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VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 40
आलिंगन, चाटना और चूमना
अभिजिता मेरी जीभ चूसने लगी फिर मेरी जीभ से खेलने लगी और मैं अभिजिता की झीभ से खेलने लगा। जो मैं करता थी अभिजिता भी वही कर उसका जवाब देती थी। मैं जीभ फिराता तो वह भी वैसे ही जीभ फिरा देती थी फिर उसने मेरा ओंठ चूसा तो मैं उसका ओंठ चूसने लगा वह मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थे अभिजिता के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे। हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहे।
मैं अभिजीता के अंगो को निहारने लगा। उसका एक-एक अंग सुंदर था। उसकी सुंदर गर्दन लम्बी सुराहीदार थी, कंधे व्यापक और चिकने, चुंबन के लिए आमंत्रित करते हुए नाज़ुक गुलाबी निपल्स और सुन्दर चिकनी घाटी के दोनों तरफ़ अलग खड़े हुए और चट्टानों की तरह कठोर गौरवशाली अनार के आकार के शानदार गोल स्तन, उसकी सुंदर गोल भुजाएँ, उसकी छोटी कमर और उसके कूल्हों और नितंबों की असाधारण गोलाइयाँ। इन स्तनों की उत्तेजित और एक उभरी हुई स्थिति में इससे वह और अधिक सुंदर लग रही थी।
अभिजीता को मैंने अपनी बाहो में जकड़ लिया और उसे बहुत प्यार से बहुत देर तक अपने गले लगाया जिसमें उसने गर्मजोशी से मेरा साथ दिया। फिर मैंने उसके रसीले होंठो को चूमा और उसे मेरी खींच कर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में धकेल दी और उससे मेरे साथ भी वही करने को कहा।
उसने तुरंत अपनी प्यारी-सी जीभ निकाली और मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ के साथ खेला और उसकी जीभ को बहुत प्यार से चूसा एक हाथ से उसके प्यारी छाती को दबाया, जबकि दूसरा हाथ उसके शानदार और संगमरमर जैसे नितम्बों पर फेरते हुए, उसके बदन को अपने हाथों से अपने बदन पर दबाया, इतना कि मेरा धड़क रहा मेरा कठोर लिंग उसे चुभने लंगा। मैंने मुस्कुराते उसे अपनी गोदी में बैठाया तो वह मुस्कुरायी और मैंने देखा उसकी आँखें मेरे बेलगाम घोड़े की ओर झुक गई हैं, मेरा लंड फड़क रहा थाl
फिर रुक कर हमने कुछ सांस ली हमारे होंठ अभी भी जुड़े हुए थे। फिर दोनों ने एक लंबी सांस भरी जो इस बात का संकेत था इस बार ये किश और भी लम्बी चलने वाली है। हम दोनों चुम्बन करते-करते अपना सर घुमाने लगे जबकि मेरे हाथ उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके नितंबों पर आ गए, मैंने उसे और उसने मुझे इतनी असाधारण अंतरंगता से खींच लिया था कि ऐसा लगा कि हमारे शरीर आपस में चिपक गए थे। किसी ने भी एक शब्द नहीं बोला-वास्तव में, उस परिस्थितियों में, कुछ भी बोलना असंभव था, क्योंकि हमारी जीभ एक साथ एक दुसरे को प्रेम रस का आदान प्रदान कर रही थी, जो उसने पहले कभी नहीं किया था। अब कोई झिझक और शर्म नहीं थी और की चाह थी और मन चाह रहा था ये कभी समाप्त न हो बस चलता रहे।
रक्त जो मेरे लंड की नसों में तेजी से आ रहा था उससे लंड बहुत कड़ा हो रहा था और उसका दबाब असहनीय हो गया और मैंने उसकी आँखों में प्यार और लालसा के साथ देखते हुए उसे चूमना जारी रखा, अब उसके एक हाथ पर हाथ रखकर, अपना दूसरा हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर, मेरी आँखों में पूरा देख, वह फुसफुसायी ओह्ह्ह राजा। मैंने उसके खुले को मुंह बार-बार चूमा उसने जीभ हलकी-सी बाहर निकाली मैंने जीभ चूसी और फिर अपनी जीभ उसके मुँह में दाल कर उसके मुँह को जांचा तो वह अपनी जीभ को मेरी जीभ से मिलाने लगी और फिर मैं चुम्बन तोड़ कर रुक गया।
हमने पहला चुंबन कर लिया था और मैंने अभिजीता के गीले होठों से अपना चेहरा ऊपर उठाया। लंबे चुंबन से उसकी साँसें उखड़ गयी थीं और वह हाँफ रही थी। उसके चेहरे से लग रहा था कि उसने चुंबन का मज़ा लिया है पहले चुंबन से उसके चेहरे पर घबराहट और विस्मय के भाव भी थे। ज्योत्स्ना उस समय अपने दाएँ हाथ से ब्लाउज के ऊपर निप्पल को सहलाने और दबाने में मगन थी।
मेरी अचानक यु रुकने से वह हिल गयी वह हाफति हुई साँसे ले रही थी जबकि उसका शरीर अभी भी गर्म था और स्पंदन कर रहा था, वह और चाहती थी और इस के लिए वह अपना मुँह मेरे पास ले आयी। जीवन में पहली बार, इस बार अभिजिता को चुंबन चाहिए था और वह उस उत्साह को नहीं भूल सकती जो मेरे चुम्बन ने उसके अंदर भर दिया था। यही मेरी हालत थी। ये एक विलक्षण अनुभव था। प्यार का लासा का और कामुकता का पहला अनुभव और फिर पहला चुम्बन। मन कह रहा था ये कभी ख़त्म न हो।
उसकी अनन्त शर्म ख़त्म हो गयी थी और अब अभीजीता मुझे चुंबन करने के लिए तड़प रही थी और वह वास्तव में नहीं जानती थी कि यह कैसे या कब हुआ था, वह आखिरकार मेरे साथ सेक्स के लिए तैयार थी। उसके बाद अभीजीता ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अपना जीभ चुसवा रहा था
फिर ज्योत्सना उसके पास आयी और फुसफुसाई घबराओ मत और अपने बदन को ढीला छोड़ दो।
अभिजिता ने सर हिला दिया। उसका जवान खूबसूरत बदन मनमोहक लग रहा था।
गुरुजी--अभीजीता अपनी आँखें बंद कर लो। मन में किसी शंका, किसी प्रश्न को आने मत दो। कुमार तुम्हारे साथ जो भी उसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया दो। ठीक है?
अभिजीता ने सर हिलाकर हामी भर दी। इस तरह उसने मुझे अपने खूबसूरत अनछुए बदन से खेलने की खुली छूट दे दी।
अब मैं उसे ग़ौर से देख रहा था और उसके स्तन और चूचक कड़े हो उठ गए थे और वह बहुत आकर्षक लग रही थी। उसकी तनी हुई चूचियाँ, सपाट गोरा पेट, पतली कमर और फिर बाहर को फैलती हुई गोल घुमावदार गांड बहुत लुभावनी लग रही थी।
मैंने अभिजिता के दोनों तरफ़ हाथ रख लिए और उसके चेहरे पर झुक दोनों कानों को धीरे से चूमा। अभिजिता के बदन में कंपकपी दौड़ गयी। फिर मेरे होंठ उसके गालों से होते हुए उसकी गर्दन पर आ गये और फिर उसकी गर्दन को चूमने लगा। अभिजिता हाँफने लगी और उसकी टाँगें अलग-अलग हो गयीं।
उसके बाद मैंने अभिजिता के हाथों को चूमा। अपने होठों से एक-एक करके दोनों बाँहों को कांख तक चूमा। कांख को चाटा तो अभिजिता गहरी साँसें लेने लगी।
अभिजिता की अनार जैसी चूचियाँ ठीक मेरी आँखों के सामने थीं। मेरे हाथ उसकी खूबसूरत गर्दन, गोर चिकने मुलायम बदन को सहला रहे थे, धीरे-धीरे नीचे की तरफ़ उसके स्तनों की तरफ़ सरक रहे थे।
फिर मैंने चूचियों पर घी और शहद लगाया, उन्हें चूमा और फिर चाटने लगा।
वह योनि मुद्रा में बैठ गयी और मैंने बिखरे बालों के साथ, उसके दाए क्रॉस-लेग्ड बैठ कर उसके स्तनों को सहलाना शुरू किया। मैंने उसकी योनि को नारियल के जल से धोया और। मैंने उसके ऊपर फूल चढ़ाये, उसके कोमल बदन पर स्तनों और योनि पर चंदन का लेप किया और फिर योनि पर तिलक लगा कर गुरूजी ने जो मन्त्र बोले उन्हें दोहराया।
फिर मैंने अपने होंठ अभिजिता के नाज़ुक होठों पर रख उसका चुंबन लेने लगा। उसके बाद अभिजिता ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अपना जीभ चुसवा रहा था।
मैंने अपने होंठ अभिजिता के कान और गर्दन से छुआ दिए और उसके सुडौल नितंबों को अपने बदन से दबा दिया। अब मुझे कुछ और अधिक चाहिए था यानी मुझे अब उसकी चूचियाँ चाहिए थी। अब तक वह बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने अपनी बाँहों को थोड़ा अंदर को खींचा और उसने अपने कोहनिया अलग की ताकि मैं उसकी चूचियों को पकड़ सकू।
तभी मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबा दी। वह गहरी साँसें ले रही थी और मैं आगे ऐसे धक्के लगा रहा था जैसे मैं उसे चोद रहा होऊँ। उसकी उभरी हुई गांड में लगते हर धक्के से उसकी योनि गीली होती जा रही थी। साथ में मेरे हाथ उसकी चूचियों को दबा रहे थे। वह भी इस छेड़छाड़ का जवाब देने लगी थी और धीरे से अपने नितंबों को हिलाकर मेरे लंड को महसूस कर रही थी।
कहानी जारी रहेगी