महारानी देवरानी 092

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पहले मिलन की अति सुखमयी घडिया
5k words
3.6
12
00

Part 92 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 92

पहले मिलन की अति सुखमयी घडिया

"अति सुखमयी अति आनंदमयी मेरी आत्मा संतुष्ट हो गई मेरे पति देव आप जरूर पिछले जन्म में मेरे पति रहेंगे और इस जन्म में बेटे के रूप में आए हो।"

"ओह्ह्ह देवरानी मेरी पत्नी! मेरी रानी!"

बलदेव ने अपना लंड अभी भी देवरानी की चूत डाले रखा था और दोनों एक दूसरे को अपने अंदर महसुस करते हैं।

बलदेव देवरानी को अपने गोद में बिठाया हुआ था और अपने लंड हल्के से धक्के मार रहा था, जवाब में देवरानी भी ऊपर नीचे हो कर अपने बेटे के लौड़े से खेल रही थी और लौड़े का पानी झड़ रहा था।

देवरानी देखती है आला चूत से पानी बह रहा है वह बलदेव को बहो में जकड़ लेती है या पीठ के बल लेट जाती है।

"आह माँ!"

"आजा बेटा मेरे ऊपर तेरे वीर्य की एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने देना ।"

बलदेव अपना लौड़ा पूरा जड़ तक चूत में ठेल देता है और देवरानी के मुँह से हिचकी निकलती है।

"क्या हुआ माँ ठीक तो हो ना?"

"हाँ बेटा ठीक है वह तुम्हारा इतना बड़ा है जब वह पूरा अंदर जाता है तो ऐसा लगता है किसी ने पेट में भाला घुसा दिया हो! आह! "

"रानी माँ आपकी चूत भी बहुत अच्छी है और तंग है । अभी जैसी-जैसी ढीली होगी आप मेरा लौड़ा आसानी से लेने लगोगी।"

"उह्म्म आह मेरी पूरी योनि भर गई है ऐसा लग रहा है बहुत पानी से आगया है मेरे अंदर।"

"हाँ ये मेरा पहला सम्भोग था इसलिए ज्यादा पानी गिरना ही था । इतना पानी इतनी बंजर जमीन को हरा भरा करने के लिए भी तो जरूरी था।"

"हाँ ऐसा लग रहा है जैसे बरसो बाद वर्षा ऋतु आई है।"

"मैं तुम्हें हर रात ऐसे ही भोगना चाहता हूँ। मेरी रानी!"

बलदेव ये कह कर देवरानी के भारी भरकम बदन पर पूरा लेट जाता है और देवरानी के गले को चूमने लगता है।

"आह आहा बेटा मुझे विश्वास नहीं हुआ की मुझे इतना प्यार करने वाला पति मिल गया है । मेरा रोम-रोम मस्ती में अंगड़ाई ले रहा है । मेरे शरीर का अंग-अंग ऐसे टूट रहा है जैसे मैंने पहली बार संभोग किया हो"

वीर्य के स्खलन के कुछ देर बाद बलदेव का लौड़ा अब देवरानी की चुत में ढीला हो जाता है पर देवरानी की चुत की गरमी झड़े हुए लौड़े को भी हल्का कड़ा बनाये रखे हुई थी । बलदेव का लौड़ा मुरझाने के बाद भी 6 इंच का हो गया था और उसका मोटा लंड जो अभी तब आधा कड़ा था अभी भी चुत में फंसा हुआ था।

"माँ अब मैं पूरा झड़ गया ।"

"हाँ बेटा तुम्हारा वह छोटा भी हो गया।"

"मां फिर से बड़ा हो जाएगा अपने असल पति के लौड़े को प्यार करो ।"

देवरानी मुस्कुराती हुई अपनी चूत के दोनों मुहाने को दबाती है जिस से बलदेव का लौड़ा दब जाता है ।

"आआह मेरी रानी तुम्हारी चूत में दम है ।"

"हट इसीलिये तुमने पहले बार मैं ही इसकी मरम्मत कर दी।"

"अभी कहा कुछ किया । मेरी धर्म पत्नी देवरानी! ये तो सिर्फ शुरुआत मात्र है । अभी तो पूरी रात बाकी है।"

"कितना समय हो गया । पिछले एक घंटे से तो मेरे ऊपर चढ़े हुए हो। मन नहीं भरा?"

"रानी माँ अभी तो सिर्फ 8 ही बजे हैं।"

"पता ही नहीं चला 2 घंटे निकल गए ।"

"हाँ माँ और आप जैसी पत्नी से भला कैसे मन भर सकता है। अगर आप का मन भर गया है तो बोलो।"

देवरानी बलदेव के सर पर हाथ फेरते हुए कहती है ।

"अले ले मेरा राजा बेटा बुरा मान गया। मैं इतने बरसों की प्यासी हूँ, तुम्हें तो पता है ना।"

और बलदेव को पकड़ कर बलदेव के कान को चूमने लगती है और उसके गले पर अपने गुलाबी होठों से चूमने लगती है।

बलदेव देवरानी के दोनों हाथो को पकड़ कर कहता है ।

"वो तो मुझे पता है इतना मजबूत माल इतने जल्दी संतुष्ट नहीं हो सकती, तुम्हारी आग को बुझाने के लिए दिन रात तुम्हें पेलना होगा मेरी रानी!"

बलदेव आगे बढ़कर देवरानी के होठों को जकड़ लेता है और अपने होठों को उसके होंठो को चूसने लगता है।

"गलप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प स्लुरप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प स्लुरप्प गैलप्प स्लुरप्प गैलप्प-गैलप्प स्लुरप्प!"

देवरानी: उह्म्म आआह राजा आआह!

बलदेव देवरानी को बाहो में भर कर अपनी माँ के भारी मामो को अपने हाथों से दबाते हुए खूब जोर से मसलने लगता है।

देवरानी: उह आआआआअम आह राजा!

बलदेव अब देवरानी की पीठ के पीछे हाथ लगा कर देवरानी को पलट देता है और खुद नीचे आता है और ऐसे करते हैं बलदेव इस बात का ध्यान रखता है कि उसका लंड देवरानी की चूत से नहीं निकले देवरानी के मेहंदी लगे हाथो की चूड़ियाँ जोर से खनक रही थी और पैरो में पायल छम-छम बज रही थी ।

देवरानी: आह-आह आराम से।

"कितनी भारी हो माँ तुम!"

"तो तुम कौन हल्के हो कब से मेरे ऊपर पड़े थे।"

ये सुन कर बलदेव मुस्कुरा देता है।और फिर आगे बढ़कर देवरानी की दोनों नितम्बो पर हाथ रख कर सहलाता है और देवरानी को अपना पास ऊपर करने का प्रयास करता है फिर उसके दूध को अपने मुंह में भर लेता है।

देवरानी: आआह!

बलदेव देवरानी के बड़े दूध को अपने दहिने हाथ से पकड़े हुए था फिर वह पूरा घुंडी को अपने मुंह में ले कर चूसता है अचानक से बलदेव अपने दांत से देवरानी के बड़े मम्मे की घुंडी जो हल्के गुलाबी रंग की थी दांत में दबा देता है।

"आआआह उफ़ ना करो!"

देवरानी अपने हाथ से अपनी चुची पकड़ लेती है दर्द से कराहने लगती है ।

"खा जाओ रोज़ तुम्हें चाहिए तो काटो मत!"

बलदेव: उह्म्म आअह्म्म!

देवरानी: आह-आह ऐसे ही चूसो।

देवरानी बलदेव को बेटाहाशा चूमने लगती है और बलदेव अब देवरानी के दोनों मम्मो को बारी-बारी से चूसने लगती है।

"आआह राजा आराम से करो आअहह!"

देवरानी अपने बेटे के सर को सहला रही थी और बीच-बीच में अपनी चुत पर जोर देती जिसका असर देवरानी की चुत में फंसे हुए बलदेव के लौड़े पर हो रहा था । दोनों फिर से गरम होने लगते हैं देवरानी की फिर से अपनी चुत की गर्मी से आखे बंद होने लगती है और उसके जिस्म से आग के शोले भड़क उठते हैं। बलदेव भी अब गरम हो चूका और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अब विकराल रूप ले कर फिर पूरी तरह खड़ा हो कर देवरानी बचे दानी तक पहुँच गया था।

राजा अपना वह अंदर डाल कर ही रखोगे क्या? "

"आह रानी मेरा लौड़ा आज रात भर तेरी चूत में ही रहेगा।"

बलदेव अपने ऊपर लेटी हुई देवरानी के चूतड़ पर थप्पड मारता है और भारी तरबूज़ से गोल चूतडो पर बलदेव के लोहे से हाथ पड़ते ही ह कमरे में "खट्ट खट्ट" की आवाज़ ऐसे आती है जैसे कोई लोहा पीट रहा हो।

"उठो माँ!"

बलदेव सीधा होते हुए अपनी माँ को उठाता है । देवरानी जैसे ही ऊपर होती है बलदेव का लंड धीरे-धीरे देवरानी की चूत से बाहर निकल रहा था। बलदेव का लंड का पानी सुख चुका था और बलदेव के लंड पर हल्के खुन के धब्बे भी थे जिसे देवरानी देख डर जाती है।

"हे भगवान कितना खौफनाक लग रहा है ये । ऐसा लग रहा है जैसा लिंग ना हो युद्ध में लड़ी खून से सनी हुई तलवार हो"

"रानी माँ इसी तलवार से ही तो मैं आपकी चूत पर फतेह पाया हूँ, अगर ये इतना बड़ा नहीं होता तो शायद तुम भी मुझे नहीं अपनाती।"

देवरानी उठती है पर बलदेव के लंड का टोपा अब भी देवरानी की चूत में ही था । देवरानी उठने की कोशिश कर रही थी पर बलदेव के लंड का टोपा देवरानी की चूत के मुहाने से बड़ा था, जो दोनों के काम रस से भीग कर देवरानी की चूत में चिपक गया था।

"बलदेव खीचो, ये इसमें फंस गया है।"

बलदेव को शरारत सूझती है।

"किसे खीचू माँ?"

"अपने हल्लाबी लौड़े को खींचो, ये मेरी चूत से ऐसे चिपक गया है जैसे कि इसे जीवन भर यहीं रहना है।"

"ओह माँ जब बेचारे का घर तो वही है । तो रहेगा और कहा?"

ये कहते हुए बलदेव देवरानी जो बलदेव के ऊपर थी या उठ रही थी उसके जांघों को पकड़ कर अपना लौड़ा देवरानी की चूत में ढकेलता है।

"आआआहह! बदमाश! निकलना है अन्दर मत डालो!"

बलदेव: ओह! माँ मैंने कुछ नहीं किया । आप जानती हो ये चिपक गया था इसलिए जब लगा की बाहर जा रहा है तो चूत ने भी उसका सुपारा अन्दर खींच लिया। लगता है दोनों अब अलग होने को त्यार नहीं हैं... ।

"हट्ट! बदमाश निकालो!"

बलदेव फिर अपना लौड़ा बाहर की ओर खीचता है "पक्क" की आवाज से लौड़ा देवरानी की चूत से बाहर निकलता है।

देवरानी बलदेव के बगल में बैठ कर बलदेव के लौड़े को ऊपर से नीचे तक देखने लगती है । उसके रूप को देख उसकी लम्बाई और मोटाई देख अपने आखो से एक पलक देखने जा रही थी ।

देवरानी: (मन में) हाय माँ! क्या इतना बड़ा लौड़ा भी इंसान को होता है। अब इतना मोटा इतना लंबा लौड़ा मेरे अंदर था तो तकलीफ तो होनी ही थी।

"माँ क्या सोच रही हो मुँह में लो ना ।"

"चल हट! देख मेरे इस मुनिया का क्या हाल हो गया है।"

देवरानी अपनी चूत पर इशारे करती हुई कहती हैं।

बलदेव देखता है देवरानी की चूत लाल हो गई थी या उसमें से चूत के कोने से हल्के-हल्के उसका वीर्य पानी रिस रहा था जो खून लगने से लाल हो चुका था ।

"रानी क्या सुंदर लग रही है ये!"

"हाँ इसके सुंदर बनने का श्रेया आपको ही जाता है । हुह!"

देवरानी तुनक कर पलंग से उतरती है। फिर से कपड़ा उठा कर अपनी चूत साफ करने लगती है और ये सब बलदेव बड़े चाव से देख रहा था।

"मां अपना तो साफ कर लिया मेरा कौन करेगा?"

"ठीक है!"

देवरानी एक मगरूर हसीना की अदा से पलंग पर अपने हिलते दूध के साथ बैठ जाती है और खड़े लंड को कपड़े से साफ करने लगती है।

"रानी माँ ये दृश्य कितना अच्छा है आप मेरी पत्नी हो और जिस लौड़े ने आपकी चूत के परखचे उड़ा दिए उसको आप साफ कर रही हो ताकि वह फिर से चोदने के लिए त्यार हो जाए ।"

देवरानी एक कातिल मुस्कान देते हुए ।

"अब ये हथियार मेरा है तो इसकी साफ सफाई भी तो मुझे ही करनी है।"

"रानी तुम्हारे ये हाथो चूड़ियों की खनक से मेरे दिल में एक अलग ही जोश आ रहा है।"

देवरानी लौड़ा साफ कर के कपडे को फिर से मेज़ पर ले जा कर रख देती है और जग ग्लास ला कर पूछती है ।

"बोलिये पति देव दूध पियेंगे या पानी।"

"देवरानी आपकी चूत का पानी पीना है।"

"धत्त बोलो ना।"

"पहले दूध दो फिर पानी पीऊंगा ।"

देवरानी एक गिलास दूध देती है बलदेव को, फिर एक गिलास पानी पिला कर खुद एक गिलास पानी पीती है।

"मां आपको प्यास लगी थी तो आप पहले पी लेतीं। मुझे आप बाद में दे देती!"

"राजा मेरा पत्नी धर्म है । पहले आपकी सेवा फिर बाद में अपने लिए कुछ!"

"आज से ही पतिव्रता पत्नी बन गई हो रानी!"

"आज से नहीं बनूंगी तो मेरा ये शेर कहीं कोई और गुफा ना देख ले।"

ये कह कर देवरानी बलदेव के लौड़े को अपने हाथों से कस लेती है और अपनी पायल की खनकाती हुई पलंग पर चढ़ती है। फिर अपनी चूडियो को खनकाते हुए फिर अपने हाथों से बलदेव को लौड़े को ऊपर से नीचे हिलाने लगती है और उसकी चूड़ियो की खन-खन का मधुर संगीत पूरे कक्ष में गूंजने लगता है।

"आआह माँ!"

"बड़ा कथोर है रे ये!"

"माँ मुँह में लो ना।"

देवरानी अपने पति का बात मानते हुए नीचे झुक कर पहले बलदेव के सुपारे को मुंह में भर लेती है और अपने होथ गोल कर के रसगुल्ले की तरह चूसती है।

देवरानी: उम्म् आमम्म् आह उम्म्म्म!

गैलप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प!

बलदेव: आहह माँ आआआह ओह्ह्ह ऐसे ही!

देवरानी: गल्पप हल्पप हुम्म्म्म उम्म्मममह ह्म्म्म गैलप्प गैलप्पप्प गैलप्प गैलप्प!

देवरानी पूरा झुक जाती है और बलदेव के पूरे लौड़े को मुँह में लेने की कोशिश करती है पर बलदेव का आधा लौड़ा भी देवरानी के मुंह में समा नहीं पा रहा था।

बलदेव: अहम्म्म्म्म आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआह देवरानी!

बलदेव का लौड़ा लोहे की तरह देवरानी की लंड चूसाई से गरम और कड़क हो जाता है । बलदेव देवदानी के सर पर हाथ फेरने लगता है। फिर जोश में आकार देवरानी के सर को दोनों हाथ में पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का मारता है और अपना पूरा लौड़ा देवरानी के मुँह में डाल देता है।

देवरानी: आअहह आहह आह!

देवरानी के हलक में बलदेव के लंड का टोपा जा कर फ़स जाता है और देवरानी चाह के भी कुछ बोल नहीं पा रही थी । वह अपना हाथ से इशारा करते हुए बलदेव को कहती है लंड मुँह से बाहर निकलने के लिए l

बलदेव देवरानी को देखता है तो पाटा है कि देवरानी के मुँह से लार टपक रही थी या उसकी आखे ऊपर हो गई थी और उनमे आसु भर गए थे।

बलदेव आगे बढ़ कर "आआआह" करता है देवरानी के सर पर हाथ रख कर सहलाते हुए लौड़ा धीरे-धीरे पीछे खींचता है। बलदेव का लौड़ा किसी तरह से देवरानी के हलक से निकल जाता है और देवरानी के मुँह में रुक जाता है।

बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के सर पर हाथ फेरते हुए कहता है ।

"चुसो फिर से देवरानी!"

देवरानी बलदेव के मोटे लौड़े के जड़ को अपने हाथ में थामे फिर लौड़े को चूसने लगती है।

कुछ देर लंड चुसाई के बाद बलदेव पलंग से नीचे उतरता है और देवरानी को खींच कर पलंग के कोने पर खड़ा हो जाता है । वह खुद आला खड़ा हो जाता है बलदेव देवरानी की टांगो और पैरो को फेलाता है या दोनों टांगो के बीच खड़ा हो कर पूछता है ।

"रानी माँ आपकी आज्ञा हो तो आरंभ करे आपकी चुदाईl"

देवरानी की चूत भी रस से भीग रही थी और उसका शरीर भी तप रहा था ।

देवरानी ये सुन कर उसका बेटा उसे चोदने की अनुमति मांग रहा है वह बस मुस्कुरा देती है।

बलदेव देवरानी का इशारा समझते हुए आगे बढ़कर देवरानी की चुत पर अपने लंड के सुपारे को रगड़ता है। देवरानी आखे बंद कर लेती है बलदेव हल्का-सा लंड का टोपा चुत पर अंदर करता है।

देवरानी आगे वाले पल के इंतज़ार में अपने हाथ और पैरो को कड़ा कर लेती है।

"मां आराम से रहो ना । इतना कड़ा हो जाओगी तो आपके लिए अंदर लेना और मुश्किल हो जाएगा।"

"मां अपना बदन ढीला रखो!"

देवरानी अपने नितम्ब आवर छाती हिला कर अपना बदन ढीला करती है।

बलदेव अपने हाथ में हल्का थूक लेता है और अपने सुपाड़े पर मलता है। फिर नीचे झुक कर हल्का थूक देवरानी की चूत के मुँह पर मलता है।

फ़िर बलदेव अपने लौड़े को पकड़ कर एक दो बार देवरानी की चूत पर ऐसे मारता है जैसे छड़ी से मार रहा हो । फिर अपना लौड़ा चूत के मुँह पर रख हल्का अंदर को दबा कर धक्का देता है।

देवरानी: आआह!

बलदेव: आआआह माँ अंदर कितना गरम है।

बलदेव अंदर घुसाने लगता है। थोड़ा जोर लगाना जारी रखता है और इससे उसका आधे से ज्यादा लंड चुत में प्रवेश कर चूका था।

देवरानी: आई राजा मार डाला रे!

बलदेव: उफ़ माँ तुम्हारी चूत गर्मी से भट्टी-सी धधक रही है ।

देवरानी: आआह राजा तो बुझा दे ना ये आग।

बलदेव अपनी कमर पीछे लेता है और एक जोरदार झटका मारता है।

देवरानी: आआआआआआआह राजा!

ज़ोर से चीखती है।

बलदेव अब एक या झटका मारता है या देवरानी फिर से चीख मारती है। अब बलदेव देवरानी की चीखो की परवाह किये झटके पर झटके मारने लगता है जिससे पूरे कक्ष और ऊपरी मंजीत में-में पच पच की आवाज गूंज रही थी। देवरानी की कराहो के साथ उसकी चूडियो और पायल की आवाज एक मधुर संगीत का निर्माण कर रही थी।

बलदेव तीर की तेजी से अपने लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और देवरानी की गीली चूत में जैसे ही लौड़ा अंदर बाहर जाता "पछ पछ" की आवाज गूंजती और साथ में बलदेव का जाँघे जैसी ही देवरानी की गांड पर लगती तो "फ़ट्ट फ़ट्ट" आवाज़ आ रही थी।

बलदेव: आह मेरी रानी माँ क्या कसी हुई चूत है।

देवरानी: उह आह या ज़ोर से आआह बेटा।

बलदेव: ये ले आह उह अम्म्म!

बलदेव "घप्प घप्प घप्प" पेले जा रहा था देवरानी को।

बलदेव देवरानी के दोनों पैरो को खीचता है और दोनों टांगो को उठा देता है जिससे देवरानी की चूत ऊपर हो जाती है। ान लंड आवर गहरा जा रहा था और देवरानी के गर्भाशय की जड़ से टकरा रहा अतः। फिर बलदेव खूब जोर से पेलने लगता है या पछ-पछ फहच फच-फच के ध्वनि के साथ देवरानी चुद रही थी। आवाज इतने जोर की थी के अगर महल के पहली मंजिल पर अगर कोई भी होता तो वह साफ-साफ सुन पता के कोई किसी को चोद रहा है। पर बलदेव के निर्देशों के अनुसार सब नीचे रहते हैं। सिर्फ बलदेव ही ऊपर रहता था, ऊपरी मंजीत पर केवल बलदेव और देवरानी ही थे जो अपनी सुहागरात में जोरदार चुदाई में व्यस्त थे, पर एक व्यक्ति और था जो ये सब सुन रहा था। वह था बलदेव का बाप राजपाल जिसको बलदेव ने खुद जान बुझ कर अपने कक्ष की बगल में सेनापति सोमनाथ दुवारा बंधवाया था।

इस जोर की चीख और इन दोनों की छन छम्म। ठप्प अह्ह्ह कराहो, चीखो की आवाजों को साथ के कमरे में बंधा हुआ राजपाल सुन रहा था और तडप रहा था। उसे लग रहा था जैसे वह साक्षात इन दोनों की चुदाई को देख सुन रहा था। वह जोर-जोर से सर, हाथ पैर और बदन हिला-हिला कर खुद को छुड़ाने का प्रयास कर रहा था।

कुछ देर खड़े-खड़े देवरानी को पेलने के बाद बलदेव के घुटने दुखने लगते हैं और देवरानी भी अपनी दोनों टांगो को उठाये हुए थक जाती है।

"आजाओ माँ!" कर बलदेव अपना लिंग निकालता है।

बलदेव के पास रखे सोफ़े पर बैठ जाता है ोे अपना लौड़ा सहलाते हुए पलंग पर लेती हुई अपनी माँ जो अब उसकी पत्नी, उसकी रानी थी उसको बुलाता है।

देवरानी देखती है इस बार उसकी चूत से बड़े आसानी से लौड़ा निकल गया है। देवरानी अपने बेटे के पास आकर उसके लौड़े को देखती है।

"माँ आओ अब इसपे बैठो!।"

फिर बलदेव ने देवरानी को कहा-"अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मेरे लण्ड पर अपनी चूत रखकर बैठ जाओl" उसने अपने नाजुक हाथ से बलदेव का लौड़ा पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगा दियाl

देवरानी मुस्कुराती हुई बैठती है और बलदेव का लंड अपने हाथ में लिए हुए धीरे-धीरे अपनी चूत को नीचे करती है।

"बैठो माँ!"

देवरानी लौड़े के टोपे को अपनी चूत के मुहाने पर रख कर हल्का-सा बैठती है और लौड़ा "पच्च" से अंदर घुसता है। देवरानी आख बंद कर लेती है।

बलदेव: आह माँ!

देवरानी: आह उह आआह उह!

देवरानी अब दोनों हाथ अपने घुटनों पर रख नीचे बैठने लगती है।

देवरानी: उह आआआह हम्म!

देवरानी ने चूत को और हल्का-सा दबाया। बलदेव तो इसी माके की इंतजार में था। जैसी ही देवरानी ने अपनी चूत को लण्ड पर दबाया, बलदेव ने नीचे से जोर का धक्का मारा।

देखते ही देखते पूरा लौड़ा देवरानी की चूत में घुस जाता है।

देवरानी को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसने एक जार की चौख मारी-"उईईई मर गईl" बलदेव ने उसकी कमर को कस के पकड़ रखा था। वह उठ नहीं पाई। एक मिनट तक लण्ड पूरा उसकी चूत में घुसा रहा।

"मां आखे खोलो ना पूरा चला गया।"

देवरानी आखे खोल कर देखती है तो शर्मा जाती है।

"मां तुमने बहुत जल्दी ले लिया"

"चुप कर कमीने!"

लज्जित होते हुए कहती हैं।

बलदेव अब नीचे से ऊपर को धक्का मारता हैl

फिर बलदेव ने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ रखकर उसको ऊपर उठाया और कहा-" अब मेरे लौड़े पर उछल-उछलकर इसको अपनी चूत में अंदर-बाहर करती रहोll

"मां अब ऊपर नीचे हो।"

देवरानी ने हल्के-हल्के ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया।

बलदेव ने देवरानी से कहा-"अब पूर्रा अंदर लो हर बार और अगर हर बार में पूरा लण्ड अंदर नहीं लिया तो मेरी रानी मैं नीचे से फिर धक्का मारूंगाl"

सुनते ही देवरानी ने कहा-"नहीं नहीं आप मत करनाl"

देवरानी धीरे-धीरे पूरा अंदर लेने लगीl

धीरे धीरे देवरानी को मजा आने लगा तो वह देवरानी थोड़ा गति बढ़ाते हुए तेजी से पूरा अंदर लेती हुई ऊपर नीचे होने लगी और बलदेव को अब मजा आ रहा था। वह अब नीचे से अपना लंड भी उठा रहा था।

देवरानी ऊपर होने लगती है और बलदेव देवरानी की चूत में लंड तीर की गति से अंदर बाहर कर रहा था। फिर बलदेव देवरानी के नीचे और देवरानी बलदेव के ऊपर थी। बलदेव ने भी अपने चूतड़ उठा कर देवरानी का साथ दियाl. जब देवरानी नीचे को होती तो बलदेव का लंड देवरानी की चूत के अंदर पूरा समां जाता था और फिर दोनों की आह निकलती थी l

देवरानी ने अपनी आँखों को बंद कर लि और उसके चेहरा पर स्माइल दिखने लगी। 5 मिनट ऐसे ही चलता रहा। फिर 10 मिनट की बेरहम चुदाई के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो बलदेव ने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा।

देवरानी कुछ देर ऐसे वह ऊपर नीचे होते हुए थक कर धीरे हो जाती है जिसे बलदेव समझ जाता है और उठ कर देवरानी को घुमाता है और अपनी बाहों में भर कर गोद में उठा लेता है और खड़े-खड़े अपना लौड़ा देवरानी की चूत में डाल देता है।

देवरानी: उह आह राजा गिर जाउंगी!

बलदेव: देवरानी तुम बलदेव की बाहो में हो मैं तुम्हे गिरने नहीं दूंगा मेरी रानी!

बलदेव देवरानी के नितम्बो के निचे हाथ ले जाकर पकड़ कर उसे ऊपर उठाता है और नीचे से एक और धक्का लगाता है।

देवदानी बलदेव की गर्दन में अपनी बाहे फसाए हुए थी ।

बलदेव: तुम व काम सूत्र के पुस्तक में देखती थी ना ये आसन, जिसमे एक पुरुष स्त्री को गोद में उठाये खड़े-खड़े चोदता है ।

देवरानी: आह हा! राजा उसमे एक चित्र ऐसा भी मैंने देखा था, मुझे क्या पता था कि ऐसा सच में भी हो सकता है।

बलदेव: खुद देख लो।

बलदेव देवरानी को उठाएँ आयने के सामने ले जाता ही तो देवरानी अपना सर घुमा कर देखती है तो पाती है कि जैसा उसने उस चित्र में देखा था वैसे ही बलदेव का लंड उसकी पूरी चूत में घुसा हुआ है और उसका भारी गांड लंड पर ऐसे टीकी हुई है जैसे देवरानी लंड पर बैठी हो।

ये देखते ही देवरानी अपना सर वापिस बलदेव की ओर मोड़ लेती है और शर्मा कर अपना सर बलदेव के कंधे से छुपाती है।

बलदेव देवरानी को पकड़ कर अपना तरफ खीचता है और उसकी चूत में लौड़ा पूरा चला जाता है । फिर देवरानी के जांघ पकड़े हुए गांड को उठाता और उसे फिर लंड पर लाता है ।

देवरानी आंखे बंद किये सिस्की ले रही थी। बलदेव अब यही प्रक्रिया तेजी से करने लगा और देवरानी को उठा-उठा के चोदने लगा।

देवरानी: आआआह आऐई-आऐई माआ आआह हे भगवान!

"घप्प घप्प घप्प" ही आवाज गूँज रही थी । पर इस बारे इस आवाज में पायल की खनक और चूडियो की छन्न-छन्न भी शामिल हो गयी थी ।

बलदेव: ये ले आह ये ले माँ!

"घप घप्प-घप्प घप्प खनन-खनन चन्नणछन्न घप्प घप्प, फट-फट खनन खनन चन्नणछन्न!" ।

देवरानी बलदेव के गले पर चूमने लगती है। बलदेव जोर से धक्के मारने लगता है, बलदेव देवरानी को खड़े-खड़े पेल रहा था, देवरानी बलदेव के गले को अपने होठों से चूमने लगती है और फिर अपने हाथों से बलदेव के पीठ पर अपने नाखुन से छील रही थी पर बलदेव बिना कोई परवा किए देवरानी को पेले जा रहा था।

कुछ देर खड़े-खड़े पेलने के बाद बलदेव देवरानी को ले कर फिर से बिस्तर पर आ जाता है और बिस्तर पर पटक कर देवरानी के पीछे आ जाता है और लौड़े को पीछे से एक टांग उठा कर देवरानी को लेटे-लेटे ही पेलने लगता है।

"आआह राजा धीरे।"

"घप्प घप्प-घप्प के ध्वनि के साथ फिर से लौड़ा अन्दर बाहर हो रहा था । बलदेव एक टांग उठाये अपनी रानी, अपनी माँ को पेले जा रहा था ।"

बलदेब आगे बढ़ कर देवरानी के भारी मम्मे को हाथ में ले कर दबाता है और अपने होठ देवरानी की गर्दन पर रख कर चूमने लगता है।

"आआआह राजा आह ऐसे ही आह राजा।"

"आह माँ तुम कितनी सुंदर हो। ओह्ह! मेरी पत्नी! "

"आह राजा मेरी सब सुन्दरता सिर्फ तुम्हारे लिए ही तो है ।"

बलदेव देवरानी के गले पर अपने दांत गड़ाने लगते हैं और फिर चाटने लगता हैं।

और फिर एक हाथ से देवरानी की भारी गांड पर थप्पड मारता है। "चट चट!"

"आह राजा!"

बलदेव अब देवरानी को पकड़कर झुका देता है और खुद घुटने के लिए बल बैठ जाता है।

"आह राजा मर गयी!"

ऐसा कहते हुए कांपती हुई देवरानी झड़ गई। अभी दो तीन धक्के और मारे थे की देवरानी की चूत पानी छोड़ देती है और गाढ़ा सफ़ेद पानी बलदेव के लंड को भीगा देती है।

देवरानी: आह-आह राजा मेरा पति आह!

अपने आखे बंद किये स्खलित हो जाती है।

पर बलदेव जैसे ही देखता है उसकी माँ सख्त हो गई है वह और तेज़ धक्के मारने लगता है और चूत पानी-पानी होने से लौड़ा और तेज़ी से अंदर बाहर जाने लगता है।

"आह आह राजा आआह आह आह!"

घप घप घपड़ कर बलदेव पेले जा रहा था । झुकी हुई देवरानी की चूत से रस गिर रहा था और बिस्तर को गीला कर रहा था।

"घप्प घप्प घप्प" और तेज-तेज पेले जा रहा था बलदेव।

"ये ले मेरा लौड़ा तेरी चूत की सब खुजली नहीं मिटा दी तो मेरा नाम बलदेव नहीं।"

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