आख़िर अम्मी पट ही गयी बेटे से

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अम्मी -- वाह बेटा सच में ये तो बहुत अच्छा लग रहा है।

मैं- तभी तो आपके लिए बनाया है अम्मी. आप तो हमेशा मेरा और अब्बू का ख्याल रखते हो। फ़िर मेरा भी तो फर्ज बनता है कि आपका ख्याल रखू।

अम्मी- तू तो मेरा बहुत ख्याल रखता है बेटा. वैसे सच कहूं तो इस मामले में तू अपने अब्बू पर नहीं गया है।

मैं- क्यू अम्मी क्या अब्बू ने आज तक आपको कुछ नहीं खिलाया?

अम्मी -- अरे बेटा वो तो अपने लिए चाय भी बना ले. वही बड़ी बात है. पूरा किचन इधर उधर कर के रख देते हैं। और तुझे देखो कितनी बढ़िया चीजें बनती है। वैसे इस तेरी होने वाली बीवी बहुत खुश होगी।

मैं- अरे अम्मी बीवी जब होगी तब होगी. पहले अपनी अम्मी को तो खुश कर लू। जिन्हे मैं सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ।

अम्मी -- मैं भी तुझसे बहुत प्यार करती हूँ बेटा।

फिर मैंने और अम्मी ने ओमलेट खा लिया। अम्मी ने मेरी बहुत तारीफ की। जिससे मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर अम्मी किचन में चली गई। और मैं वही अम्मी के बिस्तर पर लेट गया।

फिर कुछ देर बाद अम्मी भी आ गई। जब अम्मी वापस आ गईं. तो मेरी नज़र अम्मी की चुचियो पर गयी। जो अम्मी की नाइटी में साफ दिख रही थी। और उन्हें देखकर साफ पता चल रहा था कि वो ब्रा उतार के आई है।

अम्मी के निपल साफ साफ दिख रहे थे. अम्मी की नज़र मुझपे पड़ी। और उन्होंने मुझे अपने बिस्तर पर देखा। और मैं उन्हें देखकर उठ कर जाने लगा । मगर तभी वो बोली.

अम्मी- क्या हुआ बेटा? जा रहा है?.

मैं -- बस अम्मी अपने कमरे में जा रहा हूँ। आप भी थक गये होंगे. तो अब आपको भी सोना होगा.

अम्मी- अरे कहा बेटा आज तो सारा काम तूने कर लिया। इसलिए आज मुझे बिल्कुल भी थकन नहीं है। और वैसे भी तू यहाँ भी तो सो सकता है। आज तो तेरे अब्बू भी नहीं हैं.

अम्मी मुझे खुद के साथ सोने के लिए बोल रही थी। वैसे मैं अम्मी के साथ भी काई बार सोता हूं। जब अब्बू नहीं होते. फ़िर मुख्य बिस्तर पर लेट गया। अम्मी भी बिस्तर पर आ गयी.

मैंने अपना सर उनकी गोदी में रख दिया। फ़िर अम्मी ने मेरे बाल पीछे किये। और एक चुंबन मेरे माथे पर कर दिया। जब अम्मी ने ऐसा किया. तो उनकी चुचिया मेरे सर पर लगने लगी.

और सच में उस एहसास ने मेरे अंदर तक जोश भर दिया था। फ़िर अम्मी मेरे बाल में हाथ घुमाने लगी। और मैं आंखे बंद करके उस पल का मजा लेने लगा।

मैं- अम्मी, एक बात पूछो अगर आप बुरा ना मानो तो।

अम्मी -- हा बेटा पूछो.

मैं- अम्मी, आपको बुरा नहीं लगता है कि अब्बू हर रोज आपके साथ नहीं होते हैं। और आप जयदाता टाइम अकेले होती हो।

अम्मी- बेटा, थोड़ा बुरा तो लगता है। पर तेरे अब्बू काम की वजह से बाहर होते हैं। और एक उमर के बाद सबकी आदत हो जाती है। और वैसे भी मैं अकेली कहां होती हूं। तू हमेशा मेरे साथ जो रहता है।

मैं- मैं तो हमेशा आपके साथ ही रहूंगा अम्मी। और आपको छोड़ नहीं पाऊंगा.

अम्मी ने मेरी बात सुनके मेरे माथे पर फिर किस कर दिया। फिर मैं अम्मी के बगल में लेट गया। फिर अम्मी भी लेट गई. और हम दोनो सो गये। मैं हल्के हल्के आगे बढ़ रहा था।

और अब मैं अम्मी के साथ ही ज्यादा टाइम बिताने लगा था। जब अब्बू होते. तो मैं थोड़ा अलग ही रहता हूं। मगर पूरे दिन मैं अम्मी के साथ ही होता। और वो भी मेरे साथ बहुत खुश रहती थी।

मैने पूरे 2 महीने हल्के हल्के कोशिश की। और इसका फ़ायदा ये हुआ कि अब अम्मी को मेरी कोई भी बात बुरी नहीं लगती थी। मैने काई बार अम्मी की गांड पर अपना लंड रगड़ा। यहाँ तक कि काई बार उनके कमरे में घुस गया।

जब वो कपड़े बदल रही थी. मगर उन्हें फिर भी मुझे कुछ नहीं कहा। और अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। फिर मुझे वो मौका मिल गया। जिसकी मुझे कब से तलाश थी। और वो दिन था अम्मी अब्बू की सालगिरह का।

हमारे दिन मैं अम्मी के लिए। एक चेन और अमेरिकन डायमंड का पेंडेंट लेके आया था। और सुबह उठते ही मैं अम्मी के पास चला गया। अम्मी बेडरूम में बिस्तर सही कर रही थी। अम्मी का मुँह दूसरी तरफ़ था।

और मैंने जाते ही अम्मी को पीछे से पकड़ लिया। मगर इस बार अम्मी डरी नहीं. क्योंकि पिछले 2 महीनों में मैंने ये हरकत बहुत बार की थी।

मैं- हैप्पी एनिवर्सरी अम्मी.

अम्मी- थैंक्यू मेरा बच्चा. तुझे याद थी.

मैं- हा, अम्मी, याद थी. चलो अब आँखें बंद करो।

अम्मी- आंखे क्यों बंद करवा रहा है?

मैं- अरे अम्मी करो ना. आप सवाल बहुत करते हो।

अम्मी- अच्छा बाबा अच्छा. ये ले कर ली मैंने आंखे बंद.

मैं अम्मी को पकड़ के शीशे के सामने ले गया।

अम्मी -- कह ले जा रहा है मुझे तू.

मैं- अरे अम्मी बस 2 मिनट रुको ना.

फ़िर मैंने अपनी जेब से चेन निकाली। और उसे अम्मी के गले में पहचान दिया। चेन में पड़ा पेंडेंट अम्मी की चुचियों के बीच में घुस गया। जो बहुत अच्छा लग रहा था.

मैं- अम्मी, अब आंखें खोलो.

जैसी ही अम्मी ने आंखे खोली. तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। और वो अपना गिफ्ट देखने लगी।

अम्मी -- बेटा, ये तो बहुत महँगा लगता है। तू कैसे लाया मेरे लिए.

मैं- अम्मी, गिफ्ट देने वाली की नियत देखते हैं पैसे नहीं। वैसे मैं आपको बता दूं। आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है। ये बस ठीक ठीक पैसे में लाया हूँ। अब ये बताओ कि आपको कैसा लगा।

अम्मी -- बहुत अच्छा है बेटा. मुझे बहुत पसंद आया.

मैं- अच्छा तो अब लग रहा है. जब आपने पहचाना है. वरना तो ये बेकार ही था.

मेरी बात सुनके अम्मी हंसने लगी. फिर उन्हें मेरा गाल चूमा लिया। तभी अब्बू का कॉल आ गया. अम्मी अब्बू से बात करने लगी. और मैं बिस्तर पर लेट गया। जैसे ही अब्बू की कॉल आई. तो अम्मी का मुँह उतर गया.

मैं- क्या हुआ अम्मी? आप उदास क्यों हो गए?

अम्मी- अरे कुछ नहीं बेटा. कोई बात नहीं है.

मैं- अरे अम्मी बताओ ना. आपको देखकर साफ पता चल रहा है कि आप उदास हैं। बताओ ना क्या कहा अब्बू ने?

अम्मी- बेटा, आज तेरे अब्बू शाम को आ जायेंगे। मगर उनके बॉस ने उन्हें कुछ काम दे दिया। जिसकी वजह से वो बाहर जा रहे हैं। और कल ही वापस आएँगे।

मैं- अरे यार, कम से कम अब्बू आज छुट्टी ही ले लेते हैं. आज के दिन भी अब्बू आपके साथ नहीं हैं।

अम्मी- बेटा, अब क्या करोगे?

अम्मी भले ही मेरे सामने गुस्सा नहीं दिख रही थी। मगर मैं जानता था. वो अंदर से बहुत गुस्सा थी। और ऊपर से दोस्तों और रिश्तेदार बार-बार कॉल कर के उन्हें बधाई दे रहे थे।

जिसकी अम्मी का मूड और भी ज्यादा ख़राब हो रहा था। मगर तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। कुछ देर बाद पड़ोस वाली आंटी आ गई। अम्मी उनसे बात करने लगी. और तभी मैंने अपना बैग पैक कर लिया।

और जैसे ही अम्मी बात करके आई। तो मैं अम्मी के पास चला गया. और उनको पीछे से पकड़ लिया।

मैं- अम्मी, मैं जानता हूं. आपका मूड ख़राब है. और वो भी अब्बू की वजह से।

अम्मी- बेटा, ये बात ही मूड खराब होने वाली है। अब तुम बताओ आज हम दोनों के लिए इतना बड़ा दिन है। मगर तुम्हारे अब्बू को आज भी काम पर जाना पड़ा।

मैं- चलो अम्मी आप तैयार हो जाओ। आज आपके लिए एक और गिफ्ट है। और ये मोबाइल मुझे दे दो। ताकि कोई भी आपको परेशान न कर सके।

अम्मी- बेटा, मुझे कहीं नहीं जाना है।

मैं- अम्मी, आपको मेरी कसम प्लीज.

अम्मी को कसम देने के बाद वो सोचने लगी। फिर वो मान गई. और मैंने अम्मी का मोबाइल बंद कर दिया। ताकी उन्हें कोई डिस्टर्ब ना करे. फिर अम्मी तैयार हो गई. उन्हें लाल रंग का सूट पहनना था। जो उनके ऊपर बहुत अच्छा लग रहा था।

मैं- वाह अम्मी आप कितनी खूबसूरत लग रहे हो। लगता है अब्बू की किस्मत तो अल्लाह ने फुर्सत में लिखी है। तभी तो उन्हें इतनी खूबसूरत बीवी मिली है।

अम्मी मेरी बाते सुनके हंसने लगी.

अम्मी -- धन्यवाद बेटा. वैसे बहुत बाते बनाने लगा है तू.

मैं- अरे अम्मी बात नहीं सच बोल रहा हूँ. अब्बू सच में बहुत किस्मत वाले हैं।

अम्मी- वैसे तू मुझे कह ले जा रहा है।

मैं- अब अम्मी ये तो सरप्राइज़ है.

फिर मैं और अम्मी बाहर आ गयीं। और मैंने पहले से ही अपना बैग कार में रख दिया था। फिर मैं और अम्मी दोपहर में निकल पड़े। अम्मी और मैं बार एक दूसरे को ही देख रहे थे। अम्मी बार बार मुझसे पूछ रही थी।

मगर मैं उन्हें कोई जवाब नहीं दे रहा था। मैं उनसे सामान्य तौर पर बात कर रहा था। अब मुझे कार चलाते हुए. ज्यादा घंटा हो गया था. फिर एक बोर्ड निकला. जिसमें शिमला का डिस्टेंस लिखा हुआ था।

और उसे अम्मी को अहसास हो गया कि मैं उन्हें कह ले जा रहा हूं।

अम्मी- अच्छा तो तू मुझे शिमला ले जा रहा है। वही मैं कहु इतनी देर से कार चला रहा है। पता नहीं कहा ले जा रहा है.

मैं -- बस अम्मी मैंने सोचा आपको सबसे दूर ले चालू। ताकी ये लोग आपको कॉल करके परेशान न करें।

अम्मी मेरे सर पर हाथ फेरने लगी। और वो मुझे अपना प्यार दिखाने लगी।

जैसे ही हम लोग शिमला के पास पहुँचे। ठंडी ठंडी हवा लगने लगी. अम्मी ने अपना सर खिड़की के बाहर निकाल लिया। और वो हवा खाने लगी. और उनके चेहरे पर अब मुस्कुराहट आ गई।

अम्मी- बेटा, यहां तो हल्की-हल्की ठंड सी हो रही है। पहले बता तो मैं कोई गरम कपड़ा भी ले लेती।

मैं- अम्मी, आपकी सीट के पीछे एक बैग रखा है। उसमें आपके गरम कपड़े हैं।

अम्मी -- वाह बेटा, इसका मतलब तूने पहले से ही पूरी तैयारी कर रखी थी।

मैं- नहीं अम्मी बस मैं आपको उदास नहीं देख सकता। इसलिए सोचा आज मैं अम्मी को घुमा के लाता हूँ।

अम्मी मेरी बात सुनके मेरी तरफ प्यार से देखने लगी। फिर साढ़े तीन घंटे के बाद हम लोग शिमला पहुंच गए। मैंने चलने से पहले ही होटल बुक कर लिया था। फिर मैं अम्मी को होटल ले गया।

होटल के रिसेप्शन पर एक आदमी बैठा था। जो मुझे और अम्मी को देखने लगा। फिर मैंने उससे अपनी बुकिंग की बात की। फिर उसने मुझे एक कमरे की चाबी दे दी। मैंने उसके सामने ही अम्मी को चलने के लिए कहा।

जिसे वो समझ गया कि मेरे साथ जो औरत आई है। वो मेरी अम्मी है. फिर मैं और अम्मी कमरे में आ गयीं। अम्मी बिस्तर पर बैठ गई. और मैं उनके बगल में लेट गया।

अम्मी- थक गया मेरा बच्चा गाड़ी चला चला के।

मैं- अरे नहीं अम्मी मैं ठीक हूं. अगर आपको फ्रेश होना है. तो आप हो लो. फिर बाहर घुमने चलते हैं.

फिर अम्मी और मैं फ्रेश हो गई. फिर हम दोनो बहार घुमने निकल पड़े। शाम का समय था. और मौसम बहुत अच्छा हो रहा था। और अब अम्मी भी खुश दिख रही थी। मैं उनका हाथ पकड़ के सब जगह घूम रहा था।

हम दोनों बहुत घूमे. अम्मी और मैंने बहुत साड़ी फोटो भी ली और काई चीज भी खाई। फिर रात के 9 बजे हम दोनों केक लेके वापस कमरे में आ गए। और अब हल्की-हल्की ठंड भी होने लगी थी।

कमरे में आते ही मैंने केक निकाला। फिर अम्मी केक काटने लगी. केक काट के अम्मी ने मुझे केक खिलाया। फिर मैंने वही केक अम्मी को खिलाया। फिर हम दोनो ने खाना खाया। फिर मैं कपड़े बदल के बिस्तर पर ले जाकर लेट गया।

अम्मी भी मेरे बगल में आ गयी. मैं बिल्कुल अम्मी से चिपक गया। फिर वो बोली.

अम्मी -- बेटा, बहुत बहुत धन्यवाद सबके लिए। तूने मेरा मूड ठीक कर दिया।

मैं- अरे अम्मी ये तो मेरा फर्ज था. अब गलती अब्बू की थी. तो आप अपना मूड क्यों खराब करती हैं। सोचना तो अब्बू को चाहिए था. मगर उनके पास टाइम ही नहीं है।

अम्मी -- तुम ठीक कह रहे हो बेटा. आज सच में मुझे बहुत बुरा लगा। मगर तूने मेरा सारा मूड अच्छा कर दिया।

अम्मी बिलकुल मेरे बगल में थी. जैसे एक पति पत्नी आपस में होते हैं। मगर तभी मेरे मोबाइल पर अब्बू का कॉल आया। और मैंने अम्मी की तरफ देखा। अम्मी ने बात करने से मना कर दिया। तो मैंने कॉल उठा लिया.

मैं- हा पापा.

पापा- बेटा तेरी अम्मी के मोबाइल पर कॉल कर रहा हूँ। मगर वो बंद आ रहा है. तू अपनी अम्मी के साथ ही है क्या?

मैं- हा अब्बू अम्मी के साथ हूं. उनका मूड आज बहुत ख़राब है। आप आज भी उन्हें छोड़ के काम पर चले गए।

पापा- बेटा काम जरूरी था.. बेटा मेरी अम्मी से बात करवा दे।

फिर मैंने अम्मी को मोबाइल दे दिया। और अब्बू उनसे सॉरी सॉरी बोलने लगे। जो मुझे सुनायी दे रहा था. मगर अम्मी उन्हें ठीक से जवाब नहीं दे रही थी। फिर अम्मी ने कॉल काट दिया. और मोबाइल साइड में रख दिया।

मैं अम्मी की तरफ़ देखने लगा। अम्मी का चेहरा फिर से उतर गया। और मैंने अम्मी को खुद से चिपका लिया। अम्मी मुझसे चिपक गयी.

और कुछ देर वो ऐसे ही चिपक रही। मैं अम्मी का कंधा सहला रहा था। और अब वो मोमेंट आया. जिसका इंतजार मुझे हमेशा से था। अम्मी वक्त पूरी इमोशनल थी. मैने हल्के से उनके चेरे से बाल साइड किये।

और अब उनकी नज़र मुझसे मिली। अम्मी की आँखों में एक नशा सा छा गया था। फिर मैंने देर किये बिना. आपने होठों को अम्मी के होठों में लगा दिया। और उनके रस भरे होठों को चूसने लगा।

5 सेकंड तक तो अम्मी को भी होश नहीं रहा। फिर एक दम से अम्मी पीछे हो गई। और मुझे घूरते हुए बोली.

अम्मी- ये क्या कर रहा है तू?

मैं -- अम्मी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। जितना अब्बू आपसे करते हैं। उससे कही गुना ज्यादा. और अब मैं आपको ऐसे तड़पते हुए नहीं देख सकता।

अम्मी मेरी बाते सुनके शॉक हो गयी थी. फिर मैंने अम्मी का हाथ पकड़ा। और सहलने लगा।

मैं- अम्मी, मैं जानता हूं. आप हमेशा अब्बू का इंतज़ार करते हो। मगर वो आपको बिल्कुल भी टाइम नहीं देता है। मगर मैं आपसे इतना प्यार करता हूं कि हमेशा आपको टाइम दूंगा।

इसे पहले अम्मी कुछ बोल पति। मैंने आगे बड़के उनके होठों को फिर से चूम लिया। और इस बार उन्होंने मुझे एक जोर का थप्पड़ लगा दिया।

अम्मी- तू पागल हो गया क्या? मैं तेरी मां हूं. और अपनी माँ के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

मैं- मैं जानता हूं कि आप मेरी मां हो। मगर मेरा प्यार आपके लिए झूठा नहीं है। मैंने हमेशा देखा है कि आप अकेले ही रहते हैं। और अब्बू हमेशा बाहर रहते हैं। और आज आप दोनों के लिए इतना बड़ा दिन है। मगर वो फिर भी आपके साथ नहीं है।

अम्मी पहले से ही अब्बू से नाराज थी। और मैंने आज के दिन की बात करके। उन्हें फिर वही सब याद दिला दिया। अम्मी की नज़र नीचे हो गयी. और इस बार मैं उनके ऊपर आ गया। और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया

अम्मी उठने की कोशिश कर रही थी। मगर मैं उनके ऊपर था. मैंने अपने दोनों हाथ अम्मी की चुचियों पर रख दिये। और कपड़ो के ऊपर से ही उनकी चुचिया दबाने लगा। अम्मी बार बार मेरा हाथ हटाJAYAJ रही थी।

अम्मी- बेटा, ये सब ठीक नहीं है। मैं तेरी माँ हूँ. तू मेरे साथ ये सब नहीं कर सकता।

मैं -- अम्मी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। और प्यार में हर चीज़ जायज होती है। अब्बू तो आपका ख्याल भी नहीं रखते हैं। जैसा मैं रखता हूं. उन्हें तो हमेशा काम की पड़ी रहती है।

अम्मी मुझे बार बार धक्का दे के हटा रही थी। और मैं उन्हें अब्बू की बातें बता बता के जता रहा था कि वो आपसे प्यार नहीं करते हैं। और इसे अम्मी की पकड़ भी ढीली पड़ रही थी।

अम्मी मेरा हाथ रोक रही थी. और मैं उनका सूट हल्के हल्के ऊपर कर रहा था। जिसकी अम्मी का गोरा पेट और गहरी नाभि अब मेरे सामने थी। मैंने अम्मी के गोरे पेट को चूम लिया। और अपनी जीभ उनकी गहरी नाभि में डाल दी।

अम्मी मेरा सर हटाने लगी. मगर मैं कहा मान ने वाला था. मेरी जीभ अम्मी की गहरी नाभि में घूमने लगी। और मेरा हाथ अम्मी के सूट के अंदर से हुआ। उनकी बड़ी बड़ी चुचियों पर पहुँच गया।

अम्मी की चुचिया ब्रा में कैद थी. और मैं उनकी चुचियों को दबाने लगा। अम्मी की चुचिया एक दम मक्खन की तरह थी। मैं उन्हें पकड़ के जोर जोर से दबा रहा था। अम्मी सूट के ऊपर से मेरे हाथों को रोक रही थी।

वो मेरी बिल्कुल दोस्त जैसी बन गई थी। और आज मुझे हमारे बिताए समय का फ़ायदा मिल रहा था। मैंने हल्के हल्के पूरा सूट अम्मी की चुचियों के ऊपर कर दिया।

और अब मुझे अम्मी की गुलाबी ब्रा दिखाने लगी। अम्मी अपना सूट नीचे करना चाह रही थी। मगर मैं ऐसा होने नहीं दे रहा था। फिर मैंने अम्मी की ब्रा को ऊपर कर दिया। और उनकी दोनो बड़ी बड़ी चुचिया उछल के बाहर निकल आई।

अम्मी की गोरी गोरी और बड़ी चुचियों के ऊपर काले निपल थे। जो देखने में बहुत अच्छे लग रहे थे। चुचियों के बाहर आते ही अम्मी ने अपने हाथों से उन्हें ढक लिया। मगर मैंने उनका हाथ हटा दिया।

और उनकी चूची को मुँह में लेके चूसने लगा। अम्मी अभी भी मुझे हटा रही थी. मगर अब उनकी चुची मेरे मुँह में थी। जिसे मैं अपनी जबान से खीच खीच के चूस रहा था। और उनकी दूसरी चुची को दबा रहा था।

जब जब मैं अम्मी की चुची को खीच ता। तो उनके मुँह से आउच की आवाज निकल जाती है। जिसे सुनके मुझे अच्छा लगता. मेरे चूची को चूसने से अम्मी के निपल खड़े होने लगे। जिसका साफ मतलब है.

कि अम्मी भी अंदर से गरम हो रही थी। अम्मी की चुची चुस्ते चुस्ते मैं अपना हाथ नीचे ले गया। फिर मैंने अपना हाथ अम्मी की सलवार में डाल दिया। फिर मैं अम्मी की चूत को उनकी पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।

जैसे ही अम्मी को इस बात का एहसास हुआ। वो मुझे हटाने लगी. मगर मैं उनके ऊपर था. इसलिए वो मेरा हाथ नहीं रोक पा रही थी। और मेरा हाथ पैंटी के ऊपर से ही अम्मी की चूत को सहला रहा था।

अम्मी की चूत को सहलाने से मुझे पता चल गया था कि उनकी चूत का काम भी शुरू हो गया है। मगर अम्मी अभी भी मुझे रोक रही थी।

अम्मी- प्लीज, बेटा ऐसा मत कर। ये सब ठीक नहीं है. मैं तेरे अब्बू को क्या मुँह दिखाउंगी?

मैं- अम्मी, अब्बू की तो बात आप करो ही मत। अगर वो आपका ख्याल रखते. तो शायद मेरे मन में आपके लिए। ऐसे प्यार की भावना कभी नहीं आती. आप भले ही किसी से कुछ नहीं कहते हो। मगर आपके साथ रहता हूँ मैं एक बात समझ गया हूँ।

मैं- आप एक बीवी और माँ होने के साथ-साथ एक औरत भी हो। अम्मी हर औरत को खुश रहना का हक है। मैं जानता हूं अब्बू अब आपको प्यार क्या खाक करेंगे।

अम्मी- बेटा, अपने अब्बू के बारे में ऐसा मत बोल। वो जैसा भी है मेरे पति है.

मैं- अम्मी, आप भी जानती हो कि मैं जो कह रहा हूं। वो झूठ नहीं है. और क्या मेरा इतना भी हक नहीं है? मैं अपनी अम्मी को प्यार कर सकता हूँ।

अम्मी- बेटा, प्यार मैं भी तुझे करती हूं। मगर जो तू कर रहा है. दुनिया में माँ बेटे के बीच ऐसा रिश्ता नहीं होता है।

मैं- अम्मी, अगर आपकी बात सच होगी. तो मेरे छूने से आपके नीचे गीला पन नहीं आता । और आपकी चूत से बहता कामरस ये साफ़ बता रहा है कि आप भी इस सुख के लिए तरस रहे थे।

बस मैं आपका बेटा हूं। इसीलिये आप झिझक रही हैं। अम्मी मैं तो बस आपसे प्यार करना चाहता हूँ। और मरते दम तक सिर्फ आपसे ही प्यार करूंगा।

अम्मी मेरी बात सुनके चुप हो गई। क्योंकि वो भी जानती थी कि मैं सच बोल रहा हूं। ऊपर से हम लोग होटल के कमरे में थे। अम्मी मुझपे ठीक से चिल्ला भी नहीं सकती थी। और मैं इस पल का पूरा फ़ायदा उठा रहा था।

मैंने अम्मी की सलवार का नाड़ा खोल दिया। फिर मैं अम्मी की सलवार नीचे करने लगा। अम्मी मेरा हाथ रोकने लगी. मगर मैंने अम्मी की सलवार निकाल दी। और उसे साइड में फेक दिया।

सलवार के हटते ही अम्मी की मेहरून रंग की पैंटी मेरे सामने आ गई। और मैं अम्मी को देखने लगा। अम्मी की नज़र मुझसे मिली। और वो मेरी आँखों में देखने लगी। फिर मैंने अपना मुँह अम्मी की जांघो में लगा दिया।

अम्मी की जांघो को चाटने लगा. अम्मी मेरा मुँह हटा रही थी. मगर मेरी जीभ अम्मी की जांघो पर घूम रही थी। और मेरा दूसरा हाथ अम्मी की जांघो को सहला रहा था।

अम्मी की दूध जैसी गोरी और मोटी जांघों को चाटने में मजा आ रहा था। ऐसा लग रहा था. जैसा मैं किसी मक्खन पर अपनी जीभ फिरा रहा हूँ। जब जब मेरी जीभ अम्मी की जांघो पर चलती थी।

तब अम्मी अपनी आंखें बंद कर लेती थी। अम्मी का दोस्त बनने का मुझे फ़ायदा मिल रहा था। और मैं उन्हें पूरा खुश करने में लगा हुआ था। अम्मी की जांघो को चाटते हुए। मैं नीचे आ गया.

फिर मैंने अम्मी का पैर उठाया। और उनकी पैर की उंगलियों को मुँह में लेके चूसने लगा। अम्मी ने तुरत आँखे खोल के मुझे ऐसा करते देखा। वो बड़ी गोर से मुझे देख रही थी। शायद अब्बू ने आज तक ऐसा नहीं किया था।

मैं बारी-बारी से अम्मी की पैर की उंगलियों को चूस रहा था। अम्मी के चेहरे के भाव बदल रहे थे. आज मैं अपना सेक्स का सारा ज्ञान अम्मी के ऊपर इस्तमाल कर रहा था। ताकि मैं उन्हें पहली ही बार में इतना खुश कर सकूं।

कि वो ये याद चाह कर भी अपने दिल से ना निकल पाये।

अम्मी आंखें बंद करके. मेरी चुसाई का मजा ले रही थी. तभी मैंने अम्मी की टांगे पकड़ के फेला दी। और जैसा ही मैंने ऐसा किया। अम्मी मुझे देखने लगी. अम्मी आपणी टांगे बंद करने लगी।

मगर मैं अपनी ताकत से उनकी टांगे खोले राखे हुए था। अम्मी की चूत वाला हिस्सा मेरे सामने था। और जैसा ही मैं अपना मुँह आगे बढ़ाने लगा। अम्मी ने अपने चूत को हाथो से ढक लिया।

अम्मी- बेटा, तू गलत कर रहा है। ऐसा मत कर. वरना सब बर्बाद हो जाएगा.

मैं- अम्मी, ग़लत तो वो है. जो अब्बू आपके साथ हैं। वर्ना आज के दिन मेरी जगह अब्बू आपको प्यार कर रहे हैं। और ये सिर्फ आज ही नहीं हुआ है. हर बार अब्बू बाहर होते हैं. और आप घर पर अकेले उनके बिना तड़पती रहती हो।

फिर मैंने अम्मी का हाथ हटा दिया। और सीधा अपना मुँह पैंटी के ऊपर से हाय अम्मी की चूत पर लगा दिया। जैसा ही मेरा मुँह पैंटी पर लगा। तो मुझे पैंटी के ऊपर से ही गीलापन महसूस होने लगा।

अम्मी की चूत से निकलती. एक तेज गंध मेरी नाक में आने लगी। अम्मी की चूत की वो गंध मुझे पागल करने लगी। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकली. और पैंटी के ऊपर से हाय अम्मी की चूत चाटने लगा।

अम्मी अभी भी मेरा सर हटा रही थी। मगर मुझे ये साफ साफ दिख रहा था कि वो अंदर से कितनी गरम हो चुकी है। उनकी चूत का पानी पैंटी के ऊपर से ही मेरे मुँह में आ रहा था। और मैं अपनी जिह्वा को रोक नहीं पा रहा था।

मेरी जीभ तेज तेज अम्मी की चूत पर चल रही थी। अम्मी के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वो खुद को रोकने की कितनी कोशिश कर रही थी कि मुझे उनके अंदर की हालत पता ना चले।

मगर मैं तो ये जान ही गया था कि अम्मी को अंदर से कितना मजा आ रहा था। मैंने हल्के से अम्मी की पैंटी को दोनो साइड से पकड़ा। फिर मैं अम्मी की पैंटी उतारने लगा। अम्मी मुझे रोकने लगी.

मगर मैंने उनकी पैंटी उतार दी। और अम्मी की बिना बालो की चिकनी चूत मेरे सामने थी। अम्मी ने आज अब्बू के लिए. अपनी चूत को साफ किया था. मगर शायद अब्बू के नसीब में अम्मी की चूत नहीं लिखी थी।

अम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं। शायद वो मुझे ये सब करते नहीं देखना चाहती थी। फिर मैंने अम्मी की टांगे फेला दी। और टांगे खुलते ही अम्मी की चूत की पंखुड़िया खुलने लगी।

अम्मी की चूत का पानी निकल रहा था। और उनकी चूत के आस पास सब गीला पड़ा था। इतनी गिली चूत तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की भी कभी नहीं देखी। जितनी आज अम्मी की चूत गिली थी। शायद अम्मी की काफ़ी टाइम से चुदाई नहीं हुई थी।

इसलिए आज वो खुद रोक तो रही थी। मगर फिर भी वो खुद को रोक नहीं पा रही थी। और मैं अम्मी की चूत चाटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। मैं चाहता था कि आज अम्मी की गर्मी अच्छी तरह से शांत कर दूं।

ताकी वो आज की रात को कभी ना भूल पाए। अम्मी की चूत से बहते पानी को मैंने चाट चाट के साफ़ कर दिया था। फिर मैंने अम्मी की दोनों टांगे पकड़ के थोड़ी सी ऊपर उठा दी। जिसकी अम्मी की गांड का छेद मेरे सामने आ गया।

और इस बार मेरी जीभ चूत के बजाए सीधे गांड के छेद पर घुमने लगी। मैं अम्मी की गांड चाट रहा था। और मेरी उंगली अम्मी की चूत को रगड़ रही थी। अम्मी आँखें बंद किये। अपने होठों को काट रही थी।

और अपने बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ रखा था। और मैं उनकी चूत लगातर चाट ते जा रहा था। कभी मेरी जीभ अम्मी की चूत को चाटती तो कभी मैं उनकी गांड को चाटता। जिसकी अम्मी को भी मजा आ रहा था।

अम्मी आप टांगे बहुत हिला रही थी। और मैं लगता है उनकी चूत चाट रहा था। और कुछ ही देर बाद अम्मी अपनी टांगे जोड़ने लगी। और मेरा मुँह अपनी चूत से हटाने लगी। मगर मैं कहा मानने वाला था.