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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-255
VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 38
देह स्पर्श और आलिंगन
अभिजिता आह को व्यक्त करने से खुद को रोक नहीं पायी क्योंकि उस समय मेरे हाथ उसके नितंबों के ठीक नीचे उसकी जांघों के पिछले हिस्से को सहला रहे थे और तेल लगा रहे थे। मेरे तैलीय उँगलियों और हथेलियों के स्पर्श से मैंने महसूस किया कि मेरे स्पर्श से अभिजिता की नंगी जांघों का पूरा पिछला हिस्सा आवश्यक उत्तेजक प्रदान कर रहा था। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था और वह अपने होठों को काट रही थी और प्रार्थना कर रही थी।
अलग-अलग फूलों से छोटी-छोटी मालाएँ मैंने अभिजीता के दोनों टखनों को छोटे-छोटे माला से बाँध दिया और फिर उसके घुटनों पर भी माला बाँधी फिर कलाईयों और बाजुओं पर माला बाँधी और गले में बड़ी माला पहनायीं।
फिर कमर के ऊपर एक माला और माथे पर फूलों का टीका और फूलो की माला को सिर पर रख दिया। वह निश्चित रूप से उस तरह फूलो और मालाओं से सजाए हुए आकर्षक लग रही थी।
फिर पूजा में मैंने योनि का जल से अभिषेक, फिर गुलाब जल से अभिषेक, फिर दूध से अभिषेक के बाद दही से अभिषेक, फिर घी से अभिषेक और शहद से अभिषेक अन्य सामग्री के अलावा अंतिम अभिषेक सभी सामग्रियों के मिश्रण से किया।
अभिषेक के बाद गुरूजी ने अभिजिता के बदन में कुछ फूल फेंके और मंत्र पढ़े और फिर मुझे उसके पैरों के पास बैठने का इशारा किया। मैं आगे हो कर उसके पास बैठा और उसे तिलक किया और अभिजीता की देह को स्पर्श और आलिंगन किया फिर अभिजीता की चूचियों पर घी और शहद लगाया थोड़ा चीनी लगायी और पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा की। मैं दायी और हुआ जिससे वह मेरी बायीं ओर हो गयी । वहाँ अभिजिता को आकृष्ट करके आलिंगन किया फिर, मंत्र द्वारा, उसे भोग लगाया, फिर उसके माथे पर चंदन लगाकर तथा सिन्दूर से आधा चन्द्रमा बनाकर जीव न्यास किया।
मैंने अभिजीता की तरफ देखा तो मेरे नजर उसकी योनि की तरफ गयी दो सुडौल जांघों के बीच उसकी शानदार चूत थी... बिलकुल तराशी हुई. बिल्कुल गोरी-चिट्टी, हलकी-हलकी झांटे, बुर की दरार बिल्कुल चिपकी हुई! ऐसा मालूम होता था जैसे गुलाब की दो पंखुड़ियाँ आपस में लिपटी हुई हों... हे भगवान! इतनी सुंदर चूत, इतनी रसीली बुर, इतनी चिकनी योनि! उसकी भग्नासा करीब 1 इंच लम्बी थी।
और फिर इसी तरह से उसकी बालों से सजी योनि की पूजा अभिषेक से शुरू की। फिर योनि को जल से अभिषेक, फिर गुलाब जल से अभिषेक, फिर दूध से अभिषेक के बाद दही से अभिषेक, फिर घी से अभिषेक और शहद से अभिषेक अन्य सामग्री के अलावा अंतिम अभिषेक सभी सामग्रियों के मिश्रण से किया।
फिर सबसे पहले सिन्दूर से अभिजिता की योनि पर चंदन का लेप किया फिर तिलक किया, फिर फूल चढ़ाए उसके बाद उसकी चूत पर, मैंने एक लोटा जल चढ़ाया। फिर योनि के किनारों पर सुंदर फूल रखने के बाद दो अगरबत्ती जला कर वहाँ सुगंध की और फिर हाथ जोड़ कर योनि की जय! योनि की जय! कहने लगा। इस बीच मंत्रो का जप लगातार चलता रहा ।
और उसके स्तनों पर अपना हाथ रख स्तनों पर फूलो की वर्षा की, फिर स्तनों पर दूध डाला और-और मैंने उसकी चूचियों पर घी और शहद लगाया। फिर उसकी टांगो पर भी चंदन का लेप लगाया, फिर दही और शहद लगाया। फिर गुरु जी ने मुझे उसे चाटने का आदेश दिया।
अभिजीता--आह्हः! कर कराह रही थी ।
अभिजीता की मैंने अपनी बांहों में लिया आलिंगन किया तो गुरूजी का मंत्र का जाप जारी था । मैंने पहले उसके गालों को चूमते हुए, उसके दोनों स्तनों को सहलाया और उसके चेहरे पर झुक कर उसके ओंठो को चूमा, फिर उसके गालो को चूमने के बाद जीभ से चाटा और फिर उसकी दोनों कानों को धीरे से चूमा। अभिजीता के बदन में कंपकपी दौड़ गयी। फिर मेरे होंठ काजल के गालों से होते हुए उसकी गर्दन पर आ गये और फिर उसकी गर्दन को चूमने लगा। फिर मैंने उसके कंधो को चूमा और उसकी बाजुओं को चूमने के बाद हाथों को चूमा। मेरे होठों ने एक-एक करके दोनों बाँहों की कांख तक चूमा। काजल अब गहरी साँसें लेने लगी थी। ये पहली बार था जब कोई मर्द उसके बदन को चूम रहा था।
अब मैंने आगे झुककर उसकी टाँगों को चाटना शुरू कर दिया। मैंने दोनों हाथों से अभिजीता की-की नंगी टाँगें पकड़ लीं और पैरो से चंदन को चाटना शुरू कर दिया जो कुछ ही पल पहले मैंने लगाया था। मैं अपनी लंबी जीभ निकालकर उसकी कोमल चिकनी टाँगों को चाटने लगा। मेरी गीली जीभ लगने से उसके कुंवारे कोमल नरम बदन में कंपकपी होने लगी। उसकी मुट्ठियाँ बंध गयी थी और वह अपने दाँत भींचकर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी। स्वाभाविक रूप से एक कुंवारी लड़की के लिए पहली बार एक मर्द की गीली जीभ लगने से वह कामुक हो रही थी और उसके लिए इन उत्तेजक भावनाओ को सहन करना मुश्किल हो रहा होगा। वह तो अभी कुंवारी लड़की थी, किसी अनुभवी लड़की के लिए भी ये सहन करना मुश्किल हो जाता था।
अभिजीता--आह्हः! उम्म्म्म!। कर कराह रही थी ।
अब मैंने अपनी हाथ अभिजिता की दोनों तरफ़ हाथ रख लिए थे और उसकी टाँगों को चाटते हुए घुटनों तक पहुँच गया। मेरे लंड का कड़ापन भी थोड़ा बढ़ गया है, उसकी गोरी-गोरी चिकनी और नरम मांसल जांघों पर मेरी जीभ लपलपाने लगी। दूसरी टफ मंत्रो का जप लगातार चल रहा था । अभिजीता आँखें बंद किए चुपचाप लेटी रही, उसका चेहरा शरम से लाल हो गया था।
उसने टाँगें चिपका रखी थी। वह सोच रही होगी की अगर टाँगें खोलती हूँ तो मैं उसकी टाँगों के बीच में मुँह डाल दूंगा इसलिए स्वाभाविक था कि वह हिचकिचा रही थी।
जब मैं उसे चूमता हुआ ऊपर को बढ़ रहा था तो ये अंदाजा लगा कर की मैं आगे क्या करने वाला हूँ उसने थोड़ी-सी टाँगें खोल दी । मैंने थोड़ा ज़ोर लगाकर अभिजिता की नंगी टाँगों को फैला दिया और उसकी गोरी जांघों के अंदरूनी भाग को चाटने लगा।
अभिजीता--आह्हः! उम्म्म्म! कर कराह रही थी ।
कहानी जारी रहेगी