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Click hereपर देखो, वह मेरे पीछे भाग कर आ सकता था। पर नहीं आया। मानलो की अगर उसने मुझे अपनी बाहों में से छोड़ा नहीं होता, मुझे अगर पकड़ कर के ही रखा होता, और एक झटके में मेरा तौलिया उतार देता तो मैं क्या करती? मैं तो अंदर से बिलकुल नंगी थी। अगर वह चाहता तो उस दिन मेरे साथ सब कुछ कर सकता था। भला उसकी ताकत के सामने मैं कहाँ टिक पाती? पर उसने कुछ नहीं किया।"
यह कहते हुए दीपा की आँखों में आँसूं आ गए। दीपा प्यार भरे गुस्सेसे मेरी छाती पर अपने हाथों से मुझे हलके से पीटते रोते हुए बोलने लगी, "मैंने आज तय किया था की मैं तुमसे बिलकुल बात नहीं करुँगी। अगर तरुण मेरे साथ जबर्दस्ती करता और जबरदस्ती मेरा तौलिया खोल कर फेंक कर एक ही झटके में मुझे नंगी कर देता तो फिर तो हो जाता ना मेरा कल्याण? अगर मैं थोड़ी सी भी असावध रहती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। हम अकेले ही थे। शायद मुझे वहीँ पकड़ कर नंगी ही उठाकर बैडरूम में ले जाता और मुझे पलंग पर पटक कर वहाँ मेरे साथ सब कुछ कर डालता।"
मैंने पूछा, "तुम इतनी बहादुर हो कर इतनी डर क्यों रही हो? आखिर क्या कर डालता तरुण?"
दीपा ने मेरी और गुस्से से देखा और बोली, "तुम पूछ रहे हो तरुण मेरे साथ क्या करता? क्या तुम तुम्हारे दोस्त को जानते नहीं? आखिर वह भी तो एक मर्द है। और तुम तो उसे बहोत अच्छी तरह जानते हो। बड़ा वीर्य वाला मर्द है। उस समय उसका लण्ड उसकी पतलून में फुंफकार रहा था। मैंने देखा की उसकी टांगों के बिच उसका लण्ड तो बड़ा तम्बू बना कर खड़ा हो गया था। अरे मौक़ा मिलते ही वह सब कुछ कर डालता। कुछ भी बाकी नहीं छोड़ता। वह तो मुझे किस करने के लिए बेताब था। वह किस करता, मेरे बूब्स मसलता, मेरी गाँड़ सहलाता, पता नहीं और क्या क्या करता? उस नंगी हालत में मुझको देख कर क्या वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या? यार उस हालत में तुम भी किसी औरत के साथ होते तो तुम क्या करते? सच बताओ. और तब मैं क्या करती?"
मेरी बीबी ने एकदम गुस्से में मुझे झकझोरते हुए पूछा, "बोलो? मैं क्या करती? मैं चिल्ला भी तो नहीं सकती थी, वरना आसपास वाले सब इकट्ठे हो जाते और बदनामी तो मेरी ही होती न? मैं नंगी, अकेली उसकी ताकत के सामने क्या कर पाती? अगर आज वह मुझे पलंग पर लिटा कर ऊपर चढ़कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ देता तो फिर क्या मैं उसे रोक पाती? आज मुझे तरुण चोद ही देता, क्यूंकि तुम तो जानते हो की वह हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ा हुआ है। आज उसे मौक़ा मिला था। वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता ही नहीं, तब मैं क्या करती? और कोई भी मर्द उसकी जगह होता तो वह मुझे चोदे बगैर छोड़ता क्या?"
दीपा ने मेरी और ताकते हुए पूछा, "बताओ, मैं ठीक कह रही हूँ की नहीं?"
जिस तरह से मेरी बीबी ने मुझे तरुण क्या क्या कर सकता था यह इतने विस्तार से बताया तब मुझे शक हुआ की कहीं उसको अफ़सोस तो नहीं हुआ की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं की मेरी गैर हाजरी में सब कुछ हो चुका था, और मेरी बीबी उसे छुपा रही थी?
जब मैं चुप रहा तो दीपा बोली, "पर देखो यह सच है की तरुण ने ऐसा कुछ नहीं किया। वह मेरे पीछे पीछे बैडरूम में नहीं आया। मैं जब चेंज कर फिर वापस बाहर आयी तो तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। तब उसने मुझे छुआ तक नहीं। यह सब जो हुआ इसके लिए मैं तुम्हें जिम्मेवार मानती हूँ। तुम मुझसे ऐसे गलत सलत काम क्यों करवा रहे हो? देखो इसका अंजाम ठीक नहीं होगा। अगर आज मैं थोड़ी सी भी कमजोरी या असहायता दिखा देती तो बापरे तरुण ने मुझसे सब कुछ कर लिया होता और मैं तुम्हें मुंह दिखाने के लायक भी नहीं रहती। पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और मुझे एक बड़ी शर्मिंदगी से बचा लिया।"
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की तरुण ने उसे छुआ भी नहीं पर साथ ही साथ मैं उसने यह भी कह दिया की तरुण ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था और मौक़ा मिलता तो तरुण उसे चोद भी डालता। मैं समझ गया की दीपा की समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या कहे? मुझे समझ में नहीं आया की मेरी बीबी तरुण की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत? जब तरुण ने मेरी बीबी को खिंच कर अपनी बाँहों में ले लिया तो क्या उसे डर था की तरुण उसे कहीं चोद ना डाले? या क्या उसे उम्मीद थी की तरुण उस पर जबरदस्ती कर उसे चोद ही डाले?
दीपा मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, "यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे तरुण को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है। तरुण ने कुछ नहीं किया पर आज उसने मुझे आधी नंगी तो देख ही लिया। और कहीं न कहीं उसके मन में तुमने मुझे चोदने का आईडिया तो आज डाल ही दिया। यह तुमने अच्छा नहीं किया डार्लिंग।" यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
तब मैंने अपनी बीबी के गाल चूमकर कहा, "जानू, देखो, तुम इतनी परेशान न हो। तरुण ने आज तुम्हें सिर्फ आधा नंगा ही देखा ना? उसने तुम्हें पूरा नंगा तो नहीं देखा ना? स्विमिंग पूल बगैरह में आजकल महिलायें आधी नंगीं क्या, लगभग नंगी ही सबके सामने नहाती भी हैं और घूमती भी हैं। वह ऐसा पहनावा पहनतीं हैं की उनकी चूत की झाँट साफ़ ना हो तो उनके बाल भी दीखते है। और इंटरनेट पर तो पूरी नंगी लडकियां दिखती हैं। कोई रोकटोक नहीं। उनको तो कोई कुछ नहीं कहता? तुमने तो फिर भी तौलिया पहन रखा था।
और जहां तक तुम्हें चोदने के आईडिया की बात है तो क्या तुम यह समझती हो की इसके पहले तरुण के मन में ऐसा आईडिया नहीं आया होगा? तुम्हारे जैसी खूबसूरत बदन वाली सेक्सी औरत को देख कर जिस आदमी का लण्ड इस तरह खड़ा हो जाता हो, क्या उसके मन में तुम्हें चोदने का आईडिया नहीं आया होगा? क्या बच्चों वाली बातें करती हो? अरे! वह तो तुम्हें मन ही मन में कई बार पहले ही चोद चुका होगा और तुम्हें याद करके कई बार मुठ मार कर अपना माल निकाल चुका होगा। यह भी समझलो की तुम्हें याद करते हुए वह अपनी बीबी को भी दीपा समझ कर ही चोदता होगा।"
मेरी बात सुन कर मेरी बीबी हैरानगी से बिना कुछ बोले मुझे काफी देर तक देखती रही। उसके दिमाग में उस समय क्या चल रहा होगा वह समझना मेरे लिए नामुमकिन था। पर मेरी दलील सटीक थी और मेरी बीबी भी समझ रही थी की मैं सही कह रहा था। दीपा समझ चुकी थी की वाकई में ही अगर तरुण को सही मौक़ा मिला और दीपा ने उसका विरोध नहीं किया तो तरुण दीपा को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। मैंने यह महसूस किया की मेरी बात सुनकर वह गरम जरूर हो गयी। उसने अपनी पोजीशन बदली और मेरे पास आ कर मेरे मुंह से अपना मुंह मिला कर मेरे होंठों को बड़े प्यार से चाटने लगी। फिर धीरे से वह मेरे होँठों को मुंह में चूस कर उसकी जीभ अंदर बाहर करने लगी। जैसे अपनी जीभ से मुझे चोद रही हो। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मेरे लण्ड में गरम खून दौड़ रहा था। उत्तेजना के मारे मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था।
दीपा ने मेरी जीभ चूसते हुए अपनी आँखें नचाते हुए मेरी और देख कर पूछा, "मियाँ, अगर आपको लगता है ऐसा है, तो फिर ऐसे जोखिम नहीं लिया करते। अगर आज तुम्हारे दोस्त ने मुझे पकड़ कर मेरा तौलिया निकाल कर मुझे चोद दिया होता, तो तुम क्या करते?"
मैंने उसका जवाब देते हुए कहा, "डार्लिंग, तुम कमाल हो! अगर तरुण ने आज तुम्हें चोद दिया होता तो तुम जरूर कुछ देर तक उसका विरोध करती पर जब और कोई चारा नहीं होता तो आखिर में तुमने उससे प्यार से चुदवा ही लिया होता। अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया होता तो क्या हो जाता? कुछ भी नहीं होता। मैंने तुम्हें पहले ही फ़ोन पर क्या कहा था? मैंने कहा था ना की अगर कुछ ऊपर निचे हो गया तो मैं तुम्हें दोषी नहीं मानूंगा। डार्लिंग, मैंने तो मान लिया था और अभी भी मानता हूँ की तरुण ने तुन्हें चोद ही दिया था। क्या तुमको मेरे चेहरे पर कोई शिकन नजर आयी? अगर तरुण ने तुम्हें चोद दिया है अथवा चोद दिया होता तो भी मैं तुम्हें उतना ही प्यार कर रहा हूँ और उतना ही प्यार करता रहूंगा जितना पहले कर रहा था। जब मैं शाम को घर आया तो मैंने तुम्हें जान बुझ कर कुछ भी नहीं पूछा। और ना ही तुमने मुझे कुछ बताया। जब ऐसा हुआ तो मैं यह समझ ने लगा था की तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया होगा। सच बताओ डार्लिंग की यह शक मेरे मन में होते हुए भी की तुम तरुण से चुदवा चुकी हो, क्या तुम्हें मेरे वर्ताव में कोई फर्क नजर आया?"
दीपा ने प्यार से मेरी और देखा और शरारत भरी मुस्कान देते हुए सर हिलाकर "ना" का इशारा किया। फिर मेरी बाँहों में सिमट कर बोली, "डार्लिंग मैं सच कहती हूँ, ऐसा कुछ नहीं हुआ। तुम दुनिया के सबसे अच्छे पति हो। पर मुझे परेशान भी बहुत करते हो।"
मैंने मेरी बीबी की चूँचियों को मसलते हुए कहा, "बीबीजी, मैं जानता हूँ की ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं तुम्हें बहोत अच्छी तरह से जानता हूँ। अगर ऐसा हुआ होता तो मुझे तुम्हारी आँखों से ही पता चल जाता। तुम अपनी नजरें ऊपर ही नहीं उठा पाती। यह मेरा तरिका है अपने आपको और तुम्हें गरम करने का, और जिंदगी को उत्तेजित और रोमांचक बनाने का, जिससे जिंदगी में मजा बना रहे। अगर तुम्हें तरुण ने चोद भी दिया है या चोद दिया होता तो क्या फर्क पड़ना था? मैं भी तो तुम्हें चोदता रहता हूँ? इससे क्या फर्क पड़ता है?"
मेरी बीबी मुझे हैरानगी से देखती रही। उसकी समझ में नहीं आ रहा था की उसका पति किस मिटटी का बना हुआ है। मुझे एक गहरी किस कर मेरे कान में फुसफुसाई, "डार्लिंग, तुम वाकई दुनिया के बेस्ट हस्बैंड हो। आई लव यू।" और यह कह कर दुबारा मेरे होंठों को चूमकर, "अब सोने दो। कल सुबह मुन्नू को स्कूल जाना है। गुड नाईट" कह कर पलट कर सो गयी।
मैंने देखा की उस दिन के बाद तो जैसे तरुण की चांदी हो गयी। पहले दीपा जैसे तरुण से डर रही थी और शङ्का कुशङ्का की नजर से उसे देख रही थी वह डर ख़त्म हो गया। शायद अब मेरी बीबी यह समझ गयी की मौक़ा आने पर वह तरुण को कण्ट्रोल कर सकती थी। इसके बाद दीपा तरुण से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी तरुण आता तो दीपा ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार दीपा तरुण को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते। मेरे सामने भी दीपा अब तरुण से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह तरुण के कोई जोक पर तरुण का हाथ पकड़ कर हंसती थी।
परंतु कई बार चोरी छुपी से देखने के बाद भी मुझे यह देख कर निराशा हुई की उन के बिच ऐसी कोई ख़ास जातीयता वाली सेक्स वाली बात नहीं दिख रही थी। हाँ एक बार जरूर मैंने छुप कर देखा की जब तरुण ने दीपा को अपनी बाँहों में जकड़ लिया था तो दीपा हंसती हुई उसे धक्का मार कर वहाँ से भाग निकली थी। अब जब तरुण घर आता तो उसकी आवभगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। दीपा के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।
मैं जब नहीं रहता था तब भी तरुण आता जाता रहता था। जब भी तरुण मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे तरुण और दीपा दोनों बता देते थे। दीपा तरुण को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। तरुण कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे तरुण और मेरी पत्नी दीपा के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। दीपा के मनमें तरुण के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।
इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब तरुण मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। दीपा रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे तरुणने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी टीना की थी।
वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।
अचानक मुझे ध्यान आया की तरुण मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"
तरुण एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने टीना को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। अगर तुम होते तो तुम भी जरूर देखते। अगर तुम्हारे पास दीपा की ऐसी तस्वीर होती तो क्या तुम मुझे नहीं दिखाते? बल्कि मैं तो कहता हूँ को चलो ना एक बार स्विमिंग पूल में अपनी बीबियों को लेकर स्विमिंग करने चलते हैं। फिर तो हम दोनों ही एक दूसरे की बीबियों को बिकिनी में आधी नंगी देख सकते हैं। उन्हें छेड़ भी सकते हैं। क्या कहते हो?"
उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, " बात तो ठीक है। पर पता नहीं, दीपा तैयार होगी या नहीं। वह शायद मना कर देगी। और जहां तक दीपा की आधी नंगी तस्वीर का सवाल है, मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाता। पर मेरे पास दीपा की ऐसी तस्वीर है नहीं।" मेरे मन में आया की मैं तरुण को बताऊँ की उसने तो मेरी बीबी को आधी नंगी उस दिन देख ही लिया था। पर मैं चुप रहा।
तरुण ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें टीना के, मेरे और हमारे दोनों के साथ साथ बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे दीपा के साथ भी शेयर कर सकते हो। भाई , मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता। मेरे लिए टीना और दीपा भाभी में कोई फर्क नहीं है, वैसे ही तुम भी दीपा भाभी और टीना में कोई फर्क मत समझना।"
उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। जैसे जैसे मैं सोचता गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली मतलब एक दूसरे की बीबी की चुदाई की तरफ इशारा कर रहा था। तरुण ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली।
जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा?
फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह तरुण की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि तरुण भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की तरुण दीपा को बार बार चोदना चाहे, या दीपा बार बार तरुण से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर तरुण और दीपा समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे तरुण और दीपा की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।
दूसरे दीपा समझदार थी। वह मुझे पूछे बिना कुछ भी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा घर संसार आहत हो। यदि मान लिया जाये की तरुण बहक जाता है, तो दीपा फिर तरुण को कंट्रोल कर सकती है। मैं जानता था की दीपा एक शेरनी की तरह है। वह यदि चाहे तो तरुण को घरमें घुसने भी न दे। उसने पहले कई बार तरुण को हड़का दिया था। तरुण अपनी बीबी से भी तो डरता था। किसी एक को बहकने से रोकने के लिए तीन लोग खड़े थे, बच्चों को इस गिनती में शामिल न किया जाय तो। मेरी इस शंका का भी भलीभांति समाधान हो गया। सबसे बड़ी बात यह थी की दीपा मुझे बहुत चाहती थी और मैं जानता था की सेक्स और प्रेम का अंतर वह जानती थी। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया।
मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।
फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द मिलकर कोई भी एक बीबी को तैयार करते हैं।
एक बीबी को अगर हमने फाँस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। तब तक मैं टीना के करीब जा नहीं पाया था। तरुण ने तो कुछ हद तक मेरी बीबी पर अपना चक्कर चलाना शुरू कर ही दिया था। मैं भी तो पहले दीपा को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे मेरी बीबी दीपा को तरुण से चुदवाने का एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।
वैसे मेरे मन में बड़ी प्रखर इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ।
कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर दीपा को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। तरुण और दीपा की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं दीपा को तरुण से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।
तरुण का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। तरुण को दीपा की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो तरुण दीपा का पीछा नहीं छोड़ेगा। यह बात तो मेरी बीबी ने खुद मुझसे कही थी की अगर उस दिन मौक़ा मिला होता और अगर मेरी बीबी ने थोड़ी सी भी असहायता, असावधता या निष्क्रियता दिखाई होती तो तरुण उसे चोद ही देता।
उस दिन एक बार गलती से दीपा को दीपा की मर्जी के बगैर आधी नंगी देख लेने से ही तरुण दीपा को चोदने के लिए इतना उतावला हो गया था की अगर उस समय थोड़ा सा भी चांस मिलता तो दीपा ने भी कुबूल किया था की तरुण दीपा को नंगी कर देता और तब दीपा तरुण को उसे चोदने से रोक नहीं पाती। तो कहीं दुबारा ऐसा कुछ हुआ और तरुण ने दीपा को थोड़ा सा भी पिघलते देखा और उसे दीपा को फाँसने का मौक़ा मिला तो फिर तो मुझे पता था की वह किसी ना किसी तरह दीपा को चुदवाने के लिए मजबूर कर ही देगा और तब तरुण दीपा को चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। अगर उसे मेरी बीबी को चोदने का मौक़ा मिला तो फिर तो तरुण ख़ुशी ख़ुशी टीना को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार करने की भरसक कोशिश करेगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था।
दूसरे, तब दीपा भी टीना को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि दीपा चाहेगी तो टीना को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले दीपा के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।
दीपा को गरम करने के लिए मैं अनायास ही तरुण की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की दीपा गरम हो जाए। मैंने एक रात जब दीपा थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से तरुण के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें टीना और तरुण के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। दीपा एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की दीपा टीना में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर तरुण की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।
एक फोटो में तो तरुण के जांघिये में से तरुण के लण्ड की शायद उसकी बीबी टीना ने एक ऐसी फोटो ली थी जिसमें ऐसे दिख रहा था जैसे एक बड़ा अजगर बड़ी मुश्किल से तरुण की टाँगों के बिच में छुप कर उतनी छोटी सी जगह में समा नहीं पा रहने के कारण तरुण का जांघिया फाड़ कर जैसे बाहर निकलने वाला ही था।
उस फोटो से साफ़ जाहिर हो रहा था की तरुण का लण्ड कम से कम १० इंच से भी शायद ज्यादा लंबा और काफी मोटा होगा। क्यूंकि वह निकर में इतना बड़ा तम्बू बनाकर खड़ा हुआ दिख रहा था। तरुण के जांघिये में टांगों के बिच इतना बड़ा तम्बू जैसा दिख रहा था की यह देख कर दीपा के मुंह से अनजाने में सिटी निकल गयी और वह बोल पड़ी, "बाप रे बाप! कितना बड़ा है?"
मैं समझ तो गया था की वह तरुण के लण्ड के बारे में ही बात कर रही थी फिर भी मैंने अनजान बनते हुए पूछा "डार्लिंग, क्या बात है, क्या बड़ा है?" तब मेरी बीबी ने झूठ बोला की वह तो इतने बड़े समंदर के बीच के बारेमें कह रही थी।
उनमें कुछ ऐसी भी तस्वीरें थीं जिसमें उनके बैडरूम में टीना के ऊपर तरुण चढ़ा हुआ था। हालांकि दोनों ने कपडे पहने हुए थे फिर भी यह साफ़ था की वह चुदाई की अदाएं दिखा रहे थे। कुछ तस्वीरों में तरुण और टीना लगभग नंगे चुदाई करते हुए दिख रहे थे। तरुण ने जाँघिया तो पहन रखा था, पर यह साफ़ था की वह अपना लण्ड जांघिये में से बाहर निकाल कर अपनी बीबी को चोद रहा था। घने बालों से भरी हुईं तरुण की नंगी जाँघें टीना की साफ़ सुथरी गोरी नंगी जाँघों के बिच में दिखाई दे रहीं थीं। टीना ने कोई कपडे नहीं पहने थे बस चद्दर से अपना बदन ढकने की नाकाम कोशिश करती दिख रही थी। हालांकि तरुण का लण्ड और टीना की चूत और बॉल दोनों के बदन के बिच में ढके हुए थे।
ऐसी तस्वीरों को देख कर दीपा कुछ खिसिया गयी। मेरी बीबी ने मेरी और टेढ़ी नजर से देखा। पर पहले ही मैंने अपनी आँखें वहां से हटा ली थीं। थोड़ी सेहमी सी दीपा बोली, "यह लोग बड़े बेशर्म हैं। कैसी तस्वीरें खिंचवाते हैं? ऐसी तस्वीरें किस से खिंचवाईं होंगीं? क्या किसी के सामने कोई भला ऐसे करता है?"
मैंने मेरी बीबी के गुलाबी गालों को हलकी सी चूंटी भरते हुए कहा, "डार्लिंग यह तस्वीरें किसी ने नहीं खींची। यह ऑटो मोड में ही खींचीं जातीं हैं। आप कैमरा को टाइमर से सेट कर दो और फिर पोज़ दो। कैमरा अपने आप ही तस्वीर खींच लेगा।"
मैंने फिर मेरी बीबी को चिढ़ाने के लिए कहा, "और फिर इसमें बेशर्मी की क्या बात है? पति पत्नी हनीमून में अगर चुदाई नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? वैसे दीपा, एक बात तो तुम भी मानोगी, की टीना ना सिर्फ सुन्दर है बल्कि गजब की सेक्सी भी है।"
दीपा ने फ़ौरन मेरी तरफ टेढ़ी नजर करके कहा, "बेशक टीना बहुत सुन्दर है और इन तस्वीरों में तो बड़ी सेक्सी भी लग रही है। पर क्या तुम्हें टीना मुझसे भी ज्यादा सुन्दर और सेक्सी लग रही है?"
मैंने मेरी बीबी की बातों का क्या जवाब देता? मैंने कहा, "खैर यह तो उनके हनीमून की तस्वीरें हैं। पर मौक़ा मिला तो मैं भी किसी दिन तरुण को दिखा दूंगा की मेरी बीबी दीपा भी टीना से कम सुन्दर या कम सेक्सी नहीं है। यह तो मेरी बीबी का बड़प्पन है की सेक्सी ड्रेस पहनती नहीं है, वरना मेरी बीबी का मुकाबला कोई भी औरत नहीं कर सकती।"
मेरी बात सुनकर मेरी सीधीसादी बीबी गरम हो गयी और दीपा का चेहरा ख़ुशी और गौरव से खिल उठा। वह मेरी बाँहों में आकर मुझे चूमने लगी। मेरी बीबी ने कहा, "दीपक, क्या तुम सच कह रहे हो? डार्लिंग, शादी के इतने सालों के बाद भी तुम मुझे इतना चाहते हो, मुझे इतनी सेक्सी और सुन्दर मानते हो यह मुझे बहोत अच्छा लगता है।"
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "जब तरुण ने मुझे टीना की ऐसी आधी नंगी सेक्सी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने तरुण से माफ़ी मांगी। तब तरुण ने क्या कहा मालुम है?"
दीपा ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा तरुण ने?"