साली की सहेली का जन्मदिन

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तुम्हेंअपना यह समय अपनी पढ़ाई में लगाना है अगर तुम्हारा ध्यान सेक्स में लग गया तो तुम्हारा सारा भविष्य खराब हो जायेगा। पढ़ाई से ध्यान हट जायेगा। तुम्हारी दीदी, मम्मी-पापा ने जो सपने तुम्हारें लिये सोच के रखे है वह सब टुट जायेगें। कुछ चीजें जैसे सेक्स अपनी उम्र में अच्छा रहता है।

तेरी दीदी और मेरी उम्र हैं सेक्स करने की, इस से हम पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। क्योकि हम दोनों विवाहित है। परसों मैंने तुम दोनों की धमकियों में आ कर रिता के मन का कर दिया था लेकिन मैं यह सोच कर परेशान हूँ कि एक बार सेक्स की आदत पड़ जाने से कहीं वह गलत लड़कों के हाथ पड़ कर अपना जीवन बर्बाद ना कर ले।

मैं यही सोच कर तब से परेशान हूँ। तुम मेरी साली हो, आधी घर वाली भी हो, तो मैं तुम्हारें बारें में कोई गलत बात नहीं सोच सकता हूँ, मैं कुछ ऐसा नहीं करना चाहता जिस से तुम्हारा नुकसान हो। मेरा तुम्हारे बारे में यहीं सोचना है। मुझे नहीं पता तुम मेरे बारें में इस के बाद क्या सोचोगी लेकिन मैंने तुम्हें अपने मन की बात बता दी है।

सेक्स करना किस को अच्छा नहीं लगता और कुँवारी लड़की मिलना तो और भी बढ़िया है किसी भी पुरुष के लिये। लेकिन तुम कोई ऐरा-गैरा नहीं हो, तुम मेरी साली हो, मेरी पत्नी की छोटी बहन हो, इस नाते मेरी जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों के बराबर है। मैं तुम्हारे लिये कुछ बुरा नहीं सोच पा रहा हूँ।

मेरी बात सुन कर पुष्पा कुछ देर चुप बैठी रही, फिर मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर बोली कि आप ने अभी जो कुछ कहा है वह यह बताता है कि मैं सच में आप की आधी घर वाली हूँ। कोई भी अपनी घर वाली के लिये गलत नहीं सोच सकता है।

आप हम दोनों के लिये इतनी दूर की बात सोच रहे है, यह जान कर मैं और रिता भी गर्व महसुस करेगी। आप ने वह सोचा है जो हम इस उम्र में नही सोच सकती है। हम दोनों तो उम्र की ललक के मारें, गंदा साहित्य पढ़-पढ़ कर सेक्स के लिये पागल हो गयी थी।

आप ने मुझे बचा लिया। उस दिन तो आप कुछ भी कहते हम दोनों की समझ में नहीं आता, और हम अपनी बात को मनवाने के लिये किसी भी हद तक जा सकती थी। मैंने भी परसों रात और कल यही सोचा था कि हम दोनों ने आप से जो व्यवहार किया वह पागलपन की हद थी। सेक्स की भुख क्या करवा सकती है वह मैंने परसों देख लिया है। आज आप की यह बात सुन कर मैं बहुत डर गयी हूँ।

मुझे लग रहा है कि मुझे अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिये, सेक्स का नंबर इस के बाद आयेगा। अगर इस चक्कर में गलत लड़कों के साथ सम्पर्क में आ गयी तो मेरी सारी जिन्दगी खराब हो जायेगी। कोई चिन्ता करने वाला अपना ही ऐसी बात सोच सकता है। आप से ज्यादा मेरी चिन्ता करने वाला कौन हो सकता है? आप ने मेरी आँखों पर चढ़ा सेक्स का परदा हटा दिया है। आज तो आप से मुझे और भी ज्यादा प्यार हो गया है।

मैंने उस की यह बात सुन कर उस की तरफ हैरानी से देखा तो वह मुस्करा कर बोली कि आधी घर वाली का हक तो मैं नहीं छोड़ने वाली हूँ। उस की इस बात पर मैं हँस पड़ा। वह उठी और मेरे गले में लटक गयी, और बोली कि आप से प्यार करने के लिये मैं इंतजार कर सकती हूँ लेकिन उसे छोड़ नहीं सकती हूँ। मैंने उसका माथा चुम कर कहा कि मैं भी अपनी बात पर कायम रहुँगा।

वह यह सुन कर मेरे से अलग हो गयी और बोली कि पता नही कब मेरा मन बदल जाये। मैंने कहा कि तुम अब बड़ी हो गयी हो, मैंने तो कल ही तुझे ध्यान से देखा तो पता चला कि मेरी साली तो बहुत बड़ी हो गयी है। मेरी यह बात सुन कर वह शर्मा गयी। मैंने उस से कहा कि वह रिता को भी समझाने की कोशिश करें, नही तो उसे उस से दूर होना पड़ेगा। वह मेरी तरफ देखती रही। फिर बोली कि आप ही उसे समझा देना, वह अभी आप से मिलने आती होगी।

यह सुन कर मुझे हैरान देख कर वह बोली कि मुझे पता था कि आप आज अकेले होगे, इस लिये उसे भी बुला लिया था। वह अभी आती ही होगी। मैं रिता के आने की बात सुन कर परेशान सा हो गया, मेरी परेशानी देख कर वह बोली कि अब यह आप की चिन्ता है कि आप उसे कैसे समझायेंगे। मैंने उस की बात का कोई जबाव नही दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि रिता को मैं क्या समझाऊँगा, और क्या वह मेरी बात समझेगी?

मैं यह सोच ही रहा था कि घंटी की आवाज ने मेरी तन्द्रा को तोड़ दिया। आवाज सुन कर पुष्पा दरवाजा खोलने चली गयी। जब वह कमरे में आयी तो रिता उस के साथ थी, आज वह कुछ अलग ही लग रही थी। उसने हाथ जोड़ कर मुझे नमस्कार किया और बैठ गयी। पुष्पा उस के लिये पानी लेने चली गयी। मैंने उस से पुछा कि उस का क्या हाल है? वह बोली कि परसों से हर समय मुझे आप का ही ध्यान आ रहा है।

मैं कुछ कहने जा ही रहा था कि पुष्पा पानी का गिलास ले कर आ गयी। रिता पानी पीने लगी। पानी पीने के बाद रिता ने पुष्पा को हाथ मार कर पुछा कि तेरा क्या हाल है? पुष्पा बोली कि हाल सही है तु अपना बता? उस ने जबाव दिया कि मेरा हाल भी सही है, कल तो बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन आज सही हो गया है। इस के बाद हम तीनों के बीच सन्नाटा पसर गया।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उस से बात कैसे शुरु करुँ? वह भी शायद कुछ बोलने से बच रही थी।

फिर मैंने ही शुरुआत करी और रिता से कहा कि रिता परसों जो कुछ तुम्हारें और मेरे बीच हुआ था वह गलत था, उसे नहीं होना चाहिये था। उस के कारण मुझे डर है कि तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हट कर सेक्स में लग जायेगा और तुम सेक्स पाने के लिये गलत लड़कों के चक्कर में ना पड़ जाओ। अगर ऐसा हो गया तो तुम्हारा सारा जीवन बर्बाद हो जायेगा। परसों से मैं यही सब सोच कर परेशान हूँ।

हर चीज के होने का एक सही समय होता है। सेक्स का समय हमारा भविष्य बनने के बाद आता है। अगर हम में से कोई इस में समय से पहले लग जाता है तो वह निश्चित रुप से अपना जीवन सेक्स के चक्कर में बर्बाद कर लेता है। लड़कियों के साथ तो बहुत बुरा हो सकता है जिसे सोच कर भी मुझे डर लगता है।

मेरी बात सुन कर रिता की आँखें हैरानी से फैल गयी। वह कुछ देर गुमसुम बैठी रही, फिर कुछ सोच कर बोली कि आप ने जो कुछ कहा है वह मैंने भी पिछले दो दिनों में सोचा है, और मुझे लगा है कि मैं शायद भटक गयी थी और ऐसी गल्ती कर गयी यह तो आप है जो मुझे ना करने के लिये समझा रहे है और कोई होता तो मुझे सारी जिन्दगी इसी बात को लेकर ब्लैकमेल करता। मेरा जीवन तो खत्म ही हो जाता।

उस समय हम दोनों ने जो कुछ भी करा वह बहुत गलत था, मैं आज समझ पायी हूँ। यह आप का बड़ापन है कि आप हम दोनों की बेवकुफी का फायदा ना उठा कर हमें उस की खराबियां समझा रहे है। शायद आप ने अपने जीजा जी होने का हक अदा किया है। उस की इतनी गम्भीर बातें सुन कर मैं बोला कि रिता तुम तो बहुत बड़ी हो गयी हो। इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रही हो। वह बोली कि आप ने मुझे लड़की से स्त्री बना दिया है। अब मैं लड़की नहीं रही हूँ।

मैंने उस के हाथ भी थाम कर कहा कि तुम मेरे पर विश्वास कर सकती हो। जो हुआ है उसे भुल जाओ और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।

वह बोली कि जीजा जी अब मेरा तो आप से ऐसा संबंध बन गया है जो बदल नहीं सकता है लेकिन आज से मैं आप को अपना हितेषी समझुँगी। आप की कही बात को मानने की कोशिश करुँगी। मैंने गल्ती तो करी है लेकिन आप ने उसे सभांल लिया है। आप सही माने में मेरे भी जीजा जी है। मैं भी आप की आधी घर वाली हूँ।

उस की यह बात सुन कर मैं हँस पड़ा। रिता मेरे मुँह की तरफ देखने लगी कि मैं क्यों हँसा हूँ। मैंने उस की हैरानी दूर करते हूये कहा कि तुम्हारें आने से पहले यही सब बातें में पुष्पा को समझा रहा था अब यही सब तुम्हारें मुँह से सुन कर मुझ से रहा नहीं गया।

वह हैरान सी हो कर चुप रही। पुष्पा ने उस के गले में अपनी बांहें डाल कर कहा कि तु ज्यादा समझने की कोशिश मत कर, जीजा जी की बात पर विश्वास कर और आगे से ऐसी गल्ती ना करने की कसम खा, इतना ही सही है।

रिता नें मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा कि तुम्हारी सहेली सही कह रही है। तुम दोनों मेरे लिये खास हो, लेकिन अभी तो तुम्हारा एक ही काम है पढ़ाई करना, बस उसी की तरफ पुरा ध्यान दो। मैं और तुम सब के परिवार यही चाहते है। सेक्स के चक्कर में किसी लड़के को बॉयफैंड़ ना बनाओ और भविष्य की तैयारी करो। मैं तुम दोनों को बहुत ऊंचाई पर पहुँचते देखना चाहता हूँ।

मेरी बातें सुन कर दोनों लड़कियाँ रोने लग गयी। मैंने कहा कि अभी कोई आ जाये और तुम दोनों को रोता देखे तो पता नहीं क्या समझे, इस लिये रोना बंद करो और मुझ से वायदा करों कि कभी किसी बात के लिये परेशान हो तो मुझ से बात करोगी। दोनों नें सर हिला कर सहमति जताई।

मैं उन के पास से उठ कर अंदर के कमरे में चला गया। कुछ देर बात पुष्पा मेरे पास आई और बोली कि जीजा जी मैं चाय बना रही हूँ आप बाहर आ जाये। मैं उठ कर बाहर के कमरें में रिता के पास जा कर बैठ गया। रिता का चेहरा आँसुओं से भीग गया था। यह देख कर मैंने कहा कि रिता जा कर अपना चेहरा पानी से धो कर साफ करो। किसी को तुम्हारें रोने का पता नहीं चलना चाहिये। वह मेरी बात मान कर चेहरा धोने चली गयी।

चाय पीने के बाद हम तीनों आपस में पढ़ाई से संबंधित बातें करने लगे। इन बातों में पता ही नहीं चला कि कब समय बीत गया। मेरी सास और पत्नी दोनों रिश्तेदार के यहाँ से वापस आ गयी थी। सब लोग बातों में लग गये। इसी चक्कर में शाम हो गयी। पत्नी बोली कि शाम को गयी है तुम्हें रिता को घर छोड़ कर आना पड़ेगा। रास्ता पता है या पुष्पा को ले जाओ। मैंने कहा कि रास्ता तो याद है तीन के साथ बाइक चलाना सही नहीं है।

मैं रिता को बाइक पर लेकर उस के घर चल दिया। रास्ते में मैंने उस से पुछा कि उस के घर वाले आ गये है तो वह बोली कि वह सब तो कल ही आ गये है। मैंने उस से पुछा कि मैं उसे घर के बाहर उतार का आ जाऊँ तो वह बोली कि नहीं यह सही नहीं रहेगा। आप को कुछ देर के लिये अंदर आना ही पड़ेगा।

आप परसों की बात मत करना। मैं बता दूँगी कि मैं आप को रास्ता बताती हूई आयी हूँ। आप के आते में भी आप को रास्ता दूबारा से समझा दूँगी। मैंने कहा कि हाँ ऐसा ही सही रहेगा साली जी। उस का मुक्का मेरी पीठ में लगा।

उसे घर पर छोड़ा तो उस की मां नें मुझे घर के बाहर से जाने नहीं दिया। उनका तर्क था कि आप दामाद हो, ऐसे ही नहीं जा सकते। मैं उन की बात मान कर घर में चला गया। वहाँ पर उन्होंने मुझे चाय पिलायी और उनके रिवाज के अनुसार विदायी दे कर मुझे विदा किया। मैं वापस अपनी ससुराल आ गया। घर पर आ कर मैंने सब को यह बात बताई तो ससुर जी बोले की उनकी बात सही है यहाँ तो आप सब के दामाद ही हो तो वैसी ही आवभगत भी होगी।

इस सब में रात हो गयी थी सब खाना खा कर सोने चले गये। कुछ देर बाद पत्नी मेरे पास आ कर बोली कि आज तो तुम बहुत बोर हो गये होगे। मैंने उसे बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ तुम्हारें जाने के बाद में सो गया। पुष्पा के कालेज से आने के बाद ही जगा और खाना खा कर रिता आ गयी थी तो उन दोनों से उन की पढ़ाई के बारें में बात करने में समय निकल गया। तभी तुम लोग भी वापस आ गयी थी। मुझे बोर होने का समय ही नहीं मिला। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर सुकुन दिखाई दिया।

मेरी छुट्टियों के बाकी दिन भी आराम से गुजर गये। हम तीनों मैं, पत्नी और पुष्पा ने एक सारा दिन लोकल बाजार में खरीदारी करते हुये गुजारा। एक दिन किसी रिस्तेदार के यहाँ खाने पर जाना पड़ा। मैं और मेरी पत्नी इन छट्टियों से खुश थे। मेरी सास,ससुर और पुष्पा भी बहुत खुश थे।

मेरी दस दिन की छुट्टियों यादगार बन गयी और हम सब की स्मृतियों में सुरक्षित हो गयी है। इन छुट्टियों नें कितनी ही जिन्दगियों को छुआ और उन्हें हमेशा-हमेशा के लिये बदल दिया। पुष्पा और उस की सहेली रिता का मेरे साथ ऐसा संबंध बना जो आगे जा कर और घनिष्ट हुआ।

समाप्त

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