एक नौजवान के कारनामे 267

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2.5. 50 साले की पत्नी के साथ कामक्रीड़ा
1.6k words
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Part 267 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-267

VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 50

साले की पत्नी (रानी) के साथ कामक्रीड़ा

फिर साले की पत्नी रानी अनुपमा आयी तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसका शरीर हल्का गुलाबी था... जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके बड़े-बड़े नयन मुझे एकटक देखे जा रहे थे। उसने मुझे पीने के लिए एक पेय दिया जिससे मेरे शरीर के अन्दर एक गजब-सा शक्ति संचार हो गया।

अनुपमा के सुनहरे घने बाल उसकी गांड तक फैले हुए थे और हवा में लहरा रहे थे।

उसके लाल सुर्ख बड़े-बड़े होंठ थे। उसके गले में सोने का हार था। गर्दन किसी सारस की भांति पतली और खूबसूरत थी। उसके स्तन बड़े-बड़े चुस्त एवं कसे हुए थे। निप्पल ऐसे, जैसे कोई काला बड़ा अंगूर हो। कमर छरहरी और नाभि में रिंग पहनी थी।

उसके स्तन के निप्पल पर सोने की रिंग थी... कमर पर सोने की हार था, जो उसकी चूत को ढके हुए था।

उसने नृत्य करना शुरू कर दिया। उसके कूल्हे हिल रहे थे और उसके स्तन उछल रहे थे। उसकी हर चाल और ठुमक से मेरा लंड एक बड़ा तंबू बना रहा था।

कुछ ही सेकंड में मेरा लंड घोड़े की तरह होने लगा। यह मेरे हाथ से भी लंबा और चौड़ा हो गया जिस पर बड़ी-बड़ी नसें दिखाई दे रही थीं।

वह मेरे पास आई और मैंने उसकी कमर पकड़ ली। मैंने उसकी कमर को चूमना और चाटना शुरू कर दिया।

उसकी प्यारी मोहक-सी कराह निकली-आहह ह्ह्ह्ह्... आहह हह!

उसने पीछे से मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी कमर पर दबा दिया। मैंने कमर को चाटा और चूसा, मैं उसकी नाभि और उसकी कमर काटने लगा। मैंने उसकी बड़ी-सी गांड को पकड़ लिया और उस जन्नत की हूर जैसी अनुपमा भाभी की गांड को निचोड़ने-सा लगा।

मैंने अनुपमा भाभी के होंठों के साथ खेलना शुरू कर दिया, अपनी उंगली उसके मुँह में डाल दी। उसने मेरी उंगली चूस ली और मेरे होंठ उसके लाल होंठों में शामिल हो गए.

हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। अनुपमा भाभी के होंठ बड़े ही रसीले थे। मैं उसके होंठों को काट रहा था और वह मेरे मुँह में अपने होंठ दिए कराहती रही 'आहह हह-हह ह्ह...' उसके लाल होंठ मैं चबाने-सा लगा।

मैंने अपनी जीभ अनुपमा भाभी के मुँह में डाली।मैंने उसके रसीले होंठों को अपने दांतों के बीच निचोड़ा और उसके होंठों को बाहर की तरफ खींचा।

भाभी के मुँह से बड़ी-सी कराह निकली-आहह हह! उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।

हम दोनों की जीभ आपस में लड़ने लगीं... हम एक दूसरे की जीभ का स्वाद लेने लगे। कभी अनुपमा भाभी मेरे मुँह के अन्दर जीभ डालकर मेरे मुँह का रसपान करती, तो कभी मैं। हम दोनों एक दूसरे के रसभरे ओंठो का रसपान करते रहे इस बीच एक दूसरे के शरीर का शरीर के घर्षण का आनन्द ले रहे थे।

अनुपमा भाभी मेरी छाती पर उसके दाए स्तन को दबा रही थी। मैं उसके बड़े खुले स्तन की मालिश करने लगा। फिर मैंने उसकी स्तन की दरार को चाटना शुरू कर दिया। मैंने अपनी जीभ को निपल्स के चारों ओर लपेट लिया और उसे चूसकर काटा। इसी के साथ मैंने दूसरे स्तन को निचोड़ना शुरू कर दिया।

अनुपमा जोर से कराह उठी 'आहह हह ह्ह्ह मास्टर धीरे... दर्द होता है!'

भाभी भी अत्यंत जोश में आ चुकी थी और मुझे अपनी ओर खींच रही थी और मुझे जोश के साथ मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

मैंने अनुपमा भाभी के निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच खींचा और वह मेरे मुँह में कराह उठी 'आहह ह्ह् आहह ह्।'

मैंने फिर से अनुपमा भाभी के स्तनों को चूमा, उसके एक स्तन पर काट लिया और उसके निपल्स को अपने दांतों के बीच खींच लिया।

उसने मेरे लौड़े को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया। अनुपमा भाभी की कोमल और बड़ी-बड़ी उंगलियाँ मेरे लौड़े को पकड़कर मालिश करने लगीं। मैंने लंड उसकी जलती हुई गर्म गीली चूत पर रख दिया और शरीर आपस में रगड़ने लगे हुए थे।

मेरा लंड अनुपमा भाभी की चूत के होंठों के बीच रखा हुआ था और हम पागलों की तरह योनि और लंड को रगड़ रहे थे। इस रगड़ और घर्षण से उसकी चूत गीली होने लगी। उसके मुँह से जोर से कराह निकली ' आहह मास्टर... ह्ह्ह्ह् आहह हाँ मास्टर!

मैंने अनुपमा भाभी के होंठों को चूमा और अपना लंड उसकी चूत के छेद के ऊपर रख दिया और मैंने लंड को उसके अन्दर धकेल दिया।

उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह कसी हुई थी। अनुपमा भाभी की चूत की दीवारों ने लंड को ऐसे जकड़ लिया, जैसे कोई रेशमी मुट्ठी हो। मेरे लौड़े और उसकी चूत की दीवारों का घर्षण शुरू हो गया। इस घर्षण से जो सुख प्राप्त हुआ, वह अति आनन्द देने वाला था।

जैसे ही मैंने सुपारे को उसकी चूत से सटाया, वैसे ही अनुपमा भाभी ने अपनी साँसें रोक ली और अपने मुंह को पूरी ताकत से बंद कर लिया।

मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया।

मेरा लौड़ा धीरे-धीरे अनुपमा भाभी की चूत की गहराई में जाने लगा। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, अपनी टांगों को मेरे गांड पर दबाया, मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में धीरे-धीरे समाने लगा ।मेरा लौड़ा पूरा उसकी चूत के रस से गीला हो चुका था। फिर मैंने अपने लौड़े को ऊपर की तरफ खींचा और फिर से अन्दर धकेला।

लंड का सुपारा थोड़े से अवरोध के बाद अंदर गया.

अभी लंड मुश्किल से 3 इंच ही अंदर गया था कि आगे का रास्ता किसी चीज़ ने रोक लिया था।

लगा वो बहुत दिनों बाद चुद रही थी और इतने इस दिन से चुदाई न होने से चूत की माँसपेशियाँ से जुड़ गई थी।

मैंने लंड बाहर निकाला और हल्के धक्के के साथ अंदर करने की कोशिश की लेकिन इस बार भी लंड अंदर नहीं गया।

दो-चार बार लंड अंदर करने की कोशिश की मैंने ... लेकिन सफलता नहीं मिली बल्कि हर धक्के पर नीतू के चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आती।

अनुपमा भाभी ने चुदास से तड़पते हुए कहा- तुम एक बार में ही पूरा घुसा दो।

मैंने अनुपमा भाभी को समझाया- इससे तुमको बहुत तकलीफ होगी।

अनुपमा भाभी ने कहा- मैं सह लूंगी।

मैंने भी लंड बाहर निकाला लेकिन उतना की सुपारा अभी भी अंदर था और पूरी ताकत से धक्का लगा दिया।

पचक की आवाज के साथ इस बार लंड करीब पांच इंच अंदर था.

अनुपमा भाभी अपने मुंह को जोर से दाबे हुए मेरे लन्ड के वार को झेल गई लेकिन दर्द और चूत पर पड़े तनाव की वजह से उसका चेहरा लाल पड़ गया था।

अंदर मेरे लंड का चूत की तपिश से बुरा हाल हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि लंड किसी भट्टी में डाल दिया हो।

उसका चेहरे पर दर्द के भाव देख मन किया कि रुक जाऊं ... लेकिन जितना मैं देरी करता, उतना ही उसे उतना ही दर्द होता.

इसलिये मैंने इस बार पूरा लंड डालने का निश्चय किया।

मैंने लंड बाहर निकाला और पूरी ताकत से लंड उसकी चूत में पेवस्त कर दिया।

मेरे धक्के से नीतू के मुंह एक तेज़ आह्ह की निकल गई जिसे उसने अपने मुंह दाब कर रोकने की पूर्ण कोशिश की थी।

मेरा लम्बा मोटा लंड पूरा उसकी चूत में फिट हो चुका था।

कुछ देर मैं बिना किसी प्रतिक्रिया के वैसे ही रुक रहा।

फिर कुछ समय बाद मैं अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करते हुए प्यार भरे धक्के लगाने लगा।

उसके मुँह से कराहने की आवाज आने लगी 'आअअ मास्टर आआह इइइ.'

मैंने धीरे-धीरे गति बढ़ाना शुरू की। मैंने अनुपमा भाभी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उसका रस पान करने लगा।मैं लंड को चुत में अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा। फिर मैंने उसे और तेजी से चोदना शुरू कर दिया। उसकी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म थी।

उसकी गर्म और गीली चूत के अन्दर मेरा लौड़ा किसी गर्म इंजन के पिस्टन की भांति जो पूरी तरह गीला हो, अनुपमा भाभी की चूत में तेजी से अन्दर बाहर होने लगा। आह आहह-आहह ह् मास्टर!

मेरे धक्कों से लंड अनुपमा भाभी की चूत पर मारने से थप-थप थप थप की चुदाई की आवाज जोर-जोर से उस हाल में गुंजायमान थी। हम दोनों धीरे-धीरे चरम सुख की ओर बढ़ते जा रहे थे ।

मैंने उसे कुतिया बनने का इशारा दिया।

वह कुतिया की पोजीशन में आ गई.फिर मैंने अपना लौड़ा अनुपमा भाभी की चूत के छेद में टिकाया और जोर से पेल दिया। मेरा मोटा लम्बा लंड एक झटके में चुत में घुसा तो उसकी आह निकल गई. मैं जोर-जोर से उसकी चूत चोदने लगा। फिर मैंने हाथ आगे से डालकर उसकी चूचियाँ पकड़ लीं और चूचुक मसलने लगा।

कुछ देर बाद अनुपमा भाभी भी इसका आनन्द लेने लगी और कहने लगी-आह मास्टर ऐसे ही करो और तेज करो... आहह हह-हह...!

फिर मैंने अनुपमा भाभी से कहा-अब तुम मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े की सवारी करो। मैंने लंड बाहर निकाला और वह उठी और मेरे लौड़े पर आकर उसने अपनी चूत को लंड से लगा लिया।

लंड अन्दर लेते ही अनुपमा भाभी जोर-जोर से मेरे लौड़े की सवारी करने लगी।

मैंने अनुपमा भाभी की चूचियाँ अपने हाथ में लेकर निप्पल को बाहर को खींचा।

हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे।

मैंने उसे गोदी में उठाया, अनुपमा भाभी ने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिए, मैं उसे किस करने लगा और लंड अंदर डाले ही उसे कुछ बार ऊपर नीचे किया और उसकी चूत जोर-जोर से मारने लगा और फिर उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत और लौड़ा जोर से डालकर उसे और जोर-जोर से चोदने लगा। हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे। हम दोनों एक साथ चरम सुख को प्राप्त हुए.

मेरा वीर्य अनुपमा भाभी की चूत के अन्दर बहने लगा और उसका पानी भी छूट गया। मेरा वीर्य और उसकी चूत का पानी मिल कर उसकी जांघों से होकर नीचे बहने लगा। हम दोनों चरम सुख को प्राप्त करने के बाद एक दूसरे की बांहों में बांहें डाले हुए पड़े रहे अभी भी मेरा लौड़ा उसकी चूत के अन्दर पड़ा हुआ था।

मैंने उसे प्यार से चुंबन किया

जारी रहेगी

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