Loose Wife, Troubled Life

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मुझे देख कर निशा की जीजा जी एकदम से ऐसे हो गए मानो कोई डाकू सामने देख लिया हो। वो बड़ा सा थूक सटक कर बोले, “आओ जी आओ, निशा देखो अरुण जी घर आ गए है” उन्होंने चिल्ला कर कहा मानो वो निशा को आगाह कर रहे हो।
“ये देखो ना, नालायक ने मेरे कपड़ों पे चाई गिरा दी, इसीलए आपके कपड़े डालने पड़े”, वो बिना रुके एक ही सास में बोले जा रहे थे, निशा जितनी सफ़ाई से झूठ बोलती थी ये इतनी ही बेकार तरह से बोल रहे थे के किसी को भी शक हो जाए। मैंने अभी तक कुछ भी नहि बोला था।
“नमशकर जी, कैसे आना हुआ?” मेरे पहले शब्द निकले।
“कुछ नहि बस आपके लिए तोहफ़े ले कर आए थे” उन्होंने बोला।
निशा अंदर से बाहर आइ तो उसने एक नया सूट डाल रखा था, सूट उसको ज़रा ज़्यादा ही टाइट आ रहा था। जीजा जी ज़्यादा देर नहि रुके, थोड़ी ही देर में वो अपने कपड़े एक थैले में डाल कर निकल गए। मैंने अपने बेडरूम में गया तो देखा की हमारी पलंग की चादर नीचे पड़ी हुई थी, चादर गिली थी पर कही भी चाई के निशान नहि थे।
“निशा ये चादर क्यूँ उतार दी, कल ही तो बदली थी?” मैंने दिल मज़बूत करके पूछा।
“अरे जीजा जी को निम्बू पानी देते समय गिर गया था। इसीलिए तो उनको मैंने तुम्हारे कपड़े दे दिए थे” उसने बड़े ही casually बताया। अगर किसी इंसान को पहली बार ये मिले तो इसकी बातों को सच मान ले। मैं समझ गया की ये सिर्फ़ अपने बॉस से बल्कि अपने रिश्तेदारों से भी योण सम्बंध रखती हैं। जीजा जी चाई बताते है और साली निम्बू पानी।
इस सच को जानने के बावजूद भी मैं उससे ये नहि कह पाया की मुझे सब पता है। उसने खाना बनाया, जो की स्वादिष्ट तो बहुत था पर मुझे तो बिलकुल ज़हर लग रहा था।
मैं रात को उसकी तरफ़ कमर करके सोने का नाटक करने लगा। मेरा मन नहि कर रहा था उससे एक मिनट भी बात करने का। वो हर रात की तरह अपनी चुचि और चूत में मालिश करने लगी और फिर बड़े ध्यान से देखने लगी की मैं सच में सोया हुआ हु की नहि। मैंने नाटक जारी रखा तो देखता हु की निशा अपने गांड के छेद पे भी टाइट करने वाली क्रीम लगा रही थी। जीजा इसकी गांड मार कर गया है, जिसकी मैंने आज तक नहि मारी दुनिया वाले मार रहे है। मैं रात भर बिना आवाज़ करे रोता रहा। अगले दिन उठा तो निशा तैयार हो रही थी।
“कहाँ की तैयारी है?” मैंने पूछा।
“आज मेरा ऑफ़िस का पहला दिन है एक महीने बाद। तुम्हें बताया तो था?” उसने अपने बालों में कंघा मारते हुए कहा।
उसने फिर ऑफ़िस के लिए ब्रा और पैंटी डाली ऊपर से साधारण सफ़ेद रंग की क़मीज़ डाली, और घुटनो तक की लम्बाई की ग्रे स्कर्ट और रसोई में नाश्ता बनने चली गयी।
“चलो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा” मैं बिना किसी इच्छा के बोल पड़ा।मैं ये नहि दिखाना चाहता था की मुझे कुछ पता है। मैं सच के आगे आँखे मूँद कर जीना चाहता था ताकि जितना हो सके गाड़ी और आगे चल पड़े।
“नहि उसकी ज़रूरत नहि पड़ेगी मेरी ऑफ़िस की गाड़ी आती होगी। पहले भी वो ही ले और छोड़ जाती थी” उसने बोला और नाश्ता परोसा। हमने चुपचाप से नाश्ता किया और बाहर से हॉर्न बजने की आवाज़ आइ।
“okay बाई” उसने झुक कर मेरे होंठों पे किस किया और चली गयी। उसके निकलते ही मैंने सबसे पहले तो थूका, ये सोच कर की कल इसने किसी ग़ैर मर्द का लंड पिया है और उन्ही होंठों से मुझे किस करती है, मुझे उलटी सी आने को हो रही थी।मैंने खिड़की से झाँक कर देखा तो गाड़ी कोई टैक्सी या ऑफ़िस वाली नज़र नहि आ रही थी बल्कि अच्छी बड़ी काली चमचमाती कार थी जिसमें एक ड्राइवर था और निशा अकेले पीछे बैठ कर जा रही थी।
मैंने भी नाश्ता किया और ऑफ़िस के लिए निकल गया और जाने से पहले गिफ़्ट वाली सीडी बैग में डाल ली। मैंने सोच लिया की आज देख ले की सीडी में भी क्या है? ऑफ़िस में लंच ब्रेक में जब कोई नहीं था तो मैंने सीडी लैप्टॉप में लगाई। डरते डरते मैंने सीडी लगाई और मन ये ही कह रहा था की कोई फ़ायदा नहि है मेरा ही दिमाग़ ख़राब होगा इसे देख कर, मुझे पता था की सीडी में क्या होगा किसी ना किसी के साथ वो सोती हुई नज़र आएगी।
कई बार मैं सीडी बिना चलाए ही बाहर निकल दी और कई बार वापस डाली देखने के मक़सद से। आख़िर में मैंने video चला ही दी।
video में कैमरा निशा के ठीक सामने किसी जगह पर फ़िक्स लगा हुआ था। निशा पलंग पे ब्रा और पेंटी पहली बैठी हुई थी और उसके दोनो हाथ बेड से बांधे हुए थे। video में एक आदमी ने कैमरा फ़िक्स किया और फिर निशा के पास गया। निशा किसी के क़ब्ज़े में नहि थी बल्कि वो roleplay कर रहे थे। निशा आदमी की और देख कर हस्ती और मुस्कुराती। तभी फ़िल्म में एक आदमी और नज़र आया, ये आदमी पहले वाले से कुछ बड़ा दिखाई पद रहा था। उसकी दाढ़ी मूँछ कुछ हद तक सफ़ेद हो चुकी थी। दोनो आदमी जब निशा के आजु बाजु खड़े हुए तो रोशनी में बड़े जाने पहचने से लगे।
निशा दोनो की आँखो में आँखे डाल कर इतराती। एक आदमी ने sex whip हाथ में उठाया और सीधा निशा की बड़ी बड़ी चुचीयो पे दे मारा। निशा ने आह भारी तो मेरा लंड तक खड़ा हो गया।
“देखो भैया कितनी हरामन है ” जवान आदमी ने दूसरे से कहा।
“तू ठीक ही कह रहा था संजय” बूढ़े वाले आदमी ने दूसरे से कहा।
संजय नाम सुनते ही मेरे दिमाग़ में तस्वीर साफ़ हो गयी। ये दोनो कोई और नहि निशा के चाचा और ताऊ जी है। ये दोनो वो थे जो की सबसे ज़्यादा अपनी भतीजी की तारीफ़ करते नहि थकते थे और आज मुझे पता चल गया था की क्यूँ ।
मैं बस फटी आँख से विडीओ देखता ही रह गया। उसके ताऊ जी ने उसकी ब्रा फाड़ी, दोनो ने उसकी चुचि पी। निशा ने दोनो का बारी बारी मुँह में भी लिया। दोनो एक साथ ही निशा का कांड कर रहे थे कभी एक जना मुँह मे और दूसरा चूत में तो कभी दूसरा मुँह में और पहला गांड में। दोनो ने निशा को घोड़ी बना कर उसकी सवारी तक की, उसकी चुचीयो के ख़ूब मसल मसल कर दबाया। कही से भी ऐसा नहीं लग रहा था की वो लोग निशा का फ़ायदा उठा रहे थे, निशा बार बार गंदी गंदी बातें कह रही थी जैसे की, और चोदो मुझे, कभी कहती और ज़ोर से, गंदी गंदी आवाज़ निकलती, बिना कहे ही उनके लिंग से खेलने और चूसने लगती। आख़िर में उसने दोनो का रस मुँह में भर के खा लिया और बोली, तुम लोग बूढ़े हो गए हो अब। तुम्हारी सन्यास लेने की उम्र आ चुकी है। उसके बाद ये आधा घंटे की फ़िल्म ख़त्म हो गयी।
मैं वहीं पसीना पसीना हो गया। मेरा बिलकुल मन नहीं लग रहा था, मैं छुट्टी लेकर घर आ गया। ये लड़की ना जाने किस किस रिश्तेदार से सम्बंध बनाए हुए है। इसमें तो ज़रा भी शर्म नहीं है।
शाम को निशा घर आयी, उसने खाना बनाया और हमने खाया। मैंने उस रात भी कह दिया की आज मेरा मन नहि है। उसने तुरंत एक नहि सेक्सी सी nighty पहनी और मेरे सामने खड़ी हो गयी, उसने हल्का सा मधुर संगीत लगाया और और बहुत ही सेक्सी अन्दाज़ में नाचने लगी। मैं सब कुछ भूलकर अपने आपको रोक नहि पाया और सब कुछ जानने बूझने के बावजूद उसके साथ खेला, मानो कुछ हुआ ही ना हो।
ये सिलसिला हर रोज़ का हो गया वो रोज़ ऑफ़िस जाती और शाम को उसके चेहरे पर ज़रा भी थकान या तनाव नहि दिखाई पड़ता। अक्सर मुझसे कहती की ऑफ़िस में ज़्यादा काम है ज़रा लेट आऊँगी, कभी कहती की मेरी फ़्रेंड का बर्थ्डे है तो आज रात उसके यही रुकूँगी। और हर बार मुझे पता होता था की आज ये किसी और के लंड में कूदेगी। कई बार मेरा मन मुझे समझने की कोशि करता की हो सकता है की सच कह रही हो। हो सकता है की उसने उस दिन के बाद सिर्फ़ तेरे साथ ही सम्भोग किया हो। हो सकता है उसने ऑफ़िस में कह दिया हो की अब वो किसी के साथ कुछ नहीं करेगी।
पर मैं इतना अपने आपको घोटने का आदि हो चुका था की कुछ दिन बाद ये भी आम हो गया। मैंने उसके बारे में ज़्यादा सोचना छोड़ दिया। शाम की आकर खाना अच्छा बनती थी और बिस्तर तो अच्छे से गरम करती ही थी पर एक बात और थी की कभी वो मेरे साथ झगड़ा नहीं करती थी। मेरे कोई रिश्तेदार और दोस्त आ जाते तो बड़े ही प्यार से पेश आती थी। मुझे तो ये भी डर लगा रहता था की किसी दिन मेरे किसी यार या रिश्तेदार के साथ ना सो जाए और दुनिया मेरी हँसी उड़ाए और मेरी और मेरे परिवार की बदनामी हो। जब भी कोई मेरे घरपे आता तो मेरा दिल धक़ धक़ करने लगता की कही कोई निशा के मन को ना भा जाए। सबको निशा तो अच्छी लगती थी है, उसका स्वभाव,बात करने का तरीक़ा, रंग रूप, और शरीर देख कर सब मुरीद हो जाते और अक्सर मुझसे कहते की मैं बहुत ही नसीब वाला जो निशा जैसी पत्नी मिली है। मेरे कई चचेरे, ममेरे भाई तो मुझसे ईर्ष्या भी करने लगी थे। निशा भी सबके सामने मेरी ख़ूब तारीफ़ करती थी और प्यार जताती, वैसे तो वो मुझसे अकेले में भी अच्छे से प्यार जताती थी, पर औरों के सामने तो वो ख़ास ध्यान रखती थी की क्या कहना है या क्या करना है। कई बार लोगों के बीच तो में भी भूल जाता था की इसकी वजह से मैं कितने torture में रहता हूँ।
दो महीने ऐसे ही बीत गए, मुझे कुछ भी ऐसा नया नहीं मिला जिससे लगे कि निशा के ग़ैर संबंधो को बारे में पता चले और ना ही मैंने ऐसा कुछ ढूँढने की कोशिश की। मैंने हालात से समझोत कर लिया था और सोचा की मैं इसको अपने प्यार से जीतूँगा, इसे इतना प्यार दूँगा की किसी के साथ बातें करने में भी इसकी आत्मा इसको गली देगी। और इसी तरह से एक और महीना बीत गया।
“सुनो, आज कही बाहर खाने चले क्या? बहुत टाइम हो गया है”, वो सुबह सुबह नाश्ता करते वक़्त बोली।
“तुम इतना अच्छा तो खाना बनाती हो। मुझे तो बिलकुल मज़ा नहि आएगा” मैंने उसको मस्का लगते हुए कहा।
“मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी, काफ़ी लम्बे टाइम से मैंने बाहर खाना नहीं खाया है। पर कोई बात नहीं मैं घर पे ही कुछ बढ़िया सा बन दूँगी आप बस घर आते वक़्त आइसक्रीम लेते आना” वो मुस्कुराते हुए बोली।
“आइसक्रीम क्यूँ लेकर आऊँ? हम होटेल में ही खा लेंगे। बोलो कहा चलना है?” मैंने पूछा।
“आप मेरे ऑफ़िस पे आ जाना रात ठीक आठ बजे, हम वही से कही चलेंगे।” उसने ख़ुश होकर बोला।
“अरे घर पे आ जाना एक बार, कपड़े बदलकर चलेंगे क्या हो गया? ऑफ़िस के कपड़ों में कहा मज़ा आता है कही जाने का?” मैंने बोला।
“आप उसकी चिंता मत करो, मैंने आपके लिए एक नई ड्रेस ख़रीदी है, शाम को ऑफ़िस में बदल लूँगी और फिर वही से चलेंगे” उसने दूध का ग्लास खली करते हुए कहा।
“कैसी ड्रेस है?” मैंने पूछा।
“बहुत ही धमाकेदार” उसने मुझे आँख मारी और मंदी आवाज़ में बोली।
मैं दिन भर काफ़ी ख़ुश था, मैं उसके इतिहास को इतिहास मान चुका था। उसके व्यवहार ने, मुझे सबकुछ पता होने के बावजूद भी मेरा दिल जीत लिया था और कहा मैं सोचता था की मैं उसका दिल जीतूँगा। मुझे लगने लगा था की वो अब सुधार चुकी है।
शाम को मैं साढ़े सात बजे ही उसके ऑफ़िस पे पहुँच गया। ऑफ़िस एक दम ख़ाली था, कोई भी कर्मचारी नहीं सिर्फ़ main gate पे चोकीदार बैठा हुआ था। मुझे ऐसा लगने लगा की ऑफ़िस की छुट्टी हो गयी हो और निशा घर चली गयी हो और मुझे बताना भूल गयी हो।
“भाई साहब॰॰॰” मैंने चोकीदार से कहना शुरू ही क्या था की वो बीच में ही बोला पड़ा।
“ऑफ़िस की छुट्टी हो गयी है कल आना” उसने अपने फ़ोन से बिना नज़र उठाए ही कहा।
“मेरी बीवी होगी यहाँ, मैं उसे लेने आया हूँ” मैंने अपना वाक्य पूरा किया।
“कौन है तुम्हारा बीवी?” उसने चिढ़ कर मेरी तरफ़ देखा और कहा।
“निशा” मैंने कहा तो उसके चेहरे पे अजीब सी मुस्कान छा गयी।
“अरे आओ बैठो भाई साहब, वो अभी बॉस के साथ कुछ काम कर रही है, आप इंतज़ार करो आती हो होंगी”, चोकीदार ने दरवाज़ा खोला और मुझे बिठा दिया। ऑफ़िस बिलकुल चमकदार सफ़ेद था और जगह जगह lighting ऑफ़िस को किसी resort जैसा लुक दे रही थी। बॉस का ऑफ़िस मैं gate के ठीक सामने, गलियारे के दूसरे छोर पे था।
“आप उनको बता दो के मैं आया हूँ उनको लेने ” मैंने चोकीदार से कहा।
“भाई साहब वो बॉस के साथ काम कर रही है और मुझे सख़्त मना कर है डिस्टर्ब करने के लिए वरना मैं ज़रूर बता देता”, ये सुनकर मेरे दिल के घाव हरे हो गए। मुझे ख़ुद पर ग़ुस्सा आने लगा था की मैं इतना जल्दी क्यूँ आ गया, अगर टाइम से आता तो शायद ये नहि झेलना पड़ता।
चोकीदार मुझे बार बार तिरछि नज़र से गंदी से मुस्कान के साथ देख रहा था। मेरा वहाँ पल भर भी बैठना भारी हो रथ था। दो कोड़ी के चोकीदार के सामने मैं अपने आप में शर्मिंदा होता जा रहा था।
ऑफ़िस में एकदम शांति थी, बहुत ध्यान से गोर करने पर कभी कभी लड़की के सिसकी भरने की, कभी आदमी के हाफने की, तो कभी कभी ज़ोर से थप -थप की आवाज़ आने लगती।
जब जब आवाज़ थोड़ी सी भी तेज़ होती तो चोकिदार अपनी वफ़ादारी दिखाते हुए मुझे बातों में लगा लेता।
“भाई साहब आप कहा के रहने वाले हो?, शादी कब हुई? क्या करते हो?” वग़ैराह वैग़ैराह। और मैं भी उसके साथ बातों में लग जाता ये सोच कर की कही इसको आवाज़ें ना सुनाई दे जाए
“लो हो गयी मीटिंग ख़त्म” वो अचानक से बोला। मैंने पलट के देखा तो दरवाज़ा फिर से बंद होता दिखाई पड़ा, पर मुझे निशा या कोई आदमी नहि दिखाई दिया।
“सामान बाँध रहे होंगे शायद” चोकीदार ने मुझसे कहा। उसकी आवाज़ से ऐसा लग रहा था की वो मेरे से मज़े ले रहा हो और मेरेको कोई दूध पीता बच्चा समझ कर बेजती कर रहा हो।
दरवाज़ा फिर से खुला तो निशा कमरे मेरी आँखों में आँखे डाल कर मुस्कुराती हुई मेरे पास आयी मानो उसको पता हो की मैं उसका इंतज़ार कर रहा हु। उसने लाल रंग की एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस पहन रखी थी। ड्रेस मुश्किल से उसकी जाँघो को भी नहि ढक पा रही थी, ड्रेस halter neck डिज़ाइन की थी, जो की एक पतली से लाल डोरी से उसकी गर्दन के पीछे बंधी हुई थी। Dress also had a very deep cowl neck cut in front। सामने से उसकी नाभि तक V शेप में एक लम्बा cut था बस समझ लो की दो कपड़ों की कतरन से अपने निप्पल्स को छुपाए हुए थी, उसने ब्रा उतार दी थी और उसके बड़े बड़े स्तन ड्रेस में से आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे और जब कभी वो लाइट के ठीक नीचे आती तो ड्रेस में से उसके निप्पल्स भी उभरे हुए दिखाई पड़ते। ड्रेस में कमर पे तो एक धागा तक नहीं था, पीछे ड्रेस बस उसके चूतड़ो पर से शुरू हो रही थी और कभी कभी चलते वक़्त उसकी गांड की लकीर साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। साथ में उसने एक लाल रंग की ही चार इंच ऊँची हील पहन रखी थी। वो मुझसे भी दो तीन इंच लम्बी नज़र आती थी।
पीछे से दरवाज़ा फिर से खुला और उसका बॉस हाथ में निशा का बैग लिए भगा भगा आया। बॉस के सारे के सारे बाल सफ़ेद थे, उसने फ़्रेंच कट दाढ़ी रखी हुई थी, ये ही वो बॉस था जिसने हमरी शादी पे ब्रा पेंटी गिफ़्ट की थी? उसकी क़मीज़ आधी अंदर दबी हुई थी और आधी बाहर लटक रही थी, टाई भी बस गले में पड़ी हुई थी। साफ़ साफ़ दिख रहा था की उसने आनन फ़ानन में अपने कपड़े पहने हो। मैंने दूर से ऑफ़िस के कमरे में झाँक कर देखा तो मेज़ एक दम साफ़ थी और फ़र्श पर काग़ज़, calculator वग़ैराह गिरे पड़े थे।
“अरे निशा तुम्हारा बैग तो यही छूट गया था अभी” वो हफ़्ते हफ़्ते बोला।
“ओह सारी बॉस। ये मेरे husband अरुण है ” निशा ने बॉस को मेरा नाम बताया।
“oh I see. So you are that lucky man” उसने कहा और मेरी तरफ़ हाथ बढ़ाया। मैंने बिना कुछ कहे ही उससे हाथ मिलाया।
“तो अब कहा की तैयारी है?” उसने निशा से पूछा।
“कुछ नहि सर हम बस आज बाहर डिनर करेंगे” निशा ने लम्बी सी मुस्कुराहट के साथ कहा।
“हम्म। आज का डिनर मेरी तरफ़ से। ये कार्ड लो और मज़े करो” उसके बॉस ने मुझे अपना क्रेडिट कार्ड थमते हुए कहा। कार्ड लेते हुए मुझे बिलकुल ऐसा लग रहा था मानो मैं अपनी बीवी के साथ सोने की रक़म ले रहा हूँ।हम वह से निकले तो मैंने चोकीदार से नज़र तक नहीं मिलाई।
हम शहर के सबसे महंगे होटेल में गए और वह हमने खाना खाया। वो मुझे अपने बचपन की हँसी वाली कहानिया सुनती रही पर मुझे ज़रा भी हँसी नहीं आयी।
“क्या हुआ कोई दिक़्क़त है?” उसने पूछा। मुझे तो हैरानी होती है की उसे ज़रा भी ये नहि लगता की शायद मुझे उसकी हरकतों के बारे में पता भी हो।
“कुछ नहीं आज सर में दर्द है थोड़ा” मैंने झूठ बोला।
“ओहो, तो पहले बताते, हम किसी और दिन आ जाते। एक काम करो हम बस इसे ख़त्म करके चलते है और मैं आपके सर पे क्रीम लगा दूँगी” उसने चिंतित आवाज़ में कहा।
होटेल मे बैठे सारे लोग निशा को ही देख रहे थे। वेटर भी बार बार उसके पीछे से निकलते और और उसकी नंगी कमर को घूरते। लाइट हमारी मेज़ के ठीक ऊपर लटकी हुई थी इसीलिए उसके बड़े बड़े निप्पल्स साफ़ साफ़ उभरे हुए दिखाई दे रहे थे। कुछ लोग मुझे गंदे इशारे कर रहे थे, उनको लग रहा था की मैं एक prostitute के साथ इतने महंगे होटेल में आया हूँ। हमने निशा के बॉस के कार्ड से बिल भरा और अपने घर आ गए।
“आप बैठो मैं आपके लिए कुछ बना देती हु” उसने घर में घुसते ही कहा। उसने कपड़े तक नहीं बदले बस अपनी sandles तो उतार दो थी और सीधा रसोई में चली गयी।
मैं सोफ़े पे गिर पड़ा। मेरा मूड बिलकुल ख़राब हो चुका था समझ नहि आ रहा था की क्या करूँ। निशा ने आज तक मेरी सारी बात मानी है, और कभी मेरेसे झगड़ा नहीं किया है। मैंने सोचा की आज इसे भी आज़मा लिया जाए।
“निशा!” मैंने उसे आवाज़ मारी।
“हाँ ” वो रसोई से वापस आइ।
“एक बात कहूँ?” मैंने सोफ़े पर बैठते हुए बोला।
“हाँ बिलकुल” वो भी बैठकर मेरी बात गोर से सुनने लगी।
“तुम नोकरी छोड़ क्यूँ नहीं देती?” मैंने उससे कहा।
“क्या? ये क्या बात हुई? तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है?” वो थोड़ा सा हैरान होकर बोली।
“मतलब तुम्हें ज़रूरत क्या है? मेरी कमाई वैसे भी ठीक ठाक है। हम ऐश में ज़िंदगी काट लेंगे” मैंने उससे कहा।
“कमाई तो मेरी भी तुम्हारे बराबर ही है तुम क्यूँ नहीं छोड़ देते नौकरी और मैं कमाकर लाती हु” उसने अब गम्भीर होकर कहा।
“मैं चुदाई के पैसे नहीं खाता!” मुझसे और नहीं सहा गया और मैंने तेज़ आवाज़ में कह दिया।
निशा के चेहरे पे एक बार को तो हवाइयाँ उड़ने लगी फिर वो बोली।
“क्या मतलब है तुम्हारा?” उसने भी तेज़ आवाज़ में जवाब दिया तो मैं थोड़ा सा सहम गया।
“तुम एक नम्बर की रांड हो। ये इतने बड़े बड़े गिफ़्ट देने वाले तुम्हारे रिश्तेदार नहि तुम्हारे पुराने ग्राहक है ग्राहक। और आज भी तुम अपने बॉस की मेज़ पर नंगा नाच करके आयी हो” मैंने फिर से कैडा पड़ कर कहा।
“मैंने जो कुछ भी किया अपने career और भविष्य के लिए किया, किसी के साथ सोई भी तो क्या। लोगों अपना अपना talent इस्तेमाल करते है career में आगे बढ़ने के लिए। अगर तुम्हारी कोई बदसूरत सी बॉस तुम्हारे साथ सोने के बदले तुम्हें प्रमोशन देती तो तुम एक सेकंड भी ना सोचते और तुम मुझे भाषण दे रहे हो” उसने कहा। उसकी बात में कुछ जान थी, उसका जवाब सुनकर तो मैं भी सोच में पड़ गया।
“लेकिन अब तो शादी हो चुकी है। मैं तुम्हारे इतिहास को भुला कर तुम्हें अपनाने को तैयार हु अगर तुम सुधर जाओ तो” मैंने अब थोड़ा सा आराम से बोला।
“ओह हेलो! इतने एहसान करने की ज़रूरत नहीं है मुझ पर। ख़ुद की शक्ल देखो और मुझे देखो, लंगूर के मुँह में अंगूर, क्या शादी से पहले ज़रा भी दिमाग़ में नहीं आया की मेरे जैसी लड़की तुम्हारे साथ शादी के लिए राज़ी कैसे हो गयी। कहा तुम और कहा मैं। क्योंकि मेरी मम्मी को मेरी हरकतों के बारे में शक होने लगा था इसीलिए जो पहले मिला उसके साथ बाँध दिया मुझे। पर मैं फिर भी बहुत हालात के साथ सोच विचार के चलती हु, कभी किसी को ये महसूस नहि होने देती की मैं तुमसे ज़रा भी कम प्यार करती हु। तुम्हारे रिश्तेदारों से भी सलीक़े से पेश आती हु। कोई आता जाता है तो ख़ास ध्यान देती हु की उसके सामने तुम्हारी अच्छी छवि जाए। उन सब बातों का कुछ भी नहीं?” उसने एक लम्बा सा लेक्चर दिया और पास में पड़ी बोतल से पानी पीने लगी। उसकी सारी बातें सच थी मैं उसके रंग रूप पे लट्टू हो गया था, वो वाक़ई में इस चीज़ का बड़ा ध्यान रखती है की सबको हम एक अच्छी फ़ैमिली की तरह दिखाई पड़े।
“बात सिर्फ़ तुम्हारे बॉस की नहीं है, मुझे पता है की शादी के बाद तुम अपने जीजा के साथ मेरे ही बिस्तर पे रंग रेलिया मना चुकी हो और तुम्हारे चाचा जी और ताऊ जी ने तुम्हारी ये यादगार भेजी थी हमारे शादी के तोहफ़े के तोर पे” मैंने बैग में से सीडी निकल कर उसके सामने पटक दी।
“तुम्हें इसके बारे में कब से पता है?” उसने सीडी की तरफ़ घूरते हुए पूछा।
“शादी के एक हफ़्ते बाद से” मैंने कहा अब मेरा गला रुआँसा सा होने लगा था।
“जब से तुम्हारा ज़मीर क्यों नहि जागा। जब तुम्हें पता था की घर का सारा सामान मेरी चूत की कमाई का है तो क्यों चुप रहे अब तक” उसने ठीक मेरी आँखों में आँखे डालकर पूछा। मैं उसको नहीं बताना चाहता था की मैं इस दिन से डरा हुआ था।
“क्योंकि मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हु। मैं एक मर्द हूँ तुम जैसी रंड़ी क्या जाने मर्दों को किस किस चीज़ का ध्यान रखना पड़ता है” मैंने हिम्मत करके कहा, मेरेसे अब और नहि सहा जा रहा था। मैंने कभी किसी से इतनी बहस नहि की थी और ऐसे में भी निशा मुझ पर हावी थी।
“मर्द। कैसे मर्द हो तुम। तुम्हें पहले दिन से देख रही हु। कोई आदमी, तुम्हारे यार रिश्तेदार, मुझे गंदी नज़र से देखते है तो तुम उनसे नज़र बचा लेते हो। किसी के सामने ज़ुबान नहि खुलती, जब वेटर और चोकीदार मेरे बदन पर घूर घूर कर देख रहे थे तब कहा गयी थी तुम्हारी मर्दानगि । इतने मर्द हो तो क्यूँ मेरे बॉस के पैसों का खाना खाया जब तुम्हें पता था की उसने मेरी जवानी के ख़ूब मज़े लूटे है। दो मिनट में तुम्हारा छोटा, पतला सा लंड ढेर हो जाता है तो ख़ुद ही, बॉस के डिल्डो से अपनी जवानी की आज शांत करनी पड़ती है। तुम्हारे में अगर मर्दों वाला जोश होता तो मैं वाक़ई में नोकरी छोड़ देती। तुम्हें पता भी है मर्द कैसे होते है, मुझे देख कर तो साठ साठ साल के बूढ़ों में भी जवानी आ जाती है, पता है मर्दों ने मुझे कहा कहा और किस किस हालत में मज़े दिलवाए। मुझे मर्दों ने रेल में, रातों को झाड़ियों में, कॉलेज के टॉलेट में, स्कूल के प्लेग्राउंड में, बीच बाज़ार मे, शादियों में, ऑफ़िस मीटिंग्स में, कहा कहा मुझे अपने लंडो पे नहीं उछाला और मुझे मेरे औरत होने का अहसास दिलाया। तुमसे ज़्यादा मर्द तो वो है जो भीड़ का फ़ायदा उठा कर मेरी चुचि छेड़ जाते है। और एक तुम हो जो की अपने बिस्तर पे भी अपनी बीवी की ख़ुश नहि कर पाते। अरे किसी दिन कह कर देखो, मेरे 52 साल के ताऊजी, तुम्हारी आँखों के सामने मुझे नंगा करके मेरे हर छेद में अपना रस भर कर दिखाएँगे की मर्द कैसे होते है।” वो बोलती ही चली गयी।
मैं इतना सुन कर टूट गया और उसके सामने ही फफक फफक कर रो पड़ा।
“वाउ! कितने बड़े मर्द हो तुम जो दो शब्द भी नहीं सहन कर पाए।” वो अब भी बोले जा रही थी। मैंने रोते रोते ही अपना फ़ोन और गाड़ी की चाबी उठाई और घर से निकल गया।


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AnonymousAnonymousover 3 years ago
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Loved the storyline and details! Please add more parts with sex.

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