साली की सहेली का जन्मदिन

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साली की सहेली के जन्मदिन पर सहेली की सिल तोड़ना।
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उन दिनों में दस दिनों की छुट्टी ले कर अपनी ससुराल आया हुआ था। मेरी ससुराल वाले मुझ से बहुत नाराज रहते थे कि मैं उन के साथ ज्यादा समय नहीं बिताता हूँ सो इस बार उन की इस शिकायत दूर करने के लिये मैं ससुराल में था।

सारें ससुराल वाले इस बात से खुश थे कि मैं इतने दिनों के लिये उन के साथ हूँ। लेकिन इस बीच में मेरे साले को किसी काम से बाहर जाना पड़ गया। अब घर में मैं, मेरी पत्नी, मेरी साली और मेरे सास-ससुर ही रह गये थे। साले के ना रहने से मैं अकेला सा पड़ गया था। लेकिन इस संबंध में कुछ किया नहीं जा सकता था।

मेरे को ससुराल आये हुये चार दिन बीत चुके थे और मेरी पत्नी अपनी माँ और बहन के साथ मस्त थी। मैं अकेला ही कभी टीवी देख कर कभी पड़ोसियों से बात करके और कभी घर का कुछ काम करके अपना समय काट रहा था। छोटा शहर था ज्यादा घुमने की जगह भी नहीं थी। इस लिये बस समय काट रहा था।

पाँचवें दिन सुबह मेरी साली बोली कि जीजा जी आज शाम को आप को मुझे मेरी सहेली के यहाँ ले कर जाना पड़ेगा, आज उस का जन्मदिन है और भैया के यहाँ ना होने के कारण माँ मुझे अकेली नहीं भेजेगी। मैं भी बोर सा हो रहा था तो मैंने उस को ले जाने के लिये हामी भर दी। मेरी यह हामी आगे जा कर क्या रुप लेने वाली थी यह मुझे भी पता नहीं था।

दोपहर तक तो हम सब आपस में बात करके समय काटते रहे। चार बजे मेरी साली बोली कि जीजा जी हम लोगों को कुछ पहले चलना पड़ेगा क्योंकि मुझे अपनी सहेली के लिये केक भी लेना है। मैंने कहा कि जैसा तुम कह रही हो वैसा ही करते है।

शाम को पत्नी और सास का कहीं और जाने का प्रोग्राम था। चार बजे से पहले ही साली तैयार होने लग गयी। लड़कियों को तो तैयार होने का शौक होता ही है, सो मेरी साली को भी यही शौक था।

साढ़े चार बजे के करीब वह तैयार हो कर जब मेरे सामने आयी तो मैं उसे देखता रह गया। मेकअप में वह बला की खुबसुरत लग रही थी। आज से पहले मैंने उसे ऐसी नजर से देखा ही नहीं था। वह मेरी नजर में छोटी बच्ची ही लगती थी। लेकिन आज पता चला कि वह तो जवान हो गयी है और कहर ढ़ा रही थी। मैंने उस से कुछ कहा नहीं और उसे बाइक पर बिठा कर घर से निकल गया।

हम दोनों सबसे पहले बाजार में जा कर केक की दूकान पर पहुँचे, वहाँ केक तैयार कराने में काफी समय लग गया। केक को पैक करा के साली की सहेली के घर के लिये चल दिये। सहेली का घर शहर के एक कोने पर था। करीब बीस मिनट बाद सहेली के घर पर पहुँच गये। सहेली का घर काफी बड़ा और सुंदर बना हुआ था।

घर के अंदर बाइक खड़ी कर के हम दोनों घर के अंदर आ गये। शाम हो चुकी थी इस लिये अंधेरा छा गया था। घर के अंदर जा कर देखा कि वहाँ पर कोई तैयारी नही थी। कोई नजर ही नहीं आ रहा था। साली केक लेकर सहेली के साथ अंदर चली गयी।

कुछ देर बाद जब साली वापस आयी तो मैंने उस से पुछा कि क्या बात है घर में कोई नहीं है क्या? यह सुन कर साली बोली कि इस के घर वाले किसी के यहाँ गये हुए है इसी कारण से मैं इस का जन्मदिन मनाने के लिये आयी हूँ। उस की यह बात सुन कर मुझे चैन पड़ा। लेकिन मन में मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था। मैंने सोचा कि कुछ देर में ही जन्मदिन का केक काट कर हम दोनों वापस चले जायेगे। लेकिन मेरा सोचा हुआ नहीं।

कुछ देर बाद साली की सहेली जिस का नाम रिता था, कमरे में आई उसे देख कर मुझे झटका सा लगा। रिता भी काफी मैकअप किये हुये थी। लेकिन बला की खुबसुरत लग रही थी। एक जो जवानी उस पर मैकअप और सुन्दर कपड़ें दोनों लड़कियाँ परीयों जैसी लग रही थी। रिता ने पुछा कि जीजा जी मैं कैसी लग रही हूँ? मैंने कहा कि बहुत सुन्दर लग रही हो। तुम्हें जन्मदिन की शुभकामनाएँ।

मेरी बात सुन कर वह बोली कि जीजा जी आप से ऐसी रुखी-सुखी बर्थडे विश नहीं चाहिये। मैंने भी उसी टोन में कहा कि अभी तो सुखी शुभकामनाएँ ही दे सकते है कभी हमारे यहाँ आइयेगा, आप के मन मुताबिक गिफ्ट भीं देगें। मेरी यह बात सुन कर वह मुस्करा दी।

मेरी साली जब तक केक और पार्टी का अन्य सामान ले कर आ गयी थी। दोनों ने सारा सामान मेज पर लगा दिया। इस के बाद रिता नें म्युजिक सिस्टम पर गाने लगा दिये। कमरें में धीमी लाइट कर दी। कमरे में बिल्कुल किसी डिस्कोथैक का सा माहौल बन गया।

पहले मेरी साली और बाद में रिता गाने की धुन पर थिरकने लगी। संगीत का नशा धीरे-धीरे हम सब पर छाने लगा था। कुछ देर तक दोनों लड़कियों नें डांस किया और फिर रिमा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे डांस करने के लिये खिंच लिया।

मैं भी धीरे-धीरे उन दोनों के साथ गाने पर थिरकने लगा। एक गाना खत्म हुआ फिर दूसरा फिर तीसरा, हम ना जाने कितनी देर तक डांस करते रहे। मुझे भी डांस करते करते नशा सा हो गया था। रिता ने डांस बंद किया और हम तीनों सोफे पर बैठ गये। रिता बोली कि जीजा जी आप तो बहुत बढ़िया डांस करते है, आज आप के साथ डांस करके मजा आ गया।

मैंने घड़ी पर नजर डाली तो आठ बजने वाले थे। मुझे घड़ी देखते वह बोली कि जीजा जी आप को जाने की क्या जल्दी है अभी तो पार्टी शुरु हुई है। मैंने कहा कि मेरी कोई बात नहीं है लेकिन तुम्हारी दोस्त को सही समय पर घर पहुँचना है।

मेरी बात मान कर रिता ने केक काट कर उसका एक मेरे मुँह में दे दिया मैंने केक आधा खा कर बचा टुकड़ा रिता के मुँह पर लगा दिया उस ने उसे खा लिया। फिर रिता ने दूसरा टुकड़ा काट कर मेरी साली को खाने को दिया। इस के बाद हम तीनों कोल्ड डिक्स ले कर पीने लग गये। कोक के साथ नाश्ते का भी इंतजाम रिता ने अच्छा किया हुआ था। खा पी कर जब पेट भर गया तो मैंने अपनी साली की तरफ देखा कि क्या विचार है तो वह रिता की तरफ देखने लगी।

उस के इशारे को समझ कर रिता मुझ से बोली कि जीजा जी आप ने तो मुझे कोई तौहफा नहीं दिया है। उस की यह बात सुन कर मैंने कहा कि हाँ यह बात तो सही है मैं कोई गिफ्ट लाना ही भुल गया। लेकिन जल्दी ही तुम्हें तुम्हारा गिफ्ट मिल जायेगा।

मेरी यह बात सुन कर वह मुस्करा कर बोली कि जीजा जी यह तो आप बहाना कर रहे हैं। गिफ्ट तो मौके पर दिया जाता है। बाद की बात तो बाद की है। उस की यह बात सुन कर मैं बोला कि अभी तो कुछ किया नहीं जा सकता, गल्ती तो हो ही गयी है।

तुम्ही बताओ मैं क्या करुँ, मेरी बात सुन कर वह बोली कि जीजा जी गिफ्ट तो आप को आज और अभी ही देना पड़ेगा। मैं उस की बात का मतलब नहीं समझा तो वह मुझे पकड़ कर बोली कि आप तो जीजा जी है, साली को निराश नहीं करेगे। उस की इस बात से मेरी उलझन कुछ बढ़ सी गयी। वह क्या कह रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा था।

मुझे चुप देख कर वह मेरा हाथ पकड़ कर बोली कि जीजा जी मैं तो आप की आधी घरवाली लगती हूँ इस लिये मेरा भी आप पर कुछ हक है। मैं उस की बात पर हँस दिया और बोला कि हाँ साली हो तो आधी घर वाली तो हो ही।

रिता मेरे करीब आ कर बोली कि घर वाली को जैसे प्यार करते है वैसे ही आज मुझ से प्यार कर ले। उस की यह बात सुन कर मुझे झटका लगा। मैंने उस की तरफ देख कर कहा कि रिता यहाँ मजाक नहीं हो रहा है। अब हम चलते है। तुम्हारा गिफ्ट मुझ पर उधार रहा, उसे मैं जल्दी ही चुका दूँगा।

वह मेरी बात सुन कर मेरी बाँह पकड़ कर बोली कि जीजा जी आप तो नाराज हो गये। मैं जो गिफ्ट आप से माँग रही हूँ वह आप ही दे सकते है। किसी को पता भी नहीं चलेगा। उस की बात सुन कर मैं उठ कर खड़ा हो गया। मुझे नाराज देख कर मेरी साली जो अब तक चुप बैठी थी मेरा हाथ पकड़ कर बोली कि जीजा जी, यह आप से कुछ माँग रही है, उसे देने में आप को क्या ऐतराज है?

मैंने उस की तरफ देख कर कहा कि तुम भी इस के साथ हो तो वह बोली कि हाँ मैं भी रिता के साथ हूँ। हम दोनों दीदी की शादी से ही आप को पसन्द करते है। तभी से हम चाहते थे कि आप से कैसे प्यार करें, लेकिन कभी कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। रिता तो आप से ही अपना कुँवारापन खत्म करवाना चाहती है। क्या आप इस की इतनी सी इच्छा पुरी नहीं करेगे।

उन दोनों की बातें सुन कर मेरा दिमाग भी बंद सा हो गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करुँ? भरी जवानी के आमंत्रण को ठुकराने की हिम्मत साधुओं में भी नहीं होती है, फिर मैं तो एक साधारण आदमी हूँ।

मुझे चुप देख कर रिता बोली कि जीजा जी मैं अपना कुंवारापन आप को समर्पित करना चाहती थी उसे करने का आज मौका है। आप मुझे स्वीकार करें। उस की बात सुन कर मैंने उस से कहा कि बाद में कोई समस्या हुई तो क्या होगा। वह बोली कि कुछ नहीं होगा। मैंने पुरा इंतजाम कर रखा है। वैसे भी आप दूबारा कहाँ मिलने वाले है।

मैंने कहा कि तुम्हारी सहेली ने किसी को बता दिया तो वह बोली कि आप को इससे भी प्यार करना पड़ेगा यह भी तो आप से मिलन के लिये मरी जा रही है। मैंने साली की तरफ देखा तो वह भी मुस्करा दी।

मुझे समझ आ गया कि आज मैं इन दोनों लड़कियों के चगुल में फंस गया हूँ, होगा वही जो यह दोनों चाहती है। मेरी बात कोई नहीं मानेगा। इन का कहा हुआ ही सही माना जायेगा। इसी लिये आज इन दोनों के मन का ही करने में भलाई है। मुझे चुप देख कर रिता बोली कि जीजा जी चुप क्यों है?

मैंने उसे देख कर कहा कि क्या इंतजाम किया है?

क्या चाहिये?

कुछ नहीं

लेकिन पता है ना, क्या होता है?

सब पता है, बिल्कुल तैयार हूँ

दोनों से एक साथ या एक-एक करके

नहीं अलग-अलग

पहले किसका नंबर है?

मेरा जन्मदिन है सो पहले मेरा नंबर है।

रिता मुझे मेरा हाथ पकड़ कर ले कर चल दी। मेरी साली भी मेरे पीछे-पीछे चल दी। हम तीनों रिता के कमरें में पहुँच गये। मैंने कमरा देखा तो कमरा बंद था उस में कोई खिड़की नहीं थी। केबल एक बेड था और कुर्सी मेज रखा हुआ था। हम दोनों को कमरे में छोड़ कर मेरी साली बाहर चली गयी। मैंने रिता की तरफ देखा तो वह बोली कि वह बाहर बैठी रहेगी।

यह कह कर वह मेरे पास चली आयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली कि जीजा जी आप बहुत डरपोक है अगर यही बात किसी और लड़के से कही होती तो अब तक तो वह मुझे चोद चुका होता। मैंने कहा कि किसी को कहा क्यों नही तो वह बोली कि किसी ऐरे-गैरे से थोड़ी ना अपनी सील तुड़वानी थी। मैंने तो इस काम के लिये आप को पसन्द करा हुआ था।

मैंने उसे अपने करीब खींच लिया और उसे आलिंगन में बांध लिया। उस के 32 इंच के भरे उरोज मेरी छाती में गड़ गये। रिता बला की सेक्सी थी यह मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही उसे देख कर ही जाना था।

मेरे होंठ उस के रसीले होंठों से जुड़ गये। वह भी चुम्बन को मरी जा रही थी। हम दोनों काफी देर तक एक दूसरें को चुमते रहे। उस ने जो सेंट लगा रखा था वह मेरी नाक में घुसा जा रहा था। मुझ पर नशा सा छा रहा था। उस की जीभ मेरे मुँह में अढ़खेलियां करने लगी। मैं उस की जीभ को अपने होंठों से पकड़ कर चुसने लग गया।

मेरे दोनों हाथ उस की पीठ पर घुम रहे थे। उस के पीछे के उभार दबाने में मजा आ रहा था। उसके कुल्हें बड़ें मांसल थे। मैं उन्हें हाथों से दबाता रहा। मैंने रिता के कान में कहा कि

पहली बार में बड़ा दर्द होता है पता है ना?

हाँ पता है कई सहेलियों नें बताया है, आप मेरे साथ प्यार से करना

कैसे भी करुँ दर्द तो होगा ही

मैं सब कुछ सह लुंगी

बड़ी बहादुर हो

हाँ बहादुर तो हुँ ही

मेरे होंठ उसकी गरदन को नाप रहे थे। उत्तेजना के कारण अब वह काँप रही थी। मुझे पता था मेरे हाथ के नीचे जाते ही उस की सारी बहादुरी निकल जानी थी। मैंने कुर्तें के ऊपर से उस के उरोजों को दबाया। उस के मुँह से आहहहहहहहहहह उहहहहहहहह निकली।

मैंने उस का कुर्ता उस के सर से ऊपर कर के उतार दिया। अब उस के सफेद ब्रा में भरे उरोज मेरी आँखों के सामने थे। भरी जवानी को देख कर मेरा मुँह सुख गया। मैं उस के उरोजों के बीच चुमने लग गया। चुम्बनों के कारण होने वाली उत्तेजना के कारण रिता से खड़ा नहीं रहा जा रहा था। मुझे पता था कि अब मुझे क्या करना है।

मुझे जल्दी करनी थी हम दोनों पहले ही काफी लेट हो चुके थे। इस लिये रिता की चूदाई जल्दी करनी थी। इस में कितना समय लगना था मैं नहीं जानता था।

मैंने रिता को बेड पर बिठा दिया और अपने कपड़ें उतारने लग गया। अपने सारे कपड़ें मैंने उतार कर सभाल कर के रख दिये। रिता की ब्रा उतार दी और उस की सलवार भी उतार दी । केवल पेंटी उस के शरीर पर रहने दी। इस के बाद में उस के साथ बैठ गया और उसे अपने से चिपका लिया।

हम दोनों के होंठ फिर से एक बार मिल गये। लंबें चुम्बन के बाद रिता का काँपना कम हो गया। मैंने उसे लिटाया और उस के सारे गोरे चिकने बदन पर अपने होंठों की छाप लगानी शुरु कर दी। मुझे भी तो शादी के बाद किसी कुँवारी लड़की का शरीर भोगने को मिल रहा था।

मैं उस की छातियों को अपने मुँह में भर कर चुसने लगा। भरी हुई छातियां मेरे मुँह में नहीं आ रही थी। मैंने उन के तने हुये निप्पलों को मुँह में लेकर चुसा और काटा भी।

इस के बाद मेरा ध्यान उस की चूत पर गया वहाँ पर कोई बाल नहीं था। कसी हुई उभरी चूत चुमने को ललचा रही थी। मैंने नीचे झुक कर उस के उपर अपने होंठ रख दिये। उस की तीखी सी सुंगंध मेरी नाक में भर गयी। इस के बाद मैंने उसे अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया। रिता के शरीर में लहर सी उठ रही थी।

मैं अपना काम कर रहा था मुझे उसे इतना उत्तेजित करना था कि जब संभोग हो तो वह डरे नही। मैंने उस की कसी चूत के होंठों को उंगली की सहायता से अलग किया और उस की चूत के अंदर जीभ डाल दी। इस से रिता आहहहहहहहहहहहहह.......... उहहहहहहहहहहहहह करने लग गयी।

कुछ देर मैं जीभ से उस की कुँवारी चूत का स्वाद लेता रहा। वहाँ पर अब नमी आ गयी थी। रिता अब पुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी। मेरा 6 इंच लंबा और चार इंच मोटा लंड भी पत्थर की तरह कड़क हो गया था। आज उसे फिर से एक सील तोड़ने का मौका मिलने वाला था। इस लिये वह भी अकड़ रहा था।

जब मैं रिता की चूत का स्वाद ले रहा था तभी रिता नें मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद उस ने मेरा लंड़ अपने मुँह में ले लिया। लड़की खेली खिलायी लग रही थी। 69 में रहने के बाद अब उस की चूत के उद्धाटन का अवसर आ गया। मैं उठ कर उस की भरी हुई जाँघों के बीच बैठ गया। मैंने अपने लंड़ का मुँह रिता की चूत पर रख कर दो तीन बार उसे सहलाया।

इस के बाद लंड़ को रिता की चूत के मुँह पर रख कर जोर लगाया। पहली बार में तो लंड़ चूत में नहीं घुसा। दूसरी बार जब मैंने जोर लगाया तो लंड़ का सुपारा रिता की चूत में घुस गया। रिता के चेहरे पर दर्द नजर आ रहा था। लेकिन वह अपने होंठ दबाये हुये थी।

मैंने दूबारा जोर लगाया तो मेरा लंड़ आधा उस की कुँवारी कसी हूई चूत में चला गया। अब रिता दर्द से सर पटकने लगी। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने दूबारा जोर लगाया तो रिता की जीख निकल गयी, वह बोली कि जीजा जी मैं मर जाऊँगी आप अपने लंड़ को निकाल लो।

मैंने उस के होंठ चुम कर कहा कि रिता ऐसा तो होना ही है। वह बोली कि अंदर आग लग गयी है मैं मर जाऊँगी आप निकाल लो। मैंने उस की बात सुन कर अपना लंड़ उस की चूत से निकाल लिया। वह थोड़ा शान्त हुई तो मैंने उस से कहा कि इस के बाद जब सील टूटेगी तो एक बार बहुत दर्द होगा लेकिन फिर सब सही हो जायेगा। बोलो क्या करुँ? वह बोली कि आप दूबारा डालों अब की बार मैं कुछ भी कहुँ आप रुकना नहीं।

उस की यह बात सुन कर मैंने दूबारा से अपना लंड़ उस की चूत में डाल दिया। इस बार वह शान्त रही। आधा लंड़ अंदर जाने के बाद उसका सामना सील से हुआ और मैं रुक गया। मैंने रिता के दोनों हाथ उस के सिर के पीछे करके अपने हाथों से पकड़ लिये।

इस के बाद मैंने अपने कुल्हों को उठा कर लंड़ से रिता की चूत पर जोर से धक्का दिया। इस बार उस की सिल टुट गयी। रिता की चीख निकली लेकिन मैंने अपने होंठों से उस के होंठ जकड़ लिये। कुछ देर मैं ऐसे ही रिता के ऊपर लेटा रहा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपने कुल्हों को उठा कर धक्कें लगाने शुरु कर दिये। रिता नीचे से कराह रही थी। उस के मुँह से आहहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहहहह निकलती रही।

मैं अपना काम करता रहा। कोई दस मिनट के बाद मेरे लंड़ के मुँह पर आग सी लग गयी। मैं डिस्चार्ज हो गया था। रिता भी डिस्चार्ज हुई उस की टाँगें मेरी कमर पर कस गयी। मैं इस के बाद भी काफी देर तक उस की चूत में अपना लंड़ अंदर बाहर करता रहा। फिर लंड़ सिकुड़ कर रिता की चूत से बाहर आ गया। मैं भी काफी थक सा गया था। रिता के उपर से उठ कर उस की बगल में लेट गया।

वह भी काँप रही थी। मैंने उसे अपने से चिपटा लिया। मैंने उस के माथे पर चुमा और उस की छातियों को सहलाया। इस से उस की कंपकपाहट कम हो गयी। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़ें रहे। फिर मैं उठ कर बैठ गया। रिता को देख कर उस से पुछा कि क्या हाल है? वह बोली कि हालत तो बहुत खराब है। आप ने तो चूत को फाड़ ही दिया है। अंदर आग सी लगी है। मैंने बेड से उठ कर कहा कि इस चद्दर को बदल दो और इसे पानी में डाल दो।

तुम भी कपड़ें पहन लो। मैंने उस के कपड़ें उसे दे दिये। उस ने उठ कर अपने कपड़ें पहन लिये। वह जब खड़ी हुई तो काँप रही थी। उसे देख कर मैंने उस से पुछा कि तुम सही हो तो वह बोली कि आप मेरी चिन्ता ना करो, मैं सही हूँ। मैंने उसे अपने पास किया और पुछा कि नीचे से कुछ निकल तो नही रहा है। उस ने हाथ अंदर डाल कर देखा और मुझे बताया कि नहीं कुछ नहीं निकल रहा है, जीजा जी आप चिन्ता ना करो।

रिता मेरे से बोली कि अब जीजा जी मेरी सहेली का नंबर है। उस ने मेरी साली को आवाज दी। साली पास में ही थी उस की आवाज सुनते ही कमरे में आ गयी। मैं ने उसे पास बुलाया और कहा कि तुम्हारा कहा मैंने कर दिया है लेकिन आज तुम्हारा नंबर नहीं आयेगा। लेकिन तुम से मैं जब भी मौका मिलेगा प्यार जरुर करुँगा, तुम तो आधी घर वाली हो ही। मेरी इस बात पर वह हँस कर बोली कि रिता की बच्ची आज नंबर मार गयी है।

रिता बोली कि जीजा जी क्यों मेरी सहेली को तरसा रहे हो, उस से भी प्यार कर लो। मैंने कहा कि नहीं आज यह नहीं हो सकता, हम दोनों को बहुत देर हो चुकी है। इस के साथ को कई मौके मिलेगे। जब भी मौका मिलेगा इस के मन की कर दूँगा। आज नहीं कर सकता। मेरी बात दोनों लड़कियों को समझ आ गयी। दोनों ने बेड कि चद्दर को उठा कर बाथरुम में पानी में डाल कर धो दिया।

इसके बाद मैं और मेरी साली दोनों रिता के घर से बाइक ले कर निकल गये। रास्ते में मैंने अपनी साली से कहा कि आज की बात को किसी से ना कहना। इस पर वह बोली कि जीजा जी आप हमें बच्चा समझना बंद कर दो। अब हम बड़ी हो गयी है, मैंने कहा हाँ तुम दोनों बहुत बड़ी हो गयी हो यह मुझ से बेहतर कौन जान सकता है। वह मेरी बात पर मेरी पीठ में मुक्का मार कर बोली की अपनी आधी घर वाली से ऐसे बात नहीं करते। मैं चुपचाप बाइक चलाता रहा।

घर पर पहुँच कर जब मैं बाइक खड़ी कर रहा था तो पत्नी बोली कि देर कैसे हो गई? मैंने उसे बताया कि जन्मदिन की पार्टी थी इस लिये डांस वगैरहा के चक्कर में देर हो गयी। मेरी उत्तर से पत्नी संतुष्ट हो गयी। रात को खाना खा कर जब सब सोने गया तो पत्नी मेरे पास आ कर बोली की मेरे से तुम से दूर नहीं रहा जा रहा है कुछ करो?

मैंने उस से पुछा कि क्या करुँ? वह बोली कि कही चले? तुम्हारी कोई सहेली है। वह बोली कि कई थी लेकिन सब शादी कर के चली गयी है, अब कोई नहीं रहती यहाँ । मैंने उस का हाथ पकड़ कर कहा कि कुछ दिन तो सबर करना पड़ेगा। वह मेरी बात समझ कर सोने चली गयी।

सुबह उठने से पहले मुझे लगा कि कोई मेरे माथे को चुम कर गया है। मुझे लगा कि शायद पत्नी होगी, वह ही ऐसा कर सकती है। दिन में दोपहर के बाद मेरी सास और साली बाजार से कुछ खरीदने चली गयी। ससुर जी ऑफिस गये हुये थे। अब हम पति पत्नी दोनों घर में अकेले थे। पत्नी मेरे पास आ कर बोली कि मौकें का फायदा क्यों नहीं उठाते? मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले जा कर बेड पर डाल दिया। इस के बाद हम दोनों में फिर से पुरातन खेल शुरु हो गया।

दोनों कई दिनों से प्यासे थे। मन भर कर प्यार करा। मैंने पत्नी की दिल भर के चूदाई की। उस की चूत का दो बार चूदाई कर के बाजा बजा दिया। वह खुश हो गयी। कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे पड़ें रहे फिर इस डर से कि कोई आ ना जाये उठ गये और कपड़ें पहन कर तैयार हो गये। आज हम दोनों के तन मन तृप्त हो गये थे।

कुछ देर बाद ही ससुर जी ऑफिस से आ गये। पत्नी उनके लिये पानी लाने चली गयी। मैं ससुर जी से बात करने लगा। वह बोले की आप को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है? मैंने कहा कि अपने घर में कैसी परेशानी। आप चिन्ता ना करे। तब तक पत्नी पानी ले कर आ गयी, ससुर जी पानी पीने लगे। इस के बाद पत्नी ने अपने पिता जी से पुछा कि आप के लिये चाय बनाऊँ तो वह बोले कि अपनी बहन और मां को आ जाने दो।

उन की बात सुन कर पत्नी वहीं उन के पास बैठ गयी। वह बोले कि अगर आप चाय के साथ कुछ खाना चाहे तो मैं ले कर आता हूँ, मैं कुछ कहता इस से पहले ही मेरी पत्नी बोली कि आप कचौड़ी और आलु की सब्जी ले आयों, चाय के साथ मजा आ जायेगा। यह सुन कर ससुर जी कचौड़ी लाने के लिये घर से निकल गये।

उन के जाते ही पत्नी फिर से मेरे गले में लटक गयी और हम दोनों चुम्बन रत हो गये। इस से वासना की आग फिर से भड़क गयी। अब उसे बुझाना जरुरी था सो मैंने पत्नी को गोद में उठाया और दिवार पर टिका कर उस की सलवार नीचे कर के अपना लिंग उस की योनि में डाल दिया और फिर दोनों में दौड़ शुरु हो गयी। जल्दी ही दोनों ही एक साथ चरम पर पहुँच गये।

तीसरी बार संभोग करने से दोनों थक कर चुर हो गये थे। लेकिन खुश थे। कपड़ें गंदे हो गये थे। इस लिये दोनों ने कपड़ें बदल लिये। कुछ देर बाद ससुर जी कचौड़ी ले कर आ गये। उन के आने के कुछ देर बाद मेरी सास और साली भी बाजार से वापस आ गयी। पांचों जने चाय और कचौडियों का मजा उठाने लगे।

रात का खाना खा कर जब सोने जाने लगा तो पत्नी मेरे पास आ कर बोली कि तुम्हें कल भी अकेला रहना पड़ेगा मैं और माँ किसी रिश्तेदार के यहाँ जा रहे है सारा दिन लग जायेगा। तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा? मैंने उस से कहा कि मैं अपना टाइम काट लुंगा तुम मेरी चिन्ता ना करो। वह बोली कि दोपहर को तो पुष्पा आ ही जायेगी। पुष्पा मेरी छोटी साली का नाम है। यह सुन कर मैंने कहा कि हाँ उस के साथ बातें करने में टाइम बीत जायेगा। वह मेरी बात सुन कर सोने चली गयी।

सुबह नाश्ता करने के बाद घर में, मैं ही अकेला रह गया। कुछ करने को नहीं था इस लिये आराम करने लेट गया और कब मेरी आँख लग गयी पता ही नहीं चला। मेरी नींद घर की घंटी बजने से मेरी नींद खुली। मैंने जा कर घर का दरवाजा खोला तो देखा कि पुष्पा कालेज से घर आ गयी थी। मैंने उसे अंदर आने दिया और घर का दरवाजा बंद कर दिया। पुष्पा अंदर आ कर कपड़ें बदलने चली गयी।

मैं बडे़ कमरें में टीवी चला कर बैठ गया। मुझे कुछ-कुछ अंदाजा था कि आज क्या होने वाला था। मैं उस से बच नहीं सकता था लेकिन उसे कुछ देर के लिये टाल सकता था। मैं यही सब सोच रहा था कि पुष्पा कपड़ें बदल कर आ गयी और बोली कि आप ने खाना नहीं खाया?

मैंने उसे बताया कि मैं तो सुबह से ही सो रहा हूँ, उस के घंटी बजाने से ही उठा हूँ। मेरी बात सुन कर वह बोली कि मैं खाना गरम करके ला रही हूँ, मैं और आप खाना खाते है, मुझे बहुत जोर की भुख लगी है। मेरा जबाव सुने बिना ही वह किचन में चली गयी।

कुछ देर बाद वह खाना गरम करके ले आयी और हम दोनों खाना खाने बैठ गये। खाना खाते में कोई कुछ बोल नहीं रहा था। मुझे पता था कि वह अपना नंबर आने की बात करेगी जो मैं सुनना नहीं चाहता था। खाना खाने के बाद वह खाने के बरतन उठा कर किचन में चली गयी।

मैं फिर से टीवी देखने लगा। कुछ देर बाद वह आ कर मेरे पास बैठ गयी। मुझे चुप देख कर वह बोली कि क्या बात है जीजा जी आज आप बड़े चुप-चुप से है? मैंने कहा कि नहीं कुछ नहीं है बस ऐसे ही। वह बोली कि आप को परसों की बात याद है? मैंने कहा कि मुझे सब कुछ याद है लेकिन मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूँ बाकि तुम पर निर्भर करता है कि तुम उसे मानती हो या नहीं।

पुष्पा मेरी तरफ देखने लगी। मैंने उस के हाथ अपने हाथ में ले कर कहा कि मेरी बात बड़ी ध्यान से सुनना और उस के बारें में सोचना। वह कुछ नहीं बोली, खाली मेरी तरफ देखती रही। मैंने कहना शुरु किया कि मैं तुम्हारें मन का कर दुँगा लेकिन यह ना तो तुम्हारें लिये और ना ही तुम्हारी दीदी और मेरे लिये सही रहेगा।

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