अंतरंग हमसफ़र भाग 339

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10.47 आनंद की तालाश की यात्रा - दुग्ध स्नान
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Part 339 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

339

दशम अध्याय

आनंद की तालाश की यात्रा

भाग 47

दुग्ध स्नान

मैरी की मानसिक स्थिति, दबी हुई ज़रूरतें और अब आगे होने वाली गतिविधियों की प्रत्याशा के संयोजन ने मिलकर उसके अंदर एक यौन आग भड़का दी, जिसने कुछ ही क्षणों में, एक कंपकंपी वाला कामोन्माद पैदा कर दिया, वह उस समय तक पूरी तरह से नग्न थी और उसके बदन पर फिरती हुई मेरी आँखों में अपने लिए तारीफ़ और साथ में मेरे होंठो पर उसकी सुंदरता के लिए प्रशंसात्मक मुस्कराहट थी।

जिससे मैरी के पैर इतने कमज़ोर हो गए कि वह मेरा साथ नहीं दे सकी और उसे फर्श पर फिसलने से बचाने के लिए मैंने खुद को शॉवर की दीवार के सामने खड़ा कर अपनी आगोश में ले लिया।

शावर में से सबंधित दूध जिसमे केसर और फूलो का रस मिला हुआ था बहने लगा और वह पर दीवारे उठी और पारसरशि शीशे का टब बन गया । कुछ हो पल टब दूध से भर गया और मेरा और उसका बदन चिकना हो गया। मैंने महसूस किया कि अब टब में दूध आना बंद हो गया था, दूध भरने का नतीजा यह हुआ कि वह अब गले तक डूबी हुई थी और अगर वह मुझे कस कर नहीं पकड़ती, तो वह निश्चित रूप से इस तरल में फिसल जाती।

मैं मैरी को अपने दूसरे हाथ से गले लगाया और इस बार आलिंगन इतना स्वाभाविक और सम्मोहक था कि वह भी मेरे साथ चिपक गयी। उसने मेरे लिंग को छुआ, हाँ, नंगा लिंग, जो दूध में अकड़ कर खड़ा था उसने चिपक कर मेरे विशाल मोटे लिंग की पूरी लंबाई का एहसास किया। उसने मुझे अब मुझे अपने शरीर से कसकर गले लगा लिया था और उसके स्तन मेरी सपाट छाती पर पूरी तरह से दब रहे थे। लज्जा, उत्तेजना और चिन्ता में मैरी ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं, फिर भी उसका कोमल बदन स्वतः ही मेरी ओर झुक गया था।

मेरा लिंग महसूस करते हुए कि मैरी आगे झुक गयी थी, मैं एक कदम पीछे हुआ और बाथटब की दीवार का सहारा ले कर धीरे से मैरी को अपनी ओर खींच लिया। वह मेरे करीब आने के लिए और अधिक उत्सुक थी और मेरा हाथ उसके बाए हाथ को अपने मोटे, सीधे खड़े लिंग पर ले गया, और बाया हाथ उसके पीठ पर फेरते हुए उसकी पसली के ठीक पास उसके दाहिने स्तन पर रख दिया!

मैं उससे अपने लंड को सहलवा रहा था और जैसे ही मैंने उत्तेजना में अपने मुक्त हाथ से उसे कसकर गले लगाया, मेरा हाथ जो उसकी पसली के नीचे था और अब उसके स्तनों की ओर बढ़ रहा है। दूध के पर्दे में दर्शको को ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे पकड़कर सहारा देने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कुछ ही सेकंड में मेरी हथेली ने उसके दाहिने स्तन को महसूस किया। मैं अब उसके स्तन को पकड़कर उसके शरीर को सहारा दे रहा था!

साथ ही साथ दूध के पर्दे में मैंने उसे अपने नग्न लिंग के हर इंच महसूस कराया और उसे भी तरह के तगड़े बड़े लिंग को छूने में बहुत मज़ा आया! वह मेरे युवा लिंग की जकड़न को देखकर बहुत हैरान थी। यह बहुत दृढ़ और सीधा था और इसकी लंबाई किसी भी कन्या या महिला को प्रभावित करने के लिए प्रयाप्त थी।

जैसे ही मैं मैरी के साथ चिपका तो मेरा लिंग उसे चुभने लगा जिससे मैरी एकदम हैरान रह गई। मेरा लिंग एकदम सीधा सपाट, लंबा और काफी मोटा था। मेरे लिंग का सुपाड़ा बहुत ही अच्छी तरह से सुगठित था और अंडकोष काफी विकसित और बड़े थे... उनके स्पर्श मात्र से मैरी को इस बात में कोई शक नहीं रहा था कि वे भरपूर मात्रा में वीर्य का उत्पादन करने में सक्षम थे और वीर्य से लबालब थे । मैंने मन ही मन सोचा कि मेरा लिंग और अंडकोषों से स्खलित वीर्य मैरी की कुंवारी योनि को पूरी तरह से भरने में सक्षम है ।

जैसे ही उसने अपने स्तन पर मेरे हाथ की पकड़ महसूस की, मेरे लिंग पर उसकी पकड़ सख्त हो गई और सम्भवता उसकी योनि भी गीली हो रही थी। वह उत्तेजना में कांप रही थी, मैंने उसका हाथ अपनी गेंदों की ओर धकेल दिया और वह कामुक हो मेरी गेंदों को सहलाने लगी । उसका चेहरा मेरी ऊपरी छाती पर दब गया था और वह अपने गीले होंठों को मेरी छाती पर सहला रही थी। उसकी इस हरकत से मैं तुरंत समझ हुआ की अब मैरी यौन रूप से बहुत ज्यादा उत्साहित थी। अब मेरा बायाँ हाथ अभी भी उसके स्तनो को महसूस कर रहा था और मेरा लंबा कड़ा लंड उसके योनि क्षेत्र को सहला रहा था!

अब आगे बढ़ने का सही मौका है यही सोच कर मुस्कुराते हुए मैंने अपने लिंग की चमड़ी को पीछे खींच कर अपने लिंग का सुपाड़ा मैरी के सामने आजाद किया और उसके चिकने-चिकने गुलाबी सिरे को सीधे मैरी के सामने कर दिया... और मैरी ने अपनी मुट्ठी में मेरा लिंग पकड़ा, मैरी मानो सम्मोहित हो गयी थी, वह मेरे बड़े और कठोर लिंग से अति प्रभवित हो कर उसे महसूस कर सहला रही थी और मेरे निर्देश का पालन कर रही थी और मेरे गर्वित स्तंभित पुरुषत्व को थामे हुए थीं। उसके छोटे से नरम हाथ में मेरा लिंग काफी बड़ा लग रहा था और वह उसकी मुट्ठी के काफी बाहर निकला हुआ था...

मैरी मेरे लिंग पर हाथ फिरने लगी और फिर लंड को मुठी में कस कर अपने हाथ को-को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी मुझे उसके नरम नाजुक कोमल हाथ के स्पर्श से मजा आ रहा है और वह भी इस पल का मजा ले रही थी।

थोड़ी ही देर बाद मैंने महसूस किया कि लिंग में कंपन से शुरु हो गया है... मैंने अपने हाथ उसके नितम्बो के नीचे लेजाकर उसे सहजता से ऊपर उठा लिया ताकि दूध मैरी के चेहरे से ऊपर न जाए! अब मैरी व्यावहारिक रूप से अपनी उठी हुई मुद्रा में मेरे हाथों पर बैठी थी।मेरे बाजू उसके नितम्बो के नीचे थे और उसके पैर अब मेरी कमर को घेरे हुए थे। मैं सीधे उसकी नितम्बो के मांस को अपनी मांसल भुजाओं पर महसूस कर रहा था। मेरा चेहरा उसके स्तनों से इंच भर दूर था और अब उसके निप्पल मेरे ओंठो के बिलकुल पास थे।

कहानी जारी रहेगी

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