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VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 49
रानीयो के साथ कामक्रीड़ा
चित्रा और मिताली जोर से कराहती हुई एक साथ झड़ गयी और मेज से नीचे उत्तर कर लेट गयी और फिर उस हाल में जल रहे सभी दीपक बुझ गए और घुप्प अन्धेरा चा गया। मैं सोच ही रहा था कि अब आगे क्या की कक्ष में थोड़ी रौशनी हुई ओर एक दिशा में कुछ स्त्रियों के झुण्ड के पास रौशनी हो गयी ।
वो झुण्ड जिसमे 9-10 महिलाये थी धीरे-धीरे मेरी और बढ़ने लगा, सब महिलाये के चेहरे पर छोटा-सा नक़ाब था जो पारदर्शी था फिर भी उनका चेहरा छुपा रहा था । सब की सब स्त्रियाँ लगभग नग्न थी । केवल वैसी ही छोटी-सी नाममात्र की धोती पहने हुए थी जैसी मुझे पहनाई गयी थी । जो केवल उनके योनि क्षेत्र और नितम्बो को ढक रही थी मैंने पहले भी नीचे बंधी हुई लो-वेस्ट धोती या साड़ी के कई स्टाइल देखे थे। लेकिन यह बहुत छोटी थी क्योंकि मैं साड़ी लाइन के नीचे दोनों तरफ शुरू होने वाले कमर के वी को देख सकता था। यह काफी खतरनाक रूप से नीचे बंधी हुई थी। और ऊपर भी स्तनों पर छोटी-सी नाममात्र की कंचुकी बंधी हुई थी ।
मैं उन सभी महिलाओं की पेल्विक हड्डी के साथ-साथ उनका पूरा मध्य भाग भी देख सकता था। यहाँ तक की उनकी जानते के न बाल के शीर्ष स्पष्ट थे जिन्हे एक ही कॉलम में काटा गया था। कुछ महिलाओं की लंबाई अन्य महिलाओं की तुलना में छोटी थी। लेकिन कुछ के पेट के आसपास इतनी चर्बी थी कि उनकी नाभि सुंदर, गहरी और गहरी हो गई। गदराये बदन, मासूम भोले चेहरे, झील-सी गहरी बड़ी-बड़ी आँखो वालिया, सुंदर गर्दने, सुंदर और हल्के चौड़े से कंधे, बड़े-बड़े, मोटे-मोटे और गोल तने हुए स्तन, समतल पेट, गहरी नाभिया, कुछ पतली कमरे, सुडौल, बड़े और गोलाकार चूतड़, मांसल चूतो का तिकोना कटाव, हल्की मोटी और चिकनी जांघें । सुंदर चिकनी टाँगे, लगभग सब ने अलग-अलग तरह से सुंदर गहने जिनमे कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ और गले में एक बड़ा-सा हार और कमर में कमरबनध और पैरो में पाजेब शम्मिल थी। कुछ ने सर पर चूड़ामणि पहना हुआ था ।जो इस बात को इंगित करती थी की वह महिलाये विवाहित थी ।
फिर रानी माँ कमरे के बीच में आई और हाथ जोड़कर कमरे में मौजूद सभी लोगों का अभिवादन किया। फिर उन्होंने मेरी ओर देखा,। वह मेरे बगल में आई और मेरे कंधे पर हाथ रखा और गर्व से मुस्कुराई। वह न सिर्फ खूबसूरत थी, बल्कि उनका शरीर बेहद गर्म था। उनकी कंचुकी और कमर पर साड़ी की लाइन के ऊपर तक की दूरी 18 इंच से भी अधिक थी ।
मैं रानी माँ के पास गया और उनका नक़ाब हटाया तो मैंने देखा वह मेरी सासु माँ चित्रां देवी थी । मैं चौंक गया ओर उनके चरण स्पर्श कर उन्हें प्रणाम किया । सासू माँ ने आशीर्वाद देते हुए अपनी साडी और कंचुकी को खोला दिया और फर्श पर गिरा दिया। क्या नजारा था! सासु माँ चित्रा देवी अपने खूबसूरत नितम्ब, योनि करिकों और स्तन प्रदर्शित कर रही थी।
मैं उनकी पूरी कमर, गहरी नाभि, उसके प्यारे स्तन और कमर की हड्डियाँ और उनकी झांटो के थोड़े से बाल, सब एक ही नज़र में देख सकता था। यहाँ तक कि उसकी कमर पर नाभि के ठीक ऊपर एक पतली सोने की चेन भी थी जो उसे और भी सेक्सी बनाती थी। मेरा लंड एक डीएम से खड़ा हो कर तन गया था और मुझे बहुत ऐसे नग्न होना और साथ ही उन्हें अपने सामने ऐसे नग्न देखना बहुत अजीब लग रहा था।
सासु माँ चित्रा देवी बोली-कुमार आपका हमारे परिवार में स्वागत है । तुमने जिन अप्सराओ की कहानी सुनी है हमारा परिवार उन्ही का अंशज है। गुप्त रूप से हमारे परिवार की स्त्रियाँ परिवार में उन्मुक्त रूप से संसर्ग करती है इसलिए ये अवसर है आपका दुल्हन के परिवार के साथ घुलने मिलने का । अब तुम सब के साथ उन्मुक्त हो प्यार कर सकते हो इससे तुम्हारा और परिवार की सभी स्त्रियों का तुम्हारे साथ लगाव बढ़ेगा और फिर मुझे उस झुण्ड के बीच में ले गयी और मुझ से बोली अब तुम अपने हाथो से सब स्त्रियों के नक़ाब, धोती और कंचुकी निकालो और फिर मैंने जब उन स्त्रियों के नक़ाब निकाले तो इनमे थी सासु माँ चित्रा देवी के अतिरिक्त अनुपमा भाभी, विजया, जूही भाभी, मेरी ऐश्वर्या भाभी, ज्योत्सना की कुछ सहेलिया ।
विजया भी बेहद हॉट थीं। उसका सुडौल शरीर और विशाल मोटे स्तन थे, जिनमें से प्रत्येक स्तन का वजन शायद 2.5 किलोग्राम था। उसके लव हैंडल-निपल्स मोटे थे, उसकी कमर और नितंब बिल्कुल सही आकार के थे और गोल आकृति वाले थे-बैरल के आकार के कूल्हों की तरह नहीं जो मोटी महिलाएँ प्रदर्शित करती हैं।
महिलाएँ एक-दूसरे के विपरीत सामने बैठीं और वे पीछे झुक गईं और अपने पैरों को "वी" आकार में फैलाते हुए वे कैंची की स्थिति में और एक-दूसरे के करीब आते हुए इन वजनों को अपने हाथों की हथेली पर रख लिया।
आख़िरकार, उनकी योनियाँ एक-दूसरे को छू गईं और अपनी जगह पर लॉक हो गईं। हल्की-सी चूसने की आवाज क्योंकि योनि के दोनों गीले होंठ एक-दूसरे से रगड़ रहे थे जिससे वैक्यूम घर्षण पैदा हो रहा था। महिलाएँ अब और पीछे झुक गईं और अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं उनके बीच गया प्रत्येक महिला के एक स्तन को अपने हाथ में पकड़ लिया। मैंने उनके स्तनों को सहलाया और उनके निपल्स से खेला।
सासु माँ ने पीछे से मेरे अंडकोष को अपने मुँह में डाल लिया जबकि विजया ने लिंग को उसके मुँह में डाल दिया। मैंने धीरे-धीरे उनके मुंह में पंप करना शुरू कर दिया, जबकि महिलाएँ अपनी योनि के साथ कूल्हों को पीस रही थीं, 'फफुप' 'फफुप' 'फफुप' ।
सभी महिलाओं ने कुछ समय तक मेरे लंड को चूसकर उसके साथ खेला और फिर वे बारी-बारी से मेरे लंड पर चढ़ गईं।
जारी रहेगी