महारानी देवरानी 092

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

इधर रसोई में काम कर रही है कमला की नजर घड़ी पर जाती है 9 बज गए थे वह जल्दी से देवरानी और बलदेव का खाना थाली में रख सीढियो से चढ़ कर बलदेव के कक्ष के पास पहुँचती है जहाँ दोनों सुहाग रात मना रहे थे । जैसी ही उसके कानों में उसके कानों में देवरानी की आवाज आती है।

"आआह आह आआआह राजा आह या ज़ोर से आआह आह!"

"आआह नहीं आआआह वू मेरे राजा आह!" करते रो मेरे राजा!

" फट्ट-फट्ट पच्छ की आवाज गूंज रही थी।

"ये ले देवरानी जी मेरी पत्नी जी, ये लो"

फट्ट फट्ट पच्छ चन्नण छन्न!

कमला: (मन में) ये सुनते ही "हाय ये दोनों तो उफान पर है। 6 बजे से लगे हुए हैं । कैसे बुलाउन कहीं बुरा मान गए तो! यहाँ तक मुझे आवाज आ रही है तो अंदर बंधा हुया राजपाल भी 6 बजे से सब सुन रहा होगा? हाय उसका क्या हाल होगा?"

कमला: (मन में) खैर छोड़ो हमें क्या? ये राजा रानी समझे । हम दसियों से क्या लेना?

कमला हिम्मत कर के पुकारती है ।

"महारानी!"

"महारानी!"

अंदर बलदेव देवरानी को झुकाये हुए लगातार पेले जा रहा था।

"आह राजा आह नहीं धीरे आह!"

"ये ले या ले मेरा लंड!"

देवरानी: सुनिए ना जी!

बलदेव: घप्प-घप्प ये ले पेले जा रहा था।

देवरानी: सुनिए तो जी!

बलदेव: बोलो देवरानी!

देवरानी: किसी की आवाज आई!

कमला: महारानी जी!

बलदेव रुक जाता हुई कमला की आवाज दोनों सुन लेते हैं।

बलदेव: कौन होगा?

देवरानी: आवाज़ तो कमला की लग रही है। ।भुल्लकड राजा जी तुमने ही उसे कहा था समय पर भोजन पहुँचाने के लिए ।

बलदेव अपना लौड़ा झुकी हुई देवरानी की चूत में रखे हुए अपना कमर अब भी आगे पीछे कर रहा था।

देवरानी: अब जाओ और भोजन ले लो।

बलदेव: उसे कहा था बाहर रख देना भोजन पर ये कमला भी...।

ये कह कर सट से बलदेव अपना लौड़ा खीचता है और लौड़ा फच की आवाज के साथ चूत से बाहर आता है और लंड अब भी खड़ा था।

देवरानी बलदेव के लौड़े को देख कर कहती है ।

"गुस्से हो गये महाराज!"

"देवरानी में कैसे जाऊ तुम ही जाओ"

"हाँ तुम जाओ भी मत । ऐसे हालात में तुम्हारे शेर को देख डर न जाए कहीं कमला!"

और जल्दी हुए पास के मेज़ से कपडा उठा कर अपनी चूत पूंछने लगती है।

कमला: देवरानी! महारानी!

देवरानी: आयी कमला! तनिक रुको!

देवरानी: जी क्या पह्नु?

बलदेव तुरंत एक चादर उठा कर बिस्तर पर लेट जाता है और ओढ़ लेता है । चादर के अंदर बलदेव का लौड़ा बीचो बीच खड़ा साफ दिख रहा था।

"मां में नहीं जानता कैसे जाओगी?"

"बुद्धू करवट कर लेटो। दरवाजे से तुम्हारा शेर दिख जाएगा, चादर में भी पूरा तना हुआ साफ़ दिख रहा है।"

देवरानी कुछ सोचती हुई एक साडी लपेट लेती है।

"यही पहनती हूँ कमला ही तो है कौन-सा कोई मर्द है।"

देवरानी गांड को लचकते हुए जा कर दरवाजे पर जाती है, उसे जाते हुए बलदेव बड़े ध्यान से देख रहा था ।

देवरानी जा कर कुंडी खोलती है तो सामने कमला को पाती है।

कमला देवरानी को ऊपर से नीचे देखती है या देवरानी का हाल देख कर कोई अंधा भी कह सकता है कि उसकी जबरदस्त चुदाई हुई है। उसके आखो के नीचे हल्के घेरे पड़ रहे हैं पूरे चेहरे पर और बगीचे पर कटने के निशान थे । ओंठो की लाली फेल गयी थी, महेन्दी लगाये, चूड़ी और पायल खनकाती देवरानी के दोनों भारी उरोज बिना ब्लाउज हिलते हुए साफ पता चल रहे थे। वही हाल उसकी गांड का था जो बिना पेटीकोट के था।

देवरानी का चेहरा देख कमला कहती है ।

"महारानी कब से बुला रही हूँ।"

"हाँ वह तुम्हारी आवाज़ मैंने अभी सुनी!"

"लगता है आप अपने नये पति के प्यार में ज्यादा व्यस्त थी इसलिए आपने कुछ सुना नहीं।"

"ऐसा नहीं है...बोलो ना... खाना लाई हो ना!"

"बड़ी जल्दी है वापस जाने की महारानी।"

देवरानी अंदर ही अंदर लज्जा जाती है पर देवरानी बिना कुछ कहे उसके हाथ से थाली ले लेती है।

कमला: जैसा मैंने कहा था वैसे वही खातिर हो रही है ना, कोई कमी तो नहीं हुई?

देवरानी: उससे भी ज्यादा खातिर हो रही है, चल जा अब सुबह में आना।

और फिर शर्मा कर अपने आखे नीचे कर लेती है।

देवरानी अपने एक हाथ से दरवाजा बंद करती है।

कमला: (मन में) अभी महारानी को कहना ये ठीक नहीं था कि उनका पहला पति उनकी सब कराहे और चीखे सुन रहा है नहीं तो महारानी बलदेव से झगड़ा कर लेंगी और इनकी सुहागरात खराब हो जायेगी ।

देवरानी दरवाजा बंद करके थाली को मेज पर रखती है।

बलदेव कमला की आधी लिपटी साडी में उसके बड़े दूध को देख रहा था...देवरानी की नज़र बलदेव से मिलती है।

कमला पलट कर वापस आ कर रसोई में काम में लग जाती है।

जारी रहेगी

12
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

राजमहल 1 राज्य के वारिस के लिए राजकुमार की तीसरी शादी और सुहागरातin First Time
खानदानी निकाह 01 मेरे खानदानी निकाह मेरी कजिन के साथ 01in Loving Wives
Chudana Aacha Hia Ch. 01 Pahli chudai ka likh rahe hoon akhir tak saath chaleyaga.in First Time
एक नौजवान के कारनामे 001 एक युवा के पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ आगमन और परिचय.in Incest/Taboo
Nude Beach Trip with Grandma Ch. 01 A visit to a nude beach changes a teenager's life.in Novels and Novellas
More Stories