महारानी देवरानी 094

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बलदेव देवरानी की सुहागरात और नींद शमशेरा की उड़ गयी
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Part 94 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 94

सुहागरात

रात 12 बजे

बलदेव देवरानी की सुहागरात और शमशेरा की नींद उड़ गयी

देवरानी के चेहरे को अपने लंड के पानी से नहला कर बलदेव देवरानी को मुस्कुरा कर देखता है और देवरानी तुनक कर कपड़ा उठा कर अपना मुंह पूछती है उसकी नजर घड़ी पर पड़ती है।

देवरानी: हे भगवान 12 बज गए! "

ये कहते हुए किसी जिंदा लाश की तरह पलंग पर गिरती है जैसे उसके अंदर अब जान ही ना बची हो।

बलदेव अपना लौड़ा उसी कपड़े से पूछ कर बिस्तर पर देवरानी के बगल में जा कर लेट जाता है।

"रानी अभी से 12 बज गए और आज तो पहली रात है।"

"राजाजी 12 बजे हैं, समय देखो, वह सामने घड़ी में देखो।"

"अच्छा तो आओ एक बारी फिर से करते हैं।"

बलदेव ये कह कर देवरानी को अपनी बाहो में कसता है।

"नहीं राजा मेरi नस-नस दुख रहi है पिछली 6 घंटो से लगतर किये जा रहे हो।"

"तुम कहना क्या चाहती हो देवरानी...प्यार तो मैं कर रहा हूँ, सोचो मेरा क्या हाल होगा?"

"तुम तो घोड़े हो थकने का नाम नहीं लेते मैं तो थक गई बुरी तरह!"

"तो बड़ी शेरनी बनी फिरती थी अभी कहा गई वह शेरनी जो हमेशा मेरे लौड़े को भड़काती थी और चुनौती देती थी।"

बलदेव ये कहते हुए देवरानी की गांड पर हाथ रख कर अपनी तरफ खींचता है और देवरानी की चूत पर अपने लंड को, जो अभी सोया हुआ था रगड़ता है। देवरानी समझ जाती है बलदेव नहीं मानने वाला । फिर कुछ सोचते हुए देवरानी बलदेव को अपनi बाहो में कस कर उसके कान के नीचे चूमते हुए कहती है।

"आह राजा मैंने कब मना किया है आपको करने के लिए बस थोड़ा आराम करने दीजिए ना। फिर आपके लिंग की सेवा करेगी आपकी पत्नी । मेरे राजा बेटा!"

ये सुन कर बलदेव को भी अपनी माँ पर तरस आता है।

बलदेव मुस्कुराते हुए देवरानी के कमर पर हाथ रख उसे सहलाना जारी रखता है।

"आह राजा आराम से! मेरा अंग-अंग बहुत दुख रहा है।"

"ठीक है अब मैं आपकी सेवा करता हूँ।"

बलदेव उठ कर जाता है या मुझ पर रखे सरसों तेल को उठा लेता है।

"ये क्या कर रहा है बेटा?"

"मां आपकी मालिश!"

"नहीं, नहीं आप मेरे पति हो! ये तो मेरा काम है आप मत कीजिए मुझे पाप लगेगा ।"

"रानी माँ अपनी पत्नी की सेवा करना कहीं से पाप नहीं है। ये तो पुरुषो एक झूठी धारना को फेलाया है और अपनी पत्नी से सेवा करवाते हैं।"

"तुम कितना समझदार हो राजा बेटा।"

"और वैसे भी माँ अगर तुम मेरे लिए अपना सब कुछ त्याग सकती हो तो मैं क्या इतना भी नहीं कर सकता । बेटा तो माँ की सेवा कर ही सकता है।"

ये सुनते हैं देवरानी खुश हो जाती है या अपनी लंबी केले जैसी टाँगे फेला देती है और चित लेट जाती है।

"आजा कर ले अपनी माँ की सेवा।"

बलदेव देखता है उसकी माँ दोनों टाँगे फेलाए लेटी हुई थी और उसकी टांगो के बीच उसकी चूत के मुहाने खुले थे, जिसमे लगातार पेलने के वजह रास्ता बन गया था और चूत की पंखुडिया बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी चूत में हल्का पानी का रिसाव भी हो रहा था।

बलदेव तेल की मालिश के लिए बैठ जाता है और दोनों हाथ में तेल लगा कर देवरानी के पैरो की उंगलियों से ले कर घुटनो तक तेल लगाने लगता है।

देवरानी अपनी आंखे बंद कर लेती है और या मालिश से उसे एक अलग ही मजा आ रहा था।

"महारानी कैसा लग रहा है? मालिश कमला से तो अच्छी नहीं होगी।"

"आह बेटा मर्द की बात ही कुछ और होती है। तुम्हारे हाथ की मालिश से मजा आ रहा है! थोड़ा और ऊपर आओ!"

बलदेव ऊपर बढ़ कर घुटनो से ले कर पूरी जांघो की मालिश करने लगता है और फिर तेल लेकर देवरानी के नाभि में गिराता है।

"आह आआह राजा!"

देवरानी की नाभि में तेल डाल, एक उंगली, उसकी गहरी नाभि घुसा देता है। फिर अपनी उंगली गोल घुमाते हुए अपनी उंगली नीचे की ओर लाता है और अपने दूसरे हाथ से तेल देवरानी की चूत पर गिराता है।

"आह राजा उम्म्ह!"

बलदेव एक उंगली घुमते हुए नीचे आता है और चूत के चारो और ऐसे उंगली फेरने लगता है जैसे चूत पर अपना नाम लिख रहा हो।

कुछ देर ऐसे वह सहलाते हुए पूरी चूत को तेल से भीगा कर अपने पूरे हाथ से चुत को पकड़ कर दबा लेता है।

"आआआह राजा"

बलदेव अब तेल से पूरी चूत की मालिश करने लगता है फिर ऊपर बढ़ता है और देवरानी के बड़े पपीतो जैसे स्तनों पर तेल गिराता है और दोनों हाथों से दोनों मम्मो को दबा देता है।

"राजाआ धीरे!"

बलदेव दोनों मम्मो को खूब जम के मालिश करता है फिर ऐसे ही देवरानी के हाथ, पैर, टांगो चूत दूध सब पर बिना रुके मालिश करने लगता है।

दूसरी तरफ रात ज्यादा हो गई थो तो महल में सब खाना खा कर अपने-अपने कक्ष में सोने चले जाते हैं।

शमशेरा भी नीचे एक कक्ष में लेटा हुआ था पर उसकी आँखों से नींद कोसो दूर थी और उसके मन में हजार तरह का ख्याल आ रहे थे।

शमशेरा: (मन में) बलदेव की चांदी है। ऊपर अपने कक्ष में अपनी माँ को पेल रहा होगा।...मेरे से छोटा है फिर भी अपनी माँ को पटा कर शादी भी कर ली और खूब मजे से सुहागरात मना रहा है। एक मैं हू जो इतने सालों से सिर्फ सोच रहा हु, पर कुछ नहीं कर पाया।

शमशेरा: (मन में) बलदेव की माँ की तो सिर्फ एक सौतन थी और मेरी माँ की तो तीन सौतन है और अब्बू के हरम में तो 500 से ज्यादा लौंडिया है जिनसे वह जिस्मानी रिश्ता रखते हैं...देवरानी खाला ने तो सिर्फ एक सौतन से परेशान हो कर अपने बेटे को अपना यार बना लीया। क्या अम्मी हुरिया को बुरा नहीं लगता होगा, उनके शौहर की 4 बीवीया है और साथ ही हजारो औरतों से हमबिस्तर होने का शौक...! क्या अम्मी हुरिया का मन नहीं करता होगा की कोई उनसे भी सच्चा प्यार करे और सिर्फ उनका ही हो के रहे?

सब सोचते हुए शमशेरा सो तो नहीं पा रहा था और उसे आज कल अलग-अलग वैश्यों के साथ रासलीला करने की आदत हो गई थी जिन्हे वह अपनी अम्मी हुरिया समझ कर रौंदता था, पर जंग के दिनों में वह किसी वैश्य के पास भी नहीं जा पा रहा था।

शमशेरा अपना बिस्तर से उठ कर कुछ सोचते हुए अपनी कक्ष से बाहर निकलता है तो देखता है कि महल में किसी की आवाज नहीं आ रही थी और सब सो रहे थे।

शमशेरा टहलने लगता है। इस बीच उसके दिमाग में कभी दिन की तो कभी अपनी माँ हुरिया की तस्वीर चल रही थी।

इधर रानी शुरूष्टि जो हल्की नींद में थी कदमो की आवाज सुन कर अपनी आंखे खोलती है।

"इतनी रात कौन है जो महल में चल रहा है।"

शुरूष्टि उठ कर अपने कक्ष में लालटेन को जलाती है और लालटेन को लिए बाहर आती है तो देखती है कि अँधेरे में कोई लंबा चौड़ा पुरुष टहल रहा है।

शुरष्टि: कौन है वहा...?

शमशेरा पीछे मुड़ता है तो देखता है की शुरूष्टि लालटेन लिए खड़ी हुई थी। शुरूष्टि उस समय वह बेहद कम और हल्के वस्त्र पहने हुए थी जो वह सोते समय पहनती थी। उन अंतरंग हल्के वस्त्रो में वह बहुत कामुक लग रही थी। उसके लटके हुए बड़े दूध उसकी सांवले पेट और उसके छोटे कद के कारण शमशेरा उसे झुक कर देखता है।

"रानी शुरष्टि आप चौकीदारी कब से करने लगी।"

रानी शुरूष्टि साढ़े 6 फीट के आदमी के सामने अपना सर उठा कर कहती है।

"जब घर में अतिथि के रूप में जासूस आये हुए हो तो चौकीदारी भी करनी पड़ती है, राजकुमार!"

शुरूष्टि साढ़े 5 फीट से भी कम थी पर फिर भी थी तो रानी ही, इसलिए खूब कड़े अंदाज में शमशेरा को जवाब देती है ।

"लगता है रानी अब भी आप हमें जासूस ही समझती हो"!

"तो और क्या समझे! पहली बार जब आप आए थे तो अँधेरे में, अब भी आधी रातमें टहल रहे हो । ऐसे तो कोई भी चोर ही समझेगा।"

शमशेरा अब मायुस होते हुए कहता है।

"रानी साहिबा वह बस नींद नहीं आ रही है, पर आप अभी तक नहीं सोई।"

"मैं सो गई थी फिर तुम्हारे कदमों की आवाज ने उठा दिया । वैसे किसकी याद आ रही है जो आपको सोने नहीं दे रही है ।"

"अम्मी की...!"

शमशेरा की मुँह से निकल जाता है और वह अंदर से घबरा जाता है।

"मुझे समझ नहीं आता युवराज को अम्मी की याद...!"

"वो रानी साहिबा घर से दूर हूँ ना तो घर की याद आ रही है, अम्मी अब्बू सब की याद आ रही है।"

शुरूष्टि: "मेरे से तो खड़ा नहीं हुआ जा रहा । दिन भर काम कर के थक गई हूँ । शादी का काम आसान नहीं होता है। युवराज अगर दिल भारी लग रहा है तो आईये। हमारे कक्ष में बैठ कर बात कर लेते हैं ।"

"ठीक है रानी साहिबा!"

शमशेरा को शुरूष्टि लालटेन लिए हुए अपने कक्षा की ओर ले जाती है और शमशेरा शुरूष्टि के पीछे-पीछे चल रहा था।

शमशेरा देखता है शुरूष्टि की गांड जो गोल गुब्बारे जैसी थी और उसके आभुषण में मटक रही गांड बहुत आकर्षक लग रही थी।

शमशेरा मन में: अरे वाह! क्या गांड है इतनी छोटी-सी रानी के इतने मोटे बड़े गांड । आज इस कपड़े में तो कहर ढा रही है रानी शुरष्टि।

शुरष्टि अपने कक्ष में घुस कर कुछ दिये जला देती है जिस से कक्षा में रोशनी फेल हो जाती है।

"आजाओ युवराज बैठ जाओ. लगता है तुम अपने परिवार को बहुत याद कर रहे हो।"

"हाँ रानी साहिबा खास कर अम्मी को।"

शमशेरा पास रखे सोफ़े पर बैठ जाता है और शुरष्टि दूर बिस्तर पर बैठ जाती है।

"अच्छा तो अम्मी के लाडले हो। ये तो बताओ कैसी है तुम्हारी अम्मी?"

"मतलब अच्छी है।"

"मेरे उमर की है या बड़ी है।"

"अब मुझे क्या पता आपकी उमर क्या है!"

"अरे ऐसे ही अंदाज़न बताओ।"

"आपकी उम्र कितनी है रानी साहिबा!"

"स्त्री से उसकी आयु नहीं पूछते कुमार!"

"तो फिर कैसे बताओ कि मेरी अम्मी जान आप से उम्र में छोटी है या बड़ी!"

"कितनी आयु है उनकी?"

"अम्मी जान लगभाग 44 की है।"

"फिर तो युवराज वह हम से छोटे हैं।"

"आप उनसे बड़ी हो। लगती तो नहीं हो रानी साहिबा।"

"हाँ अब मुझे ताड़ पर मत चढ़ाओ!"

"वैसे रानी साहिबा आपने आज बहुत मेहनत की है, थक गई होगी।"

"हाँ बाबा! अब विवाह की तयारी करना मामुली काम नहीं है।"

"हाँ आज वह बहुत खुश लग रहे थे।"

"युवराज उनको ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है । उन्होंने मेरी इज़्ज़त लूटने से बचाई है।"

"ओह तो क्या हम यहाँ गिल्ली डंडा खेलने आये थे।"

"हाँ आप सब नहीं आते युवराज, तो शाहजेब हम सारी महिलाओं की बाँध दिल्ली ले गया होता अपने साथ...!"

"आप चुप क्यू हो गयी रानी साहिबा?"

"अब कैसे बोलू इतनी घटिया बात।"

"रानी साहिबा अपना दोस्त समझ कर आप कहिये।"

"वो हरामी शाहजेब ने मुझे यहाँ, वहा हाथ लगाया, मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की और वैसे बच्चू आप मेरे मित्र कब से बन गए. अगर मेरा कोई पुत्र होता तो तुम्हारे जितना ही बड़ा होता।"

"तो क्या हुआ हम दोस्त नहीं हो सकते और शाहजेब तो रंडीबाज़ है ही । जल्द ही उसके हाथ से दिल्ली निकल जाएगी।"

"छी! ऐसे शब्दो का प्रयोग ना करो युवराज।"

"एक बात कहू रानी साहिबा अगर आप बुरा ना माने तो।"

"बोलिये ना युवराज आप अब हमारे घर वाले जैसे हैं।"

"रानी जी आप हो इतनी खुबसूरत कि किसी का भी दिल आ जाए और वह बादशाह शाहजेब तो वैसे भी हरामी है।"

अपने बेटे के उमर के मर्द से ये बात सुन कर ही शुरष्टि शर्म से लाल हो गई।

"चुप करो युवराज जो मन में आजाता है बोल देते हो।"

"ठीक है रानी सृष्टि में जाता हूँ सोने वैसे भी आप दिन भर की थकी हो तो आराम कीजिये।"

ये कहते हुए शमशेरा उठता है पर वैसे ही शुरुष्टि कहती है।

"अरे रुको शमशेरा लगता है आपको बुरा लग गया।"

शमशेरा: (मन में) हथौड़ा सही जगह लगा है अब काम बन सकता है।

"नहीं रानी साहिबा इतनी-सी बात का बुरा क्या मानना। आप दोस्त जैसी हो हमारी।"

"अच्छा तो बैठो । अगर मित्र समझते हो तो नहीं समझूंगी, बुरा मान जाओगे।"

शमशेरा वापस बैठ जाता है।

"रानी साहिबा आपकी दोस्ती के लिए कुछ भी ।"

"क्या सच में सुंदर हूँ शमशेरा?"

शमशेरा अपने जगह से उठता है और बिस्तर पर आकर शुरुष्टि की बगल में बैठ जाता है।

"रानी जी आप सुंदर नहीं अति सुंदर हो और ये बात तो मुझसे तब से जानता हूँ जब मैं पहली बार आपके कक्ष में गलती से घुस गया था और आपके हुस्न का दीदार हो गया था।"

ये शमशेरा शुरष्टि की आंखो में देख कर कह रहा है शुरुष्टि सर नीचे कर के मुस्कुराए हुए शर्मा रही थी और उस लम्हे को याद कर रही थी जिसने जब उसे शमशेरा ने नंगा देख लिया था।

शुरष्टि सर निचे कीये बोलती है।

"मुझे क्या पता था तुम अचानक से अंदर आओगे। अगर पता होता तो स्नान कर के बाहर नहीं निकलती।"

शमशेरा शुरष्टि के पास खिसक जाता है और शुरष्टि का एक हाथ अपने हाथ में ले कर कहता है ।

"रानी साहिबा अगर आप उस दिन खुले बदन नहा कर बाहर नहीं निकलते तो आप का हुस्न मुझे दीवाना कैसे बनाता!"

शुरष्टिये सुनते हे लंबी-लंबी सांस लेने लगती है और अपना हाथ शमशेरा के हाथ में देख कहती है ।

"बेशरम!"

और अपना हाथ शमशेरा के हाथ से छुड़ाती है।

"तुम पारसियों को मैं जानती हूँ । चिकनी चुपड़ी बाते, तुम अच्छी कर लेते हो।"

"अहा रानी साहिबा मैं तो बीएस अपने दिल का हाल बता रहा हूँ।"

"अम्मी को कहो युवराज की अच्छी-सी दुल्हन ला दे।"

"रानी शुरष्टि अब आप जैसी मिलने से रही।"

"हट!"

कह कर शुरष्टि उठने लगती है।

शमशेरा हाथ पकड़ लेता है और खड़ा हो जाता है।

"मैं सच कह रहा हूँ शुरष्टि जी ।"

"पागल में अब बूढ़ी हो गई हूँ ।"

शमशेरा शुरष्टि के दोनों हाथों को अपने हाथो में ले कर कहता है।

"कौन कमबख्त कहता है तुम बूढ़ी हो । आप अब भी जवान हो रानी साहिबा!"

"छोडो मुझे!"

"रानी जी अब तो आपके पति राजपाल को जिंदगी भर सजा काटनी है, तो क्या आप ऐसे ही अपनी इस खूबसूरत जवानी को बरबाद करोगी?"

ये कह कर शमशेरा अपने हाथों से शुरष्टि की कमर को खींच कर अपनी तरफ लाता है।

"उसकी चिंता तुम ना करो शमशेरा!"

शुरष्टि सांस ज़ोर-ज़ोर से लेते हुए कहती है । कहीं ना कहीं अपनी तारीफ़ सुन और अपने आपको एक जवान मर्द के बाहो में पाकर शुरष्टि भी बहक गई थी और उसकी चूत में चिटिया रेंग रही थी।

शमशेरा झुक कर अपने होठ शुरष्टि के कान पर ले जाता है।

"जब से हमने आपको फुदकते नंगे दो कबूतरों को देखा है कोई ऐसा दिन नहीं जो इन्हें याद नहीं किया ।"

शुरष्टि के पास कहने को कुछ नहीं था । क्यू के उसके भारी मम्मो को शमशेरा ने पहले ही देख लिया था।

"रानी साहिबा क्या सोच रही हो? हाय आजाओ मेरो आगोश में 1 आपको जन्नत का सफर करवा दूंगा।"

शमशेर ये कह कर शुरष्टि के गले लग जाता है ।

"ये गलत है शमशेरा!"

"ऊपर बलदेव अपनी माँ के साथ सुहागरात मना रहा है। क्या वह सही है।"

"पर शमशेरा!"

"अगर मैं आपको पसंद नहीं रानी शुरष्टि तो कह दीजिए।"

"शमशेरा मैंने ऐसा तो नहीं कहा।"

ये सुनना था कि शमशेरा समझ गया की ये मोहतरमा और उसकी चूत भी अब उसका मूसल लेने के लिए तैयार है पर अभी भी डर रही है।

शमशेरा ने अपने दोनों हाथों से कमर में हाथ डाल कर शुरष्टि को अपने से चिपका लिया।

"रानी साहिबा आप खिदमत करने का मौका दीजिए वह बूढ़े राजपाल ने तो कुछ नहीं किया होगा।"

शुरुष्टि उखड़ी संसो के साथ शमशेरा से चिपकी खड़ी थी। शुरुष्टि की लम्बाई शमशेरा से कम होने के कारण उसका सर शमशेरा के पेट तक ही आ रहा था ।

शुरुष्टि: (मन में) वैसे मुझे भी एक मर्द चाहिए । राजपाल तो जीवन भर करवास में ही रहेगा और उस सेनापति से भी मुझे अपनी जान छुड़ानी है और शमशेरा ही है जो इस काम में मेरी मदद कर सकता है।

ये सोच कर शुरुष्टि निर्णय ले लेती है और अपनी बाहो में शमशेरा को दबा कर लपेट लेती है।

"आह जानेमन शुरुष्टि ये दबाने का मकसद मुझसे छूटना है या तुम्हें अच्छा लग रहा है?"

"शमशेरा में तुम्हें देख भी नहीं पा रही हूँ तुम इतने ऊंचे हो।"

ये सुनते हे शमशेरा की गर्दन में बाहे डाल कर लटक जाती है और किसी बच्चे की तरह सृष्टि को नीचे से पकड़ कर ऊपर उठाता है और उसकी चूत शमशेरा के लंड से चिपकी हुई थी। शमशेरा भी पीछे से शुरुष्टि की गांड को दबाये जा रहा था।

"आआह हाय!"

"रानी अब आ गई ना मेरे बराबर में।"

"आह हाये हाथ हटाओ!"

"कहा से रानी शुरष्टि।"

"मेरे पीछे से।"

शमशेरा अपने दोनों हाथ को पीछे ले जा कर ज़ोर से दबा रहा था।

"रानी शुरष्टि अभी गांड के हिलने से तो मेरा लंड खड़ा हो गया था।"

"छी कैसी बात कर रहे हो।"

"लगता है राजपाल ने कभी आपके साथ नहीं किया ।"

शमशेरा अपना हाथ देवरानी की चूत पर लगता है और उसे गरम पाकर...!

"रानी जी अब आपकी चूत गरम हो चुकी है आपको तो अब पता होगा कि अब हमें ऐसी बात ही करनी होगी और मेरा लौड़ा आपकी चूत से बात करेगा तब जाकर ये ठंडी होगी।"

शुरुष्टि आखे बंद कर के शमशेरा के नंगे कंधे पर दांत लगा कर ज़ोर से काटती है।

"आआआह रानी!"

शमशेरा शुरुष्टि को पकड़ कर आगे करता है और उसके चेहरे को देखते हुए पहले पास जल रहे दियो को फूक मार कर बुझाता है फिर शुरुआत को गोद में ले पलंग पर ज़ोर से पटक देता है।

"आआह!"

शुरुष्टि गिरते हुए अपनी आँखें खोलती है और अपने कक्ष में अँधेरा देख कहती है ।

"शमशेरा ये तुमने सब दिये क्यू बुझा दिये ।"

"अंधेरे में आपको प्यार करना है । अगर आप चाहे तो मुझे फिर से जला दो।"

"नहीं रहने दो।"

शमशेरा बिस्तर पर चढ़ शुरुष्टि को बाहो में भर लेता है और उसके होठों पर अपने होठ रख उसके ओंठ चुसने लगता है।

"गैलप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प गैलप्प!"

"आह शमशेरा!"

शमशेरा एक हाथ से उसकी धोती जैसी पतले अत्तारया उत्तरया वस्त्र को खींच देता है और सुरुष्टि पूर्ण नंगी हो जाती है।

शुरष्टि शर्मा कर तुरंत अपने दूध पर अपने हाथ रखती है।

"रानी शर्मा क्यू रही हो? इन्हे मैंने पहले भी देखा है। "

शमशेरा आगे से शुरष्टि के हाथ हटा देता है और उसके मम्मो को हाथ में पकड़ने लगता है।

"शमशेरा आहा ये बात किसी को पता नहीं चले!"

"रानी जी कभी नहीं चलेगा किसी को पता । बस आप लंड का मजा चखे।"

ये सुनते हे शुरष्टि की चुत रिसॉव करने लगती है।

शमशेरा शुरष्टि को मम्मो को ज़ोर से दबाता है फिर झुक कर अपने मुँह में भर कर बारी-बारी से चूसने लगता है।

शमशेरा अब अपने कपड़े निकालता है या शुरष्टि को एक हाथ से खींचकर अपना ओर लाता है।

"ये मुँह में लो रानी!"

शुरष्टि लंड को देख वही रुक जाती है।

"नहीं शमशेरा ये बहुत बड़ा है।"

"लो बोला ना।"

शुरष्टि ने पहली बार ऐसा लंड देखा था । वह नीचे झुकती है और अपने हाथ में ले कर सोचती है ।

शुरष्टि (मन में) ये तो सोमनाथ के लिंग से भी बड़ा लिंग है । बाप रे! सोमनाथ से चुदना मेरे लिए मुश्किल होता था ये कैसे लुंगी!

"रानी शुरष्टि आप घबराइए मत सब चला जाएगा आप इसे मुँह में लो पहले!"

शमशेरा ने मानो शुरष्टि के मन को पढ़ लिया हो ।

शुरष्टि से सुन हड़बड़ा जाती है और अपना छोटे से हाथ में 9 इंच का हुल्लबी लौड़ा लिए हाथ आगे पीछे करती है और फिर नीचे झुक कर अपने छोटे से होठ के बीच लैंड के सुपारे को रखती है। शमशेरा के लौड़े का सुपाड़ा भी शुरष्टि के खुले मुंह में जा नहीं पा रहा था क्यू के शुरष्टि के मुंह खोलने के बाद भी शमशेरा ले लंड का सुपारा उसके मुंह के गोलाई से दो गुना मोटा था ।

शुरुष्टि: ये नहीं जाएगा । युवराज!

"जाएगा कैसी नहीं रानी।"

शमशेरा शुरष्टि के जबड़े को पकड़ के ज़ोर से दबाता है जिस से शुरुष्टि का मुँह और खुल जाता है । फिर शमशेरा एक ज़ोर का धक्का देता है या "पच्च" से पूरा सुपारा शुरष्टि के मुँह में घुस जाता है।

शुरुष्टि: आह अम्म उम्म!

शमशेरा एक और धक्का देता है और इस के बाद आधा लौड़ा अंदर घुस जाता है और शुरुआत का मुंह पूरा भर जाता है और उसे लग रहा था अब उसके गाल चिर जाएंगे।

शमशेरा देखता है कि रानी शुरष्टि का मुँह पूरा लौड़ा डालने लायक नहीं है और वह आधा लौड़ा ही शुरष्टि के मुंह में डाल आगे पीछे कर रहा था और शुरष्टि की आंखों में आसु साफ देखे जा सकते थे ।

थोड़ी देर में शमशेरा का लंड और सख्त हो जाता है । वह फच्च कर अपना लौड़ा निकलता है। शुरष्टि "आआह" कर एक लंबी सांस लेती है।

शमशेरा शुरष्टि को पकड़ के लिटा देता है या दोनों टांगो को खींच उसकी चूत को अपने लौड़े के पास लाता है।

"आह शमशेरा आराम से करो!"

शमशेरा चूत को देखता है।

"रानी तुम्हारी चूत तो किसी छोटी बच्ची जैसी है।"

"आह हम्म!"

शमशेरा अपना सुपारा चुत पर घिस रहा था और शुरष्टि आखे बंद कर सांस ले रही थी। शुरष्टि की चुत अब पानी छोड़ रही थी। शमशेरा अपनी एक उंगली अंदर डालता है और चुत में अंदर बाहर करने लगता है। थोड़ी देर बाद जब चुत का रास्ता चिकना हो जाता है। शमशेरा शुरष्टि को अपनी ओर से खींचा उसे दोनों टांगो को ऊपर उठाता है और शुरष्टि की गांड के नीचे तकिया लगा देता है । वह फिर अपना लौड़ा चूत पर लगा कर शुरष्टि को देखता है जो आखे बंद किये हुए सिसक रही थी।

"रानी शुरष्टि आपकी इजाज़त हो तो अंदर दाखिल कर दू।"

"आह शमशेरा कृपा कर के जल्दी करे।"

शमशेरा अपने एक हाथ से चूत के मुँह को फेलाता है और एक हाथ से अपना लौड़ा चूत पर रख हल्का-सा धक्का देता है जिससे सुपाड़ा आधा अंदर चला जाता है और सृष्टि कराह उठती ।

"आआआह!"

"अरे अभी गया भी नहीं रानी!"

शमशेरा झुक कर शुरष्टि के दोनों हाथो को पकड़ लेता है और जांघो से शुरष्टि की टांगो को दबा कर एक धक्का मारता है।

"पच्च कर के" आधा लौड़ा शुरष्टि के चूत में घुस जाता है।

श्रुष्टि: आआआआआआआह!

शुरष्टि और ज़ोर से चिल्लाती । उससे पहले शमशेरा उसके होठों को अपने होठों में दबा लेता है और चूसने लगता है।

"रानी साहिबा शोर ना करे तो बदनामी आपकी ही होनी है।"

शमशेरा फिर से अपनी ओंठो से शुरष्टि के ओंठ पकड़ते हुए चूसने लगता है। शुरष्टि की सांसे जब काबू में आई तो शमशेरा एक या करारा धक्का मारता है और उसका 9 इंच का लंड पूरा चूत में घुस जाता है।

शुरष्टि घू-घू कर रह गयी । वह खूब जोर से चिल्लाना चाह रही थी पर अपने मुंह बंद होने के कारण से उसकी चीख घुट कर रह गई और उसके आंखो से आसुओ की धार निकलने लगी।

शुरष्टि अपने हाथों को शमशेरा की छाती पर रख के पीछे होने का इशारा करती है।

शमशेरा हल्का-सा अपना लौड़ा बाहर निकालता है और शुरष्टि के होठ छोड़ कर मुस्कुराता है ।

"रानी जी लो थोड़ा पीछे खींच लिया।"

"दुष्ट थोड़ा ही पीछे गया है तुम्हारा लिंग। अब भी मेरे बच्चे दानी से लग रहा है।"

कहते हुए शुरष्टि अपने आख बंद कर लेती है और उसकी आँखों से आसु बहने लगते है।

शमशेरा फिर धक्के मारता है और लौड़ा पूरा ना अंदर डाल कर आगे पीछे होने लगता है और शुरष्टि अपने दोनों हाथो से अपने बगल में रखे तकिया को पकड़े आह आहा की आवाज निकाले जा रही थी।

कुछ देर में उसके आसु रुक जाते हैं और वह धक्के के साथ हिल जाती है और बड़े मम्मे जो लटक गए थे पर वह भी हिलते जा रहे थे।

"रानी साहिबा अब कैसा लग रहा है?"

पछ पछ फच्च-फच्च की आवाज पूरे कक्ष में गूंज रही थी।

"आआह अच्छा धीरे शमशेरा आह!"

"रानी साहिबा अगर राजा राजपाल का लंड भी आपके बचे दानी तक पहुँचता तो शायद आप आज बहुत से बच्चे होते।"

घप्प कर शमशेरा ज़ोर का धक्का मारता है।

"आआआह धीरे!"

अब सुर में शमशेरा बिना रुके धक्के पेले जा रहा था और शुरष्टि कराहती जा रही थी।

"रानी आपकी जितनी कसी चूतमने आज तक नहीं मारी।"

"आह लगता है बहुत स्त्री को रिझा चुके हो अपने बातोसे और तुम्हारा इतना बड़ा है जो मेरी छोटी-सी योनि के सामने । तो तुम्हें मेरी कसी हुई ही लगेगी।"

शमशेरा: आह मजा आ गया!

"आआआह आह शमशेरा नहीं आआआह।"

शमशेरा ये सुन कर घपा घप पेले जा रहा था।

"आह ऐसे ही, आह मजा आ गया, मैंने सोचा नहीं था, कभी इतना मजा आता है चुदाई में, आआह शमशेरा!"

"चुदाई इसे ही कहते है रानी मुंगफली जैसे लंड से चुदोगी तो क्या मजा आएगा चुदाई का!"

"आआआआह मैं गई आआआह ओह आआआह!"

शमशेरा बैठ कर धक्के मारने लगता है और "आह मजा आ गया", शुरष्टि झड़ने लगती है । कुछ देर ऐसे ही धक्के मारने के बाद शमशेरा भी झड़ने वाला था।

"शमशेरा निकालो इसे । तुम्हारा हो गया अपना पानी अंदर नहीं निकालो अन्यथा तुम मुझे माँ बना दोगे। निकालो इसे!"

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