घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 01

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
3.8k words
3.08
71.8k
1

Part 2 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 1 विक्रम पर पराक्रम

शाम को विक्रम घर जल्दी आ गया लगभग आठ बजे के आस पास. जबकि रजत अपने दोस्त के साथ मूवी देखने गया था तो वो दस बजे तक आने वाला था। ये बात सबको घर में पता थी. सबने 8:30 बजे तक खाना खाया और मयूरी और विक्रम अपने कमरे में आ गए. अशोक टीवी पर न्यूज़ देख रहा था और शीतल किचन में बर्तन वगैरह कर रही थी.

सरकारी क्वार्टर होने की वजह से घर में ज्यादा जगह नहीं थी. एक रूम में अशोक और शीतल सोते थे और दूसरा रूम थोड़ा बड़ा होने की वजह से तीनो भाई-बहनो को दिया गया था. तीनो का अलग-अलग बेड था और बिच में आने जाने की थोड़ी-थोड़ी जगह थी, इतनी की जैसे कोई जैसे-तैसे ही आ-जा सकता था.

मयूरी बिच में सोती थी क्यूँ की पिछले कुछ महीनो से दोनों भाइयों में बातचीत बंद थी. विक्रम अपने बिस्तर पर गया और किताब खोलकर बैठ गया. वो शायर GK की कोई किताब पढ़ रहा था. विक्रम ने इस समय एक हाफ पेंट और एक टी-शर्ट पहना हुआ था जबकि मयूरी ने भी एक छोटा सा शॉर्ट्स और एक झीनेदार टॉप डाला हुआ था जिस के अंदर से उसकी ब्रा लगभग नज़र आ रही थी. मयूरी की चूचियां बहुत ही भारी-भारी थी जिस से अगर कोई गलती से भी उधर एक बार देख ले तो बार-बार देखे.

मयूरी ने अपने योजना का पहला कदम रखने का सोचा, ये उसके लिए एकदम सही समय था. उसने दरवाज़ा को अंदर से बंद किया और अपने हलके नीले रंग के टॉप के गले को थोड़ा बड़ा करते हुए अपने कंधे तक खींचा जिस से विक्रम की नज़र उसकी छातियों पर जाये. फिर वो उसके पास गयी और बोली -

मयूरी: "भैया, अपने कमरे में जाले बहुत हो गए हैं. मैं साफ कर दूँ क्या?"

विक्रम: "हाँ, कर दे..."

मयूरी: "ठीक है, मैं पंखा थोड़ी देर के लिए बंद करुँगी"

विक्रम: "ठीक है..."

मयूरी ने पंखा बंद किया और जाले साफ़ करने के लिए झाड़ू ले आयी. फिर वो तीनो के बिस्तर पर चढ़ कर उछल-उछल कर जाले साफ करने लगी. उसके ऐसे उछलने की वजह से उसके बड़ी-बड़ी चूचियां जोर-जोर से हिलने लगी. वास्तव में मयूरी की मंसा भी यही थी. वो और उछल-उछल कर नाटकीय अंदाज़ में अपनी विशाल चूचियां हिला-हिला कर विक्रम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करने लगी. थोड़ी देर में कमरे में गर्मी बढ़ी और इस कारण विक्रम ने अपना टी-शर्ट निकाल दिया. अब वो सिर्फ बनियान में था और उसकी मांसल शरीर पसीने में तर-बतर हो रहा था.

मयूरी ने देखा की विक्रम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में वो असफल हो रही है तो उसने एक दूसरा दांव मारा. वो बोली:

मयूरी: "गर्मी कितनी बढ़ गयी है न...? मैं भी अपना टॉप निकाल दूँ क्या अगर तुम्हे कोई ऐतेराज़ ना हो तो?"

विक्रम ने उसको प्रश्न भरी निगाहों से देखा। मयूरी फिर बोली (थोड़ा समझते हुए नाटकीय अंदाज़ में):

मयूरी: "भैया...? ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने अंदर ब्रा पहन रखा है?"

विक्रम: "ह..हाँ... फिर ठीक है.. "

मयूरी: "फिर ठीक है मतलब? तुम्हे क्या लगता है, ये बिना ब्रा के संभल जायेंगे?"

विक्रम: "ये...ये कौन?"

मयूरी: "भैया, तुम भी ना? ब्रा से कौन सम्भलता है? तुम क्या....? ये..."

और वो अपनी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियों की ओर इशारा करती है? विक्रम थोड़ा सकुचा-सा जाता है. माना की वो आपस में खुले हुए थे पर अपने प्राइवेट पार्ट्स के बारे में ज्यादा बात नहीं करते थे. फिर विक्रम झेंपता हुआ-सा जवाब देता है:

विक्रम: " हाँ, मुझे पता है"

मयूरी थोड़ा छेड़ते हुए: "क्या पता है?"

विक्रम: "तू अपना काम करेगी? गर्मी लग रही है बहुत? जल्दी से जाले साफ कर और पंखा चला"

मयूरी: "अरे सॉरी, गुस्सा मत हो तुम... अभी करती हूँ..."

और ऐसा कहते हुए वो फट से अपना टॉप निकाल देती है जिस से उसकी विशाल चूचियां लगभग बाहर आ जाती है. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थी की वो ब्रा में बस जैसे-तैसे ही कैद रहती थी. अगर टॉप ना पहना हुआ हो तो आधी से भी ज्यादा दिखाई देती थी. और ऐसा करते ही विक्रम की नजर उसकी गोल-गोल भारी-भारी चूचियों पर पड़ जाती है.

मयूरी देखती है की कैसे वो ललचायी नजरो से उसकी चूचियों को देख रहा होता है पर वो अनजान बनने का नाटक करती है और जाले साफ करने में फिर से लग जाती है. पर अब विक्रम का ध्यान उसकी चूचियों से हट ही नहीं रहा था. एक तो वो बड़ी-बड़ी थी और ऊपर से मयूरी उछल-उछल कर उनको हिला-हिला कर विक्रम का ध्यान आकर्षित कर रही थी. विक्रम की जगह अगर कोई मुर्दा भी होता न, तो वो भी इस दृश्य को देख कर जाग जाता और विक्रम तो फिर भी इंसान था. वो भूल गया ये गोल-गोल चूचियां उसकी अपनी सगी छोटी बहन की है. और भी एक-टक उनको देखता रहता है.

थोड़ी देर बाद मयूरी ऐसे नाटक करती है जैसे उसको अभी-अभी पता चला हो की विक्रम उसकी चूचियों को ताड़ रहा है. विक्रम इस समय अपने बिस्तर पर बैठा हुआ था. मयूरी उसके एकदम पास जाती है उसके बिस्तर पर और खड़ी हो जाती है, जिस उसकी चूचियां ठीक विक्रम के चेहरे पर हों. और थोड़ा नखरे-भरे अंदाज में पूछती है:

मयूरी: "देख लिया?"

विक्रम का जैसे मोह भंग होता है, तन्द्रा टूटती है और वो हकलाते हुए बोलता है:

विक्रम: "ह.. हाँ... म.. मेरा मतलब है क्या......?"

पर इसके वावजूद भी वो अपनी नजरें मयूरी की चूचियों पर से हटा नहीं पाता...

मयूरी: "वही जो देख रहे हो?"

अब वो बहुत ही शर्मिंदा-सा महसूस करने लगता है और इधर-उधर देखते हुए कहता है:

विक्रम: "म...मै कुछ नहीं देख रहा था?"

पर मयूरी इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी. उसने कहा:

मयूरी: "झूठ मत बोलो भैया... मैंने अपनी आँखों से तुम्हे इनको घूरते हुए देखा है"

विक्रम जैसे पकड़ा सा जाता है और अपनी गलती कबूल करते हुए कहता है:

विक्रम: "सॉरी मयूरी.. वो गलती से नज़र पड़ गयी और में अपनी नज़र हटा नहीं पाया "

मयूरी: "अरे सॉरी मत बोलो भैया... कोई बात नहीं.. तुम्हारी कोई गलती है इसमें... "

विक्रम (आश्चयरा से): "मतलब?"

मयूरी: "अरे देखो... मुझे पता है ये बड़ी है और आकर्षक हैं? तो नजर चली भी गयी तो क्या हो गया? और वैसे भी तुम मेरे भाई हो... मुझे बचपन से देखते आ रहे हो... इसमें मैं क्यूँ बुरा मानु अगर तुमने आज फिर से देख लिया?"

विक्रम को जैसे राहत मिली हो. वो कहता है:

विक्रम: "थैंक्स बहना.. मुझे लगा तुम बुरा मान गयी होगी... "

मयूरी ने माहौल को थोड़ा लाइट किया, उसके सामने बैठ गयी और बोली:

मयूरी: "कोई बात नहीं भैया... आप मेरे भाई हो और मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ. अगर आपकी ऐसी छोटी-छोटी बात का बुरा मानने लग गयी तो कैसे चलेगा?"

और फिर वो धीरे से हंस देती है... पंखा अभी भी बंद है और गर्मी अभी भी लग रही है. फिर वो अपना अगला कदम रखते हुए बोलती है:

मयूरी: "वैसे... कैसी लगी तुम्हे ये?"

विक्रम इतने सीधे सवाल की उम्मीद नहीं करा रहा था. वो फिर घबरा गया और हकलाते हुए बोला:

विक्रम: "क.. क.. क्या??"

मयूरी: "अरे यही जो तुम देख रहे थे?"

और अपनी मनमोहक चूचियों की तरफ देखती है... विक्रम थोड़ा हड़बड़ाता हुआ सा बोलता है:

विक्रम: "ये कैसा सवाल है?"

मयूरी: "अरे तुम इतनी देर से इनको देख रहे थे तो मैं पूछ रही हूँ की ये कैसे लगते हैं."

फिर मयूरी उसको थोड़ा समझाते हुए बोलती है:

मयूरी: "देखो, मैं एक लड़की हूँ और मेरा मन करता है की मैं भी अच्छी लगूँ. अब मेरा कोई लड़का दोस्त तो है नहीं और ना ही कोई बॉयफ्रेंड है. तुम मेरे भाई हो पर तुम एक लड़का भी तो हो. तो मैं तुमसे अपने बारे में तुम्हारा नजरिया जानना चाहती हूँ बस... की ये तुमको कैसी लगीं?"

विक्रम (जैसे उसकी बातों को समझते हुए): "अच्छी हैं..."

मयूरी: "अच्छी हैं मतलब?"

विक्रम: "मतलब अच्छी है... "

मयूरी: "अरे मतलब क्या अच्छा लगा?"

विक्रम: "क्या बताऊँ मैं... बता तो रहा हु की अच्छी है?"

मयूरी: "मेरा मतलब है की जैसे तुमको इसका शेप अच्छा लगा की साइज? या दोनों? और ये बिच का क्लीवेज अच्छा बनता है की नहीं?"

विक्रम: "देखो... ये वाकई कमाल के हैं. इनका शेप भी अच्छा है और साइज भी. एकदम गोल-गोल हैं और बड़े-बड़े भी... और क्लीवेज तो बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव है... "

मयूरी: "मैं अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड या बीवी होती तो क्या तुमको मैं पसंद आती?"

विक्रम: "तुम इतनी खूबसूरत हो की अगर तुम मेरी बीवी या गर्लफ्रेंड होती तो मैं इस दुनिया का सबसे खुसनसीब इंसान होता... "

इस बातचीत की बिच दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बिलकुल आमने-सामने बैठे हैं. मयूरी ने ऊपर में सिर्फ ब्रा पहन रखा है जिस में से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दिखाई दे रही है और उसने निचे सिर्फ एक शॉर्ट्स पहना हुआ है जिनसे उसकी गोरी टंगे और जाँघे बिक्लुल साफ़ दिखाई दे रही थी. माहौल में अब थोड़ी-थोड़ी खुमारी छा रही थी.

मयूरी (थोड़ा भावुक होते हुए बोली): "मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ भैया??"

विक्रम (थोड़ा प्यार जताते हुए उसके गालो को दबाता है): "हाँ मेरी बहना... तू मुझे इतनी प्यारी लगती है..."

मयूरी: "तो और क्या अच्छा लगता है तुम्हे मुझ में?"

विक्रम: "बताया ना, तू मुझे पूरी की पूरी अच्छी लगती है और बहुत ही ज्यादा अच्छी लगती है. बल्कि ये कहूंगा की तू दुनिया के किसी भी मर्द को बहुत अच्छी लगेगी. बहुत खुसनसीब होगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी..."

मयूरी: "थोड़ा डिटेल में बताओ की क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हे मुझे में?"

और ये कहते हुए मयूरी खड़ी होकर गोल-गोल घूम गयी और पोज़ मारने लगी, जैसे अपना प्रदर्शन कर रही हो.

विक्रम: "देख, तेरा चेहरा बहुत प्यारा है... तेरे होंठ बहुत खूबसूरत है... तेरी ये (चूचियों की तरफ इशारा करते हुए) भी बहुत प्यारी है, तेरी कमर भी पतली और आकर्षक है..."

मयूरी (जिज्ञासा भरे लहजों में): "और-और?"

विक्रम: "और क्या बताऊँ?"

मयूरी (थोड़ा मायूस होते हुए): "बस इतनी ही अच्छी लगती हूँ मैं तुमको?"

विक्रम: "अरे नहीं... नहीं..., तू तो बिलकुल परी-जैसी लगती है मेरी बहना?"

मयूरी: "तुम ना अभी मुझे बहन मत बुलाओ तो शायद और विस्तार से बता पाओगे?"

विक्रम: "ऐसी बात नहीं है..."

मयूरी: "तो और बताओ ना की क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हे मेरे बारे में?"

विक्रम: "तुम्हारे ये पैर भी बहुत ही प्यारे है और ये गोरी-गोरी जाँघे भी... तुम्हारी कमर के निचे ये पीछे का पार्ट भी बहुत आकर्षक है... "

मयूरी: "भैया इसको बट्ट बोलते हैं या फिर गांड भी बोलते हैं... "

विक्रम (थोड़ा गुस्सा-सा दिखते हुए): "मुझे पता है की इसको गांड बोलते है... "

मयूरी (इठलाते हुए): "अच्छा? और इसको क्या बोलते हैं?"

और ये बोलते हुए मयूरी विक्रम का ध्यान अपने चूचियों की तरफ इशारा करते हुए शरारती मुस्कान डालती है और फिर से विक्रम के सामने बैठ जाती है. पर इस बार वो अपने पैर फैला कर बैठती है जिस से विक्रम को अपने चुत के आस पास की जांघ वाले भाग पर नजर जा सके. साथ ही साथ ये नोटिस करती है की अब विक्रम का लंड खड़ा होकर उसके शॉर्ट्स के अंदर तम्बू बना चूका है.

विक्रम: "इनको चूचियां बोलते है, समझी? सब पता है मुझे..."

मयूरी: "अच्छा...? बहुत पता है तुम्हे? कभी किसी की चूचिया देखि है?"

विक्रम (शरारती मुस्कान के साथ): "देख तो रहा हूँ... तुम्हारी..."

मयूरी: "अरे ये तो बंद है, ब्रा में... पूरी खुली देखि है कभी.....?"

विक्रम: "हाँ... सपना की... पर उसकी छोटी थी... इतनी बड़ी नहीं थी जितनी तुम्हारी है... "

मयूरी: "और क्या क्या देखा था उसका?"

विक्रम: "और कुछ नहीं देख पाया था... बात आगे बढ़ ही रही थी धीरे-धीरे की छोटे से उसके सम्बन्ध के बारे में पता चला मुझे..."

सपना वही लड़की थी जिस की वजह से दोनों भाइयो के बिच बातचीत नहीं होती थी.

मयूरी: "तो तुमने सिर्फ देखा था की और भी कुछ किया था?"

विक्रम: "तू क्या जानना चाहती है?"

मयूरी: "यही की बात आगे बढ़ी?"

विक्रम: "ज्यादा नहीं... मैंने उसकी चूचियां दबायी थी, चूसे भी थे एक बार उसकी पैंटी में हाथ भी डाला था, बस... "

मयूरी: "ओह... तब तो बहुत बुरा लगता होगा की हसरत पूरी नहीं हो पायी... "

विक्रम: "हो जाती, पर छोटे ने सब काम ख़राब कर दिया... "

मयूरी: "या फिर बात तो ये भी हो सकती है की तुमने उसका काम ख़राब कर दिया?"

विक्रम: "तुम उसका साइड लेना बंद करोगी?"

मयूरी: "अच्छा सॉरी.... "

विक्रम: "कोई बात नहीं... अब अगर तुम्हारे जाले साफ हो गए हों तो पंखा चला दोगी? गर्मी में हालत ख़राब हो रही है... "

मयूरी (उठते हुए): "ये गर्मी कही मेरी वजह से तो नहीं...?"

मयूरी जब उठ रही थी तो उसने अपनी चूचियों को जान बूझकर उसके चेहरे में सटा दिया और ऐसे नाटक करने लगी जैसे गलती से हुआ हो... विक्रम को मयूरी की चूचियों का वो मुलायम सा छुअन बेचैन कर गया... और जाते वक्त मयूरी ने अपनी गांड को भी उसके चेहरे पर सटा दिया। विक्रम मयूरी के इन आघातों से पूरी तरह घायल हुआ जा रहा था. अब उस से नियत्रण रखना नामुमकिन हो रहा था... खैर मयूरी ने पंखा तो चला दिया पर अपना टॉप नहीं पहना. वो कमरे में अब भी सिर्फ ब्रा और शॉर्ट्स में थी. अब दोनों भाई-बहनो के बिच थोड़ा खुलापन आ गया था. विक्रम को भी उसका चूचिया का प्रदर्शन अब अजीब नहीं लग रहा था, बल्कि वो इसका आनंद ले रहा था.

मयूरी (थोड़ा इठलाते हुए): "अगर इतनी ही अच्छी लग रही है तो नजदीक से एक बार अच्छे से देख लो "

और ये कहते हुए वो अपनी चूचियों को विक्रम के एकदम चेहरे के भाई एक इंच की दुरी पर ले गयी. विक्रम इस वार से संभल नहीं पाया और हड़बड़ाहट में उसने मयूरी की चूचियों को दोनों हांथों से पकड़ लिया... फिर उसको अपनी गलती का एहसास हुआ और अपना हाथ जल्दी से पीछे हटाते हुए बोला:

विक्रम: "सॉरी... सॉरी.... वो तुम अचानक से आ गयी तो गलती से मैंने जल्दी-जल्दी में पकड़ लिया... "

मयूरी: "कोई बात नहीं... "

विक्रम (हकलाते हुए): "ह.. हाँ.. ओके.... "

मयूरी: "पर अगर तुम इनको पकड़ना चाहते हो तो पकड़ सकते हो... "

विक्रम (आश्चर्य से): "सच्ची...?"

फिर उसको अपनी गलती का एहसास हुआ और बोला:

विक्रम: "म... मेरा मतलब है.... नहीं... "

मयूरी: "अरे कोई बात नहीं... सच्ची... "

और ऐसा बोलते हुए मयूरी खुद ही विक्रम का हाथ पकड़ कर अपने चूचियों पर रख देती है... विक्रम को जैसे विश्वास नहीं होता. वो ख़ुशी और उत्साह के मारे उसकी गोल-गोल बड़ी चूचियों को पकड़कर हलके-हलके से दबाने लगता है...

मयूरी के लिए ये अनुभव एकदम नया था. वो इस पल के एक-एक लम्हे का आनंद लेने लग जाती है. उसके मुँह से सिसकारियां निकल जाती है...

मयूरी: "आह..... भैया.... बहुत मजा आ रहा ह... है.... और दबाओ.... ना इनको.... "

विक्रम मयूरी की ऐसी कामुक बातों से और उत्साहित हो जाता है और जोर-जोर से मयूरी की अनछुई चूचियों को दबा-दबा कर आनंद लेने लगता है. तभी मयूरी अपना एक हाथ विक्रम के शॉर्ट्स में डालती है और उसक लंड को जोर से पकड़ लेती है. मयूरी के लिए ये पहली बार था जब वो किसी का लंड अपने हाथ में ले रही थी. उसने विक्रम के लंड के कड़ापन को महसूस किया... वो बहुत ही ज्यादा सख्त था... काफी लम्बा भी था. मयूरी उसके लंड को जोर-जोर से दबाने लगी और इधर विक्रम उसकी चूचियों को उमेठ-उमेठ कर मजे ले रहा था.

दोनों भाई बहिन अपनी जवानी की बहार का आपस में मजा ले रहे थे. अब तक मयूरी की सारी योजना एकदम सही चल रही थी. दोनों ही भाई-बहन एक दूसरे को अपनी जवानी का पूरा मजा देना चाहते थे. वो इस समय पूरी तरह एक-दूसरे के हो जाना चाहते थे.

मयूरी और विक्रम ने लगभग इसी अवस्था में 10-15 मिनट आनंद लिया. फिर मयूरी ने धीरे से कहा...

मयूरी: "भैया..... "

विक्रम: "ह... हाँ... बहना... "

मयूरी: "क्या मैं तुम्हारा ये हथियार देख सकती हूँ...? मैंने आज तक किसी का देखा नहीं है ये वाला... "

विक्रम (मुस्कुराते हुए) : "इसको लंड कहते है मेरी बहना.... "

मयूरी (इठलाते हुए): "मुझे पता है की इसको लंड कहते है.... "

अब दोनों भाई-बहन में कुछ शर्म-लाज नहीं बची थी. दोनों बस एक दूसरे को वो जिस्मानी सुख देना चाहते थे वो हर औरत मर्द एक-दूसरे को देना चाहता है. उन्हें इस बात से अब कोई फर्क नहीं पड़ता था की वो दोनों सगे भाई-बहिन है....

मयूरी (जिद करते हुए): "दिखा दो ना प्लीज.... "

विक्रम: " हाँ मेरी जान... तू बिलकुल देख ले और जो करना है वो कर इसके साथ... अब ये पूरी तरह से तुम्हारा है..."

मयूरी: "सच भैया... आई लव यू.... "

और ये कहते हुए मयूरी ने विक्रम की होटों पर अपने रसीले गुलाबी और मुलायम होठ रख कर एक गाढ़ा-सा चुम्बन दिया. विक्रम इस मामले में थोड़ा अनुभवी था. उसने मयूरी के निचले होठों को चूसना शुरू किया और फिर अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया. मयूरी के लिए ये बिलकुल नया था पर उसको ये एकदम-से बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और वो इसका आनंद लेने में लग गयी. उसने विक्रम की जबान को चूसना शुरू किया और दोनों एक-दूसरे को करीब पांच मिनट तक चूसते रहे.

फिर मयूरी को अचानक कुछ याद आया और विक्रम के होठो से अलग होते हुए बोली...

मयूरी: "भैया... तुम्हारा लंड... मुझे वो देखना है... "

विक्रम खड़ा हो गया और उस ने अपने शॉर्ट्स निकाल दिया और उसका टनटनाते हुआ लंड बाहर खड़ा था. अब विक्रम का लंड मयूरी के चेहरे के ठीक सामने था. उसने बड़े प्यार से उसको देखा फिर अपने दोनों हाथो से उसको छू कर एहसास करने लगी. फिर उसने उसके लंड पर अपने होठो से एक चुम्बन किया और फिर पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में गपक से अंदर ले लिया. और वो विक्रम के लंड को अपने मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी. उसको विक्रम के लंड का स्वाद शुरू में थोड़ा नमकीन लगा पर वो उसको ये स्वाद इतना अच्छा लग रहा था की जैसे उसको नशा-सा हो गया हो.

उसने विक्रम के लंड को अपने मुँह में आगे-पीछे करना जारी रखा. इधर विक्रम भी पहली बार किसी लड़की के मुँह में अपना लंड दे रहा था और वो भी अपनी छोटी बहिन के. वो इस समय बहुत एक्साइटेड था और अपने लंड को अपनी बहन के मुँह में महसूस कर रहा था. वो इस क्रिया में मयूरी का पूरा साथ दे रहा था और एन्जॉय कर रहा था.

दोनों भाई-बहन वासना में पूरी तरह से लिप्त हो चुके थे. उन्हें इस समय कुछ भी याद नहीं था की वो घर में है, वो सगे भाई-बहिन है. उनके बिच खून का रिश्ता है... कुछ भी नहीं... दोनों को इस वक्त कुछ भी याद नहीं था. दोनों बस एक दूसरे के हो जाना चाहते थे. फिर करीब पांच-दस मिनट तक अपना लंड अपनी प्यारी-सी, सेक्सी-सी अधनंगी बहिन के मुँह में चुसाने के बाद विक्रम मयूरी के मुँह में ही झड़ गया. इधर उत्साह के मारे मयूरी ने अपने बड़े भाई के लंड से निकले एक-एक बून्द वीर्य को चाट लिया और गले के निचे गटक कर गयी. वो अपने बड़े भाई के इस प्यार को बिलकुल भी जाया नहीं करना चाहती थी.

अब विक्रम की बारी थी. उसने मयूरी से आग्रह करते हुए पूछा:

विक्रम: "मयूरी, क्या मैं तुम्हारी चुत देख सकता हूँ... प्लीज..... "

मयूरी: "हाँ मेरी जान... अब ये पूरी तरह से तुम्हारी है... क्यूँ ना इसका दीदार करने के लिए मेरे कपडे तुम खुद निकालो.?"

मयूरी अब खड़ी हो गयी थी ताकि उसका अपना बड़ा भाई उसको नंगा कर सके. मयूरी ने अब भी ब्रा, शॉर्ट्स और उसके निचे एक पैंटी पहनी हुई थी. विक्रम ने जरा भी देर ना करते हुए वो बैठा और सीधा उसकी शॉर्ट्स और फिर पैंटी को एक साथ ही लगभग खींचता हुआ-सा निकलने लगा. मयूरी ने अपनी टांगे उठा कर ऐसा करने में उसकी पूरी मदद की. अब मयूरी निचे से पूरी तरह नंगी थी. उसके शरीर पर सिर्फ उसकी ब्रा पड़ी हुई थी.

विक्रम ने अपने जीवन काल में पहली बार नंगी चूत देखि थी, और वो भी अपनी खुद की बहन की... वो बहुत ही ज्यादा एक्ससिटेड हो रहा था. उसने झट से पहले अपनी उंगलिया मयूरी के चुत पर रखी और फिर उसने बिना समय गंवाएं अपनी जबान उसमे डाल दी. ऐसा करने में मयूरी ने उसकी पूरी मदद की और अपनी एक टांग उठा कर उसने विक्रम के कंधे पर रख दिया. अब विक्रम के लिए मयूरी का चुत चाटना बेहद ही सुविधाजनक हो गया था. वो लगभग टूट पड़ा... मयूरी इस पल का पूरा आनंद ले रही थी. विक्रम भी इस सुख का पूरा अनुभव ले रहा था. मयूरी के मुँह से सिसकारियां निकल रही थी.

मयूरी: "आ... आह... भ... भैया.... और जोर से चाटो... मेरी चुत को... घुस जाओ इस में... अब ये बिलकुल तुम्हारा है.... "

मयूरी सुख और आनंद के मारे कुछ-भी बड़बड़ा रही थी. करीब 15 मिनट मयूरी के चुत की गहराइयों को अपनी जबान से नापने के बाद विक्रम उसकी चुत से अलग हुआ. इतनी देर में मयूरी 5-6 बार झड़ चुकी थी और विक्रम ने उसके चुत से निकला हुआ पूरा का पूरा माल अपने मुँह से चूस-चूस कर गटक लिया था. दोनों काफी थक गए थे और आगे बढ़ने ही वाले थे की घर के घंटी बजी. शायद रजत मूवी देख कर घर आ गया था. और इसी घंटी से इन दोनों भाई-बहनो की तन्द्रा भी टूटी. अब दोनों अपनी पुरानी दुनिया में फिर से वापिस आये. जल्दी-जल्दी कपडे पहने और फटाफट से माहौल को सामान्य करते हुए अपने अपने बिस्तर पर बैठ गए. पर सच पूछो तो अब कुछ भी सामान्य नहीं बचा था. दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और दोनों ने एक-दूसरे को गहरी मुस्कान दी.

करीब आधे घंटे बाद रजत खाना-वाना खाकर कमरे में आया. वो सीधे अपने बिस्तर पर गया और लेट गया. मयूरी ने पूछा की फिल्म कैसी थी तो उसने जवाब दिया की अच्छी थी और फिर थोड़ी देर के बाद सब सो गए. रात को एहतियात के तौर पर उस कमरे में मयूरी और विक्रम के बिच कुछ नहीं हुआ क्यूँकी रजत वही पर सो रहा था.

-- अगले अध्याय में पढ़िए कैसे मयूरी ने अपने छोटे भाई को पटाया

लेखक से:

ये मेरी जिंदगी की पहली रचना "चुड़क्कड़ परिवार" श्रृंखला की अगली कड़ी है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियो का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तो में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. मुझे अपनी इस श्रृंखला की ये कड़ी को लिखने में बहुत वक्त लग गया, पर ये बहुत ही रोमांच से भरी हुई कहानी तैयार हुई है. मेरी पाठकों से आग्रह है की आपको ये कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर जरूर दें ताकि मैं इसकी दूसरी कड़ी भी लिख पाऊँ.

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2 Comments
AnonymousAnonymousover 4 years ago
Mere choti bhehena

Mai bhi Meri choti behen ko chodna chahta hu but samj nhi ata kaise suru kru

AnonymousAnonymousover 5 years ago
Mast

Bahur hi mast kahani

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