बीबी की चाहत 01

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मैं अपनी बीबी को कुछ लोगों से मिलाकर, जब वह किसी महिलाओं से बातचीत में मशगूल थी तब तरुण जिस जगह था वहाँ पहुंचा। मैं तरुण के करीब गया और बोला, "क्यों यार, क्या बात है? तुमने तो पहली बार मिलते ही मेरी बीबी पर लाइन मारना शुरू कर दिया।"

मेरी बात सुनकर तरुण कुछ खिसियाना सा मुझे देखता रहा। फिर सर झुका कर बोला, "आई ऍम सॉरी भाई। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। भाई, दीपा भाभी है ही बहुत खूबसूरत। आप बड़े लकी हो भाई।"

मैंने तरुण की कमर में मजाक में ही कोहनी मारते हुए कहा, "साले, मैं मजाक कर रहा था। वैसे जितनी चाहे लाइन मार ले, पर तेरी दाल गलने वाली है नहीं। मेरी बीबी ऐसी वैसी नहीं है। बड़ी ही पतिव्रता है। वह तेरी और देखेगी भी नहीं। तेरी जाल में फंसने वाली नहीं है। तू कहीं और अपने तीर चला।"

तरुण ने मेरी और घूम कर देखा और बोला, "भाई, ऐसे भरोसे में मत रहियो। अच्छी अच्छी सतियाँ भी फँस जातीं है, कई बार। वैसे आप कहोगे तो मैं भाभी से दूर ही रहूँगा।"

मैंने सोचा यह सही मौक़ा है तरुण को चुनौती दे कर उकसाने का। मैंने जवाब दिया, "अच्छा बच्चू! क्या तू मुझे चुनौती दे रहा है? अरे तुझे रोका किसने है? चाहे उतना जोर लगाले। कुछ नहीं होने वाला। बल्कि जरूर पड़ी तो मैं तेरी सिफारिश भी कर दूंगा। पर यार एक बात बता। मेरी बीबी को ताड़ने के मजे तो तू ले रहा है। पर क्या अपनी बीबी से नहीं मिलाओगे?"

तरुण ने कहा, "भाई, टीना आ ही रही है। आप तो उसे मिले हो। अगर आपको मेरा दीपा भाभी को घूरने से शिकायत है तो बदले में आप चाहे जितनी लाइन मार लेना मेरी बीबी टीना पर बस? मैं कुछ नहीं बोलूंगा। बल्कि जैसे आपने कहा वैसे मैं भी आप की शिफारिश करूंगा। भाई आपने जब चुनौती दे ही दी है तो अब देखते हैं कौन पहले बाजी मारता है।" मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ की अगर भगवान ने चाहा तो मेरी और तरुण की सेटिंग ठीक बैठ सकती है।

तभी तरुण की पत्नी टीना जो कही बाहर गयी थी वह कमरे में दाखिल हुई। उसके आते ही तरुण उसके पास पहुँच गया और उसको मुझसे और दीपा से मिलवाने ले आया। टीना थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद दीपा और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।

मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर तरुण की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद दीपा ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। जब जब दोनों की आँखें मिलती थीं तो दीपा बरबस अपनी नजरें झुका लेती थी या कहीं और देखने लगती थी। यह मैंने कई बार देखा। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे तरुण दीपा पर फ़िदा ही हो गया था। कुछ देर बाद तरुण खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। तरुण की पत्नी टीना किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।

बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने दीपा को डांस करने को आमंत्रित किया।

दीपा ने भोलेपन से कहा, "पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।"

तरुण ने कहा, "यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? आप चिंता मत करो। मैं आप को कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।"

दीपा ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। दीपा तैयार हो गयी। मैंने देखा की तरुण मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके।

मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मैंने महसूस किया की तरुण की कुछ हरकतें महसूस कर मेरी बीबी कुछ अजीब फील कर रही थी। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की तरुण मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।

तरुण को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की तरुण मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।

जब मैं वापस आया तो तरुण की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे टीना बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं तरुण की पत्नी टीना की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था।

टीना का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे। जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झोँकोँ पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं। पर टीना के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।

मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है ना? तरुण की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। शायद दीपा और टीना में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की टीना थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की दीपा थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहींथा।

अब चिंता करने की बारी मेरी थी। मैं भी टीना के साथ टीना के बदन से अपना बदन रगड़ कर कुछ ज्यादा ही नजदीकी स्टेप्स लेना चाह रहा था। मैं मेरी बीबी और तरुण की नजर में नहीं आना चाह रहा था। मैं धीरे धीरे डान्स करते हुए टीना को हॉल के दूसरे छोर पर ले गया। में फिर धीरे धीरे अपनी जांघें टीना की जाँघों के साथ रगड़ना और उसकी कमर को मेरी कमर से चिपका कर कपड़ों के अंदर छुपी हुई उसकी चूत में मेरा खड़ा लण्ड घुसेड़ने की कवायद करने की कोशिश में लग गया। आश्चर्य की बात तो यह थी की टीना को इससे कोई आपत्ति नहीं लग रही थी। बल्कि वह भी मुझे पूरा साथ दे रही थी।

मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और तरुण को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था और मैंने भी वैसा ही डान्स टीना के साथ भी किया था।

जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने दीपा से कहा, "यार आज वह बॉस की दिल जली बीबी के कारण बॉस तुम्हारे साथ डांस करने का एक बढ़िया मौक़ा चूक गए। बॉस बड़े ही अच्छे आदमी है और मुझसे बहुत खुश है। मेरा बड़ा आदर करते है। उन्होंने मुझे कहा है की उन्हें मेरे जैसे मेहनती और रिजल्ट लाने वाले आदमियों की सख्त जरुरत है। वह तो मुझे प्रमोशन देने की बात भी कर रहे है। और हाँ, मुझे यकीन है की वह तुम पर भी फ़िदा है। उनकी नजर तुम पर से हट ही नहीं रही थी। वह तुम्हारे साथ डांस करने के लिए बेताब थे। तुमको वहाँ से हट नहीं जाना चाहिए था। शायद वह कपड़ों के ऊपर से ही सही पर तुम्हारे करारे बदन का अपना बदन रगड़ कर थोड़ा बहोत का आस्वादन लेना चाहते थे। मुझे लगता है वह तुम्हें सपने में पता नहीं क्या करते होंगे? आज वह बेचारे बहुत ही दुखी होंगे। उनकी बीबी ने तो आज उन्हें बड़ा झटका दे दिया।"

मेरी बात सुनकर पहले तो दीपा के गाल शर्म से लाल हो गए। पर तुरंत बाद वह मुझसे चिढ गयी। दीपा ने कहा, "पता नहीं कभी कभी तुम्हें क्या हो जाता है और वैसे ही फ़ालतू बातें करने लगते हो? तुम्हारे दिमाग में सेक्स के अलावा कुछ है की नहीं? मैं तो उनसे डांस करने के लिए तैयार थी, पर उनकी बीबी शायद यह नहीं चाहती थी। इसी लिए मैं वहाँ से हट गयी। कहीं उनको बुरा तो नहीं लगा होगा की मैं वहाँ से हट गयी? आपके बॉस वाकई में अच्छे हैं, पर पता नहीं कैसी औरत से शादी कर बैठे? खैर, अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसी के साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? पर अगर तुम्हें मेरे डांस करने से ऐसा लगता है की लोग मेरे बदन से बदन रगड़ रहे हैं और तुम्हें जलन हो रही है तो तुम्हें मुझे इजाजत नहीं देनी चाहिए। तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।"

मैंने कहा, "मेरे माफ़ी मांगने से क्या होगा? सही तो यही होगा की मौक़ा मिलने पर तुम ही उनसे बात करना।"

दीपा ने कहा, "ठीक है, अगर वह तुम पर खुश है तो अगली बार जब तुम मिलाओगे तो मैं उनसे माफ़ी भी मांग लुंगी और उनकी नाराजगी दूर कर दूंगी। मुझे लगा की उनकी बीबी कुछ पंगा कर सकती है इस लिए मैं वहाँ से खिसक गयी। अगर उनकी बीबी को एतराज ना होता तो मैं उनके साथ डांस कर लेती। अगर वह मेरे साथ डांस करने से ही खुश हो जाता तो क्या प्रॉब्लम है? और तुम खुश तो मैं भी खुश।"

मैंने दीपा से पूछा, "क्या तरुण के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?"

दीपा ने कहा, "इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?"

तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, "सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।"

दीपा मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, "दीपक, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब तरुण क्या सोचेगा? वह सोचेगा दीपा भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?"

मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की तरुण तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?" तरुण और दीपा ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने दीपा से पूछा था ना दीपा ने मुझे बताया था ।

दीपा झेंप गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की दीपा ने भी तरुण के लण्ड को महसूस किया था। शायद वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे ढाढस देते हुए कहा, "ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसके लिए तुम ही जिम्मेवार हो।"

दीपा ने मेरी और सख्त नजर से देखा और बोली, "वह कैसे?"

मैंने कहा, "उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का खड़ा क्या हो जाए उनका पानी भी निकल जाये। और फिर तरुण तो तुम्हारी जाँघों से जांघें रगड़ कर डांस जो कर रहा था? उसका कैसे खड़ा ना होता?"

दीपा थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, "तुम भी तो टीना से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?" अब चुप रहने की बारी मेरी थी।

मैंने धीरे से कहा, "चलो हिसाब बराबर हो गया।"

उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। तरुण हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद तरुण ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। तरुण की पत्नी टीना और मेरी पत्नी दीपा दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।

हम एक दूसरे के घर भी जाते थे और कई बार बाहर लंच या डिनर भी करते थे। हर बार मैं देखता था की तरुण अपनी बीबी की नजर चुरा कर मेरी बीबी पर डोरे डालने की कशिश से बाज नहीं आता था। दीपा ने भी यह महसूस किया और एकाध बार मुझसे शिकायत भी की। पर मैंने उसकी शिकायतों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया। वैसे मैं भी तो दीपा की नजर चुकाकर टीना पर डोरे डाल रहा था। और टीना यह भली भाँती जानती थी। फर्क इतना ही था की टीना मुझे वापस स्माइल देती थी जब की दीपा आँखों से ही तरुण को हड़का देती थी।

हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं टीना करीब जाने के लिए लालायित था और तरुण दीपा की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। तरुण और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।

तरुण मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी दीपा उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। तरुण जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो दीपा मुझे तरुण के आने के बारे में बता देती थी। एक बार दीपा ने मुझे कहा की तरुण की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। दीपा को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया।

दीपा तरुण की शिकायत तो करती पर फिर चुप हो जाती और दुबारा उस बात को नहीं छेड़ती थी। इससे मुझे यह शंका हुई की मेरी बीबी कहीं शिकायत करने की एक औपचारिकता या खानापूर्ति ही तो नहीं कर रही थी, ताकि उस पर कभी यह इल्जाम ना लगे की जब भी तरुण उसपर दाना डालने की कोशिश कर रहा था तो उसने उसकी शिकायत क्यों नहीं की?

यदि तरुण मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की तरुण का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था दीपा के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और तरुण के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी तरुण से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह तरुण को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी।

एक बार तरुण ने प्रस्ताव दिया की हम शहर के बाहर एक पार्क में पिकनिक के लिए जाएँ। इतवार को हम दोनों कपल अपने अपने मोटर साइकिल पर निकल पड़े। वहाँ पार्क में हम ने कुछ और आये हुए लोगों के साथ मिलकर पकडा पकड़ी का खेल खेला जब हमें एक दूसरे की बीबियों को छूने का अच्छा अवसर मिला। उस समय मैंने देखा की तरुण जब दीपा को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा तब दीपा उससे बचने के लिए भागी पर एक पत्थर की ठोकर लगने से गिरने लगी तब तरुण ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया और अच्छी तरह कस कर अपनी बाहों में जकड़ा। कुछ दुरी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया पर मुझे लगा की उसने दीपा के बूब्स भी अच्छी तरह दबाये। आखिर में दीपा ने झटका मार कर अपने आपको तरुण से अलग कर दिया।

मैंने भी उसी खेल में टीना को एक बार पकड़ा और अपने बदन से जकड कर रखा। दीपा की तरह टीना ने कोई विरोध नहीं किया और मुझे कोई झटका नहीं दिया और जब तक मैंने उसे जकड कर रखा, वह मेरी बाहों में खड़ी मैं आगे कुछ करता हूँ या नहीं उसका इंतजार करती रही। तभी मुझे दीपा दिखी, आखिर मैं मैंने ही उसे दीपा के डर के मारे छोड़ दिया।

मैंने दीपा को जब तरुण की बाँहों में जकड़े जाने की बात कह कर दीपा पर तंज कसने की कोशिश की तब फ़ौरन दीपा ने कहा, "ओह मिस्टर! तुम मर्दों को इधर उधर मुंह मारने की आदत क्यों है? अपनी बीबी से संतुष्टि नहीं होती क्या? तरुण की बात छोडो, तुम भी तो कोई कम नहीं हो। दोनों मर्द ना, एक दूसरे की बीबी पर लाएन मार रहे हो ऐसा मुझे लग रहा है। टीना का तो मुझे पता नहीं, पर तुम अपने दोस्त को तो कह देना की मुझसे दूर ही रहें। मैं तुम लोगों की चाल मैं नहीं फँसने वाली।"

उस बात के करीब दो या तीन हफ्ते बाद एक दिन मेरी अनुपस्थिति में तरुण मेरे घर पहुँच गया। वह जोधपुर से कुछ हेंडीक्राफ्ट ले आया था। उस ने मेरी पत्नी दीपा को वह उपहार देना चाहा। दीपा ने ना सिर्फ उसे लेने से इंकार कर दिया बल्कि तरुण को बुरी तरह झाड़ दिया और तरुण को हिदायत दी की ऐसा करके वह उसे ललचाने की कोशिश ना करे। दीपा ने तरुण को कहा, "देखो तरुण! हमारे तुम्हारे और टीना के सम्बन्ध इतने अच्छे हैं। मैं आपका सम्मान करती हूँ। आप अकेले में आकर मुझसे मिलकर मुझे ललचाने की कोशिश क्यों करते हैं? मेरे पति की हाजरी में हम कुछ हँसी मजाक कर लेते हैं, कुछ छेड़खानी कर लते हैं यह दिल्लगी ठीक है। पर यह मत सोचना की मैं मेरे पति को धोखा देकर तुमसे कोई सम्बन्ध रखूंगी। प्लीज ऐसा कर के हमारे समबन्धों को आहत मत करो।"

तरुण मायूस सा हो गया और बिना कुछ बोले वहाँ से दुखी हो कर उठ कर चला गया। दीपा ने जाते हुए तरुण का मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो उसे भी दुःख हुआ पर कुछ बोली नहीं और तरुण के पीछे दरवाजा बंद कर दिया।

जब हम अगली बार मिले तो मैंने तरुण को दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। तरुण ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर दीपा ने उसे हड़का दिया। तरुणने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा तरुण से काफी घुलमिल गया था। तरुण चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह दीपा से डरता था।

तब मैंने उसे कहा, "देखा? मैं तुम्हें ना कहता था? मेरी बीबी को पटाना इतना आसान नहीं है। खैर, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। मैं दीपा से आज रात जरूर बात करूंगा और उसे मना लूंगा।"

तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।

उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"

यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"

मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"

मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "

ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।

दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"

मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।

दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"

एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, "मेरी राय में तो ऐसे चालु दोस्त को ज्यादा लिफ्ट देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को फाँस ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।"

मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी दीपा से उसी लहजे में कहा, "डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?"

मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, "खैर वह तो तुम सही कह रहे हो।"

फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, "डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?

मैंने बेझिझक कहा, "जितना तुम समझ रही हो उससे कहीं ज्यादा।" उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है।

मैंने दीपा को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, " कल हम तुम्हारे और टीना के बारे में बात कर रहे थे। हम दोनों अपनी बीबियों की तारीफ़ कर रहे थे। मैं जानता हूँ की वह तुम्हारे पीछे पागल है, पर बात ऐसे करता है की क्या बताऊँ? पता है वह कल क्या कह रहा था?"

दीपा ने मेरी और देखा और पूछा, "क्या?"

मैंने कहा, "वह तुम्हारे बारे में कह रहा था की दीपा भाभी बहुत ही खूबसूरत है पर टीना ज्यादा सेक्सी है। वह कह रहा था की टीना की फिगर कम कपड़ों में खिलकर उभरती है। वह कह रहा था की टीना को कॉलेज में "मिस यूनिवर्सिटी स्वीम्मर" से नवाजा गया था।"

दीपा बड़े ध्यान से सुन रही थी। वह धीमे से बोली, "तुम दोनों हमारे बारे में ऐसी बातें कर रहे थे? खैर फिर क्या हुआ?"