"कहानी राहुल और कामिनी की"

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

विवेक कामिनी के नीचे दबा हुआ धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला कर चुदाई कर रहा था, कामिनी को शायद मजा नहीं आ रहा था हलके हलके झटकों से, वो बोली- हो गया तुम्हारा चलो!

विवेक बोला- अरे मैडम, अभी तो बैटिंग शुरू नहीं की... और हो गया? मैं तो थोड़ा क्रीज पे पैर जमा रहा था.

और उसने कामिनी को जोर जोर से उछाल उछाल कर चोदना शुरू कर दिया. कमरे में 'फट फट फट ऊऊह्ह उम्म्ह... अहह... हय... याह... ऊह फट फट फट' की बहुत जोर से आवाजें आने लगी, कामिनी के मम्में जोर जोर से उछल रहे थे हवा में!

मेरे लंड का पानी सूख गया था.

मेरी कामुक बीवी कामिनी जोर जोर से बोल रही थी- विवेक... चोदो... जोर जोर से चोदो... बहुत मजा आ रहा है! वाऊ वाओ मेरी जान!

'फट फट फट फट फट' और तेज हो गई, विवेक कामिनी के निप्पल बीच बीच में मुँह में भर लेता और मम्में मसल देता.

थोड़ी देर ऐसे ही मेरी बीवी को चोदने के बाद उसने कामिनी को एक झटके में ऐसे ही उठा कर नीचे लेटा दिया और उसकी टांगें फैला दी और पूरे जोर से पेलने लगा. कामिनी बस आअह्ह्ह आअह अह ऊऊह ऊह ऊऊह्ह्ह करती रही और कमरे में उं दोनों की सिसकारियों के साथ 'फिच फिच फिच फिच फिच' की आवाज भी गूँज रही थी.

विवेक ने स्पीड बढ़ा दी, मेरी चुदक्कड़ चालू बीवी कामिनी बोली- वाह राजा, क्या जोश के साथ मेरी चूत ले रहे हो!

और फिर विवेक ने मेरी कमीनी बीवी कामिनी की चूत में ही अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी.

कामिनी बोली- तुम सुधरोगे नहीं? पानी की पिचकारी अंदर छोड़ना जरूरी है क्या? प्रेग्नेंट हो गई तो?

विवेक बोला- कोई बात नहीं मेरी जान... प्यार की निशानी भी होनी चाहिये!

और लंड मेरी बीवी की चुत के अंदर डाले डाले उसकी छाती पर गिर गया.

दोनों शायद आधे घंटे की चुदाई से थक गए और नंगे ही चिपक के लेट गए. मैंने अपने कमरे में जाना ही ठीक समझा और मैं अपने कमरे में आकर सोच रहा था कि मेरी बीवी गैर मर्द की बांहों में मस्त हो गई है.

मैं आने वाले समय से अनजान था कि मेरा क्या होने वाला था!

सुबह मेरी नींद सात बजे के आस पास खुल गई. कामिनी उसी बेबी डॉल ड्रेस में सो रही थी. उसको नहीं मालूम था कि रात में उसकी चुदाई मैंने देख ली है. उसको मुझे सोता देख कर ऐसा लग रहा था. मैंने सोने का कोशिश की और नींद आ गई.

करीब नौ बजे कामिनी ने मुझे जगाया और बोली- आज ऑफिस नहीं जाना क्या?

मैंने कहा- हां जाना है.. रात में तुम्हारे बॉस कब गए थे?

वो बोली- विवेक?

मैं बोला- अरे वो बॉस से विवक हो गया?

वो बोली- ज्यादा दिमाग मत लगाया करो.. ऑफिस जाओ.

शाम को कामिनी टाइम पर घर आ गई. मैं समझ नहीं पाया. तीन चार दिन बीत गए, वो रोज टाइम पर आने लगी. मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर माजरा क्या है. फिर मुझे जल्दी ही समझ आ गया कि विवेक आउट ऑफ़ कंट्री गया है.

शुक्रवार को मैंने देखा कि कामिनी बहुत बन ठन रही है, उसने डीप कट वाला टॉप पहना और स्किन टाइट जीन्स पहनी हुई थी. उसने डार्क लिपस्टिक लगाई हुई थी. इस मेकअप में उसकी कामुक फिगर और कामुक लग रही थी.

तभी एक कार बाहर आकर रुकी.. और कामिनी के मोबाइल पर फ़ोन आया.

कामिनी मुझसे बोली- मेरी कम्पनी की कार आ गई है, मैं जा रही हूँ.

मैं बोला- कंपनी की गाड़ी बुलाई थी क्या?

'अब से ये कार ही लेने आएगी, विवेक बाहर गए थे, वो आ गए हैं.'

मैं बोला- मैं छोड़ देता हूँ.

वो बोली- तुम अपनी फटफटिया से जाओ.. मेरा मेकअप ख़राब हो जाएगा.

मैं शाम को ऑफिस से निकलने के बाद सीधा कामिनी के ऑफिस गया और अपनी बाइक खड़ी करके ऑफिस के रिसेप्शन पे गया. आज उधर कोई दूसरी दो लड़कियां बैठी थीं. मेरा दिमाग ठनका कि कामिनी कहां चली गई.

मैंने उनमें से एक बंदी से पूछा- कामिनी नहीं है ऑफिस में?

वो बोली- सर उनका प्रमोशन हो गया है, वो तो अब विवेक सर की पर्सनल सेक्रेटरी हो गई हैं. वो उनके केबिन के पास वाले केबिन में बैठती हैं.

मैं चुपचाप उसको सुन रहा था.

तभी वो मुझसे बोली- आप कौन है?

मैंने उसको कुछ नहीं बताया और सीधा घर आ गया. मुझको मालूम था कि कामिनी विवेक की कार से ही आएगी. मैं घर पहुंचा ही था कि कामिनी का फ़ोन आ गया.

'आज फ्राइडे है कल छुट्टी है.. मुझको विवेक के साथ बहुत जरूरी मीटिंग में जाना है, मुझको देर हो जाएगी. तुम खाना खा लेना खाना और खुशी को मम्मी के यहां छोड़ देना.

हमारी बेटी का नाम ख़ुशी है, उसको मम्मी मतलब मेरी सास के यहां छोड़ देने की बात कही गई थी.

मैं बोला- मैं अपने दोस्त के यहाँ जा रहा हूँ.

वो बोली- जहां जाना हो जाओ.

मैं साढ़े नौ बजे घर लौटा तो विवेक की कार बाहर खड़ी थी. मैंने कॉल बेल बजाई तो विवेक ने दरवाजा खोला. उसके हाथ में दारू का गिलास था.

वो बोला- आओ राहुल कैसे हो?

मैं बोला- ठीक हूँ.

तभी कामिनी की अन्दर से आवाज आई- कौन है स्वीटी?

विवेक ने कुछ नहीं कहा.

मैं ड्राइंग रूम में आया, कामिनी के हाथ में गिलास था और वो स्लीवलेस घुटनों तक की नाईटी पहने थी.

विवेक बोला- एक आध पैग लोगे?

मैंने कहा- नहीं आप लो.

कामिनी बोली- लेते हो तो ले लो न.. नाटक क्यों कर रहे हो?

मैं बोला- तुम तो कभी साल में एकाध बार पीती हो.

वो बोली- विवेक राहुल का ड्रिंक बना दो यार.. इसका दिमाग ठीक हो जाएगा.

मैंने कहा- नहीं पीना.

विवेक ने ड्रिंक बना दिया और बोला- पी ले यार, कामिनी बोल रही है न.

मैंने कहा- जो ये बोलेगी तो पीना पड़ेगा?

विवेक बोला- जो कहती है कर लिया कर.. अभी बता दूंगा क्यों करना पड़ेगा.

वो कामिनी के बगल में बैठ कर दारू पीने लगा. कामिनी उससे थोड़ी दूर होने की कोशिश करने लगी. उसने थोड़ी देर में कामिनी को एक हाथ से अपने बगल में खींच लिया.

कामिनी बोली- अरे यार विवेक, क्या कर रहे हो?

वो बोला- तुमको तो मालूम है.. मैं पांच दिन बाद आया हूँ और तुम्हारे साथ टाइम नहीं बिताया इसलिये यहाँ आ गया. मेरी जान तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता.

कामिनी बोली- विवेक, चलो डिनर करते हैं.

वो बोला- कर लेंगे यार..

कामिनी बोली- चलो न.

वो बेशरम होते हुए मेरी तरफ देख कर बोला- अरे इससे क्यों परेशान हो.

वो बोली- तुम भी न..

विवेक बोला- यार तुम्हारे एलईडी में पेन ड्राइव लग जाती है?

वो बोली- हां क्या दिखाओगे?

विवेक बोला- अरे छोटी सी एक डाक्यूमेंट्री है.

वो बोली- छोड़ो न.

वो बोला- नहीं..

फिर उसने टीवी में स्लॉट ढूढ कर पेन ड्राइव लगा दी और उसको वीडियो पर लगा कर प्ले कर दिया.

उसको देखते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वो वही वीडियो क्लिपिंग थी, जिसमे मुझको दो महीने पहले दो गुंडों ने सुनसान जगह ले जाकर मेरी पिटाई लगा कर लंड चुसाया था.

वो कामिनी को दिखा कर बोला- देखो मेरी जान तुम्हारा पति देखो इन मुस्टंडों का लंड चूस रहा है.

ये कह कर वो जोर से हंसने लगा.

मैं एकदम से बोला- ये जबरदस्ती कराया था.

कामिनी बोली कि कोई जबरदस्ती करोगे तो तुम उनका लंड चूसोगे.. शर्म नहीं आती, बेशरम कहीं के..!

फिर विवेक बिल्कुल मेरे पास आकर बोला- नेट पे डाल दूँ क्या.. या तेरे ऑफिस में बता दूँ?

मैं चुपचाप बैठ गया.

फिर वो कामिनी के बिल्कुल पास चला गया और उसको एकदम अपने से चिपका कर बोला- तो मेरी जान ये तो तुम्हारे पति लायक है नहीं, पर जरूरतें भी तो पूरी करनी पड़ती हैं.

वो कामिनी को मेरे सामने किस करने लगा.

कामिनी बोली- छोड़ो यार प्लीज..

विवेक बोला- ठीक है.. मैं जा रहा हूँ.

कामिनी एकदम से बोली- तुम भी न बुरा क्यों मान गए?

वो बोला- हां मान गया और जब तक तुम इस चूतिये को मुँह पर नहीं बोलोगी कि ये तुम्हारे साथ सोने लायक नहीं है, मैं तब तक नहीं रुकूंगा.

कामिनी बोली- इसमें तुम्हारे बोलने से क्या.. मैं राहुल को खुद ही बोल देती हूँ. आज इसकी जो हरकत मैंने देखी है.. वो तो मैं इससे कहने वाली ही थी.

वो मेरी पास आकर बोली- राहुल तुम मेरे साथ सोने लायक नहीं हो.

विवेक ने कामिनी को चिपका कर अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा और डीप स्मूच करने लगा; लम्बा सा स्मूच करने के बाद विवेक बोला- पूरी बात नहीं बोली.

कामिनी बोली- बोल तो दी.

वो बोला कि ये बोलो कि राहुल अब तुम मेरे साथ सोने लायक नहीं हो, इसलिए मैं आज रात को विवेक साथ सोऊंगी.

कामिनी बोली- तुम भी न विवेक.. खाना खाओ और घर जाओ.

विवेक ने कामिनी को गोद में उठा लिया और बोला- जल्दी बोलो इसको.

वो बोली- छोड़ो न..

विवेक बोला- जब तक नहीं बोलोगी उतारूंगा नहीं.

कामिनी बोली- ठीक है बोल दूंगी, पर यार इसका वीडियो डिलीट कर दोगे.

वो बोला- ठीक है.

कामिनी ने वही दोहरा दिया, जो विवेक ने कहा था कि मैं विवेक के साथ सोऊंगी.

मैं उठने लगा, वो बोला- दारू तो पी ले यार.. खाना खा ले.

मैंने किसी तरह ड्रिंक खत्म की, इतनी देर में कामिनी खाना ले आई.

मैं बोला- मुझे भूख नहीं है.

वो बोला- भाई खा ले.. खाने के बाद सोना, ये कहां न कह रही है.

मैंने किसी तरह एक रोटी खाई और बेडरूम में आ गया.

थोड़ी देर में कामिनी अन्दर आई और बोली- विवेक बुला रहा है.

मैंने कहा- अब क्या काम है?

वो बोली- सुन लो.

मैं गया तो वो बोला- एक काम कर दे, फिर जाना.

मैंने कहा- क्या काम है?

वो बोला- एक पैकेट गाड़ी में रखा है, जरा ले आ.. फिर चले जाना.

उसने मुझे कार की चाभी दे दी और बोला- ग्लोव बॉक्स में है.

मैं गया और लाकर उसको दे दिया.

वो बोला- खोल इसको.

मैंने कहा- क्या है इसमें?

वो बोला- खोलेगा तो मालूम चलेगा.

मैंने खोला, उसमें गोल्डन कलर की डोरी वाली ब्रा पेंटी थी और उसके ऊपर एक गोल्डन ट्रांसपेरेंट ओवर कोट था.

मैंने कहा- अब जाऊं?

वो बोला- जा मत.. सुन ले, तुझे मालूम है कि क्या करना है?

मैंने कहा- क्या?

बोला- करेगा क्या साले.. तू खुद पहनाएगा नहीं क्या.. कामिनी जा रही है, इसको ये पहना और हाथ पकड़ कर लेकर आ.

कामिनी बोली- मुझको नहीं पहननी इससे.. मैं खुद पहन लूँगी.

वो बोला- जा तू... मेरी जान को हम अपने हाथ से पहना देंगे. कामिनी मेरी जान तुम्हारी पहले उतारनी भी तो हमको ही है.

कामिनी मुझसे बोली- तुम जाओ.

विवेक ने बिना मेरे कमरे से गए ही कामिनी को चिपका लिया और उसके घुटनों तक वाली नाईटी को एक झटके में ही उतार दिया. फिर उसको घुमा कर ब्रा का हुक खोल दिया. कामिनी अब टॉपलैस हो गई थी. विवेक ने उसको गोल्डन ब्रा पहनाई और पेंटी को देख कर बोला कि अब ये भी पहनोगी.

कामिनी बोली- मैं एक मिनट में आती हूँ.

वो बाथरूम में चली गई और थोड़ी देर में वो गोल्डन ट्रांसपेरेंट ओवर कोट और गोल्डन ब्रा पैंटी पहन कर आ गई.

विवेक बोला- क़यामत लग रही हो मेरी जान.

फिर मेरी तरफ देख कर विवेक बोला- जाना है या यहीं बैठा रहना है.

मैं उधर ही रुका रहा.

विवेक बोला- भाई हमको तो नींद आ रही है.. कहां सोना है.

कामिनी बोली- तुम ऊपर बेडरूम में जाकर सो जाओ.

वो बोला- किसके साथ?

मेरी बीवी बोली- अरे आती हूँ न..

वो बेशर्मी से बोला- मतलब साथ में सोने आती हो न?

कामिनी चुप रही.

वो बोला- ऐसे नहीं.. मैं कमरे में जा रहा हूँ.. तुमको राहुल मेरे कमरे में छोड़ देगा.

मेरी बीवी बोली- बस करो न यार.

वो मेरी तरफ देख कर बोला- मैडम को छोड़ देगा न?

मैं कुछ नहीं बोला.

वो बोला- हां बोलेगा?

मैं फिर कुछ नहीं बोला तो वो बोला- कामिनी फ़ोन दो जरा मेरा!

मैंने कहा- हां, मैं छोड़ दूंगा.

विवेक बोला- गुड.. और बॉडी लोशन भी साथ में रख देना.

मैंने 'हां' में सर हिला दिया.

विवेक ऊपर वाले बेडरूम में चला गया. थोड़ी देर मैं वहीं खड़ा रहा.

मैंने कामिनी से कहा- ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है.

वो बोली- लंड तुम चूसो और मेरी वजह से हो रहा है.

मैंने गुस्से से उससे कहा- तुम पहले से चुदवा रही हो.

वो बोली- अच्छा मैं पहले से चुद रही हूँ न.. ठीक है फिर जा रही हूँ. अच्छा हुआ तुमने अपना रंग दिखा दिया. मैं सोच रही थी तुम्हारा वीडियो डिलीट करवा दूंगी, पर तुम न जाओ.. जा कर सो जाओ.

मैं बोला- हां और तुम जाकर चुदवाओ विवेक से.

वो बोली- हां जाऊँगी.. एक नहीं सौ बार जाउंगी.. और रात में कुछ भी नाटक किया न.. तो सबसे पहले तुम्हारा लंड चूसने वाला वीडियो मैं ही पोस्ट करूंगी.

मैं बोला- जाओ यार बस..

बोली- नहीं अब तुम ही चलोगे छोड़ने.

मैं बोला- मैं नहीं जा रहा.

वो बोली- चल रहे हो या विवेक को आवाज दूँ?

मैं बेबस होकर बोला- चलो.

मैं कामिनी को फर्स्ट फ्लोर के बेडरूम में छोड़ने गया. दरवाजा खुला था.

विवेक बोला- ऐसे नहीं.. मेरे हाथ में कामिनी का हाथ दो और बोलो कि मेरी कामिनी को खुश कर दीजिए.

मुझको बहुत गुस्सा आया, पर मैंने मन में सोचा ज्यादा दिमाग लगाना बेकार है. मैंने विवेक के हाथ में कामिनी का हाथ दिया और बोला- मेरी कामिनी को खुश कर दीजिए.

वो बोला- अब तो कामिनी मेरी हो गई.

वो जोर से हंसने लगा और कामिनी को खींच कर बेड पर गिरा कर उस पर चढ़ गया.

मैं कमरे से बाहर आ गया.

आज मेरी कामिनी मेरे सामने बेशर्मों की तरह चुदने अपने यार के कमरे में गई थी और मैं ही उसको छोड़ कर आया था.

दोस्तो, गैर मर्द से मेरी बीवी की चुदाई की कहानी कैसी लग रही है? मुझे मेल कीजिएगा.

उमा शर्मा

मैं कामिनी को फर्स्ट फ्लोर के बेडरूम में छोड़ने गया. दरवाजा खुला था.

विवेक बोला- ऐसे नहीं.. मेरे हाथ में कामिनी का हाथ दो और बोलो कि मेरी कामिनी को खुश कर दीजिए.

मुझको बहुत गुस्सा आया, पर मैंने मन में सोचा ज्यादा दिमाग लगाना बेकार है. मैंने विवेक के हाथ में कामिनी का हाथ दिया और बोला- मेरी कामिनी को खुश कर दीजिए.

वो बोला- अब तो कामिनी मेरी हो गई.

वो जोर से हंसने लगा और कामिनी को खींच कर बेड पर गिरा कर उस पर चढ़ गया.

मैं कमरे से बाहर आ गया.

आज मेरी चालू बीवी मेरे सामने बेशर्मों की तरह चुदने अपने यार के कमरे में गई थी और मैं ही उसको छोड़ कर आया था.

कामिनी धीरे से विवेक से बोली- दरवाजा भी बंद करोगे या..

विवेक बोला- अब भी दरवाजा बंद करवाओगी यार..

फिर वो जोर से बोला- सुन बे.. डोर बंद कर दे.

मैं अभी बाहर ही खड़ा था, मैंने दरवाजा धीरे से बंद कर दिया.

कामिनी बोली- तुम भी न.. राहुल के सामने ये सब करने की क्या जरूरत थी? जब तुम्हारा दिल करता था, तो मेरी चूत तो तुम ले ही लेते हो न.

विवेक बोला- देखो जानेमन जो खुल्लम खुला प्यार करने में मजा है, वो डर डर के लेने में नहीं है.. देखा आज तुम्हारा ढक्कन पति खुद तुमको मेरे पास चोदने के लिए छोड़ कर गया या नहीं!

वो बोली- ये ठीक नहीं किया यार.

वो बोला- मेरी जान छोड़ो, अब जाम बनाओ, अपना और मेरा गला तर करवाओ.. फिर कुछ एन्जॉय करेंगे.

वो खिलखिला कर बोली- पहले नहीं बोल सकते थे.. राहुल सब कुछ बना कर रख देता.

विवेक बोला- तो अब बोल दो.. वो क्या काम कर रहा होगा.. भोसड़ी का अपना लुल्ली सहला रहा होगा.

मैंने वहां से चले जाने में ही अपनी भलाई समझी, मैं चलने लगा कि इतनी देर में कामिनी की आवाज आई- राहुल एक मिनट सुनोगे.

मैं फिर रुक गया, कमरे में गया, मैंने देखा कि कामिनी विवेक की बांहों में बेशर्मों की तरह लेटी थी, उसने अलग होना भी ठीक नहीं समझा.

वो लेटे हुए ही बोली- सुनो यार, नीचे से दो गिलास, सोडा और आइस क्यूब्स ले आना.

मैं मुड़ा ही था कि वो बोली- कुछ सलाद भी काट लाना.

मुझको खुंदक आ रही थी, मैंने उनको नीचे से माँगा हुआ सामान ला दिया और कमरे में आ गया, पर मुझे नींद कहां आती. खुजली भी हो रही थी कि कमरे में क्या चल रहा होगा.

मैं विंडो के पास जा कर खड़ा हो गया. वहां पर्दा डाला हुआ था, अन्दर लाइट जल रही थी. विवेक ने कामिनी को अपनी जाँघों पर बिठा रखा था और वो दोनों एक ही गिलास से सिप कर रहे थे. विवेक कामिनी के बालों में हाथ से सहला रहा था.

कामिनी उसके सीने में हाथ फेरते हुए बोली- ये क्या खुराफात की तुमने... राहुल की फाड़ कर रख दी.

वो बोला- यार साला ऐसे नाटक करता रहता.. उसके सामने किसी दिन बात तो खुलती ही.. और उसको शक तो हो ही गया था. तो मैंने सोचा कि ऐसा कुछ कर देते हैं कि साला परमानेंट चुप करके बैठ जाएगा.

कामिनी बोली- तुम पूरे कमीने हो विवेक.

अब विवेक और मेरी बीवी में, बॉस और सबऑर्डिनेट के सम्बन्ध की जगह प्रेमी प्रेमिका का सम्बन्ध बन चुका था.

विवेक बोला- मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाता.

उसने कामिनी को बिस्तर पे लिटा दिया.

कामिनी बोली- जानू लोशन क्यों मंगाया था?

वो बोला- थोड़ा तुम्हारे चिकने बदन को और चिकना करना है.

ये कहते हुए उसने कामिनी का गोल्डन ओवर कोट निकाल दिया. अब वो गोल्डन ब्रा पेंटी में मस्त हीरोइन सी लग रही थी. उसका गोरा बदन बड़ा ही क़यामत ढहाता हुआ लग रहा था.

विवेक शॉर्ट्स में था. उसने कामिनी की गोरी पीठ पर बॉडी लोशन लगाना शुरू कर दिया.

मेरी प्यासी बीवी कामिनी पूरे मजे से लोशन लगवा रही थी. पीठ से उतर कर वो कामिनी की गोरी गोरी गांड पर लोशन लगाने लगा. फिर उसके पेंटी की डोरी खोल दी. कामिनी की बची हुई गोरी गांड, अब बिल्कुल नंगी हो गई. विवेक पूरी मस्ती से गांड पर लोशन लगाने लगा.

फिर जाँघों पर नीचे लगाने के बाद बोला- जरा पलटो मेरी जान.

वो ऊपर खिसक कर कामिनी के मम्मों के पास आ गया और कामिनी को तिरछा करके उसकी ब्रा की डोरी भी खोल दी, उसके बड़े बड़े गोरे मम्मे इधर उधर फुदकने लगे. विवेक उनको लोशन लगा कर मसलने लगा.

कामिनी अब गर्म हो चुकी थी, उसने बिना देर लगाए विवेक की शॉर्ट्स का हुक खोल दिया और खींचने लगी.

विवेक ने शॉर्ट्स उतार दी.. अब वो फ्रेंची में था. मेरी प्यासी बीवी कामिनी उसकी फ्रेंची में हाथ डाल कर उसका मोटा लम्बा लंड बाहर निकाल कर सहलाने में लग गई और धीरे से उसके लंड के सुपारे पर जीभ मारना शुरू कर दिया.

विवेक का लंड धीरे धीरे फुल टाइट हो गया. वो साढ़े सात इंच का बहुत मोटा लंड था.

चुदाई की प्यासी कामिनी ने विवेक के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर उसका लंड चूसने के बाद विवेक ने अपनी फ्रेंची निकाल कर फेंक दी. अब वो दोनों एकदम नंगे थे. विवेक ने कामिनी को ऊपर खींच लिया और उसको पूरे बदन में किस करने लगा, मम्मे बुरी तरह से मसलने लगा. कुछ ही पलों में कामिनी के बड़े बड़े गोरे मम्मे लाल हो गए थे.

मेरी बीवी मादकता से कराह कर बोली- आराम से मसलो मेरी जान..

विवेक ने इस बात पर उसके एक मम्मे के निप्पल पर दांत से काट लिया. वो चिहुँक उठी, बोली- ऊई माँ.. दर्द होता है जी..

वो बोला- दर्द में ही तो मजा है मेरी जान..

फिर उसने अपने होंठों से जीभ बाहर निकाल कर कामिनी के कानों में घुसा दी.

कामिनी के पूरे शरीर में करंट दौड़ गया. वो बोली- आह.. क्या करते हो..

फिर कामिनी ने विवेक को लिटा कर उसके गले पर डीप किस करना शुरू कर दिया.

विवेक बोला- छोड़ो प्लीज..

कामिनी बोली- हम्म.. जब खुद कर रहे थे तब..

वो हंसते हुए मस्ती से डीप स्मूच करने लगे. करीब दस मिनट दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. इतनी देर तक शायद मैंने कामिनी भी इन छह सालों में कभी सेक्स नहीं किया था.

विवेक बड़े तसल्ली से कामिनी की चूत का मजा लेता था. अब उसने कामिनी की चूत में उंगली डाल कर उसकी घुंडी उमेठना चालू कर दी और स्पीड तेज कर दी. कामिनी एकदम से गरम होकर जोर जोर से अपनी गांड उचकाने लगी.

वो कामुक होकर पागलों की तरह विवके का लंड आगे पीछे करने लगी. उसने मेरा लंड इतनी बार आगे पीछे किया होता, तो अब तक पिचकारी छूट जाती, पर विवेक एक नम्बर का सॉलिड चुदक्कड़ था.

कामिनी काफी गरम हो चुकी थी, विवेक एकदम नीचे चले गया और उसने कामिनी की चूत में अपनी जीभ घुसा दी.

कामिनी चुदाई की प्यास से तड़फ कर बोली- आह.. ये क्या कर रहे हो मेरी जान पूरा बदन जलने लगा है.

वो बोला- यही आग तो भड़कानी है मेरी जान..

वो पूरी तन्मयता से अपनी जीभ को कामिनी की चुत में अन्दर बाहर करने लगा. कामिनी से जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो उसने अपनी टांगें बिल्कुल धनुष की तरह फैला दीं और बोलने लगी- आह डालो न विवेक.. अपना लंड डालो.. मेरी चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही है.

विवेक बोला- चूत का काम पानी छोड़ना ही है.

वो बोली- प्लीज विवेक फक मी हार्ड.. चोदो फाड़ दो आज चूत.. ऐसी आग लगा दी है.. कि बस अब सहा नहीं जाता.

विवेक ने कामिनी के दोनों गोरी टांगों को अपने कंधों पर उठा लिया और एक झटके में फुल स्पीड से चोट लगाते हुए पूरा लंड घुसेड़ दिया.

कमरे से जोर की आवाज आई- उउइइइइइ माँआआ फट गई.. खून निकल आया.. निकालो जल्दी.. बहुत दर्द हो रहा है.

पर विवेक ने ये सब अनसुना कर दिया.

वो मेरी बीवी तड़फ कर बोली- विवेक प्लीज़ लंड निकाल लो न.. मेरी चूत फट जाएगी.. पहले तो बड़े आराम से डालते थे.

विवेक बोला- क्या यार, 6 साल चुदते हुए हो गए.. लगता है अभी तक ठीक से राहुल ने तुमको चोदा ही नहीं है.

वो बोली- तुम्हारा लंड है या मूसल जैसा लौड़ा..

विवेक ने धक्के देने शुरू किए. कामिनी 'उउइइइ माँआ.. उउइइइ माँआ' करते हुई गांड उचकाने लगी. विवेक की स्पीड बहुत बढ़ गई.

कामिनी अब मजे से चुदने लगी थी, वो बोली- वाओ मेरी जान.. क्या चूत पेल रहे हो.. आह्ह बहुत मजा आ रहा है विवेक मेरी जान आह.. ऐसे ही ठोक दो मुझे.. आह..

विवेक कामिनी के मम्मों को रगड़े जा रहा था और उसके कड़क निप्पलों को चूसता जा रहा था.

कामिनी बोली- काले हो जाएंगे.. इतना मत चूसो..

वो कहां सुनने वाला था. कामिनी फुल स्पीड से गांड उचका रही थी.

विवेक कामिनी से बोला- मजा आ रहा है मेरी जान.

कामिनी मस्ती से गांड उछल कर बोली- मजे की क्या बात करते हो जान.. आज तो मैं निहाल ही हो गई.

उसने कामिनी से कहा- मेरी जान अब जल्दी से घोड़ी बन जाओ.

वो बोली- पिचकारी छोड़ो न..

वो बोला- इतनी जल्दी क्या है.

उसने कामिनी के पेट के नीचे हाथ डाल कर उसे पलटा दिया और पीछे से अपना लंड मेरी बीवी की चूत में पेल दिया.

कामिनी अपनी गांड को जोर जोर से पीछे को धक्का देना शुरू कर दिया. अब वो 'आह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आह्ह...' करती जा रही थी. विवेक भी फुल स्पीड में अपने लंड को कामिनी की चूत में पेले जा रहा था.

तभी उसने एकदम से अपना लंड निकाल लिया. कामिनी बिना लंड के तड़फने लगी. वो बोली- ये क्या तरीका है.. मारो न झटके.. मैं झड़ने वाली हूँ.

विवेक बेड के नीचे नंगा खड़ा हो गया और कामिनी की गांड के बल उसको एक झटके में अपनी गोद में उठा लिया. अब उसने कामिनी की गांड अपने हाथ में लिये लिये अपना मोटा लंड उसकी चूत में पूरा घुसा दिया.

कामिनी थर्रा गई और वो कामिनी को उछाल उछाल कर चोदने लगा. कामिनी ने विवेक के कंधे पकड़ रखे थे. वो बोली- तुम्हारे जैसे मुस्टंडे सांड से चुदने के बाद कोई औरत कहीं नहीं जा सकती मेरी जान.. तुम्हारा लंड ने मेरी चूत में हाहाकार मचा रखा है.

विवेक उसको पेले जा रहा था. उसने कामिनी को धम्म से पटक दिया.

वो बोली- उउउउइइइइ माँआआ..

विवेक ने उसकी टांगें फैला कर अपने लंड को उसकी खुली चुत में घुसा दिया और झटके पे झटका देने लगा.

कामिनी कातर भाव से चुदते हुए बोली- आह्ह.. विवेक अब बस.. मैं झड़ गई हूँ.. तुम भी आ जाओ न.. मेरी चूत सूज जाएगी.

विवेक बोला- राहुल से सुबह चटवा लेना, सूजन कम हो जाएगी मेरी जान

उसने बिना रुके लंड पेलना चालू रखा. करीब दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसने कामिनी की चूत में पिचकारी छोड़ दी. बहुत देर से उनका चुदाई कार्यक्रम चल रहा था. रात के साढ़े बारह बज़ चुके थे. उसने एक पैग खींचा और वो वहीं नंगा ही कामिनी से चिपक कर लेट गया.

मैं बहुत पहले ही दो बार झड़ चुका था. इसलिए अब मैं कमरे में आ गया और सो गया. सुबह साढ़े सात बजे मेरी नींद खुली तो मैंने ऊपर जाकर देखा.

कामिनी अपने यार के साथ अभी भी नंगी पड़ी बेसुध सो रही थी. मैं समझ गया कि मैं पूरी तरह अपनी बीवी के चक्रव्यूह में फंस गया हूँ. हालांकि मुझे उसकी चुदाई देख कर मजा आ जाता था.

जब मैं देख आया कि कामिनी और विवेक बिना किसी चिंता के नंगे पड़े सो रहे हैं, मुझको समझ आ गया कि कामिनी के दिल में से अपने यार से मेरे सामने चुदने का डर बिल्कुल निकल चुका था.. नहीं तो वो इतनी मस्ती से अपने यार के साथ नंगी पड़ी न सो रहे होती. मैं नीचे आकर आंखें बंद करके लेटा रहा क्योंकि मुझको मालूम था कि आज संडे होने के कारण दोनों फ्री हैं और वे मस्ती से लेटे ही रहेंगे.