किस्मत का खेल- चुदक्कड़ परिवार

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मयूरी सुरेश के चेहरे की तरफ झुकती है और अपने रसीले खूबसूरत होंठ सुरेश के होठो पर रख देती है. सुरेश मयूरी के निचले होठो को जोर से चूसता है. मयूरी अपनी जबान सुरेश के मुँह में डाल देती है और दोनों चुम्बन के इस प्रगाढ़ दौर में व्यस्त हो जाते है.

इधर रमेश काजल को सोफे पर लिटा देता है और उसके बगल में बैठ कर उसके होठो पर अपने होठ रख देता है. काजल रमेश के होंठो को जोर से एक अनुभवी औरत की तरह चूसने लग जाती है. रमेश साथ ही साथ अपने एक हाथ से काजल की एक चूचि को जोर-जोर से दबाने लगता है और दूसरे हाथ को उसके जांघो पर फेरते हुए उसका मुआयना करने लगता है.

थोड़ी देर काजल के जांघो को सहलाने के बाद रमेश के हाथ अब काजल की चूत का रुख करते है. वो उसकी चूत को हलके हलके सहलाता है फिर उसकी चूत के द्वार में अपनी एक ऊँगली डाल देता है. उसको महसूस होता है की काजल की चूत बहुत गीली हो चुकी है. वो अब अपनी एक और ऊँगली उसकी चूत में डाल देता है और जोर-जोर से अंदर-बाहर करते हुए अपनी उँगलियों से ही उसकी चूत की चुदाई करने लगता है. इस वार से काजल की साँसे और धड़कने बहुत तेज़ ही जाते हैं और अपने हाथ से रमेश के सर बाल जोर से पकड़ लेती है.

वो सिसकारियां भी नहीं ले पाती क्यों की रमेश ने अनपे होठो से उसके होठों पे ताला लगाया हुआ होता है. वो अपने पैरो को जमीन पर रगड़ने और उमेठने लग जाती है.

थोड़ी देर और चुम्बन के बाद रमेश अपने सारे कपडे खोल देता है और काजल की दोनों टाँगो को फैलाकर उसपर अपना लंड सेट करता है. अब रमेश और काजल, दोनों भाई-बहन बिलकुल नंगे थे. रमेश अपने लंड पर तेल लगानी की सोचता है क्यों काजल की चूत अभी नयी थी पर काजल के चूत में पहले ही इतना पानी भरा हुआ था की वो एकदम चिकनी हो गयी थी. रमेश ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में डालकर चेक किया, वो फिसलते हुए एकदम से अंदर चली गयी.

फिर रमेश ने काजल की चूत पर तेल लगाने का ख्याल अपने दिल से निकाल दिया. उसने अपने लंड काजल की चूत पर थोड़ा सा रगड़ा. इस से काजल की चूत का चिकना पानी उसके लंड पर लग गया और वो भी गिला हो गया. अब समय आ चूका था जब काजल की चूत का सील टूटने वाला था.

वो काजल की तरफ देखता है और पूछता है:

रमेश: "काजल, तू तैयार है?"

काजल: "भैया, अब मत तड़पाओ प्लीज .... अब मैं इस से ज्यादा तैयार कभी नहीं हो पाउंगी. प्लीज मेरी चूत को चोद दो, मेरी सील तोड़ दो. मैं आपका ये एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी ...."

रमेश: "ठीक है फिर ... थोड़ा दर्द होगा ... पर थोड़ी ही देर में मजा आने लगेगा ..."

काजल: "अगर मैं मर भी जाऊं तो आप चुदाई मत रोकना ... अपने भाई से चुदते हुए मर जाने से अच्छी मौत नहीं हो सकती "

मयूरी ये बात सुनकर अपने होठ और जबान को सुरेश के होठों से अलग करते हुए बोलती है:

मयूरी: "एकदम सही कहा काजल ... आज तुझे वही सब मिल रहा है जो मुझे 5 साल पहले मिला था ... बेस्ट ऑफ़ लक मेरी जान ... इस सुख का आनंद ले ... अपने भाई के लंड से चुदाई को एन्जॉय कर मेरी प्यारी काजल ..."

ये सब सुनकर रमेश और काजल और जोश में आ जाते है. रमेश एक झटका देता है और उसका लंड लगभग आधा काजल के छूट में चला जाता है. काजल दर्द के मारे चीख पड़ती है. वो जोर से सोफे को पकड़ लेती है और उसकी आँखों से आंसू बहने लगती है.

इतनी टाइट चूत होने की वजह से रमेश को भी अपने लंड में थोड़ा दर्द का एहसास होता है, पर उसको काजल की आँखों में आंसू देख कर थोड़ी देर रुकने का ख्याल आता है. वो काजल के चूत में लंड डाले हुए वैसे ही थोड़ी देर तक उसके ऊपर पड़ा रहता है.

थोड़ी देर में काजल का दर्द कम हो जाता है तो अपनी गांड को निचे से धीरे-धीरे उठा उठा कर रमेश को चोदने लगती है. रमेश समझ जाता है की लड़की फिर से तैयार है. वो धीरे से एक और झटका लगता है और लंड काजल की चूत में पूरा डाल देता है. काजल फिर से चीख पड़ती है पर उसको ये दर्द से ज्यादा सुख का अनुभव हो रहा था. वो दर्द और ख़ुशी के मिले-जुले भाव में बोलती है:

काजल: "भैया ...!!"

रमेश: "हाँ बहना ...."

काजल: "चाहे मैं जितना भी रोऊँ-चीखूँ, मुझे जितना भी दर्द हो, आप रुकना मत. आप चुदाई जारी रखना ....प्लीज ...."

रमेश उसकी इस बात से बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो जाता है और जोर-जोर से धक्के मारना शुरू कर देता है. वो इतने जोर-जोर से धक्के मार रहा था की काजल का पूरा शरीर इस चुदाई की वजह से आगे पीछे हो रहा था और उसकी सिसकारियों की आवाज़ भी काँप रही थी.

काजल: "भाई .....आआआआ ....... आह .... बहुत मजा ...... आ ..... रहा .... है ..... प्लीज .... और जोर .... से .... मैं पागल हो जाउंगी ...."

रमेश को काजल की ये बातें और उन्मादित करती है और वो पुरे जोर की ताकत से धक्के लगाने लग जाता है.

सुरेश और मयूरी अपना प्रेमालाप छोड़कर रमेश और काजल की चुदाई का ये मनमोहक दृश्य एकटुक देखे जा रहे थे. सुरेश अब मयूरी की मादक चूचियों पर अपनी जोर आजमाइश कर रहा था. वो अपनी पहली चुदाई में धीरे धीरे आगे बढ़ना चाहता था. वो अपने जीवन के सेक्स के ये पहले अनुभव को बड़े आराम से आनंद लेना चाहता था. उसकी भाभी एक अनुभवी खिलाडी की तरह इसमें उसका पूरा साथ दे रही थी. साथ ही साथ वो अपनी छोटी बहन की पहली चुदाई भी देखना और उसका लुत्फ़ उठाना चाहता था.

इधर करीब 15 मिनट की लगातार घनघोर चुदाई के बाद रमेश अब झड़ने वाला था. वो काजल को देखते हुए कहता है:

रमेश: "काजल ..... मैं ... झड़ने वाला हु ...."

काजल: "भाई ....आ आ ..... प्लीज .... मेरी चूत में ही झड़ना .... मैं आपके लंड के रस को अपने के अंदर महसूस करना चाहती हु. तभी मेरी ये पहली चुदाई पूरी हो पायेगी .... प्लीज .... भैया ....."

काजल जैसे रमेश से अपनी चूत में झड़ने के लिए अनुरोध कर रही थी. वो अपने सेक्स के इस अनुभव को पूरी तरह से एन्जॉय करना चाहती थी.

रमेश के लिए ये चुदाई पहली नहीं थी, पर वो अपनी बहन की चूत को चोदते हुए सेक्स का एक अलग ही अनुभव कर रहा था. ऊपर से वो पहली बार किसी लड़की का सील तोड़ रहा था. उसने देखा की उसके लंड पर थोड़ा थोड़ा खून लगा हुआ है जो काजल के चूत की सील के टूटने के कारन था.

अब वो झड़ने वाला था. उसका शरीर धीरे धीरे अकड़ने लगा और वो काजल की चूत में अपने प्यार की धारा को खोल दिया. उसने महसूस किया की वो इस से ज्यादा कभी नहीं झड़ा.

काजल को जैसे तृप्ति मिल गयी हो. वो रमेश के लंड का पानी अपनी चूत में महसूस कर पा रही थी. उसने जोर से रमेश को पकड़ लिया और रमेश भी उसके ऊपर गिर गया. दोनों थक चुके थे.

इधर सुरेश ने अब अपने हाथों से मयूरी के चूत का रुख किया. उसने मयूरी के ब्लैक कलर की पैंटी को उसकी चूत के ऊपर से हटाया और देखा की मयूरी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी. उसने आव देखा न ताव और उसकी पैंटी को निकाल फेंका. आज सुरेश को सौभाग्य से घर के दोनों औरतों की पैंटी खोलने का मौका मिला था.

मयूरी ने भी वक़्त न गवांते हुए अपनी चूत को सुरेश के खड़े लंड पर सेट किया और ऊपर से ही सुरेश को चोदने लगी. सुरेश का लंड रमेश से थोड़ा बड़ा था और मयूरी बहुत चुदी होने के बावजूद भी एक टाइट चूत की मालकिन थी. उसको सुरेश का लंड अपनी चूत में लेने में थोड़ा सा दर्द हुआ पर वो एक ही बार में फिसलते हुए पूरा अंदर चला गया.

अब धक्के लगाने की बारी मयूरी की थी. वो जोर-जोर से सुरेश की चुदाई करने लगती है. सुरेश भी निचे से अपनी गांड उठा उठा के चुदाई के इस खेल में मयूरी का पूरा साथ देता है.

इधर काजल की बाँहों में पड़े-पड़े थोड़ा-सा आराम करने के बाद रमेश का लंड फिर से चुदाई के लिए तैयार हो जाता है. वो पहले की तरह फिर से खड़ा हो जाता है.

रमेश काजल की आँखों में देखते हुए पूछता है:

रमेश: "काजल, एक राउंड फिर से करें ....?"

काजल: "हाँ भैया, क्यों नहीं ... मैं तैयार हु ... और मेरी चूत भी ..."

रमेश को जैसे ही काजल की तरफ से हरा सिग्नल मिलता है, वो अपना लंड फिर से उसकी चूत पर सेट करता है और एक झटका देता है. इस बार उसका लंड पहले झटके में ही उसकी चूत के अंदर पूरा चला जाता है.

काजल (उत्तेजना के मारे चिल्लाती है): "आह ... माआ... पूरा डाल दो भैया .... और जोर से चोदो मुझे ... फाड़ दो मेरी चूत को ... आज से ये चूत तुम्हारी है ... मैं तुम्हारी बहन नहीं तुम्हारी दूसरी पत्नी हु ... चाहो तो तुम मुझे अपनी रखैल बना लो ... पर जोर से चोदो मुझे "

काजल उत्तेजना के मारे कुछ भी बड़बड़ा रही थी. उसे अभी सिर्फ चुदाई चाहिए थी, वो भी निर्मम चुदाई ...

अब इस घर के हॉल में लगे सोफे पर दो जोड़े जबरदस्त चुदाई में लगे हुए थे ... दोनों जोड़ो की चुदाई के कारन हच-हच ... की आवाज़ें हॉल में गूंज रही थी ... इन दो जोड़ो में एक भाई-बहन थे और दूसरा देवर-भाभी.

पर इस समय सब लोग सेक्स की भूख में अंधे हुए पड़े थे. उनको सिर्फ एक ही चीज़ चाहिए थी, और वो थी चुदाई ... उन्हें किसी बात की कोई परवाह नहीं थी. पर उनको परवाह करनी चाहिए थी. उनको परवाह करनी चाहिए थी की अब मोहनलाल (इन भाई-बहन का पिता और मयूरी का ससुर) घर आ चूका था और वो हॉल में दरवाज़े के पास खड़ा ये दृश्य देख रहा था. वो देख रहा था की उसके घर के अपने ही बच्चे आपस में चुदाई में व्यस्त थे.

अचानक काजल की नज़र अपने पापा पर पड़ती है. उसके मुँह से आवाज़ ठीक से निकल नहीं पाती है क्यों इस समय रमेश उसको बहुत ही तेज़-तेज़ धक्के लगाकर चोद रहा था. वो लगभग फिर से काजल की चूत में दुबारा झड़ने वाला था. पर काजल के मुँह से कांपती हुई आवाज़ निकलती है जो डर और चुदाई की उत्तेजना से मिली-जुली होती है:

काजल: "पा ....पाआआ ....?"

रमेश की जोरदार चुदाई वाले धक्के की वजह से उसकी आवाज़ रुक रुक कर निकल पाती है. तभी, रमेश अपना वीर्य काजल की चूत में छोड़ देता है और पीछे मुड़कर देखता है और उसको अपने पिता के दर्शन होते है. अब सुरेश और मयूरी भी दरवाजे की तरफ खड़े अपने पिता और ससुर को देखते है.

आज इस घर में बहुत बार अप्रत्याशित घटनाएं हो रही थी. सुरेश और काजल के लिए ये तीसरी बार था जब वो नाजायज चुदाई करते हुए पकडे गए थे और रमेश के लिए दूसरी बार था.

सब फिर से चुप हो गए. कोई कुछ बोल नहीं रहा था. चुदाई और धक्के की आवाज़ें रुक गयी थी और सब एक-दूसरे को देखने लगे.

इस सन्नाटे के थोड़ी देर बाद मयूरी ने ही शुरुआत करने की सोची. इसके कई कारन थे. एक तो वो इस घर की बेटी नहीं थी, वो इस फॅमिली से बाहर की लड़की थी, जबकि बाकियो के बिच में खून का रिश्ता था. दूसरा, वो ऐसे माहौल से निपटना पहले से ही जानती थी. उसको इस स्थिति से निपटने का अनुभव था अपने मायके में अपने पिता और भाइयो से चुदाने के कारन.

मयूरी धीरे से गम्भीरतापूर्वक ऐसे सामान्य लहजे में बोली जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो: "पापा ... आप आ गए?"

फिर वो उठी और अपनी ब्लैक कलर की पैंटी को उठा कर पहन लिया. फिर उसने सबको शांत रहने का इशारा किया जैसे वो सब संभाल लेगी. फिर उसने पास ही पड़ा एक दुपट्टा उठाया जो 90% तक पारदर्शी था, उस से अपनी चूचियों पर डाला जैसे उसको छुपाना चाहती हो. पर पारदर्शी होने के कारण कुछ भी नहीं छुपा, और वो ये बात भली-भांति जानती थी.

वो अपनी गांड मटकाते हुए मोहनलाल के पास गयी और मुस्कुराते हुए बड़े की कामुक अंदाज में फिर से बोली:

मयूरी: "आप आ गए पापा?"

मयूरी मोहनलाल के इतने पास खड़ी थी की वो चाहे तो उसकी चूचियों को पकड़ के मसल दे, पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया ... वो कुछ भी नहीं बोला और चुपचाप खड़ा रहा ... पर उसकी आँखें नियत्रण में नहीं थी. वो मयूरी की चूचियों को उसके पारदर्शी दुपट्टे के ऊपर से रहा था.

मयूरी फिर बोली: "दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया पापा? क्युकी मैं नहीं चाहती की इस अवस्था में हमे कोई बाहर का आदमी देखे. ये हमारे घर की बात है, बहार नहीं जानी चाहिए."

मोहनलाल कुछ नहीं बोला. वो एकटुक मयूरी की उन दो मनमोहक चूचियों को देखता जा रहा था, ऐसे जैसे उनको नोच खायेगा.

फिर मयूरी खुद ही दरवाज़े की तरफ बढ़ी और ऐसे झुकी जैसे पीछे से मोहनलाल को अपनी गांड के दर्शन करवाना चाहती हो और दरवाज़े को अंदर से बंद करने की कोशिश करने लगी. इस कोशिश में उसने थोड़ा वक़्त लिया और अपनी गांड जानबूझ कर हिला-हिला कर मटकाती रही.

मोहनलाल पीछे से मयूरी को ही देख रहा था. पैंटी में होने की वजह से उसको अपनी बहु की गांड इतनी कामुक लग रही थी की अब तक उसके पायजामे के निचे से उसका लंड टेंट बना चूका था.

मयूरी बहुत ही तेज़-तर्रार औरत थी. उसको मोहनलाल की स्थिति का पूरा पता था. उसने अंदाजा लगाया की इस आदमी की उम्र 48 साल है और 7-8 साल पहले इसकी पत्नी गुजर चुकी है, इसका मतलब इसको चूत बहुत सालों से नहीं मिली है. ऐसे आदमी को अपने वश में करना बहुत मुश्किल काम नहीं था, ये बात मयूरी अच्छे तरह से जानती थी. चाहे वो उसका ससुर हो, पर सेक्स की भूख इंसान को रिश्तो को समझने के लायक नहीं छोड़ती. मयूरी समझ गयी थी की इस 48 साल के आदमी ने अभी-अभी अपने बच्चों आपस में सेक्स करते हुए देखा है और इसके मुँह से एक आवाज़ तक नहीं निकली थी, इसका मतलब ये जरूर कुछ न कुछ सोच रहा था जो इस घर में हो रही चुदाई की पक्ष में थी.

और मयूरी ने मोहनलाल के स्थिति का लगभग बिलकुल सही अंदाजा लगाया था. वो बेचारा कई वर्षों से सेक्स का भूखा था. और कुछ बात जिसका अंदाजा मयूरी नहीं लगा पा रही थी वो था मोहनलाल का अतीत (गुजरा हुआ कल).

मोहनलाल अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था. पर जब वो जवान थी तो उसको प्यार करने वाला वो अकेला इंसान नहीं था. मयूरी के पिता (यानि के मोहनलाल के ससुर) भी उसको उतना ही प्यार करते थे जितना वो उसको करता था. और मोहनलाल और उसकी पत्नी के पिता दोनों अक्सर मिलकर उसकी चुदाई किया करते थे. वैसे भी कई सालों तक मोहनलाल की पत्नी को दो लोगों से चुदने की आदत हो चुकी थी. वैसे वो चरित्रहीन नहीं थी, क्यों की अपने पिता के एक दुर्घटना में गुजर जाने के बाद उसने किसी और मर्द की तरफ नज़र भी नहीं उठाया. पर जब तक वो जिन्दा थे, उसको चुदाई का मजा सब से ज्यादा तभी आता था जब उसके पिता और पति दोनों एक साथ उसको जोर-जोर से चोदते थे.

मोहनलाल के इस राज का किसी को यहाँ पता नहीं था क्यों उसकी पत्नी और ससुर पहले ही गुजर चुके थे. इन सब बातों की वजह से उसके लिए अपने परिवार के सदस्यों के बिच चुदाई कोई नयी बात नहीं थी. वो इन सबको आपस में चुदाई करते हुए देख कर थोड़ा आश्चर्यचकित जरूर था पर, पर उसे कुछ बुरा नहीं लग रहा था.

इधर मयूरी को देख देख कर वो अक्सर उसके नाम का मुठ मारा करता था. कितनी बार वो उसकी ब्रा-पैंटी को चोरी-छुपे छू कर मजे लेते-लेते मुठ मार लिया करता था.

और आज साक्षात् वही मयूरी उसके सामने नंगी कड़ी होकर उसको रिझा रही थी. उसको पता था की थोड़ी ही देर में उसका लंड मयूरी की चूत की ठुकाई कर रहा होगा. ये सब उसके लिए जैसे सपने के साकार होने जैसा था.

अब मयूरी दरवाजे को ठीक से अंदर से बंद करने के बाद वापिस मोहनलाल के पास आयी, उसने दुपट्टे का एक भाग अपने सर पर रखा और उसके पैर छूती हुई बोली:

मयूरी: "बाबूजी, मुझे आशीर्वाद दीजिये.... अभी थोड़ी देर पहले ही मैं मंदिर से पूजा कर के आयी हूँ. बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद के बिना पूजा-पाठ कभी पूरा नहीं होता."

मोहनलाल: "बहु, ईश्वर तुमको दुनिया की सारी खुशियां दे... तुम तो बहुत ही चरित्रवान हो, इस घर की देवी हो. अभी चुदाई करते-करते भी तुमने मेरा कितना मान-सम्मान रखा. नंगी होने के वावजूद तुमने पहले अपनी पैंटी पहनी और अपनी चूचियों पर दुपट्टा डाला, उसके बाद ही मेरे पास आयी. और अब इस अवस्था में भी मेरे से आशीर्वाद ले रही हो जबकि तुम्हे अच्छी तरह पता है की कुछ ही देर में मैं तुम्हारे चूत में अपना लंड डालकर तुम्हे जबरदस्त चोदने वाला हूँ. तुम्हे बहु के रूप में पाकर मैं धन्य हो गया "

मयूरी: "बाबूजी, आप मुझे अपनी माशूका के रूप में पाकर और भी ज्यादा धन्य हो जायेंगे. बताइये बाबूजी, आप पहले मेरी चूचियों का मजा लेना चाहते है की मैं आपके इस खड़े लंड को चूस-चूस कर इसको सम्मान दू?"

मोहनलाल: "पहले मैं तुम्हारे इन रसीले होठों का रास पियूँगा बहु. फिर उसके बाद ही कुछ करूँगा "

फिर मोहनलाल अपने बच्चो की तरफ मुड़ते हुए कहता है: "काजल, तुम अपने दोनों भाइयो के लंड का मजा लो. मैं तुम्हारी चूत का शिकार थोड़ी देर में करूँगा. पहले मई अपने सपने की इस परी से निपट लूँ "

ये सुनकर रमेश, सुरेश और काजल को मयूरी पर बड़ा ही गर्व महसूस हुआ और उन्होंने राहत की साँस ली. उन्होंने देखा की मयूरी ने उनके पिता को पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया है. अब घर में माहौल फिर से सामान्य हो गया था. यहाँ पर चुदाई का बाढ़ आनेवाला था.

अब दोनों भाइयो ने काजल को सोफे पर बिच में बिठाया. और दोनों ने एक-एक चूचियों को अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया. सुरेश ने काजल के होठो पर अपने होठ रख दिया और अपनी जबान उसके मुँह में डाल कर चलाने लगा. उसे थोड़ी देर पहले जो मयूरी ने सिखाया था, उस ज्ञान का वो सम्पूर्ण उपयोग कर रहा था.

इधर रमेश एक हाथ से काजल की चूत पर हमला किया जा रहा था और दूसरे हाथ से उसने उसके एक चूचि संभाल रखा था.

काजल अपने दोनों भाइयों के इस चौतरफे हमले के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी. वो उत्तेजना के मारे जोर-जोर से सांसे लेने लगी. उसकी धड़कन अभी सड़क पर दौड़ती हुई किसी गाडी की रफ़्तार की तरह चल रही थी. वो इस पल का पूरा आनंद ले रही थी. उसको लग रहा था की ईश्वर ने आज उसको छप्पर फाड़ के खुशियाँ दी है. उसको लग रहा था की इतनी खुशियों की वजह से उसके गांड फटने वाली है.

अगले ही पल सुरेश ने रमेश से कहा:

सुरेश: "भैया, मैं काजल की चूत में अपना लंड डालकर उसको चोदना चाहता हूँ."

रमेश: "जरूर मेरे भाई .... आज अपनी बहन को दिखा दो की तुम उस से कितना प्यार करते हो ..."

और ऐसा कहकर रमेश ने काजल की चूत से हाथ हटा लिया. सुरेश ने काजल की टांगो को फिर से फैलाया और उसपर अपना लंड सेट किया और धक्का लगाना चालू कर दिया. सुरेश का लंड रमेश के लंड से बड़ा होने की काजल के लिए फिर से थोड़ा मुश्किल हो रहा था, पर ज्यादा उत्तेजना के कारन वो फिर से झड़ गयी और उसका चूत पानी से भर गया. इस वजह से उसकी चूत में चिकनाई बढ़ गयी और सुरेश का बड़ा लंड आराम से अंदर-बाहर आने-जाने लगा. उसकी चूत से फिर से हच-हच की आवाज़ आने लगी.

रमेश ने काजल के मुँह का रुख किया और उसके पूह पर बैठ गया. उसने काजल के मुँह में अपना लंड घुसाया और उसके मुँह को अपने लंड से चोदने लगा. अब काजल के मुँह और चूत दोनों लंड से घमासान चुदाई हो रही थी. वो तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी. क्यों की ये दोनों लंड उसके अपने ही भाइयों के थे.

सुरेश उसकी चूत पर हमला करने के साथ साथ उसकी चूचियों को भी मसल रहा था. तीनो भाई-बहन जैसे एक हो गए थे आज.

इधर मोहनलाल मयूरी के होठों के रस का स्वाद लेते लेते उसने पहले तो उसका दुपट्टा निकाल फेंका. फिर उसकी पैंटी को पकड़कर फाड़ दिया और उसके शरीर से अलग कर दिया. वो 48 साल का आदमी पता नहीं कहा से गजब की शारीरिक ताकत का प्रदर्शन कर रहा था. मयूरी को ये सब एक नयी उम्मीद दिला रही थी, की ये नया लंड उसकी जमकर चुदाई करने वाला है. फिर थोड़ी देर में मोहनलाल उसके निचे बैठ गया. मयूरी को लगा की शायद वो उसकी चूत चाटने वाला है. पर मोहनलाल के दिमाग में तो कुछ और चल रहा था. उसने मयूरी से कहा:

मोहनलाल: "बहु, तुम पलट जाओ और झुक कर मुझे अपनी गांड की छेद के दर्शन करा दो..."

मयूरी: "जी बाबूजी..."

और मयूरी पलटकर झुक जाती है और मोहनलाल को अपने जानलेवा मखन जैसे गांड के दर्शन कराती है. मोहनलाल मयूरी को कहता है:

मोहनलाल: "बहु... मैंने इस गांड के बहुत सपने देखे है. जिस दिन से मैंने तुमको रमेश के लिए पसंद किया था, हमेशा ही सपना देखा है की काश मुझे तुम्हारी ये गांड मिल जाए ..."

मयूरी: "ओह बाबूजी ... मुझे आपके इस भावना का जरा भी अंदाजा नहीं था, नहीं तो मैं आपको अपने सुहागरात में ही अपने गांड के दर्शन करवा देती. खैर अब ये पूरी तरह आपका है और आपके सामने है ..."

मोहनलाल अब मयूरी की गांड को अपने दोनों हांथो से चौड़ा करता है और उसको अपनी नाक नजदीक ले जाकर सूंघता है. उसके गांड की गंध उसको एक अजीब सा नशे का एहसास कराती है. फिर वो अपनी जबान मयूरी की गांड के छेद पर रखा था और चलने लगता है. मयूरी इस बात के लिए बिकुल तैयार नहीं थी. उसे इस बात की बिकुल उम्मीद नहीं थी की उसका बूढ़ा ससुर ऐसे पैंतरे भी अपनाएगा. वो एकदम से उत्तेजना के मारे पागल हो जाती है और सिसकारियां लेने लग जाती है.

मयूरी: "बाआ .....बू ......जी ....!!! आप.. तो ... मेरी ... जान.. ही .... निकाल .... देंगे ......!!!"

मोहनलाल: "अभी कहा बहु ... अभी तो बहुत कुछ बाकी है "

कहते हुए मोहनलाल ने अपनी दो उंगलिया मयूरी की चूत में दाल दिया और और अंदर-बाहर करते हुए उँगलियों से उसकी चूत को चोदने लगा. साथ ही साथ वो उसकी गांड को अपनी जबान से चाट भी रहा था.

इधर काजल की हालत ख़राब हुई जा रही थी. वो अब तक पता नहीं कितनी बार झड़ चुकी थी. उसकी चूत और मुँह दोनों एक साथी दो लंड से (जो की अपने ही सगे भाइयों के थे) चुदाई हो रही थी. फिर करीब 12-15 मिनट की लगातार चुदाई के बाद दोनों भाई एक साथ झड़ गए ... रमेश ने अपनी लंड का पानी काजल के मुँह में ही निकाल दिया और काजल ने वो सारा वीर्य गटा-गट कर के पी लिया. वो अपने बड़े भाई के लंड से निकला वीर्य का एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी, उसे ये वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. सुरेश ने भी अपना सारा वीर्य काजल की चूत में ही डाल दिया. काजल ने फिर से एक बार अपनी चूत में लंड से निकला हुआ गरमा-गर्म वीर्य महसूस किया पर इस बार ये वीर्य उसके छोटे भैया के लंड से निकला हुआ था. दोनों भाई काजल के अगल बगल में गिर गए और अब तीनो भाई-बहन आराम करने लगे थे.

इधर मोहनलाल की उंगलियों और जबान के लगातार प्रहार से मयूरी ज्यादा देर तक टिक नहीं पायी और और इतनी देर में 3-4 बार झड़ चुकी थी. मोहनलाल ने हर बार उसकी चूत से निकले हुए पानी का एक-एक बूँद को चाट लिया था.

अब मोहनलाल ने लगभग आदेश देते हुए काजल को अपने पास बुलाते हुए कहा:

मोहनलाल: "काजल ..."

काजल: "जी पापा ..."

मोहनलाल: "अपने भाइयों को छोडो और इधर आओ. अपने बाप के लंड से भी थोड़ा परिचय कर लो "

काजल: "जी पापा ... अभी आती हु ..."

कहते हुए काजल एक अच्छे बच्चे की तरह अपने पापा के आदेश का पालन किया. वो उठी और उनकी तरफ चल दी. फिर मोहनलाल के मन में कुछ ख्याल आया, वो मुस्कुराया और उसने काजल को रोका:

मोहनलाल: "पर रुको ... मै ही वहां आता हु. चलो बहु ... सोफे के पास चलते है "

मयूरी: "जी बाबूजी ...."

मयूरी ने मोहनलाल के कमर में हाथ डाला जैसे दोनों प्रेमी-प्रेमिका हों, और दोनों सोफे के तरफ बढे. रमेश और सुरेश ने अपने पापा के लिए वहां जगह बनाया और मोहनलाल बिच में बैठ गया. फिर मोहनलाल का आदेश जारी हुआ:

मोहनलाल: "बहु और काजल ... अब तुम दोनों मिलकर मेरा लंड चुसो ... एक साथ ... मैं अपने बहु और बेटी दोनों को एक साथ अपना लंड चूसते हुए देखना चाहता हु."

काजल और मयूरी मोहनलाल के आदेश का पालन करते हैं और उसके लंड को एक साथ चूसने लगते हैं. उनके होठ कभी कभी आपस में टकरा रहे थी पर दोनों जैसे प्रतिस्पर्धा कर रही थी की कौन ज्यादा से ज्यादा इस लंड को चूस सकती है.

मोहनलाल ने दोनों को चूसते हुए देखकर उनके सर पे हाथ रखते हुए कहा: "सदा खुश रहो मेरे बच्चों ... आज तुम दोनों ने मुझे जीतेजी स्वर्ग का एहसास करा दिया है ..."

फिर मोहनलाल ने रमेश और सुरेश को देखते हुए कहा:

मोहनलाल: "तुम्हे पता है? तुम्हारी माँ को मैं और तुम्हारे नाना एक साथ चोदा करते थे. और तुम्हारी माँ को हम दोनों से एक साथ चुदवाना बहुत अच्छा लगता था. आज अगर वो जिन्दा होती तो ये सब देख कर बहुत खुश होती. वो तुम दोनों से भी चुदवाने की ईक्षा रखती थी, पर ये बात वो कभी तुम्हे बता नहीं पायी, और वक़्त से पहले ही गुजर गई "

सुरेश: "पापा ... ये क्या कह रहे है आप ... आप और नाना एक साथ माँ को चोदते थे?"