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Click hereदीदी- लगता है कुछ खास ही है.
मैं- हाँ दीदी बहुत खास वीडियो है, फन्नी वीडियो!
दीदी- ठीक है बाबा, करती हूँ ऑन!
दीदी ने रूम से अपना मोबाइल लिया और ब्लूटूथ ऑन करके सामने टेबल पर रख दिया और मैंने भी ब्लूटूथ से फाइल सेंड करनी शुरू कर दी, फाइल सेंड हो रही थी और मैं दीदी को देख कर खुश
हो रहा था, दीदी भी मेरी मुस्कान को देख कर हल्की हल्की खुश हो रही थी.
तभी बीप की आवाज़ हुई और फाइल सेंड हो गई, मैंने अपना मोबाइल उठा लिया और दीदी ने अपना मोबाइल उठा कर फाइल को देखना शुरू किया और एक ही पल में उनके हाथ से मोबाइल वापिस टेबल पर गिर गया लेकिन वीडियो बंद नहीं हुई और दीदी भी फटी हुई आँखों से वीडियो देखने लगी, यह वही वीडियो थी जिसमें दीदी अमित का लंड चूस रही थी.
मैं- क्यों दीदी, अच्छी लगी वीडियो?
दीदी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा- कहाँ से मिली तुझे ये वीडियो, तू कुत्ता मेरा और अमित का पीछा करता है क्या, मैं तेरा सर फोड़ दूँगी हरामजादे!
मैं- अरे दीदी, इतनी गालियाँ मत दो, वरना वीडियो सारे कॉलेज में बाँट दूँगा, और सबसे पहले दूँगा आपके भाई को!
मेरी बातें सुन कर उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ- सन्नी प्लीज ऐसा मत करना, मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर के तुमको क्या मिलेगा? प्लीज सन्नी! ये वीडियो तुमको कहाँ से मिली? क्या तुम उस टाइम वहीं पर थे?
मैं- इन बातों का कोई मतलब नहीं है अब दीदी, वीडियो कहाँ से मिली कैसे मिली, बस मिल गई.
दीदी- देखो सन्नी, मैं करण की बेहन हूँ तो तुम्हारी भी बहन हुई ना! क्या तुम अपनी बहन को ऐसे बदनाम करते कभी?
मैं जानबूझ कर नाटक करते हुए बोला- मेरी बहन ऐसा कोई काम नहीं करती कभी, और अगर करती तो मैं उसकी जान ले लेता.
वो मेरी बात सुन कर थोड़ा डर गई और रोने लगी- सन्नी प्लीज, मेरे से अब ग़लती हो गई, तुम किसी को मत बताना प्लीज़... वरना मेरे घर वाले मुझे मार देंगे, तुम जो कहोगे, मैं करने को तैयार हूँ प्लीज सन्नी!
मैंने सोचा कि क्यों ना इसका फ़ायदा उठाया जाए, वैसे भी तो साली थी ही एकदम मस्त माल, मेरी जगह कोई भी होता तो ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देता और ख़ास कर जब ऐसी खूबसूरत बला सामने हो तो!
मैं- ठीक है दीदी, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा लेकिन बदले में आपको मेरा एक काम करना पड़ेगा!
दीदी- सन्नी मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ; प्लीज़ तुम ये वीडियो मुझे दे दो और अपने मोबाइल से डीलीट कर दो वो भी हमेशा के लिए!
मैं- ठीक है दीदी, मैं इस वीडियो का मास्टर पीस आपको दे देता हूँ और अपने मोबाइल से भी हमेशा के लिए डीलीट कर देता हूँ लेकिन बदले में आपको वही सब करना होगा जो आप अमित के साथ कर रही हो वीडियो में!
दीदी गुस्से में बोली- तेरी हिम्मत कैसे हुई सन्नी ये बकवास करने की?
मैं- अरे दीदी, गुस्सा मत करो, देखो मेरी हिम्मत जो ये वीडियो ले के आपके पास आ गया, चाहता तो पहले आपकी माँ और भाई के पास जाता ताकि वो लोग आपका ऐसा हाल करते कि दोबारा आप ऐसी ग़लती नहीं करती.
वो फिर से सर को झुका कर चुपचाप बैठ गई.
मैं- बोलो दीदी, क्या बोलती हो, मेरा लंड भी अपने नर्म और पिंक लिप्स में ले के चूसोगी या मैं ये वीडियो करण को दे दूं?
दीदी- सन्नी, मैं तेरी बहन जैसी हूँ; तू मेरे साथ ऐसी हरकत करना चाहता है?
मैंने सोचा कि अब इसको क्या बताऊँ कि मैं तो अपनी बहन को भी चोदना चाहता हूँ- दीदी फालतू की बात मत कर बोलो, यस और नो?
वो चुप रही कुछ देर!
मैं- दीदी जल्दी बोलो, वर्ना मैं चलता हूँ, कॉलेज और सबको ये वीडियो दिखाता हूँ.
दीदी- नहीं प्लीज़ सन्नी, ऐसा मत करो मेरे साथ!
मैंने कोई बात नहीं की और खड़ा होकर पैंट उतार कर नीचे कर दी और लंड को हाथ में पकड़ लिया जो अब तक बातों ही बातों में पूरा औकात में आ चुका था. दीदी की नज़र मेरे मूसल पर पड़ी तो वो फटी आँखों से मेरे मूसल को घूरने लगी, मैंने दीदी की अपने पास आने का इशारा किया पर वो मेरे लंड को ही घूरती रही, मैं खुद ही चल कर दीदी के पास चला गया.
तभी दीदी ने अपना सर नीचे कर लिया; मैंने भी हाथ से दीदी के सर को पकड़ा और उसका फेस ऊपर कर दिया, दीदी ने एक पल मेरी तरफ देखा.
मैं- क्या बोलती हो दीदी? इसको चूसना है या फिर मैं जाऊँ यहाँ से?
दीदी ने एक बार मुझे देखा और फिर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और फिर मेरी तरफ देखने लगी.
मैं- क्या हुआ दीदी? मुंह में लो ना इसको... अगर नहीं लेना तो बता दो, मैं चला जाता हूँ कॉलेज!
दीदी मेरी तरफ ही देखती रही.
तभी मैंने दीदी के सर को अपने हाथों से पकड़ा और अपने लंड की तरफ बढ़ा दिया, दीदी ने अपने फेस को दूसरी तरफ मोड़ दिया, मैंने फिर से दीदी के सर को पकड़ा और फेस को लंड की तरफ टर्न कर दिया.
इस बार दीदी ने मेरे लंड को हल्के से अपने लिप्स से लगा लिया लेकिन एक ही पल में लिप्स को फिर से दूर कर दिया.
मैं- तो ठीक है, मैं कॉलेज ही जाता हूँ और सारे कॉलेज में इस वीडियो को बाँट देता हूँ क्योंकि आपने तो अमित का ही लंड चूसना है, मेरा नहीं!
मैं जाने के लिए मुड़ा और अपनी पैन्ट को ऊपर करने लगा; तभी दीदी उठ कर मेरे सामने आ गई; मेरे देखते ही देखते ज़मीन पर बैठ गई और मेरी पैन्ट को वापिस नीचे करके लंड को हाथ में पकड़ा और लंड की टोपी को किस करने लगी.
साला एकदम से दीदी के लिप्स लगते ही लंड ने ज़ोर से उछलना शुरू कर दिया.
मैं- अब ज़्यादा मत तड़पाओ दीदी, जल्दी से लंड को मुंह में लो ना, देखो कैसे तड़प रहा है!
दीदी- कैसे लूँ सन्नी?
मैं- वैसे ही दीदी... जैसे अमित का लंड लिया था मुँह में!
दीदी- सन्नी, उसका लंड तो था ही छोटा सा लेकिन तेरा लंड तो किसी घोड़े का लंड जितना बड़ा है, कैसे लूँ इस मूसल को अपने मुँह में!
मैंने दीदी के मुँह को पकड़ा और अपनी 2 उंगलियाँ दीदी ने लिप्स में घुसा कर उनके मुँह को खोला और मुँह के खुलते ही लंड की टोपी को मुँह में घुसा दिया और सर को पकड़ कर लंड पर दबा दिया जिससे मेरा 3 इंच लंड दीदी में मुँह में चला गया और तभी दीदी को बहुत तेज खाँसी आने लगी और उन्होने लंड को मुँह से निकाल दिया.
दीदी- ऐसे मत करो सन्नी, मैं खुद करती हूँ.
मैं- तो करो ना खुद... मुझे क्यों मजबूर करती हो ऐसा करने को!
दीदी ने मुँह खोला और लंड की टोपी को लिप्स में भर के मुँह में लिया और हल्के से चूसने लगी.
तभी मेरी 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...' निकल गई, उसके लिप्स थे ही इतने सॉफ्ट और अंदाज़ भी अच्छा था लंड चूसने का; दीदी लंड की टोपी को ही लिप्स में लेके हल्के से आगे पीछे करते हुए चूसने लगी.
मैं- दीदी थोड़ा और लो ना इसको अपने मुँह में!
दीदी ने मुँह को खोला और थोड़ा ज़्यादा लंड मुँह में लिया और अपने दोनों हाथों को लंड पर रख के मुट्ठी में पकड़ लिया, वो दोनों हाथों को लंड पर हल्के से चला रही थी और बाकी के बचे लंड को मुँह में लेके चूस रही थी जो सिर्फ़ 2-3 इंच ही था.
मैंने दीदी के एक हाथ को लंड से उठा दिया और अपनी बॉल्स पर रख दिया और दीदी को थोड़ा और लंड लेने का इशारा किया.
दीदी भी एक हाथ से लंड को सहलाते हुए और दूसरे से बॉल्स को सहलाते हुए थोड़ा और ज़्यादा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगी, मैंने भी दीदी के सर को हाथों में पकड़ा और लंड को हल्के से आगे पीछे करने लगा; मेरा लंड अब आधा दीदी में मुँह में जाने लगा था लेकिन दीदी के हल्के दाँत मेरे लंड पर लग रहे थे. दीदी को भी ये पता लगा तो दीदी ने मुँह को और ज़्यादा खोलने की कोशिश की; लेकिन मेरा लंड था ही इतना मोटा कि दीदी का पूरा मुँह खुल गया था फिर भी लंड दाँतों से टकरा रहा था.
मैं दीदी की तरफ ही देख रहा था, तभी दीदी ने अपने फेस को थोड़ा ऊपर करके आँखों ही आँखों में इशारा किया कि अब इस से ज़्यादा मुँह नहीं खोल सकती थी इसलिए मैं इतने लंड को ही मुँह में पेलने लगा था. मैंने खड़े खड़े अपनी टी-शर्ट और बनियान निकाल दी और ऊपर का जिस्मा नंगा कर दिया.
दीदी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी, तभी मैंने दीदी को उठाया और अपने साथ सोफे पर ले गया और वहाँ बैठ कर अपने जूते और पैन्ट भी निकाल कर नंगा हो गया. दीदी ने अपने सर को दूसरी तरफ घुमा लिया, वो मुझे नंगा नहीं देखना चाहती थी.
दीदी- सन्नी, लंड चूसने के लिए तुमने सारे कपड़े क्यूँ उतार दिए?
मैं- अरे दीदी जब मस्ती ही करनी है तो पूरी तरह करो ना!
दीदी- नहीं सन्नी, मैं इस से आगे कुछ नहीं करूँगी.
मैं- ठीक है दीदी, मत करना लेकिन लंड तो चूसो ना!
मैंने दीदी के सर को पकड़ कर अपनी तरफ किया और लंड पर झुका दिया; दीदी ने भी लंड को मुँह में लिया और आधे लंड पर सर को ऊपर नीचे करते हुए चूसने लगी.
मैंने मौका देखा और दीदी के हाथ को अपनी चेस्ट पर रखा और अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चेस्ट पर घुमाने लगा. दीदी ने अपने हाथ को पीछे खींच लिया तब मैंने अपने हाथ को दीदी की पीठ पर रख दिया.
दीदी एकदम से उठ गई- सन्नी, ये क्या कर रहे हो?
मैं- वही जो करना चाहिए.
दीदी- तुमने लंड चूसने को बोला वो मैं कर रही हूँ, तुम प्लीज मुझे टच मत करो.
मैं- दीदी, ऐसे मज़ा नहीं आ रहा ना... हल्का हल्का टच करने दो ना प्लीज!
दीदी- नहीं सन्नी!
मैं- ठीक है तो मैं चला जाता हूँ.
दीदी उदास हो के वापिस नीचे झुकी और चुपचाप लंड को चूसने लगी, मैं खुश हो गया, दीदी ने लंड को फिर से मुँह में ले के चूसना शुरू कर दिया और मैंने हाथ दीदी की पीठ पर रख दिया और आराम से पीठ पर हाथ घुमाने लगा.
अबकी बार दीदी कुछ नहीं बोली और लंड चूसती रही, मैं बड़े प्यार से हाथ को पीठ पर घुमा रहा था.
तभी मेरा हाथ दीदी की ब्रा की पट्टी पर लगा जहाँ हुक लगे हुए थे- दीदी, अपनी कमीज़ उतारो ना?
दीदी ने मेरी तरफ देखा, इससे पहले दीदी कुछ बोलती, मैंने दीदी को टेबल पर पड़े मोबाइल की तरफ इशारा कर दिया, दीदी ने चुपचाप अपने हाथ ऊपर उठा कर कमीज़ उतार दी. दीदी के कमीज़ उतारते ही मैं दीदी के बड़े बड़े बूब्स को खा जाने वाली नज़र से देखने लगा.
दीदी मेरी नज़र के अंदाज़ को पहचान गई और जल्दी से लंड पर झुक गई ताकि मैं बूब्स को ज़्यादा नहीं देख सकूँ.
मैंने भी हाथ को वापिस दीदी की पीठ पर घुमाना शुरू कर दिया; क्या मक्खन जैसी चिकनी और गोरी पीठ थी; साला हाथ खुद ब खुद फिसलता जा रहा था. मैं भी दीदी की पीठ पर हाथ को बड़े प्यार से अपनी उंगलियाँ खोल कर सहला रहा था. मैंने महसूस किया कि दीदी की पीठ हल्के झटके खा रही थी, उनको मेरा हाथ पीठ पर घूमता हुआ अच्छा लग रहा था और शायद उनको मस्ती चढ़ रही थी.
तभी मेरा हाथ दीदी की ब्रा की पट्टी पर लगा जहाँ हुक थे, मैंने कोई देर किए बिना हुक खोल दिया.
दीदी ब्रा खुलते ही ऊपर उठने लगी लेकिन मैंने दीदी के सर को लंड पर दबा दिया और दीदी भी चुपचाप लंड को चूसने लगी.
मैंने भी अब दीदी की पूरी तरह नंगी पीठ को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी की पीठ भी हल्के झटके खाने लगी थी।