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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-256
VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 39
आलिंगन, देह स्पर्श, चाटना और चूमना
जब मैं उसे चूमता हुआ ऊपर को बढ़ रहा था तो ये अंदाजा लगा कर की मैं आगे क्या करने वाला हूँ उसने थोड़ी-सी टाँगें खोल दी। मैंने थोड़ा ज़ोर लगाकर अभिजिता की नंगी टाँगों को फैला दिया और उसकी गोरी जांघों के अंदरूनी भाग को चाटने लगा।
मैं उसकी जांघों के ऊपरी भाग से चंदन को चाट रहा था। मेरा मुँह अभिजीता की योनि के बिल्कुल पास पहुँच गया था और वह बहुत असहज महसूस करते हुए फ़र्श पर अपने बदन को इधर उधर हिला रही थी। मेरी जीभ उसकी जांघों के सबसे ऊपरी भाग में योनि के थोड़ा नीचे घूम रही थी। उस सेंसिटिव हिस्से में एक मर्द की जीभ और नाक लगने से कोई भी औरत उत्तेजना से बेकाबू हो जाती। अभिजिता का भी वही हाल था और वह ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी थी।
अभिजिता--उहह! आआहह। उफफफफफ्फ़!
मैंने अभिजिता की योनि के आस पास मुँह, जीभ और नाक लगाई लेकिन उसके गुप्तांग को नहीं छुआ और फिर उसकी नाभि से चंदन चाटने लगा। अब अभिजिता की नाभि और चिकने पेट पर मेरी जीभ लगने से वह बहुत उत्तेजित हो गयी और ज़ोर से सिसकने लगी। वह दृश्य ऐसा ही था जैसे लड़की बेड में नंगी लेटी हो और उसका pati या प्रेमी चुदाई करने के लिए धीरे-धीरे उसकी टाँगों से उसके बदन के ऊपर चढ़ रहा हों।
अपनी आँखों के सामने ये सब होते देखकर अब ज्योत्स्ना की साँसें भी भारी हो गयी थीं और उसकी ब्रा के अंदर चूचियाँ वैसी ही टाइट हो गयी थीं जैसी चुदाई के दौरान मसलने से हुई थीं। उधर मंत्रोचरण जाप चालू था ।
मैंने अब तक अभिजिता का पेट पूरा चाट लिया था। मैं जैसे-जैसे ऊपर को बढ़ता जा रहा था, अपने बदन को अभिजीत के ऊपर खिसकाता जा रहा था। हर एक अंग को चाटने के बाद उस अंग को चूमता और फिर ऊपर को बढ़ जाता। ज्योत्स्ना और अभिजीता वही मंत्र बुदबुदा रही थी जो कुछ मिनट पहले उन्हें गुरुजी ने दिया था। लेकिन जब कोई मर्द किसी लड़की के बदन को चाट रहा हो तो उसका ध्यान किसी और चीज़ पर कैसे लग सकता है? फिर मैं उसके स्तनों की बजाय उसके कंधों और गर्दन से चंदन को चाटने लगा और फिर उसके चेहरे पर आ गया। अब उसका नाज़ुक बदन मेरे नंगे बदन के नीचे पूरा आ गया था। मैंने माथे को चाटना शुरू कर दिया।
अभिजीत कराह रही थी। आह्हः! उम्म्म्म!।
गुरुजी--ज्योत्सना, अनुराधा मंत्रो का जाप कर रहे थे।
मैंने माते की चूमने चाटने के बाद उसकी आँखों को चूमा फिर अभिजिता के गालों को चाटने लगा। से अभिजिता की उत्तेजित और फूल चुकी नुकीली चूचियाँ मेरी छाती के नीचे पूरी तरह से सटी हुई थीं। । उसकी चूची थोड़ा मेरी छाती में चुभ रही थी । मैंने अभिजिता के बदन के ऊपर अपने बदन को ऐसे एडजस्ट किया हुआ था मेरा लंड ठीक अभिजिता की योनि के ऊपर था। जिस तरह से अभिजीत कांप रही थी उससे साफ़ जाहिर हो रहा था कि एक मर्द के साथ सटने से, चूमने और चाटने से वह बहुत कामोत्तेजित हो गयी थी।
ज्योत्स्ना फ़र्श पर बैठी हुई थी और मैं क्या कर रहा था बहुत गौर से देख रही थी। मैंने अपने हाथो से उसके बालो को पकड़ कर उसे अपने पास खींचा फिट दोनों हाथों में अभिजिता का चेहरा पकड़ लिया। उसकी आँखें बंद थी। फिर अपने मोटे होंठ अभिजिता के नाज़ुक होठों पर रख दिए. मैं अभिजिता का चुंबन ले रहा था। शुरू में वह हिचकिचा रही थी फिर जब मैंने अपनी जीभ उसके पंथो पर फेरी और ओंठो पर दबा कर अंदर धकेली तो उसने ओंठो को खोल कर जीभ को अंदर जाने दिया और मेरे आगे आत्मसमर्पण कर दिया।
वो चुंबन धीमा पर लंबा था। सब वहीं पर बैठकर सूखे गले से ये सब देख रहे थे, मेरी नजर ज्योत्स्ना पर गयी तो उसके भाव देख मुझे लगा की उसका भी मन हो रहा था कि मैं उसे भी ऐसे ही चूमु। वो अपने सूखे होठों पर जीभ फिरा रही थी। और उसने मुझे देखते हुए देखा तो अपने बैठने की पोज़िशन एडजस्ट करते हुए थोड़ी-सी टाँगें खोल दीं और साड़ी के ऊपर से अपनी चूत सहला और खुजा दी।
मेरा चुंबन लम्बा था और चल रहा था । मैंने अभिजिता को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँहों में जकड लिया उसके नरम मुलायम बूब्स का मेरी छाती से दबने लगे मैं अपने आनंद को बयाँ नहीं कर सकता, मैंने उसका मुँह चूमा और लिप किस करि। मैंने एक सांस ली और उसके नरम गुलाबी मुँह को प्यार से चूमा। मैंने उसे अपने से चिपका लिया और वह भी मुझसे लिपटने लगी। जब मैंने अपनी जीभ उसके होठों के बीच खिसकाई, तो मेरा लंड उसकी जांघों के बीच जा कर ऐसे भड़कने लगा की उससे पहले मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया था।
मेरे हाथ उसके बालों में घुस गए और उसने महसूस किया कि उसके स्तन सख्त हो गए हैं और उसके निप्पल कड़े हो गए हैं। उसकी त्वचा की गर्माहट और मेरे पर पड़ते हुए उसके बदन के दबाब ने अहसास करवा दिया कि उसका शरीर मेरे उन मर्दाना पहलुओं को पसंद करता है। मेरी जीभ ने उसके दांतो को ब्रश किया और उसकी जीभ की एक मीठी चूमि लेकर मेरी जीभ वापस लौट आयी उसकी हर तंत्रिका में आग लग गई वह और अधिक चाहती थी।
मेरे हाथ अभिजिता के लंबे भूरे बालों में दफ़न हुए उसके सिर के पीछे थे, उसकी बाँहें मेरे शरीर के चारों ओर थीं और वह मुझ से चिपकी हुई थीं।
पहले चुंबन के बाद में जब मैंने उसे फिर से चूमा तो उसके होंठ बंद हो गए, लेकिन एक पल बाद ही उसने चुंबन में भाग लिया और धीरे से, धीरे से, चुंबक से खींचती हुई उसकी रसीली जीभ मेरे मुंह में आ गई और उसके गले से जो रस निकला उसे मैं पि गया और वह मेरी साँसों को पीने लगी। किस करने के दौरान शरीर की सुगंध से लोग एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे।
किस के दौरान भावनाओं का सैलाब शरीर के अंदर उमड़ने लगा। इसके अलावा शरीर में उत्तेजना के स्तर को बढ़ाने के लिए भी किस काफ़ी करगार साबित हुआ।
उसके बाद मैंने उसे पकड़ कर किस किया तो उसने वापिस मेरे होंठो को किस किया और अपने मुंह को मेरे मुंह से लगा दिया और मैं उसके ओंठ चूसने लगा और वह-वह मेरे ओंठ चूसने लगी और मैं उसके ओंठ चूसने लगा थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा फिर उसने अपना मुंह थोड़ा-सा खोला और मेरी जीभ उसके मुंह में चली गयी।
अभिजिता मेरी जीभ चूसने लगी फिर मेरी जीभ से खेलने लगी और मैं अभिजिता की झीभ से खेलने लगा। जो मैं करता थी अभिजिता भी वही कर उसका जवाब देती थी। मैं जीभ फिराता तो वह भी वैसे ही जीभ फिरा देती थी फिर उसने मेरा ओंठ चूसा तो मैं उसका ओंठ चूसने लगा वह मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थे अभिजिता के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे। हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहे।
कहानी जारी रहेगी