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Click hereमैंने दीदी के सर को अपने लंड पर दबा दिया और दीदी भी चुपचाप लंड को चूसने लगी. मैंने भी अब दीदी की पूरी तरह नंगी पीठ को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया. दीदी की पीठ भी हल्के झटके खाने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने दीदी के सर को ऊपर उठा दिया और दीदी को सोफे की बैक से लगा कर बिठा दिया, दीदी के लिप्स पर हल्का थूक लगा हुआ था, वो मेरी तरफ देख रही थी और तभी मेरा ध्यान दीदी के बूब्स की तरफ गया जहाँ से ब्रा नीचे लटक रही थी और बूब्स लगभग सारे नंगे हो गये थे. मैंने हाथ बढ़ा कर ब्रा को पकड़ा, तभी दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ा लेकिन मैं नहीं रुका और ब्रा को निकालने लगा.
दीदी अपने सर को इधर उधर हिला कर मुझे मना कर रही थी कि मैं ऐसा ना करूँ लेकिन मैं उनकी कोई बात नहीं मान रहा था. कुछ ही देर में ब्रा उतर गई और नंगे बूब्स मेरे सामने आ गये. मैंने बिना कोई देर किए एक बूब को हाथ में पकड़ा और प्यार से दबा दिया, दीदी ने मेरा हाथ अपने बूब्स से हटा दिया तो मैंने दीदी से अपना हाथ छुड़ाया और अपने हाथ से दीदी के हाथ को पकड़ा कर साइड किया. तभी दीदी ने अपने दूसरे हाथ से मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन मैं नहीं रुका और दीदी के दूसरे हाथ को भी अपने हाथ में पकड़ लिया और दीदी को सोफे पर लेटा दिया.
मैं पूरा नंगा था जबकि दीदी का ऊपर वाला जिस्म नंगा था, मैंने दीदी की सोफे पेर लेटा दिया और खुद थोड़ी सी जगह पर बैठ कर दीदी के ऊपर की तरफ आ गया और दीदी के दोनों हाथों को सोफे के साथ ज़ोर से दबा दिया,
दीदी- सन्नी, ऐसा मत करो प्लीज़!
मैंने कोई बात नहीं सुनी और सीधा एक बूब को मुँह में भर लिया और चूसने लगा, दीदी के बूब्स के निप्पल हार्ड हो चुके थे, इसका मतलब था दीदी भी हल्की मस्ती में आ चुकी थी लेकिन फिर भी मुझे मना कर रही थी.
मैंने बूब को मुँह में भर लिया और चूसने लगा और कभी कभी घुंडी को दाँत से काटने लगा, दीदी बस बार बार मुझे ऐसा करने से रोकती जा रही थी- सन्नी मत करो, ये गलत है, रुक जाओ प्लीज।
लेकिन जब भी मैं दीदी के बूब की घुंडी को दाँत से काटता तो दीदी की हल्की सी आहह निकल जाती, मैं समझ गया कि ना चाह कर भी दीदी को मस्ती चढ़ने लगी थी, मैं भी दीदी के दोनों बूब्स को बारी बारी से मुँह में भर के चूसने लगा और कभी कभी दाँत से बूब्स की घुंडी को हल्के से काट भी देता.
फिर मैंने दीदी के एक हाथ को छोड़ दिया और अपने फ्री हाथ को दीदी के एक फ्री बूब पर रख दिया और उस बूब को सहलाने और दबाने लगा. दीदी का हाथ वैसे ही सोफे पर पड़ा रहा जैसे मैंने
रखा था लेकिन वो अभी भी मुझे ऐसा करने से मना कर रही थी.
मैंने दीदी के दूसरे हाथ को भी छोड़ दिया और दोनों हाथों से बूब्स को मसल मसल कर चूसने लगा, दीदी बस अपने सर को हिलाती रही और तड़प कर मुझे ऐसा करके से रोकती रही लेकिन दीदी के हाथ अपनी जगह पर ही थे.
फिर मैंने दीदी के एक बूब से अपना हाथ हटा लिया और बूब्स से नीचे होते हुए पेट को सहलाते हुए दीदी की कमर से फिराते हुए दीदी की चूत के ऊपर पहुँच गया.
तभी दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी, मेरा हाथ दीदी की चूत पर पहुँच गया था और मैंने हल्के से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. दीदी मेरे हाथ को पकड़ कर चूत से दूर करने की नाकाम कोशिश करने लगी. मैंने दीदी के हाथ को वापिस ऊपर किया और अपने एक हाथ में दीदी के दोनों हाथों को कस के पकड़ लिया और दूसरे हाथ को वापिस चूत पर ले गया और सलवार और पैंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.
दीदी- सन्नी, ऐसा मत करो प्लीज़... तुमने बोला था कि तुमको सिर्फ़ लंड चुसवाना है, अब ये सब मत करो.
मैं कुछ नहीं सुन रहा था और बूब्स को चूसता हुआ चूत को सहला रहा था. सलवार और पैंटी के ऊपर से ही पता चल गया कि दीदी की चूत में पानी आ गया था, सलवार और पैंटी गीली हो गई थी
और चूत का पानी मेरे हाथ की उंगलियों में लग गया था.
दीदी भी तैयार थी लेकिन फिर भी वो मना कर रही थी.
मैंने हाथ से दीदी की सलवार के नाड़े को पकड़ा और खींच दिया, सलवार खुल गई, मैंने दीदी की तरफ देखा तो उनके होश उड़ गये थे, मैंने एक हाथ से सलवार को उतारना शुरू कर दिया और खुद सोफे पर दीदी के साथ थोड़ी से जगह में लेट गया. कुछ सलवार तो हाथ से घुटने तक चली गई और बाकी की सलवार को मैंने अपने पैरों से उतारना शुरू कर दिया.
दीदी ने अपने घुटनों को ऊपर करके मोड़ लिया और मुझे सलवार उतारने से रोकने लगी लेकिन दीदी की कोशिश नाकाम रही और कुछ ही देर में सलवार सोफे से होते हुए ज़मीन पर गिर गई थी. अब दीदी सिर्फ़ पैंटी में थी, मैं दीदी के बूब्स चूसते हुए पैंटी के ऊपर से दीदी की चूत को सहलाने लगा. पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी और इसी बात से मेरी भी मस्ती कुछ बढ़ गई थी, मैंने दीदी के बूब्स से अपने फेस को हटा लिया और दीदी की पैंटी की तरफ हो गया और हाथ से पैंटी को पकड़ कर उतारने लगा.
दीदी- सन्नी मत करो ऐसा प्लीज़!
मैं- दीदी, मैं चुदाई नहीं कर रहा लेकिन हल्की सी मस्ती तो कर सकता हूँ ना!
दीदी- हल्की मस्ती के लिए मुझे नंगी क्यूँ कर रहे हो तुम?
मैं- क्या करूँ दीदी, जब तक 2 बदन नंगे नहीं होते, मस्ती नहीं चढ़ती और ना ही मजा आता है.
इतना बोल कर मैंने दीदी की पैंटी को भी उतार दिया. अब दीदी मेरे सामने सोफे पर बिल्कुल नंगी थी, पैंटी उतर जाने के बाद मैंने देखा कि दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एकदम साफ और चिकनी थी, चूत का पानी चूत के बाहर की तरफ लगा हुआ था जिससे चूत एकदम काँच की तरह चमक रही थी.
दीदी ने मुझे उनकी चूत को घूरते देखा तो दोनों टाँगों से चूत को मेरे से छुपा लिया और अपने सर को भी शरमा कर दूसरी तरफ पलट लिया. मैं खड़ा हुआ और दीदी को सोफे से अपनी गोद में उठा लिया.
दीदी एकदम से चौंक गई और मुझे अजीब नज़रों से देखने लगी जबकि मैं मुस्कुराते हुए दीदी को देख रहा था. मैं दीदी को उठा कर दीदी के रूम में ले गया और बेड पर लेटा दिया और खुद बेड पर
चढ़ कर दीदी की साइड में लेट गया.
दीदी- देखो सन्नी, ये ग़लत कर रहे हो तुम, बात सिर्फ़ लंड चूसने की हुई थी और अब तुम...
मैंने दीदी को बीच में ही चुप करवा दिया- दीदी मैं समझ सकता हूँ कि आप क्या बोल रही हो, लेकिन डरो नहीं, मैं कुछ नहीं करूँगा, मैं तो बस हल्की सी मस्ती कर रहा हूँ, बाकी का काम मैं आपकी मर्ज़ी के बिना नहीं करूँगा.
दीदी मेरी बात समझ गई कि मैं क्या बोल रहा हूँ, मेरा मतलब था कि मैं दीदी की मर्ज़ी के बिना उनकी चूत में लंड नहीं डालूँगा.
मैंने दीदी के लिप्स को किस करना चाहा लेकिन दीदी ने मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया तो मैं अपने मुँह को दीदी के बूब्स की तरफ ले गया और बूब्स को मुँह में भर के चूसने लगा और हाथ को दीदी की चूत की तरफ ले गया. मैं दीदी के ज़्यादा से ज़्यादा बूब्स को मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था और दीदी की तरफ देख रहा था. दीदी भी अब मेरी तरफ देख रही थी लेकिन कुछ
बोल नहीं रही थी.
तभी मैं अपना हाथ दीदी की चूत की तरफ जाने लगा और दीदी ने अपनी टाँगों को जकड़ कर चूत को छुपाने की कोशिश की लेकिन तभी मैंने अपनी एक टाँग दीदी की दोनों टाँगों में रख दी जिस से दीदी अपनी दोनों टाँगों को पूरी तरह से जकड़ नहीं पाई और मेरा हाथ दीदी की चूत तक चला गया और मैंने दीदी की चूत को बड़े प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
मैं अपनी सबसे बड़ी वाली उंगली को दीदी की चूत की लाइन में ऊपर से नीचे चला रहा था और बूब्स चूसते हुए दीदी की तरफ देख रहा था. दीदी भी मेरी तरफ देख रही थी. जैसे ही दीदी की चूत पर मेरी उंगली की स्पीड तेज हुई, दीदी की हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, मैंने भी उसी टाइम अपनी उंगली दीदी की चूत में घुसा दी और दीदी की एक तेज सिसकारी निकल गई 'आआआ आआआअहह'
मैंने मौका देखा और एक और उंगली दीदी की चूत में घुसा दी, मेरी दोनों उंगलियाँ फिसल कर चूत के पानी से चिकनी होकर आराम से अंदर चली गई और मैंने भी उंगलियों को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और बूब्स को भी तेज़ी से चूसने और काटने लगा. दीदी की सिसकारियाँ भी तेज होने लगी और मैंने भी उंगलियों की स्पीड को तेज कर दी. दीदी ने अपने हाथ को मेरे सर पर रख दिया और दूसरे हाथ से अपने बूब को मसलने लगी. इसका मतलब था कि दीदी अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी।
मैं पूरी तेज़ी से चूत में उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा और साथ ही दीदी के एक बूब को चूसने लगा. दीदी ने भी अपने एक हाथ को मेरे सर पर रख कर मेरे सर को बूब पर दबा लिया और दूसरे हाथ से खाली पड़े बूब को मसलने और सहलाने लगी 'आहह उम्म्ह... अहह... हय... याह... उउउहह!' करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी.
2 मिनट बाद ही दीदी ने मेरे सर को कस के अपने बूब पर दबा दिया और दूसरे हाथ से बूब को ज़ोर से दबा लिया. तभी मेरे हाथ को बहुत ज़्यादा गीला गीला महसूस हुआ, मैं समझ गया कि दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया है.
लेकिन मैंने हाथ को दीदी की चूत से नहीं हटाया और उंगलियों को भी चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करना जारी रखा, दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपने सर को इधर उधर झटकने लगी और मेरे हाथ को भी चूत से हटाने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और तेजी से बूब को चूसते हुए चूत को उंगलियों से चोदता रहा।
दीदी पूरे ज़ोर से हाथ को हटा रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सर के बालों को खींच कर मुझे बूब छोड़ने को बोल रही थी लेकिन मैं नहीं रुका और अपना काम जारी रखा.
कुछ ही देर में दीदी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई और जो हाथ मेरे बालों को कस के खींच रहा था, उसने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ ने मेरे हाथ को पकड़ कर तेज़ी से चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था, दीदी फिर से मस्ती में आ चुकी थी.
तभी दीदी ने मेरे हाथ को छोड़ दिया और मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया फिर लंड पर हाथ को ऊपर नीचे करने लगी, मैंने भी मौका देखा और दीदी के ऊपर चढ़ गया। दीदी ने मुझे हैरानी से देखा मैंने भी सर हिला कर इशारा किया कि मैं कुछ नहीं करूँगा जब तक आप नहीं बोलोगी.
दीदी ने एक स्वीट स्माइल दी और लंड पर हाथ चलाती रही, तभी मैंने खुद का पूरा भार दीदी के जिस्म पे डाल दिया जिस से दीदी का हाथ मेरे लंड से हट गया और मैंने खुद अपने हाथ से लंड को पकड़ा और दीदी की चूत के ऊपर अपने लंड की टोपी को रगड़ने लगा और फिर से दीदी के बूब को मुँह में भर लिया.
दीदी की सिसकारियाँ अब बहुत तेज थी, दीदी का जिस्म कभी अकड़ रहा था तो कभी ढीला हो रहा था, दीदी बार बार इधर उधर हिल रही थी, बुरी तरह से मचल रही थी. तभी दीदी ने मेरे सर को बालों से पकड़ा और अपने बूब्स से ऊपर उठा दिया.
मैंने दीदी की तरफ देखा, मानो वो पूछ रही थी कि अब मुझे क्यों तड़पा रहे हो? लंड को चूत में क्यों नहीं घुसाते?
लेकिन मैं चुपचाप लंड को चूत के ऊपर वाले लिप्स पर रगड़ रहा था. तभी दीदी ने मेरे सर को छोड़ा और हाथ को जल्दी से नीचे मेरे लंड पर ले गई और लंड को पकड़ कर चूत पर रख दिया और मुझे आगे होने को इशारा करने लगी.
आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी.