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Click hereलगभग साढ़े नौ बजे उन दोनों की नींद खुली होगी. कामिनी जोर जोर से आवाज दे रही थी- राहुल राहुल..
मैं ऊपर गया तो वो कपड़े पहन चुके थे. उसने पूछा- तुम कब उठे?
मैंने कहा- अभी.
वो बोली- मेरे सर में दर्द हो रहा है, चाय बना लाओ.
मैंने कहा- बना लाओ..? तुम ही बना लो.
विवेक बोला- ये कह रही है तो बना ले ना..!
मैंने नीचे आकर चाय बनाई. तभी कामिनी नीचे आ गई.
मैंने कहा- चुदास पूरी हो गई होगी तुम्हारी?
वो बोली- हां क्यों खुजली हो रही है तुमको.. खुद तो 2-4 झटके मार पाते हो, वही बहुत है. अब ज्यादा बक बक मत करो, विवेक ऊपर ही है.
मैं बोला- तो क्या करेगा?
वो बोली- तुमको नंगा करके तुम्हारी चिकनी गांड है न.. वो मार लेगा और कुछ नहीं.. हालांकि वो गे नहीं है, पर जिनका तुम लंड चूस के आए हो, वो जरूर तुम्हरी गांड मार के वीडियो बना लेंगे.
मैं बोला- तुम धमका रही हो?
वो बोली- धमका नहीं रही हूँ, समझा रही हूँ या फिर मन है गांड मरवाने का तो जाओ और उसको बोल दो कि मेरी बीवी को मत चोदा करो.
मैं चुपचाप सुनता रहा.
फिर वो बोली- मुझको मालूम है कि तू हमारी चुदाई देख कर मुठ मारता है.. साले मूड मत ख़राब कर.
इतनी देर में विवेक की आवाज आई- कहां हो स्वीटू?
वो बोली- आ रही हूँ जानू.
वो चाय ले कर ऊपर चली गई.
वो दोनों एक घंटे में नीचे उतर के आए और ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगे. कामिनी फ्रूट्स उठा कर ले गई और उसकी गोद में बैठ कर अंगूर खाने लगी और विवेक को खिलाने लगी.
कामिनी की चूत में विवेक के लंड की आग लग चुकी थी और वो इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी. थोड़ी देर ऐसे ही अंगूर खाने के बाद उसने विवेक की टी-शर्ट उतार दी.
विवेक बोला- क्या बात है फिर मूड हो गया?
वो बोली- तुम भी न.. चलो तुम्हारी मसाज कर देती हूँ.
वो बोला- मेरी जान इसी लिए तो तुम पे दिल आ गया है.
उसने कामिनी को चूमना चालू कर दिया. कामिनी ने फिर आवाज लगाई- राहुल जरा आयल की बॉटल दे दो.
मैंने तेल को बॉटल दे दी. उसने विवेक के सीने पे तेल लगाना शुरू कर दिया. फिर बैक पर लगाने लगी.
विवेक बोला- यार छोड़ो कुछ कुछ होता है.. लाओ अब मैं तुमको मसाज करता हूँ.
वो हंस कर बोली- वाओ.. तुम्हारे मर्दाने हाथों से मालिश करा के मजा आएगा.
कामिनी ने पल भर के अन्दर अपना टॉप उतार दिया और कुछ ही देर में वो काली ब्रा और शॉर्ट्स में थी.
विवेक उसको औंधा लिटा कर मसाज करने लगा. उसने कामिनी की ब्रा का हुक खोल दिया. कामिनी के बड़े बड़े 36 डी साइज़ के मम्मे नीचे से साफ़ दिख रहे थे. पहले कामिनी की पीठ पर काफी देर मालिश की, फिर हाथ फेरते हुए उसने कामिनी को पलटा दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोरी गोरी चूचियों को गोलाई में मसाज करने लगा और मसलने लगा.
कामिनी सीत्कारते हुए बोली- आह.. मजा आ रहा है जान.
उसने कहा- एक मिनट रुको अभी और मजा आएगा.
उसने कामिनी के शॉर्ट्स का हुक खोल दिया और एक झटके में उसकी ब्लैक कलर की शॉर्ट्स और रेड पेंटी निकाल के कामिनी को एकदम नंगी कर दिया.
कामिनी चुत छिपाते हुए बोली- ये क्या बात हुई जान..
विवेक बोला- जानू चोदने के लिए नहीं उतारी है.. मेरी जान की चूत की मालिश करने का सोचा है.
अब वो कामिनी की चिकनी वैक्स की हुई चिकनी चुत में तेल डाल के मालिश करने लगा. कामिनी की मादक सिसकारियां निकलना शुरू हो गई थीं 'आउह्ह्ह आउह्ह्ह आउह्ह्ह..'
वो बोला- क्या हुआ?
कामिनी बोली- इतनी रगड़ रगड़ के चूत मसल रहे हो.. क्या होगा चूत गीली नहीं होगी. तुम्हारे लंड पर ऐसे ही तेल लगा लगा कर मैं भी मालिश करूँ तो!
विवेक मेरी तरफ देख कर बोला- मैडम को केला खाना है.
कामिनी मुझे देख कर बोली- तुम भी न.. इधर ही सब करने के मूड में हो.. चलो नहाने जाना है.
विवेक बोला- अकेले नहाओगी?
वो बोली- नहीं मेरे जानू तुम्हारे साथ नहाते हुए, पानी में भीगते हुए अपनी इस जान की चूत मार लेना.
कामिनी ने विवेक की शॉर्ट्स और फ्रेंची उतार दे और दोनों पूरे नंगे हो गए.
कामिनी ने मुझको आवाज दी- राहुल, बाथरूम में टॉवल रख दो.
विवेक ने कामिनी को गोदी में उठा लिया और बाथरूम में ले गया. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा भी बंद करना ठीक नहीं समझा. क्योंकि अब उनको किसी बात का डर और शर्म नहीं थी.
विवेक ने कामिनी को गोदी से उतार दिया और उसकी चुचियां मसलने लगा. कामिनी ने भी उसका लंड पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.
विवेक ने एक हाथ से शावर तेज कर दिया. शावर से ठंडा पानी निकलते ही कामिनी विवेक से चिपक गई और बोली- बहुत बद्तमीज हो यार.. इतना ठंडा पानी है.
विवेक ने कामिनी के होंठ चूसना शुरू कर दिया. कामिनी के बदन में गर्मी आने लगी. वो भी विवेक को डीप स्मूच कर रही थी. फिर कामिनी नीचे बैठ कर विवेक के लंड से खेलने लगी. धीरे धीरे उसका लंड एकदम टाइट हो गया. अब कामिनी ने उसके लंड के टोपे पे जीभ मारना शुरू कर दिया.
विवेक सिसकारियाँ लेने लगा- आह्ह्ह ह्ह आआह्ह आह्ह...
कामिनी पूरी चुदक्कड़ थी, वो विवेक का लंड दस मिनट तक चूसती रही. विवेक का लंड फनफ़ना गया और वो कामिनी को चोदने के लिए बेचैन होने लगा. उसने कामिनी की चूत में लंड डालना चाहा.
कामिनी बोली- इतनी जल्दी अभी नहीं मेरी जान.
विवेक समझ गया कि कामिनी को गरम करना पड़ेगा. वो उसकी चूत में दो उंगली डाल के अन्दर बाहर करने लगा. उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
विवेक बहुत हट्टा कट्टा था, उसने नीचे बैठते हुए कामिनी को अपने कंधे पे ले लिया और उसकी चूत चूसने लगा.
कामिनी गनगना उठी और बोली- आह.. क्या चूत चूसते हो जान.. पूरे बदन में करंट दौड़ा देते हो.
ऐसे ही चूत चूसने के बाद वो वहीं प्लास्टिक के छोटे स्टूल पर बैठ गया और कामिनी को अपने ऊपर बैठा कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया.
कामिनी की चूत में पूरी आग लग चुकी थी, वो विवेक के लंड पर जोर जोर से कूद रही थी. विवेक कामिनी को गेंद के समान उछाल रहा था.
फच फच.. फट फट की आवाज से बाथरूम ही नहीं, पूरा कमरे भी गूंज रहा था. कामिनी की आवाज आ रही थीं 'आआह्ह... आअह्ह क्या पेल रहे हो... क्या लौड़ा है मेरी जान...'
विवेक में चुदाई का जबरदस्त स्टैमिना था. दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसने कामिनी को दीवार पर हाथ रख कर झुका दिया और पीछे से लंड घुसा कर जोर से झटके देने शुरू कर दिए.
कामिनी जोर से बोली- आउउइइइ.. माँआआ बच्चेदानी में घुसा दिया.. हाय्यय मर गई..
विवेक ने फिर पीछे से झटके पे झटके देना शुरू किया. फट फट फ्छ्क फच.. की मधुर आवाज आने लगी.
कामिनी की 'ऊह.. आह्ह्ह्हह..' रुक ही नहीं रही थी. शावर पूरी स्पीड पे पानी फेंक रहा था.
थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद विवेक ने लंड निकाल कर कामिनी की गोरी गांड पे पिचकारी छोड़ दी. कुछ देर स्खलन की मस्ती में वे दोनों रुके रहे और शावर में खड़े रहे. फिर एक दूसरे का बदन पोंछ कर कमरे में नंगे ही आ गए.
मुझको कमरे में देख कर कामिनी बोली- बाहर नहीं जा सकते थे?
मैंने कहा- मुझको क्या मालूम कि तुम लोग बाहर आ जाओगे?
वो बोली- देख रहे हो विवेक इसको?
विवेक बोला- अब जाएगा भी यहाँ से कि यही गांड मराता रहेगा?
मैं कमरे के बाहर आ गया.
मेरे कमरे से निकलने के बाद कामिनी बोली- इसको थोड़ा और विटामिन चाहिये जानू.
विवेक बोला- दिलवा देते हैं.
ये सुन कर मेरी गांड फट गई. अब पता नहीं क्या करना पड़ेगा और मैं चुपचाप आगे कमरे में बैठा रहा.
आधे घंटे बाद वो बाहर निकल कर आए और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने के बाद वापस बेडरूम में जाकर सो गए.
मैं भी ऊपर के कमरे में जाके सो गया.
शाम को विवेक कामिनी को साथ घुमाने ले गया और रात को छोड़ गया.
घर लौट कर कामिनी ने बताया कि विवेक ने एक 4 बैडरूम का फ्लैट उसको गिफ्ट किया है और हमको वहां शिफ्ट होना है.
मैंने कहा- मैं नहीं जाऊंगा.
वो बोली- तुम यहीं रहना, मैं चेंज कर लूँगी.
मजबूरी में हमको उस फ्लैट में शिफ्ट होना पड़ गया.
विवेक के गिफ्ट किए गए फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद विवेक का आना कम हो गया. अब वो हफ्ते में एक दो बार आता और कामिनी और वो घर पे ही आराम से ड्रिंक करते, डिनर करते, फिर उनकी रास लीला चालू हो जाती. विवेक मेरे सामने ही कामिनी से लिपटने चिपटने लगता. जिस फ्लैट में हम शिफ्ट हुए थे, वो बहुत बड़ा था. मास्टर बेडरूम में ज्यादातर मैं और कामिनी ही सोते थे. जब विवेक आता तो विवेक और कामिनी उसी कमरे में गन्दी गंदी रास लीला करते.
एक दिन मैंने सोचा कि इनकी रास लीला की वीडियो बना लेता हूँ, फिर कामिनी को सबक सिखाता हूँ. पर सच कहूँ तो उनकी गंदी चुदाई देखने की मुझको भी आदत पड़ गई थी और मजा भी आने लगा था. मैंने एक हिडन कैमरा फ्लावर पॉट में रख दिया.
उस रात कामिनी और विवेक ने डिनर किया और कामिनी उसी मास्टर बैडरूम में चली गई. वो बहुत ही सुन्दर पिंक कलर की डोरी वाली ब्रा पेंटी और उसपर झीना सा ट्रांसपेरेंट गाउन पहन कर डाइनिंग रूम में आई. विवेक उसको देख के मंत्र मुग्ध हो गया. उसने कामिनी को गोद में ले लिया और सीधे उसी बेडरूम में ले गया.
थोड़ी देर में कामिनी और वो एकदम नंगे होकर सेक्स का मजा ले रहे थे. मैंने ये सोचा कि आज अच्छे से रिकॉर्डिंग हो जाएगी, चुदाई की मजा भी आएगा. इसके बाद कामिनी को लाइन पे लाने में भी मजा आएगा. पर किस्मत को कुछ और मंजूर था, पता नहीं कैसे विवेक को ड्रिंक्स लेने का मन हुआ.
कामिनी ने जोर से आवाज लगाई- राहुल विवेक और मेरे लिए दो गिलास लेते आओ, साथ में कुछ नमकीन वेफर्स और नमकीन लेते आना.
मैं ले कर पहुंच गया और साइड टेबल पर रख दिया. मैंने देखा तो वो दोनों एक ही कम्बल में लेटे थे.
मैंने ड्रिंक्स रख कर कहा- मैं जाता हूँ.
कामिनी बोली- हां चले जाना... हमें भी यहाँ तुम्हारा अचार नहीं डालना, पहले सब सर्व कर दो.
मैंने गिलास में ड्रिंक डाल दी, सोडा पानी बराबर बराबर डाल कर दोनों को गिलास दे दिए. वो दोनों पैग का मजा लेने लगे.
कामिनी बोली- राहुल, विवेक डार्लिंग को सलाद दो.
दो पैग ड्रिंक करने के बाद कामिनी विवेक से बोली- मैं तुम्हारे लिए कुछ लाई हूँ.
वो एक झटके में अपनी पारदर्शी नाईटी को सम्भालती हुई सामने टेबल की तरफ गई, जिस पर फ्लावर पॉट रखा था.
उसने जोर से खींचा, हिडन कैमरा उसके झटके से खींचने के कारण गिर पड़ा. पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया और विवेक के लिए एक गिफ्ट पैक निकाला.
फिर वो मदमस्त झूमती हुई विवेक के पास चली गई.
विवेक ने उसको खोला, उसमें परफ्यूम था. उसने कामिनी को किस किया.
इधर मेरी गांड फट रही थी कि उसको हिडन कैमरे के बारे में न मालूम चल जाए, पर किस्मत को क्या करता.
विवेक बोला- यार कुछ गिरा है.
कामिनी मुझसे बोली- देखना क्या गिरा है?
मैंने कैमरे को अपनी आड़ में लेकर उठाते हुए कहा- कुछ नहीं.
कामिनी बोली- दिखाओ क्या गिरा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं. मैंने कैमरा ड्रावर में डाल दिया.
वो शक भरी निगाहों से चिल्ला कर बोली- दिखाओ न.
मज़बूरी में मुझको उसको कैमरा दिखाना पड़ा. उन दोनों के कैमरा देखते ही पारा गरम हो गया.
विवेक बोला- भोसड़ी के मादरचोद तू हमारी फिल्म बनाता है.
मैंने कहा- नहीं.
वो बोला- तो यहाँ कैमरा कहां से आया?
मैंने कहा- मालूम नहीं.
उसने कामिनी से कहा कि देखा तुमने इसको?
कामिनी बोली- यार ये तो बहुत बड़ा कमीना है, आज इस हरामजादे की गांड मारो.
विवेक- साला इतनी हिम्मत?
मैंने उनको ठंडा करने के लिए कहा- वो मैं अपने देखने के लिए बना रहा था, विवेक सर बहुत जबरदस्त चुदाई करते हैं उसी के वीडियो बना कर देखता हूँ.
कामिनी बोली- हां साले, तू तो छक्का है भोसड़ी के... तेरे तो लंड हुआ न हुआ बराबर है. आज तुझको बताती हूँ... चल साले अपने सब कपड़े खोल.
मैंने कहा- मैं?
वो बोली- हां, तू दीवार से नहीं कह रही हूँ... जल्दी खोल मादरचोद.
मैंने अपनी टीशर्ट और लोअर उतार दिया. अब मैं अपनी अंडरवियर में था.
वो बोली- इसको भी उतार जल्दी.
मैंने कहा- सॉरी... मैंने तो ऐसे ही लगाया था.
वो बोली- मैं जो बोल रही हूँ... वो कर, जल्दी अपनी अंडरवियर उतार.
मैंने अंडरवियर उतार दी और नंगा हो गया. मुझे उनके सामने नंगे होने में बहुत शर्म आ रही थी. मेरा लंड सिकुड़ कर केवल डेढ़ इंच का हो गया था. उसने एकदम से कम्बल हटा दिया और विवेक नंगा दिखने लगा.
कामिनी बोली- चल चूस.
मैंने कहा- मैं ये सब नहीं करूँगा.
वो बोली- साले चूसता है कि नंगा ही फ्लैट के बाहर निकलवाऊं...
और वो विवेक से बोली- कहां है तुम्हारा फ़ोन...?
विवक का फोन उठा कर उसने रिकॉर्डिंग चालू कर दी. मुझे दिखाते हुए बोली- जल्दी चूसना चालू कर.
मैं वहीं खड़ा रहा.
वो बोली- विवेक इसको ऐसे ही फ्लैट के बाहर छोड़ आओ.
मरता क्या न करता.
विवेक बोला- यार तुम भी न.
बोली- नहीं आज साला यही लंड खड़ा करेगा, तब ही तुम मुझे चोदना.
फिर कामिनी ने मुझसे बोला- चूसेगा साले... कि नंगे ही बाहर जाएगा?
मैंने मन मार के विवेक के लंड मुँह में लिया.
कामिनी बोली- बहन का टका चोदने के लायक तो है नहीं... लंड तो चूसना सीख ले... पहले गोलियों पर जीभ मार हरामी!
मैंने गोलियों पर जीभ मारनी शुरू की.
वो बोली- जीभ पूरी बाहर निकाल कर चूसता रह.
फिर दो मिनट ऐसे ही चूसने के बाद विवेक के लंड ने टाइट होना शुरू कर दिया.
कामिनी बोली- हां अब नीचे से ऊपर की तरफ चूस ठीक से...
वो जैसे जैसे बोलती जा रही थी, मुझको करना पड़ रहा था.
फिर बोली- हां... अब खड़े लंड के टोपा को मुँह में ले और कुत्ते की तरह जीभ निकल कर पूरी मार.
विवेक का लंड फुल टाइट हो चुका था. वो वीडियो बना रही थी. वो विवेक से बोली- इस भड़ुए ने तुम्हारा लंड चूस कर खड़ा कर दिया मेरी जान... अब अपनी इस जान की चूत मार लो.
उसने फ़ोन को साइड में रख कर मुझको अपने पैर से जोर से लात मारी, मैं डबलबेड के नीचे आ गया. कामिनी खुद विवेक के खड़े लंड पर चढ़ गई.
विवेक ने कामिनी के बड़े बड़े गोरे गोरे मम्मों को अपने दोनों हाथों से मसलना शुरू कर दिया.
कामिनी की चूत तो पहले ही विवेक से चुदने के लिए पानी छोड़ने लगी थी, विवेक बोला- मेरी जान तुमको तो बहुत गुस्सा आता है.
कामिनी विवेक के लंड पर उछलते हुए बोली- नहीं आना चाहिए क्या जी?
तभी उसका ध्यान मेरी तरफ गया और बोली- तुमको बहुत मजा आता है साले चुदाई देखने में... चल सर नीचे कर के मुर्गा बन जा.
मैंने कहा- बाहर चला जाऊं मैं?
कामिनी बोली- नहीं, जाना नहीं है... मुर्गा बन जल्दी.
मैं ऐसे ही खड़ा रहा.
विवेक बोला- छोड़ो न.
बोली- चल दीवार की तरफ मुँह करके कोने में खड़ा हो जा.
मैं दीवार की तरफ मुँह करके खड़ा हो गया. विवेक कामिनी को अपने लंड पर गेंद की तरह उछाल रहा था.
कामिनी 'ऊहह हह आअहह...' कर रही थी और बोल रही थी- क्या उछाल उछाल कर चूत लेते हो सैयां जी... तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है.
विवेक ने उसको ऐसे ही काफी देर उछालने के बाद उसको पलट कर बेड पे डाल दिया और उसकी एक टांग कंधे पे रख कर उसकी चूत में धक्के देने शुरू कर दिए.
पहले ही झटके में कामिनी जोर से बोली- उम्म्ह... अहह... हय... याह... माँआ...
विवेक ने जोरदार झटके देने शुरू कर दिए. कामिनी कामुक सिसकारियां लेने लगी- आअहह आअहह ऊऊहह...
वो विवेक के सीने पर और गांड पे हाथ फेरने लगी. अब विवेक ने उसका एक पैर भी नीचे कर दिया और दोनों टांगें पूरी तरह फैला दीं.
वो बोली- कितनी टाँगें फैला फैला के लोगे... चूत 35 की और गांड 42 की हो जाएगी.
विवेक ने धकापेल चालू कर दी. कामिनी 'ऊऊऊ ओह... आउऊउ आअहह...' करती जा रही थी.
फिर विवेक ने कामिनी को उल्टा करके लिटा दिया और पीछे से लंड घुसाया, वो बोला- अब जरा टाइट जाएगा मेरी जान.
उसका लंड इतना बड़ा था कि पीछे से भी कामिनी को पूरा मजा दे रहा था. वो अपनी गोरी गोरी चिकनी चिकनी गांड से विवेक के लंड को धक्का दे रही थी. विवेक भी सुरा और सुंदरी के नशे में चूर था.
विवेक बोलता जा रहा था- आह... क्या चिपक चिपक कर चूत देती हो मेरी जान...
कामिनी कह रही थी कि तुम भी तो एंगिल बदल बदल के चूत लेते हो मेरे राजा...
काफी देर ऐसे ही वो मेरी बीवी की चुत में धक्के देता रहा.
कामिनी बोली- जानू अपनी पिचकारी सीधे करके छोड़ना.
अब विवेक ने कामिनी को साइड से लिटा के अपना लंड घुसा दिया और बोला- टांगें चिपकाओ मेरी जान.
कामिनी ने अब अपनी गांड को पीछे हिलाते हुए धक्का देना शुरू कर दिया.
कामिनी बोली- आह... क्या मजा देते हो राजा... इतनी देर से पेले जा रहे हो मेरी जान... मैं दो बार निकल गई हूँ, अब तो छोड़ दो पिचकारी अपनी!
विवेक बोला- आह... छोड़ देंगे... अभी तो लंड के मजा लो.
फिर विवेक ने कामिनी को सीधा कर दिया और दोनों टांगें कंधों पर रख कर दोनों हाथों से कामिनी की बड़ी बड़ी गोरी गोरी चूचियों को मसलने लगा और फुल स्पीड में धक्का देने लगा.
कामिनी 'बसस... आअहहहह... छोड़ दो छोड़ दो...' कहती जा रही थी.
विवेक बोला- अब मैं पिचकारी छोड़ने वाला हूँ.
वो बोली- तो छोड़ दो मेरी जान... आज तुम्हारी पिचकारी से मेरी चूत भर जाने दो.
विवेक ने एक जोरदार झटके के साथ पिचकारी छोड़ दी और एक तरफ लेट गया.
कामिनी जोर से बोली- राहुल!
मैंने कहा- हां...
वो बोली- जल्दी से इधर आ... और साफ़ कर.
मैंने कहा- टॉवल ले आऊं?
वो बोली- साले टॉवल से नहीं.
"तो फिर कैसे साफ़ करूँ?"
वो बोली- फिर ऐसे कर कि अपनी जीभ बाहर निकाल और जितनी मेरी चूत में लंड की मलाई निकली है, सब साफ़ कर दे.
मैं बोला- जो बोला था, वो सब कर दिया था, अब ये नहीं हो पाएगा.
वो बोली- होगा... जरूर होगा, चल जल्दी कर भोसड़ी के... तू है ही इस लायक साले जल्दी आ.
मैं बोला- प्लीज छोड़ दो यार!
वो बोली- मैं तेरी यार नहीं हूँ... समझा! जल्दी आ... नहीं आया ना तो याद करेगा... ऐसी गांड मारूंगी तेरी कि जिन्दगी भर याद रखेगा... चल जल्दी आ.
विवेक बोला- भोसड़ी के बहरा है क्या... क्या नाटक है? साले गांड पे लात खा के ही मानेगा... जल्दी कर, जैसा मैडम ने कहा.
मरता क्या न करता... मैं कामिनी के पास गया और उसकी चूत से विवेक का माल निकल रहा था, पिचकारी भी उसने लम्बी वाली छोड़ी थी. मैंने जैसे ही चुत पर जीभ फेरी, वैसे ही गन्दा सा कसैले से स्वाद के मारे मेरा दिमाग झनझना गया.
कामिनी ने पूरी ताकत से पीछे से मेरे बाल पकड़ लिए और बोली- जल्दी कर साले चादर गन्दी हो जाएगी, जल्दी जीभ निकाल कुत्ते की तरह... जो तू है भी... और चाट जल्दी.
मैं जितना साफ़ करता, विवेक के लंड की मलाई फिर बाहर आ जाती, मैंने कहा- ये तो निकलती ही जा रही है.
वो बोली- बहनचोद भड़ुए... असली मर्द जब पिचकारी छोड़ते हैं, तो चूत से बहती रहती है. तेरे जैसे नामर्द छोड़ते हैं तो चूत गीली भी नहीं होती.
मैं उसकी भाषा से आहत होने लगा था.
वो जोर जोर से बाजारू रांड की तरह हंसते हुए बोली- जल्दी जल्दी चाट... जब तक अपनी चूत चुसवा चुसवा के... चटवा चटवा के साफ़ ना करवा लूँ... साफ न करवा लूँ, तुझे छोडूंगी नहीं.
मैं मज़बूरी में मेरी बीवी की चुत चाट कर साफ़ करता रहा.
जब उसकी गंदी चुत साफ़ हो गई, तब जाकर उसको सुकून आया. जब वो चूत चटवा चुकी तो नंगी ही विवेक के ऊपर एक टांग रख के चिपक गई और बोली- चल दफा हो जा इधर से... अब हम दोनों को सोने दे.
मैंने कमरे से बाहर आकर इतनी बार माउथवाश से गरारे किए, पर साला अजीब सा स्वाद जा ही नहीं रहा था.
मैं बुरी तरह थक चुका था इसलिए सोने चला गया. आज लंड हिलाने तक का मन नहीं हुआ था.
the end