बेटे ने अब्बू से गांड मरवा ही ली

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a son finally succeeds in seducing his father to fuck her.
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मेरा नाम अब्दुल साफ कलर, बचपन से ही थोड़ा शर्मीला, चब्बी बॉडी, और बिग गांड है. मेरा बड़ा भाई ( सलीम ) जो हमेशा स्टडी ही करता रहता है. अब्बू सरकारी स्कूल में टीचर है, और मम्मी बॅंक में कॅशियर है. हम ज़ैपुर में ही रहते है.

बचपन से ही मेरा मन मर्दों को लेकर एक अलग ही रहा है. ख़ास कर मेरे अब्बू को लेकर. वो भी क्यूँ ना हो, वो है ही ऐसे. मेरे अब्बू एक-दम गोरे, क्लीन फेस, 5.9 फीट टॉल, मस्क्युलर बॉडी. किसी हीरो से कम नही लगते.

अब्बू बचपन से हीरो ही बनना चाहते थे, बट सम फॅमिली इश्यूस की वजह से वो नही कर पाए. परन्तु परसोनालिटी एक दम वैसी ही है. गूगल पर अडीनाथ कोठरे सर्च कर देना, बिल्कुल वैसे ही दिखते है अब्बू.

जब मेरे अब्बू केवल लूँगी में डिन्नर करने बैठते है, वो पल का मुझे सबसे ज़्यादा वेट रहता है पुर दिन में. खाने का तो पता नही, बट अब्बू को देख कर ही मॅन भर जाता है हमेशा. और जब अब्बू एवेरी सनडे हमारे गाओं (जो ज़ैपुर के पास ही है) मुझे और भाई को लेकर खेतो में ट्यूबिवेल पर नहाने जाते है, तब अब्बू को केवल अंडरवेर में देखना एक अलग ही जिस्म में आग लगा देता है.

बचपन से ही अब्बू मुझे और भाई को बहुत प्यार करते है. फिर एक दिन भाई का 2न्ड एअर कंप्लीट हुआ. तब वो 20 साल का था. उसे इंजिनियरिंग की स्टडी के लिए मामा के पास कोटा भेज दिया गया.

अब घर पर अब्बू मम्मी और मैं ही होते थे. धीरे-धीरे अब्बू को लेकर मेरी फीलिंग अब और ज़्यादा बढ़ती चली गयी. कॉलेज से आने के बाद जब तक मम्मी घर नही आती, तब तक अब्बू और मैं हमेशा घर पर अकेले ही होते थे. मैं बहुत कोशिश करता था अब्बू को एक बार न्यूड देखने की, परंतु डर भी बहुत लगता था.

पापा को सोच-सोच कर नाइट में बहुत बार अपना पानी निकालना, गांड में उंगलियाँ देना अब मेरी आदत हो गयी थी. मैं अभी 1 एअर में ही था. कुछ दिन तो अब्बू और मैं सनडे को खेतो में जाते, बट मोस्ट्ली अब्बू खेतो का काम करके घर आ जाते.

कभी-कभी हम साथ नहाते. अब्बू का वो साथ मुझे आज भी याद है. बट डर की वजह से अब्बू से ज़्यादा चिपकने की हिम्मत नही हो पाती थी. कुछ महीनो बाद अब्बू जॉब को लेकर थोड़ा बिज़ी रहने लग गये. अब धीरे-धीरे खेतो में जाना भी कम होता गया.

अब अब्बू को छूने का एक ही मौका था, वो भी चला गया. ऐसे ही पूरा साल निकल गया. अब मैं 19 साल का हो गया था. मेरा जिस्म अब और ज़्यादा बड़ा हुआ लगने लगा. मेरी हाइट भी अब 5.5 फीट हो गयी थी. मेरे अब्बू की आयु भी अराउंड 45 या 46 रही होगी इस टाइम.

फिर एक दिन हमारे घर पर अब्बू के बचपन के दोस्त कुछ दिनो के लिए अपने ऑफीस वर्क से ज़ैपुर आए हुए थे. अब्बू उनका इंट्रोडक्षन करते हुए.

अब्बू: अब्दुल ये मेरे बचपन का यार है,. चाचू के पैर छुओ बेटा.

चाचा: और कैसा है देव? बहुत बड़ा हो गया यार तू. बहुत टाइम हो गया जाईपुर आए हुए.

चाचा 42 एअर-ओल्ड, सावले, 5.6 फीट टॉल, मस्क्युलर बॉडी, अब्बू जैसी मुस्टचस (मूचे), स्मार्ट थे. परंतु अब्बू से कम. हम सब खाना खा कर अब हमारी छत पर बातें करने लगे.

मम्मी: ऐसा करो, आप लोगों का बिस्तर यही लगा देते है.

अब्बू: ठीक है अब्दुल जाओ मम्मी के पास ही सो जाना.

चाचा ( मुझे पकड़ कर): इसे कहा भेज रहा है. अब बड़ा हो गया है, मर्दों के साथ ही रहने दे. आप जाओ भाभी, इसकी टेन्षन मत लो. शेर है ये.

मैं अब्बू और चाचा के बीच सो रहा था.

अब्बू: भाभी और बच्चो को भी ले आता यार. वो भी घूम लेते.

चाचा: हा यार, बट उसे कही जाना पसंद नही है. और तू बता अब्दुल क्या कर रहा है आज कल?

अब्बू: यार आज कल अब्दुल को भी टाइम नही दे पा रहा. ये तो तू आज आ गया, जो आज साथ सो पा रहे है. वरना सलीम के जाने के बाद बहुत बिज़ी हो गया था.

ये बोलते हुए अब्बू का जिस्म बनियान और लूँगी में मून लाइट में एक-दुम हॉट लग रहा था. ऐसे ही नॉर्मल बातें होते-होते चाचा मेरी कमर पर हाथ रख कर हॉरर टाइप बातें करने लगे.

मैं: मुझे डर लग रहा है. ये बातें क्यूँ कर रहे हो?

ये बोलते ही चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया.

चाचा: लो आ गया भूत. हा हा हा.

अब्बू: चल सोजा, कल तेरे ऑफीस के काम के लिए भी जाना है.

चाचा: क्या यार. तू भी मूड खराब कर दिया कर.

नेक्स्ट डे अब्बू और चाचा पुर दिन ऑफीस का काम करके और घूम कर शाम को 8 बजे आए. आते ही हम खाना खा कर सोने चले गये.

चाचा: बहनचोड़ आज भी काम नही हुआ. कल सनडे, फिर मंडे को ही जाना होगा यार.

पापा किसी काम से नीचे जाने लगे.

चाचा: लगता है भाभी जी याद कर रही है.

अब्बू: यार बच्चा है, क्या तू भी.

चाचा (मुझे पीछे से पकड़ कर): इतना बड़ा तो हो गया. बच्चा थोड़ी है ये.

पापा नीचे गये. चाचा अपनी त-शर्ट निकाल कर, अब केवल पाजामे में लेटने लगे. ऐसा करते ही उनके पसीने की खुश्बू हवा में फैल गयी. मून लाइट में उनकी क्या मस्त बॉडी थी. हेरी चेस्ट मस्क्युलर जिम टाइप बॉडी. मेरे तो मूह में पानी आने लगा.

चाचा: आजा तेरे अब्बू को टाइम लगेगा, वो खिलाड़ी आदमी है. तू भी त-शर्ट उतार दे, यहा कोन देख रहा है तुझे?

मैने टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. टी-शर्ट उतारने के बाद अब केवल बनियान और शॉर्ट्स में था. मेरे निपल्स बनियान से बाहर गिरने को रेडी थे. सोते हुए चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. हम दोनो की हाइट लगभग सेम थी. इसलिए मेरी गांड में उनका लंड मुझे सॉफ फील हो रहा था. जिसे वो बार-बार आगे-पीछे करने लगे.

बहुत देर तक वो पीछे से ही मज़े लेते-लेते मुझसे बात करने लगे. थोड़ी देर बाद मैने रिप्लाइ करना बंद कर दिया. उनको लगा शायद मुझे नींद आ गयी. तभी अब्बू भी आ गये.

अब्बू: सो गये क्या?

मैं सोने का नाटक करने लगा.

चाचा (मुझे देखते हुए): नही शायद ये सो गया है.

अब्बू: गर्मी आज ज़्यादा है. कल सनडे है, कल खेतो में चलते है. ट्यूबिवेल में मस्त टाइम स्पेंड करेंगे. बहुत दिन से अब्दुल के साथ भी नही गया.

चाचा ( हस्ते हुए): गर्मी तो सारी निकाल आया, अब कोन सी रह गयी.

चाचा (मेरी गांड पर हाथ रख कर): वैसे एक बात बोलू. तेरे अब्दुल को देख कर कॉलेज वाले पवन की याद नही आती? उसकी गांड और चूचे इतने ही मोटे थे. सला कितनी बार गांड मरवा लेता था मेरे से.

ये सुन कर तो मैं एक-दम हैरान ही हो गया. तभी चाचा मेरी गांड की फीलिंग ले रहे थे. चाचा का हाथ मेरी गांड से हटते हुए अब्बू बोले-

अब्बू: क्या यार तू भी. अब्दुल ऐसा नही है. वो बचपन से ही थोड़ा मोटा रहा है. और तू क्या ग़लत ही सोचता रहता है. चल सो चुप-छाप.

चाचा: अर्रे यार, तू गुस्सा क्यूँ हो रहा है? मज़ाक कर रहा हू. अब्दुल मेरे लिए भी बेटे जैसा ही है. और वैसे भी तुझे तो कॉलेज टाइम से ही पवन जैसे गान्डू पसंद ही नही है. चल सो जा. कल चलते है फिर.

चाचा के मूह से ये सब सुन के मेरा पूरा मूड ही ऑफ हो गया, की अब्बू को लड़कों में कोई इंटेरेस्ट नही था. ये सोचते-सोचते ही पता नही कब मेरी आँख लग गयी. नेक्स्ट मॉर्निंग 5 बजे-

पापा और चाचा: अब्दुल उठ जा, लेट हो जाएँगे वरना.

हम दोनो बाइक से खेतो में पहुँच गये. अभी 6:15 बजे थे.

अब्बू: अछा है टाइम से आ गये. एक बार खेत देख लेता हू. बहुत दिन हो गये आए हुए.

ये बोलते-बोलते अब्बू केवल लूँगी पहन कर अपना मस्त बदन लेकर खेतो में आगे जाने लगे.

अब्बू: चलेगा?

चाचा: नही, तू ही देख आ, जब तक मैं ट्यूबिवेल का पानी सॉफ कर देता हू अब्दुल के साथ.

हम दोनो फिर ट्यूबिवेल के पास बने रूम से मोटेर स्टार्ट करके, ट्री के नीचे बने ट्यूबिवेल को सॉफ करने लगे. बहुत दिन से गंदा हो रहा था. अभी भी सूरज पूरी तरह उपर नही आया था, और थोड़ा बहुत अंधेरा था.

ट्यूबिवेल सॉफ करते-करते हम दोनो के ही कपड़े गंदे हो गये. अब्बू खेतो में बहुत दूर थे. अब तो सही से दिख भी नही रहे थे.

मैं: चलो सॉफ हो ही गया. लेकिन कपड़े सारे गंदे हो गये.

चाचा: कॉनसा कपड़े पहन कर नहाना था, चल उतार ले, तेरा बाप भी आता ही होगा.

हम दोनो अपने-अपने कपड़े उतार कर केवल अंडरवेर में आ गये थे. चाचा के लंड का उभार उनकी ग्रे अंडरवेर से सॉफ नज़र आ रहा था, और मेरे मोटे चूचे अब चाचा के सामने थे. मेरी मोटी गांड ब्लॅक अंडरवेर में फॅस रही थी. ट्यूबिवेल में जाते हुए.

चाचा ( मेरी गांड को दबाते हुए): अपने गुब्बारे को लेकर ट्यूबिवेल में आजा.

उनका ऐसे मुझे छुना मेरे लिए कुछ अलग ही था. परंतु ये टच मुझे अब्बू से चाहिए था. चाचा और मैं आधे नंगे ट्यूबिवेल में बहुत मस्ती करने लगे. कभी वो मुझे पीछे से पकड़ लेते, और मेरे चूचों को अपने गरम-गरम हाथो से दबा देते. कभी मेरी गांड पर हाथ मार देते. मेरे कोई विरोध ना करने पर उनको और ज़्यादा हिम्मत मिल रही थी.

चाचा: तेरे चूचे तो लड़की जैसे है गोल-गोल.

मुझे फील हो रहा था अब शायद उनका लंड खड़ा हो रहा था धीरे-धीरे. पानी के अंदर सॉफ नज़र नही आ रहा था. तभी अब्बू भी आ गये. अब्बू को आता देख चाचा मेरे पीछे खड़े हो गये. उनका लंड अब मुझे पूरा मेरी गांड पर फील हो रहा था. हम दोनो कमर तक पानी के अंदर ही थे.

अब्बू: यार टाइम बहुत लग गया. पुर खेतो को खराब कर दिया है जानवरो ने. और तुम दोनो यहा मस्त मज़े कर रहे हो.

मैं: आप भी आ जाओ अब्बू लूँगी निकाल कर. बहुत मज़े आ रहे है.

अब्बू: लगता है चाचा के साथ मंन लग गया है तुम्हारा.

पापा की बात सुन कर चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. वो अपनी ब्लू अंडरवेर में ट्यूबिवेल के अंदर आ गये. उनकी चेस्ट के बाल सीधे उनके अंडरवेर के अंदर जा रहे थे.

पापा का अंडरवेर गीला होते ही उनके लंड का उभार और ज़्यादा सॉफ हो रहा था. सोया हुआ भी 5+ इंच लंबा लग रहा था. मेरे मूह में तो पानी आने लगा. जैसे ही चाचा मुझसे पंगे लेने लगे, मैने भी मौका देख कर हिम्मत करते हुए अब्बू को कस्स के कमर से पकड़ लिया.

फिर मैने बहुत देर तक अब्बू को छोड़ा ही नही. आज ये मोमेंट मैं मिस नही करना चाहता था. मेरी गांड चाचा की तरफ और मेरा मूह अब्बू की कमर के पास था. मेरी इस हरकत से अब्बू को लंड थोड़ा-थोड़ा टाइट होने लगा. बट पानी के अंदर कुछ सॉफ नही दिख पा रहा था.

चाचा ने भी मौका देख कर अपना खड़ा लंड जो पानी के अंदर था, मेरी गांड पर लगा कर पीछे से खींचने लगे. मेरी नरम गांड से उनका लंड अब बिल्कुल टाइट हो गया था. चाचा के तेज़ी से खींचने से मैं उनकी गोद में ही गिर गया. इसी पोज़िशन में चाचा ने मुझे मेरे निपल्स से कस्स कर पकड़ लिया, और बोले-

चाचा: आज नही जाने दूँगा अब्दुल तुझे, तेरा बाप भी नही छुड़ा सकता आज तो.

फिर हम सब ही हसणे लगे. अब्बू को ये नॉर्मल लग रहा था, बट चाचा एक अलग ही मूड में थे आज. और मैं तो केवल अब्बू का जिस्म देख रहा था. मुझे चाचा क्या-कर रहे थे, उससे कोई मतलब नही था.

चाचा कुछ ज़्यादा वैसे भी नही कर सकते थे. बिकॉज़ मेरे अब्बू भी साथ थे, और अब्बू को ये सब अछा नही लगता. मस्ती करते-करते हमे 8 बाज गये थे. आज चाचा मेरी बॉडी के बहुत मज़े ले चुके थे, और मैं मेरे अब्बू की.

अब्बू: चलो घर के लिए लेट हो जाएँगे, धूप भी तेज़ होने लगी है.

पापा ट्यूबिवेल से बाहर आ कर कपड़े चेंज करने लगे. मैं तो बस अब्बू को ही देख रहा था, और उनके लंड का उभार देख कर मेरा दिल कही जाने का नही कर रहा था. चाचा भी अपने कपड़े चेंज कर चुके थे तब तक.

चाचा: अब्दुल तुम्हे कोई इन्विटेशन देना होगा क्या घर चलने का? या फिर नंगे ही चलोगे?

मैं ( शरमाते हुए): अब्बू वो जल्द-बाज़ी में अंडरवेर लाना भूल गया.

अब्बू: तुम कब बड़े होगे? सभी चीज़े हमे ही ध्यान रखनी होती है तुम्हारी.

चाचा: कोई नही यार, गुस्सा क्यूँ हो रहा है? बच्चा है, और वैसे भी हम दोनो ही तो है. बाहर आ कर कपड़े बदल ले, अंडरवेर घर जा कर पहन लेना.

ये सुन कर मुझे बहुत शरम आने लगी.

अब्बू: जल्दी कर बेटा, तेरी मम्मी का कॉल आता ही होगा. ये बोल कर अब्बू बाइक स्टार्ट करने लगे.

मैं बाहर निकल कर जैसे ही अंडरवेर निकाल कर नंगा हुआ, चाचा पीछे से मेरी गांड को लगातार देखे ही जेया रहे थे. जल्दी-जल्दी मैने कपड़े बदले, और फिर हम बाइक पर जाने लगे.

पापा (बाइक चलाते हुए ): आगे से ध्यान रखा करो. अब बड़े हो गये हो तुम.

चाचा: कोई नही यार, हम तीनो मर्द ही तो है.

अब्बू: यार खेत की टेन्षन है. कल जॉब पर जाना है, और खेत का काम भी देखना होगा. बहुत दूर तक सब खराब हो रखा है. सलीम होता तो सब देख लेता. लेकिन अब्दुल से तो कुछ होता ही नही है.

चाचा: कोई नही मैं कल आ कर देख लूँगा, और अब्दुल को भी सीखा दूँगा कैसे करते है. ठीक है? चाचू की मदद करोगे ना?

पापा के गुस्से से मुझे रोना आ रहा था.

मैं: हाँ ठीक है.

मेरा अब्बू को लेकर प्यार अब और ज़्यादा बढ़ने लगा. रोज़ अब्बू को सोच-सोच कर लंड हिलाने और गांड में फिंगरिंग करना अब आदत हो गयी थी.

मेरा लास्ट एग्ज़ॅम था, इसलिए मैं अपने कोचैंग सेंटर गया हुआ था. घर आते-आते शाम के 4 बाज गये. घर आते ही अब्बू पाजामा और शर्ट में सोफे पर बैठ कर कॉल पर बात कर रहे थे. मैं भी बिना उनको कुछ बोले उपर रूम में चला गया. 10 मिनिट बाद-

मैं: अब्बू मम्मी कहा है?

पापा ने मुझे पास बुला कर बोला: अब्दुल तेरी नानी की तबीयत खराब है. इसलिए मम्मी को अर्जेंट जाना पड़ा (मेरी नानी भी ज़ैपुर में रहती है, बड़े मामा के साथ).

मैं: मुझे भी जाना है.

मुझे गले लगा कर बोले.

अब्बू: टेन्षन मत कर डॉक्टर से बात हो गयी है. जल्दी ठीक हो जाएँगे, और फिर तेरे एग्ज़ॅम के बाद हम दोनो साथ चलेंगे ओके. अब खाना खा ले, और एग्ज़ॅम की तैयारी कर लेना.

शाम को मैं सोचने लगा. अब पूरे घर पर केवल अब्बू और मैं ही थे. इतने दिन से जो मेरी इच्छया थी, शायद अब वो पूरी हो जाए. मैं और अब्बू खाना खाने के बाद-

मैं: अब्बू क्या आज मैं आपके साथ सो जाउ. नानी की वजह से टेन्षन हो रही है.

अब्बू: कोई नही, कपड़े चेंज करके आ जाना.

मैने भी जल्दी से जा कर बिना अंडरवेर के शॉर्ट और बनियान पहन ली. अब्बू रूम में केवल लूँगी पहन कर लेते हुए थे ( जो उनकी हमेशा से मेरी मॅन-पसंद आदत थी ). मैं भी उनके पास जा कर बोला-

मैं: नानी ठीक तो हो जाएँगी ना पापा?

पापा ने मुझे प्यार से अपने पास लिटा लिया, और मैने भी मौका देख के उनकी हेरी मस्क्युलर चेस्ट पर अपना सॉफ्ट हाथ रख दिया. उनकी धड़कन मुझे फील होने लगी.

अब्बू: अब्दुल क्यूँ इतना सोच रहा है? सब ठीक होगा.

पापा अपनी बातों में बिज़ी थे, और मेरा तो ध्यान केवल उनके हेरी मस्क्युलर बदन पर था. जिसको देखते-देखते पता नही कब मेरी आँख लग गयी. नेक्स्ट मॉर्निंग मेरी आँख अब्बू से पहले ही खुल गयी.

मैने भी मौके का फ़ायदा लेते हुए अपनी बनियान कमर से उपर करके अपनी शॉर्ट्स को थोड़ा नीचे कर दिया. ताकि मेरी मोटी गांड की दरार अब्बू को सॉफ दिख सके. फिर अब्बू के लंड से गांड लगा कर थोड़ी-थोड़ी गांड हिलाने लगा, जिससे उनका लंड थोड़ा हरकत में आने लगा. अब्बू जैसे ही उठे, मैं सोने का नाटक करने लगा.

पापा (अपना खड़ा लंड और मेरी गांड देख कर): यार ये भी कही भी खड़ा हो जाता है. सही बोल रहा था अब्दुल की गांड है तो बहुत मोटी. क्या बोल रहा हू मैं भी, ये बेटा है मेरा.

ये बोलते ही अब्बू ने मेरी शॉर्ट्स उपर कर दी. अब्बू ने मुझे उठा दिया, और कोचैंग के लिए रेडी होने के लिए बोलने लगे. मैने सोच लिया था कैसे ना कैसे अब्बू को सिड्यूस करना था.

मैं अपने रूम में बिना ताला लगाए नंगा नहाने लगा. थोड़ी देर बाद अब्बू नाश्ता लेकर मेरे रूम में आए, और वॉशरूमका गेट खुला देख वो अंदर मुझे नंगा देखते ही बोले.

अब्बू: अब्दुल बंद करो इसे. अब बड़े हो गये हो तुम.

मैं: मुझे लगा रूम में कोई नही आएगा.

अब्बू: अछा मैं जा रहा हू ऑफीस. तुम भी कोचैंग चले जाना (फेस दूसरी ओर करते हुए).

मुझे नंगा देख कर तो अच्छे-अच्छे मेरी गांड लेने को रेडी हो जाते है. अब्बू भी अब जब घर आए शाम को, आज वो बार-बार मेरी गांड को ही देख रहे थे. मैने भी मौका देख कर जब मौका मिलता कपड़े चेंज करते टाइम, नहाते टाइम रूम या वॉशरूम का दरवाजा खुला ही रखा.

अब तो मैने घर पर शॉर्ट्स के अंदर अंडरवेर पहनना ही बंद कर दिया था ताकिमेरी गांड अच्छे से अब्बू को दिखाई देती रहे. मैं बार बार अब्बू के सामने मटक कर गांड हिला देता, केवल बनियान में मेरे मोटे-मोटे चूचों को दिखा देता था. अब्बू भी आज कल बहुत नोटीस कर रहे थे. शायद मम्मी के जाने के बाद उनके अंदर सेक्स का गुबार भरा हुआ था.

नेक्स्ट मॉर्निंग मैने फिरसे अब्बू के जागने से पहले ही अपनी शॉर्ट को नीचे कर दिया. लेकिन आज ज़्यादा ही नीचे कर दिया. फिर उनके लंड के पास जो लूँगी से कवर था, अपनी मोटी गांड को लगा. थोड़ी देर बाद अब्बू जाग गये. मैं फिरसे सोने का नाटक करने लगा.

अब्बू: बहनचोड़, अब्दुल की मा के जाने के बाद ये क्या करने लग गया हू मैं? अपने ही बेटे की गांड पर लंड लगा रखा है. अब्दुल को पता चलेगा तो कितना बुरा लगेगा इसे.

नेक्स्ट ही मोमेंट अब्बू ने मेरी नंगी गांड पर हाथ रख कर थोड़ी देर हाथ रोका. फिर कुछ सोच कर मेरी शॉर्ट्स उपर कर दी.

अब्बू: अब्दुल उठा जा बेटा. कल से बेटा अपने कमरे में ही सोया कर.

शायद वो अपनी फीलिंग को कंट्रोल नही कर पा रहे थे. आज लास्ट एग्ज़ॅम था. जब तक मैं रेडी हो कर बाहर आया, तब तक वो ऑफीस जा चुके थे. एग्ज़ॅम के बाद हम दोनो नानी से मिलने चले गये. हमे 7 बाज गये थे.

मम्मी ने अब्बू को बोला: तुम भाई (मेरे मामा) के साथ चले जाओ, और मेरा बॅग दे कर भेज देना. जब तक मम्मी ठीक नही होती, ऑफीस यही से चले जाऊँगी.

अब्बू: ठीक है अब्दुल को भी यही रोक लो.

मैं: नही, मुझे अब्बू के साथ ही जाना है.

मैने बहुत ज़िद करी, इसलिए मुझे भी अब्बू ने अपने साथ ही ले-जाना ठीक समझा. मुझे पता था अब्बू का लड़कों में कोई इंटेरेस्ट नही था. लेकिन मुझे उनके अंदर ये इंटेरेस्ट जगाना था कैसे भी.

घर पर आ कर अब्बू मम्मी का बॅग लेने चले गये, और मामा और मैं सोफे पर बैठे बातें करने लगे. मैं मामा की गोद में बैठा हुआ था. मामा बचपन से ही मुझे बहुत प्यार करते थे. बिकॉज़ उनके कोई लड़का नही था. तभी अब्बू अचानक से आ गये और आते ही मुझे मामा के गोद से हटा दिया.

अब्बू: अब्दुल क्या कर रहे हो? बड़े हो गये हो तुम, बचपाना नही जाता तुम्हारा. उनको लेट हो रहा है, जाने दो उनको.

शायद अब्बू को मेरा मामा की गोद में बैठना पसंद नही आया.

मामा: क्या आप भी. फिर क्या हुआ? चलो मैं चलता हू.

मामा के जाने के बाद अब्बू अपने रूम में चले गये. मुझे आज अब्बू के साथ ही सोना था. बट अब्बू ने मना भी किया था. बहुत देर तक मुझे नींद ही नही आ रही थी. मुझसे रहा नही गया. मैं अब्बू के रूम में चला गया.

मैं: अब्बू मुझे नींद नही आ रही. प्लीज़ मुझे यही सोने दो.

पापा मना नही कर पाए. मैने रूम के लाइट ऑन कर दी.

पापा ( गुस्से में): अब्दुल क्या हो गया है? सोते क्यूँ नही हो तुम? बंद करो इसे और सो जाओ.

मैं: आप गुस्सा क्यूँ हो आज? मैने कुछ करा है क्या (मैं रोने का नाटक करने लगा)?

अब्बू: अर्रे अब्दुल रोना बंद कर. वो तो आज गर्मी है, इसलिए मूड खराब है.

मैं: गर्मी तो बहुत है. अब्बू मैं भी बनियान उतार देता हू.

मेरे नंगे मोटे-मोटे चूचों को देख कर अब्बू फिरसे अनकंफर्टबल होने लगे. मुझे इग्नोर करने के लिए अब्बू ने लाइट्स ऑफ कर दी, और सोने लग गये. हम दोनो एक साथ बिस्तर पर थे, परंतु अब्बू के गुस्से के दर्र से आज कुछ भी करना मुश्किल हो रहा था.

नेक्स्ट मॉर्निंग, मैने फिरसे रोज़ की तरह अपनी शॉर्ट्स नीचे कर दी. लेकिन आज मैने उपर भी कुछ नही पहना था. मैने अपनी गांड अब्बू की लूँगी से जैसे ही टच करी, मुझे पता चला आज अब्बू ने अंडरवेर नही पहना था. जैसे ही मैने देखा, तो अब्बू का लोड्ा लूँगी से बाहर ही था. रूम में अंधेरा था, बट विंडो की थोड़ी-थोड़ी लाइट से अब्बू का लंड तोड़ा-तोड़ा दिख रहा था.

पापा का लंड आज फर्स्ट टाइम मेरे सामने था. उनका लंड सोया हुआ भी 5+इंच लंबा 2+ इंच मोटा था. उनका लंड देख कर मुझसे रहा नही गया, और मैं अपनी गांड को उनके लंड से टच करने लगा. थोड़ी देर बाद अब्बू ने अचानक से मुझे पीछे से पकड़ लिया, और अपना लंड मेरी गांड में रगड़ने लगे.

मैं बहुत डर गया था. तभी अब्बू मेरे चूचों को दबाते हुए मेरी मम्मी का नाम लेने लगे. मैने पीछे हो कर देखा तो अब्बू नींद में ही थे. मैं भी मौके का फ़ायदा करते हुए अब्बू के लंड से गांड रगड़ने लगा.

पापा का लंड अब खड़ा हो कर बहुत लंबा हो गया था. मेरा फेस आगे था, इसलिए मुझे पता नही चल रहा था कितना बड़ा था. मैं अपनी दोनो जांघों के बीच अब्बू का लंड लेकर आगे-पीछे करने लगा. उनका लंड इतना बड़ा था, की मेरी जांघों से भी आगे उनके लोदे का टोपा आ रहा था, जो एक-डम फूला हुआ था.

पापा शायद नींद में थे. पर उन का लंड पूरा टाइट हो कर खड़ा था.

पापा का लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ रहा था. अब्बू नींद में मजे ले रहे थे.

सपने में शायद वो मा के साथ मज़े कर रहे थे पर अस्ल में मुझे आनंद आ रहा था.

पापा के बड़े से लंड का टोपा मेरे छेद पर चल रहा था और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. अब्बू भी नींद में खूब मज़े ले रहे थे. उनका लंड पूरा लोहे जैसा टाइट हो चुका था.

पापा का वीर्य निकलने का टाइम आ रहा था. अब्बू ने नींद में ही अपने लंड को एकदम से आगे को धका दिया और क्योंकि मेरे गांड का छेद उनके लंड के प्रिकम से पूरा गीला तो पहले हे हो चुका था, और उनके लंड का सुपारा बिल्कुल मेरी गांड के छेद पर ही था तो ज्यों ही अब्बू ने नींद में अपने लंड को आगे कोधकेला उनके टाइट होने के कारण लंड का सुपारा मेरी टाइट गांड के छेद में घुस गया.

पापा के लंड को ज्यों ही मेरी टाइट गांड ने कस कर पकड़ा, अब्बू के लंड से उनके वीर्य की पिचकारी निकल गयी. नींद मैं वीर्यपात होने के कारण अब्बू अपने लंड को आगे ही करते गये और उनका मोटा सा लंड लगभग आधा मेरी टाइट गांड में घुस गया.

पापा नें नींद में लगभग एक कप भर जाने लायक वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.

इधर तो अब्बू का वीर्य मेरी गांड में निकल गया और उधर पहली बार किसी का इतने मोटा लंड मेरी गांड में जाने के कारण दर्द से मेरी चीख निकल गयी.

मेरी चीख सुनते ही अब्बू की नींद खुल गयी.

अब्बू अचानक से खड़े हुए, और लाइट ऑन कर दी.

अब्बू: बहन चोद, ये क्या कर दिया मैने?

पापा मेरे पास आए, और मुझे गुस्से में बहुत तेज़ थप्पड़ मार दिया.

वो बोले: अब्दुल अब्दुल कैसी नींद है तुम्हारी! नींद में कुछ भी होता है तुम्हे पता ही नही रहता. जाओ अपने रूम में जल्दी.

मैं भी बिना कुछ बोले नंगा ही रोते-रोते अपने रूम में चला गया. 2-3 घंटे बाद अब्बू मेरे रूम में आए. अब्बू के थप्पड़ से मेरा लेफ्ट फेस और लेफ्ट आइ सूज गये थे. उनको आता हुआ देख मैं फिरसे रोने लगा. अब्बू मेरे पास आ कर बोले-

अब्बू: सॉरी बेटा, तुमने मुझे रोका क्यूँ नही? फेस का क्या हाल हो गया है. और पीछे भी दर्द है क्या {शर्म के कारण वो गांड शब्द नही बोल पा रहे थे}?

पापा को लग रहा था उनका इतना बड़ा लंड मेरी गांड में घुस गया था. इतना बड़ा लंड इतना प्यार से कैसे जा सकता है पापा. कितने इनोसेंट हो आप सच में ( मैं मॅन में सोच रहा था).

मेरी गांड मे पहली बार इतना मोटा लंड घुसा था तो मेरी गांड में तेज दर्द हो रहा था. मेरा हाथ बार बार अपने अप मेरी गांड पर जा रहा था. अब्बू समझ गये की मेरी गांड में दर्द हो रहा होगा. क्योंकि उन्हे मालूम ही था की उनका लंड बहुत मोटा है तो अपने बेटे की गांड में घुसने पर उसे दर्द होगा ही.

सुबहा भी मेरा दर्द पूरी तरहा ठीक नही था तो अब्बू को मेरी गांड के फट जाने की चिंता होने लगी.

उन्होने किसी डॉक्टर को फोन किया और कोई बात करी. फिर मुझसे बोले.

अब्बू: मैने एक डॉक्टर से बात करी है. अभी हमे वहाँ चलना है. वो मेरा दोस्त है. बेटा ये ग़लत होता है. कहीं तुम्हारे अंदर कोई चोट ना लग गया हो इसलिए एक बार डॉक्टर को दिखाना होगा. कुछ ज़्यादा प्राब्लम तो नही हुई है. बट अब्दुल मुझे प्रॉमिस करो जो भी आज मॉर्निंग में हुआ, और अब हम दोनो डॉक्टर के जा रहे है, ये किसी को नही पता चलना चाहिए, ओके देव? अब्बू की बात मानोगे ना?

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