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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-254
VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 37
योनि पूजा आरम्भ हुई
मैंने गुरुजी का ज्ञान गंभीरता से सुना, अनुष्ठान के विवरण, इसके इतिहास और प्रथाओं को अवशोषित किया। मैंने चारो और कई बार गौर से देखा कि उस कक्ष में मौजूद सभी लोग बस सिर नीचे करके इस पूरे वार्तालाप को सुन रहे थे।
फिर अनुराधा और उनकी कुछ अनुचर महिलाये अभिजीत को ले गयी और वह पूरा दिन सजतो संवरटी रही । वह करवाचौथ की तरह ही सजी संवरी। फिर से के समय उस कन्या अभिजीता को ले जाकर निशा पूजा के लिए तैयार किया । पूजा घर में चारो दिशाओं में जल डालने के बाद दीपक जलाया और चारो दिशाओं में सरसों और नमक छिड़का।
फिर अभिजीता को पानी पिलाया और फिर हम सब ने हल्का भोजन किया। अब वह अभिजीता को पूजा-घर में गए अगरवती घुप जलायी, 108 दीपक जलाये और कई सारे रंगोली की फर्श पर बनी हुई थी। कमरे के एक साइड गद्दा लगा हुआ था पूरा कमरा दिव्य लग रहा था। फिर गुरूजी और उनकी पत्नी अनुराधा आयी जिससे धीरे-धीरे कमरा भरने लगा ।
जैसे ही समूह इकट्ठा हुआ तो ऐसा महसूस हो रहा था कि खुले कमरे में ऊर्जा भर गई है। वे उत्सुकता से मेरा इंतजार करते हैं। वे सब अपनी आंखों के सामने अपनी जिवंत सेक्स होने का इंतजार नहीं कर सकते। वेदी स्थापित की जाती है और मोमबत्तियाँ और मशालें जलाई जाती हैं। फिर मुझे और ज्योत्सना को वहाँ ले जाया गया और वे सब हमे आते हुए सुन रहे थे। वस्त्रों की शांत सरसराहट। पत्थर के फर्श पर ज्योत्सना के पैरों में पड़ी पायल की आवाज़ गलियारे के नीचे कक्ष में गूँजती है। ठंड और नमी वाले पत्थर के सामने मेरे नंगे पैर और सब खामोश थे। गुरु जी ने फिर मन्त्र जाप शुरू किया ।
अभिजीता और ज्योत्सना की आंखों पर पट्टी बाँध दी गई है और मुझे गद्दे पर मेरे आसन, ज्योत्सना को मेरे साथ और अभिजीता को आगे की ओर निर्देशित किया गया है। मैं उसकी घबराहट को बढ़ते हुए देख सकता था क्योंकि उसके बड़े स्तन हर तेज़ सांस के साथ ऊपर उठ रहे थे।
अभिजीता की मार्गदर्शीका अनुराधा थी । वह उसके कान में फुसफुसायी, उसे सांत्वना दी, उसे बताता कि उसे, अन्य सभी से ऊपर, एक बड़ा सम्मान दिया गया है-इस दिव्य अनुष्ठान में लिए वह प्रथम कन्या चुनी गयी है जिसकी योनि पूजा की जायेगी। वह उसे आश्वस्त करते हुए धीरे से उसका हाथ थपथपाती है। तभी मंत्रोच्चार शुरू हो जाता है।
उसी समय, जैसे ही वे वेदी के पास आते हैं, सब लोग अलग हो गए। मैंने प्रत्येक मंत्र के उच्चारण के साथ उनकी आँखों में बढ़ती हुई वासना को देखा। वे जानते हैं कि क्या होने वाला है और उनके हर कदम के साथ उनकी प्रत्याशा भी बढ़ती जाती है। तभी दो अन्य लोग आगे आते हैं और नरम गद्दे पर इसे बिठाते हैं। सहायीकाऔ ने उसकी कलाइयों को प्रतीक्षा पट्टियों में रखा। उन्होंने उसकी एड़ियों को भी पट्टियों में बाँधा, इस प्रक्रिया में उसके पैर अलग हो गए। अब अनुष्ठान वास्तव में जीवंत होने वाला था इसलिए उसकी घबराहट बढ़ जाती है।
फिर उसका मार्गदर्शीका ने वेदी के पीछे कदम रखा, फिर गुरूजी ने अभिजीता और ज्योत्सना की आंखों से पट्टी हटा दिया। अभिजीता उस आसान पर मेरे सामने बैठी हुई थी । फिर गुरु जी नीचे झुके है और उसके कान में फुसफुसाये, "मैं चाहता हूँ कि तुम वह सब कुछ देखो जो तुम्हारे साथ होने वाला है"।
फिर उन्होंने एक चाकू लिया और अभिजीता के सफ़ेद, जालीदार गाउन को काट दिया, जिससे उसके सूजे हुए स्तन, उसके उभरे हुए निपल्स, उसका दृढ़ पेट और उसके नारीत्व के नंगे टीले उजागर हो गए। अब वास्तविकता उसके सामने आ गयी थी और उसके अंदर डर बढ़ने लगा था। उसकी खुलती हुई चूत से उठने वाली खुशबू मुझे आकर्षित कर रही थी-जो होने वाला है उसका डर उसे जगाता है, उसे गीला कर देता है और आगे जो होने वाला है उसके लिए तैयार करता है।
जप तेज हो जाता है। दर्शकों को पता है कि आगे क्या होने वाला है। वस्त्रधारी अनुयायी वेदी की ओर एक पंक्ति बनाना शुरू कर देते हैं। जैसे-जैसे हर कोई पास आता है, उसे प्रणाम करता है और उसे तिलक लगाते हैं । यह नजारा किसी पुरानी काल्पनिक कहानी जैसा लगता है।
जैसे-जैसे मंत्रोच्चार की मात्रा बढ़ती जाती है, गुरु जी ने मुझे आगे होने का इशारा किया और मैंने उसे तिलक किया।
गुरु जी: ये बादाम का यह मीठा तेल लेकर अभिजीता की बायीं टांग पर लगाओ और यह जोजोबा का तेल उसकी दाहिने पैर और टांग पर लगाओ। यह मीठा बादाम का तेल और जोजोबा का तेल इतनी आसानी से अवशोषित हो जाता है और शरीर में नमी को संतुलित करने के साथ-साथ चिकनाई देने का कार्य भी करता है। जैसा कि आप जल्द ही देखेंगे कि यह एक महान स्नेहक बनाता है, जो आपकी मांसपेशियों में दर्द या मोच से तरोताजा, लचक और उन्हें फिट रखने में मदद करेगा क्योंकि आज आप खुद को आधी रात के बाद काम करने के लिए मेहनत करनी हैं।
मैं कटोरे से तेल लेकर उसे पैरों पर मलने लगा। मेरे पुरुष हाथ उसकी टांगो पर रेंग रहे थे और धीरे-धीरे उसके नंगे पैरों से ऊपर पिंडलियों और घुटनो से होकर जांघो की तरफ जा रहे थे। हालांकि तेल से मालिश की भावना बहुत उत्तेजक और स्फूर्तिदायक थी, लेकिन गर्म स्पर्शों से उतपन्न हुई उत्तेजना हम पर हावी हो गई थी। मैं तेल लगाते समय उसकी नरम सुडौल विकसित पैरों, टांगो। पिंडलियों और घुटनो के हर इंच को महसूस कर रहा था। कुछ ही समय में मेरे हाथ उसकी जांघो पर थे और तैलीय उँगलियों और हथेलियों ऊपर अंदर की और आ रही थी ।
अभिजिता: श उह... आह्हः
वो उस आह को व्यक्त करने से खुद को रोक नहीं पायी क्योंकि उस समय मेरे हाथ उसके नितंबों के ठीक नीचे उसकी जांघों के पिछले हिस्से को सहला रहे थे और तेल लगा रहे थे। मेरे तैलीय उँगलियों और हथेलियों के स्पर्श से मैंने महसूस किया कि मेरे स्पर्श से अभिजिता की नंगी जांघों का पूरा पिछला हिस्सा आवश्यक उत्तेजक प्रदान कर रहा था। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था और वह अपने होठों को काट रही थी और प्रार्थना कर रही थी ।
कहानी जारी रहेगी