महारानी देवरानी 095

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देवरानी बलदेव की सुहागरात
3.3k words
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Part 95 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 95

सुहागरात 1 बजे

देवरानी बलदेव को लिटा देती है और अपने हाथ में तेल ले कर बलदेव के लौड़े को अपने हाथ में ले कर ऊपर नीचे कर लौड़े की मालिश करने लगती है।

"आआह माँ उआह!"

"कितना बड़ा है ये तेल लगने पर और भयानक लग रहा है।"

"माँ ये सिर्फ आपके लिए है आह!"

देवरानी अपने दोनों हाथों से बलदेव के 9 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लौड़े को सरसों के तेल से मालिश कर रही थी । उसे अपने नए पति के लौड़े को देख अंदर से गर्व हो रहा था।

"मैं कितनी धनी हूं राजा! के मुझे इतना मजबूत हथियार वाला पति मिला है ।"

"माँ ये हथियार ही आपकी चूत की आग बुझा सकता है। "

इतना सुनते हे देवरानी लंड छोड़ सीधा जाती है।

"आजा ना फिर मेरी आग बुझा दे राजा!"

बलदेव उठता है और उसका लौड़ा तेल में सना हुआ इठला रहा था, जिसे देवरानी लगातार एकटक देख रही थी।

"ये कभी थकता है की नहीं बेटा?"

"अब जिसकी बीवी तेरे जैसी माल हो उसका लौड़ा कभी थकेगा क्या?"

बलदेव नीचे बैठे हुए देवरानी की जांघो को पकड़ कर फेलाता है और अपनी तरफ खींच कर देवरानी की आंखों में देख कहता है ।

"मां पेल दू आपको!"

"हां पेल दो राजा। "

और देवरानी आखे बंद कर लेती है

बलदेव अपना लौड़ा एक हाथ से चूत के मुहाने पे रखता है और एक धक्का मारता है

"पछह" से पूरा लौड़ा एक बार में अंदर डाल देता है।

"आआआआआआआह राआआजा"

इस बार देवरानी इतना जोर से चिल्लाई थी कि बगल के कमरे में बंधे राजा राजपाल जो कुर्सी पर बैठा बैठा सो चुका था उसकी आंखें खुल जाती हैं।

राजपाल अपने हाथों को आगे पीछे कर रस्सी से आज़ाद होने की कोशिश करता है पर रस्सी तस्स से मस्स नहीं होती वो अपना सर झुकाए अपना आपको कोस रहा था।

राजपाल: ( मन में ) ये मेरी गलती का ही नतीज़ा है के आज मैं यहाँ बंधा हुआ हूँ और मेरी पत्नी के साथ मेरा बेटा सुहागरात मना रहा है।

राजपाल को अपनी गलती का एहसास हो रहा था और उसका दुख से भर गया था।

तभी फ़िर से देवरानी की एक चीख आती है।

"आआआआहह राजा!"

"ये ले रानी मेरा लौड़ा!"

घप्प से लौड़ा निकाल कर दोबारा जड़ तक बलदेव पेल देता है।

जैसे ही बलदेव का लौड़ा देवरानी की चूत में घुसता है अब पूरे कक्षा में तेल में सने चुत और लौड़े की आवाज "पछह पछह पछ"आ रही थी । ऐसा लग रहा था कि कोई बड़ी मछली पानी में डूबकी लगा रही है।

" आह बहुत तरसी थी ना तू लौड़े के लिए, माँ ये ले मेरा लौड़ा१ "

"आह राजा ऐसे ही आह १ हा मेरे बरसो की प्रार्थना भगवान ने सुन लीऔर तुम मेरे पति बन गए आआआह! "

थोड़े देर ऐसे ही उसे चोदने के बाद बलदेव देवरानी को झुका दिया और फिर लगातार धक्के मारने लगता है।

"आह राजा आआह ऐसे कौन पेलता है? आह! ऐसे ही राजा आराम से आआह!"

"रानी माँ अब तुम मेरी पत्नी हो, अब मैं जितना भी पेलू, जैसे भी पेलू, तुमको पेलवाना पड़ेगा!"

बलदेव आगे बढ़कर देवरानी की गर्दन में हाथ लगाता है।

"बोल पेलवायेगी ना जैसे मैं चाहु वैसे? "

"आह हा आआह हा राजा आप मेरे पति हो आपकी हर बात मानूंगी। "

ये सुनते हे बलदेव एक करारा धक्का मारता है और देवरानी जोर से चिलाती है ।

"आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ।"

इस बार इतने ज़ोर से चिल्लाती है देवरानी की उसकी आवाज़ रात के अँधेरे में पूरे महल में गूंजती है।

"पछ पछ खच्छ के साथ चूडियो और पायल की आवाज बलदेव सुन कर मजे के समुंदर में गोते लगा रहा था।"

बलदेव अब खुद बैठ जाता है और देवरानी को अपने लौड़े पर बैठा देता है।

देवरानी अपनी बड़ी गांड आगे पीछे करते हुए अपने बेटे का लंड ले रही थी।

बलदेव जम कर हर आसन में देवरानी की चूत खोलता है । ऐसी ही पिछले दो घंटे में बलदेव देवरानी की चूत की धज्जिया उड़ा देता है और देवरानी काई बार झड़ जाती है पर बलदेव एक बार भी नहीं झड़ता है।

"राजा जी आज झड़ोगे के नहीं?"

"मां इतनी जल्दी क्या है इस बंजर ज़मीन को हरा भरा करना है कि नहीं?"

और घप्प से फिर अपना लौड़ा पेल देता है।

"आआह राजा करना है आआह पर आराम से। "

बलदेव अपना हाथ उठा कर जोर से देवरानी की गांड पर थप्पड मारता है जिसकी आवाज पूरे कक्ष में गूंज रही थी।

"आआह आज तो मार ही डालोगे बेटा तुम तो ।"

बलदेव अब देवरानी को पहले से सीधा लिटा देता है और फच फच कर तेल से सने हुए लंड से और अब देवरानी की चूत के पानी और बलदेव के वीर्य का मिश्रान बेह रहा रहा था । बलदेव देवरानी की दोनों टांगो को उठा के घपा घप चुदाई करने लगता। है। कुछ देर ऐसे ही भीषण चुदाई के बाद बलदेव के लौड़े से वीर्य निकलने वाला होता है और बलदेव देवरानी के भारी मम्मो को अपने हाथो में दबाये देवरानी के ऊपर पूरा लेट जाता है। देवरानी आगे हाथ बढ़ा कर उसे अपने से चिपका लेती है।

"आ जा मेरा बच्चा! "

"फच्च" से पिचकारी छूटती है और देवरानी के साथ बलदेव भी आखे बंद कर लेता है।

"आआह माँ आआआह मेरे लंड को दबा कर पानी निकाल रही है। तुम्हारी चूत आह!"

" बरसो से सुखी थी तेरी माँ! आह बेटा आआह तर कर दे अपनी पत्नी अपनी माँ का बुर, अपने वीर्य से, हम्म!"

दस मिनट तक दोनों एक दूसरे में समाए रहते हैं और देवरानी अपनी चूत को सिकोड़ कर बलदेव के लौड़े के एक एक बूंद वीर्य को अपने अंदर महसुस करते हुए निचोड़ कर सोख रही थी और बलदेव भी इससे इतना ज्यादा झड़ा की वो भी निचुड़ा हुआ महसूस कर रहा था। ।

"आआह माँ! "

बलदेव देवरानी के ऊपर से हट कर बगल में गिर जाता है और लंबी लंबी सांस लेने लगता है।

देवरानी अपनी चूत को देखती जिसका हाल देख उसे हैरानी होती है चूत का छेद जिसमे उसकी छोटी ऊँगली भी मुश्किल से जाती थी उसका छेद अब अब पहले से ज्यादा बड़ा हो गया था और बलदेव के भारी लौड़े ने वो छेद ने खोल कर रख दिया था तो छेद ऐसा खुला की बेचारी चूत डर के मारे बंद नहीं हो रही थी। चूत से दोनो के प्रेम मिलन का मिश्रन और चूत के दीवारे छिलने पर हल्का खून भी वीर्य के साथ चूत से होते हुए जांघो से होते हुए बिस्तार पर गिर रहा था ।

"हे भगवान कितना पानी छुट रहा है चूत के पानी से पूरा बिस्तार गीला हो रहा है। "

"आह माँ अब ऐसी बंजर ज़मीन को ऐसे ही जोता जाता है नहीं तो इसमें पौधे कैसे लगेंगे। "

"राजा जी आपके हल ने तो मेरी ज़मीन को कुँआ बना दिया है। "

बलदेव: ( मन में ) मेरी रानी तुम्हें पता नहीं है कि तुम्हारी हर चीख हर कराह तुम्हारा पहला नपुंसक पति राजपाल सुन रहा है आज उसे पता चल रहा होगा कि एक स्त्री को शारीरिक सुख देना क्या होता है ।

देवरानी बलदेव को देख

"राजा जी क्या सोच रहे हो मैं अच्छी तो लगी ना?"

बलदेव अपना हाथ बढ़ा कर देवरानी का सर अपने कंधे पर लेते हुए कहता है ।

"मेरी रानी अगर तुम अच्छी नहीं होती तो आज मेरी बाहों में नहीं होती। "

"राजा जी मेरे कहने का अर्थ ये था कि मेरे शरीर को भोग कर सम्भोग कर कैसा लगा कहीं कोई कमी तो नहीं लगी । "

"हट पगली तुम्हें पता नहीं है कि तुम्हारा ये मादक शरीर कितना मजा देता है और तेरे जैसी चुदक्कड़ माल मुझे कभी ढूंढने से नहीं मिलती। "

"अच्छा इतनी पसंद आयी मैं?"

बलदेव देवरानी को अपने ओर खींच कर उसके भारी मम्मो को हाथ में ले कर

"मेरी रानी तेरी चूत में इतनी आग है और तेरा अंग अंग इतना मादक है की मैं तो चाहता हूँ की मेरे हर जन्म में तुम ही मेरी पत्नी बनो ।"

"ना बाबा ना! तुमने एक रात में मुझे अधमरा कर दिया है सात जन्म में नहीं चाहिए ऐसा पति"

बलदेव ये सुन कर मायुस हो जाता है।

"ठीक है तो जाओ अगले जन्म में किसी और से चुदवाना पर इस जन्म में तो मैं जीवन भर तुम्हे अपने लौड़े पर ही बिठाये रखूंगा। "

देवरानी आगे बढ़ कर बलदेव के माथे को चूम कर कहती है ।

"अरे रे मेरा राजा गुस्सा हो गया पागल मैंने तो मज़ाक कीया था । अगर ऐसा होता तो मैं रात भर तुम्हारे नीचे लेट तुम्हारे मूसल की मार ना सहती। "

बलदेव देवरानी को अपनी बाहो में ले कर चूमता है ।

"आह हा माँ मैं भी तो मज़ाक ही कर रहा था, मुझे पता है तुम सिर्फ मेरी ही दीवानी हो। "

"हां देखो ना दीवानी की योनि का क्या हाल है क्या तूने और तेरे इस मूसल ने। "

देवरानी देखती है बलदेव के लंड अब छोटा हो गया था।

"कहा माँ देखो कितना प्यारा है आपका मूसल और छोटा भी"

बलदेव हसते हुए अपने सोए हुए लंड पर इशारा करते हुए कहता हैं।

"चुप करो! अब जा कर ये थोड़ा शांत हुआ है, मेरी धज्जिया उड़ा कर अब आराम कर रहे हैं लिंग महाराज। इसे तो मैं छोड़ूंगी नहीं। "

"तो माँ रोका किसने है मत छोडो! "

"बेटा इस मूसल ने मुझे थका दिया और अब खुद सो रहा है। "

"मां तुम्हारे जैसी भारी भरकम को इतने घंटो से चोद रहा है थकान तो स्वाभाविक है।"

देवरानी उठ कर बैठ जाती है।

"इससे बदला लुंगी में, मेरी योनि का हाल बेहाल कर दिया है इसने, मैं इसे सोने नहीं दूंगी। "

"मां तो जगा दो इसको, पर उसके बाद जब ये शेर उठ जाएगा तो सोच लेना क्या होगा?"

देवरानी उठ कर बैठ जाती है और सबसे पहले कपड़ा उठा कर अपनी चूत को पूंछती है फिर बलदेव की टांगो को बीच बैठ कर उसी कपड़े से बलदेव के लौड़े को साफ करती है।

"देखो कैसा भोला बना है जैसे कुछ किया उसने ना हो ये।"

देवरानी बलदेव के लंड को हाथ में ले लेती है और दूसरे हाथ से बलदेव के गोटे पकड़ लेती है।

"आह माँ!"

"क्यू दर्द हुआ मेरे राजा को?"

"आह माँ आराम से पकड़ो! "

देवरानी अपने हाथ का मुट्ठी बना कर बलदेव के लौड़े की चमड़ी को आगे पीछे करने लगती है और बलदेव अपने आखे बंद कर आहे भर रहा था।

"आह माँ उसे मत सताओ! उठ गया तो तुम्हारी खैर नहीं। "

"देख लुंगी में भी कोई कच्ची खिलाड़ी नहीं हूँ । "

देवरानी बलदेव के लंड को दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी, फिर झुक कर अपने दोनों बड़े पपीतो को लंड के ऊपर झुका कर मसलती है।

"देखो मेरे दूध छूने पर ही इसकी नसे ऐसे पूल रही है जैसे सांप हो दूध पीना है। "

"मां ये सांप तुम्हें इतना पेलेगा कि जल्द ही तुम्हारे बड़े पपीतों में दूध भर जाएगा। "

"हट बड़ा आया अभी तो लल्लू जैसे सो रहा है। "

बलदेव ये सुनते हे देवरानी का सर पकड़ लेता है और अपने लौड़े की तरफ दबाता है।

" मुँह में ले अभी बताता हूँ की ये लल्लू क्या कर सकता है?"

देवरानी का सर बलदेव दबाये रहता है जब तक देवरानी अपने होंठ कर लौड़ा अपने मुँह में नहीं ले लेती लौड़ा सिकुड के छोटे होने के कारण देवरानी के मुँह में पूरा समा जाता है।

"चुसो इसे!

देवरानी चूसने लगती है ।

" आह आह" बलदेव अपनी आखे बंद कर लेता है।

देवरानी किसी आम की तरह लंड चूस रही थो और ऐसे ही चूसते हुए बलदेव के लौड़े से हल्का वीर्य आ रहा था बलदेव को ऐसा लगा की उसे उसे पेशाब आ रहा है ।

थोड़े देर में ही चूसने से देवरानी की सांस फूलने लगती हैं और वो अपना मुंह उठाती है और पक की आवाज से लौड़ा उसके मुँह से बाहर आता है। देवरानी के मुंह से वीर्य और थूक का मिश्रन टपक रहा था । वही लंड चूसने से और लौड़े पे भी देवरानी के लगे थूक से लौड़े मैं थोडी अकडन आगयी थी।

"आह राजा इसे मैंने पूरा मुँह में ले लिटा था ।"

"मां वो सोया है इसलिए तुमने ऐसा कर लिया। ये खड़ा हो जाएगा तो तुम नहीं ले पाओगी।"

"बेटा ये मैं पहली बार कर रही हूँ धीरे-धीरे सीख जाऊँगी।"

"सीख लो देवरानी क्यू के तेरे पति का लौड़ा तुझे हररोज पूरा मुँह में लेना है । समझी। "

"जी महाराज मेरे पति देव! जैसी आपकी आज्ञा!"

देवरानी नीचे झुक कर एक हाथ में फिर से लंड पकड़ लेती है और एक हाथ बलदेव की जांघ पर फेरते हुए अपने नाखुन से रगड़ते हुए फिर से बलदेव को गरम करने लगती है बलदेव पीठ के बल लेटते हुए मन में सोचता है ।

बलदेव: (मन में) कहती है थक गई हूँ पर अब भी इसका मन नहीं भरा है । अभी भी इसको फिर से ठुकाई करवानी है।

"आह माँ!"

"उठ जा मेरे शेर।"

देवरानी पहले घप्प से अपने होठों के बीच बलदेव के लौड़े को अपने मुंह में भर लेती है फिर धीरे से अपने जिभ को लंड के टोपे पर फिराने लगती है।

"अच्छा प्यार कर रही हो देवरानी!"

"अब ये तो पति धर्म है । महाराज ने भी तो मुझ पर कड़ी मेहनत की है।"

कुछ देर यू उसने चूमने के बाद देवरानी को देखता है, बलदेव का लौड़ा सर उठा रहा था, देवरानी झट से अपना एक दूध बलदेव के लौड़े पर रगड़ने लगती है दूसरे हाथ से बलदेव का हाथ पकड़ कर अपने दूसरे दूध पर रख मुस्कुराती है।

बलदेव: (मन में) कैसे मुस्कुरा रही है साली! जैसे खजाना मिल गया हो । अभी इसे पेल कर इसकी प्यास बुझाता हूँ।

बलदेव देवरानी के दूध को दबा रहा था और देवरानी फिर झुक कर अपनी जिभ निकाल कर बलदेव के लंड को चाटने लगती है। इससे बलदेव अब फिर से गरम हो जाता है और उसका लंड अब धीरे-धीरे पूरा अकडने लगता है देखते ही देखते उसका लौड़ा फिर से पूरे 9 इंच का हो जाता है।

"बेटा ये कुछ पहले से भी ज्यादा मोटा लग रहा है।"

"मेरी जान अब ये कुवारा नहीं रहा, तेरी चूत के पानी ने इसे फुला दिया है ।"

"चल हट, बदमाश!"

बलदेव देवरानी का सर पकड़ कर अपने लौड़े पर धक्का मारता है और इस बार लौड़ा देवरानी के हलक तक जाता है।

"आह ले रानी मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले!"

"आह गल्प उह्म्म।"

"क्या हुआ देवरानी बहुत शेरनी बन रही थी अब लो पूरा मुँह में।"

ये कह कर बलदेव झट से उठ गया और देवरानी को पटक कर उसके ऊपर चढ़ जाता है।

"क्यू मेरी रानी की प्यास नहीं बुझी।"

"सच कहू तो सुकून तो मिला है, पर बरसों की प्यास अब भी नहीं बुझी।"

"मैं बुझाऊंगा तेरी प्यास मेरी रानी माँ।"

और बलदेव देवरानी के ऊपर पूरा लेट जाता है और अपना लौड़ा चूत पर रगड़ने लगता है फिर अपने दोनों हाथों में बड़े मम्मो को पकड़ कर दबाता है और देवरानी के होठों को चूसने लगता है।

गैल्प्प्प्प् गैल्प्प् गैल्प्सलुर्प्प हम्म्म् गैल्प्प गैलप्प-गैलप्प गैलप्प!

थोड़े देर ऐसे उसने चूसने के बाद बलदेव के पीछे की ओर हट कर बलदेव देवरानी की दोनों टांगो को फेलाता है और देवानी की चूत में पहले एक फिर अपनी दो उंगली डाल देता है।

"आह राजा!"

बलदेव अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था और देवरानी सिस्की ले रही थी । कुछ देर यू ही उंगली पेलाई से देवरानी की चूत फिर पानी छोड़ने लगती है।

"मां तू तो फिर से गीली हो गई?"

"अब बेटे को फिर से पेलना है तो माँ को तो गीला होना पड़ेगा।"

"साली बड़ी चुदक्कड है तू!"

ये कहते हुए देवरानी की चूत को अपने लौड़े के सामने लाता है और फिर देवरानी की ओर झुकते हुए देवरानी की चूत पर लौड़ा घिसते हुए अपने एक हाथ से चूत के मुँह पर अपना मोटा सोपाडा रख एक धक्का मारता है।

"आह राजा!"

बलदेव अब दोनों हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की चूत में अपना टोपा फसाए ऊपर की ओर चढ़ता है और इस बार "सुर्रर" से चिकनाहट के कारण चूत में पूरा लौड़ा घुस जाता है।

देवरानी अपनी आँख बंद कर लेती है।

"क्या हुआ माँ इस बार चिल्लाई नहीं?"

"आह राजा तूने पूरा एक बारी में घुसा दिया इतना दर्द हो रहा है कि क्या बताउ?"

बलदेव अब लंड पीछे खीचता है और इसबार एक जोरदार धक्का मारता है।

"आआआह राजा आराम से!"

"आह माँ तेरी चूत कितनी गर्म और कसी हुई है। आह!"

फिर घप से खींच कर लौड़ा पेल देता है और देवरानी चीख मारती है।

कुछ धीरे धक्के मारने के बाद बलदेव "घप्प गहप्प घप्प!"

ज़ोर-दार धक्को की बारिश कर देता है। देवरानी कराह उठती है पर बलदेव बिना कोई चिंता किए देवरानी को पेले जा रहा था । कुछ देर बाद पेलते हुए बलदेव देवरानी को अपने बाहो में लिए पलट जाता है और खुद पीठ के बल आजाता है और देवरानी को ऊपर ले लेता है देवरानी बलदेव की जांघो पर हाथ रख बलदेव के लौड़े पर बैठ जाती है और ऊपर नीचे हो कर अपने बेटे के लंड को अंडो को जड़ तक अपनी चूत में समेट रही थी।

"आह माँ ऐसे चोदो अपने बेटे के लंड पे, आह माँ तुम सच में रति से कम नहीं हो, आह ऐसे ही और ज़ोर से करो!"

"आह राजा बेटा मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने किसी छुरी को अपनी योनि में ले लिया है ये तुम्हारा मूसल मेरे बच्चे दानी को चूम रहा है! आआह राजा ऐसे वह पेलो!"

कुछ देर ऐसे उन्होंने चोदने पर देवरानी थक जाती है और बलदेव को समझते देर नहीं लगती। वह उठता है और देवरानी को अपनी बाहों में भर कर पलंग से अलग ले आता है फिर देवरानी के एक पैर को कुर्सी पर रख दूसरे पैर ज़मीन पर रखने से पीछे से देवरानी की चूत खुल जाती है। बलदेव खड़े-खड़े अपना बड़ा लौड़ा देवरानी की चूत में पीछे से डाल देता है और आगे से देवरानी के दूध को अपने हाथों में भर मसलने लगता है।

"घप्प घप्प-घप्प घप्प पछ पछ" की आवाज के साथ चूडियो या पायलो की छनक फिर गूंज उठी ।

"आह माँ ऐसे खड़े-खड़े चोदने में मजा आ रहा है।"

"मुझे भी अच्छा लग रहा है जी!"

"मां जब भी मैंने तुमको देखा था तो पहले दिल करता था कि ऐसे ही खड़े-खड़े पीछे से पेल दू! आह आज ऐसे पेल कर मेरा तो जैसे सपना पूरा हो गया।"

"आह राजा, मैंने भी सपने में नहीं सोचा था कि मैं कभी ऐसे संभोग का मजा ले पाऊंगी मैं तो मान बैठी थी जीवन भर जलती रहूंगी अपने शरीर के साथ और फिर प्यासी ही मर जाऊंगी।"

"आह माँ मेरे रहते हुए मेरी पत्नी मेरी प्यारी रानी प्यासी रहे। मैं ऐसा होने नहीं दूंगा।"

बलदेव अपनी गांड पीछे कर जोरदार धक्का मारता है।

"आआआह आआआह बेटा तेरी पत्नी के साथ माँ भी हूँ । आआआह आराम से कर, आआह! हे भगवान! आआह! कुछ तो दया कर।"

घप्प घप्प पच-पच बलदेह देवरानी के गले में हाथ डाले उसे पेलता रहता है और देवरानी चिल्लाती रहती है।

तभी बलदेव के कान में कुछ सुनाई पड़ता है।

"आआहराजे आह ऐसे हे आआह माँ आआह"

बलदेव झटका देना धीरे-धीरे होते हुए कहता है ।

"देवरानी चुप रहना किसी की आवाज आई है।"

देवरानी अपना मुँह बंद करती है और बबलदेव धीरे-धीरे से पच-पच कर चोद रहा था अपनी माँ को!

देवरानी भी ध्यान लगा कर सुनती है।

"कूऊह कूह!"

देवरानी मुस्कुरा के कहती है ।

"बेटा ये कोयल की आवाज़ है।"

"हाँ माँ तुम सही कह रही हो।"

"राजा जी एक बात आप भूल गये।"

"क्या बात है मेरी रानी जी?"

"सुबह हो गई है घड़ी की ओर देखो 6 बज गए हैं।"

बलदेव मुस्कुराता है और देवरानी को अपने गोद में उठा कर फिर बिस्तर पर ले आता है।

"मेरी पत्नी, मेरी रानी, शायद आप भूल गई, आज दोपहर तक, आज अपनी पत्नी की, आपका बेटा, आपकी ठुकाई करेगा, ऐसा राजमहल में सबको सूचित कर आया है।"

ये सुनते हे देवरानी शर्मा कर बलदेव के सीने में अपना मुंह छुपा लेती है और वह अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी जिसे देख कर बलदेव भी मुस्कुरा देता है।

कहानी जारी रहेगी

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