आख़िर अम्मी पट ही गयी बेटे से

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मैं वैसे ही अम्मी की चूत और गांड दोनों को चाट रहा हूँ। फिर एक आआआअह्ह्ह्ह के साथ अम्मी की चूत का पानी निकल गया। जब अम्मी की चूत का पानी निकला. तब उनका हाथ मेरे सर पर था. जिसे वो मेरा सर सहला रही थी.

मगर चरमसुख के उस पल में अम्मी सब भूल गई। और मेरा सर हटाने की जगह उन्हें मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया। सच में दोस्तो अम्मी को ऐसा करते देखो। मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.

और मैं भी ज्यादा शिद्दत से अम्मी की चूत का पानी चाटने लगा। अम्मी उस मजा ले रही थी। और मैं उनको भूलने का मौका नहीं दे रहा था। लगभाग 2 मिनट बाद अम्मी ने अपना हाथ हटा लिया।

फिर मैंने अम्मी की चूत से अपना मुँह हटा लिया। अम्मी को देखने लगा. अम्मी ने 2 सेकंड के लिए मुझसे नज़रें मिलाई। फ़िर वो दूसरी तरफ़ देखने लगी। मैं उनके ऊपर आ गया. फिर मैंने अम्मी का चेहरा अपनी तरफ किया। फिर मैं उनके पीछे चूसने लगा. इस बार अम्मी मुझे नहीं रोक रही थी. मगर वो मेरा साथ भी नहीं दे रही थी।

अम्मी के होठों को चूसने के बाद मैं अम्मी का ऊपर किया हुआ सूट निकालने लगा। और थोड़ी दिक्कत के बाद मैंने अम्मी का सूट निकाल दिया। फिर मैं अपना हाथ उनकी पीठ पर ले गया।

और एक ही हाथ से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। ब्रा के खुलते ही आगे से ब्रा ढीली हो गई। फिर मैंने उसे भी निकाल के साइड में फेंक दिया।

अब अम्मी मेरे सामने पूरी नंगी हो चुकी थी। फिर मैंने अपने कपड़े निकाल दिये।

और जैसा ही मैंने अपना कच्चा निकला। मेरा 8 इंच का लंड उछल के बाहर आ गया। जो मेरे प्रीकम से गीला पड़ा था। अम्मी मेरा 8 इंच का खड़ा लंड देख रही थी। वैसे तो इसे पहले भी देखा था।

मगर आज वो इस लंड को बिना किसी शर्म के देख रही थी। अम्मी के सामने ही मेरे लंड का मोटा सुपाड़ा बाहर निकल आया। जिसे अम्मी देखने लगी.

मेरे लंड से प्रीकम निकल रहा था। जो मेरे लंड को और चिकना बना रहा था। फ़िर मैं जैसे ही अपना लंड अम्मी की चूत पर लगाने लगा। तभी अम्मी ने अपनी चूत को हाथ से ढक लिया। फिर वो बोली.

अम्मी- तू ऐसा मेरे साथ क्यों कर रहा है? क्या तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं है.? जो तू मेरे साथ ऐसा कर रहा है। क्या तेरे दिल में अपनी माँ के लिए. जरा सी भी इज्जत नहीं है.

मैं -- अम्मी, मैं दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार आपसे करता हूँ। बस मुझे दुःख तब होता है। जब आपको वही प्यार नहीं मिलता है। जो आप मुझे और अब्बू को देती हो।

अम्मी- तुझे किसने कहा कि तेरे अब्बू मुझसे प्यार नहीं करते।

मैं- अम्मी, आपको क्या लगता है? कि मेरे दिल में आपके लिए ये प्यार एक दिन में आया है। मैंने कई महीनों तक आपको देखा कि जैसे आप अब्बू हर चीज का ध्यान रखते हैं। मगर वो आपका बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते हैं।

अम्मी मेरी बाते सुनके चुप हो गयी। और वो नीचे देखने लगी. क्योंकि वो जानती थी. मैं सच बोल रहा हूँ. मैंने अम्मी का चेहरा पकड़ के ऊपर किया।

मैं - देख लो अम्मी आज आपने अब्बू के लिए कितनी तैयारी की थी। मगर अब्बू ने ना आके सब बेकार कर दिया।

मैंने अम्मी की चूत पर राखे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया। अम्मी समझ गई कि मैं किस तयारी की बात कर रहा था। मैं फिर से अम्मी की चूत को चूमने लगा। फिर मैंने अम्मी का हाथ चूत से हटा दिया।

और अपना लंड अम्मी की चूत पर लगा दिया। अम्मी की चूत फिर से गीली होनी शुरू हो गयी थी। और मेरा लंड तो पहले से गीला था। मेरा लंड अम्मी की चूत के छेद पर दस्तक दे रहा था।

और मैं अपने लंड से अम्मी की चूत से निकले भगनासे को रगड़ रहा था। कुछ देर मैं ऐसा ही करता रहा। अम्मी आंखें बंद किये लेती थी. फिर मैंने हल्के से अपना लंड अम्मी के ऊपर लगाया।

और बड़े आराम से मेरा लंड अम्मी की चूत में समा गया। जब मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया. तब अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए। और वो अपनी चूत सिकोड़ने लगी। मैंने लंड फिर से बाहर निकाला.

फिर से अंदर डाल दिया. अम्मी आँखे बंद करके मेरे लंड का एक इंच मेहसूस कर रही थी। और मुझे अपने लंड पर अम्मी की चूत की गर्मी महसूस होने लगी थी। मैं घुटनो के बाल बैठा हुआ था।

अम्मी की जांघों को पकड़ के धक्के लग रहा था। शुरू में मैंने हल्के हल्के धक्के लगाये। तब अम्मी सिर्फ मुँह बना रही थी। मगर कुछ देर बाद मैंने अपने धक्के तेज कर दिये।

मेरे तेज धक्के की वजह से अम्मी की चुचिया ऊपर नीचे हो रही थी। और अब अम्मी के मुँह से भी आअहह उम्म्म उम्म्म उम्म की आवाज आने लगी। अम्मी अपना मुँह साइड करके लेटी हुई थी।

और उनकी आंखें बंद थीं। मगर वो इस भूलभुलैया को कैसे अनदेखा कर सकती थी। जो मेरा लंड उनको दे रहा था. धक्के लगाते हुए मैं अम्मी की चूत के दाने को रगड़ने लगा। जिसे अम्मी को और भी ज्यादा मजा आने लगा।

और वो अपनी तकिया को पकड़ने लगी। अम्मी की चूत एक दम मक्खन की तरह थी। जिसमें मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा था। मेरे लंड पर अम्मी की चूत का पानी लग गया था।

फिर मैं धक्के लगाते हुए. अम्मी के ऊपर झुक गया. और उनकी चुची को चूसना और मसलना लगा। जैसा जैसा मैं अम्मी की चुची को खींच ता। तो उनके मुँह से आहह की आवाज निकलने लगती है।

और वो मुझे देखने लगती है. अब अम्मी की आँखों में चुदाई का नशा साफ दिख रहा था। मगर फिर भी वो पूरी तरह से मेरा साथ नहीं दे रही थी। मगर उनकी गीली चूत और उनकी गरम सांसे ये बताने के लिए काफी थी।

कि वो अंदर से मेरी चुदाई का मजा ले रही थी। और अब मुझे अम्मी की टांग खोलने की जरूरत नहीं पड़ रही थी। वो खुद अपनी टांग फेलाए. मेरे नीचे लेती हुई थी. चुदाई के सुख में अम्मी को शायद ये अंदाज़ा भी नहीं था।

कि वो ना चाहते हुए भी मेरा साथ दे रही थी। और मैं अम्मी की चुदाई में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। कुछ देर और धक्के लगाने के बाद अम्मी कसमसाने लगी। और अपनी टांग को जोड़ने लगी।

मगर मैं धक्के लगाये जा रहा था। अम्मी मेरे पेट पर हाथ रखकर। मुझे पीछे करना चा रही थी. मगर मैं तो उनकी चूत से चिपक गया था। कुछ देर और धक्के लगाने के बाद अम्मी की सांसें फूलने लगीं।

फ़िर अम्मी के मुँह से अह्ह्ह्ह करके आवाज़ आयी। और उनका पानी निकल गया. जब अम्मी का पानी निकला. मैंने धक्के लगाने बंद कर दिये। मेरा लंड अभी भी अम्मी की चूत में था।

और वो जोर जोर से सांसे ले रही थी। और मैं अम्मी की चुचिया चूसने लगा। चुचिया चूसते हुए मैं अम्मी को देख रहा था। और अब मुझे उनकी आँखों में एक सुकून दिखाई दे रहा था।

जो एक अच्छी चुदाई के बाद हमेशा एक औरत की आँखों में दिखता है। कुछ देर अम्मी की चूची चूसने के बाद मैं उनके ऊपर से उठ गया। और मेरा लंड भी चूत के बाहर आ गया। जैसा ही मेरा लंड बाहर निकला.

तो अम्मी की चूत का छेद खुला हुआ दिखने लगा। अम्मी की चूत से पानी की लार टपक रही थी। और इस बार मुझे अम्मी की टांगे खोलने की जरूरत भी नहीं पड़ी। अम्मी ने पहले से ही टांगे खोली हुई थी।

और मैंने फिर से अपना मुँह अम्मी की चूत में लगा दिया। अम्मी की चूत से निकलते पानी को चाटने लगा। मैंने चाट चाट के सारा पानी साफ़ कर दिया। फिर मैं अम्मी की गांड को चाटने लगा।

मेरी जीभ अम्मी की गांड और चूत दोनों पर घूम रही थी। और मेरे हाथ अम्मी की चुचियों को दबा रहे थे। कुछ देर चूत और गांड चाटने के बाद मैं उठ गया। और मैंने अम्मी की कमर पकड़ के उन्हें पलट दिया।

और अब अम्मी पेट के बल लेती हुई थी। फिर मैं उनके ऊपर आ गया. फिर मैंने दोनों हाथों से अम्मी की गांड को फेलाया। जिसे मुझे अम्मी की चूत और गांड का छेद दिखने लगा।

और मैंने अपना लंड अम्मी की चूत पर लगाया। और एक ही बार में अपना लंड अम्मी की चूत में उतार दिया। अम्मी ऐसे ही पेट के बाल लेटि हुई थी। और मैं उनकी जांघो पर बैठकर धक्के लगा रहा था।

मैंने दोनों हाथों से अम्मी की गांड को फेलाया हुआ था। और मुझे चूत में जाता लंड साफ दिख रहा था। अम्मी का चैहरा मुझे दिखाई नहीं दे रहा था। मगर मैं अंदाज़ा लगा सकता था।

कि उनको मजा ही आ रहा होगा. धक्के लगाते हुए. मुझे अम्मी की गांड का लालच हो गया था। मेरा मन तो कर रहा था कि अभी लंड गांड में डाल दूं। मगर ये शायद जल्दीबाज़ी होती।

इसलिए मैं चूत में धक्के लगा रहा हूं। मगर मेरी भी गांड में कीड़ा था. अम्मी की गांड देख कर. जब मुझसे रहा नहीं गया. तो मैंने उनकी गांड पर थूक टपका दिया। और अपना अंगूठा उनकी गांड में डाल दिया।

अंगुठे के अंदर जाते ही अम्मी के मुँह से आअहह निकल गई। और अनहोन रँत पीछै देखा। और मेरा अंगूठा बाहर निकल दिया। मैं समझ गया कि अम्मी को ये पसंद नहीं है।

उसके बाद मैं अम्मी के ऊपर लेट गया। और उनकी चुचियो को दबते हुए धक्के लगाने लगा। कुछ देर धक्के लगाने के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। तभी मैं अम्मी के ऊपर से उठ गया।

और मेरा लंड बाहर आ गया. मेरा लंड कुछ ज़्यादा ही गीला पड़ गया था। अम्मी की चूत पानी बहाने में कोई कंजूसी नहीं कर रही थी। फिर मैंने अम्मी के पेट के नीचे हाथ डाला। और वो मेरे सामने डॉगी स्टाइल में आ गई। डॉगी स्टाइल मुझे शुरू से बहुत पसंद है। क्योंकि इसमें गांड एक दम उठी हुई दिखती है।

और जब अम्मी मेरे सामने घोड़ी बनी हुई थी। तो आप यकीन नहीं करोगे दोस्तो। अम्मी की चूत और गांड को देखकर ऐसा लग रहा था। जैसे जन्नत के 2 दरवाजे मेरे सामने खुले पड़े हो। फ़िर मैंने भी बिना समय गवाये।

अपना मुँह अम्मी की गांड में लगा दिया। और पीछे से अम्मी की गांड को चाटने लगा। मैं अम्मी के साथ वो सब कर रहा था। जो शायद अब्बू ने कभी उनके साथ नहीं किया था।

और वैसे भी इस उम्र में किसी भी मर्द को अपनी बीवी अच्छी नहीं लगती है। इसीलिये वो बाहर चक्कर चला लेते हैं। मगर हमारे जैसे लड़के इस उम्र की औरत के लिए पागल रहते हैं। और मैं भी पागलों की तरह अम्मी की गांड को चाट रहा था।

अम्मी बिलकुल आराम से झुकी हुई थी। और उन्हें अपनी आंखें बंद करनी पड़ीं। यानी उनको भी अपनी गांड चटवाने में मजा आ रहा था। मैं कुछ देर तक अम्मी की गांड को चाट रहा हूँ।

और अब मेरा पानी भी रुक गया था। फिर मैंने अपना लंड अम्मी की चूत पर लगाया। और उसने अन्दर डालने लगा. जैसा ही मेरा लंड चूत में गया. मैं अम्मी की गांड को पकड़ के धक्के लगाने लगा। और कमरे में थप थप की आवाज होने लगी।

अम्मी की चुचिया लटक रही थी. और मेरे धक्के से वो आगे पीछे हो रही थी। फिर मैंने अम्मी की चुचिया पकड़ ली। और उनको दबते हुए धक्के लगाने लगा. डॉगी स्टाइल में लंड पूरा अंदर तक जा रहा था। अम्मी आहह आहह आहह कर रही थी.

चुदाई की इस गर्मी में अम्मी मेरा पूरा तरह साथ नहीं दे रही थी। मगर वो मुझे मना भी नहीं रही थी। यानि उनकी पूरी तरह हा भी नहीं थी और न भी नहीं थी। मैं धक्के लगाये जा रहा था।

और अब अम्मी बार बार हिल रही थी। मैं समझ गया. अम्मी को झुके झुके दर्द होने लगा है। इसलिए वो बार बार खुद को सही कर रही है। मैंने अपना लंड निकाल लिया.

फिर मैं अम्मी की टांग के बीच आ गया। और इस बार अम्मी ने खुद मेरे लिए अपनी टांग फेला ली। जैसा ही मैंने अम्मी की तरफ देखा। वो भी मुझे घुर के देखने लगी. मैंने अपनी साइड में पड़ी तकिया उठाई।

और उसे अम्मी की कमर के नीचे लगाने लगा। मैंने अम्मी की कमर में हाथ डाला। मगर उन्हें खुद अपनी कमर उठा ली. और मैंने तकिया नीचे लगा दी. अब अम्मी की चूत ऊपर हो गई।

फिर मैंने देर किये बिना अपना लंड अम्मी की चूत में डाल दिया। और धक्के लगते हुए. उनके ऊपर झुक गया. और उनकी चुचिया चूसते हुए धक्के लगा रहा था।

हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। शिमला के हमारे हल्के ठंडे महल में भी हमारे कमरे में गर्मी फेल हुई थी। मैं धक्के लगाये जा रहा था। अम्मी के मुँह से बीच बीच में आअहह आआह निकल रही थी।

मेरे धक्के तेज हो गये. और इस बार अम्मी ने मुझे खुद से चिपका लिया। और उनके हाथ मेरी पीठ पर आ गये। अम्मी ने आपने नाखुन मेरी पीठ पर गड़ा दिये थे। और मैं धक्के लगाता जा रहा था।

फिर कुछ देर बाद अम्मी का पानी निकल गया। और उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया। मगर फिर भी मैं धक्के लगाता रहा। और इस बार मैंने भी अपना पानी कंट्रोल नहीं किया। धक्के लगते लगते मेरा भी पानी निकल गया।

और मैंने अपना सारा पानी अम्मी की चूत में भर दिया। और मैं उनसे चिपक के लेट गया। अम्मी और मेरी आँखे बंद थी। मुझे बस अम्मी की तेज सांसों की आवाज आ रही थी। और सांसों के साथ उनकी चुचिया भी ऊपर नीचे हो रही थी।

कुछ देर तक मैं अम्मी के ऊपर ऐसे ही रहा। फिर मैं अम्मी के बगल में लेट गया। अम्मी ने खुद अपने नीचे से ताकिया निकाल के मेरी साइड रख दी। अम्मी अभी भी तेज-तेज सांसें ले रही थी। और उनकी आंखें बंद थीं।

आज मैंने अम्मी का कई बार पानी निकाला था। अम्मी अपनी आंखें नहीं खोल रही थी। उन्हें देखने से लग रहा था कि वो थक गई है। इसलिए मैंने भी लाइट बंद कर दी। फिर मैं भी उनसे चिपक के सो गया। सच में दोस्तो इसे बेहतर नींद मुझे आज तक नहीं आई।

जितनी आज अम्मी की चुदाई करने के बाद आयी थी। सुबह मेरी आंख 7 बजे के आसपास खुली। और मैंने उठे हाय अम्मी को देखा। जो अभी तक नंगी ही सो रही थी। अम्मी के निपल खड़े हुए.

और जैसी ही अम्मी सांस लेती है. उनकी चुचिया ऊपर नीचे होने लगती है. मैं अम्मी को ही देखने लगा. आज अम्मी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी। शायद ये हमसे चुदाई का असर था. जो कल रात हमारे बीच हुई थी.

मैं अम्मी को देखता ही जा रहा था। और मैं 10 से 15 मिनट तक अम्मी को ऐसा ही देखता रहा। फिर मैंने अपना मोबाइल उठाया. और अम्मी की सोते हुए कुछ फोटो ले ली।

ताकि आज की ये यादे हमेशा मेरे पास रहे। अम्मी वाकाई बहुत खूबसूरत लग रही थी। मुझे उनको उठाने का मन नहीं कर रहा था। फिर मैंने उनके माथे को चूम लिया। और वैसे ही जाने दो।

माथा चूमने से अम्मी थोड़ी हिली। और फिर उन्हें अपनी आंखे खोल ली। आँखे खुलते ही उन्हें एहसास हुआ कि वो नंगी है। और तभी उन्हें मेरी तरफ़ देखा। और मैं अम्मी को ही देख रहा था।

मैं- गुड मॉर्निंग अम्मी.

मेरी गुड मॉर्निंग सुनते ही अम्मी एक दम से उठ गई। जैसे ही वो उठी. उनका नंगा बदन मेरे सामने आ गया। अम्मी बिस्तर से उठ गयी. और ज़मीन पर पड़े अपने कपड़े उठाने लगी। मैं अम्मी की नंगी जवानी को ताड़ रहा था।

और अम्मी आपने कपड़े पहन रही थी। पहले अम्मी ने अपनी पैंटी उठाई। और वो पहनने लगी. अम्मी का मुँह दूसरी तरफ़ था। वो मुझे नहीं देख रही थी. मगर मैं तो उनकी गोरी और मोटी गांड को ही देख रहा था।

मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा हुआ था। और अब अम्मी की गांड को देख कर. वो और भी ज्यादा टाइट हो गया था. जब अम्मी पैंटी पहनने के लिए नीचे झुकी। तो उनकी गांड और चूत पीछे से खुल के दिखने लगी।

और अम्मी की चूत और गांड देखकर। मेरे मुँह में पानी आ गया. पैंटी पहनने के बाद अम्मी ने बाकी कपड़े उठाए। और उन्हें लेके वो बाथरूम में जाने लगी।

जब अम्मी चलते हुए बाथरूम जा रही थी। तो उनकी मटकती गांड को देखकर मैं पागल हो रहा था। अम्मी की गोल और मोटी गांड इधर उधर हिल रही थी। और मैं उनकी गांड को देख कर अपना लंड हिला रहा था।

मैं बिस्तर पर लेटकर अपना लंड सहला रहा था। और अम्मी का इंतज़ार कर रहा था. लगभाग 10 मिनट बाद अम्मी कपडे पहन के बाहर आई। अम्मी को देखते ही मैंने अपने लंड से हाथ हटा लिया।

और बाहर आते ही अम्मी की नज़र मेरे लंड पर ठहर गयी। वो मेरे लंड को घूर रही थी. शायद उन्हें याद आ रहा था कि कल रात इसी लंड ने उन्हें वो सुख दिया था। जिसे वो अब्बू से लेना चाहती थी। मगर वो सुख अब्बू अम्मी को अब देते नहीं थे।

अम्मी मेरा लंड देख रही थी. और फिर उन्हें अपनी नजर हटा ली.

अम्मी -- बेटा, जल्दी कपडे पहन ले. हमें निकलना है अभी.

मैं- अम्मी, पहले कुछ खा तो लेते हैं. फिर आराम से निकलते हैं.

अम्मी- नहीं मुझे अभी जाना है. जल्दी से तैयार हो जा.

अम्मी की बातें सुनके साफ समझ आ रहा था कि हमारे बीच जो हुआ है। वो उससे खुश नहीं थी. मगर मेरे लिए तो वो लम्हा किसी जन्नत से कम नहीं था। जिसमें ना चाहते हुए भी अम्मी ने मेरा साथ दिया था।

और शायद यही बात उनको परेशान कर रही थी। मैं अम्मी के सामने बिस्तर से उठा। और मेरे उठे ही मेरा लंड फिर से अम्मी के सामने आ गया। मेरा लंड बहुत टाइट हो चुका था। जो बिलकुल सीधा खड़ा था.

और मैं जानता था. अम्मी चोर नज़र से मेरे लंड को ही देख रही थी। मैं नंगा अम्मी के पास गया। और उनके गाल को चूम लिया।

मैं- आई लव यू अम्मी.

अम्मी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। और फिर मैं 10 मिनट में फ्रेश होके आ गया। अम्मी बिस्तर पर ही थी. जैसा ही मैं बाथरूम से वापस आया। तब भी उनकी नज़र मेरे लंड पर थी।

अम्मी के सामने होने से मेरा लंड ढीला हो ही नहीं रहा था। और अम्मी ना चाहते हुए भी मेरा लंड देख रही थी। मैंने देखा. अम्मी ने मेरे कपडे ज़मीन से कुर्सी पर रख दिये थे।

मैं अम्मी के सामने कपड़े पहनने लगा। जैसे ही मैंने कपडे पहन लिए। तभी अम्मी बिस्तर से उठ गई। और वो दरवाजे की तरफ जाने लगी। फिर हम दोनो अपने कमरे के बाहर आ गये।

और फिर मैं रिसेप्शन पर आ गया। वाह अपना बिल देने लगा. अम्मी मेरे पीछे ही खड़ी थी. तभी रिसेप्शन पर लड़की बोली.

लड़की -- मैं उम्मीद करती हूं कि आपको हमारे होटल की सर्विस पसंद आएगी मैम।

जैसी ही उस लड़की ने ये बात बोली. मुझे लगेगा अम्मी जवाब नहीं देगी। मगर तभी अम्मी बोल पड़ी.

अम्मी- हा जी आपका होटल बहुत अच्छा है।

अम्मी का जवाब सुनके मैं उन्हें देखने लगा। उनके चेहरे पर एक झूठी मुस्कान थी।

लड़की -- बहुत बहुत धन्यवाद मैम. दोबारा जरूर आएगा.

फिर मैं और अम्मी उस लड़की को बाय बोलके निकल आये। फिर मैं कार लेके आया. और अम्मी चुप चाप बैठ गयी. मैं कार चला रहा था. और अम्मी बिल्कुल शांत थीं। यहां तक कि वो मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी।

कुछ देर कार चलाने के बाद एक चाय की दुकान आई। जहां मैंने कार रोक दी.

फिर मैं जाके अम्मी और अपने लिए। चाय और कुछ खाने के लिए ले आया। अम्मी भी कार के बाहर आ गयी. और साइड में खड़ी हो गई. मैं चाय लेके अम्मी के पास गया। और उन्हें चाय दे दी. अम्मी चाय पीने लगी.

और मैं उन्हें देखने लगा. अम्मी बीच बीच में मुझे देख रही थी। मगर कुछ बोल नहीं रही थी.

मैं- अम्मी, क्या हो गया है? आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे हो?

अम्मी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया।

मैं- प्लीज बताओ ना क्या बात है? क्या आप कल रात वाली बात के लिए नाराज़ हो?

अम्मी -- मुझे हमारे बारे में कोई बात नहीं करनी है। जल्दी से चाय ख़त्म कर। और घर चल.

रस्ते में अम्मी से वो सब बातें करना ठीक नहीं था। इसलिए मैं भी चुप हो गया. मैंने सोचा घर पर चल के बात कर लूंगा। फिर चाय पीके हम दोनो निकल पड़े। और साढ़े तीन घंटे के बाद हम लोग घर पहुंच गए।

मैं कार पार्क करने लगा. और अम्मी दरवाजा खोल के अंदर चली गई। कार पार्क करने के बाद जब मैं घर के अंदर गया। तो अम्मी मुझे कहीं नहीं दिखी. फ़िर मैं उनके कमरे के पास गया। और कमरा खोलने लगा.

मगर अम्मी ने कमरा अंदर से बंद किया हुआ था। मैंने दरवाजा खट खटया. मगर अम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया। मगर मैने 3 से 4 बार जब दरवाज़ा ख़त्म हो गया। अम्मी बोली.

अम्मी -- मुझे परेशान मत कर.

मैं- अम्मी, दरवाजा खोलो. मुझसे आपसे बात करनी है.

अम्मी -- मुझसे तुझसे कोई बात नहीं करनी है. चला जा यहाँ से.

अम्मी मुझसे बात नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैंने उन्हें अकेला छोड़ दिया. और फिर मैं अपने काम में लग गया। मैं बस अम्मी का इंतज़ार कर रहा था कि कब वो बाहर आये। और मैं उनसे बात करूं.

मगर अम्मी बाहर आ ही नहीं रही थी। फ़िर दोफ़र लगभाग 1 बजे अम्मी अपने कमरे के बाहर आयी। और वो सीधा किचन में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी किचन में चला गया। जैसा ही मैं किचन में घुसा।

अम्मी मुझे देखने लगी. मुझे देखकर उन्हें कुछ नहीं कहा। और वो अपना काम करने लगी। पता नहीं क्यों मगर मुझे भी उनसे बात करने में डर लग रहा था। मगर शुरूवात कहीं से तो करनी थी।

इसीलिये मैं अम्मी के पास गया। अम्मी दूसरी तरफ मुह करके काम करने लगी।

अम्मी की बेरुखी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। और इस बार मैंने उन्हें पीछे से जाके पकड़ लिया। मेरे हाथ अम्मी की कमर को पकड़े हुए थे। जैसा ही मैंने अम्मी को पकड़ा। वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी।

मैं- अम्मी, आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो? आपकी ये खामोशी मुझे छू रही है। आप चाहो तो मुझे मार लो। मगर प्लीज़ ऐसे चुप मत रहो।

अम्मी -- मुझसे तुझसे कोई बात नहीं करनी है. छोड़ मुझे और जा यहाँ से।

मैं- अम्मी, मैं जानता हूं. आप रात वाली बात से गुस्सा हो। मगर अम्मी मैंने जो भी कहा। वो सब सच था. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।

अम्मी ने मेरी बात सुनी. थोड़ा दम लगाया. और खुद को मेरे हाथो की कैद से आज़ाद कर लिया। जैसे वो अलग हुई. अन्होने 2 थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिए। जिसकी गूंज रसोई में हुई।

मैं गाल पर हाथ रखकर. अम्मी को देख रहा था. और उनकी आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था।

अम्मी- दोबारा ऐसी बात की तो मुंह तोड़ दूंगी तेरा. यहीं सब सीख रहा है तू बाहर जाके. मैंने तेरी सारी हरकतें बर्दाश्त की मुझे लगा बच्चा है। मगर तू तो कुछ और ही सोच रहा था। ची ची ची अपनी ही माँ के साथ ऐसा करना। तू ये सब सोच भी सकता है.

मैं- अम्मी, आप चाहो तो मुझे और मार लो। मगर मैं फिर भी यहीं कहूंगा कि मैं आपसे प्यार करता हूं। और हमेशा करता रहूंगा.

अम्मी ने फिर से मेरे गाल पर थप्पड़ मारा। और मुझे किचन से निकाल दिया। मैं अपने कमरे में आके बैठ गया। और अम्मी के बारे में सोचने लगा। अम्मी अभी गुस्से में थी.

शायद इसीलिए कुछ समझना नहीं चाहती थी। क्योंकि जो रिश्ता मैं उससे बनाना चाहता था। वो इतना भी आसान नहीं था. और एक माँ अपने बेटे के साथ ऐसा रिश्ता सोच भी नहीं सकती थी। मगर अब तो हमारे बीच सब हो चुका था।

अब बस मुझे सही समय का इंतज़ार करना था। ताकि अम्मी का गुस्सा थोड़ा ठंडा हो जाए। और मैं उन्हें मना सकता हूं. न मैंने खाना खाया। और ना ही अम्मी ने, और शाम होते ही हाय अब्बू भी आ गये।

अब्बू ने आते ही अम्मी को गले से लगा लिया। और वो उन्हें सॉरी बोलने लगे. अम्मी ने अब्बू को कुछ नहीं कहा। और फिर वो दोनों अपने कमरे में चले गए। और मैं अपने कमरे में आ गया। फिर कुछ देर बाद अब्बू मेरे कमरे में आये।

पापा- चल जल्दी से तैयार हो जा. हम लोग बाहर खाना खाके आते हैं।

मैं- अब्बू मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है. शाम को वो पिज़्ज़ा खा लिया था. इसिलिए भूख नहीं लग रही थी। वैसे आप अम्मी को लेके जाओ। वो कल बहुत नाराज थी आपसे।

पापा- ठीक है बेटा. फिर हम दोनों होके आते हैं. और भूख लगे. तो कुछ मंगवा के खा लेना.

अब्बू मेरे कमरे से निकल गये. और फिर कुछ देर बाद अब्बू ने मुझे आवाज लगाई। जब मैं बाहर गया. तो अब्बू अम्मी जा रहे थे.

अम्मी ने काले रंग की साड़ी पहनी थी। जिसमें वो बहुत हसीन लग रही थी।

मेरा लंड तो अम्मी को देखते ही सलामी देने लगा। और शायद अम्मी ने भी ये देख लिया। अम्मी ने मुझसे कुछ न कहा। और फिर अब्बू अम्मी बाहर निकल गये। और मैं अपने कमरे में आके बैठ गया।

मैं बैठा पड़ाई कर रहा था। जो मुझसे हो नहीं रही थी. इसीलिये मैं सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा। और अम्मी को ख्यालो में ही चोदने लगा। समय कैसे बीत गया. मुझे पता ही नहीं चला. रात के 11 बजे अम्मी और अब्बू वापस आ गये।

मैंने गेट खोला तो अम्मी अंदर आ गई। फिर अब्बू भी कार पार्क करके आ गये। और वो दोनो अपने कमरे में चले गये। और मैं अपने कमरे में आ गया।

कुछ देर बाद अम्मी मेरे कमरे में आई। और उनके हाथ में खाने की थाली थी। जिसे वो मेरी टेबल पर रखकर जाने लगी।

अम्मी- खाना खा लेना.

अम्मी मुझे खाना देके चली गई। और फिर मैं भी खाना खाके छत पर टहलने चला गया। छत पर जाते हुए. मैंने देखा अम्मी के कमरे का दरवाजा बंद था। और ये तो मैं जान ही गया था.

आज अब्बू अम्मी की चुदाई जरूर करेंगे। फिर मैं छत पर चला गया। और आधे घंटे बाद टहल के नीचे आया। जब मैं नीचे आया. तो मैंने देखा किचन की लाइट जल रही है। और फिर मैं भी किचन में चला गया।