mast godiy

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बुआ- मैने सुना है तेरे मामा से तेरी बहुत बनती है,
संध्या- चाइ देते हुए अरे बुआ जी वो क्या है ना रोहित के मामा रोहित से 7 साल बड़े है पर कुछ बाते इन दोनो की
इतनी मिलती है कि यह साथ रहते-रहते दोस्त की तरह बन गये अब इन्हे देखिए ये अपने मामा से अपनी सभी बाते
शेर कर लेते है और इनके मामा भी इन्हे हर बात बता देते है,


बुआ- हस्ते हुए बहू कुछ बाते ऐसी भी होती है जो कोई किसी को नही बताता है,
संध्या- हस्ते हुए बुआ जी हम भी तो नही जानते थे कि आप पापा से इतना प्यार करती है,
बुआ- मुझसे तेरे पापा ही नही तेरा पति भी बहुत प्यार करता है, क्यो रोहित
रोहित- बुआ मेरी तो दो-दो मम्मी है एक मम्मी और दूसरी आप


संध्या- हस्ते हुए, रोहित पापा की भी तो दो-दो बिबिया है,
बुआ-मुस्कुराते हुए तुम दोनो बहुत बदमाश हो अपनी बुआ के मज़े ले रहे हो
संध्या- अरे नही बुआ हम आपके मज़े नही ले रहे है बल्कि हम दोनो तो आपके बच्चे है और आपको पूरा
मज़ा देना चाहते है क्यो रोहित चलो बुआ को तुम अपनी मम्मी समझते हो ना तो उनके पेरो को थोडा दबाओ जैसे


अपनी मम्मी के पेरो को दबाते हो और फिर संध्या भी बुआ की एक टांग पकड़ कर दबाने लगती है,
बुआ- अरे नही बेटा रहने दे
रोहित- अरे तो क्या हुआ बुआ आप मेरी मम्मी समान है तो क्या मैं आपके पैर नही दबा सकता और फिर एक तरफ
संध्या और दूसरी और रोहित बुआ की एक-एक टांग पकड़ कर उसे फोल्ड करके दबाने लगते है,

क्रमशः......................


मस्त घोड़ियाँ--9

गतान्क से आगे........................
रोहित की नज़रे बुआ की
मस्त फूली हुई चूत पर थी जो फटी सलवार से पूरी तरह बाहर आ चुकी थी, संध्या बुआ की मोटी जाँघो को मसल्ते
हुए उसके पैरो को और चौड़ा कर रही थी और बुआ अपनी आँखे बंद किए मंद-मंद मुस्कुरा रही थी,
रोहित ने बुआ की मोटी और गुदाज जाँघो को अपने हाथो मे भर रखा था और बुआ की पाव रोटी की तरह फूली हुई
चूत देख कर सोच रहा था कि उसकी मम्मी मंजू की चूत कैसी होगी, मंजू का नंगा बदन भी पूरा बुआ के
नंगे बदन की तरह ही है तब तो मम्मी की बुर भी इसी तरह फूली हुई होना चाहिए,


अपनी मम्मी की चूत को
इतना करीब से अगर देखना हो जाए तो उसका मज़ा ही कुछ और होता है,
रोहित अपनी बुआ की बुर देख कर अपनी मम्मी की यादो मे खोया हुआ था और संध्या रोहित की स्थिति को भाँप गई
थी और ऐसे मोके पर वह रोहित को और भी उत्तेजित करके अपने पति को ज़्यादा मज़ा दिलाने की कोशिश करती है,


संध्या- बुआ मम्मी तो आप से उमर मे बड़ी है ना पर दिखती वो बिल्कुल आप की उमर की है आप दोनो जब पापा
के साथ खड़ी होती हो तो दोनो उनकी बिबिया लगती हो,
बुआ- अरे बहू तेरी मम्मी मंजू का बदन थोड़ा कसा हुआ है और कुछ नही पर पेट तो उनका मुझसे भी ज़्यादा
बाहर निकला हुआ है,

संध्या- बुआ की जाँघो को उपर तक भिचते हुए, पर बुआ जी लगता तो वही पेट सुंदर है ना, मेरा कहने का
मतलब है कि जब औरत 40 पर करने लगे तो उसका पेट जितना उठ कर उभरेगा वह उतनी ही मस्त नज़र आएगी,


और एक बात और भी है बुआ जिन औरतो का पेट उठा हो और गहरी नाभि पेटिकोट और साडी के बाहर दिख रही हो ऐसी
औरतो के पिछे मर्द बहुत भागते है,
बुआ- अरे बहू मर्दो का क्या है कैसी भी दे दो वह तो मा चुदवा ही लेगे ना,
संध्या-हस्ते हुए बुआ अब गरम हो गई हो तो उतार दो ये सलवार कुर्ता और हो जाओ पूरी नंगी,


बुआ- तेरा मरद बैठा है तेरे सामने तू क्यो नंगी नही हो जाती है,
संध्या- ठीक है तुम कहती हो तो मैं ही नंगी हो जाती हू और फिर संध्या ने अपने एक-एक कपड़े उतारने चालू कर
दिए, बुआ मूह फाडे संध्या की ओर देख रही थी,
और अंत मे संध्या ने अपनी गुलाबी पैंटी को दूसरी ओर मूह करके अपनी गुदाज गंद दिखाते हुए उतार दिया,
रोहित अपनी जगह पर बैठा अपनी मस्तानी बीबी के नंगे बदन को देखते हुए बुआ जी की जाँघो की जड़ो को सहला
रहा था,


बुआ जी का गला सूखने लगा था और उसकी चूत से पानी आना शुरू हो रहा था,

संध्या अपनी चिकनी फूली बुर को दिखाती हुई बुआ के पास आ जाती है और बुआ की जाँघो को चौड़ा करके बुआ की चूत
मे हाथ मारते हुए अरे बुआ जी तुम्हारी तो चूत दिख रही है,
संध्या का इतना कहना था कि रोहित ने बोला कहाँ है चूत और अपना मूह बुआ की चूत से लगा दिया बुआ रोहित का मूह
अपनी धधकति भोसड़ी पर लगने से तड़प उठी और अपने ही हाथो से अपने दोनो मोटे-मोटे दूध को पकड़ कर
मसना चालू कर दिया,


रोहित ने बुआ की चूत को चाटते हुए अपने हाथ से सलवार मे थोड़ी और ताक़त लगा कर बुआ की सलवार को और फाड़
दिया और बुआ की पाव रोटी जैसी चूत और उसकी गहरे भूरे रंग के बड़े से गंद के छेद को बाहर ले आया,
संध्या ने जब पूरे आकार मे बुआ की मस्त चूत को देखा तो उसने अपने हाथो से रुक्मणी की चूत को और फैला
लिया और रोहित की ओर इशारा करते हुए उसे चाटने को कहा,
रोहित ने अपनी जीभ निकाल कर बुआ जी की चूत को चाटना शुरू कर दिया बुआ जी हाय रोहित बेटे क्या कर रहा है,


रोहित- कुछ नही बुआ बस थोड़ा सा रस पी रहा हू
बुआ- बेटा मत पी प्लीज़ मत पी,
संध्या- अरे बुआ पी लेने दो ना मम्मी पिलाएगी और ना तुम पिलाओगे तो बेचारे किसका पिएगे,
बुआ- हाय तो क्या मैं ही बची हू संगीता का पी ले और तेरा तो पीता ही होगा बुआ ने संध्या की ओर देख कर कहा
संध्या- बुआ रोहित ने संगीता की भी पी ली है अब उसका मन तुम्हारी पीने का है,

रोहित - अरे चुप रहो संध्या बुआ ने मुझे मना ही कहाँ किया है और तुम बेकार मे बहस कर रही हो
रोहित


गतान्क से आगे........................
मेहता सीधे संध्या के दूध को मसल-मसल कर लाल कर रहा था
उधर मम्मी जी और रोहित की नींद एक साथ खुली और मम्मी जी जैसे ही बाथरूम मे जाकर मुतने बैठी रोहित ने पिछे से जाकर मम्मी जी के भारी चूतादो के बीच से हाथ डाल कर उनकी चूत को पकड़ लिया, मम्मी जी एक दम से सन्न रह गई लेकिन जब उन्हे रोहित के होने का एहसास हुआ तब कुछ नॉर्मल हुई, उन्होने कहा बेटा मूत तो लेने दो फिर आराम से कर लेना,


रोहित - मम्मी जी आप मुतो ना मैने तो बस अपना हाथ लगा रखा है मैं तो बस आप मुतती जाना और मैं आपकी चूत को सहलाता जाउन्गा बस,
मम्मी- सी अया बेटे ऐसे पेशाब नही आएगा पानी आएगा,
रोहित- मम्मी कोशिश करो तब तक मैं आपके इस लहसुन को रगड़ता हू,


मम्मी जी मूतने की कोशिश करने लगी और फिर एकदम से उन्होने एक तेज धार मारना शुरू कर दी और फिर क्या था वह रुक-रुक कर मूतने लगी और रोहित उनकी चूत को सहलाता रहा, मूतने के बाद मम्मी जी ने साडी नीचे की और बिस्तेर पर आ गई, रोहित मम्मी जी की मोटी गंद को सहलाते हुए उनकी साडी पूरी कमर तक करके उनकी चूत को फैला लेता है चूत से मूत की गंध सूंघते ही रोहित मम्मी जी की चूत को पागलो की तरह चाटने लगता है


और मम्मी जी आह बेटे आह रोहित करते हुए उसका सर सहलाने लगती है, मम्मी जी की चूत फूल के कुप्पा हो जाती है और उनकी गुलाबी सूजी हुई चूत की फांको को फैला-फैला कर रोहित चूसने लगता है, कभी वह बुर के दाने को चूस्ता है कभी चूत के गुलाबी छेद को चाट्ता है, उसके बाद रोहित अपना लंड गछ से मम्मी जी की चूत मे पेल देता है और मम्मी जी आह आह करते हुए अपनी गंद हिलाने लगती है,


इधर रोहित मम्मी जी की चूत की मस्त ठुकाई कर रहा था और उधर संध्या अपने पापा के मस्त लंड पर कूदने लगी थी, मेहता ने संध्या को खड़े होकर अपने लंड पर टांग लिया था और खूब कस-कस के अपनी बेटी की चूत मार रहा था, उस पूरा दिन मेहता ने अपनी बेटी की मस्त ठुकाई की और रोहित ने भी अपनी मम्मी जी की चूत मार-मार कर एक दम लाल कर देता है, रात को मेहता एक बार अपनी बीबी को चोद्ता है


और रोहित संध्या को उसके बाद रोहित और सासू जी एक साथ सोते है और संध्या अपने पापा के पास पूरी नंगी होकर सोने चली जाती है, रात भर संध्या की चूत उसके पापा मस्त तरीके से ठोकते है उधर रोहित भी अपनी सास की खूब तबीयत से चुदाई करता है,


अगले दिन रोहित और संध्या वहाँ से विदा लेकर अपने घर की ओर चल देते है जब घर पहुचते है तो पता चला बुआ जी सुबह ही अपने घर चली गई उनके यहाँ कुच्छ ज़रूरी काम निकल आया था

संध्या और रोहित घर पहुचते है और सामने से मंजू आ जाती है,
मंजू- मुस्कुराते हुए घूम आए दोनो, क्या बात है संध्या बहुत खुस नज़र आ रही है लगता है बहुत दिनो बाद अपने पापा से मिली है,


संध्या- मम्मी मज़ा तो बहुत आया पर रोहित को शायद मज़ा नही आया, क्यो रोहित
रोहित- नही मम्मी बहुत मज़ा आया पर आप कहाँ बन ठन के जा रही है,
मंजू- मैं तो कही नही जा रही हू बस आज नई साडी पहन कर सजने का मन किया तो पहन ली

संध्या- मम्मी कुछ भी कहो आज आप बहुत सुंदर लग रही है,
मंजू- अच्छा अब तारीफ बंद करो और रोहित देख तेरा मामा तेरा कब से इंतजार कर रहा है मेरे कमरे मे बैठा है,

संध्या- मम्मी पापा कहाँ गये है और संगीता भी नही नज़र आ रही है,
मंजू- बहू संगीता और तेरे पापा छत पर बैठे है तू जा कर कपड़े बदल ले मैं अभी पड़ोसी के यहाँ से आती हू,


मम्मी की बात सुन कर संध्या दबे पाँव छत की ओर चल दी और जब  छत पर पहुच कर देखा तो पापा कुर्सी पर बैठे थे और संगीता को अपनी गोद मे बैठा कर उसकी मस्त ठोस चुचियो को मसल रहे थे, संध्या ने जानबूझ कर घुघाट कर लिया और अपने ब्लौज के दो बटन खोल कर सीधे पापा के सामने चली गई और उनके पेर च्छू लिए,


मनोहर- अरे संध्या तू कब आ गई बेटी
संगीता- वाह भाभी बड़े टाइम पर आई हो पापा अभी तुम्हारी ही बाते कर रहे थे,
मनोहर- संगीता जा हम तीनो के लिए चाइ बना ला यही बैठ कर चाइ पीते है तब तक मैं संध्या बेटी से कुछ बाते करना चाहता हू

संगीता- ठीक है पापा मैं अभी आती हू और संगीता वहाँ से नीचे चली जाती है,
मनोहर- संध्या का हाथ पकड़ अपने करीब खीच लेता है और उसे अपनी गोद मे बैठा कर उसके मोटे-मोटे दूध को सहलाते हुए, बहू तुम एक दिन के लिए क्या जाती हो तुम्हारे बिना मन ही नही लगता है,


संध्या- पापा मेरी भी तो यही हालत है मुझे भी आपकी बहुत याद सता रही थी,
मनोहर- अपने पापा से मिली, मेहता तो बहुत खुस हो गया होगा तुझे देख कर, तूने बताया नही उसे कि हम भी अपनी बहू को अपनी पॅल्को पर बैठा कर रखते है,
संध्या- हस्ते हुए पापा मैने यह नही कहा कि आप मुझे अपनी पॅल्को पर बैठा कर रखते है बल्कि मैने तो यह कहा कि आप तो हमे अपने .....


मनोहर- संध्या के दूध दबाता हुआ, बोलो- बोलो बहू तुमने क्या कहा अपने पापा से
संध्या- मनोहर के मोटे लंड को उसकी लूँगी से बाहर निकाल कर उसके सूपदे को खोलती हुई पापा हमने तो अपने पापा से यही कहा है कि मेरे ससुर तो मुझे दिन रात अपने मोटे लंड पर बैठाए रहते है,


मनोहर- संध्या के गालो को चूमता हुआ उसकी नाभि से नीचे हाथ लेजा कर उसकी साडी के अंदर हाथ डाल कर अपनी बहू की मस्त गुदाज चूत को अपने हाथो मे भर कर, बेटी फिर तुम्हारे पापा ने क्या कहा


संध्या- पापा ने कहा कि ऐसे ही अपने ससुर जी की सेवा करती रहना आज उन्ही के कारण तुम्हारी जिंदगी खुशहाल है
मनोहर- नही बेटी इसमे मेरा कोई हाथ नही है सब अपनी किस्मत का खाते है,
संध्या- नही पापा आपका वह एहसान कभी नही भुलाया जा सकता है, अगर आप मुझे नही बचाते तो मैं आज शायद जिंदा ही ना होती,


मनोहर- चलो छ्चोड़ो इन पुरानी बातो को और फिर मनोहर ने संध्या को सीधा करके उसकी साडी को उसकी मोटी गंद तक उठा दी और उसकी फूली हुई चूत जो उसकी पॅंटी मे कसी हुई थी को अपने मूह से दबा-दबा कर चूमने लगा और अपने दोनो हाथो से अपनी बहू के भारी चुतडो को सहलाने लगा,


संध्या- आह पापा आपकी इसी हरकत ने तो मेरी चूत मे पानी भरना शुरू कर दिया था तभी तो पहली मुलाकात मे ही आपका मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ चुका था, पापा सच आपसे अपनी चूत मराने मे बहुत मज़ा आता है,
तभी संगीता दूसरी ओर से आते हुए, लीजिए गरमा-गरम चाइ का आनंद लीजिए और फिर संध्या और पापा दोनो को चाइ देकर संगीता भी वही बैठ कर चाइ पीने लगी,


संगीता- भाभी पापा तुम्हे कल से ही याद कर रहे थे कह रहे थे संध्या के बिना घर मे अच्छा नही लगता है, पापा अगर भाभी आपकी बहू ना होती बल्कि बेटी होती तब,
मनोहर- हस्ते हुए तब तू मेरी बहू होती और क्या,


संध्या- अरे संगीता पापा अपनी बहू और बेटी मे अंतर नही समझते है,
संगीता- अच्छा अभी पता चल जाएगा, अच्छा पापा बताओ भाभी ज़्यादा सुंदर है या मैं
पापा- बेटी औरतो की सुंदरता देखने के लिए उन्हे पूरी नंगी होना पड़ता है तभी तो मैं बता सकता हू कि कौन ज़्यादा सुंदर है,


संगीता- तो ठीक है और फिर संगीता जाकर छत का दरवाजा लगा कर आ जाती है और फिर अपने पापा के सामने अपनी स्कर्ट और शर्ट उतार कर ब्रा और पॅंटी मे पापा के पास खड़ी होकर उनका लंड सहलाते हुए देखो पापा अब मैं कैसी लग रही हू,


मनोहर- मुस्कुराते हुए संगीता की मोटी गंद को अपने हाथो से दबाते हुए बेटी अभी तेरी भाभी ने कहाँ कपड़े उतारे है तब संगीता ने झट से मेरी साडी को पकड़ कर खींच दिया और मैं एक बार गोल घूम गई और अब मैं ब्लॉज और पेटिकोट मे अपने ससुर के सामने खड़ी थी मेरी कसी हुई मोटी चुचिया ब्लौज फाड़ कर बाहर आने को मचल रही थी चूत तो पहले से ही गीली हो गई थी तभी संगीता ने मेरे पेटिकोट का नाडा भी खींच दिया और मेरा पेटिकोट देखते-देखते मेरे पेरो मे जा गिरा और मेरा गुदाज उठा हुआ पेट गहरी नाभि और मेरी पॅंटी के उपर से उभरी हुई चूत देख कर मेरे ससुर जी की आँखो मे चमक आ गई, हालाकी संगीता का बदन भी बहुत भरा हुआ और सेक्सी था लेकिन मैं थोड़ा ज़्यादा चुदी हुई थी इसलिए मेरे बदन पर थोड़ी चर्बी चढ़ जाने से मैं बहुत ही गुदाज और मस्त नज़र आने लगी थी,


पापा ने मुझे और संगीता की गंद को थाम कर अपने मूह की तरफ खींचा और पहले संगीता की चूत को उसकी पॅंटी के उपर से चूम लिया और फिर मेरी चूत को भी पॅंटी के उपर से चूमने लगे पापा ने मेरी चूत से अपने मूह को कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से दबा दिया और मैं सिहर उठी,


संगीता- अब बोलिए पापा कौन ज़्यादा सुंदर है
मनोहर- मुस्कुराते हुए, बेटी अभी तो तुम दोनो ने कपड़े पहने हुए है तभी संगीता ने थोड़ी दूर जाकर अपनी भारी गंद हमारी तरफ घूमाकर अपनी पॅंटी धीरे से नीचे सरकाना शुरू कर दिया वह जैसे-जैसे अपनी पॅंटी नीचे सरक रही थी वैसे ही वह अपनी गंद के छेद को भी फैला कर हमे दिखा रही थी उसकी गुलाबी गंद का छेद बहुत लपलपा रहा था और मैं पापा के लंड को सहला रही थी और पापा मेरी चूत और गंद को बुरी तरह दबा-दबा कर मज़ा ले रहे थे,


संगीता ने अपनी पॅंटी पूरी उतार दी और फिर झुक कर अपनी गंद �

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  • COMMENTS
Anonymous
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2 Comments
AnonymousAnonymousover 10 years ago
Bakwas!

Tum itni bakwas kahaniyan kyun likhatey ho?

GizmorGizmorover 10 years ago
WTF?

Is this upside down? Guess It Ain't My Cup Of Soup!!!

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