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दो कठिनाईया एक शर्त
अली ने जिस पेड़ पर वह छिपे हुए थे उसके पास से बांस की एक लकड़ी तोड़ी फिर अपने थैले से एक रस्सी निकली, उससे धनुष बाण बना लिया और राजकुमार को धनुष बाण पकड़ा दिया... तो राजकुमार को अपने अंदर अजीब-सी तरंगे और ताकत महसूस हुई?
एक बड़े आकार का जानवर तालाब में स्नान कर रही परियों की ओर दौड़ा चला आ रहा था। उसने परियो के पंख और वस्त्र उठा लिए। जैसे ही परियो के पंख और वस्त्र उसने उठाये परियों की सभी शक्तियाँ चली गयी और वह मदद के लिए चिल्लाने लगी।
बड़े आकार के उस अजीब जानवर ने आकर उस पेड़ पर एक बड़ा पथ्थर फेंका, वह पत्थर परियों की राजकुमारी अनुपमा के ठीक ऊपर से गुजरा, फिर पेड़ पर टक्कर मारी जिससे राजकुमार ज़मीन पर लुढ़का, राजकुमार ने नीचे गिरते समय पत्थर पर तीर चला दिया जिससे पत्थर के परखचे उड़ गए। फिर राजकुमार ने अपनी तलवार निकाली और उस जानवर की तरफ़ फेंक दी । तलवार उस जानवर की गर्दन पर लगी और जानवर का सिर धड़ से अलग हो गया और देखते ही देखते जानवर किसी राक्षस में बदल गया। राजकुमार ने अपनी तलवार वापिस उठा ली और फुर्ती से पेड़ पर वापिस चढ़ गया।
थोड़ी देर खामोशी छाई रही। परी राजकुमारी की सखियो ने सब पंख और वस्त्र इकठ्ठे किये, पहने उसके बाद फिर परी राजकुमारी ने ताली बजाई। मृगाक्षी परी आगे बढ़ कर उसके सामने खड़ी हो गई। परी राजकुमारी ने बड़ी शालीनता से कहा, 'जाओ, उनको लाओ।'
'जो आज्ञा!' कह कर मृगाक्षी परी वहाँ से चल पड़ी और उसी ओर आने लगी, जहाँ पेड़ पर राजकुमार और वज़ीर का लड़का अली बैठे थे। दोनों की जान सूख गई। वे अपने भाग्य में क्या लिखा कर आए थे कि ऐसे संकट में फँस गए!
मृगाक्षी परी उसी पेड़ के नीचे आई और राजकुमार की ओर इशारा करके कहा, ' नीचे उतरो। हमारी राजकुमारी अनुपमा परी ने तुम्हें याद किया है। ' राजकुमार हिचकिचाया। उसकी हिचकिचाहट देख कर परी ने कहा, ' जल्दी उतर आओ। हमारी राजकुमारी आपकी राह देख रही हैं।
अब राजकुमार के पास कोई चारा नहीं था।
राजकुमार नीचे उतरा पारी वज़ीर का बेटा अली नहीं उतरा तब मृगाक्षी परी कहने लगी अब जनाब आपके लिए अलग से न्योता देना है क्या? फिर अली भी नीचे उतरा और परी के साथ हो लिया। दोनों राजकुमारी के पास पहुँचे। राजकुमारी अनुपमा परी ने सरक कर सिंहासन पर जगह कर दी और कहा, 'आओ, यहाँ बैठ जाओ।'
राजकुमार ने उसकी बात सुनी, पर उसकी बैठने की हिम्मत न हुई।
"धन्यवाद! तुमने उस राक्षस को मार डाला।"
फिर वह राजकुमार को आश्चर्य से देखने लगी। "लेकिन आप कौन हैं? मुझे बचाने के लिए धन्यवाद। ।"
राजकुमार ने धीरे से कहा, 'मैं इस राज्य खुशहालपुर के राजा का बेटा हूँ।'
'तो तुम राजकुमार हो!' राजकुमारी ने मुस्करा कर कहा। ' और आपके साथ ये महाशय कौन हैं?
राजकुमार ने धीरे से कहा, 'ये मेरा मित्र अली है ये हमारे वज़ीर का बेटा है।'
उसके बाद राजकुमार चुपचाप खड़ा रहा।
राजकुमारी ने कहा, 'देखो, यहाँ से कोसों दूर हमारा राज है। मैं वहाँ की राजकुमारी अनुपमा परी हूँ। हमारे गुरूजी ने कहा था कि मेरा राजकुमार मुझे इस उद्यान में मिलेगा । मैं बहुत दिनों से इंतज़ार कर रही थी कि कोई राजकुमार यहाँ आए। आज तुम आ गए।'
इतना कह कर राजकुमारी मुस्कुराती हुई राजकुमार की ओर प्यार से एकटक देखने लगी।
राजकुमार को लगा कि वह बेहोश हो कर गिर पड़ेगा, पर उसने अपने को सँभाला।
राजकुमारी अनुपमा परी की मुस्कराहट और चौड़ी हो गई। बड़े मधुर शब्दों में बोली, " तुमने हमारी जान बचाई है तुम्हें मुझसे विवाह करना होगा। '
राजकुमार पर मानो बिजली गिरी। उसने कहा, 'यह नहीं हो सकता।'
'क्यों?' राजकुमारी अनुपमा परी ने थोड़ा कठोर हो कर पूछा। "क्या मैं आपको पसंद नहीं हूँ?"
'नहीं आप पसंद हो! लेकिन इसमें दो कठिनाईया है! पहली,' राजकुमार ने कहा, 'मैं राजकुमारी मधुरिमा की तलाश में निकला हूँ। मैंने प्रतिज्ञा की है कि जब तक वह नहीं मिल जाएगी, मैं अपने महल का अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा।'
"और दूसरी"?
"हम दो भाई है और हम दोनों इस राज्य पर शासन करेगे और वरुण इस राज्य का राजा होगा। हमारी रानी को हम दोनों से विवाह करना होगा । इसलिए यदि आप मुझसे विवाह करना चाहती हैं तो आपको मेरे भाई से भी विवाह करना होगा । अगर हम भाई ऐसा नहीं करते और हमसे कोई किसी नारी के साथ सम्बंध बना लेते है तब दूसरे दिन ही सुबह हम दोनों की मौत हो जाएगी।"
'ओह! यह बात है?' राजकुमारी ने बड़े तरल स्वर में कहा, 'मैं नहीं चाहूँगी कि तुम अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ो। प्रतिज्ञा बड़ी पवित्र होती है। उसे तोड़ना नहीं चाहिए। तुम अपनी प्रतिज्ञा पूरी करो। मैं उसमें तुम्हारी मदद करूँगी। पर एक शर्त पर।'
राजकुमार ने कहा, 'वह शर्त क्या है, राजकुमारी अनुपमा परी?'
राजकुमार बोली, 'राजकुमारी मधुरिमा को ले कर तुम यहाँ आओगे और मेरे साथ शादी करके अपने राज्य को जाओगे।'
राजकुमार ने कहा, 'यदि सब जानने के बाद भी आप त्यार हैं तब इसमें मुझे क्या आपत्ति हो सकती है?'
राजकुमारी अनुपमा परी थोड़ी देर मौन रही, फिर बोली, 'तुम राजकुमारी मधुरिमा के राज्य मधुर द्वीप पहुँचोगे कैसे?'
राजकुमार ने कहा, 'क्यों, राजकुमारी अनुपमा परी उसमें क्या दिक्कत है!'
राजकुमारी हँसने लगी। हँसते-हँसते बोली, 'तुम बड़े भोले हो मेरे राजकुमार। अरे, वहाँ पहुँचना हँसी-खेल नहीं है। रास्ते में एक जादू की नगरी पड़ती है। मधुर द्वीप का रास्ता वहीं से हो कर जाता है। कोई भी तुम्हें अपने जादू में फँसा लेगा।'
जारी रहेगी