Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-275
VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 59
मेरे पौरुष की जांच
मैंने आश्रम में ड्रेस के तौर पर पहने जाने वाली सफ़ेद धोती पहन ली फिर मेरी कुटिया में एक सेवक आया और ज्योत्सना और मेरी और देखते हुए कहा,
"कुमार हमने महारानी जी और रानी जूही जी का भी परीक्षण किया है। गुरूजी ने आपको अपनी कुटिया में बुलाया है जहाँ वह आपके शरीर का परीक्षण करेंगे और जांचेंगे कि आप बच्चा पैदा करने में सक्षम हैं या नहीं।"
ये मुझे चौकाने वाला था क्यंकि मैं सूरत में मेरी कार के चालक की पत्नी आशा की गर्भवती कर संतान उतपन्न कर चूका था । मुझे पता था की महागुरु अमरमुनि जी को ये राज ज्ञात था और मैं ये भी जानता था की कई बार पुरुषो में संतान होने के बाद स्पर्म काउंट कम हो जाता है इसलिए मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं थी । (इस बारे में आप इसी विस्तार से इसी कहानी के CHAPTER-1 उपहार के भाग 1से 3 में पढ़ सकते हैं)
"कुमार" तभी ऋषि मेरी कुटिया में आये और कहा, "बच्चे को जन्म देने के लिए हमें यह जानना होगा कि आप स्वस्थ हैं। यह जानने के लिए कि हम आपके वीर्य का रंग, वीर्य की मात्रा, चिपचिपाहट और जिस बल से आप स्खलन करते हैं उसका परीक्षण करेंगे, फिर हम एक निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।"
फिर हम दोनों कुटिया के पास से होते हुए आश्रम के पिछवाड़े में चले गये, जहाँ अनगिनत झोपड़ियाँ थीं। हम एक झोंपड़ी में दाखिल हुए और मैंने एक महिला को कुछ पढ़ते हुए देखा।
" कुमार! यह सुनीता है। वह मेरे अधीन अभ्यास करने वाली एक चिकित्सक है और वह आपके वीर्य का परीक्षण करने में हमारी मदद करेगी।"
सुनीता मुझे देखकर मुस्कुराई।
"आपका क्या मतलब है गुरूजी?" मैंने पूछा।
धीरे से मुस्कुराते हुए, ऋषि ने उत्तर दिया, "सुनीता वीर्य विश्लेषण की कला में प्रशिक्षित और विशेषज्ञ है, वह पुरुष की क्षमता और अन्य किसी भी कमी या विशेषता की पहचान करने के लिए गंध, स्वाद और स्पर्श की अपनी भावना का उपयोग कर सकती है। इसलिए उसकी उपस्थिति को लेकर शर्मिंदा न हों और इसे आप उस परीक्षण का हिस्सा मानें जो हम आप पर कर रहे हैं।"
मैंने सुनीता की ओर देखा। मैं अपनी नज़र उसकी सुंदरता से नहीं हटा सका। सुनीता जो मेरे सामने खड़ी थी, वह किसी शाही खानदान से लग रही थी। उसने गुलाबी रंग का रेशमी ब्लाउज पहना था जो उसकी छाती से चिपक रहा था और उससे मेल खाती हरे रंग की रेशमी धोती पहनी हुई थी।
सुनीता ने मोतियों से बना हार और झुमके पहने थे। उसके बालों को करीने से पीछे की ओर कंघी किया गया था और एक जूड़े से बाँधा गया था। उसकी अंगुलियों में चांदी की अंगूठियाँ और पैरों में पायलें थीं, जो कदम बढ़ाते ही बजती थीं। साधारण समय में मेरा लंड ऐसे सुंदर महिला को देख कड़ा हो जाता पर आज परिस्तितिया अलग थी ।
ऋषि ने उससे पूछा, "सुनीता, क्या तुम कृपया कुमार का वीर्य इकट्ठा करने के लिए बर्तन ला सकती हो।"
ऋषि के बोलते ही मैंने उसे घूरना बंद कर दिया। सुनीता एक अन्य झोपड़ी के अंदर चली गई और फिर
ऋषि मेरी ओर मुड़े। "कृपया क्या आप धोती से बाहर निकलेंगे?"
"लेकिन गुरूजी, मैं एकअपरिचित महिला के सामने ऐसे कैसे अर्धनग्न हो सकता हूँ?"
मुझे आश्रम में आश्रम कर्मी महिला सुनीता के सामने नग्न होने में कुछ संकोच हो रहा था।
" इसमें कुछ ग़लत नहीं है कुमार? वह जांच में आपकी मदद के लिए यहाँ है। जांच के लिए और उसकी मदद करने के लिए ये सुनिश्चित करना आवश्श्यक है कि कहीं आप में कोई कमी तो नहीं है इससे कोई संशय बाकी नहीं रहेगा और इसका एकमात्र तरीका उसे उसके कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति देना है और इसी के लिए आप अपनी धोती उतारना चाहते हैं।"
मेरे चेहरे पर अब भी दुविधा बनी हुई थी। यह देखकर ऋषि ने आगे कहा,
"उसे एक महिला के रूप में मत समझो, आप स्वयं भी एक चिकित्सिक हैं और आज कल आप जानते हैं की चिकित्सा से पहले इस तरह की तकनिकी जांच करवाना संभव है और तकनीक है तो उसका उपयोफ करना चाहिए । आप सुनीता को एक चिकित्सक के रूप में सोचो जो तुम्हें बच्चा पैदा करने में मदद कर रही है।"
मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और बात भी सही थी मैंने सिर हिलाया। जल्द ही सुनीता कांच का एक छोटा बर्तन लेकर अंदर आई।
"तो कुमार, हम आपके वीर्य को इस बर्तन में इकट्ठा करना चाहते हैं और फिर आपकी स्थिति का आकलन करने के लिए इसका विश्लेषण करना चाहते हैं, इसलिए... "
ऋषि ने कुछ नहीं कहा और मेरी धोती की ओर देखा। वह समझ गया कि ऋषि क्या चाहते हैं। सुनीता की ओर देखे बिना, मैंने अपनी धोती उतार दी।
मैंने अभी भी अपना सिर नीचे झुकाया हुआ था क्योंकि मुझे सुनीता और ऋषि दोनों को देखने में शर्म आ रही थी। ये मेरे मन में ऋषिवर के लिए सम्मान के कारण था, लेकिन सुनीता की नज़र सीधे मेरे लंड पर थी, जो नरम और सुप्त (सोया हुआ) था व आँखे फाड़े मेरे लंड को देख रही थी जो मेरी शर्म के कारण सोते हुए भी लगभग 5 इंच लम्बा लग रहा था।
"लगता है आप घबरा गये हो," सुनीता ने कहा।
मुझे और अधिक शर्मिंदगी महसूस हुई और फिर एक आश्वासन देने वाला हाथ मेरे कंधों पर पड़ा।
यह सुनीता थी। उसने उसकी ओर देखा और उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखा।
"कृपया मेरी उपस्थिति से घबराएँ नहीं, मैंने आपके जैसे अन्य पुरुषों के साथ ये जांच की है। उन सभी को वैसा ही महसूस हुआ जैसा आपको शुरू में हो रहा है" उसकी आवाज मधुर थी।
ऋषि ने कहा, " तुम जानती हो, सुनीता अब तुम्हे क्या करना है और कुमार तुम भी सब जानते हो आखिर तुम भी तो एक चिकित्स्क हो, तुमने भी इस विषय में कुछ अध्यन्न किया होगा। "
मैं: जी गुरूजी लेकिन मैं इसका विशेषज्ञ नहीं हूँ!
अब मैं गुरूजी और सुनीता को ये कैसे बताता की अपनी डॉक्टरी की पढ़ायी के दौरान मैंने इस विषय को पढ़ते और प्रैक्टिकल करते हुए क्या-क्या कारनामे किये थे, कैसी मस्ती की थी । आप इनके बारे में मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र नौवा अध्याय डॉक्टरी की पढ़ाई भाग 1 से भाग 45 में पढ़ सकते हैं ।
सुनीता थोड़ी चकित हो कर बोली "अच्छा तो डॉ दीपक आपने अपनी डॉक्टरी की पढ़ायी कहाँ से और कब की?"
मैंने कहा " लंदन " और अपने कॉलेज के बारे में बताया । अब मैं कुछ सहज हो गया था और अब अपने कॉलेज के समय को याद कर और सुनीता की सुंदरता देख मेरा लिंग जगने लगा था।
"और आपने?"
सुनीता ने अपने मेडिकल पढ़ाई के बारे में संक्षेप में बताया और फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखा और मेरे सामने घुटने टेकने से पहले अपना सिर हिलाया। सुनीता की इस हरकत से मैं हैरान रह गया।
"चिंता मत करो, मैं तुम्हारा ख्याल रखूंगी," सुनीता ने मेरी ओर देखते हुए कहा।
"हमारे पास आप जैसे बहुत सारे मरीज़ आते हैं जो घबराए हुए होते हैं और सुनीता जानती है कि उन्हें कैसे संभालना है। वह इस काम के लिए प्रशिक्षित है, तो आप रिलैक्स करे, सुनीता अपना काम करेगी," ऋषि ने उत्तर दिया।
जब मैं ऋषि को देख रहा था तो मैंने महसूस किया कि कोई हाथ मेरे लिंग को छू रहा है।
मैंने नीचे देखा और सुनीता को मेरे लिंग को अपने हाथों में पकड़े हुए देखकर मैं चौंक गया। उसकी नज़र मेरे लिंग पर थी और उसके हाथ मेरे लिंग को सहलाने में व्यस्त थे।
मुझे लगा कि मेरा लंड सख्त हो गया है क्योंकि सुनीता ने उसे कुशलता से सहलाया था।
"अब हम इतने शर्मीले नहीं हैं," ऋषि ने मुझे और फिर सुनीता की ओर देखते हुए कहा।
मैं अवाक था क्योंकि यह मेरी कल्पना से परे की बात थी। मैंने अपनी पढ़ाई, ट्रेनिंग और डॉक्टरी की प्रक्टिसे के दौरान कई मरीजों के स्पर्म टेस्ट करवाये थे लेकिन जहाँ तक मैं जानत था मरीज अपना स्पर्म घर से ले कर आते थे और उसे लैब में जमा कर देते थे फिर उनकी लैब में जांच की जाती थी ।
ऋषि: ठीक है, सुनीता, चलो परीक्षा शुरू करें, ठीक है?
सुनीता: ठीक है गुरूजी.
ऋषि: अच्छा, क्या वह पूरी तरह से खड़ा है?
सुनीता: (लंड के नीचे से सिरे तक देखती हुई) हाँ, वह तो है। वह मेरे मोटे लंड के लम्बे बड़े आकार से थोड़ा चकित लग रही थी ।
साधु: मुझे ऐसा लगता है कि उसकी लंबाई अच्छी है।
सुनीता लंड को ऊपर-नीचे रगड़ते हुए लंड का सिर हिलाती है।
ऋषि: क्या आप कुछ प्रीकम पाने के लिए उसके लंड को थोड़ा दबा सकते हैं?
सुनीता लंड के आधार को दबाती है और लंड के टोपे पर कुछ प्रीकम दिखाई देता है।
साधु: अच्छा, प्राकृतिक चिकनाई उसके लिए काम कर रही है। इसे चखें और नमक की मात्रा बताएँ।
मैंने बहुत पहले ही उन दोनों की बातचीत सुनना बंद कर दिया था। मैं बस अपने लंड पर सुनीता के मुलायम हाथों के अहसास का आनंद ले रहा था। अचानक मुझे अपने लंड के सुपारे पर और भी अधिक आनंददायक अनुभूति महसूस हुई। मैंने अपनी आँखें खोलीं और देखा कि सुनीता मेरे लंड को मुँह से बाहर निकालने से पहले एक सेकंड के लिए उसे चूस रही थी। उसके नथ पूरे फैले हुए थे ।
सुनीता: इसका स्वाद नमकीन है, मुझे कुछ कमी महसूस नहीं हो रही है।
ऋषि: (थोड़ी देर सोचने के बाद) जारी रखो और देखो इसकी गेंदें कितनी भारी हैं। क्या वह हलकी है या भरी हुई लग रही है?
जारी रहेगी