नेहा का परिवार 14

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

आदिल भैया ने मेरी नीची कमर को अपने बड़े मर्दाने हाथों से भींच कर मुझे जकड लिया और एक गहरी सांस भर कर अपनी चौड़ी मांसल बलशाली कमर और नितिम्बों के बल से उपजी शक्ति से अपने लंड को मेरी चूत में एक झटके में ही जड़ तक डालने का इरादा बना लिया।

मेरी चीख न चाहते हुए भी स्नानघर में गूँज उठी। आदिल भैया अपनी छोटी साली शानू को अपने लंड की मर्दाग्नी से प्रभावित करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ने वाले थे।

जब तक मेरी पहली चीख शांत हो पाती आदिल भैया ने एक और जानलेवा प्रहार से अपने लंड की कुछ और इंचे मेरी चूत में घुसेड़ दीं। मेरी उबलती चीखों और शानू की आखें-फाड़ फ़िक्र को नज़रअंदाज़ कर आदिल भैया ने तीन और चार चूत के चिथड़े उड़ाने में सक्षम धक्कों से अपना विशाल लंड जड़ तक मेरी फड़कती चूत में दाखिल कर दिया।

"हाय जीजू, क्या आपने अपनी बड़ी साली की चूत को फाड़ डालने के इरादा बना लिया है? अपने हाथी जैसे लंड को थोड़ा काबू में कीजिये। ये आपकी नन्ही साली की चूत है, नसीम आपा की चूत नहीं। " मैंने सुबकते हुए आदिल भैया को उलहाना दिया।

"साली साहिबा अभी तो आप अपने छोटी बहिन को चूत की सही तरीके से चुदाई के गुर समझा रहीं थीं अब आप अपने जीजू के लंड लेने में इतना इतरा रहीं हैं। " आदिल भैया ने मेरे दोनों हिलते चूचियों को कस कर उमेठा और मसल दिया।

"हाय जीजू मैं इतरा नहीं रहीं हूँ। आखिर मैं आपको रोक थोड़े रहीं हूँ। मैं तो आपके हाथी जैसे लंड की ताकत का इज़हार कर रहीं हूँ ," जब तक मैं पूरी बात बोल पाऊँ आदिल भैया ने अपना वृहत लंड सुपाड़े तक निकल कर एक विघ्वंसक धक्के से एक बार फिर मेरी कमसिन तंग रेशम जैसी चिकनी चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया।

मैं न चाहते हुए भी वासनामय दर्द से सुबक उठी, "हाय जीजू। ...बड़ा मोटा लंड है आपका ... आज तो आप मेरी चूत फाड़ कर ही मानेंगें। "

आदिल भैया ने शानू के लाल मुंह और भौचक्की आँखों से वासना की फुहार को भांप कर ज़ोर से बोले , " छोटी साली जी देख लो कैसे आपकी चूत में मेरा लंड जाएगा। अपनी चूत को मेरे लंड के लिए तैयार कर लीजिये। "

"जीजू अब तो मैं क्या कर सकती हूँ? यदि आप ने नेहा की गांड भी मार ली तो मुझे अपनी चूत को आपके लंड के ऊपर कुर्बान करना ही पड़ेगा ," शानू ने कांपती हुई आवाज़ में फुसफुसाते हुए हुए अपने जीजू से टक्कड़ लेने की कोशिश की।

मेरे शरीर में बिजली सी कौंध रही थी। आदिल भैया का भीमकाय लंड मेरी चूत तो अविश्विसनाय आकार में फैला कर मुझे दर्द और आनंद के मीठे मिश्रण से बेताब कर रहा था।

***********

१०१

***********

"जीजू अब आप इस साली की चूत का ख्याल कीजिये। इसकी चूत अब आपके लंड के ऊपर न्यौछावर है। पहले उसकी प्यास बुझा दीजिये फिर दूसरी साली की बारी लगाइएगा। " मेरी पुकार सुन कर आदिल भैया ने मेरी गोल कमर को जकड़ के अपने मूसल लंड को गोल-गोल मेरी चूत में घुमा कर सुपाड़े तक बाहर खींच कर दो अस्थि-पंजर हिला देने वाले धक्कों से मेरी पिघलती चूत को फिर से भर दिया।

स्नानघर में बड़ी पुरातन सम्भोग के मीठे स्वरों का संगीत एक बार फिर से गूँज उठा। उस में मेरी वासना से लिप्त सुब्काइयां , कराहटें , और हल्की चीखें उस संगीत के स्वरों को और भी रोचक और आनंदमय बना रहीं थी।

"जीजू ... जीजू ... मेरी चूत मारिये। अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल दीजिये। फाड़ डालिये इस निगोड़ी को ," मैं अब आदिल भैया के लंड के हर प्रहार से सर से पैर तक कांप रही थी।

आदिल भैया का लंड मेरी चूत में अब इंजन के पिस्टन की तरह पूरे क्षमता और तेज़ी से अंदर बाहर आ जा रहा था। मेरे रति रस से लिसड़े उनके विकराल लंड को अब मेरी चूत को बेदर्दी से मारने में और भी आसानी हो गयी थी।

आदिल भैया कभी पूरे लंड से लम्बे ताकतवर धक्कों से मेरी चूत मारते तो कभी सिर्फ कुछ इंचों से बिजली सामान रफ़्तार से मेरी चूत की तौबा बुला देते थे।

"जीजू मुझे चोदिये उउन्न्न्न्न्न ... उम्म्म्म्म्म्म मैं अब आने वाली हूँ ... आअन्न्न्ह्ह्ह चोदिये मुझे आआआआअ...," मैं सुबक उठी अपने पहले रति-निष्पति से। मुझे पता था कि ये उस चुदाई का मेरा अकेला चार्म-आनंद नहीं होगा।

आदिल भैया के लंड ने अब और भी रफ़्तार पकड़ ली। स्नानघर में सम्भोग की अश्लील 'पचक पचक' के संगीत ने मेरी चूत के बिना हिचक की चुदाई की घोषणा कर दी।

आदिल भैया के विशाल स्पॉत जैसे कठोड लंड का हर प्रहार मेरे शरीर को हिला कर रोमांचित कर रहा था। मेरे खुले मुंह से उबलती सिस्कारियां उन्हें और भी उत्तेजित कर रहीं थीं। आदिल भैया ने कसमसा के अपने लंड के पीछे और भी ताकत लगनी शुरू कर दी। उनका दैत्य-लंड मेरी चूत को फैलाते हुए जब बहुत अंदर तक जाता और मेरे गर्भाशय को बेदर्दी से धक्का मार के उसे और भी अंदर धकेल देता तो मेरी कराहट में मीठा दर्द भी शामिल हो जाता। उस दर्द से मेरे शरीर में अजीब से विकृत इच्छा जग गयी और मैं आदिल भैया के लंड से उपजे वासना भरे दर्द की प्रतीक्षा कर रही थी।

आदिल भैया ने मेरी चूत को हचक हचक भीमकाय लंड से बेदर्दी से मर्दन करते हुए मेरे दोनों उरोज़ों को इतनी ज़ोर से मसलते कि मैं आशय अवस्था में कराह उठती ," आदिल भैया ...जीजू हाआआय उउन्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग आआअन्न्न्न्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे। जी...जूऊऊ मेरी चूत फिर से झड़ने वाली है। "

आदिल भैया ने अपने लंड के रफ़्तार में और भी इजाफा कर मेरी चूत के लतमर्दन अपनी पूरी क्षमता से करने लगे।

मैं अब लगभग लगातार झड़ रही थी। आदिल भैया का लंड मेरी चूत को रेलगाड़ी के इंजन की रफ़्तार से चोद रहा था। न जाने कितनी देर बाद आदिल भैया ने गुर्रा कर कहा ,"नेहा अब मैं आपकी चूत में आने वाला हूँ। "

कोई भी लड़की जब उसकी चूत चोदने वाले के मुंह से यह शब्द सुनती है तो उसकी वासना और भी प्रज्ज्वलित हो उठती है।

मैं भी कामानन्द के जवार से जलते हुए सुबकी, "हाँ आदिल भैया मेरे जीजू भर दीजिये मेरी चूत अपने वीर्य से। मैं फिर से झड़ रहीं हूँ। आआआह्ह्ह्ह्ह हाय माआआं भैयाआआआ ... उउन्न्न्न्न्न। "

मैं अपने चर्म-आनंद के अतिरेक से कपकपा रही थी। आदिल भैया ने अपना विकराल लंड कई बार बेदर्दी से मेरी चूत में धूंस से मेरी दोनों चूचियों को वहशियों की तरह मड़ोड़ दिया। उन्होंने अपने लंड को जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। उनके लंड का विस्फोट मानों मेरी चूत को जला रहा था। आदिल भैया के जनन-क्षम वीर्य की गरम बौछार ने मेरे अविकसित गर्भाशय को नहला दिया।

न जाने कितनी बार उनके लंड ने अपने उर्वर वीर्य की फुहार से मेरी चूत को भर दिया।

मैं अब हाँफते हुए अपनी साँसों को काबू में करने का प्रयास कर रही थी। आदिल भैया ने मेरी भीगे कमर को प्यार से चूमा। उनकी साँसें भी भारी हो चली थीं।

उनका लंड अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रहा था। यदि उनका लंड थोड़ा सा भी ढीला हुआ तो मुझे अहसास नहीं हुआ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे से लिपटे वैसे ही खड़े रहे।

तब हम शानू की भरी साँसों को सुन कर वापस ज़मीं पर आ गए।

***********

१०२

***********

"जीजू आपने तो नेहा की जान ही निकाल दी होती। कैसी बेदर्दी से आपने उसकी चूत मारी ," शानू ने मेरी फ़िक्र का इज़हार किया अपने उल्हाने से।

"शानू ऐसी चुदाई तो बड़ी खुशनसीबी से मिलती है। तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे जीजू जैसा मुस्टंड लंड घर में ही मिल गया। कई लड़कियां इस लंड को अपनी चूत में लेने के लिए मरने मारने के लिए तैयार हो जायेंगीं ," मैंने आदिल भैया का साथ दिया।

"तो नेहा अब तू अपनी गांड भी मरवाएगी?" शानू ले खुले होंठ सूजे से लग रहे थे।मेरे और आदिल भैया के आनन्दायक प्रचंड सम्भोग के वासनामयी प्रभाव से शानू की साँसे भरी हो थी। उसकी चूचियाँ अपने आप ही थिरक और फड़कने लगीं। उसके अविकसित चूचियों के छोटे छोटे चुचूक सख्त हो गए।बेचारी शानू अभी मुश्किल से किशोरावस्था के दूसरे साल में अभी संभल भी नहीं पायी थी। मेरी तरह उसे बड़े मामा और सुरेश चाचू के वृहत लण्डों से अपने कौमार्यभंग का सौभाग्य नहीं मिला था। पर आज उसके आदिल भैया उर्फ़ जीजू उसका कौमार्यभंग करने वाले थे। शानू की नाबालिग जीवन में सम्भोग का अध्याय अगम्यागमन की रति - क्रिया से शुरू होने वाला था।

" शानू यदि मैं जीजू से अपनी गांड नहीं चुदवाऊँगी तो मेरा जीजू को दिया वचन झूठा हो जायेगा। जीजू फिर तेरी चुदाई करने के वायदे से मुकर सकने के लिए स्वंत्रत हो जायेंगे। तू बता यदि तू अपनी कुंवारी चूत को हमारे जीजू के लंड को नहीं सौंपना चाहती है तो मैं क्यों अपनी नन्ही गांड की सहमत बुलवाऊं जीजू के घोड़े जैसे लंड से चुदवा कर? बोल ना क्या कहती है? तेरी कुंवारी चूत का द्वार खोलने के लिए ही तो मैं अपनी गांड जीजू को भेंट कर रही हूँ। " मैंने जीजू की ओर मुस्करा कर शानू को और भी चुदाई की तरफ धकेला।

शानू के वासना से लाल चेहरे पर विचित्र व्याकुलता की अभिव्यक्ति साफ़ साफ़ जाहिर होने लगी। शानू ने अपने होंठ को चुभलाते हुए हलकी आवाज़ में कहा।, " नेहा मेरी वजह से तुम झूठी मत बनो। तूने जीजू से अपनी गांड मरवाने का वायदा मेरे सामने किया है। अब तो तुझे उनसे गांड मरवानी ही पड़ेगी। वैसे भी जीजू आज पहली बार किसी लड़की की गांड मारेंगे। वायदा निभा और मेरी फ़िक्र मत कर। मैं जीजू से अपनी कुंवारी चूत चुदवाने से पीछे नहीं हटूँगीं। "

मैंने हंस पड़ी , "चलिए जीजू अब आप अपनी बड़ी साली की गांड फाड़ने के लिए तैयार हो जाइये। आपकी छोटी साली की कुंवारी चूत का उदघाट्न करने की ज़िम्मेदारी भी आपको मिल गयी है। "

आदिल भैया का जितना मोटा और हाथ भर लम्बा लंड मेरी चूत में फंसा फड़क रहा था, " अरे साली साहिबायों, जीजू का लंड तो सालियों की मुलाज़मत करने के लिए ही तो अल्लाह मियां ने सारे जिजायों को नवाज़ा है। बस सालियों की रज़ामंदी की ज़रुरत है। "

" जीजू सालियां तो बचपन से ही तैयार होतीं है जीजू का लंड लेने के लिए। उनकी ना नुकर तो बस इठलाने जैसा है। जीजा को उस के इठलाने की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए। बस पकड़ कर साली के चूत और गांड फाड़ कर उसे सम्पूर्ण स्त्री बनने में मदद करनी चाहिए। " मैंने अपने गदराये चूतड़ों को गोल गोल घुमा कर आदिल भैया के लंड के ऊपर अपनी चूत घुमाई, "जीजू अब आप अपनी साली की गांड को अपने लंड के गांड-कौमार्य का तोहफा देंगे या बस हम बातें रहेंगे? "

आदिल भैया ने अपना लंड सुपाड़े तक बाहर निकल और मेरी गुदाज़ कमर को कस कर पकड़ कर एक विध्वंसक झटके में जड़ तक मेरी तंग चूत में ठूंस दिया। मेरी न चाहते हुए भी मेरी चीख निकल गयी , " देखा साली साहिबयों जीजू के लंड की ताकत। जब गांड में धकेलूंगा तो बिलबिला कर रो पड़ोगी? शानू रानी तुम्हारी कुंवारी चूत भी इसी लंड के ऊपर कुर्बान होने वाली है। "

*********

१०३

**********

"जीजू यदि साली की मरवाते हुए उसकी चीखें न निकलें , उसकी आँखों से आंसुओं की गंगा न बहने लगे, उसकी सुबकियों के संगीत से वातावरण न भर उठे और उसकी गांड से लाल खून का टिका जीजू के लंड पर न लगे तो जीजू की ताकत की बस बेइज़्ज़ती ही तो होगी। इसी लिए जीजू आप दोनों सालियों की चीखों का संगीत बजवा दीजिये आज।"

मैंने आदिल भैया को और भी चढ़ाया। आदिल भैया हमारे बड़े भाई हैं और हमेशा अपनी छोटी बहनों की हिफाज़त करने की उनकी स्वाभाविक आदत शानू की बेहिचक चुदाई में बाधा बन सकती थी।

"शानू चल जीजू का लंड चूस और मेरी गांड के लिए तैयार कर ," मैंने भौचक्की शानू को जगाया।

आदिल भैया ने अपना मेरे रति रस से लिसा चमकता लंड मेरी फ़ैली चूत से निकाला और घुटनो पर जाती शानू की ओर बढ़ा दिया। शानू ने बेहिचक मेरे रति रस से लिप्त जीजू को लंड को अपने नन्हे हाथों में संभल कर चूसने, चूमने और चाटने लगी। शानू और मेरे दोनों नन्हे हाथ आदिल भैया के मोटे लंड की परिधि को पूरा मापने में असक्षम थे। हमारे परिवार की स्त्रियों के सौभाग्य में वृहत विकराल लण्डों अधिशेष और प्राचुर्य था।

शानू के थूक ने जीजू के लंड के ऊपर मेरे चूत के रस का स्थान ले लिया। शानू ने अपने आप ही मेरे गदराये गोल चौड़ा कर मेरी गुलाबी नन्ही गुदा को जीजू के दीदार के लिए प्रस्तुत कर दिया। जीजू नीचे झुक कर मेरी गांड पूजा का निस्चय बना लिया। जीजू और शानू ने मेरे प्रभूत गदराये चुत्तडों को चूमना, काटना शुरू कर दिया। फिर दोनों ने बरी बरी से मेरी गुदा को चूमे चाटने लगे।

जीजू की जिव्हा मेरे गुदा द्वार के ऊपर प्यार भरी टकटकाहट देने लगी। जीजू की जीभ बेशर्मी से मेरे मलाशय के द्वार को खोलने के लिए उत्सुक थी। मेरी गांड का तंग छिद्र हर मान गया और मेरी गांड का छेड़ धीरे धीरे जीजू की जीभ के स्वागत के लिए ढीला हो कर फ़ैल गया। जीजू की जीभ की नोक मेरी गांड में प्रविष्ट हो गयी।

"हाय जीजू कितना अच्छा लग रहा है। ऐसे ही गांड चाटिये। जीजू और भी अंदर तक डालिये अपनी जीभ ," मैं अपनी गांड से उपजे वासना के आनंद मसे डोलने लगी।

शानू ने अपनी जगह बदल कर मेरी चूत के ऊपर अपना मुंह जमा दिया। उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी चुदाई की मलाई को चाटने लगी।

जीजू ने मेरे दोनों नितिम्बों को मसलते हुए मेरी गांड को अपनी जिव्हा से चोदने लगे। आखिर इसी गांड को वो थोड़ी अपने हाथी जैसे लंड से फाड़ने वाले थे।

मेरी सिस्कारियां स्वतः मेरे हलक से उबाल कर स्नानगृह में गूंजने लगीं। तभी जीजू ने अपनी जीभ मेरी गांड कर अपनी तर्जनी झटके से जोड़ तक मेरी मलाशय की गुफा में ठूंस दिया। उन्होंने मेरे चुत्तडों को काटने के साथ साथ मेरी गांड को अपनी ऊँगली से चोदने लगे। शानू अब मेरे भगशिश्न को चूस और चुभला रही थी। दोनों ओर से वासनामय प्रेम का आक्रमण मेरे शरीर में सम्भोग की लालसा की आग लगाने लगा।

जीजू ने बिना हिचक अपनी मंझली ऊँगली को तर्जनी की मादा के लिए मेरी गांड में भेज दिया।

मैं अब बेहिचक सिसकने लगी। " जीजू चोदिये मेरी गांड। ...उउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग हाय शानू चूस ले , काट डाल मेरा क्लिट और ज़ोर से। ... उउउउन्न्न्न्न्न्न ... आअरर्र्र्र्र्र्र ," मैं एक बार फिर से भरभरा के झड़ गयी।

आदिल भैया ने बेशक किसी लड़की की गांड भले ही ना मारी हो पर नसीम आपा की चुदाई तो हज़ारों बार की थी और उन्हें लड़कियों की चुदाई की बेसब्री का पूरा इल्म था। उन्हें मॉल था की अब मेरी गांड उनके कुंवारे के लिए तैयार थी।

आदिल भैया ने मेरी फड़कती गांड को मेरे दोनों चूतड़ों फैला कर अपने लंड के आक्रमण के लिए तैयार पाया।

शानू जल्दी से उठ कर मेरे पीछे चली गयी अपने जीजू की मदद करले के लिए।

***********

१०४

***********

उसने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को फैला कर जीजू के हाथ खाई कर दिए। जीजू ने अपना मोटा सेब जैसा सुपाड़ा मेरी गुदा के नन्हे तंग द्वार के ऊपर टिका दिया। " जीजू बेहिचक अपना लंड डाल दीजिये। मेरी चीखों की परवाह कीजियेगा। बड़े मां ने जब मेरी गांड कौमार्य भांग किया था तो मैं नहुत देर तक रोयी थी। पर बड़े मामा ने मेरी चीखों की मेरे रोने की बिलकुल उपेक्षा कर दी थी। "

मैंने आदिल भैया के रहे सहे संकोच का उन्मूलन करने का प्रयास किया।

आदिल भैया ने अपने वृहत लंड के खम्बे को थाम कर एक ज़ोर का झटका लगाया पर मेरी तंग गुदा द्वार नहीं खुला।

"जीजू क्या बात है? क्या बड़े मां मदद के लिए बुलवाना पड़ेगा?" मैंने जीजू के मर्दानगी को चुनौती दी।

आदिल भैया अब मर्दानगी के ऊपर आक्रमण से मचल उठे। उन्होंने अपना सुपाड़ा मेरी ऊपर जैम कर टिकाया और मुझे कस कर पकड़ कर एक गांड-विध्वंसकारी धक्का लगाया।

" ओईईईई माआआआ आआअन्न्न्न्न्न ," मेरे हलक से चीख उबाल उठी। जीजू ने एक ही धक्के में अपना सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी गांड के अंदर धकेल दिया। मेरी गुदा का नन्हा द्वार उनके विशाल सुपाड़े के ऊपर बेशर्मी से खुल कर फ़ैल गया।

आदिल भैया और गहरी सांस ली। मेरी कसी गांड के छेद ने उनके लंड को रेशमी ज़ंज़ीर में जकड़ लिया।

मेरी आँखों में दर्द के आंसू भर गए।

" साली साहिबा , अब बताइये मुझे किसी इमदाद या मदद की ज़रुरत है क्या? " आदिल भैया ने मुझे चिढ़ाया।

"जीजू अभी तो बस लंड का सुपाड़ा अंदर गया है। अभी तो हाथ भर लम्बा लंड मेरी गांड के बाहर है। अभी से आप इतने क्यों इतरा रहें हैं? जब तक सारा लंड साली की गांड में ना समां जाये और फिर साली की गांड-चुदाई इतनी ज़ोरदार और इतनी लम्बी हो की वोह झड़ झड़ कर बेहोश न हो जाय तब तक जीजू का काम पूरा नहीं होता। अब जब तक आप अपना मोटा लम्बा लंड अपनी बड़ी साली की गांड में जड़ तक ना ठूंस दें और फिर और वो उसकी गांड की चुदाई से बिलबिला ना उठे तब तक आप को इतराने का कोई हक़ नहीं है। "

मैं शायद मूर्खों की तरह आदिल भैया उर्फ़ जीजू को चुनौती दे कर अपनी गांड की शामत का न्यौता दे रही थी। आदिल भैया ने अपनी साली की चुनौती को ख़ामोशी से स्वीकार कर लिया। जब मर्द के सौभाग्य में आदिल भैया जैसा लंड हो तो उसे अपनी मूर्ख साली के वचनों के कंटक दंशों का जवाब शब्दों से देने की कोई ज़रुरत नहीं थी। जीजू का लंड मेरे शब्दों के कांटे को मेरे हलक में फंसा देने के लिए पूरा काबिल था।

आदिल भैया ने बिना हिचक एक पूरी ताकत का धक्का लगाया और मेरी गांड चरमरा उठी। उनका मर्द की कलाई से भी मोटे लंड की कुछ इंचे मेरी तंग गांड की गहरी रेशमी अंधकार में डूबी दाखिल हो गयीं।

मैं दर्द के मरे बिलबिला उठी। मेरी चीख ने शानू को भी हिला दिया। मेरी आँखों से गंगा जमुना बहने लगी। पर अब आदिल भैया के ऊपर मेरी दयनीय हालत का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला था।

आदिल भैया ने बिना रुके बिना किसी हिचक और चिंता से एक विध्वंसक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपने महालण्ड को और भी मेरी गांड के भीतरजड़ तक ठूंसने लगे। मेरी सहमत तो मेरे निमंत्रण पर ही आई थी। मेरी दर्द भरी चीखे मेरी गांड से उपजे दर्द की द्योतक थीं। ममेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब मैं चीख नहीं रही ही थी तब मेरी सुबकिया मेरे दर्द का इज़हार कर रहीं थी।

न जाने कितने धक्के लगाने पड़े आदिल भैया को। आखिर में उनके घुंघराले खुरदुरे झांटों के बाल मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को रगड़ रहे थे। आदिल भैया जीजू ने अपना विकराल लंड जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया था।

" साली साहिबा , क्या मैं आपके चीखने रोने के रुकने का इन्तिज़ार करूँ या आपकी गांड शुरू कर दूँ? जैसा आपको ठीक लगे हमें बता दें। आखिर मैं आप हैं और छोटी बहिन भी। आपकी गांड और चूत तो हमें आगे और भी मारनी है। हर मानने में कोई शरम नहीं है। " आदिल भैया ने अपने मर्दाने हाथी जैसे लंड की विजय पताका लहराने में कोई देर नहीं लगाई।

मैं अभी भी दर्द से बिलबिला रही थी पर सारे संसार की सालियों का सम्मान हांथों में था, " जीजू, अभी तो यह पहला वार है। अभी तो आपको अपनी साली की गांड की लम्बी प्रचंड चुदाई है। जब तक तब तक वो बेहोश नहीं तो कम से कम निश्चेत जैसी हालत में ना जाये। फिर आपको अपनी दूसरी साली की कुंवारी चूत ठीक उसी तरह मारनी है। अभी तो फ़तह के बिगुल बजने में देरी है। "

***********

१०५

**********

मैं सुबक रही थी फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी। आखिर सालियों के सम्मान का सवाल भी तो था , उसके सामने मेरे दर्द की कुझे फ़िक्र नहीं थी।

आदिल भैया ने भी सारी दुनिया के जिजाओं का पक्ष और सम्मान का बीड़ा उठा लिया।

आदिल भैया ने अपना लंड मेरी दुखती गांड से इंच इंच कर सुपाड़े तक बाहर निकल लिया और फिर ज़ोरदार धक्कों से जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी चीखें उनके हर धक्के के प्रभाव की घंटी बन गयीं। । मेरी गांड में दर्द की लहरें उपज गयीं। मुझे लगा की मेरी गांड फट कर चिथड़े चिथड़े गयी थी और उससे खून के धाराएं बह रहीं होगीं।

अब आदिल भैया बिना रहम से मेरी गांडमारने लगे। उनका लंड मेरी बिलबिलाती गांड से निकलता और फिर जड़ तक मेरे गहरे अँधेरे रेशमी मलाशय में समां जाता।

मेरी चीखे सुबकियों में बदल गयीं। आदिल भैया का लंड, धीरे धीरे मेरी गांड में उनके महालण्ड के रगड़ाई से उपजे रस, से लिस कर कुछ आसानी से मेरी गांड के अंदर बाहर आने जाने लगा।

शानू की साँसे ऊँची और भारी हो गयीं थीं।

आदिल भैया मेरी गांड को बेरहमी से अपने महाकाय लंड से चोद नहीं बल्कि कूट रहे थे। अब उनके मेरी उसी बेरहमी से मसल रहे थे। मेरी सुबकियां सिस्कारियों में रूपांतरित हो चलीं।

मेरी प्रचंड गांड चुदाई के मंथन से मंथन से सौंधी सुगंध सब तरफ फ़ैल गयी।

" जीजू अब मर लीजिये अपनी साली की गांड। हाय कितना मोटा लंड आपका। अब मारिये और ज़ोर से। "मैं काम-आनंद के अतिरेक में अंट्शंट बोलने लगी। जो दर्द थोड़ी देर पहले मेरी जान निकाल रहा था अब मेरे शरीर में उसी दर्द ने वासना से भरे कामसुख की बाढ़ पैदा कर दी।

"साली जी और ज़ोर से मारूँ आपकी गांड। अब तो आप रो भी नहीं रहीं हैं? " आदिल भैया ने एक और प्रचंड धक्के से मेरी गांड महाकाय लंड से भर दिया।

"जीजू और ज़ोर से मारिये। मैं अब झड़ने वाली हूँ। ह्हाअन्न्न्न्न्न उउउन्न्न्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग्ग ऊऊऊओ माआआं मर्र्र्र्र गयीईई मैईईईईइं आआऐईईईन्न्न्न्न्न ," मेरी सिस्कारियां मेरे कामोन्माद के प्रभाव से और भी ऊँची हो गयीं।

अब जीजू उर्फ़ आदिल भैया विजय-पथ पर बेलगाम दौड़ रहे थे। उनका वृहत लंड मेरी गांड की भयंकर शक्तिशाली और बेहद तेज़ धक्कों से दनादन चुदाई कर रहा था।

फ़च -फ़च -फ़च -फ़च -फ़च की आवाज़ मेरी गांड के मंथन का संगीत थीं। मैं अब वासना के ज्वर से बिलबिला उठी। मैं अब लगभग लगातार झड़ रही थी। आदिल भैया मेरे उरोज़ों को जितनी बेदर्दी से मड़ोड़ते मसलते उतना ही विचित्र आनंद मुझे एक नए चरम आनंद के द्वार पर ला पटकता।

आदिल भैया मेरे हर कामोन्माद को और भी परवान चढ़ाने के लिए दोनों चुचूकों को बेरहमी से खींच कर मड़ोड़ देते और मैं हलके से चीख उठती। मेरी चीखें अब आनंद के आवेश से उपज रहीं थीं। मेरी गांड की चुदाई का दर्द बस मेरे आनंद को बढ़ावा दे रहा था दे रहा था।

***********

१०६

**********

आदिल भैया हचक हचक कर चोद रहे थे। उनके धुआँदार धक्के मेरे अस्थिपंजर तक हिला देते। अब वो मेरी गांड की चुदाई वहशी अंदाज़ और रफ़्तार से करने लगे। जब उनके हाथ मेरे उरोज़ों को मुक्त कर मेरी चूत और भाग-शिश्न से खेलते तो उनके धक्कों से मेरे गुदाज़ मोटी चूचियाँ आगे पीछे भरी गेंदों की तरह डोलतीं। मैं वासना और भीषण चुदाई के अतिरेक से हांफने लगी। पर जीजू की चुदाई की भीषणता और उत्तेजना में कोई धीमापन आने की गुंजाईश नहीं होती दीखती थी।

" जीईईइ ... जूऊऊऊ ... हाआआन ... उउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं फिर ... झड़ रही हूँ... आआन्न्न्न्न्न्न्न ... मर ... गईईईईई ... आआअन्न्न्न्न्न्न ,"मेरे हलक से सिस्कारियों की बौछार से स्नानगृह गूँज उठा। गांड महक मेरी कामोत्तेजना को और भी परवान चढ़ा रही थी।

जीजू ने दनादन धक्कों से मेरी गांड की तौबा बुला दी , "साली रानी क्या अब टैं बोली या नहीं? मैं तुम्हारी गांड अपने लंड की मलाई से भरने वाला हूँ। "

जीजू के झड़ने की घोषणा से मेरी गांड चुदाई के आनंद चार चाँद लग गए, ," जीजू अपने मुझे झाड़-झाड़ कर मार ही डाला।

भर दीजिये अपनी छोटी बहन और साली की गांड अपने लंड की मलाई से। "

मैं वासना के अतिरेक में बेशर्मी से बुदबुदाई। आदिल भैया ने मेरे दोनों चूचियों को निर्ममता मड़ोड़ मसल कर मेरी गांड में बेरहमी से अपना लंड और भी ताकत से ठोकने लगे। उनके हलक से गुरगुरहटों जैसी आवाज़ें निकलने लगीं। कोई नासमझ भीषण गांड चुदाई को देखता तो इसे बलात्कार समझता।

मैं तो जीजू की निर्मम चुदाई से उन्गिनत बार झड़ कर बिलकुल शिथिल हो रही थी।

अचानक जीजू का लंड मेरी गांड में और भी मोटा लगने लगा। उनके लंड ने मेरी गांड में मानों अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी। उनके लंड से मेरी गांड में गरम गरम उर्वर वीर्य बौछार होने लगी। मैं उस गरमाहट के आनंद से तड़प उठी और हलके से चीख झड़ने लगी।

जीजू का लंड बिना रुके गांड की तड़पती कोमल दीवारों को अपनी मलाई की बारिश कर रहा था। लगा की जीजू का लंड

से वीर्य की फुहारें कभी भी नहीं रुकेंगी।