लेता है और दरवाजा बंद करके कुंडी लगा देता है और पास रखी मेज़ पर थाली रख देता है।

इधर कमला मुड कर सीढ़ियों से नीचे उतरने ही वाली थी की उसे किसी के हाफने की आवाज आती है।

कमला: (मन में) ऊपर तो बलदेव के सिवा कोई नहीं होता है फिर येआज इस समय कौन हांफ रहा है।

कमला उस आवाज का पीछा करते हुए आती है और देखती है बलदेव के कक्ष के बिल्कुल साथ सटे कक्षा में राजा राजपाल कुर्सी पर बंधा हुआ था । उसका हाथ और उसका मुंह बाँधा हुआ था और वह अपने आप को खोलने की कोशिश कर रहा है।

कमला कक्ष के पास पहुँचते ही हवा से उड़ रहे कक्ष के परदे के बीच से राजपाल को ऐसे बंधा हुआ देख कर चौंक जाती है।

कमला: (मन में) हे भगवान ये बलदेव के कक्ष की बिल्कुल बगल में है और बाहर से भी ये कक्ष बंद है। इसका मतलब बलदेव ने जान बुझ कर इनको यहाँ बाँधवाया है। ऐसे तो रात भर देवरानी की उह आह की आवाजे सुन कर भूखा प्यासा राजा राजपाल कहीं मर ही नहीं जाए! चलो ये इनके कर्मो की सजा है जो इन्हे मिल रही है ।

कमला ये सोचते हुए अपने कदम पीछे ले कर सीढ़ियों से उतर कर नीचे आ जाती है।

बलदेव जड़ी बूटी मिले दूध के जग और गिलास को मेज पर रख कर जैसा ही मुड़ता है तो देखता है उसकी माँ देवरानी बड़ा-सा घूंघट किए हुए पलंग के बीच में बैठी है। बलदेव अपनी माँ को देख मुस्कुराता है और अपनी मूंछो पर हाथ फेरते हुए ताव देता है और पलंग के पास जा कर कहता है ।

बलदेव: अच्छा तो मेरी दुल्हन ने अब-अब घूंघट कर लीया है।

देवरानी कुछ नहीं बोलती है।

बलदेव सामने की मेज से जग से दूध को गिलास में डाल कर ले आता है और पलंग के कोने पर बैठ कर कहता है ।

रानी माँ ये लो दूध पी लो"

देवरानी अब भी घूँघट किये बैठी थी देवरानी अपने हाथों को घुटने पर रखे हुए थी और घुटने मोड़ कर बैठी थी देवरानी अपने पैरो की उंगलियों से बिस्तर दबा रही थी।

देवरानी: (मन में) हे भगवान आपकी कृपा से अब मेरा बेटा मेरा पति बन गया है अब मेरा रोम-रोम कांप रहा है कैसे कर पाऊंगी सब। मदद करो मेरी भगवान्!

देवरानी की दशा वही थी जो किसी की भी माँ की होगी अगर वह अपने बेटे से विवाह कर के दुल्हन बन अपने बेटे के साथ बंद कमरे में सुहाग रात की सेज पर हो।

बलदेव दूध का गिलास पलंग के कोने पर रख देवरानी का हाथ जो हल्का-सा कांप रहा था उसे अपने हाथों में ले लेता है और या सहलाता है।

बलदेव: रानी माँ हमारी जिंदगी का ये दिन हमे बहुत पसंद है और ये आपकी प्रार्थना का वरदान है जो हमे मिला है। यदि आपको कोई संकोच है तो आज हम कुछ नहीं करेंगे।

ये सुनते हैं देवरानी अपने बेटे बलदेव की तरफ खिसक कर उसके सीने पर अपना सर रख कर अपने बेटे से जो अब उसका पति था उससे गले लग जाती है, बलदेव मुस्कुराता है और देवरानी को अपनी आगोश में ले लेता है फिर अपना हाथ देवरानी के सर पर रख कर सहलाते हुए कहता है ।

"अरी मेरी प्यारी दुल्हन क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि कोई इतनी सुंदर दुल्हन को सुहागरात में ऐसे ही छोड़ देगा!"

ये कह कर बलदेव हल्का-सा हस देता है।

देवरानी अपना हाथ उठा का मुक्का बना कर हल्का-हल्का बलदेव के चौड़े सीने पर मारती है।

बलदेव: अरे मेरी रानी अब शर्माओ मत अपना मुँह दिखाओ!

बलदेव ये कह कर देवरानी का घुंघट को पकड़ता है और घूँघट धीरे-धीरे ऊपर करता है जिससे देवरानी का चेहरा दिखने लगता है। देवरानी के शरीर में कम्पन बढ़ने लगती है आख़िरकार धीरे-धीरे बलदेव देवरानी का घुंघट उठा कर उसके सर पर रख देता है। देवरानी आँखे नीचे किये हुए बैठी थी ।

बलदेव: मेरी रानी इतने सुंदर मुखरे को छुपाया नहीं जाता । अपने पति से बोलो देवरानी क्या चाहती है मुँह दिखाई में?

देवरानी अपनी पलकें ऊपर उठाती है और बलदेव को देखती है, फिर शर्मा आकर पलके नीचे कर लेती है । बलदेव जो उसके चेहरे को देख रहा था और अपनी सुंदर पत्नी पर गर्व महसूस कर रहा इतरा रहा था। देवरानी खुश होती है कि बलदेव अपनी पत्नी पर और उसकी सुंदरता पर इतना इतरा रहा है।

बलदेव: बोलो रानी माँ!

देवरानी सकुचाते हुए बोलती है ।

देवरानी: मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहना । मुझे आपसे और कुछ नहीं चाहिए।

ये कह कर बलदेव को देखती है जो आज दूल्हे के जोड़े में बहुत जच रहा था और उसके माथे के तिलक से बलदेव और अधिक सुंदर लग रहा था।

देवरानी अपने बेटे को देखते हुए अपने बेटे से गले फिर से लग जाती है।

देवरानी: बेटा मेरा साथ कभी नहीं छोड़ना।

बलदेव: मां अब मैं तेरे बेटे के साथ अब मैं पति भी हूँ। मैं एक रिश्ता छोड़ का भाग सकता था लेकिन इन दोनों रिश्तो को कभी नहीं छोड़ सकता।

देवरानी आगे बढ़कर बलदेव के हाथ अपने हाथ में ले कर कहती है ।

देवरानी: तो वादा करो कि तुम अन्य राजाओ की तरह दूसरा विवाह नहीं करोगे ।

बलदेव देवरानी के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए सहलाता है।

बलदेव: नहीं करूंगा।

देवरानी बलदेव के हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर बलदेव से कस के गले लग जाती है और उसके मोटे मम्मे बलदेव के सीने में धस जाते हैं।

देवरानी: मेरी राजा! वादा करो तुम किसी और स्त्री से सम्बंध भी नहीं रखोगे।

बलदेव: कभी नहीं मैं तुम्हें धोखा देने का सोच भी नहीं सकता देवरानी!

बलदेव अपना हाथ देवरानी के पीठ पर ले जा कर सहलाता है।

देवरानी अपने पति के सामने हाथ जोड़ कर कहती है।

देवरानी: मेरे पतिदेव बलदेव सिंह आज से मैं आपकी हुई आपका हर हुकम मैं मानूंगी आज से मेरा नाम देवरानी बलदेव सिंह हुआ।

बलदेव: बहुत तेज़ हो रानी माँ अभी से कब्ज़ा करने लगी।

देवरानी: क्यू ना करू लोगों को मेरा नाम सुन कर पता चलना चाहिए मैं किसकी पत्नी हूँ।

बलदेव हल्का पीछे हाथ कर देवरानी के माथे को चूम लेता है।

बलदेव: मैं हमेशा से ऐसी ही पत्नी चाहता था और भगवान ने भी मेरा विवाह तुम से करवा कर मेरा सपना पूरा कर दिया।

बलदेव पलंग पर अपने दोनों टाँगे सीधा करते हुए देवरानी का सर अपने कांधे पर रख आधा लेट जाता है देवरानी भी बलदेव से चिपक कर अपना एक दूध बलदेव के कंधे पर सता कर रखे हुए थी और उसने अपनी एक टांग बलदेव की टांग पर चढ़ा ली।

देवरानी: मैं भी राजपाल से विवाह से पहले ऐसा सोचती थी की मेरा एक मजबूत कद काठी और सुंदर पति हो पर राजपाल से विवाह होने के बाद जैसे मेरा ये सपना चकचूर हो गया था।

बलदेव देवरानी के बालो को लातो को अपने हाथो से सुलझाता हैं।

"तो माँ आज मुझे अपना पति बना कर आपको अच्छा लग रहा है ना, कहीं आपके सपने का राजकुमार मुझसे भी तो सुंदर नहीं।"

देवरानी हल्की-सी चपत बलदेव के मजबुत कंधे पर मारते हुए कहती है ।

"हट बदमाश! तुम से अच्छा पति मुझे सात जन्मों में नहीं मिल सकता। मेरे सपने के राजकुमार तुम हो!"

बलदेव ये सुनते हे देवरानी के पीठ से पकड़ कर अपनी ओर खीचता है और अपने ओंठ देवरानी के ओंठो पर रख कर पहले एक हल्का-सा चुंबन लेता है । फिर देवरानी के होठो को अपने होंठो में ले कर चूसने लगता है।

"गैल्पप्प गैलप्प्प्प गैल्प्प् उम्म्ह्ह्ह गैल्प्प् स्लुरप्प्ल गैल्प्प्प्प गैल्प्प सुमम्ह्ह!"

बलदेव देवरानी के होंठ चूस कर छोड़ता है।

देवरानी: बेटा मैं तो पूरे जीवन भर भगवान से यही प्रार्थना करूंगी मेरे सातो जन्म में तुम ही मेरे पति हो!

बलदेव देवरानी के कमर पर हाथ रख कर सहलाते हुए देवरानी के कान के नीचे चूमता है और अपनी जीभ बाहर निकल कर चाटने लगता है।

देवरानी: आह जी धीरे करो ना!

बलदेव देवरानी को देखता है उसके बड़े सुडौल स्तन और आगे की ओर नुकीले निपल बिल्कुल मोटे आम जैसे थे। उसकी सपाट कमर बहुत अच्छी तरह से मुड़ी हुई थी जिसके कारण उसके नितंब सुडौल थे।

बलदेव: माँ तुम्हारे जैसी माल मेरी पत्नी है भला मैं धीरे कैसे कर सकता हूँ।

कहते हुए बलदेव पुरा बिस्तर पर लेट जाता है और देवरानी को अपने बाहो में भरते हुए अपने ऊपर ले लेता है। देवरानी अब पुरा बलदेव के ऊपर लेटी हुई थी और उसका सर बलदेव के सीने पर था।

बलदेव: माँ मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम मेरी पत्नी बन जाऊंगी और इस सब के लिए कमला ने भी हमारी बहुत मदद की।

देवरानी: वह मेरी बहन जैसी है । वही उस वक़्त में मेरा सहारा थी ।

देवरानी बलदेव के सीने पर अपना कान लगा कर कहती है ।

देवरानी: मैं भारी तो नहीं लग रही हूँ?

बलदेव देवरानी के कमर पर हाथ रख कर अपने से दबाता है।

बलदेव: बिलकुल नहीं मेरी रानी ।

देवरानी: हाँ तुम ठीक कह रहे हो कमला ने ही हम दोनों के बीच प्रेम का बीज बोया था।

बलदेव: पर हम दोनों भी तो एक दुसरे तो अंदर ही अंदर चाहते तो थे ही ।

देवरानी: हाँ तुम्हारी धड़कन भी यहीं कह रही है।

बलदेव: अच्छा तो अब तुम मेरी धड़कन की भाषा भी समझने लगी।

देवरानी: एक अच्छी पत्नी बनने के लिए पति की हर भाषा को समझनी पड़ती है ।

बलदेव अपने ऊपर लदी देवरानी की गांड पर हाथ ले जाता है जो बिल्कुल उसके लंड के ऊपर थी और अपने हाथ को गांड से दबाता है जिस से देवरानी की चूत पर बलदेव का खड़ा मूसल लंड छू जाता है।

बलदेव, और इसकी भाषा को?

ये कह कर देवरानी को देख मुस्कुराता है।

देवरानी: आह...!

देवरानी अपना मेहंदी लगे हुए हाथों से मुक्का बना कर बलदेव के सीने पर एक मुक्का मारती है।

"बदमाश! "

और अपना सर बलदेव के चौड़े सीने में शर्म से छुपा लेती है।

बलदेव: बोलो भी!

देवरानी एक बार अपना सर ऊपर उठाती है और बलदेव के चेहरे पर देख कर शर्माते हुए कहती है।

देवरानी: हाँ इसकी भाषा भी समझना पत्नी का धर्म है।

और वापस अपना सर बलदेव के सीने में छुपा लेती है।

बलदेव देवरानी मोटे खरबूजे जैसे अकार की गांड को सहलाते हुए पकड़ता है और नीचे से अपने खड़े लंड से ऊपर की तरफ अपनी माँ की चूत पर धक्का मारता है।

देवरानी: आआह!

बलदेव: तो समझो ना माँ इसकी भाषा!

बलदेव इस बार और ज़ोर से अपना लौड़ा देवरानी के बुर पर मारता है।

देवरानी की पैरो की पायल छन-छन बज रही थी। जब भी बलदेव अपनी माँ को दबा रहा था और पूरे काक्षा में दोनों प्रेमी जोड़े के अहसास महौल को गर्म बना रहे थे।

पर वही बगल के हे कक्ष में बंधे राजा राजपाल को पूरी बात तो नहीं सुन रही थी पर इन दोनों माँ बेटे (जो अब पति पत्नी थे) की खुसुर फुसुर की आवाज आ रही थी और राजपाल को समझने में देर नहीं लगी के अंदर उसकी पत्नी और उनका बेटा क्या गुल खिला रहे हैं तभी राजपाल को देवरानी की जोर की कराह "आआआह" " सुनाई दी और राजपाल अपना बंधा हुआ हाथ गुस्से में आकर खोलने की नाकाम कोशिश करने लगता है। उधर देवरानी इस बात से बिल्कुल अंजान थी कि उसका पहला पति राजपाल साथ वाले कक्ष में बंधा हुआ उसकी हर जोर की कराह सुन रहा था।

पलंग पर दोनों माँ बेटे एक दूसरे में सांप ो के जोड़े की तरह लिपटे हुए थे और बलदेव देवरानी की पीठ से ले कर गांड तक सहलाये जा रहा था।

देवरानी: कुछ सालो बाद मैं तो बूढ़ी हो जाऊंगी तो फिर अपने इस शेर के लिए तो दूसरी परी ढूँढ़ोगे ही!

देवरानी बलदेव के लौड़े पर निशाना मारते हुए कहती है।

बलदेव: माँ कौन कहता है तुम से कि तुम कुछ ही साल में बूढ़ी हो जाओगी? तुम्हारी उम्र अभी 34 साल ही तो है।

देवरानी: पर तुम तो 18 के हो।

बलदेव: माँ तुम 60 साल की हो जाओगी तो भी मैं तुमसे उतना प्यार करूँगा और किसी गैर स्त्री को देखूँगा नहीं।

देवरानी: देखते हैं वह तो समय बताएगा।

बलदेव देवरानी को पकड़ कर अपने बाहो में कस लेता है और पलट कर देवरानी के ऊपर आता है।

बलदेव देवरानी के दूध के बीच अपना मुंह रख कर अपना लौड़ा देवरानी की चूत के ऊपर रख कर दबाते हुए कहता है ।

"मां मेरा ये शेर तुम्हें कभी बूढ़ा नहीं होने देगा और वैसे भी शेर शेरनी कभी बूढ़े नहीं होते।"

"तो मेरे राजा तो तुम हमेशा मुझपे ऐसे ही चढ़े रहोगे।"

"हाँ माँ राजपाल ने तुम खोल तो दिया पर फेला नहीं पाया।"

"भक्क!"

"सच्ची माँ इसलिए तुम गदरा गई पर फेली नहीं। मैं और मेरा शेर मिल के तुम्हारी सेवा कर के फैला देंगे, फिर देखना तुम्हारी जवानी कहर ढाएगी।"

"बड़ा आया देखेंगे सही में शेर है या चूहा।"

देवरानी बलदेव को अपनी बाहों में भर लेती है और बलदेव को अचानक से पलट कर उसके ऊपर आ जाती है।

"मां हम से ना जीत पाओगी, पत्नी हो इसलिए छोड़ रहा हूँ।"

देवरानी: चुप रहिए आप के अंदर अभी ताकत की जरूरत है दूध पी लीजिये ।

देवरानी पास रखे दूध का गिलास ले कर बलदेव को देती है बलदेव उठ कर बैठ जाता है और गिलास हाथ में ले लेता है ।

"माँ दूध तुम पियो जिससे हमारे आने वाले बच्चे को दूध की कमी ना हो।"

देवरानी बलदेव के साथ बैठ कर कहती है ।

"लो पियो दूध नखरे मत करो बलदेव जी!"

"सोच लो देवी जितना दूध पिलाओगी उतना मेरा सांप आपके बिल को खोदेगा ।"

देवरानी ये सुन कर लज्जा जाती है।

"पियो! सब मर्द ऐसे ही कहते हैं।"

बलदेव देवरानी की नज़र एकर अपने एक हाथ से गिलास को पकड़ता है और देवरानी एक हाथ से गिलास पकड़ती है। बलदेव नीचे झुक कर दूध पीने लगता है।

"मां इस दूध में वह मजा नहीं जो वह दूध में है।"

बलदेव देवरानी के बड़े दूध की थैलियों की ओर इशारा करता है।

"माँ अब तुम भी पी लो!"

बलदेव दूध का ग्लास देवरानी की ओर बढ़ाता हैऔर देवरानी भी दूध पीने लगती है ऐसे वह बारी-बारी से दोनों दो ग्लास दूध पीते है ।

देवरानी: कहते हैं पति का झूठा पीने से प्यार बढ़ता है।

तभी बलदेव को कुछ ध्यान आता है या वह पलंग से उतर कर उस थाली में से कुछ जड़ी बूटी देवरानी को देते हुए कहता है ।

बलदेव: देवरानी जी ये कमला ने दी थी तुम्हें खिलाने लेने के लिए कहा था। क्या है ये?

देवरानी बलदेव से हाथ ले कर वह दूध के साथ गटक जाती है।

बलदेव: रानी माँ तुझे देख के अपने आपको रोकना मुश्किल हो जाता है।

बलदेव फिर देवरानी के चेहरे को चूमने लगता है कभी उसके कान को चूमता तो कभी उसकी आँखों को तो कभी उसके माथे को । नीचे बलदेव के हाथ देवरानी के भारी मम्मो को बुरी तरह से पीस रहे थे और देवरानी सिस्की लेते हुए आँखे बंद किये हुए लेटी हुई थी।

"आह राजा ऐसे हे मेरे पति!"

बलदेव नीचे हाथ बढ़ा कर देवरानी के लाल घाघरा के नाड़े को खोल देता है अब देवरानी सिर्फ एक गुलाबी ब्रेज़ियर और जांघिये में थी।

"मां तुम इज ब्रेज़ियर और जांघिये में काम देवी से कम नहीं लग रही हो।"

"हाँ बेटा ये छोटा है।"

"मां ये छोटे नहीं आपका शरीर ज्यादा भारी है।"

बलदेव देवरानी को अपने बाहो में ले लेता है और उसको बेतहाशा चूमने लगता है।

बलदेव पलंग से उतर कर खड़ा होता है और देवरानी को अपनी बाहों में ले कर उठा लेता है।

"अरे राजा बेटा कह ले जा रहे हो।"

"मां मुझे तुम्हारी बुर को चाटना है।"

"धत्त!"

शर्मा जाती है देवरानी।

बलदेव देवरानी को उठा कर मखमली गद्देदार कुर्सी पर बैठा देता है और खुद नीचे लेट कर बोलता है ।

"माँ चूत खोलो मुझे चाटना है। "

"हट बदमाश कहीं कोई ऐसे बोलता है क्या?"

बलदेव अपनी जीभ बाहर निकाल कर देवरानी के जांघिये के ऊपर से देवरानी की जांघो को चाटता है और फिर अपनी जीभ जांघिये के ऊपर से पाव रोटी जैसी फूली हुई अपनी भारी भरकम माँ की मोटे होठों वाली चूत को अपने जीभ से छूता है।

"आह बेटा!"

बलदेव अपने आखे बंद किये जीभ से ऊपर से ही चाटने लगता है, देवरानी से रहा नहीं जाता है और वह अपने ब्रेज़ियर के ऊपर से अपने दूध को मसलने लगती है फिर हाथ नीचे ले जा कर अपनी जांघिये को खींचते हुए कहती है ।

"ले बेटा चाट ले अपनी माँ को!"

बलदेव अपनी माँ की चूत को देख पहले अपने होठों से उसको चूमता है फिर अपनी जीभ लगा कर चाटते हुये कहता है ।

"माँ पूरा कहो ना! "

"आह हम्म उह क्या कहु?"

"क्या चाटु आपका?"

"आह राजा मेरी बुर चाट ले!"

बलदेव अपने जिभ की नोक बना कर चटने लगता है।

देवरानी सीधी बैठती है और अपना उंगली बलदेव के मुंह में रख कर मुस्कुराती है ।

"बड़ा चटोरा है तू"

"तेरे चूत में इतना रस, है माँ, की मैं चटोरा बन गया।"

"अब बस चलो बिस्तर पर!"

देवरानी उठ खड़ी होती है बलदेव भी उठ कर बिस्तर पर लेट जाता है।

देवदानी उठ ते फिर से अपनी चूत को जांघिये से ढक लेती है।

"माँ क्यू ढक रही हो, निकल दो इसे अब!"

देवरानी एक अदा से अपनी जांघिया निकलती है।

"लो अब खुश मेरा राजा बेटा!"

"मां तुम्हारी ये झटेदार चूत मुझे दीवाना बना रही है।"

"हैट पगले!"

या लज्जा कर अपना सार आला कर की खादी हो जाती है।

"मां खड़ी हे रहोगी क्या जरा अदा से चल कर आओ जैसे वस्त्र में अपनी भारी गांड या चूचे मटका के मुझे दीवानी की वैसी हे।"

देवरानी एक अदा से चल कर आने लगती है उसका भारी चूचे एक सुर में हिल रहे थे उसकी गांड की थिरकन या पेट देख बलदेव अपना वस्त्र निकाल कर फेकने लगता है।

"मां तुम्हारी यही चल ने मेरे लैंड को बहुत परेशान किया क्या है आज तेरी चाल खराब कर दूंगा ।"

देवरानी देखती है बलदेव अपना पूरा वस्त्र निकाल दिया है या अपने लौड़े को हाथ से पकड़ लेता है।

बलदेव जैसा वह अपना हाथ लौड़े से हटाता है।

देवरानी आँख फाडे रुक जाती है।

देवरानी: यार मैं मर जाऊंगी आज लगता है कितना बड़ा है।

"क्या हुआ रानी माँ शेरनी बनती थी बहुत लो अब मेरा लौड़ा तो जानू कितनी बड़ी महारानी हो पारस की।"

देवरानी डर तो रही थी पर डरने का नाटक नहीं करती।

" मैं डरने वालो से नहीं। "

बलदेव ये सुन खड़ा हो जाता है।

"आजा मेरी रानी ।"

"क्या मैं ये सब नहीं कह सकता ।"

"मां नाटक ना करो कामसूत्र की पुस्तक में पढ़ी तो हो कैसे क्या जाता है।"

देवरानी मुझे सोच में थी क्या करे।

"माँ लो ना इसे मुँह में यहीं आज से आपका असली पति हूँ जो आपकी और आपकी चूत की सेवा करेगा।"

देवरानी शर्मा जाती है और धीरे से नीचे बैठ जाती है।

बलदेव आगे खिसक कर देवरानी के मुंह के पास अपना 9 इंच का हल्लाबी लौड़ा ले जाता है। देवरानी ने मुँह हल्का-सा खोला ही थी के बलदेव देवरानी का सर पकड़ कर लंड देवरानी के मुँह में ढकेल देता है।

"उह मम्म आह!"

"ले मेरी रानी अपने बेटे का लौड़ा ले!"

देवरानी अपने हाथ में जैसे तैसे लंड पकड़ मुँह में।

"गल्प" से ले कर चूसने लगती है।

मुँह में लेते ही उसे एक झटका लगता है।

"कितना गरम है राजा ये लोहे-सा है।"

"तुम्हारे जैसा मज़बूत माल के" लिये लोहे का लौड़ा ही चाहिए । मेरी रानी! मुँह में भर के चूसो इसे।"

"उम्म्ह माँ ऐसे ही हम्म्म्म!"

थोड़ी देर लौड़ा चूसने के बाद!

"राजा बेटा बस!"

"आज सुहाग रात है हमारी आज बस नहीं!"

बलदेव देवरानी को उठा के बिस्तार पर पटक देता है।

"ओह्ह माँ! तुम्हारे ये भारी मम्मे! हाथ में लो अपने मम्मे!"

देवरानी अपने हाथों में अपने दूध ले लेती है।

"आओ चूसो इसे मेरे राजा!"

"मां इनकी थिरकन ने मुझे बहुत सताया है।"

बलदेव डोनो मम्मो को बारी-बारी से खूब दबा-दबा के चूसता है फ़िर देवरानी को पलटा कर देवरानी की गांड पर दो थप्पड ज़ोर से मारता है।

"आआआआ बेटा नहीं!"

देवरानी अचानक अपने नितम्बो पर ऐसे थप्पड़ मारे जाने से जोर से चिल्ला उठती है और उसकी आवाज फिर से उसके पहले पति राजपाल के कानो में गूंजती है।

बलदेव देवरानी की गांड को बेरहमी से दबाने लगता है।

"माँ इस गांड को इतना मटकती हो तुम कभी लिया है कि नहीं इसमें लौड़ा।"

देवरानी बलदेव के सीने से लग जाती है।

"पति देव जी नहीं लिया कभी । ऐसी गंदी बाते ना करो ना मुझे शर्म आती है।"

बलदेव अपना लौड़ा देवरानी की चूत पर घिसता है और अपने एक हाथ से देवरानी की बुरी गांड को पकड़ कर मसल रहा था और दूसरे हाथ से एक दूध को मसल रहा था । देवरानी के होठों को अपने होठों में लिए बलदेव चूस रहा था।

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