जवान लड़की का अधेड़ बॉयफ्रेंड़

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पड़ोस की जवान लड़की और उसकी सहेली से संभोग करना
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अपनी अधेड़ अवस्था शान्ति से कट रही थी। इस समय तक आते-आते शरीर के साथ-साथ मन भी थक सा जाता है। वैसा ही कुछ अपने साथ था। जिन्दगी की आपाधापी में शरीरिक सुख की तरफ से ध्यान हट सा गया था। मन तो चाहता था लेकिन पत्नी के सहयोग ना देने के कारण सेक्स एक रुटिन के अलावा कुछ और नहीं रह गया था।

तभी किसी ने जीवन में प्रवेश किया और सब कुछ बदल गया। मुहल्ले में ज्यादा पढ़ा लिखा होने के कारण किसी ना किसी को मुझ से कोई ना कोई काम पड़ता ही रहता था और मैं भी किसी को कभी मना नहीं किया करता था।

पड़ोस में रहने वाली एक 19 साल की लड़की जिसका नाम रजनी था, कभी कभी मेरे पास गणित और कंप्यूटर सीखने आती थी। चुलबली सी लड़की थी जैसी इस उम्र की होनी चाहिये। यौवन जिस पर आ रहा हो उस को किसी छोर से बांध पाना बहुत मुश्किल होता है वैसा ही उस के साथ था।

मेरे से उस का वास्ता किसी काम से या किसी चीज को समझने तक के लिये पड़ता था, मैं अगर समय होता था तो उसे पुरा कर देता था। मेरे घर में उस का आना-जाना लगा रहता था। उस के आने जाने पर कोई रोक-टोक नहीं थी। तकरीबन हर रोज ही मेरा उस से सामना होता था। यह मेरे लिये सामान्य सी बात थी।

एक दिन शाम को जब मैं घर में अकेला था, वह आयी और आते ही बोली कि अंकल मुझे 100 रुपये की जरुरत है। मैंने कुछ पुछा नहीं और उसे पर्स से सौ रुपये निकाल कर दे दिये। लगा कि वह जब होगे तो वापस कर जायेगी। वह रुपये ले कर चली गयी। बात आयी-गयी सी हो गयी।

मैं भुल भी गया कि मैंने रजनी को कुछ दिया भी था। एक दिन वह मुझ से कोई प्रश्न पुछने आयी और जब उसे जवाब मिल गया तो जाते में मुझ से बोली कि अंकल आप को पता है कि आप मुझे सबसे अच्छे लगते है। उस की इस बात पर मैंने ध्यान नहीं दिया और अपने काम में लगा रहा।

वह यह कह कर खड़ी रही और बोली कि आप सबसे बढ़िया कपड़ें पहनते है, इसी लिये जब भी बाहर निकलते है तो हीरो से लगते है। उस की यह बात सुन कर मैंने उस से कहा कि यह तो मेरी बचपन की आदत है जो मैंने अपने पिता जी से सीखी है। वह बोली कि इसी कारण से आप मुझे पसन्द हो।

मैंने कहा कि हम सब किसी ना किसी को पसन्द करते है इस में खास बात क्या है? वह कुछ नहीं बोली और मुस्करा कर चली गयी। उस की मुस्कराहट मुझे रहस्यमयी सी लगी। लेकिन अपने से 30 साल छोटी लड़की के मुँह से अपनी प्रशंसा सुनना कुछ अजीब सा तो था। लेकिन मेरे कपड़ें पहनने के सलीके पर मुझे ऐसी बातें अक्सर सुनाई देती रहती थी।

कुछ दिन बाद रजनी फिर मेरे पास आयी और बोली कि आज अंकल मुझे 200 रुपये की जरुरत है। मैंने उस से कुछ पुछा नहीं और उसे रुपयें दे दिये। वह उन्हें ले कर वापस चली गयी।

आज यह बात मेरे नोटिस में आ गयी कि रजनी को पैसे की जरुरत क्यों पड़ रही है और उस के घर वाले उसे पैसे क्यों नहीं दे रहे है? मैंने सोचा कि इस बारें में पत्नी से बात करुँगा लेकिन बाद में, मैं पत्नी से यह पुछना भुल गया। रजनी मेरे पास ऐसे ही आती रहती थी। पैसे को लेकर फिर हम दोनों में कोई बात नही हुई।

इस बार जब रजनी आयी तो उस के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी। कुछ देर तक तो मैं उसे गणित समझाता रहा, वह सर झुका कर सुन रही थी। उस के हालत जब मुझ से बर्दास्त नहीं हुई तो मैंने उस से पुछ ही लिया कि रजनी क्या हुआ है?

कुछ नहीं

कुछ तो है, चेहरा बुझा-बुझा सा क्यों है?

आप को कैसे पता चल जाता है?

बस चल जाता है

बतायेगें नहीं?

अनुभव से पता चल जाता है

मुझे क्यों पता नहीं चलता?

तेरा दिमाग कहीं और होता है

कहाँ?

यह तो तुझे पता होगा, मैं क्या बताऊँ?

मेरा बॉय फ्रेंड धोखा दे गया है

इस में चिन्ता की क्या बात है, नया मिल जायेगा

धोखा बर्दाश्त नहीं हो रहा है

धोखा भी खाना चाहिये, आदमी पहचानना आ जाता है

आप मुझे चिढ़ा रहे है

नहीं सच्चाई बता रहा हूँ

अब मैं क्या करुँ?

क्या करुँ, मस्त रहो और नये बॉयफ्रेंड की खोज करो

आप मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ

यह कैसा सवाल है?

सवाल नहीं है, ऑफर है

बेकार ऑफर है

ऑफर तो स्वीकार करना ही पड़ेगा, मैं तो आप को बहुत पहले से चाहती हूँ

रजनी बहुत खतरनाक बात कर रही है, तेरी मेरी उम्र में बहुत अंतर है, यह पता है या नहीं?

सब पता है लेकिन दिल पर कोई काबू नहीं है

मुझ से कुछ मिलेगा नहीं

कुछ चाहिये भी नही, केवल प्यार चाहिये

वह भी मिलना मुश्किल ही लगता है

आप मुझ से ऐसे पीछा नहीं छुड़ा सकते

पीछा कहाँ छुड़ा रहा हूँ सच्चाई बता रहा हूँ, उम्र भी कोई चीज होती है

मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ है

जैसी तुम्हारी मर्जी, मैंने तुझे सच्चाई बता दी है बाद में यह नहीं कहना की पहले बताया नहीं था

आप की यह बात ध्यान रखुंगी

अब मुझ से क्या चाहिये?

कुछ नहीं

बॉयफ्रेंड से कुछ तो चाहिये होता ही है नहीं तो फ्रेंड क्यों बनाया जाता है?

आप ने मुझे ऐसी-वैसी समझ रखा है

मैंने तो कुछ कहा ही नही

मुझे याद आया कि रजनी को पैसे की जरुरत रहती थी। यही सोच कर मैंने पुछा कि तुम ने पहले जो पैसे लिये थे, किस लिये लिये थे?

वो तो उसी के लिये लिये थे। मेरा खर्चा तो घर से मिलने वाले पैसों से चल जाता है।

कभी जरुरत हो तो माँग लेना

हाँ सो तो है लेकिन आज तो आप ने मेरी उदासी की वजह पुछ कर मेरा मन खुश कर दिया। कोई मेरी हालत ही नहीं पुछ रहा था। मेरा दुख किसी को दिख ही नहीं रहा था। आप को कैसे पता चला?

हर समय खिलखिलाने वाली लड़की अगर मुँह फुला कर बैठी हो तो कारण पुछना बनता ही है

आप को मेरी इतनी चिन्ता रहती है?

हाँ तेरी चिन्ता तो रहती है, लेकिन कभी बताया नहीं

मुझे यह जान का अच्छा लगा कि, कोई तो है जो मेरी चिन्ता करता है।

अब क्या करना है?

कुछ नहीं आज तो मैं जा रही हूँ, फिर किसी दिन आ कर बताती हूँ

यह कह कर रजनी चली गयी। लेकिन मेरे सामने समस्या खड़ी कर गयी कि इस नये संबंध का क्या होगा, कैसे यह आगे बढ़ेगा। मेरे ज्यादा सोचने से कुछ होना नहीं था। जो होना था वह हो कर रहना था।

एक दिन मेरी पत्नी शाम के समय मंदिर में भजन के लिये गयी हूई थी। उसे वहाँ से आने में 2 से 3 घंटें लगते थे। यह सब को पता था। पत्नी के जाने के थोड़ी देर बाद ही रजनी मेरे पास आ गयी। मुझे समझ आ गया कि आज वह दिन आ गया है जब कुछ ना कुछ हो कर रहेगा। रजनी नें आ कर पुछा कि अंकल आन्टी जी कहाँ है? मैंने उसे बताया कि वह मंदिर गयी है तो उस का चेहरा चमक गया।

मैंने उस से पुछा कि आज क्या पढ़ना है? तो जवाब मिला कि नहीं आज तो कुछ और बात करनी है। मैंने उसे बैठने को कहा तो वह मेरे पास बैठ गयी। फिर मुझ से बोली कि आज मुझे आप से प्यार करना है। मैंने हैरानी से उस की तरफ मुड़ कर देखा तो वह मुस्काराई और बोली कि गर्लफ्रेड़ होने के कारण यह तो आप को करना ही पड़ेगा।

मुझे लगता है, मैं तुम्हारें लिये सही नहीं रहुँगा

क्यों

क्यों कि तुम्हारी और मेरी उम्र में बहुत अंतर है

हां वो तो है, लेकिन इस के कोई फर्क नहीं पड़ता

हो सकता है मैं तुम्हें संतुष्ट ना कर पाऊँ

पहले से ही ऐसा कैसे कह सकते है?

उम्र का असर पड़ता है

मैं यह सब कुछ नहीं जानती हूँ

अच्छा चलो तुम्हारें मन की ही करते है

मैंने उसे अपने पास खिसका लिया। रजनी एक पतली, छरहरी लड़की थी, शरीर में कही भी ज्यादा मांस नहीं था। मैंने शायद आज से पहले उसे ध्यान से देखा ही नहीं था। आज जब ध्यान से देखा तो लगा कि यह लड़की तो मेरे किसी प्रतिमान पर पुरी नहीं उतरती है। उस ने मेरे गले में हाथ डाल कर कहा कि आज हम दोनों के पास समय है, आराम से प्यार कर सकते है। उस ने मेरे गाल पर चुम्बन ले लिया। इस उम्र की लड़की से वास्ता काफी सालों बाद पड़ रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुँ? मुझे कुछ करने की जरुरत ही नहीं पड़ी।

रजनी के होंठ मेरे होंठों पर आकर चुपक गये। हम दोनों एक-दूसरें के लबों का स्वाद लेने लगे। जवान लबों की मिठास और मादकता अलग ही होती है। यह मैं महसुस कर रहा था।

रजनी की जीभ मेरे मुँह में घुस गयी और मेरी जीभ से खिलवाड़ करने लग गयी। इस के कारण मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गयी। इस के बाद मेरे हाथ उस की पीठ पर पहुँच कर उसे सहलाने लगे। हम दोनों जिस तरह बैठे थे वह आरामदायक नहीं था। इसी लिये मैंने उसे बाँहों में उठाया और कमरे की तरफ चल दिया। कमरे में आ कर उसे बेड पर लिटा दिया और दरवाजा बंद कर दिया।

रजनी चुपचाप बेड पर लेटी रही। मैं उस के पास बैठ गया और उस को चुमने लगा, पहले उस के माथे पर चुमा फिर उस की आँखों को चुम कर मेरे होंठ उस की गरदन को चुमने लग गये। मेरे हाथ उस के कुर्ते के ऊपर से उस की छातियों पर फिर रहे थे।

रजनी की छातियाँ आकार में बड़ी नहीं थी लेकिन बहुत कठोर थी। उरोजों में भराव नही था जो मेरी पसंद के खिलाफ था। रजनी भी मेरे चेहरे पर चुम्बन लेने लगी। इस चुम्बन बाजी से हम दोनों के शरीर में काम की आग भड़क गयी थी।

मेरे होंठ उस की गरदन से उतर कर उस की छातियों के बीच में आ गये। वहाँ पर चुम्बन ले कर कुर्ते के ऊपर से ही उरोजों को चुम लिया। मेरे हाथ उस की जाँघों को सहलाने लग गये। मैं अभी उस की जाँघों के बीच नहीं जाना चाहता था।

मैंने रजनी के कुर्ते को उस के सर से ऊपर करके उतार दिया। अब रजनी ब्रा में थी, काले रंग की ब्रा उस पर लटक सी रही थी। उसे खोल कर उतार दिया। अब रजनी के नग्न उरोज मेरे सामने थे। मैंने उन्हें हाथ से सहला कर दबाया और उन के तने निप्पल को अपने होंठों के बीच ले लिया। इस पर रजनी के मुँह से आहहहहहहहहहहहह......... निकलने लगी।

एक उरोज के निप्पल को चुमते हुये मैंने दूसरे को हाथ से दबाया और फिर दूसरे को होंठों में लिया और पहले को दबाना शुरु कर दिया। उस का उरोज मेरे मुँह में समा गया था और मैं उसे बुरी तरह से चुस रहा था। रजनी आहहहहहहह कर रही थी। अब मेरा हाथ उस की सपाट कमर पर आ गया। उसे सहला कर उस की सलवार के अंदर चला गया। मेरी सारी हरकतों का रजनी कोई विरोध नहीं कर रही थी, वह पुरी तरह से तैयार थी और लग रहा था कि वह इस खेल की आदी है।

उरोजों को चुसने के बाद मेरा ध्यान उस की योनि की तरफ गया। मैंने उस की सलवार का नाड़ा खोल कर उसे नीचे खिसका दिया। नीचे लाल रंग की पेंटी थी। पेंटी को भी नीचे की तरफ कर के मैंने उस की चिकनी योनि पर अपनी उंगलियां फिरायी। इस से रजनी चिहुंक गयी। कुछ देर तक मेरी उंगलियां उस की योनि को ऊपर से ही सहलाती रही। फुली हुई योनि सहलाने में अच्छी लग रही थी। वहाँ नमी मुझे महसुस हुई। इस के बाद मेरी उंगलियां उस की कसी योनि के फलकों को अलग करके योनि में घुस गयी।

योनि में कसावट भरपुर थी। ऐसा लग नहीं रहा था कि रजनी को संभोग की आदत थी। लेकिन उस का व्यवहार कुछ अलग ही बता रहा था। मैंने इन विचारों को दिमाग से झटका और उस की योनि पर अपना ध्यान लगाया। मेरी उंगली उस की योनि में अंदर बाहर होने लगी। वहाँ पर नमी बढ़ती जा रही थी। कुछ देर बाद रजनी ने उठ कर मुझे अपने पर गिरा लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच लिया। वह उन्हें उत्तेजना वश काट रही थी।

यह बता रहा था कि वह अब संभोग के लिये पुरी तरह से तैयार थी। मैं भी ज्यादा देर नहीं करना चाहता था। इसी लिये मैंने अपने कपडे़ं उतार दिये और ब्रीफ में ही उस के ऊपर लेट गया। कुछ देर हम दोनों एक-दूसरे के शरीर का मजा लेते रहे। मेरा तना हुआ लिंग ब्रीफ के अंदर से भी रजनी की योनि से टकरा रहा था। मैं भी उसे उस की योनि से रगड़ रहा था। रजनी की उत्तेजना अब पुरे शबाब पर आ गयी थी।

वह भी मेरी ब्रीफ पर हाथ लगा कर मेरे तने लिंग को सहला रही थी। मैं उस के ऊपर से उठा और बेड़ की दराज से एक कंडोम निकाल लिया और उस का पैकेट फाट कर कंड़ोम को निकाल कर अपने तने लिंग पर चढ़ा लिया। किसी के साथ बिना सुरक्षा के संबंध बनाना मुझे मंजुर नहीं था। मेरे लिंग को देख कर रजनी बोली कि अंकल आप का तो बहुत मोटा है मेरी चूत में कैसे जायेगा?

मैंने उस से पुछा कि पहले भी तो चूदाई करवाई है या नहीं तो वह बोली की करवायी तो है लेकिन इतना मोटा कोई नहीं था। मैंने कहा कि चिन्ता मत कर तेरी चूत इसे भी समा लेगी। वह बोली कि यह तो बहुत बड़ा और मोटा है कहीं मेरी चूत फट तो नहीं जायेगी?

मैंने झुक कर उसे चुमा और कहा कि मुझ पर विश्वास रख कुछ नहीं होगा। वह मेरी बात से आश्वस्त नजर आयी। मैं उस की टाँगों को चौड़ा कर के उन के बीच बैठ गया और अपने लिंग को उस की योनि पर दो-तीन बार फिराया। फिर उस की योनि के मुँह पर रख कर लिंग को दबाया तो लिंग का सुपड़ा योनि में घुस गया। योनि बहुत कसी हुई थी लग रहा था कि मैं किसी कुंवारी चुत में लंड़ डाल रहा हूँ।

रजनी के चेहरे पर दर्द के भाव थे। मैंने उन्हें अनदेखा कर के दूबारा जोर लगाया और लिंग इस बार दो इंच के आसपास योनि में घुस गया। रजनी के चेहरे पर दर्द की लहरें उठने लगी और वह बोली कि आप इसे निकाल लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी। मैंने उस के गालों को सहलाया और उस की टांगों को हाथों से पकड़ कर जोर लगाया और पुरा लिंग उस की योनि में धकेल दिया।

इस से रजनी की चीख निकल गयी और वह बोली कि मेरी चूत फट गयी है आप इसे निकाल लो। मैंने उसे चुमा और उस के उरोजों को सहलाना शुरु कर दिया। इस से उस का दर्द कुछ कम हुआ। योनि लिंग पर पुरी तरह से कस गयी थी। योनि की मांसपेशियां लिंग को मथने का काम करने लग गयी थी।

मैंने अपने कुल्हें ऊपर किये और लिंग को निकाल कर फिर से रजनी की योनि में डाल दिया। इस बार रजनी को दर्द कम हुआ। मैंने धीरे-धीरे धक्कें लगाने शुरु कर दिये। रजनी को इस से मजा आने लगा और वह भी अपने कुल्हें हिलाने लग गयी। मैंने अपनी गति बढ़ा दी। अब रजनी मेरी गति का अपने कुल्हों को उठा कर दे रही थी। मैं भी उसके होंठों को चुम रहा था। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा। मुझे थकान सी होने लगी। इस लिये मैं उस के ऊपर से उतर कर बगल में लेट गया।

कुछ क्षण हम दोनों शान्त पड़े रहे। फिर मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा, वह उठ कर मेरे ऊपर लेट गयी। मैंने लिंग को हाथ से पकड़ कर उस की योनि पर रखा और उस ने कुल्हों को दबा कर उसे अपनी योनि में समा लिया। मैं बेड़ पर तकिये के सहारे लेटा था और रजनी मेरे ऊपर लेटी अपने कुल्हों को ऊपर-नीचे कर के लिंग को अंदर बाहर कर रही थी।

मैं उस के उरोजों को होंठों से चुस रहा था। अब मुझे उस के उरोज रसीले लगने लग गये थे। उन की कठोरता मुझे भा गयी थी। कुछ देर बाद रजनी भी थक कर बगल में आ गयी। अब मैंने उस की टाँगों को अपने कंधों पर रखा और उस की योनि में अपना लिंग डाल दिया। योनि और कस गयी थी लेकिन इस बार रजनी को मजा आ रहा था औह हम दोनों जोर-जोर से धक्कें लगा रहे थे।

कुछ समय बाद रजनी के पांव मेरे नितम्बों पर लिपट गये। मैं समझ गया कि वह स्खलित हो गयी थी। कंड़ोम चढ़ा होने के कारण मुझे स्खलित होने में ज्यादा समय लगेगा यह मैं जानता था। कमरा फच-फच की आवाज से भर गया। हम दोनों अब बेड़ पर गुथम्म गुथा हो कर उलटपलट हो रहे थे। तभी मेरे लिंग पर आग सी लग गयी।मैं स्खलित हो गया।

मेरा गरम गरम वीर्य मेरे लिंग के मुँह को जला रहा था। काफी लंबें समय बाद संभोग करने के कारण ऐसा हो रहा था। मैं रजनी के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया। मेरी सांस बुरी तरह से चल रही थी। रजनी भी हांफ रही थी। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही अगल-बगल पड़े रहे। फिर सांस संभालने के बाद मैंने रजनी से पुछा कि क्या हाल है?

एक बार तो लगा था कि आज मेरी जान निकल जायेगी

ऐसा क्यों लगा?

इतना दर्द तो पहली बार भी नहीं हुआ था

कितनी बार किया है?

याद नहीं आ रहा है

फिर तो ऐसा नहीं होना चाहिये

इससे पहले इतना मोटा और बड़ा लंड़ मेरी चूत में नहीं गया था, सारे पतले-पतले थे, पता ही नहीं चलता था

आज के लड़कें जैसे पतले है वैसे ही उनका लंड़ भी लगता है पतला है

यही सही है

मजा आया

आज से पहले तो म़जा आया ही नहीं था, सारा शरीर जल रहा है

मेरा शरीर भी बहुत गर्म हो गया था और गर्मी से जल रहा है

ऐसा क्यों हो रहा है?

संभोग में ऐसा ही होता है जब दोनों के शरीर में काम की आग पुरे जोर से लगी हो तो

इस का मतलब आज से पहले मैंने प्यार नहीं किया था?

किया होगा लेकिन सही तरीके से नही किया होगा

जैसा सब करते है वैसा ही हम ने किया था

हर आदमी अलग तरीके से करता है, हो सकता है मुझे ज्यादा अनुभव हो

यह तो है लेकिन आप ने कितनी लड़कियों के साथ किया है?

ज्यादा के साथ नहीं किया है लेकिन उम्र के साथ अनुभव तो आता ही है

मुझे तो आज बहुत अच्छा लग रहा है, आप का क्या हाल है?

मुझे भी अच्छा लगा है, आज काफी समय बाद आनंद आया है

क्यों आंटी के साथ मजा नहीं आता?

आंटी अब कुछ करती नहीं है

यह तो बहुत बुरा है आप के साथ

उम्र के साथ पत्नियां पतियों के साथ ऐसा ही करती है

मैं नहीं करुँगी

देख ले तेरी चूत फट तो नहीं गयी

अब आप मुझे खिचों मत, मैं घबरा गयी थी

अब उठ कर कपड़ें पहन ले, लेकिन पहले नीचे से साफ कर ले, मैं कोई कपड़ा देता हूँ

मैंने उठ कर उसे एक छोटा तौलिया दिया और उस ने उस से योनि और जाँघों को साफ कर के तौलिया मुझे पकड़ा दिया। मैंने भी उस से अपने अंगों को साफ करके कपड़ें पहन लिये। रजनी ने भी कपड़ें पहन लिये। हम दोनों तैयार हो गये। मैंने उस से पुछा कि चाय चलेगी?

भागेगी, लेकिन बनायेगा कौन?

मैं और कौन?

आप को चाय बनानी आती है?

हाँ, तुम बाहर चल कर बैठो, मैं चाय बना कर लाता हूँ

वह कमरे से बाहर चली गयी। मैं चाय बनाने किचन में चला गया। कुछ देर बाद चाय ले कर बाहर के कमरे में आ गया। वहाँ रजनी बैठी हुई किसी किताब के पन्नें पलट रही थी। मुझे देख कर बोली कि आप इतनी किताबें कैसे पढ़ते है?

किताबें आदमी की ज्ञान की भुख को मिटाती हैं

उस ने चाय का प्याला मेरे हाथों से ले लिया और चाय पीनी शुरु कर दी। मैं भी अपनी कुर्सी पर बैठ कर चाय की चुस्कियां लेने लगा।

चाय कैसी बनी है?

चाय तो आप बढ़िया बनाते है

चलों तुझे मेरी हाथ की चाय तो पसंद आयी

मुझे तो आप भी पसंद हो

आज कल तुम ज्यादा बातें बनाने लगी हो

आप से दोस्ती हो गयी है इस लिये ऐसा हो रहा है

हम दोनों के बारें में किसी को बताना नहीं, नहीं तो समस्या हो जायेगी

इतनी अक्ल है मुझ में, क्या बताना है क्या नहीं

अब क्या करना है?

कुछ नहीं मैं जा रही हूँ, फिर किसी दिन आऊँगी

कभी भी आ सकती है, कुछ चाहिये तो नहीं?

नहीं कुछ नहीं चाहिये, आज तो सब कुछ मिल गया है

बढ़िया

रजनी ने आगे झुक कर मुझे चुम्बन दिया और कमरे से बाहर निकल गयी। उस के जाने के बाद मैं आज के घटना क्रम के बारे में सोचने लगा। आज जो हुआ वह मुझे तो बहुत आनंद दे कर गया। मेरा मानना था कि रजनी को भी बहुत अच्छा लगा होगा। सिर्फ यही चिन्ता हो रही थी कि रजनी इस संबंध के बारें में किसी को बता ना दे। लेकिन मैं इस बारे में कुछ कर नहीं सकता था। तीर तो अब कमान से निकल चुका था।

रजनी के साथ संभोग में बहुत आनंद आया, जवानी के बाद आज फिर से इतनी कसी हुई योनि पा कर मेरा लिंग भी पुरी तरह से संतुष्ट था। यह भी पता चला कि आज कल के युवकों के मुकाबले मेरा लिंग ज्यादा बड़ा था। यह तथ्य जान कर मन प्रसन्न था। मन में खुशी थी कि मैं रजनी जैसी अपने से कम उम्र की लड़की को संतुष्ट कर पाया। सजनी से संबंध बनाने से पहले मेरे मन में इस बात को लेकर शंका थी, वह आज दूर हो गयी थी।

रजनी के साथ मेरा संबंध सही चल रहा था। वह हफ्ते में एक बार तो मेरे पास आती ही थी, अगर समय होता था तो हम दोनों संबंध बनाते थे। उस ने इस दौरान कभी पैसे की माँग नहीं की। संबंधों में गहराई आ रही थी। मैं इस से संतुष्ट था।

तभी एक दिन रजनी आयी और बोली कि अंकल मुझे कुछ रुपये चाहिये। मैंने बिना कुछ पुछे उसे रुपये निकाल कर दे दिये। वह उन्हें लेकर चली गयी। मुझे कुछ खास नहीं लगा। लगा कि उसे पैसे की जरुरत होगी तो उस ने मुझ से माँग लिये। बात आई गयी हो गयी। मैं उस के बारें में भुल गया।

एक ढ़लती दोपहर को रजनी आयी तो वह अकेली नहीं थी, उस के साथ एक और लड़की थी। साथ वाली लड़की रजनी के उलट भरे-पुरे शरीर की मालकिन थी। उस के हर अंग से जवानी फुटी पड़ रही थी। रजनी ने मेरा परिचय उस से कराया और कहा कि अंकल यह निशा है, मेरी खास सहेली है। आज मैं इसे आप से मिलवाने लायी हूँ।

उस की यह बात सुन कर मैं हैरान सा हुआ। मेरी हैरानी को पहचान कर वह बोली कि यह मेरी पक्की सहेली है, उस दिन मैं आप से जो रुपयें ले कर गयी थी वह इस के लिये ही थे। मेरी हैरानी फिर भी कम नहीं हुई तो वह शरारत से बोली कि यह आज आप के रुपयें चुकाने आयी है।

मैंने उसे देखा तो उस ने अपनी आँख दबा दी। मैं उस की यह अदा आज पहली बार देख रहा था। सो भौचक था। वह मेरी हालत का मजा ले रही थी। वह हँसने लगी और बोली कि आज यह भी आप से प्यार करना चाहती है। इस के पहले अनुभव अच्छे नहीं रहे है। इस लिये मैं इसे आप के पास ले कर आई हूँ।

यह सुन कर मन ही मन मैं खुश हो गया लेकिन मैंने अपने चेहरे पर इसे प्रगट नहीं होने दिया। मैं नहीं चाहता था कि दोनों को पता चले कि मैं निशा से प्यार करने के लिये मरा जा रहा हूँ। आज मुझे भी मेरे पसंद की लड़की भोगने के लिये मिल रही थी। मुझे चुप देख कर रजनी बोली कि अंकल आप गुस्सा तो नहीं हो? मैंने उस से पुछा कि मैंने तो किसी को बताने के बारे में मना किया था।

वह बोली की यह मेरी पक्की सहेली है इस की परेशानी देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैंने इसे हम दोनों के बारें में बता दिया। इसे पैसे की जरुरत रहती है, मुझे लगा कि आप इस की सहायता कर सकते हो। साथ ही साथ इसे भी अच्छा लगेगा। यह तो आप ही बता सकते हो। मैं उस की बात सुन कर मुस्कराया और बोला कि तुने जो सोचा है वह सही ही होगा। मेरी इस बात को सुन कर उस के चेहरे पर चमक आ गयी।

मैं आगे बढ़ने की सोच ही रहा था कि मन में आया कि आज हम कुछ ना करें। मैंने रजनी से कहा कि आज तो कुछ किया नहीं जा सकता है। वह मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी। मैंने उसे समझाया कि आज सही समय नहीं है इस लिये आज अगर वह कुछ पढ़ना चाहती है तो पढ़ सकती है अगर कोई किताब लेनी है तो वह भी ले सकती है, लेकिन और कुछ नहीं किया जा सकता है।

वह कुछ समझी नहीं लेकिन उसे यह समझ आ गया कि आज निशा का और मेरा मिलन नहीं हो सकता है। मुझे भी कुछ ना कर पाने का दूख हो रहा था, लेकिन मन में से आवाज आ रही थी कि आज इस बात को आगे ना बढ़ाऊँ। मैंने अपने मन की सुनने का निश्चय किया।

रजनी और उसकी सहेली निशा दोनों कुछ देर किताबों को उलटती पलटती रही और फिर दोनों एक-एक किताब ले कर वापस चली गयी। उन का जाना हुआ और मेरी पत्नी मंदिर से घर वापस आ गयी। आज उस का मन मंदिर में नहीं लग रहा था इस लिये वह बीच में ही घर चली आयी।

मैंने मन ही मन अपने आप को शाबासी दी और सोचा कि अगर आज मैंने मन की नहीं मानी होती तो क्या होता, उस की कल्पना ही करी जा सकती है। यही सोच कर मैंने चैन की सांस ली।

रजनी घर पर आती ही रहती थी, उस को मेरे से कोई ना कोई काम पड़ता ही रहता था। निशा के बारें में हम दोनों ने कोई बात नहीं की। समय ऐसे ही बीत रहा था। मेरी पत्नी किसी रिश्तेदार के यहाँ कुछ दिनों के लिये चली गयी।

उस के जाने के दो दिन बाद रजनी आई और मेरे से बात करने लगी। मैंने उस से कहा कि अब वह अपनी सहेली को ला सकती है। वह मेरी तरफ देख कर बोली कि उस दिन तो आप ने मना कर दिया था। मुझे बहुत बुरा लगा था। निशा भी बहुत निराश हो गयी थी।

मैंने उसे बताया कि उस दिन हम सब बच गये थे, तेरी आन्टी तुम्हारें जाते ही मंदिर से वापस आ गयी थी। उस का मन मंदिर में नहीं लग रहा था। हम सब बच गये थे। मेरी बात सुन कर वह बोली कि उस दिन आप की बात मान कर सब बच गये नहीं तो बहुत बुरा होता। मैंने उसे बताया कि तेरी आंटी बाहर गयी हुई है इस लिये अभी कोई डर की बात नही है।

मेरी बात सुन कर वह बोली कि आप कहो तो शाम को उसे बुला लुँ। मैंने कहा कि मुझे कोई परेशानी नहीं है तुम देख लो, तुम्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये। वह कुछ सोच कर बोली कि कल दोपहर का समय सही रहेगा। घर में कोई परेशानी नहीं होगी। कुछ देर मेरे पास वह बैठी रही फिर उठ कर अपने घर चली गयी।

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