महारानी देवरानी 091

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"तुम्हारा अंग-अंग मुझे पागल कर रहा है मेरी रानी!"

"आह बलदेव तुमने मेरा शरीर तोड़ कर रख दिया । चारो ओर से सब कुछ मसल रहे हो । मैं भी ऐसे मसलवाने के लिए मैं बहुत तरसी हूँ।"

"अभी तक तुम्हें कोई मर्द नहीं मिला था। माँ आज तुम्हें पता चलेगा मर्द क्या होता है ।"

"हन रज्जजाआह आह कमला सही कहती थी मेरे जैसे भारी भरकम स्त्री के लिए कोई तगदा मर्द हे चाहिए, जो अंग-अंग निचोड़ दे जैसे तुम निचोड़ रहे हो।"

बलदेव देवरानी को बिस्तर पटक देता है।

"देवरानी अभी तुम्हें पता चल जाएगा ये तुम्हारा बेटा चूहा है या शेर।"

देवरानी को लिटा कर बलदेव अपना खड़ा लौड़ा देवरानी के बड़े मम्मो के बीच रख देता है और आगे पीछे कर पेलने लगता है।

"ये लो मेरी रानी इसे अपने बड़े दूध में बहुत कूदते हैं ये ना ये।"

"आआह बेटा आह!"

"अपना मुँह खोल मेरी रानी।"

देवरानी अपना मुँह खोलती है।

बलदेव एक दो घस्से दोनों पपीतो के बीच लगाता है।

और फ़िर बलदेव अपना भारी हल्लाबी लौड़ा देवरानी के खुल्ले मुँह में भर देता है।

"लो इसे चूसो!"

"उन्ह अम्म्म्म आआआह उह्म्म्म!"

देवरानी चस्का ले कर लंड चुसने लगती है।

बलदेव का लौड़ा परिकम का हल्का पानी छोड़ रहा था जिसे देवरानी चाट लेती है बलदेव अब सीधा लेट जाता है और देवरानी बैठ कर फिर से बलदेव का लौड़ा पकड़ लेती है।

देवरानी बलदेव के लौड़ा को पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए मुंह से चूसे लगाने लगती है।

"आआह माँ ऐसे ही।"

"बेटा मुझे यकीन नहीं होता इतना बड़ा हो सकता है ये।"

"आह आ माँ ऐसे ही हिलाओ।"

देवरानी झुक कर "गप" से मुहं में अपने बेटे का पूरा लौड़ा भर लेती है और उसे चूसने लगती है।

"आआआह मा जीभ से चाटो हा आआह ऐसे ही चाटती रहो ।"

बलदेव अब उठ गया फिर से देवरानी को सीधा लिटा की चूत को देख कर कहता है ।

"माँ ये वही चूत है जिसके सपनों ने मेरे काई राते ख़राब की है।"

"आह तो देख ले इसे जितना देखना है।"

"सिर्फ देखूंगा नहीं...!"

बलदेव अपनी बीच की उंगली चूत में डाल देता है।

" आह राजा! हे भगवान देवरानी अपनई आँख बंद कर लेती है और बलदेव उंगली आगे पीछे करने लगता है। थोड़ी देर उंगली करते हुए बलदेव नीचे झुक कर देवरानी की चूत के दाने को चाटता है और दो उंगली चूत में घुसा देता है।

"आआह राजा आआआह हाय! उफ्फ्फ हे भगवान!"

बलदेव देवरानी की चूत में अपनी जीभ से देवरानी की चूत को खुरच रहा था देवरानी की चूत पानी छोड़ने लगती है।

देवरानी को बलदेव खीचता है और अपना लौड़ा हाथ में ले कर देवरानी की चूत पर लगाता है और अपने लैंड से चूत के चारो ओर सहलाता है।

देवरानी आख बंद किये पड़ी थी।

देवरानी: (मन में) हे भगवान बच्चा लेना।

"रानी माँ डाल दू।"

"हाँ राजा!"

"देवरानी! आखे तो खोलो मेरी जान।"

"नहीं मैं नहीं देख सकती।"

"कुछ नहीं होगा रानी डरो मत! नहीं तो मैं नहीं डालूंगा!"

देवरानी ये सुनते हैं वह अपने आखे खोल देती है।

"राजा बेटा ना तड़पाओ ना! अब करो।"

"क्या करु माँ?"

"आह राजा जिसका तुम दिन रात सपना देखा करते थे । वह करो! मुझे पूरी तरह से अपनी पत्नी बना लो ।"

"क्या करु महारानी देवरानी?"

"कमीने...तो सुनो! अपना लिंग को मेरे योनि में प्रवेश कराओ! देवरानी को ये चाहिए!"

"मां मुझे आपके शब्दों का अर्थ समझ नहीं आया" बलदेव शैतानी के साह मुस्कुराता है ।

"राजा बेटा अपनी माँ को पत्नी बना लो । अपना मोटा लौड़ा मेरे चूत में डालो।"

ये कहते हुए देवरानी अपना हाथ ले जा कर लौड़ा अपने हाथो से पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लेती है और अपनी आँख बंद करके प्रार्थना करने लगती है।

बलदेव मुस्कुरा कर अपने बहुत पर हाथ फेरता है या देवरानी के संगेमरमरी शरीर को ऊपर से नीचे तक देख कर एक जोरदार धक्का मारता है।

"" खच्च्ह्ह" की आवाज से लौड़ा देवरानी की चूत में घुस जाता है और देवरानी चिल्ला पड़ती है ।

बलदेव: आआह माँ!

बलदेव भी आखे बंद कर लेता है।

देवरानी: आआआआआआआआह हाये मैं मर गयी।

देवरानी की पनियाई चूत में खच से लौड़ा अंदर घुस जाता है।

बलदेव आख बंद किये थे और देवरानी भी आख बंद किये चिल्लाये जा रही थी।

बलदेव बिना रुके धीरे-धीरे धक्के मार रहा था।

देवरानी आअह्ह्ह मर गयी बलदेव आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई दारद्दड़ड़ड़ड़ हो रहा है और देवरानी की चीख से बलदेव और मदहोश हो गया और देवरानी की हथेलियों को अपनी हथेली से दबाते हुए उसकी की चूत पर एक ज़ोर का शॉट मारा और उसका लंड 2 इंच अंदर घुस गया। अब दर्द से दोहरी देवरानी मा मा कहकर चीखने लगी और छटपटाने लगी थी। फिर बलदेव ने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो उसका फनफनाता हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया।

अब वह मा कहकर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी, मुझे मार डाला जालिम है, मार डाला मुझे आआईईईईई रे प्लीज़ अपनी मुझ पर रहम कर, पूरी लोहे की रोड घुसा दी है, में मर जाउंगी, आआई आईईईई। मर गयी!

देवरानी: निकाआलो निकाआआलो।

ये आवाज़ इतने ज़ोर से थी कि राजपाल का सर दुखने लगता है और उसकी आँखों में आसु आते हैं।

बलदेव ने अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। फिर जो वह चीखी, तो पॉर्रा महल हिल गया, लेकिन बलदेव उसे चोदता रहा, चोदता रहा।

बलदेव अपनी आंखें खोलता है और चूत की तरफ देखता है तो उसने देखा कि देवरानी की चूत से खून निकल रहा था ।

देवरानी अपने पैर बलदेव के सीने पर रख धक्का देती है और खुद पीछे हो जाती है।

" पच्च की आवाज से चूत से लौड़ा निकल जाता है जैसे बोतल का धक्का खुला हो।

देवरानी दर्द से कराह रही थी उसकी आँखों में आसु थे।

बलदेव झट से पास पड़ा कपड़ा उठाता है और पहले अपने लौड़े पर लगा खुन साफ किया फिर अपनी माँ के पास जा कर उसका चूत साफ कर के अपनी माँ को बाहो में ले कर उसके ऊपर आजाता है।

"मां इतने सालो बाद ले रही हो थोड़ा तो दुखेगा।"

देवरानी के होठों को चूमते हुए देवरानी के कान को चुम कर कहता है।

"रानी माँ आज ना कल तो लेना है आपको आपने कभी इतना बड़ा नहीं लिया और ऊपर से 17 18 बरस बाद आप सम्भोग कर रही हो।"

देवरानी हिम्मत कर के बलदेव के पीठ पर हाथ फेरते हुए।

"मुझे क्षमा कर दो मेरे राजा ये तो मेरा पत्नी धर्म है और इस दिन के लिए तो मैं सालो से तड़पी हूँ। अब, मैं पीछे कैसे हट सकती हूँ।"

बलदेव देवरानी के बाल को पीछे करते हुए उसे चूमता है ।

"मेरी रानी सिर्फ एक बार जगह बन जाने दो । कई बरसों का वीरान है ये जगह, हम दोनों को ही इसे हरा भरा करने के लिए थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी है।"

"आह मेरे राजा आजा चोद अपनी माँ के अच्छे से! चोदो मेरे राजा मुझे चोदो, अपनी माँ चोदो!"

अपनी माँ का जोश देख कर बलदेव फिर से अपने लौड़े को चूत के मुँह पर लगाता है और धीरे से चूत के गहराई में डालता है।

देवरानी: आआह उह्म्म!

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के होठों को अपने होठों से पकड़ कर मसलता हैऔर एक हाथ से देवरानी के भारी मम्मे को पकड़ कर मसलता है।

देवरानी दर्द को सहते हुए अपना हाथ बलदेव के कमर में लपेट लेती है और अपनी टांगो को मोड़ कर बलदेव के पैरो में फंसा लेती है।

बलदेव ने आधा लौड़ा अंदर डाल दिया था थोड़े देर रुकने के बाद जैसे ही उसने देखा है कि देवरानी अब धीरे-धीरे सांस ले रही है, तो वह एक दोऔर तगड़े झटके मारता है और देवरानी के मुंह से सिर्फ "उजम्म्म आप" की आवाज आती है और बलदेव फिर से उसके होंठ चूसने लगते हैं देवरानी की चूत अब बलदेव के पूरे लौड़े को गटक गई थी।

बलदेव: (मन में) मैं अगर अभी निर्दय नहीं हुआ तो साली जल्दी हाथ नहीं आने वाली और फिर ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगता है। बलदेव का लौड़ा देवरानी की चूत से निकलता है तो सकी चूत के पानी से भीग रहा था।

देवरानी को हर धक्के के साथ बहुत दर्द हो रहा था और उसकी हर चीख अब घुट कर रह रही थी और । देवरानी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई उसके पेट में भाला घुसा रहा है उसके आखो से आसू दोनों तरफ बह रहे थे पर बलदेव अपने धक्को में कोई कमी नहीं करता । वह उसे लगातार चोदता रहता है। कुछ 10 मिनट बाद देवरानी को अब उतना दर्द नहीं हो रहा था और वह समान रूप से लौड़े के झटके को महसूस कर के मजे लेने । लगती है। बलदेव उसके होठों को छोड़ दोनों हाथों से उसके बड़े दूध को मसलते हुए धक्के लगाता है।

देवरानी बलदेव को धक्के लगाते हुए देखते हुए उसे चूम कर कहती है ।

"आखिर आपने किले पर कब्ज़ा कर ही लिया।"

"महारानी अभी तो किले पर क़ब्ज़ा ही किया है अभी तो ख़ज़ाना लूटना बाकी है।"

ये कह कर बलदेव अपना एक हाथ देवरानी की गांड पर मारता है।

"आह नहीं राजा वह खज़ाने के पास भी नहीं फटका है कोई. उसे लूटने की सोचना भी मत।"

बलदेव धक्के पर धक्का लगा रहा था।

"मेरी पत्नी हो महारानी। अब किला भी हमारा और खजाना भी।"

"आआआह आह जान ले लोगे मेरी।"

बलदेव ये सुन कर देवरानी को ऊपर झुक जाता है और देवरानी के होठों को चूसते हुए लगता है ।

"जान तुम्हारी गई, तो मैं कहाँ जिंदा रहूंगा, मेरी प्रेमिका, मेरी मां, मेरी धरम पत्नी मेरी सब कुछ तो तुम हो।"

फच्च फच्च की आवाज पूरे कक्ष में गूंज रही थी उसके साथ वह देवरानी की चूडियो की खनक और पायल की छनक से पूरा महौल को मादक बना रही थी ।

"आआह माँ मैं मर गई । ऐसे ही करो । चोदो! आह इतना बड़ा है तुम्हारा लिंग। तुम्हारे पिता राजा राजपाल तो नपुंसक थे आआह।"

"राजपाल का धन्यवाद जिसकी गलती के कारण से मुझे ऐसी शानदार चूत मिली।"

"आज मुझे इतना मोटा और बड़ा लिंग मिला है, आह मेरा जीवन सफल हो गया राजा, आह! ऐसे ही करते रहो!"

"इतने ज़ोर से धक्के मार रहे हो। राजा बेटा की लग रहा है मेरे पेट में मेरी योनि में, लिंग नहीं तलवार डाल रहे हो । आआह उम्म्म! मेरे राजा आज सही मानो में मेरी सुहागरात हुई है। आह"

घप्प घप्प-घप्प घप्प कि आआज़ पूरे कक्ष में गूंज रही थी ।

"रानी माँ मेरी पत्नी तुम्हारी जैसी माल को पाना ही मेरा लक्ष्य था। बहुत तड़पाया तुमने ये लो!"

फ्टच फ्टच की आवाज के साथ बलदेव पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था।

"हाय मर गयी मैं! हे भगवान1 आआआह आह ऊ आआआह ऊऊ आआह!"

"ये ले मेरा मुसल अपनी चूत में। मेरी रानी अब तो पंडित जी ने भी कह दिया है दूधो नहाओ पूतो फलो । तुझे तो मैं चोद-चोद के हर साल बच्चे पेदा करूंगा।"

"आह मैं कोई गाये नहीं जो हर साल आआह बच्चे ओह दूँ! आआह ऐसे ही करते रहो!"

"तुम मेरी रांड हो आह!"

फिर बलदेव ने देवरानी की जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की।

हाँ क्यू नहीं कहोगेमुझे रंडी वैश्यों के पास गए तो थे पारस में। आह रेशमा के पास आहा हन! ऐसे ही करते रहो! "

फच्च फच्च घप्प-घप्प घप बलदेव पेले जा रहा था।

"मेरी रानी तुम्हें बहुत बुरा लगा था, मैं कोठे पर गया था तो, आह हाँ ये ले!"

देवरानी: मेरे राजा मैं अब तुम्हारी पत्नी हूँ इतना प्यार दूंगी तुम्हे की तुम किसी और को देखोगे भी नहीं।

ये कह कर बलदेव को लिटा देती है और खुद अपने पैर दोनों तरफ कर के बैठ जाती है और बलदेव ले लंड पर कूदने लगती है।

"आह मेरे राजा मैं अपने पति को अपने बेटे से एक वैश्या की तरह चोदवा लुंगी पर अपने पति को कभी कहीं और मुंह नहीं मारने दूंगी।"

थप थप-थप की आवाज गूंज रही थी।

देवरानी अपनी भारी भरकम गांड के लिए ऊपर नीचे हो रही थी । बलदेव का लंड देवरानी की चूत के जड़ तक ऐठ कर अंदर बाहर हो रहा था। देवरानी ही दर्द और मजे में आखे बंद हो रही थी ।

"आआह राजा आआआह मैं गई आआह नहीं आआआआआआआआआआआआआआ ओह्ह्ह!"

बलदेव देवरानी का कमर पकड़ कर ज़ोर से धक्का देता है। दो तीन घस्सो के बाद देवरानी की चूत रस का फव्वारा निकल आता है।

देवरानी लेट कर अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए कहती है ।

"आआआह बेटा! हे भगवान ना जाने कितने वर्ष बाद ऐसे झड़ी हु! आ आआह मजा आ गया!"

बलदेव देवरानी को कमर से पकड़ता है।

"देवरानी इधर आ मेरी माँ, मेरा अभी नहीं हुआ है ।"

घप्प कर झुका के देवरानी की चूत में लंड पेल देता है।

"आआहह राजा धीरे से नहीं डालोगे क्या!"

बलदेव अपनी माँ के दोनों हाथो को पीछे से पकड़ कर तगड़े झटके मारने लगता हैं।

"अब बोलो रानी माँ कौन शेर है?"

"आआआह आआआ नहीं आआह!"

"ये ले मेरी रानी और ले।"

"आआह ना हा उम्म्म्म आआआह ओह्ह्ह उफ़ राजा बेटा आआआह!"

देवरानी को झुका कर बलदेव झटके पर झटके मार रहा था। जोरदार झटके को देवरानी सह नहीं पाती और उसकी आँखों में फिर से आसू आते है।

"आआह माँ अब इधर आओ! आआह मेरी पत्नी ये हमारा पहला है । हम दोनों जीवन भर को याद रहेगा।"

बलदेव देवरानी को अपने गोद में बिठा लेता है और हल्के धक्के मारते हुए झड़ने लगता है।

"मेरी रानी माँ आपकी चूत में जादू है आआह आआ आह!"

बलदेव आँखे बंद क्या झड़ रहा था। देवरानी अपनी चूत धीरे-धीरे बलदेव के लंड पर ऊपर नीचे कर के घिस रही थी।

"आह राजा!"

"आह माँ रानी!"

बलदेव और देवरानी दोनों एक दूसरे बाहो में ले लेते हैं और मस्कुराते हैं।

"कैसा लगा हमारा पहला मिलन मां? आज तुम मेरी पत्नी के रूप में पा कर मैं धन्य हो गया।"

"अति सुखमयी अति आनंदमयी मेरी आत्मा संतुष्ट हो गई. मेरे पति देव आप जरूर पिछले जन्म में मेरे पति रहेंगे और इस जन्म में बेटे के रूप में आए हो।"

"ओह्ह! देवरानी मेरी पत्नी!"

बलदेव ने अपना लंड अभी भी देवरानी की चूत डाला हुआ था और दोनों एक दूसरे को अपने अंदर तक महसुस करते हैं...।

जारी रहेगी...

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