चौधराईन की दरबार (भाग-2)

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नीचे अन्धेरा होने का फायदा उठाते हुए , पंडिताईन ने एक हाथ से अपना चुत की दरार को पेटीकोट के उपर से हल्के से दबाया ।तभी माया देवी ने उपर से कहा -
“ जरा इधर दिखा …। ”

पंडिताईन ने वैसा ही किया । पर बार-बार वो मौका देख
टार्चकी रोशनी को उनकी टांगो के बीच में फेंक देती थी । कुछ समय बाद माया देवी बोली-
“ और तो कोई पका आम नहीं दिख रहा,… चल मैं नीचे आ जाती हुं, वैसे भी दो आम तो मिल ही गये…। तु खाली इधर-उधर लाईट दिखा रहा है, ध्यान से मेरे पैरों के पास लाईट दिखा ।"

कहते हुए नीचे उतरने लगी । पंडिताईन को अब पूरा मौका मिल गया, ठीक पेड़ की जड़ के पास नीचे खड़ा हो कर
लाईट दिखाने लगी । नीचे उतरती चौधराइन के पेटिकोट के अन्दर रोशनी फेंकते हुए , मस्त चौधराइन माँसल, चिकनी जांघो को अब वो आराम से देख सकती थी । क्योंकि चौधराइन का पूरा ध्यान तो नीचे उतरने पर था,
हालांकि उनकी लंड और झाँटों का दिखना अब बन्द हो गया था, मगर चौधराइन का मुंह पेड़ की तरफ होने के कारण पीछे से उसके मोटे-मोटे चूतड़ों दिख रहे थे ।

उतरने में दिक्कत न हो इसीलिए चौधराइन अपनी पेटीकोट को पुरी समेट कर कमर में खोस लिया था,
जिससे पंडिताईन को उनकी कमर से निचे उभरी हुई भारी चौडी गांड रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था । चौधराइन के
निचे उतरते समय भी अपनी आंखो से उनकी गदराई गोरी चूतड़ों के दरार से उनकी लटकती मूषल लंड और अंडकोष
की थिरक को देख पंडिताईन की चुत में खुजली होने लगा था । एक हाथ से चुत को कस कर दबाते हुए,
पंडिताईन मन ही मन बोली-
“हाय ऐसे ही पेड़ पर चढी रह उफफ्फ्… क्या चूतड़ हैं ? …किसी ने आज तक नहीं रगड़ा होगा एकदम अछूते
चूतड़ों होंगे…। हाय मालकीन चुत ले कर खडी हूँ, जल्दी से नीचे उतर के इस पर अपना लंड पेल दो !”

ये सोचने भर से पंडिताईन की चुत पनिया गयी थी ।
चौधराईन के नीचे उतरते ही बारिश की मोटी बुंदे गिरने लगी । पंडिताईन हडबड़ाती हुई बोली -
“चलिए जल्दी,,,,,भीग जायेंगे.......।”

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Anonymous
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2 Comments
AnonymousAnonymousover 8 years ago

बहुत अच्छी

raviram69raviram69almost 10 years ago
bahut achhi story hai_how can i submit my story in hindi font

dimply4u.... apki story sach mein mujhe bahut achhi lagi, coz woh hindi font mein hai... main b hindi font mein stories submit karna chahta hoon...aur meri dost seema bhi... pls help me... hwo can u submit ur stories in hindi fonts.

luv and regards...

ravi

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