दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-२)

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ज़ूबी ने अपनी आँखें खोली और उसकी पैंट की ज़िप को तलाश करने लगी। उसने पहली बार नीचे देखा। लड़के का हाथ उसकी फैली हुई चूत पर था और उसकी अंगुलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी।

ज़ूबी ने उसकी पैंट और अंडरवीयर को उसके घुटनों तक नीचे खिसका दिया। ज़ूबी अब उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ कर सहला रही थी। उस लड़के ने अपनी अँगुली उसकी चूत से निकाली और उसे बिस्तर की ओर घसीट कर ले आया।

“चलो बिस्तर पर लेट जाओ” उसने कहा।

ज़ूबी बिस्तर पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दी। उसने अपनी बांहें इस तरह से फ़ैलायी कि जैसे अपने महबूब को बुला रही हो। उस लड़के ने अपने बाकी के सारे कपड़े उतार दिये और उछल कर उसकी टाँगों के बीच आ गया।

ज़ूबी को अपने आप पर शरम आ रही थी, पर अँगुली की चुदाई ने उसके अंदर भी आग भर दी थी। ज़ूबी ने उसके तने हुए लंड को देखा और उसे पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया। वो थोड़ी देर उसे अपनी चूत पर रगड़ती रही और जब वो उसके रस से पूरी तरह गीला हो गया तो अपनी कमर ऊपर उठा कर उसे अंदर लेने लगी।

जैसे ही लड़के ने धीरे से धक्का लगाया, ज़ूबी सिसक पड़ी। वो अब धीरे धीरे धक्के लगा कर ज़ूबी को चोद रहा था। उसने ज़ूबी की टाँगें पकड़ कर अपनी कमर के इर्द गिर्द कर लीं और जोरों से धक्के लगाने लगा।

“ऊऊऊऊऊहहह हाँआँआँ ओओहहहह आआआआह ऊऊओहह।” ज़ूबी सिसक रही थी। उसने उस लड़के के चेहरे को अपने पास खींचा और उसके सूखे होंठों को चूसने लगी। उस लड़के ने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे ज़ूबी अपनी जीभ से जीभ मिलाकर चूसने लगी और साथ ही उसके लंड को अपनी चूत में जकड़ने लगी।

वो लड़का इतना उत्तेजित और गरम था कि उसका लंड कुछ देर में ही झड़ गया। पानी छूटने के बाद जैसे ही लड़के ने अपना लंड बाहर निकाला ज़ूबी को निराशा हुई कि उस लड़के ने उसका पानी नहीं छुड़ाया था। पर वो कर भी क्या सकती थी। उसे इस लड़के से अपना काम निकालना था।

“चलो तैयार हो जाओ” लड़का अपने कपड़े पहनते हुए बोला, “हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।”

उस लड़के ने उसे अपनी होटल यूनिफॉर्म का कोट पकड़ाया जो सिर्फ़ ज़ूबी के चूत्तड़ों तक ही आ सकता था। ज़ूबी जल्दी से बिस्तर से उठी और उसने वो कोट पहन लिया। ज़ूबी ने जैसे ही कोट पहना, उसे लगा उस लड़के का वीर्य उसकी चूत से उसकी टाँगों पर बह रहा है और ज़ूबी ने जल्दी से उसे अपने हाथों से पौंछ दिया।

“मेरी गाड़ी होटल के पार्किंग में खड़ी है। तुम पीछे वाली लिफ्ट से नीचे आ जाओ, वहाँ तुम्हें कोई नहीं देख सकेगा” उसने कहा।

ज़ूबी इतनी ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बावजूद हॉलवे में दौड़ती हुई पीछे की लिफ्ट की ओर लपकी। लड़का भी उसके पीछे-पीछे आ गया। दोनों जल्दी से नीचे पार्किंग में पहुँचे और उस लड़के की पुरानी सी गाड़ी में बैठ गये। जब उनकी गाड़ी होटल से काफी दूर आ गयी तो उस लड़के के हाथ ज़ूबी के पहने हुए कोट के बटन को ढूंढने लगे।

थोड़ी ही देर में उस लड़के ने कोट के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। ज़ूबी के निप्पल एक बार फिर तन गये।

गाड़ी चलती रही और थोड़ी देर बाद किसी गली में जाकर रुक गयी। ज़ूबी ने खिड़की के बाहर देखा तो गाड़ी किसी अंजान जगह पर खड़ी थी।

“ये कहाँ आ गये हम, ये मेरा घर तो नहीं?” ज़ूबी ने पूछा।

“सिर्फ़ दो मिनट रुको...” उस नौजवान ने जवाब दिया। वो अपना मोबाइल फोन निकाल कर कोई नंबर मिलाने लगा।

“हाँ नीचे आ जाओ... यार मैं सच कह रहा हूँ... जल्दी से नीचे आओ।”

ज़ूबी ने उस लड़के को देखा और उसकी आँखें फिर नम हो गयी। फिर एक बार वो समझ गयी कि उसे धोका दिया जा रहा है। “प्लीज़” उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “तुमने जो भी कहा मैंने किया, प्लीज़ मुझे मेरे घर पर छोड़ दो।”

उस लड़के ने उसकी ओर देखा, “हाँ मैं जानता हूँ पर जैसे तुम्हारी और मेरी बात हुई थी, बस थोड़ा समय लगेगा।”

उसी समय गाड़ी के आगे का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर आ गया। ज़ूबी थोड़ी देर तक तो उसे घूरती रही फिर अपनी सीट पर खिसक कर उसके लिये जगह बनाने लगी। कोट के अंदर नंगी होने की वजह से उसकी नंगी जाँघें और कुल्हे आने वाले मर्द को साफ़ दिखायी दे रहे थे।

जब उस मर्द ने ज़ूबी को इस हालत में देखा तो वो खुशी से उछल पड़ा, “यार तुम झूठ नहीं कह रहे थे।”

“देखा मैंने सही कहा था ना तुमसे?” उस नौजवान ने आने वाले लड़के से कहा। उस नौजवान ने ज़ूबी के कोट के बटन खोल दिये जिससे उसकी भरी और तनी हुई चूचियाँ नज़र आने लगी। आने वाले नौजवान की नज़र जैसे ही ज़ूबी की नंगी चूचियों पर पड़ी, उसका लंड तन कर खड़ा हो गया।

“प्लीज़...!” ज़ूबी उस होटल वाले नौजवान से गिड़गिड़ाते हुए बोली, “प्लीज़ तुमने वादा किया था।”

“देखो मेरी बात सुनो,” उस नौजवान ने कहा, “तुमने कहा था कि तुम कुछ भी करने को तैयार हो, तुम्हें तुम्हारे घर जाना है कि नहीं?”

ज़ूबी कुछ जवाब नहीं दे पायी।

“मैंने जो कहा वो करना चाहती हो कि नहीं? नहीं तो मैं तुम्हें अभी इस वक्त गाड़ी से उतार दूँगा।” उस नौजवान ने उसे धमकाते हुए कहा।

“मैं नहीं सह सकती... प्लीज़...।”

पर ज़ूबी की आवाज़ उसके हलक में दब कर रह गयी। वो नौजवान उसकी चूचियों को मसले जा रहा था। ज़ूबी उस नये नौजवान से थोड़ा हट कर बैठी थी। उस नौजवान ने शॉट्‌र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया।

“अच्छा है ना?” कहकर उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को अपने लंड पर दबा दिया।

तभी ज़ूबी ने उस होटल के लड़के का हाथ अपने कंधे पर महसूस किया, “तुम इसके लंड को चूसती क्यों नहीं हो?”

अपमान और आत्मग्लानि की एक लहर सी दौड़ गयी ज़ूबी के शरीर में। ये दोनों क्या उसे कोई दो टके में बिकने वाली रंडी समझते थे। पर ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था। अगर ये दोनों उसे इस तरह नंगा सड़क पर छोड़ देते तो उसकी काफी बदनामी होती। वो बरबाद हो जाती।

ज़ूबी ने देखा कि आने वाला नौजवान अपनी सीट पर थोड़ा कसमसा रहा है और अपनी शॉट्‌र्स नीचे खिसका रहा है। ज़ूबी समझ गयी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा।

होटल वाले नौजवान ने उसके कुल्हों को सहलाते हुए कहा, “चलो अब चूसो भी!”

ज़ूबी ने घूम कर देखा कि एक लंबा और मोटा लंड उसके चेहरे के सामने फुंकार मार रहा था। उसे घृणा तो बहुत आयी पर मजबूर होकर उसने अपना मुँह खोला और उस लंड को अपने मुँह में लिया। शायद आज के बाद उसकी हालत सुधर जाये।

उस आने वाले लड़के ने अपने हाथ ज़ूबी के सिर पर रख दिये और उसके सिर को अपने लंड पर ऊपर नीचे होते देखने लगा। ज़ूबी का एक हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ उसकी गोलियों को सहला रहा था।

उस होटल वाले नौजवान ने गाड़ी चला दी थी। ज़ूबी उस नये नौजवान का लंड चूस रही थी और गाड़ी शहर कि सड़कों पर ऐसे ही चल रही थी।

वैसे तो ज़ूबी उस नौजवान के लंड को बड़े मन से चूस रही थी, पर आखिर वो भी इंसान थी। धीरे-धीरे उसके शरीर में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसने महसूस किया कि किसी के हाथ उसकी जाँघों से होते हुए उसकी चूत से खेल रहे हैं। फिर दो अंगुलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगी। उसे विश्वास था कि ये अँगुलियाँ जरूर उस होटल वाले नौजवान की होंगी।

“ओहहहहह हाँआँआँ आआआआँआँ” ज़ूबी के मुँह से एक सिसकरी निकल पड़ी पर वो उस नौजवान के लंड को चूसती रही। उस लड़के ने तभी अपने कुल्हे उठाये और अपना वीर्य ज़ूबी के मुँह में छोड़ दिया।

“हम पहुँच चुके हैं,” उस नौजवान ने कहा।

ज़ूबी ने खिड़की से बाहर अपने इलाके को पहचाना, पर उस लड़के के लंड को अपने मुँह से बाहर निकालने की बजाय उसने उसके लंड को अपने गले तक ले लिया। थोड़ी देर तक अपने मुँह को ऊपर नीचे कर के उसे चूसने के बाद उस लंड को बाहर निकाल दिया और नौजवान की और देख कर मुस्कुराने लगी।

होटल वाले नौजवान ने दरवाज़ा खोला तो ज़ूबी उछल कर नीचे उतर गयी और अपने घर की तरफ़ दौड़ पड़ी। बड़ी मुश्किल से उसने दरवाज़ा खोला। उसे अपनी चूत से पानी बहता महसूस हो रहा था। बड़ी मुश्किल से वो अपने जज़बतों पर कंट्रोल कर पायी थी।

क्रमशः

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