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Click hereलेकिन मैं दीदी के जिस्म से ऊपर उठ गया और लंड को दीदी की चूत से दूर कर लिया लेकिन दीदी ने मेरे लंड को नहीं छोड़ा और ऐसे ही चूत पर टिकाए रखा और खुद अपनी कमर को ऊपर करके लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी।
मैं हंस कर दीदी की तरफ़ देख रहा था जबकि उनके चेहरे पर हल्का गुस्सा और बहुत ज़्यादा मस्ती नज़र आ रही थी.
मैंने खुद को हल्का नीचे किया, मेरा लंड चूत के ऊपर था, मेरे नीचे होते ही लंड की टोपी चूत में घुस गई और दीदी ने अपना हाथ हटा कर एक तेज आहह भरी सिसकारी निकाली और मैंने भी लंड को थोड़ा और अंदर घुसा दिया लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि दीदी की चूत मेरे लंड के लिए थोड़ी टाइट थी. मैंने लंड को हाथ से पकड़ा और पीछे होकर फिर तेज़ी से धक्का मारा तो दीदी ज़ोर से चिल्ला उठी और मेरा आधे से ज़्यादा लंड दीदी की चूत में उतर गया.
"हईए म्म्मररर गईईई... ररीए ससन्नईई आहह उउऊहह..." दीदी का जिस्म तड़प उठा और दीदी की आँखों में हल्के आँसू आ गये लेकिन दीदी ने मुझे रोका नहीं और मैंने भी लंड को फिर से वापिस बाहर किया और तेज़ी से जोरदार धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा चूत की जड़ तक चला गया और दीदी बस ज़ोर से चिल्ला उठी. और अपने हाथों से बेड की शीट को पकड़ कर मसलने लगी.
पूरा लंड घुसते ही मैंने तेज़ी से बिना रुके दीदी की चूत को चोदना शुरू कर दिया और दीदी हल्के दर्द भरी सिसकारियाँ लेती रही और बेड की शीट को हाथों से ज़ोर से मसलने लगी, बेड की शीट पूरी बिखर गई थी और दीदी के हाथों में आ गई थी, बेड पर उतनी ही जगह पर बेड शीट बिछी रह गई थी जितनी जगह पर हम लोग लेटे हुए थे.
मैंने लंड को तेज़ी से चूत में पेलना जारी रखा और साथ ही नीचे होकर बूब्स को हाथों से मसलने और चूसने लगा, दीदी के हाथ भी अब बेडशीट से हटा कर मेरे सर पर आ गये थे वो भी मेरे सर को बड़े प्यार से एक हाथ से सहला रही थी और साथ ही एक हाथ को मेरी पीठ पर घुमाने लगी थी. अब उसकी सिसकारियों में दर्द भी कम हो गया था और बच गई थी सिर्फ़ मस्ती भरी सिसकारियाँ जो कुछ ज़्यादा ही मस्त लग रही थी मैंने दीदी के बूब्स से सर उठा कर दीदी के फेस की तरफ देखा तो वो बडे प्यार से सिसकारियाँ ले रही थी. मेरे देखते ही उन्होंने मुझे एक हल्की सी मस्ती भरी स्माइल दी और मैंने अपने फेस को दीदी के फेस के करीब कर दिया और लिप्स को दीदी के लिप्स पर रख दिया. दीदी ने भी मेरे को रेस्पॉन्स दिया और मेरे सर को हाथ से पकड़ कर लिप्स की तरफ़ खीच लिया और एक ही पल में मेरे लिप्स दीदी के लिप्स से जकड़े गये.
'उउऊहह...' क्या सॉफ्ट लिप्स थे इनको किस करते ही मुझे शोभा दीदी की याद आ गई थी और वैसे भी शिखा दीदी शोभा दीदी का जैसी ही थी, गोरी चिट्टी भरा हुआ जिस्म और बड़े बूब्स, ज़्यादा बड़े नहीं लेकिन अपनी उमर के हिसाब से बड़े थे, और एकदम गोरे गोरे, लिप्स भी एकदम सॉफ्ट थे।
मैंने दीदी की चूत में लंड पेलने की स्पीड तेज कर दी और दीदी ने भी रेस्पॉन्स देते हुए मेरे लिप्स को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया और हाथों को मेरी पीठ पर मस्ती से घुमाने लगी और साथ ही अपनी टाँगों को मेरी पीठ पर घुमा कर मुझे जकड़ लिया, मेरा लंड पूरा अंदर बाहर हो रहा था, वो भी तेज़ी के साथ!
दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन इतनी भी नहीं, दीदी की शादी हो गई थी लेकिन तलाक़ भी जल्दी ही हो गया था, फिर भी दीदी 6 महिने तक अपने ससुराल में रही थी लेकिन चूत से नहीं लग रहा था कि 6 महीने तक वो अपने ससुराल में अपने पति से चुड़ी होगी क्योंकि अगर 6 महीने तक उसके पति ने उसको चोदा होता तो उसकी चूत टाइट नहीं होती.
मेरा मूसल दीदी की चूत की दीवारों से पूरी तरह से घिसता और रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था और मेरे को मुठ मारते टाइम जैसे हाथ की पकड़ होती है लंड पर, वैसे ही चूत की पकड़ महसूस हो रही थी लेकिन ये पकड़ मजबूत होने के साथ एक सॉफ्ट सा अहसास भी दे रही थी.
जैसे मेरे को पूरी मस्ती चढ़ गई थी, वैसे ही दीदी का भी बुरा हाल हो गया था, वो पागलों की तरह मेरे लिप्स को काटने और चूसने में लगी हुई थी, ऐसा लग रहा था कि मैं दीदी को नहीं, दीदी मेरे को चोद रही थी. दीदी अपने हाथों से मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे तेज़ी से ऊपर नीचे करने में लगी हुई थी.
तभी मैंने खुद के हाथ बेड पर रखे और हाथों के सहारे बेड से ऊपर उठ गया. दीदी ने भी अपनी टाँगों की मेरी कमर से हटा लिया और मुझे उठने दिया, मेरा आगे का जिस्म अब हवा में उठ गया था और लिप्स दीदी के लिप्स से आज़ाद हो गये थे।
लेकिन दीदी को ये अच्छा नहीं लगा तो दीदी ने अपने दोनों हाथों को कुहनी से मोड़ कर बेड से लगा लिया और खुद के सर को और शोल्डर को ऊपर कर लिया जिस से दीदी के लिप्स फिर से मेरे लिप्स के करीब आ गये थे. दीदी खुद यही चाहती थी कि मेरे लिप्स उनके लिप्स से दूर नहीं हों।
मैंने भी लिप्स को फिर से दीदी के लिप्स से जकड़ लिया और एक बार फिर से पागलपन से और मस्ती से भरपूर किस शुरू हो गई थी साथ ही मैंने हाथों को बेड पर रख के बेड का सहारा लिया और स्पीड और भी ज़्यादा तेज कर दी और साथ ही लंड का धक्का भी पूरा जोरदार कर दिया जिस से लंड पूरी तेज़ी और जोश से चूत की दीवारों से टकराने लगा था.
दीदी ने मेरे लोअर लिप को मुँह में भर लिया और चूसने लगी, ऐसे ही दीदी का ऊपर वाला होंठ मेरे मुँह में आ गया और हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के लिप्स को चूसने लगे थे. दीदी कई बार अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में घुसा देती और मैं भी दीदी की ज़ुबान को प्यार से चूसने लगता लेकिन जब मैं अपनी ज़ुबान को दीदी के मुँह में डालता तो दीदी पागल कुतिया की तरह मेरी ज़ुबान पर टूट पड़ती थी.
कुछ देर बाद मैं दीदी के ऊपर से उतर गया लेकिन दीदी नहीं चाहती थी मैं ऊपर से हट जाऊँ, दीदी ने मुझे मेरी पीठ से कस के पकड़ लिया और ऊपर से हटने नहीं दिया. तभी मैंने भी दीदी को कमर से पकड़ा और तेज़ी से खुद के जिस्म को बेड पर गिरा दिया और दीदी को भी अपने साथ पलट दिया और फिर जल्दी से पीठ के बल हो गया. ऐसा करने से मैं बेड पर लेट गया और दीदी मेरे ऊपर आ गई लेकिन इतने टाइम में भी मेरा लंड दीदी की चूत में ही रहा.
मेरे ऊपर आते ही दीदी पागलों की तरह ऊपर नीचे होने की कोशिश करने लगी लेकिन ऐसा लगा जैसे दीदी इस खेल से थोड़ी अंजान थी, मैंने खुद दीदी की टाँगों को पकड़ा और उनके घुटनों को मोड़ कर बेड से लगा दिया.
दीदी भी समझ गई और खुद के घुटनो को मोड़ कर बेड से लगा कर तेजी से कमर को ऊपर नीचे करने लगी जिस से लंड बिल्कुल सीधा चूत में जाने लगा लेकिन दीदी की स्पीड स्लो थी.
मैंने अपने हाथ दीदी की गान्ड पर रख दिए और तेज़ी से गान्ड को आगे पीछे करने लगा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ तो मैंने दीदी को गान्ड पे हल्के से हाथ मारा और रुकने को बोला तो दीदी रुक गई और दीदी के रुकते ही मैंने खुद अपनी कमर को बेड से ऊपर उछालना शुरू किया और खुद तेज़ी से ऊपर नीचे होकर दीदी की चूत को चोदने लगा.
दीदी भी तेज़ी से अपनी कमर को नीचे की ओर करने लगी और दोनों मिल कर स्पीड को तेज करने लगे. साथ ही हम दोनों किस करते रहे, जब भी मैं ऊपर होता और दीदी नीचे तो दीदी के बूब्स मेरी चेस्ट पर दब जाते और मुझे चेस्ट पर मीठा मीठा अहसास होता.
मैंने जल्दी से हाथ को दीदी की गान्ड से उठा कर दीदी के बूब्स पर रखा और ज़ोर से मसलने लगा. कुछ देर पहले मैं बूब्स को चूस रहा था इसलिए बूब्स पर हल्का सा थूक लगा हुआ था जिससे हाथ चिकना होकर दीदी के बूब्स फिर दब दब कर फिसल रहा था, मैंने थूक की चिकनाहट का सहारा लिया और दोनों हाथों की उंगलियों से बूब्स के निप्पलों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
ऐसा करने से दीदी को ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी और दीदी ने अपने लिप्स को पीछे करके मेरे लिप्स से आज़ाद कर लिया और तेज़ी से सिसकारियाँ लेने लगी 'आआअहह उऊहह उहह हमम्म्म उम्म्ह... अहह... हय... याह... हहययय ययईईई!
दीदी की सिसकारियाँ कुछ ज़्यादा ही तेज थी, मुझे लगा कहीं दीदी झड़ने वाली ना हो इसलिए मैंने दीदी को झटके से नीचे उतार दिया और खुद उठ कर बैठ गया और दीदी को झुकने को बोला तो वो भी जल्दी से झुक गई और अपनी गान्ड उठा कर मेरे सामने कर दी और सर को बेड से लगा लिया.
मैंने जल्दी से लंड को चूत पर रखा और तेज़ी से चूत में घुसा दिया लेकिन स्पीड स्लो ही रखी और धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा, दीदी खुद ही अपनी गान्ड को आगे पीछे करके मेरे लंड को तेज़ी से चूत में लेने लगी और सिसकारियाँ भी तेज़ी से लेने लगी, मैं समझ गया अब दीदी सच में झड़ने वाली है तो मैंने भी स्पीड तेज कर दी.
दीदी 1 मिनट बाद ही तेज तेज और ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए झड़ गई और सारा पानी बेड पर गिरने लगा लेकिन मैंने फिर भी स्पीड स्लो नहीं की और तेज़ी से दीदी की चूत को चोदता रहा. दीदी का पानी निकल जाने के बाद दीदी ने हटने की कोशिश की लेकिन मैंने दीदी को कमर से कस के पकड़ लिया क्योंकि मेरा अभी तक नहीं हुआ था.
लेकिन दीदी ने ज़ोर लगाया और मेरे से छूट कर बेड पर आगे की तरफ हो गई तो मैंने भी जल्दी से खुद को दीदी के ऊपर गिरा दिया और लंड को पकड़ कर चूत में घुसा दिया और दीदी के हाथों को पकड़ कर बेड से लगा लिया.
"स..नी... उम्म म्म्माआह..." मैंने लंड डालते ही वापिस स्पीड से चोदना शुरू कर दिया और साथ ही दीदी के कन्धों को हल्के हल्के काटने लगा. दीदी के दोनों हाथ मेरे हाथों में थे और पूरी तरह खुल कर बेड पर लगे हुए थे जिससे मुझे स्पीड तेज रखना मुश्किल हो रहा था.
तभी मैंने दीदी के हाथ छोड़ दिए और दीदी की पीठ पर अपने हाथ रख के दीदी को नीचे दबा लिया ताकि वो उठ ना सके और साथ ही अपने जिस्म को थोड़ा हवा में भी उठा लिया ताकि स्पीड तेज कर सकूँ.
दीदी ने हाथ पैर मारने शुरू कर दिए और हिलने डुलने लगी, मुझे अब थोड़ा थोड़ा गुस्सा आ रहा था क्योंकि एक तो मैं छूटने के करीब ही था और ऊपर से दीदी बार बार हिलडुल रही थी जिससे स्पीड तेज करने में मुश्किल हो रही थी. मैंने दीदी के दोनों हाथों को पकड़ा और मोड़ कर दीदी की पीठ पर रख दिया और दीदी के हाथों पर अपने हाथ रख के वापिस ऊपर उठ गया जिससे मेरे वजन की वजह से दीदी को हाथ हिलना मुश्किल हो रहा था और मेरी स्पीड भी तेज होने लगी थी.
"हाय... सन्नी... म...र... ग...ई... छोड़ दे!"
लेकिन मैं तो बस झड़ने ही वाला था इसलिए दीदी की बातों को सुन कर भी अनसुना कर रहा था.
दीदी थोड़ा गुस्से और दर्द में मिलीजुली आवाज़ से मुझे हटने को बोल रही थी लेकिन मैं फुल स्पीड से चुदाई करने में लगा हुआ था.
तभी 2 मिनट बाद ही मुझे लगा कि मेरा काम होने वाला है और मैंने जल्दी से लंड को चूत से निकाला और लंड ने चूत से निकलते ही दीदी की पीठ पर पानी की तेज-2 पिचकारियाँ मारना शुरू कर दिया और दीदी की पूरी पीठ मेरे स्पर्म से भर गई, मैं साइड पर गिर गया और तेज तेज साँसें लेने लगा. मैंने दीदी की तरफ देखा तो उनकी आँखों में आँसू थे लेकिन चेहरे पर एक राहत भरी झलक भी नज़र आ रही थी.
कुछ देर बाद दीदी उठी और बाथरूम में चली गई और 5 मिनट बाद वापिस बेड पर आ गई, दीदी ने अपने नंगे बदन पर एक तौलिया लपेटा हुआ था.