नेहा का परिवार 07

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बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोजों को प्यार से सहलाया, "जंगल में सिर्फ तुम्हारे और कौन इस खड़े लंड को देखेगा? वैसे भी मेरी नेहा बेटी मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में छुपा लेगी. नहीं बेटा?" मैं शर्म से लाल हो गयी और धीरे से सर हिला कर हामी भर दी.

बड़े मामा ने मेरी जींस को उठा कर अलग कर दिया. मेरे जिज्ञासु अभिव्यक्ति को देख के मामाजी मुस्कुराये और अलमारी से हलके पीले रंग का पेटीकोट और सफ़ेद ब्लाऊज़ निकल कर मुझे पहनने को दिया, "नेहा बेटी इसमें तुम अत्यंत सुंदर लगोगी," बड़े मामा ने हंस कर कहा, "यदि मेरा लंड खड़ा हो गया तो सिर्फ मुझे तुम्हारा लहंगा ऊपर करने की ही ज़रुरत है और तुम्हारी चूत मेरे लंड के लिए खुल जायेगी."

मैं शर्मा गयी और मामाजी के सीने पर अपने नन्हे हाथों की मुट्ठी से बार बार घूंसे मारने लगी जिसका प्रभाव मेरे विशाल बड़े मामा के ऊपर सिवाय इनको और ज़ोर से हसाने के अलावा निरर्थक था.

मैंने लहंगे के नीचे जान्घियाँ और ब्लाऊज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी.

*२३*

बड़े मामा और मैं हँसते, बाते करते हुए झील की तरफ चल दिए. एक बार जब हम जंगल के घने पेड़ों से घिर गए तो मैंने अपनी बांह बड़े मामा की विशाल कमर के ऊपर डाल दी. हम दोनों झील के शांत विलक्षण वातावरण में एक दुसरे की बाँहों में खुश, छोटी-छोटी बातें कर रहे थे.

"बड़े मामा हमें सुरेश अंकल और नम्रता आंटी के बारे में झूठ बोलना पडेगा?" मैंने अपना गाल बड़े मामा की चौड़ी मांस-पेशियों से भरी भुजा पर रगड़ कर अपना डर में मामाजी को शामिल करना चाहा.

बड़े मामा ने अपना हाथ मेरे चूची के ऊपर रख कर मुझे आश्वासित किया, "नेहा बेटा हमें कोई झूठ नहीं बोलना पडेगा. आप सब चिंता मुझ पर छोड़ दो."

मैंने मुस्कुरा कर अपना अधखुला मूंह ऊपर कर बड़े मामा को चुम्बन का निमंत्रण दिया. बड़े मामा ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और शीघ्र हमारे खुले मुंह एक दुसरे के मूंह से चुपक गए. हमारी झीभ एक दुसरे के मुंह में अंदर-बाहर जाने लगी. हमारी लार एक मुंह से दुसरे मुंह में जा रही थी. बड़े मामा का प्रचंड लंड मेरे गुदाज़ नितिम्बों को कुरेदने लगा.

बड़े मामा ने मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोल कर मेरे संवेदनशील उरोज़ों को मुक्त कर दिया. मामाजी ने मेरे सख्त चूचुक अपनी चुटकी में भर मसलने लगे.

बड़े मामा के मजबूत हाथों में मेरे दोनों स्तनों को मसलने और गून्दने लगे। मेरी सिस्कारियां बड़े मामा को और भी उत्साहित कर रहीं थीं।

मैंने अपने नाज़ुक नन्हे हाथों से बड़े मामा के लंड को पहले पजामे के ऊपर से रगड़ा, पर मुझे मामाजी के विशाल लंड के गर्मी अपने हाथों में महसूस करनी थी. मैंने बड़े मामा के पजामे का नाड़ा खोल कमरबंद ढीला कर दिया. मामाजी का महाकाय प्रचंड लंड ने मेरे नन्हे हाथों को भर दिया.

मैंने हलके से अपने को बड़े मामा की बाँहों से मुक्त कर उनकी झांगों के बीच में झुक गयी। मैंने बड़े मामा का विशाल सुपाड़े को अपना गर्म थूक से भरे मुंह को पूरा खोल कर अंदर ले लिया। बड़े मामा मेरे घुंघराले घने बालों को सहलाने लगे। मैंने बड़ी मुश्किल से बड़े मामा के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने की कोशिश करने लगी। बड़े मामा की हल्की सी सिसकारी ने मुझे और भी उत्साहित कर दिया। मैं दिल लगा कर उनके लंड को जितना अच्छे से हो सकता था चूसने लगी।

बड़े मामा ने मेरे लहंगे के अंदर हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को सहलाने लगे। यदि मेरा मुंह बड़े मामा के लंड से नहीं भरा होता तो मेरी सिसकारी जंगल में गूँज जाती। मैं बड़े मामा के लंड को अपने मुंह से चूस कर लोहे की तरह सख्त कर दिया। उनकी अनुभवी उँगलियों ने मेरी चूत को सहला कर मुझे झड़ने के बहुत निकट तक ले आये।

बड़े मामा ने वासना की उत्तेजना में गुर्रा कर कहा, "नेहा बेटा मेरे लंड को आपकी चूत चाहिए. क्या मैं आपकी चूत मारूं?"

नेकी और पूछ-पूछ! बड़े मामा मुझे तरसा रहे थे. मैंने अपनी सिस्कारियों से उनकी इच्छा के सामने अपने नाबालिग, किशोर शरीर का एक बार फिर से समर्पण कर दिया. मैंने अपने लहंगा अपने हांथों से ऊपर उठा लिया, जैसे मामाजी ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर खड़े हुए. मामाजी का खुला पजामा उनके टखनों के इर्दगिर्द गिर गया.

"बड़े मामा प्लीज़ गिर नहीं जाईयेगा," मुझे मामाजी की फ़िक्र लग रही थी.

मामाजी ने मेरी चिंता की उपेक्षा कर अपने प्रचंड लंड के सुपाड़े से मेरी चूत ढूँढने लगे. मैंने अपने नन्हे हाथ से मामाजी के विशाल लंड को अपनी तंग किशोर कमसिन यौनी के द्वार की सीध पर रख दिया. मामाजी ने चार भयंकर धक्कों में अपना महाकाय लंड मेरी चुस्त चूत में जड़ तक अंदर डाल दिया. झील के मीलों तक सुनसान किनारे पहले मेरी चीखों और फिर मेरी ऊंची सिस्कारियों से गूँज उठे.

बड़े मामा के बड़े शक्तिशाली हाथ मेरे भारी गुदाज़ नितिम्बों को संभाल कर मुझे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगे। मेरी चूत उनके भीमकाय लंड के ऊपर अप्राकृतिक आकार में फ़ैल गयी थी। शीघ्र ही मेरी रति-रस से भरी चूत सपक-सपक की आवाज़ कर बड़े मामा के लंड से चुद रही थी। मैंने बड़े मामा की सीने में अपना सिसकता मुंह छिपा लिया।

"आह .. बड़े मामा मुझे चोदिये। आपका लंड कितना बड़ा है। आह .. ओह ... ब .. ऊंह ... ड़े मा ... ऊन्न्ह्ह्ह ... मा ..आ ...ऒन्न्ह ऊन्न्नग्ग्ग," मै बड़े मामा के भयंकर धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थी। मेरी चूचियां बड़े मामा के हर भीषण धक्के से ऊपर नीचे मादक नाच कर रहीं थीं।

मैं कुछ ही देर में झड़ने के लिए तैयार थी। मैं एक जोर की चीख के साथ बड़े मामा के वृहत लंड के ऊपर झड़ गयी। बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर मेरे थरकते हुए चूची को अपने मुंह में खींच कर चूसने लगे। मेरे कामोन्माद की चीख में मेरे स्तन में बड़े मामा के चूसने के दर्द भी मिल गया।

बड़े मामा ने स्नानगृह के सामान मेरी चूत लम्बे प्रचंड धक्कों से मार कर मेरी हालत खराब कर दी. मेरी कामेच्छा प्रज्जवलित हो मेरे शरीर में आग लगाने लगी. बड़े मामा ने मुझे उसी भयंकर तेज़ी से क़रीब एक घंटा मुझे चोदा.

**

मैंने शैतानी से मुस्कराते हुए बड़े मामा का पजामा लपेट कर अपने लहंगे के कमर बंद में घुसा दिया। बड़े मामा ने भी मुस्करा कर मेरा ब्लाउज रूमाल की तरह तह मार कर अपने कुर्ते की जेब में रख लिया।

मेरा एक हाथ बार बार बड़े मामा के लंड को सहला देता था। हम आधा घंटा धीरे धीरे घुमते हुए हम एक सुंदर घने पेड़ों से घिरी एक जगह पे रुक गए। हरी-भरी मुलायम घास एक गुदगुदे गलीचे के सामान थी। मेरी वासना अब फिर से बड़े मामा के लंड के लिए जागृत हो गयी। मै घास पर घुटने पर बैठ कर बड़े मामा के आधे खड़े मेरे चूत के रस से भीगे लंड को चूसने लगी। बड़े माम का लंड कुछ क्षड़ों के चूसने से ही लोहे के डंडे की तरह खडा हो गया।

बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर अपनी बाँहों में भर लिया। उनका खुला मुंह मेरे मुंह के ऊपर चुपक गया। मेरी भूखी जीभ उनके मुंह के अंदर हर जगह जा कर उनकी जीभ से भिड़ गयी। मैंने बड़े मामा के कुर्ते के बटन खोल दिए। मैंने उनकी सीने की घने बालों में अपनी उँगलियों घुमाने लगी। बड़े मामा ने मुझे प्यार से घास के बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरे लहंगे का नाड़ा खोल कर उसे मेरे शरीर से अलग कर पास में रख दिया। बड़े मामा का पजामा भी मेरे लहंगे के साथ ही चला गया। बड़े मामा ने मेरी आँखों की प्रार्थना को समझ कर अपना कुर्ता भी उतार दिया।

बड़े मामा ने अपना विकराल लोहे से भी सख्त पर रेशम जैसा मुलायम लंड मेरी छूट के द्वार पर रगड़ने लगे। मेरी सिसकारी उन्हें मेरे अविकसित स्त्री-गृह की नाज़ुक सुगन्धित सुरंग के अंदर आने के लिए उत्साहित कर रही थी।

बड़े मामा की झिलमिलाती हल्की भूरी आँखें मेरी वासना भरी आँखों से अटक गयीं।

उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। मैं समझ गयी कि बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी के होंठों से सम्भोग के अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे।

मैं भी अब उन्हें बोलने से बहुत नहीं शर्माती थी।

"बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी की चूत में अपना पितातुल्य विशाल लंड डाल दीजिये। मामू अपने विकराल लंड से अपनी बेटी की मासूम चूत को फाड़ दीजिये," मैं पहले धीरे फिर जोर से बोली।

बड़े मामा ने चार भयंकर धक्कों से अपना पूरा भीमकाय लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया।

मेरी चीख मेरे हलक में ही अटक गयी क्योंकि बड़े मामा ने मुझे एक क्षण भी दिए बिना मेरी चूत को भीषण रफ़्तार से चोदने लगे। उनका विकराल लंड मेरी चूत को रेल के इंजिन के पिस्टन की रफ़्तार और शक्ति से चोद रहा था।

मेरे गले से जब आवाज़ निकली तो पहले मैं बिलबिला कर चीखी पर कुछ ही क्षणों में मे मैं ऊंची सिस्कारियों से अपने बड़े मामा की शक्तिशाली चुदाई के लिए आभार प्रकट करने लगी।

बड़े मामा के विशाल हाथों ने मेरी चूचियों का मर्दन निर्ममता से किया, पर मैं उन्हें और भी बेदर्दी से मसलवाना चाहती थी।

"बड़े मामू ... ओओओण्ण्ण्ण्ण आँ ...आँ ...आँ ...आअह ...और ज़ोर से। मैं आने वाली हूँ। मामा जी ... ई ... ई ... ई ...अंअंअंअंअंअं। मर गयी मैं तो ...आआआ ह्हूम।"

'चपक-चपक' की सुंदर ध्वनि मेरे चूत के मर्दन की घोषणा कर रहीं थी।

बड़े मामा ने मुझे चार बार झाड़ कर मेरी चूत अपने मर्दाने संतान-उत्पादक गरम वीर्य से भर दी. मैं बड़े मामा से छोटी बच्ची की तरह लिपट गयी. हम दोनों कुछ देर उसी तरह लेटे रहे.

बड़े मामा ने मुझे कई बार प्यार से चूम कर अपने लंड से मुक्त कर दिया. हम धीरे-धीरे जंगल में घूमने लगे.

हम दोनों एक दुसरे के शरीर के आकर्षण से अपने को मुक्त नहीं कर सके। बड़े मामा के हाथ मेरे चूचियों, नितिम्बों से एक पल भी नहीं हते। मेरा हाथ भी उनके शिथिल पर भरी विशाल लंड से अलग होने में अक्षम था। बड़े मामा का अत्रिप्य मांसल लोह पुरुष लिंग तनतना कर फिर से उदंग हो गया।

बड़े मामा ने झील के किनारे एक लकड़ी की बेंच को देख कर मुझे बेसब्री से उसकी और खीचने लगे। बड़े मामा ने मुझे उस खुरदुरी बेंच पर लिटा दिया। बड़े मामा ने मेरी भारी गुदाज़ झांगों को अपनी बाँहों में उठा कर मेरी चूत के मुहाने पर अपना वृहत्काय लंड का सेब जैसा सुपाड़ा लगा कर एक हल्का सा धक्का दिया। उनका सुपाड़ा मेरी संकरी चूत में प्रविष्ट हो गया। मेरी हल्की सी सिसकारी ने बड़े मामा के लंड का स्वागत किया।

बड़े मामा कुछ देर तक अपने सुपाड़े को धीरे धीरे मेरी चूत में हिलाते रहे। मेरी चूत बड़ी तेजी से रस से भर गयी। बड़े मामा ने अपने सुपाड़े को गोल-गोल घुमा के मेरी चूत कर तंग छिद्र को चौड़ाने लगे। मेरी सिसकारी ने मेरी जलती हुई कामवासना की स्तिथी की घोषणा कर दी।

मैंने अपने गांड को ऊपर उठा कर बड़े मामा का लंड अपनी चूत में लीलने की कोशिश की।

"नेहा, बेटा आप क्या कर रहे हैं?" बड़े मामा ने मुझे चिड़ाते हुए बच्चों जैसी मासूम मुस्कान से पूछा। मैं समझ गयी थी कि एक बार फिर से बड़े मामा अपनी बेटी सामान भांजी के मुंह से अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे। मेरी चूत में जोर से आग लगी थे औए उसे बुझाने का अस्त्र बड़े मामा के पास था।

"बड़े मामा मुझे क्यों तरसा रहें हैं? मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये। अपनी बेटी की चूत में अपना भीमकाय लंड पूरा अंदर तक डाल दीजिये," मैं वासना के ज्वार से धधक रही थी, "बड़े मामा मेरी चूत अपने मोटे लम्बे लंड से फाड़ दीजिये।"

बड़े मामा ने अपने दोनों हाथों को मेरे कमसिन पर बड़े मोटे स्तनों से भर लिया। बड़े मामा ने बेदर्दी से मेरे दोनों चूचियों को मसल कर अपनी ताकतवर नितिम्बों की सयाहता से एक विध्वंसक धक्के से लगभग आधा लंड मेरी अविकसित चूत के संकरी सुरंग में धकेल दिया।

मैं ज़ोरों से चीख पड़ी, " बड़े मामा, आह ... कितना दर्द ... ऊन्न्ह ... मेरी चूत फट गयी। ओह .. आह ... ऒन्न्ह्ह्ह ...ऊन्नग्ग्ग।"

मेरे बिलबिलाने को अनसुना कर बड़े मामा ने एक गहरी सांस भर कर एक दूसरा भयंकर धक्का लगाया। उनका तीन-चौथाई विशालकाय लंड मेरी चूत में दनदना कर प्रविष्ट हो गया। मेरी छूट मानों जल रही थी। दर्द के मारे मेरी चीख फिर से जंगल में गूँज उठी।

बड़े मामा ने अपने हाथों से मेरे दोनों उरोजों का लतमर्दन करते हुए तीसरे भीषण धक्के से अपना पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया।

बड़े मामा ने मेरी चीख की एक बार फिर से उपेक्षा कर मुझे अपने घोड़े जैसे लम्बे मोटे लंड से चोदने लगे। दस बारह धक्कों के बाद ही मेरा सारा दर्द गायब हो गया और मेरी चीखों की जगह अब मेरे मुंह से लगातार सिस्कारियां उबल रही थीं।

बड़े मामा ने मेरी चूचियों को उतनी ही बेदर्दी से मसला और नोचा जितनी निर्ममता से वो मेरी कमसिन चूत मार रहे थे।

मामाजी के लम्बे जोरदार धक्कों से मैं पांच मिनट में ही झड गयी। बड़े मामा ने बिना धीरे हुए आधे घंटे से भी ऊपर मुझे चोद कर तीन बार कामोन्माद के द्वार पर ला कर पटक दिया। जब मैं तीसरी बार सिसकारते हुए झड़ रही थी तब बड़े मामा के भीमकाय लंड ने भी मेरी रस उगलती कमसिन चूत में मीठा गाड़ा जनक्षम वीर्य उलेढ़ दिया। बड़े मामा ने अपना भारी-भरकम बदन मेरे ऊपर डाल कर निढाल हो गए। मैंने प्यार से उनको अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उनके मुंह को गीले चुम्बनों से भर दिया।

हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे की बाँहों में पड़े मुस्करा कर एक दुसरे को चूमते रहे। आखिर कर हम दोनों उठे और फिर से झील के अगले किनारे की तरफ चल दिए। बड़े मामा ने वापिस जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। हम दोनों पहाड़ी के किनारे के बहुत पास थे। हरी वादी का घुला नज़ारा किसी को भी विस्मित कर सकता था। बड़े मामा ने मुझे बाँहों में भर कर ज़ोर से भींच लिया। उनका लंड पूरा खड़ा था। पास में एक बड़ा पेड़ गिर पड़ा था। बड़े मामा ने मुझे उस पेड़ के तने पर हाथ टिका कर झुका दिया।

हम दोनों के सामने खुली वादी का नज़ारा था। बड़े मामा ने मेरी चौड़ी खुली झांगों के पीछे जा कर अपना लंड एक बार फिर से मेरी फड़कती हुई चूत के ऊपर टिका दिया। मैंने अपना निचला होंठ दांतों के बीच दबा लिया। जैसे मैंने सोचा था उसी तरह बड़े मामा ने मेरे दोनों चूतड़ कस के पकड़ कर चार दर्द भरे धक्कों से अपने अमानवीय लंड को मेरी चूत में जड़ तक डाल कर मेरी अस्थी-पंजर हिला देने वाली भीषण चुदाई शुरू कर दी। मेरी वासना भरी चीखों से खुली वादी गूँज उठी।

मैं सिसक सिसक कर बड़े मामा की विध्वंसक चुदाई से कई बार झड़ गयी। बड़े मामा ने उस बार मुझे एक घंटे तक बुरी तरह रगड़ कर चोदा। मेरे दोनों चूचियों की कोमल त्वचा पर बड़े मामा के निर्मम मर्दन से नीले निशान उभर आये। जब बड़े मामा ने अपना लंड मेरी थकी मांदी चूत में खोल। तब तक मैं इतनी शिथिल हो गयी थी की मेरे दोनों टांगें बड़ी मुश्किल से मेरा वज़न संभाल पा रहीं थीं।

हम जब शाम का अन्धेरा छाने लगा तो घर की तरफ चल दिए.

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